Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi

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Page 11
________________ १११-१२४ १२५-१३६ १४९-१५१ १५२-१५७ १५८-१६२ १५. Gandhi from God is truth' 'Truth is God' Shri. R. R. Diwakar १६. Ahimsa culture for Human survival Shri. R. R. Diwākar १७. 'सत्य अहिंसा और उनके प्रयोग' संगोष्ठी का संक्षिप्त विवरण -श्रीराधेश्यामधर द्विवेदी [ख] भारतीय दर्शनों का नया वर्गीकरण १८. 'भारतीयदर्शनों का नया वर्गीकरण' संगोष्ठी से सम्बन्धित विचारणीय प्रश्न-श्रीराधेश्यामधर द्विवेदी १९. भारतीयदर्शनों के नये वर्गीकरण की दिशा -प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय २०. भारतीयदर्शनों के वर्गीकरण से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर -प्रो० बदरीनाथ शुक्ल २१. वर्गीकरण सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर-आचार्य पं. रघुनाथ शर्मा २२. भारतीय दर्शनों का वर्गीकरण-डॉ. सी० एन मिश्र २३. भारतीय समन्वय दिग्दर्शन-प्रो० महाप्रभुलाल गोस्वामी २४. भारतीयदर्शनों का वर्गीकरण-पं. विश्वनाथशास्त्रीदातार २५. भारतीयदर्शनों के वर्गीकरण पर एक विचार श्रीरामविहारी द्विवेदी २६. 'भारतीयदर्शनों का नया वर्गीकरण' परिचर्चा का संक्षिप्त विवरण श्रीराधेश्यामधर द्विवेदी [ग] नये दर्शनों की संभावनायें २७. भारतीय चिन्तन की परम्परा में नये दर्शनों की संभावनायें -श्रीराधेश्यामधर द्विवेदी २८. भारतीय चिन्तन में नये दर्शन की उद्भावना की आवश्यकता नहीं -स्वामी करपात्रीजी महाराज १६३-१६७ १८-१८७ १८८-१९८ १९९-२०४ २०५-२१२ २१२-२२८ २३१-२३४ २३५-२३९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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