Book Title: Dandak Tatha Laghu Sangrahani
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 154
________________ चउ-चार. सोलस-सोल सत्त-सात दु-बे अठ्ठ-आठ नवगे-नव. गुणयाल-ओगणचालीश. एगारस-अगीयार दुवे-बे पर्वतने. कुडेहि-कुटे य-अने. गुणह-गुणाकार करो सगसहि-सडसठ. जहसंख-यथासंख्याए. | सयचो -चारसें. विस्तारार्थः-(सोलस उगणयालं वे य के० ) षोमशद्वियेकोन . चत्वारिंशत् छौ च, एटले सोळ, बे, बे, उंगणचालीश अने बे, ए पांच . पर्वतोनी संख्याना अंकोने ( चनसत्त अहनवगे कारस कुडेहिं के०) चतुः सप्ताष्टनवके कादशकुटैः, एटले चार, सात, आठ, नव अने अगीयार, ए पांच कुटना अंको साथे ( जहसंखं के०) यथासंख्यं, एटले अनुक्रमे (गुणह के०) गुणयत, एटले हे गणितने जाणनारा पंमितो! तमें गुणाकार करो. तो सर्व मळी (सगसहि य सय चउरो के०) सप्तषष्टिः शत चत्वारि, एटले ४६७ कुट थाय, अर्थात सोल पर्वतने चार कुटे गुणतां चोसठ थाय.

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