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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
नहीं लगे तब तक मत देना। आप मुझे अपना यह कॉन्ट्रैक्ट का काम सौंप दो। जो भी काम सौंपोगे, उसकी पूरी ज़िम्मेदारी मेरी। आपको नहीं आना है, आपके उस कॉन्ट्रैक्ट का सब काम मैं कर दूंगा। आप मुझे काम सौंप दो फिर अगर आपको अपना काम सही सलामत लगे और आपकी कमाई हो तो आपको मुझे जो परसन्टेज देना हो वह देना। अगर कमाई नहीं हो तो मत देना। मैं खुद के खर्च पर रहूँगा। आप दे सको तो देना
और नहीं दे सको तो चलेगा लेकिन मुझे पार्टनरशिप में रहना है। आपको मुझे पार्टनरशिप में लेना पड़ेगा'।
क्योंकि मैं जानता था कि तीन महीने बाद वह क्या करेगा? वह मुझे छोड़ेगा ही नहीं। अच्छा सुपरविज़न करना आता है इसलिए वे खुश हो जाएगा। ऐसी कुशलता थी मुझ में। मैं जानता था कि हम शुरू से ही, यों ही फ्री ऑफ कॉस्ट रहेंगे, तो फिर वह अपने आप ही मुझे जाने नहीं देगा और नौकरी करने की बात ही नहीं रहेगी।
मैं आपका सर्वेन्ट नहीं बल्कि पार्टनर की तरह रहूँगा
प्रश्नकर्ता : नौकरी नहीं पुसाती इसलिए आपने उससे साफ-साफ कह दिया?
दादाश्री : हाँ, इसलिए मैंने उससे कह दिया कि, "देखो आपके कॉन्ट्रैक्ट के बिज़नेस में 'आई विल हेल्प यू!' मैं आपके पार्टनर की तरह जीना चाहता हूँ, सर्वेन्ट की तरह नहीं। मुझे आपसे कुछ भी नहीं चाहिए। सिर्फ मेरे खर्चे लायक जितना चाहिए, वह मैं अपने आप ही ले लूँगा। आपको देने और लेने का अधिकार नहीं है। मुझे ठीक लगेगा तो मैं लूँगा और उसमें आपको यदि अनुकूल आए तो अगले महीने के लिए आप 'हाँ' कहना। आपका किसी भी तरह का दखल नहीं रहेगा।" क्या कहा?
प्रश्नकर्ता : मैं आपकी हेल्प करूँगा और अपने आप ही पैसे ले लूँगा। आपकी दखलंदाजी नहीं चाहिए।
दादाश्री : तू दे और मैं लूँ तब तो मैंने भिक्षा ली, ऐसा कहा