Book Title: Bhadrabahu Charitra
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Jain Bharti Bhavan Banaras

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Page 128
________________ निवेदन। ** . पाठक महाशय भदवाहु-चरित्र आपकी सेवामें उपस्थित करते हैं यह ग्रन्थ कितने महत्वका है वह इसके पढ़नेसे खयं अनुभव हो जायगा । इस ग्रन्थको श्रीरबनन्दी सरिने बनाकर जैन जातिका बड़ा भारी उपकार किया है। ऐसे २ अमूल्य । रनोंकी आनभी जैनियों में कमी नहीं है। कमी है केवल आपके पुरुषार्थ की । सौं हम प्रार्थना करते हैं कि यदि । आप जैन समाजका हृदयसे भला चाहते हैं तो उन रखोंको । अन्धेरैमैसे निकाल कर उजेलेमें लाइये। और तभी हमारा जैनधर्म पाना- सार्थक होगा जब हम अपने पूर्वनोंकी.. कीर्तिका विस्तार दिगदिगन्तमें करने की चेष्टा करेंगे। * . . इस रत्नके अलावा-. . . . भावसंग्रह ( धामदेव) . . .. सप्तव्यसन-चरित्र ( सोमसेन ) वर्द्धमान पुराण ( सकल-कीर्ति ).. . . “धन्यकुमार-चरित्र ( सकलकीर्ति) .. र ये ग्रन्थ तयार होरहे हैं। इन्हें हम जल्दी ही आपकी ! सेवाग्रे उपस्थित करेंगे। बद्रीप्रसाद जैन . . भवदीय . बनारस सिटी एम . . . -

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