Book Title: Jain Hindi Puja Kavya
Author(s): Aditya Prachandiya
Publisher: Jain Shodh Academy Aligadh

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Page 355
________________ उपसंहार पूजा-काव्यकारों का संक्षिप्त परिचय विवेच्यकाव्य में प्रयुक्त पूजाकाव्य के रचयिताबों का पलादि तथा अकारादि क्रम से संक्षिप्त परिचय निम्न प्रकार हैअठारहवीं शती खानतराय-उत्तर प्रदेश के आगरा नगर में वि० सं० १७३३ में पानतराय का जन्म हुआ था । आप अग्रवाल गोयल गोत्र के थे । आपके पिता श्री का माम श्यामदास था । आपके धर्मगुरु बिहारी दास थे। कवि ने पद, स्तोत्र, रूपक तथा पूजा काव्यरूपों में काव्य-सृजन किया । आपके द्वारा प्रणीत म्यारह पूजाएँ प्राप्त हैं। उन्नीसवीं सती कमलनयन- कमलनयन उन्नीसवींशती के अच्छे पूजाकवि है। 'श्री पंचकल्याणक पूजा पाठ' आपकी उत्कृष्ट रचना है। बख्तावररत्न-बख्तावररत्न दिल्लीवासी थे। आपका मूलनाम रतनलाल बख्तावर है । आप अग्रवाल जाति के हैं। आपका जन्म संवत् १८९२ में हुआ था-यथा संवत् अष्टादश शतक और बानवे जान । फागुनकारी सप्तमी, भोमवार पहचान । मध्यदेश मण्डल विष, दिल्ली शहर अनूप । बादशाह अकबर नसल नमन करें बहभूप ।। मनरंगलाल-जाति के पल्लीवाल कपि मनरंगलाल कन्नौज के निवासी थे । आपके पिता का नाम कन्नौजीलाल और माता का नाम था देवको। आप उन्नीसवीं गतो के सशक्त पूजाकवि हैं। नेमिचन्तिका, सप्तव्यसन परित तथा पूजाकाव्य आपको काम्यकृतियां प्रसिद्ध हैं। मनरंगलाल की पूजाएँ जैनसमाज में सर्वाधिक प्रचलित है। मल्लजी-कवि मल्लजी का रचनाकाल उन्नीसवीं सती है । 'भी क्षमावाणी पूजा' नामक पूजा श्रेष्ठ कति है।

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