Book Title: Ashtadhyayi Padanukram Kosh
Author(s): Avanindar Kumar
Publisher: Parimal Publication

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Page 583
________________ 565 स्त्रवति... ...स्यो ...स्यो : -I. iil. 38 स्यसनो:-VIII. iii. 117 देखें-भीस्योः I. iii. 38 स्य तथा सन् प्रत्यय के परे रहते (पत्र धातु के सकार स्य..-I. iii. 92 . को मूर्धन्य आदेश नहीं होता)। देखें-स्यसनोः I. iii. 92 स्यसिसीयुट्तासिषु- VI. iv. 62 स्य.. -III. 1.33 देखें-स्यतासी III. I. 33 (भाव तथा कर्मविषयक) स्य, सिच, सीयुट् और तास् स्य..-VI. iv. 62 के परे रहते (उपदेश में अजन्त धातुओं तथा हन,ग्रह एवं देखें-स्यसिसीयुटOVI. iv. 62 दृश् धातुओं को चिण् के समान विकल्प से कार्य होता स्य..-VIII. iii. 117 देखें-स्यसनो: VIII. iii. 117 ...स्या:-VII.i. 12 स्य-VI.i. 129 देखें-इनात्स्या : VII.i. 12 स्य शब्द के (स का वेदविषय में हल परे रहते बहुल स्याट्-VII. iii. 114 करके लोप हो जाता है,संहिता के विषय में)। (आबन्त सर्वनाम अङ्ग से उत्तर ङित् प्रत्यय को) स्याट स्यतासी-III. 1. 33 आगम होता है (तथा उस आबन्त सर्वनाम को हस्व भी (धातु से लू = लुट्, लुङ् तथा लुट् परे रहते यथासंख्य हो जाता है)। करके) स्य तथा तास् प्रत्यय हो जाते हैं। स्यात्-I. ii. 55 ...स्यति... - VII. iv. 40 (सम्बन्ध को प्रमाण मानकर संज्ञा करें तो भी उसके देखें-धतिस्यति VII. iv. 40 अभाव होने पर उस संज्ञा का अदर्शन) होना चाहिये.(पर ...स्यति... -VIII. iii.65 वह होता नहीं है)। देखें- सुनोतिसुवतिO VIII. iii.65 स्यात्-v.i. 16 ...स्यति... -VIII. iv. 17 - देखें-गदनदO VIII. iv. 17 (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में तथा प्रथमासस्यदः -VI, iv. 28 मर्थ प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता (वेग अभिधेय होने पर घञ् परे रहते) स्यद शब्द निपा है) यदि वह प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक स्यात् = 'सम्भव हो', क्रिया के साथ समानाधिकरण वाला हो तो। तन किया जाता है। स्यन्दते- VIII. iii. 72 स्ये- VII. ii.7 - (अनु, वि,परि, अभि, नि उपसर्गों से उत्तर) स्यन्द धात् (ऋकारान्त तथा हन् धातु के) स्य को (इट् आगम होता के (सकार को मूर्धन्य आदेश होता है, यदि प्राणी का है)। . कथन न हो रहा हो तो)। ...स्त्रक्... -III. 1.59 . ...स्यन्दो:-VI. iv. 31 देखें-ऋत्विग्दधक III. ii.59 . देखें-स्कन्दिस्यन्दो: VI. iv.31 ...स्वज:-v.ii. 121 "...स्यमि.. - VI.i. 19 देखें- अस्मायामेधाov.ii. 121 देखें- स्वपिस्यमि. VI. i. 19 ...स्त्रम्भ:- III. 1. 143 स्यसनो:-I. 1. 92 देखें-कवलस III. ii. 143 स्य और सन प्रत्ययों के होने पर (वतादि धातओं से स्रवति... - VII. iv. 81 विकल्प करके परस्मैपद होता है)। देखें-स्त्रवतिणोति० VII. iv.81

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