Book Title: Anuttaropapatikdasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 32
________________ प्रथम वर्ग - प्रथम अध्ययन - प्रभु का समाधान १५ *************************************************** ************** महावीर स्वामी से इस प्रकार पूछा - आप देवानुप्रिय का शिष्य जालि नामक अनगार जो प्रकृति से भद्र आदि विशेषण वाले थे, वे काल धर्म को प्राप्त होकर कहां गए? कहां उत्पन्न हुए? प्रभु का समाधान एवं खलु गोयमा! ममं अंतेवासी तहेव जहा खंदयस्स जाव कालगए उड़े चंदिम० जाव विजए विमाणे देवत्ताए उववण्णे। भावार्थ - हे गौतम! मेरे शिष्य जालि अनगार की वक्तव्यता स्कंदक अनगार के समान है यावत् वह कालधर्म को प्राप्त होकर चन्द्रादि विमान से ऊपर यावत् विजय विमान में देवरूप से उत्पन्न हुआ है। जालिस्स णं भंते! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। से णं भंते! ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं कहिं गच्छिहिइ, कहिं उववजिहिइ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ। (ता) एवं जंबू! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमवग्गस्स पढमअज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते॥ कठिन शब्दार्थ - ठिई - स्थिति, देवलोगाओ - देवलोक से, आउक्खएणं - आयु के क्षय होने पर, भवक्खएणं - भव (देव भव) के क्षय होने पर, ठिइक्खएणं - स्थिति के क्षय होने पर, गच्छिहिइ - जाएगा, उववजिहिइ - उत्पन्न होगा, महाविदेहेवासे - महाविदेह क्षेत्र में, सिज्झिहिइ - सिद्ध होगा, ता - इसलिये। _भावार्थ - हे भगवन्! जालि देव की कितने काल की स्थिति कही गई है? . हे गौतम! बत्तीस सागरोपम की स्थिति कही गई है। हे भगवन्! वह जालिकुमार देव देवलोक से आयुष्य का क्षय होने पर, भव का क्षय होने पर, स्थिति का क्षय होने पर कहां जाएगा? कहां उत्पन्न होगा? ... हे गौतम! महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होगा अर्थात् सिद्धि प्राप्त कर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त होगा और निर्वाण पद प्राप्त कर सारे शारीरिक और मानसिक दुःखों का अन्त करेगा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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