Book Title: Jain Dharm aur Jatibhed
Author(s): Indralal Shastri
Publisher: Mishrilal Jain Nyayatirth Sujangadh

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Page 93
________________ लेखक द्वारा लिखी हुई पुस्तकें१-धर्म सोपान-पों में [ अप्राप्य ] २-श्रेयोमार्ग-कल्याण के मार्ग पर सुन्दर निबंध [अप्राप्य] ३-महावीर देशना-भगवान महावीर स्वामी की संक्षिप्त जीवनी और उपदेश । ४-अहिंसा तत्व-अहिंसा पर प्रबर विवेचन । ५-वर्ण विज्ञान-वर्ण व्यवस्था पर सैद्धान्तिक, वैज्ञानिक और सयुक्तिक विवेचन । भू०॥) ६-जैन धर्म सर्वथा स्वतन्त्र धर्म है-विषय नाम से स्पष्ट । ७-साम्यवाद से मोर्चा-साम्यवाद [कम्युनिज्म से बचने का वास्तविक उपाय । मू०) ८-जैन मन्दिर और हरिजन-पूज्य श्री क्षु० गणेशप्रसाद जो वर्णी के अभिमत पर विवेचन। १-तत्वालोक [ पद्यों में J-देश की दिशा और सुधार की रूप रेखा । तीन संस्करण छप चुके । (मूल्य चार बाने) १०-आत्म वैभव (पद्यों में)-अनेक विषयों पर मार्मिक कविता। ११-विवेक मंजूषा-अनेक विषयों पर मार्मिक प्रवचन (मूल्य छह पाने) १२-जैन धर्म और जाति भेद-जो आपके हाथ में है। (मूल्य आठ पाने )

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