Book Title: Jain Gitavali
Author(s): Mulchand Sodhiya Gadakota
Publisher: Mulchand Sodhiya Gadakota

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Page 39
________________ १९ मदिरा खाय ताकी हम नसाई कि छोड़ मेरे भाई ॥ ||१|| कुमति नारि को याग कराई कि छोड़ मेरे भाई ॥ कुमनि नारि कुकरम करवाई कि छोड़ मेरे भाई ॥ २ ॥ मोहराय की बेटी जाई कि छोड़ मेरे भाई ॥ सुमनी देव सुगति दुखदाई कि छोड़ मेरे भाई ॥ ३ ॥ मति मन भाई कि गढ़ मेरे भाई ॥ कुलटा छिड़काई, कि छोड़ मेरे भाई ॥ ४ ॥ देवीदान सुकुमति दे ( १८ ) ( " साजाना" की चाल-विवाहमें ) मा मोकों अनि सुन्दर मिजमानी लाये जिनवर साजाना ॥ टेक ॥ शील चुनरिया रंग रंगीली मारी ॥ १ ॥ पांच नोव्रत घोली पांचों जरतारी वरना ||२|| चौ शिक्षावन बेसर लाये मोनिन के भुलना ॥ ३ ॥ सम्यक दर्शन गजरा लाये समता झलकाना ॥ ४ ॥ ज्ञान चरित दोई हार त्याचे झलके मां यदना ॥ कानन को लाये सोहं जिन वचना ॥ ६ ॥ कंकण लागे यहियोमें भरना ॥ ७ ॥ सुमनि लाये भंभरी के धरना ॥ ८ ॥ सय मिजमानी पहिर सजन की गिरनारी जाना || ९ || जिन सजनाके - कमल भज भवसागर नरना ॥ १० ॥ ५॥ क दश लक्षण र फजरौटी

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