Book Title: International Jain Conference 1985 3rd Conference
Author(s): Satish Jain, Kamalchand Sogani
Publisher: Ahimsa International
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आचार्य जिन उदयसागर सूरि जी महाराज
बेतुल, महाराष्ट्र दिसम्बर १२, १९८४
शुभाशीर्वाद
प्राचार्य सुशील कुमार जी की प्रेरणा एवं प्रयत्न द्वारा प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय जैन कान्फ्रेंस अमेरिका में अक्तूबर १९८१ में आयोजित हुई थी। द्वितीय कान्फ्रेंस को इंगलैंड निवासियों ने अक्तूबर १९८३ में आयोजित किया था। हमें बहुत प्रसन्नता है कि तृतीय विश्व जैन कान्फ्रेंस का आयोजन ८, ६ एवं १० फरवरी, १९८५ को अहिंसा इन्टरनेशनल ने विश्व की अनेक संस्थाओं के सहयोग से किया है।
आपके द्वारा मानव मात्र की ही नहीं विश्व के प्राणी मात्र की सेवा का हम आदर करते हैं। विश्व के प्रत्येक भाग में जैनाचार्यों के उपदेशों के अनुसार अब धर्म प्रचार-प्रसार की भावना जगी है। विश्व जैन कान्फ्रेंस द्वारा बिखरे मोती अब माला का रुप ले रहे हैं, इसकी अत्यंत प्रसन्नता है। भगवान महावीर का अहिंसामय जीवन एवं सन्देश “जीओ एवं जीने दो" अच्छा एवं शान्तिपूर्ण जीवन जीने का सुन्दर साधन है।
हितेच्छ आचार्य जिन उदयसागर सूरि
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