Book Title: Dhatu Sangraha
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Page 174
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धातुसंग्रह. 169 व, (ङ) आ. 9. संभक्ती. संभक्तिः संसेवा. सेपj, Mr. वृणीते सेव. वृतः, वृतवान्, पतिंवरा कन्या. वराकः (45), वराकी, वरः(/मा), वरेण्यः (4), वर्यम् (७५य), वार्यम् (स०५), वर्वरीका (स२२५ती), वृति:. वृ, (अ) उ. 10. आवरणे. मा१२, disj, , पार, निपा. वा. रयति-ते पा२२. वारयति = वारइ == पारे निवारयति = निवारइ = निवारः वारि (11), वारणम्,आवरणम् (1 ढास, 2 माछाहन). 1 मावरः, 2 प्रावारः (मोढ५ १ख). वर: (242016-1), निवारणम्, वारण (141), विवारः, संवारः, वृकं, (अ) आ. 1. आदाने. अह५ 42y, ले. वर्कते लछे, वृकः (वनस्तरो). वृक्ष, (अ) आ. 1. वरणे. संघाते च. 1 ५२यु, 25342y, 27ty, 3 भोछ।ऽयं, 42. वृक्षते वीरेछ. वृक्ष:. वृन्, (इ) प. 7. वरणे. 12j, वी४२. वृणक्ति परेछ. ज, (ई) आ. 2. वर्जने. प. वृक्त कपट साधुः साधु ४५४ने छ. वर्ज नम्. वर्गः (नाम). वृज, (इ) आ. 2. वर्जने. प. वृक्ते प. वृन, (ई) प. 7. वर्जने. 10. वृणक्ति 1 वर्गः () वृन, (ई) उ. 10. वर्जने. पy, dav, m. वर्जयति-ते थे. वीत = वई = 4. वर्जितम् = वजिरं = पन्यु वर्जनम्, विवर्जनम्. वृण्, (अ) प. 6. प्रीणने. तृH ४२j-यj. वृणति तृH 2, थायछे. वत, (उ) आ. 1. वर्त्तने. वर्तनं स्थिति: 1 वर्त, 20, स्थिति ४२वी. वर्तते घट: पो रहेछ. वर्तमानः, वर्तकः (मतपंथी), वर्त्तका, वर्तिका (2411 पंमिया), वृत्तिः (स्थिति), आवर्त्तः (४५०म), रथायस्मिन् आवर्त्तते रथावतः (आम), कुशावर्तः (कुंडवि०), आर्यावर्त्तः (मार्य:२३), वार्ताकी (भू रिंगली), वार्ताकम् = 4. वृताकी (जनी Nnel), वृताकम् = ता४. वर्तिका (सातारानुं हतियार), वृत्र: (त्य), वृति: (iसनी वाय), निवृति: (सुप), वतिः= बत्ती = माती. दीपतिः = दीवबत्ती = दीवष्टि (25). 1 व. निः, 2 वर्तनी (भाग), वर्त्म (न् + भार्ग). वृत्, (उ) आ. 4. विवरणे. 32{. वृत्यते थे. वृत, (अ) प. 6. हिंसाग्रंथयो.. 1659, 2 मुंथ. वृतति होछे, इ०. For Private And Personal Use Only

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