Book Title: Jain Dharm aur Vidhva Vivaha 02 Author(s): Savyasachi Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi View full book textPage 244
________________ ( २३४ ) इस तरह विधवाविवाह जैनधर्म के अनुकूल सिद्ध हो गया। मैं विधवाविवाह के प्रत्येक विरोधी को निमन्त्रण देना है कि उसे विधवाविवाह के विषय में अगर किसीभी नही शङ्का हो तो वह जरूर पूछे। मैं उसका अन्त तक समा धान करूँगा । इतिPage Navigation
1 ... 242 243 244 245 246 247