Book Title: Buddh Vachan
Author(s): Mahasthavir Janatilok
Publisher: Devpriya V A

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Page 93
________________ ने इसमे स्त्रियों के लिये विविध प्रकार के व्यंजनों को सरल और सुबोध विधि लिखी है। अगर आप अपनी बहू-बेटो तथा बहन को सद्गृहिणी बनाना चाहते हैं तो उनको इसकी एक प्रति खरीद कर अवश्य दोजिये / मू०३) साहित्य सुमनमाला की पुस्तकें१-मदिरा-हिन्दो के उदीयमान लेखक पं० तेजनारायण काक काति' की अद्भुत लेखनी द्वारा लिखा गया यह सुन्दर गद्य-कान्य है। प्रत्येक लाइन पढ़ते समय पद्य का सा श्रानन्द मिलता है। यदि आप सरस साहित्य के प्रेमी है, तो इसे अवश्य पढ़िये / मू०१) है। २-कवितावली रामायण-कवि-सम्राट गोस्वामी तुलसीदास की इस अमर रचना से कोन परिचित नहीं है / परीक्षार्थियों के लाभार्थ इसके कठिन शब्दों के अर्थ, पद्यों का सरलार्थ तथा पद्यों के मुख्य अलंकार भी उनलाये गये हैं विस्तृत भूमिका भी दो गई है जिसमे गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन पर पूरा प्रकाश डालते हुए कवितावली को निष्पक्ष आलोचना की गई है। भूमिका लेखक हे प्रसिद्ध विद्वान पं० उदयनारायण त्रिपाठी मु० // ३-भग्नावशेष-इसके लेखक प्रसिद्ध नाटककार 'सुमारहृदय' है जिनके नाटकों को हिन्दो जगत अच्छी तरह अपना चुका है / यह नाटक आपके पूर्व लिखित नाटकों से कही सुन्दर है। इसमे वीर रस और करण रस का अच्छा परिपाक हुआ है / इसके पढने से भारत के प्राचीन गौरव की झलक आँखों के सामने स्पष्ट दिखलाई पडती है / मूल्य 1) ४-गुप्तजी की काव्य धारा-ले० श्री गिरिजादत्त शुक्ल 'गिरीश' बी० ए०-प्राधुनिक हिन्दी साहित्य मे बाबू मैथिलीशरण गुप्त का एक विशेष स्थान है। लगभग तीस वर्षों तक विविध काव्य पुस्तकों की रचना कर के गुप्तजी ने हिन्दी-संसार को वह अमूल्य निधि प्रदान की है, जिस पर समस्त हिन्दी-भापियों को उचित गर्व है / 'गुप्तजी की काव्य-धारा' नामक आलोचनात्मक ग्रंथ में गुप्तजी के प्रायः सम्पूर्ण साहित्यिक कृतियों का एक सुन्दर अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। मू० 2) मैनेजर-छात्रहितकारी पुस्तकमाला, दारागंज, प्रयाग।

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