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( ६९४]
अष्टांगहृदय ।
म. १२
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द्वादशोऽध्यायः।
उत्पन्न होते हैं, इसलिये मनुबंध की रक्षा | के विमित्त शमन औषधों का प्रयोग
करना चाहिये, नहीं तो प्रमेह के शांत अथाऽतः प्रमेहचिकित्सितं व्याख्यास्यामः। होने पर भी लेशमात्र रहने पर फिर उत्पन्न - अर्थ-अब हम यहांसे प्रमेहचिकित्सित होजाता है। नामक अध्यायकी ब्याख्या करेंगे ।
शमन का प्रयोग। प्रमेहमें वमनविरेचन ॥ असंशोऽध्यस्य तान्येव सर्वमेहेषु पाययेत् मेहिनो बलिनः कुर्यादादौ वमनरेचने। ।
अर्थ-जो रोगी संशोधन के योग्य नहीं निग्धस्य सर्षपारिष्टमिकुंभाक्षकरंजकैः तैलैत्रिकंटकायेन यथास्वं साधितेन वा ।
हैं उन्हें वमनविरेचन न देकर सब प्रकार के नेहेन मुस्तदेवाहूवनागरप्रतिवापवत्॥२॥ | प्रमेहों में शमन औषधों का प्रयोग करना सुरसादिकषायेण दद्यादास्थापनं ततः। चाहिये । गर्भिणी स्त्री वमन के अयोग्य भ्यग्रोधादेस्तु पित्तात रसैः शुद्धं च | और नवज्वरी विरेचन के अयोग्य होताहे । तर्पयेत् ॥ ३॥
शमन औषध । अर्थ-जो प्रमेहरोग बलवान हो तो मेह | .
धात्रीरसप्लुतां प्राणे हरिद्रां माक्षिकाके क्लेदको प्रशमन करने के लिये प्रथमही
न्विताम् ॥५॥ वमन विरेचन देवे, तत्पश्चात् सरसों, नीम,
| दार्मासुरावात्रफला मुस्ता बाक्कथिता जले दंती, बहेडा और कंजा इनके तेलसे अथवा चित्रकत्रिफलादा/कर्लिंगान्वासमाक्षिकान गोखरू आदि के तेलसे, अथवा यथायोग्य | मधुचुक्तं गुडूच्या वा रसमामलकस्य वा ॥ अन्य औषधों से सिद्ध किये हुए स्नेह द्वारा
___ अर्थ हलदी को आंवले के रस में रोगी को स्निग्ध करके मोथा, देवदारु और
मिलाकर शहत डालकर प्रातःकाल के समय सोंठ इनके कल्कका प्रतीवाप देकर आ
पान करावै । अथवा दारुहलदी, देवदार स्थापन यस्ति देबै । और पित्तकी अधिकता
त्रिफला और मोथा इनका काथ अथवा हो तो न्यग्रोधादि के काथ में उक्त द्रव्यों
चीता, त्रिफला, दारुहलदी, और इन्द्रजी का प्रतीवाप देकर आस्थापन वस्ति देवै ।।
इनका काथ अथवा गिलोय वा आमलेका फिरजांगल जीवों के मांसरस से तर्पण
रस शहत मिलाकर पान करावै ।
कफपर तीन तीन योग।
रोधाभयातोयदकटूफलानां अनुबंध की रक्षा में शमनादि ।
पाठाविडंगार्जुनधान्वकानाम् । मूत्रनहरुजागुल्मक्षयाधास्त्वपंतपणात् ।
गायत्रिदार्वीकृमिहद्धचानां ततोऽनुबंधरक्षार्थ शमनानि प्रयोजयेत्।। कफे त्रयः क्षौद्रयुताः कषायाः॥ ७॥ . अर्थ-प्रमेह रोग में अपतर्पण द्वारा मूत्र | अर्थ-(१) लोध, हरड, मोथा और रोध, मूत्रकृच्छ्र, गुल्मः और क्षयादि रोग | कायफल, (२) पाठा, वायविडंग, अर्जुनकी
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