Book Title: Hastikundi Ka Itihas
Author(s): Sohanlal Patni
Publisher: Ratamahavir Tirth Samiti

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Page 14
________________ हस्तिकुण्डी एक परिचय-५ पराजित हुए / गजनवी ने इन दोनों नगरों को उजाड़ दिया। ऐसी स्थिति में नगरी भी आक्रमण के प्रभाव से अछती नहीं बचो होगी। 1167 वि. के. सेवाड़ी के शिलालेख में इस प्रदेश को चौहानों का राज्य बताया गया है और उसमें आसराव के पुत्र युवराज कटुक का वर्णन है। सेवाड़ी बीजापुर से केवल छह मील दूर है। हो सकता है तब तक यह प्रदेश चौहानों से शासित होता रहा हो / बालीसा चौहानों के बडुओं को बहियों से मालम होता है कि इस नगरी या ग्राम का अन्तिम शासक सींगा हतुड़िया राठौड़ था / उसको वि. सं. 1.32 में वरसिंह चौहान ने मार डाला और उसने बेड़ा के 42 गाँवों के परगने पर कब्जा कर लिया। परन्तु यह तथ्य जिस दोहे पर आधारित है, उसका भ्रान्त अर्थ किया गया है / दोहा इस प्रकार है : बर वे लोधो वांकड़े, बाहाँ बल बालीस / सोंगो कमधज साजियो, बारासें बत्तीस / / इस दोहे का अर्थ अभी तक इस प्रकार होता रहा कि बालीसा चौहान वरसिंह ने अपने भुजबल से यह प्रदेश सिंहाजी राठौड़ को मार कर हथिया लिया। इस अर्थ को मानने वालों के अनुसार हस्तिकुण्डो के राठौड़ों का वंश सिंहाजी राठौड के बाद समाप्त हो गया। इस दोहे पर एवं सिंहाजी के पाली पर अाक्रमण करने के समय पर विचार किया जाय तो इस दोहे का अर्थ इस प्रकार होगा--"सिंहाजी राठौड़ ने सं. 1232 में सुसज्जित होकर अपने बाहुबल से वरसिंह बालीसा चौहान से युद्ध किया एवं अपनी विजययात्रा प्रारम्भ की।" इन

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