Book Title: Amrutsagar Vaidyak Granth
Author(s): Sawai Pratapsinh Maharaj
Publisher: Gyansagar Press

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमृतसागरनथापतापसागरतरंग १ नाडादेफ्जैिनीरोगीहोयतीकोबांया हाथकीनाडीदेषिजे किसीतरैदे पैवेद्य एकाग्रचित्तनाडीमैंराषिभापप्रसन्नहोय अररोगीकाहाथने हलाबारेनहाइलीनरअंगुठाकेनिकरिजीवकीसादानाड़ीछे सोवा नाडीजीवकासस.पदुपनेकहें तीनवेद्यहेशोग्राछीतरहश्राप कातीनांगुल्यांसेतीरेषेसोवानाडोंग्रेसीतरह देषीथकासर्वसरीर कासुषदुपर्नेकहेछै जैसेंरागकावेत्ताकुंवाएगाकीतांनसर्वरागरूकहै छे तैसैंधानाडीभीसर्वसुषडपडूंकडे परवाहीनाडीइसीतरहदे'पाथकीसरीरकांसपडपर्छवैद्यकँनहींकहें, किसीनरेकापुरसकी तत्कालस्नानकयोहोयजिंकी तत्कालभोजनकपाहोयजीकारा रीरकनेललगायोहोयजीव सूताबादमीकी दोडतापुरषकीभूषण आदमीकी तिसायाबादमीकी कामातुरकी मलमूत्रनेारितेरवेग लागिरह्यो होयजीकी सोअतनापुरसांकानाडादेषाजेनहीं परदे षेनोवैद्यनेरोगको यथार्थग्याननहींहोयडै अरजेसेंवैद्यरोगीकाहा थकीनाडीदेषेनेसेंहीवेद्यरोगीकापगकामीनाडीदेसास्त्रकासंग रायते अथवा आपकीबुद्धिकाप्रभावते जैसेंजोहरीअभ्यासका बलथका हीराने आदिलेरजवाहरकासाचागने अरबैंकामोल नैकहदेबछे नैसँहाभलोवेद्यसास्त्रका अरअभ्यासकाबलथकी रोगीकारोगकीसाध्यप्रसाध्यकी अरसरीरकासुपदुषकीसर्वचे टाळूजारोंछे अवईनासकीपरिक्षालिबूंछं अंगुठाकेलग नाहीतीनअंगुल्या में पहलेअंगुलानीचैतोवायकीयुष्यनाडीबहे छै वीचलाांगुलीकैनाचेपित्तकीनाडीवहेछे पीछलीग्रांगुलीनी चैकफकीनाडावहेछ सोसांपजोकनेादिलेरजेसेवेषांकाचाले डे तेसैंवायकानाडीयाकीनालेअरकाकलवामीडकानें आदिल For Private and Personal Use Only

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