Book Title: Atha Sanskar Bhaskarasya Shuddhi Satram
Author(s): Narayan Jagdishwar Mudranalay
Publisher: Narayan Jagdishwar Mudranalay
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संस्कार रणं चदद्यादित्यर्थः ॥ ॥ अथस्त्रीनिधने द्वितीयपरिणयनकालमाह ॥ सिंधौ ॥ प्रमदाट ॥३४१||| निवासरादितःपुनरुद्वाहविधिर्वरस्य च ॥ विषमेपरिवत्सरेश्शुनोयुगुले चापिमृतिप्रदो भवे दिति ॥ ॥ अथकन्याविषयोगेसमुत्पनाचेद्वैधव्ययोग हरकुंभविवाहः ॥ सचविषयोगस्त्रि विधः । सूर्यभौमार्किवारेषुतिथिभद्राशनाभिधम् ॥ आश्लेषारूनिकानांगेनवजानावि ||षांगना ॥ १ ॥ जनुर्लमेरिपुक्षेत्रसंस्थितः पापरखेचरः ॥ द्विसाम्यमपियोगेस्मिन्संजानाविष कन्यका ॥ २ ॥ लग्नेशनैश्वरोयस्याः सतेर्किर्नवमेकुजः ॥ विषारव्यासापिनो द्वाह्याभिविधावि ॥३४१॥ पकन्यका ॥ ३ ॥ तद्दोषपरिहारोपायः ।। सावित्र्यादिवतंकृत्वावैधव्यविनिवृत्तये ॥ अश्वत्था
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भास्कर
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