Book Title: Dighnikayo Part 4
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 350
________________ [घ-च] - ९६, १९० गट्टी - गहणलक्खणं - ६० गहपति - ३८, १४८, २५७ गहपतिको - १४० गहपतिमहासालो - २९० गाथाभिगीतं - २८ गामकथापि - ८० गामधम्माति - ६७ गामभागेन - २४३ गामसामन्ते - २१८ गिज्झकूटे - २६९ गिज्झकूटं - ११७ गिरिगुहन्ति - १७१ गिलानपच्चये - १६७ गिलानमञ्चे - ११७ गिहिभावं - २५१ गिहिसहायको - २८२ गिही जातो - १६० गीतन्ति - २२१ गुणकथं - ११९, १२३, २३२ गुणदोससल्लक्खणविज्जा - ८३ गुणदो - ८३, २०९ गुणधमेह - ८७ गुणसम्पदा - १८३ गुणानुभावं - १८३ गुत्तद्वारो - २८९ गुहाति - १७० गेय्यन्ति - २४ सद्दानुक्कमणिका Jain Education International गोतमाति - २०८, २१४, २४३, २६६, ३०१ गोतमं - ११७, २०१, २२६, २२८, २३१, २३३, २३४ गोत्तपटिसारिनोति - २१६ गोत्तवसेन - ६५, १९९ गोधालक्खणसदिसमेव - ८४ गोनकोति - ७८ गोपदकं - २२८ गोपालकगामं - २५६ गोमयसिञ्चनं - २३८ गोसालोति - १२१ घ घनताळं- ७७ घनपुप्फको ७८ घरमावसं - १८८ घरावासो - १४८ घानफस्सायतनं - १०६ घोरतपो - २७४ घोसकदेवपुत्तो - २५६ घोसितसेट्ठिना - २५७ घोसितारामे - २५४ घोसितारामो - २५७ चक्करतनं - २०२ चक्कवत्तिकाले - ११३ गोचरगामद्वारे - १९५ चक्कवत्तिबलेन - २१० गोचरगामं - ११३ गोचरसम्पञ्ञन्ति - १६० चक्कवत्तिराजा - ४०, २०२ चक्कवाळपरियन्तं - ९८ गोचरसम्पज - १५१, १५२, १५६, १५८, १६०, चक्कवाळमहासमुद्दे - ५५ - १६१, १६२, १६३, १६४ गत १११ गोतमगोत्तोति - १९९ गोतमसावकोति - ३१ 19 च चक्खुफस्सायतनं - १०६ चक्खुमा पुरिसो- १५५, १७९, १८१ चक्खुविञ्ञाणधातु - १५९ चक्खुविञ्ञाणं - १०६, १५८ [१९] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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