Book Title: Jain Puran kosha
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan
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५३० : जैन पुराणकोश
परिशिष्ट
क्र० सं० नाग बन
सन्दर्भ
१८.
सल्लकी सहस्राम्र सहायवन सहेतुक सह्य सालकानन सिंहगिरि सिद्धार्थ सिद्धि सुरनिपात
मपु० ५९.१९७ हपु० ४३.२००-२०२ पापु० १७.७३-७४ मपु०४८.३८-३९ मपु० ३०.२७ मपु० १२.२२१ मपु०७४.१६९ मपु० १७.४१७ मपु० ४८.७९ मपु० ६३.१२७-१२९
भृकुण्डी
६६.
२६.
बारह विभंग नदियाँ १. हृदा/ग्राहवती
२. हृदवती ३. पंकवती ४. तप्तजला
५. भत्तजला ६. उन्मत्तजला ७. क्षीरोदा
८. शीतोदा ९. स्रोतोऽन्तर्वाहिनी १०. गन्धमालिनी/गन्धमादिनी ११. फेनमालिनी १२. ऊर्मिमालिनी
मपु० ६३.२०६-२०७, हपु० ५.२३९-२४३
सोलह सरोवर १. पद्म २. महापद्म ३. तिगिच्छ ४. केसरी ५. महापुण्डरीक ६. पुण्डरीक ७. निषध ८. देवकुरु ९. सूर्य
१०. सुलस ११. विद्युत्प्रभ १२. नोलवान १३. उत्तरकुरु १४. चन्द्र १५. ऐरावत १५. माल्यवान
मपु० ६३.१९७-१९९, हपु० ५.१२१ अस्त्र-शस्त्र
क्र० सं० नाम अस्त्र-शस्त्र
पाप बन्धन बर्हणास्त्र
ब्रह्मशिरस् १९. भास्करास्त्र
भिण्डिमाल २१. २२. भूतमुखखेट
मनोवेग महाश्वसन माहेन्द्र
मुद्गर २७. मुसेल
मोक्षण
मोहन ३०.
यमदण्ड राक्षस रौद्रास्त्र लकुट लांगल लांगूल लोकोत्सादन वज्र वनदण्ड वातपृष्ठ वारुण विघ्नविनायक विशल्यकरण वृत्तवैताड्य वैरोचन
व्यस्त्र ४६. व्रतसंरोहण ४७. शक्ति
शतघ्नी शिलीमुख शूल
संवर्तक ५२. सर्वास्त्रच्छादन ५३. सहस्रकिरण
सिद्धार्थ ५५.
सन्दर्भ पपु०७४.१०४ हपु० २५.४८ पपु० ७४.११०-१११ मपु० ५२.५५ हपु० ५२.५५ पपु० ७.९५-९६ पपु० १२.२५८ मपु० ३७.१६८ मपु० ३७.१६६ हपु० ५२.५० पपु० ७४.१००-१०१ मपु०४४.१४३ पपु०१२.२५७ हपु० २५.४८ हपु० २५.४८ हपु० २५.४८ हपु० ५२.५४ हपु० ३१.१२२-१२३ मपु० ३.१०५ पपु०१२.२५८ पपु०५४.३७ हपु० २५.४७-५० मपु० १.४३ मपु०८.२३८ मपु० २९.६९ पपु० ६०.१३८ पपु० ७४.१११ हपु० २५.४९ हपु० ५.५८८ हपु० ५२.५३ मपु० ३१.७२ हपु० २५.४९-५० मपु० ४४.२२७ पपु० १९.४२-४३ पपु० ५८.३४ पपु० १२.२५८ हपु० ५२.५० हपु० २५.४६-४९ पपु० ७४.१०८ पपु० ७५.१८-१९ पपु० ६०.१४०
क० सं० नाम अस्त्र-शस्त्र
संदर्भ
अंलिप आग्नेयास्त्र आष्टि इन्धन ऐशान कनक
४५.
क्रकच
४८.
पपु० १२.२५७ पपु० १२.३२२-३२४ पपु० ६२.४५ पपु० ७४.१०५ हपु० २५.४८ पपु० १२.२११ मपु० १०.५९ पपु० १२.३३२-३३६ पपु० १२.२५८ पपु० ६४.२७ हपु० २५.४८ पपु०७४.१०८-१०९ पपु० १२.३३२ हपु० ५२.५४
गरुडास्त्र
घन
१२.
चण्डरवा जृम्भण दन्दशूक नागास्त्र नारायण
१४.
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