Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ वातो राणी सत्यको पण समजती हती, ते छतां एना प्रभातमी अने रात मा जुदाई हतो। प्रभातमां अरमान अने रातोमा आरजु .. मुख पर हास्य अने आंखोमां आंसु... गात्रोमां शिथिलता अने वातोमा निर्मळता... अढळक संपत्तना ढेर अनेक सगवडत नो भहेर छतां नारीना अरमान मतृत्वना परम मंगलने चाहे छ। नारो जोवननो खुमारी जननी पी विशेष खोली उठे छे... अंतर- आभलं पूणिमानो चांनी जेवं छलकी उठे छ... राणी स.यकीनो आरजुर कुदरतना कर्णपटे टकोरा दई दोधा। अने प्रामाने कुदरततो चेतना जगावो दोधो...निसंगनी कलानो आण वर्ताई .. स्वर्गनी वाटे रहेल अरिहंत प्रभुना आत्माए आवो पृथ्वी पटे पाम आनः छवाई गया, विश्वना कोकण पदार्थ अने प्राणी चेन अने शांतीनो सरगम बाजो उठी नारकोना दुःखी नार कोने पण क्षणमर शांतोना अनुभवमा पडया...प्रकाशना पशमां पडया .. सत्यको राणीनं अरमान अरे अ'वोने पुणताने इच्छो रहया। मान प्रभ त अने रात राणाने मन समान हताः प्रभातना पुष बेई हास्य रातनी राणो लजामण न हास्य बनो गयें। सागर तरंगे अने हैग उछरंगे आज ऐकयता.मित्रता साधी हती. जोबन ऋतुराज खोली उठयो, अंगे अंगे बहार वरसी हतो. For Private and Personal Use Only

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