Book Title: Jain Me Chamakta Chand Author(s): Kesharichand Manekchand Daga Publisher: Kesharichand Manekchand Daga View full book textPage 9
________________ श्री पूज्यजी महाराज का सदुपदेश श्रवण करने के लिए श्रीमान् कर्नल महाराजा साहब सर श्री भैरोंसिंहजी बहादुर के. सी. एस. आइ. तथा श्री चीफ मिनिस्टर दीवान साहब सर मनुभाई मेहता सहर्ष पधारे थे । और दूसरे भी उँच २ पदाधिकारी राजकर्मचारी प्रायः तमास सजनगण पधारे थे और महाराज श्री पूज्यजी का अमृतो पदेश सुनकर जो उनके हृदय सरोवर में प्रानन्द की उमंगें उठीं उन सबका बयान करने के लिए एक स्वतन्त्र पुस्तक की जरूरत है इस से स्वयं आप समझ सकते हैं। - कान्फ्रेन्स का अष्टम अधिवेशन बड़े समारोह के साथ पूर्ण हुआ है,जिस का वर्णन करने के लिए बड़ा समय चाहिये। समय का अभाव होने से लेख बढ़ ने के भय से कान्फ्रेन्स के महा उपकारी सिर्फ बड़े २ नेताओं का नाम मात्र लिखता हूँ कान्फ्रेन्स के सभापति श्रीमान् वाडीलालजी भाई गुजरात के रहने वाले थे, जोकि बडे धर्म प्रचारक विद्वान सज्जन हैं श्रीमान् नथमलजी चोरडिया नीमचवाले जोकि अपनी लाखों की धन सम्पत्ति का आनन्द न भोगकर और उस से अधिक सम्बन्ध नरखकर खादी के वस्त्र पहनकर देशो द्धार में लगे हुवे हैं। श्रीमान् मिलापचंदजी वैद झांसीPage Navigation
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