Book Title: Jain Dharm aur Jatibhed
Author(s): Indralal Shastri
Publisher: Mishrilal Jain Nyayatirth Sujangadh

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Page 38
________________ बदलते रहते हैं । जैसे जयपुर से दक्षिण की ओर ६माइलपर झालाना नामक एक रेलवे स्टेशनथा उसके बिलकुल पासही कांग्रेस का जयपुरमें ५५यां अधिवेशन हुश्रा । कांग्रेसी ही सरकार थी उस झालाना का नाम अब गांधीनगर कर दिया गया । मोरेना में जो विद्यालय था उसका नाम गोपाल विद्यालय कर दिया गया । झालावाड़का नाम ब्रजनगर कर दिया गया, । ईसरी स्टेशन का पारस नाथ कर दिया गया। पटोंदा रोड का नाम श्रीमहावीरजी कर दिया गया-ऐसे हजारों उदाहरण हैं । ___ इस प्रकार जैसे अग्रसे जीसे 'अग्रवाल जाति' यह नाम पड़ा, तो अग्रसेनजीभी तो किन्हीं माता पिताके पुत्र थे और उनकीभी कोई जाति तो थी ही। जैसे इस समय गांधीजी भाग्यशाली हुये और उनके नामसे मालाना का नाम गांधीनगर होगया, किसी और प्रदेश का नाम गांधीचौक रख दिया गया, वैसेही उन लोगों की जातिको अग्रसेनजीके नामपर अप्रवाल जातीय घोषित कर दिया गया। इस प्रकार नाम बदल जाते हैं किन्तु वास्तविकता नहीं । वास्तवमें एक प्रकारको वस्तुओंका नाम, जाति है। जो मानधों में ही नहीं किन्तु पशु पक्षियों एवं जड़ पदार्थो में भी है क्योंकि समस्त संसार के पदार्थ एक समान कभी नहीं हो सकते। उनमें जो भेद-दर्शन है वही जाति-व्यवस्था है । मानवमेंभी भिन्न श्राचार विचार घारासे उस विभिन्न आचार विचार धाराके मुख्य नेताओं

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