Book Title: Ang Sootra Vishayaanukram 02
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि' समवावाङ्गे ॥ ६॥ अंगसूत्र- लघुबृहद्विषयानुक्रमौ [ अंगसूत्र-४. "समवाय" | मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः अंग- सूत्रस्य विषयानुक्रम (आगम-संबंधी- साहित्य) ॥ अथ समवायाङ्गस्य लघुविषयानुक्रमः ॥ १३५-६१ एकाङ्कादारभ्य यावदेकां सागरोपमकोटाको समयायाः १०५ १३६ गणिपिटके आचाराङ्गविवेचनम् १०९ १४३ अन्तरुद्दशाङ्गविवेचनम् १२१ १४४ अनुतरोपपातिकदशाङ्गवि० १२३ १४५ प्रश्नव्याकरणाङ्गवि० १२५ १४६ विपाकश्रुतवि० १२८ १४७-६५७ दृष्टिवादवि० १३२ १४८ गणिपिटक विराधनाराधना १३७ सूत्रकृताङ्गविवेचनम् १३८-६२३ स्थानाङ्गविवेचनं १३९ समवायाङ्गविवेचनं १५० भवनादिवर्णनम् १५१ नारकादिस्थितिः १५२ शरीरसूत्रम् १५३-७४ अवधिवेदनालेश्याऽऽ ॥ १६० सूत्राणि १६८ सूत्रगाथाः ॥ १११ | १४० व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र विवेचनम् ११५ ११२१४१ शातधर्मकथाङ्गविवेचनं ११९ ११४ १४२ उपासकदशाङ्गविवेचनं १२० फलम् १३३ १५५ संहननसंस्थानानि १४९ ७२६ राशिप्रशापना स्थानानि १३६ | १५६ वेदः V ~14~ १४० | १५७-११९ समवसरणं १४५ १५४ आयुर्वन्धमेदोत्पादोद्वर्त्तनाविर हाराः १४७ हाकर्षाः १४९. १५० १५० अवसर्पिणीजिनादि च १५२ १५८-१४० अवसर्पिणीचक्रपादि १५३ १५९- १६८७ ऐरावतादौ जिनादि १५४ १३६ - १६० निगमनम् १६० ॥ इति समवायाङ्गस्य लघुविषयानुक्रमः ॥ ॥५॥ लघुक्रमः ॥

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