Book Title: Bhugate Usi Ki Bhul
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 19
________________ सामनेवालेका मूंह आपको फूला हुआ नज़र आये तो वह आपकी भूल है । उस समय उसके "शुद्धात्मा" को याद करके उसके नामकी माफि माँग- माँग करे तत ऋणानुबंधसे छूटकारा होगा । अब सासको बहू दु:ख दिया करती हो और सासने यह सुन (19) रखा हो कि "भुगते उसीक भूल" इसलिए बार बार दुःख देने पर वह तुरन्त समझ जायेगी कि मेरी भूल होगी तभी वह दःख देती है न ? इससे निबटारा आ जायेगा वर्ना निबटारा कैसे आयेगा ? और बैर बढ़ता रहेगा । समझना मुश्किल मगर वास्तविक! अन्य किसीकी भूल नहीं है । जो कुछ भूल है, वह हमारी ही है । हमारी भूलकी वजहसे यह सब विद्यमान है । इसका आधार क्या ? तब कहे, “हामारी भूल" । प्रश्रकर्ता : बहुत देरके बाद समझमें आये ऐसा है । दादाश्री : देरसे समझमें आये तब भी अच्छा है । एक ओर गात्र ढीले पडते जायें और दूसरी ओर यह समझमें आता जाये । कैसा काम बन जाता ? अगर गात्र मज़बूत हो तब समझमें आता तो ? मगर देरसे भी समझमें तो आया, देर आये दुरुस्त आये । हमने "भुगते उसीकी भूल" सूत्र दिया है न. वह सभी शास्त्रोंका सार दिया है, सुत्रक रूपमें ! यदि आप मुंबई जाये तो वहाँ हजारो घरोंमें लिखा पाओगे, वह सूत्र, बड़े बड़े अक्षरों में, "भुगते उसीकी भूल" इसलिए जब गिलास फूट जाये उस वक्त बच्चे आमने सामने देखकर कह दें । "ओ मम्मी, आपकी भूल है " बच्चे भी समझ जाये हाँ । मम्मीसे कहें, "तेरा मुँह लटका हुआ है यह तेरी ही भूल है ।" कढ़ी खारी हो गई तब हमें देखना चाहिए कि किसका मुँह बिगड़ा है ? हाँ, उसकी भूल । दाल उलट गई तो देख लेना, किसने मुँह बिगाडा ? जिसने बिगाड़ा उसकी भूल । सब्जीमें मीर्च ज्यादा हो गई तो हम सभीके मुँह देखले कि किसने मूंह बिगाड़ा है ? जिसने बिगाडा उसकी भूल । भूल किसकी है?"भूगते उसकी भूल"!

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