Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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कृति उपरथी प्रत माहिती भांका २९२- पे.क्र. २, पृ. ८A-९A, प्रमाणप्रमेयकलिकादि वादस्थलसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- प्रतिलेखक की भूल से पत्र-७ लिखने की जगह ८ लिखा गया है.
कुल झे.पृष्ठ-२०, डीवीडी-९१ सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल-उत्तराध्ययनसूत्र पाइय टीकागत जुओ - उत्तराध्ययनसूत्र-(सं.)बृहवृत्तिनो हिस्सो
(सं.)सवस्त्रधर्मव्यवस्थापनावादस्थल, संस्कृत सविचारस्थण्डिलचक्र (स्थण्डिलचक्र)
प्रा.,सं., पद्य, गा.१०, आदि वाक्यः अहियासियाए अन्तो आसन्ने चेव... भांता ७०- पे.क्र. १२७, पृ. १७४B-१७५A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४४२. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सव्वलद्धिवियार जुओ - सर्वलब्धिविचार, प्राकृत सहस्रनामस्तोत्र जुओ - सर्वज्ञदेवसहस्रनामस्तोत्र, संस्कृत, श्लोक१२८ सागरकथा लोभे (लोभे सागरकथा)
प्रा., पद्य, गा.९९, पाताहेसं १८५- पे.क्र.८, पृ. १०३-१०९, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण
डीवीडी-१०/१९ सागरकथादिकथासङ्ग्रह (कथासङ्ग्रह) सं.,
कृ.विः अम्बिका,विमलमंत्री,लूणिग,वस्तुपालादिने लगता प्रसंगो छे. पाकाहेम ९७५१, पृ. २, सगरकथादि कथासङ्ग्रह, वि-१८मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३ सागारप्रत्याख्यान (प्रत्याख्यान). (सागारप्रत्याख्यान(?))
प्रा., पद्य, गा.५, आदि वाक्यः एस करेमि पणामं जिणवरवसहस्स वद्धमाणस्स... भांता ७२- पे.क्र. १८, पृ. ८०B-८%A, दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति आदि सङ्ग्रह, संपूर्ण
पे. विशेष- संपूर्ण? प्रत विशेष- सूचीपत्र नं.१-७११.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-७३/८२ सागारप्रत्याख्यान विधि (प्रत्याख्यान विधि)
प्रा., पद्य, गा.९, आदि वाक्यः पडिवज्जसु निस्सेसं इत्तरसागारपच्चक्खाणविहिं... पातासंघवी ११७-१- पे.क्र. २, पृ. ५१-५२, आराधनापताका भगवती आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१०४, डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १४५-१- पे.क्र. ५, पृ. ९९-१००, चउसरण आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९४, डीवीडी-३५/५३ सागारप्रत्याख्यान(?) जुओ - सागारप्रत्याख्यान, प्राकृत, गा.५ साङ्ख्यकारिका जुओ - साङ्ख्यसप्ततिका, जैनेतर-ईश्वरकृष्ण, संस्कृत, का.७० साङ्ख्यकारिका-(सं.)भाष्य जुओ - साङ्ख्यसप्ततिका-(सं.)भाष्य, जैनेतर-गौडपाद, संस्कृत साङ्ख्यसप्ततिका (साङ्ख्यकारिका)
जैनेतर-ईश्वरकृष्ण, मुनि-कपिल, सं., पद्य, का.७०, आदि वाक्यः दुःखत्रयाभिघाताज्जिज्ञासा तदपघातके हेतौ। दृष्टै
साऽपर्था चेन्नैकान्तात्यन्ततो भावात् ।।छ।।...
कृ.विः कर्तानाममां कपिल ऋषि पण आवे छे. पाकाहेम १०७२०, पृ. १०, साङ्ख्यकारिका भाष्यसहित पञ्चपाठ, वि-१६४२, संपूर्ण
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