Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 352
________________ [छ - ज] सद्दानुक्कमणिका [२१] छन्दरागविनयो- ९४ छन्त्रपरिब्बाजको-३६,२६०, २७१ छन्नं-५४, १०७,१०८,११९, १३४, २९७ छब्बण्णरस्मियो-३९,४४ छम्भितत्तं - ९५,१७४ छयोजनसतिकं-१९६ छवदुस्सानीति-२६५ छविरोगो-२११ छळभिआनं-१९५ छळाभिजातियोति-१३४ छातकभयेन-२५६ छिन्नमूलका-१८३ छेको-१७६, २५३, २७५ छेदनन्ति-७४ चिरकालप्पवत्तकुलन्वयोति - २२८ चीवरकुटिदण्डके-१६० चीवरकुटिं-१७१ चीवरसिब्बनकाले-१६८ चीवरं-७, १०, १२, १४, ४४, १५३, १५५, १६१, १६२, १६६, १६७, १९५ चुतिचित्तनिरोधेन-१०१ चुतिलक्खणं-६० चुतिं - १०२ चुन्द - ६२ चूळनिद्देसे-२९५ चूळराहुलोवादसुत्तं-४८ चूळसीहनादं -४९ चेतकत्थेरेन-८ चेतकोति-२८८ चेतना-६७, ६९, ८८ चेतनालक्खणं-६० चेतसिकन्ति-२९१ चेतियङ्गणबोधियङ्गणवत्तं - १५२ चेतियदस्सनं-१५१ चेतिरटे - २८८ चेतोपरियाणं-१८३, २४८ चेतोविमुत्तिन्ति-२५२ चेतोसमाधिन्ति-९१ चेलकाति-१३१ चोरकण्टकरहिता - २३९ चोरघातका-१३४ चोरबलं-१२६ जङ्घविहारन्ति-३०० जङ्घविहारवसेन- १९६ जटन्ति-५४ जनताति-२५० जनपदकल्याणीति-२८२ जनपदत्थावरियप्पत्तोति-२०२ जनपदो-१९४, २०२, २२५, २३७, २३८ जनवसभो-११६ जन्तुकुमारं- २०९ जम्बुदीपतले - ११४ जम्बुदीपस्स-५१ जराजिण्णताय-२२८ जलजकुसुमविचित्तानि-१९९ जवनं-१५८,१५९ जागरिते च सम्पजानकारी-१६५ जातकन्ति-२४ जातवेदो-१८३ जाति-१६, ३८, ५७, ८८, १०७, १८२, २१२ जातिब्राह्मणानं-१९७ छड्डितपतितउक्लापा-९ छत्तमाणवकविमाने-१८५ छत्तं-५८,८०,१२६,१६८,१९९ छद्दन्तो-४० छन्दरागप्पहानं -९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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