Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 564
________________ साधु... 546 ...सामीप्ययोः साधु... -II. iii.43 सामः- VI. 1. 33 देखें-साधुनिपुणाभ्याम् II. iii. 43 (युष्मद् तथा अस्मद् अङ्ग से उत्तर) साम् के स्थान में साधु...-IV. iii. 43 (आकम् आदेश होता है)। देखें- साधुपुष्यत् IV. iii. 43 सामर्थे- VIII. iii. 44 साधुः- IV. iv. 98 (सप्तमीसमर्थ प्रातिपदिक से) साधु = कुशल अर्थ को (इस् तथा उस् के विसर्जनीय को विकल्प से षकारादेश कहने में (यत् प्रत्यय होता है)। होता है। सामर्थ्य होने पर (कवर्ग, पवर्ग परे रहते)। साधुनिपुणाभ्याम्- II. iii. 43 सामलोम्न:- V. iv.75 साधु और निपुण शब्दों के योग में (सप्तमी विभक्ति (प्रति,अनु तथा अव पूर्ववाले) सामन् और लोमन् प्रातिहोती है, अर्चा गम्यमान होने पर; यदि 'प्रति' का प्रयोग . पदिको से (समासान्त अच् प्रत्यय होता है)। : न किया गया हो तो)। ...सामसु-I. ii. 34 साधुपुष्यत्पच्यमानेषु- IV. i. 43 देखें- अजपन्यूखसामसु I. ii. 34 (कालवाची सप्तमीसमर्थ प्रातिपदिकों से) साघ, पुष्यत. सामान्यवचनम्-VIII. 1.74 पच्यमान अर्थों में (यथाविहित प्रत्यय होता है)। (विशेषवाची समानाधिकरण आमन्त्रित परे रहते) सामा न्यवचचन (आमन्त्रित) को विकल्प से अविद्यमानवत हो...साधौ-v.il. 63 ता है)। देखें- नेदसाधौ v.il.63 सान्त..-VI. iv. 10 सामान्यवचनैः- II. 1.54 देखें-सान्तमहतःVI. iv. 10 साधारण धर्मवाची (सुबन्त) शब्दों के साथ (उपमानसान्तमहत:-VI. iv. 10 वाचक सुबन्तों का विकल्प से समास होता है और वह सकारान्त (संयोग का) और महत् शब्द का (जो नकार, तत्पुरुष समास होता है। उसकी उपधा को दीर्घ होता है। सम्बद्धिभिन्न सर्वनाम- सामान्याप्रयोगे-II.1.55 स्थान विभक्ति के परे रहने पर)। सामान्य = उपमान और उपमेय के साधारण धर्मवाचक ...सान्नाय्य..-III. 1. 129 शब्द का प्रयोग न होने पर (उपमितवाची सुबन्त का समादेखें- पाय्यसान्नाय्य III. 1. 129 नाधिकरण व्याघ्रादियों के साथ विकल्प से तत्पुरुष समास साप्तपदीनम्- V. ii. 22 होता है)। . 'साप्तपदीनम्' शब्द का निपातन किया जाता है, मित्रता सामि-II. 1. 26 वाच्य हो तो)। 'सामि' यह अव्यय (क्तान्त समर्थ सुबन्त के साथ साभ्यासस्य- VIII. iv. 20 विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष समास होता है)। (उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर) अभ्याससहित (अन धातु) के (दोनों नकारों-अभ्यासगत तथा उत्तरवर्ती को ...सामिधेनीषु-III. 1. 129 णकार आदेश होता है)। देखें-मानहविर्निवास III. 1. 129 साम-IV.II.7 सामिवचने- V. iv.5 अर्धवाची शब्द उपपद हों तो (क्तप्रत्ययान्त प्रातिपदिक (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिकों से) 'साम (वेद) को [ देखा', इस अर्थ में यथाविहित (अण) प्रत्यय होता है।। से कन् प्रत्यय नहीं होता)। साम...-V.iv.75 ....सामीप्ययोः - III. II. 135 देखें-सामलोम्न: V.iv.75 देखें- क्रियाप्रबन्यसामीप्ययोः III. iii. 135

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