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और बाद में स्त्री - सुख मिलता है ।
इस प्रचलित सन्दर्भ में दाम्पत्य सम्बन्ध का संक्षिप्त विचार कर लेना भी उपयुक्त होगा ।
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दम्पति प्रीतियोग
प्रश्नकुण्डली में यदि निम्नलिखित योग हों तो पति-पत्नी में प्रगाढ़ स्नेह होता है और यह प्रीति उतरोत्तर वृद्धिगंत होती है। (i) लग्नेश सप्तम में और सप्तमेश लग्न में स्थित हों । (ii) लग्नेश लग्न में और सप्तमेश सप्तम में स्थित हों । (iii) लग्नेश और सप्तमेश दोनों लग्न में स्थित हों । (iv) लग्नेश और सप्तमेश दोनों सप्तम स्थान में स्थित हों । (v) लग्नेश और सप्तमेश परस्पर मित्र हों और एक दूसरे को देखते हों ।
दम्पति बैर योग
यदि प्रश्न कुण्डली में निम्नलिखित योग हों तो पति-पत्नी में कलह, विवाद और मतभेद होता है ।
(i) लग्नेश और सप्तमेश परस्पर शत्रु और निर्बल हों । (ii) लग्नेश और सप्तमेश दोनों शत्रु राशि में हों और इन पर पापग्रहों की दृष्टि हो ।
(iii) लग्नेश और सप्तमेश नीच या अस्तंगत होकर परस्पर छटे और आठवें स्थान में हों ।
१६. अथ विषकन्यानिर्णय द्वारम्
रिपुक्षेत्रस्थितौ द्वौ तु क्रूरश्चकस्तत्र
लग्नादि शुभग्रहौ । बाता भबेत्स्त्री विषकन्यका ॥६५॥
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