Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 89
________________ शरीर का किस प्रकार हास हो रहा है, यह किसी से छिपा नही है । लेखक में अपने निज के अनुभव तथा संसार-प्रसिद्ध पहलवान सैडो, मूलर तथा प्रो० राममूर्ति के अनुभवों के श्रावार पर लिखा है। इसमे लडकों और स्त्रियों के उपयुक्त भी घायाम बतलाये गये है। व्यायाम की विधि बताने के साथ ही साथ चित्र भो दिये गये है जिससे व्यायाम करने में सहूलियत हो जाती है । मूल्य अजिल्द का १॥) तथा सजिल्द का ) १८-धर्मपथ-प्रस्तुत पुस्तक मे महात्मा गाँधी के ईश्वर, धर्म तथा नीति सम्बन्धी लेखों का संग्रह किया गया है जिन्हें उन्होंने समय समय पर लिखे हैं । यह सभी जानते है कि महात्मा गांधी केवल राजनीतिक नेता ही नहीं, वरन् वर्तमान युग के धार्मिक सुधारक तथा युगप्रवर्तक हैं। ऐसे महात्मा के धार्मिक विचारों से परिचित होना प्रत्येक धर्मावलम्बी का परम कर्तव्य है । मू०॥ १९-स्वास्थ्य और जलचिकित्सा--जलचिकित्सा के लाभों को सब लोगों ने एक स्वर से स्वीकार किया है । इस विषय पर जनसाधारण के लिये कोई उपयोगी पुस्तक न थी । जो दो एक पुस्तकें हैं भी उनका मूल्य इतना अधिक है और वे इतनी क्लिष्ट भाषा में लिखी गई हैं कि सर्वसाधारण का उनसे लाभ उठाना एक तरह से कठिन ही है। परन्तु । प्रस्तुत पुस्तक सब के लिये बहुत उपयोगी है। मु० १॥ २०--बौद्ध कहानियाँ-महात्मा बुद्ध का जीवन और उपदेश कितने महत्वपूर्ण, पवित्र और चरित्र-निर्माण में सहायक हैं, इसे बतलाने को आवश्यकता नही । इस पुस्तक में उन्ही महात्मा के जीवन के उपदेश कहानियों के रूप मे दिये गये गए है । उनकी घटनाये सच्ची है। प्रत्येक कहानी रोचक और सुन्दर ढग से लिखी गई है। पुस्तक विद्यार्थियों तथा नवयुवकों को विशेष उपयोगी है। सचित्र पुस्तक का मू०१) है। २१-भाग्य-निर्माण-आज बहुत से नवयुवक सब तरह से समर्थ और योग्य होने पर भी अकर्मण्य हो भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं। कोई उधम या परिश्रम का कार्य नहीं करते। फल-स्वरूप वे अपने लिये तथा घरवालों के लिये बोझ हो जाते हैं । यह पुस्तक विशेषकर ऐसे -

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