Book Title: Jain Bauddh Aur Gita Me Karm Siddhant
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 54
________________ संदर्भ ग्रन्थ आउटलाइन्स ऑफ इंडियन फिलासफी, पृ. ७१ एथिकल स्टडीज, पृ. ५३, फिलासाफिकल क्वाटरली, अप्रैल १९३२, पृ. ७२ शंकर्स ब्रह्मवाद, पृ. २४८ थ्री लेक्चरर्स आन वेदान्त फिलासफी, पृ. १६५ 1. 2. 3. 4. 5. 6. भगवतीसूत्र, १ / २ / ६४ संयुत्तनिकाय, १२/१७ 7. 8. दर्शन और चिन्तन, पृ. २१९ 9. आत्ममीमांसा, पृ. ८० 10. स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. २२० 11. श्वताश्वतरोपनिषद्, १/१-२ 12. श्वेताश्वेतर ( भा० ), १/२ 13. वही, ६ / १ 14. वही, १ / ३ 15. गीता, ८ / २३, ५/१४, ९/८, १८/६१ 16. अंगुत्तरनिकाय, ३ / ६१ 17 18. बौद्ध धर्मदर्शन, पृ. २५० 19. मज्झिमनिकाय, ३ / ४५ सुत्तनिपात वासेट्ठसुत्त, ६०-६१ 20. भगवतीसूत्र, १/२/६४ 21. सन्मति प्रकरण, ३/५३ 22. गीता, १८ / १४ 23. गीतारहस्य, पृ. ५५-४६ 24. गीता ५/८.११ 25. अंगुत्तरनिकाय - उद्धृत बौद्ध दर्शन और अन्य भारतीय दर्शन, पृ. ४६३ 26. बौद्ध धर्म दर्शन, पृ. २४९ 27. वही, पृ. २५५ 28. कर्मविपाक (कर्मग्रन्थ पहला), १ 29. दर्शन और चिन्तन, पृ. २२५ 30. गोम्मटसार कर्मकाण्ड, ६ 31. अष्टसहस्री, पृ. ५१; उद्धृत- स्टडीज इन जैन फिलासफी, पृ. २२७ 32. कर्मविपाक, भूमिका, पृ. २४ कर्म - सिद्धान्त [ 47 ]

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