Book Title: Jain Mat Vruksha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 57
________________ (४७) आदि ग्रंथों में है. ब-श्री आर्य सुहस्तिके मुख्य शिष्य, १२, बारां स्थ- विर हूओ. [१] आर्यरोहण स्थविर, तिससे उद्देह गच्छ निकला. उद्देह गच्छकी ४ चार शाखा, और छ, ६, कुल हूओ. __“शखाओं के नाम.” उदंबरिधिया शाखा, १, मासपरिका, २, मति पत्रिका, ३, और पन्नपत्तिया.४ _ “कुलोंके नाम.” नागभूत कुल, १, सोमभूत, २, उल्लगच्छ, ३, हस्तलिहं, ४, नंदिजम, ५, और परिहास कुल. ६. . [२] स्थविरभद्र यश, तिसमें ऋतुवाटिकागच्छ, तिसकी चार शाखा, और तीन कुल.. “शाखाओंके नाम.” चंपिजियाशाखा, १, भदिजिया, २, काकंदिया, ३, और मेहलिजिया. ४, "कुलोंके नाम.” भद्दजसिय, १, भद्दत्तिय, २, यशभद्र. ३. (३) स्थविरमेघगणि. (४) स्थविर कामर्द्धि, तिससे वेषवाटिका गच्छ, तिसकी चार शाखा, और चार कुल.. " शाखाओंके नाम.” सावथिया शाखा, १, रज

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