Book Title: Badmer Jile ke Prachin Jain Shilalekh
Author(s): Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
Publisher: Jain Shwetambar Nakoda Parshwanath Tirth
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________________ बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख [ 65 मन्दिरों का तोड़ना तथा मूर्तियों का खडित करना हो सकता है / यहाँ पर अलाउद्दीन खिलजी ने चौहान सांतलदेव पर, अकबर ने राव चन्द्रसेन पर तथा औरंगजेब ने वीर राठौड़ दुर्गादास पर हमले किये थे / अकबर ने राठौड़ राव कल्याणमल रायमलोत पर भी हमला किया था। ___यहाँ के मन्दिरों की विगत इस प्रकार है:१. गौड़ी पार्श्वनाथ मन्दिर-पोल के अन्दर 2. दादावाड़ी जिनकुशलसूरिजी-पोल के अन्दर 3. गुणेशमलजी भीमराजजी का मन्दिर श्रीपार्श्वनाथमन्दिर 4. चौमुखजी श्रीपार्श्वनाथजी मन्दिर 5. मिठोड़ों का बास-जैन मन्दिर 6. पादरू का बास जैन मन्दिर 7. मोकलसर रोड, जैन मन्दिर 8. राज मन्दिर 6. जैन पेढ़ी में निर्माणाधीन मन्दिर श्रीगौड़ी पार्श्वनाथजी मन्दिर (284) 1. प्रतिष्ठा लेखः श्रीवितरागाय नमः ॥अस्य मन्दिरस्य पुनरुद्धार गढ़सिवानावास्तव्य समस्त श्री. संघेन कारितः प्रतिष्ठापितश्च प्रतिष्ठितं जगद्गुरुदेव श्रीमद्विजयहीरसूरीश्वरसंतानीय हितसत्कविजय हिमाचलसूरिभिः संवत रसकरा भ्र नेत्रं मार्ग शुक्ल षष्ठया मूत्तियो अर्कवासरे श्रीरस्तु // लिपिकृतं विद्यानन्दविजयः 2. पंचधातु प्रतिमा:- . . - // सं 1510 वर्षे माह वंदि 5 दिन उ., बलाहड़ीयागोत्र सा. वीसल भा. धानी पुत्र लाषा भा. लषमश्री पु. हाल भिः सह सा. ऊपरण मित्र श्रीशांतिनाथ बिम्ब कारापितं प. श्रीपल्लिकायगछे श्रीयशोदेवरिभिः / / शुभभवतु // __(286) 3. गुरांसा की छतरी:- संवतः 1766 वर्षे शाके 1635 प्रवर्तमाने असाढ़ सुदि-सोमवारे (285)