Book Title: Bharat Kshetrana Manvini Simandhar Jin Prati Haiyani Vat
Author(s): Amitgunashreeji
Publisher: Sundar Sahitya Seva Sadan

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Page 47
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्थाने चाल्या...केटलाय नंदीश्वर द्वीप गया...इंद्र महाराज प्रभुज ने लई तेनी माता पासे आव्या, प्रमुनीने मातानी गोदमां मूक्या अने प्रभुने तथा माताने नमस्कार करता बोले छ । विश्वना तारणहारनी प्राता, तुं जगतनी माता छु, आज तुं धन्य बनी छ । तारी रत्नकुक्षी दुनियानो उपकारक जन्मयो छे, अमने तेनी सेवानो लाभ आय्यो, अशं वर्वाद आप्या ने...प्रमुने रमवा मटे गेडी, दडो, वि. मूकीप्रमुना अंगुठे अमृत सोंचों पांव धावम ताने प्रभुना उछेर माटे मूको... केटलाक देवाने प्रभुनी रक्षा माटे मूश्या .... नगरे नगरे उद्घोषणा करावीके जे प्रभु के प्रभुनी मातानो विवाद, अवर्णवाद करशे तेनुं मस्तक छेद थशे। आ प्रमाणे सर्व व्यवस्था, प्रभुना जन्म अवस्थाये करो इंद्र भावपूर्वक प्रभुने नमस्कार कर्यो... आंखमा प्रतीना पाणी लई स्वर्ग सद्दन सीधाव्या... पुंडारकिणी नगरं नो अमूलो उत्सव प्रभुना जन्मोत्सवनो थई रहयो...जिन मंदिरो गाजी उठया। के दाने मुक्ति, पखोआने मुक्ति, दाननी वर्षा, स्वजन, परिजनमां पण भेटणां, नजराणां, तेमज उत्तम भोजन कराव्या, केटल य ज वोने अभय अपाया... प्रभुना जन्मदिननी खुशालीए चारे तरफ भरता उछला संसारना किनारा पर... श्री सोमंधर कुमार चंद्रनी कलानी जेम उछेर पामवा लाग्या, व्रण-त्रण, ज्ञ नना वारसदारने दुनिया कयांयी अजाणी होय? समुद्र कयारेय गंभीरता न छोडे तेम तीर्थंकरो पण मर्यादा तोडा नयो। माता-पितानो आज्ञाने शिरोमय करे जाय छ For Private and Personal Use Only

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