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अमृतसागरवैद्यकग्रंथ.
भाषाराजपुत्रस्थानमिबसायकर. सार कहितार्थश्रीमन्महाराजाधिराज । राजश्री१०८ श्रीसवाईप्रतापसिंहजी
संग्रहकरुयो. मा प्रकाशमादिलेरघरगयाकाप्रमाण
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'उबायपासलेमाबादेकेणीमहननसुशुद्ध कर
मुंबईमध्ये. पापाप्रज्ञायुक्तज्ञानसागरछापरताना
छाप्यो. अत्ति पहिलीवार. संवद १९१७ शके।७८२ हितीयअश्विनशुद्ध
सन्१८६०
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औषधारिकांकामानदि औषधांमें तोल कत्योनहीं होयजैठे.सारोष गलेगी.स्वरसनाम ओषधको अंगरसलेगोकयोज सिकी मात्रा दोय तोलालेगी, स्वरसमें सहत, गल,इ घाटाहोयतो मासा ६ घालपों.पुटपाककी मात्रा ‘तोला चाहिजे. जीमैं सहत घालगो होयनोतोलो? फिल्क, चूर्ण,पालगणे होयतो मासा घालगों.
काथादिकिया. पर्वोषधमिलकरतोला४ नित्यलेकर कूटपी, जी पाणी, चोसर ४ तोला घाल मंदाग्नि मडकी
जीको मोहिसो तोलाउतारनिवायोकदासयोउजनसिवायहोयतोईसुंभाधोतोला ४ दे लकनैतो मासासूलेकरतोला तांगो.काटोदे पांपाछैदेगो,कादामैमिनीपालगीहोयतो-गात, यांरोगांउपर अनुक्रमसो, चौथे, पाउ,सोलबैहिसे पोरसहतघालगोंहोयतो अनुक्रमसो,सोल,आठवे घालणे,और जीरो,गूगल,क्षारशिलाजीत,हिंग,उगे सा३.घालणी.ओर दूध,घिरत,गल,तेल, कल्कना दूर्ग उगैरे औषधकाटामें घालगीहोयतो तोलोपा ..हिम, फांट,यांकोप्रमाणकाटासहस.हिमनाम,रा
मसलकसछापलेसो.फांटनाम. जोयतुरतमसलछापालेसो.
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कल्कनाम.सूषी अथवा पालीपोषदले रसिलालोर दीकरैसो. और कल्कको प्रमागतोला तारछे.जीमेंस न, तेल, इत्यादिघालणाहोयतो,डगणाघाला,ओर ॥ बरोबर घाला,ओरचूर्णकरगोसो,अत्यंतसूषी कर संदर कूरकर कपर छाए करणीजीने पूर्ण कहिजे. मनुष्यनेमासा सुलेर तोला १ ताईदेगो.बालको लेरमासा तीनपर्यंत नारतम्यदेषकरदेगी, मे यो होयतोसमानउजनघालों,मिश्रीतोगपी.हिं कर घालणी,घृतादिकतोदुगगो, पाणीतोचूर्णसंचो जे. पालीकासाथचूर्णकी ओषधपेटमैं पसरकर यक्ष चूने कोरबीरसकी भावना तथा पुटदेगों हो तरांतर होय जठाताई देगो. जोयहोषोंछैसो. देस, काल,प्रकृति, वय, अग्नि, पल, इत्यादि विचार कर देगा.
स्नेहपाका
कल्कसं. चौगुषोनेल. अथवा घृतलेकर जीतत सो चौगुणो पापी था और पदार्थथालकर सो तेल तथा घृतमात्र बाकारहे जैगताई पाका छै बो घृत. तथा तेल कपडासु डाग लेपो.जीने त्रा तोला चार देगी.पछै तो औषधको सभार र देगी.
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स्यादिकां का शोधन, तथा मारा, तरंग बास
कामेछै. ओरनाडीपाटिलेर परिक्षा मात्र प्रथम ।ग्रंथको सूचीपत्रनाम घतावरणी, सुग्रंथका 'च्या रोगादिकांकीपत्ताचणी विशेष, अोरमु गों कीछे,पाकासाधाराओषशातो जो रोगको जाही रोगकाभकामें सारीखुलासामिलसीका फोविस्तार घरगों होय,श्रोरईग्रंथमें तोलकोन योसुंयाप्रमागाजाराज्यासंदीपनं प्रारसि मत ४-च्यारयवकारती रत्तीको एकमासो का एकटांना साकको पेकपईसो २ सय कए अथनाटकासो अवहारिकतोला च्यार
पलको १ एक पाव च्यारसादका शेर र र ४च्याराटक को१एकदाहोय. श्री धामोदरदासकासहायनासेलायोसु-मेंह झपासुंअथवालेषक रोषसु.भूलचूक मिलमा श्रीधरनैं क्षमाही करसी इसीहमारी मासाल.
वैद्यलक्षण. .. पारपदीहुदीजोविया वैद्यशास्त्रकी,जीमानयुगा, घोराब,प्रोकारीकाक्रियागकुशलनिॉमी,धैर्यवान्, सापटी सत्यवादी,आलसरहित,दयावान एनाजीमेल
धदेवानेयोग्यडे. .. वैद्यकोमुख्यविचारकापूछणेसो.रोमाकोमूलकारण नामकोएसोरो
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कोलसाकारणसुंहुवो, यानिश्चय करणी, पछे. सा साध्य, यांकोविचारकरणो. साध्य अथवा कष्टसाध यकरणे असाध्य होयतो उपायनहि करण कार बहरिभजनछे. पथ्यापथ्यविचार
रोगीनैवैद्यकहैंसो.पथ्यकरणों प्रवश्यडे, अथवध सौविचारकर, पथ्यतोकरेंही. कारण. पथ्यकाक एा होयछे. जदऔषधषायकर पथ्यकरे-जी राहोयजिमैसंदेहबीन हींछे औरजोरोगी. नैं औषधी सेवन ककीगरज नहीं. जिस ह्रींकरणेवालोजीनें बीओ बधसेवनकरणेकी पथ्य रोगी मरेनजीवे
मूर्खवैद्यकीओषधीलेणोि
रोगीनैं मूर्ख वैद्यका हातसों औषधलेलीनर होय, ज्वरसौदुखी होय, तो बीमूर्खवैद्यकी कारण मूर्ख वैद्यका उपाचसौ गुएा प्राव
गुणतो जरूरही तुरत होय-ईवास्ते मूर्ख एलीनहीं. जैसे कुलीन पुरुष. व्यभिचारणी यान मूर्ख वैद्यकाहात की औषध त्यागदे ग्रंथछापणें कोप्रयोजन सर्व लोक हितकारक अमृतसागर नै पहि र छाप्यो. जींकी किंमत सुलभ-प्रयोजन घ उसकें ईवास्ते. याग्रंथकों बांचकर कोईन ठग. चाचाल. लालची. यांकी खोटी औषथः सीनहीं हमारी खातरीछे..
न
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श्री
श्रीगणेशायनमः॥ अमृतसागर नथा भतापसागर
नरंगालामारंभः अथश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजराजेंद्रगहाराजासवाई प्रतापसिंघजीविचारकरिमनुष्यांकारोगांकारिकरवाकैवारपर मकरुणाकरिकेंचरकसुनवायादृक्षावप्रकाशाचेयादि लेकरिवैद्यककासयंयानेषिचारिकरियांकोसारिकाढिअनिसं क्षेपतेसर्वरोगांकोनिदानपूर्वकअमृतसागरनामग्रंथकरयों नाकी वचनिकाकरिश्रोषद्यांकाअनेकप्रकारकाअजमायाअजमायाज तनविचारपूर्वकलिषजेंहें अथप्रथमरोगविचारः रोगकह जैकहा बहींनरेंकीपाडाहोपनीनेरोगकहजेसोरोगदोयप्रकारको छै एकनोकायक दूसरोमानस कायामेरहेसोकायक तिनकोनाचव्याधिछे मनमैरहँसोमानस तीरोगकोनांवाधिछे सोयेंदोन्योंवा यपित्तकफरूपहोयसरीरमेंकहींतरेकाकुपथकरिकें मिथ्याप्रहार अरमिथ्याविहारकावसथकीकोपकुंभाप्तहवाथकासर्वरोगांनैसुप जविछे अरएबातपित्तकफकहानरेंकाकुपथ्यसेविगयाथकादेह कृविगाडै राम्हीग्राछीतरहपथ्यकांसेपाथका आछपाहुवा थकासर्वदेहउंपूष्टकरेछै अयप्रथमसर्चरोगांकीअरसर्चरो ग्यांकापरिचालिपांडो प्रथमरोगांका परीक्षातोअननांप्रकारसं होयछ नाडीपरीक्षा मूत्रपरिक्षा २ अररोगकाअहवालरों ३सोरो गीकापरिक्षानानप्रकारकाडै अररोगांकानीदानसें निदानकहिये अहवाल यांनीन्यांप्रकारसेनीरोग्यांकोग्यानहोय? अथप्रथम नाडापरिक्षालिष्यने पुरपरोगीहोयतीकातोजावांहाथका
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अमृतसागरनथापतापसागरतरंग १ नाडादेफ्जैिनीरोगीहोयतीकोबांया हाथकीनाडीदेषिजे किसीतरैदे पैवेद्य एकाग्रचित्तनाडीमैंराषिभापप्रसन्नहोय अररोगीकाहाथने हलाबारेनहाइलीनरअंगुठाकेनिकरिजीवकीसादानाड़ीछे सोवा नाडीजीवकासस.पदुपनेकहें तीनवेद्यहेशोग्राछीतरहश्राप कातीनांगुल्यांसेतीरेषेसोवानाडोंग्रेसीतरह देषीथकासर्वसरीर कासुषदुपर्नेकहेछै जैसेंरागकावेत्ताकुंवाएगाकीतांनसर्वरागरूकहै छे तैसैंधानाडीभीसर्वसुषडपडूंकडे परवाहीनाडीइसीतरहदे'पाथकीसरीरकांसपडपर्छवैद्यकँनहींकहें, किसीनरेकापुरसकी
तत्कालस्नानकयोहोयजिंकी तत्कालभोजनकपाहोयजीकारा रीरकनेललगायोहोयजीव सूताबादमीकी दोडतापुरषकीभूषण आदमीकी तिसायाबादमीकी कामातुरकी मलमूत्रनेारितेरवेग लागिरह्यो होयजीकी सोअतनापुरसांकानाडादेषाजेनहीं परदे षेनोवैद्यनेरोगको यथार्थग्याननहींहोयडै अरजेसेंवैद्यरोगीकाहा थकीनाडीदेषेनेसेंहीवेद्यरोगीकापगकामीनाडीदेसास्त्रकासंग रायते अथवा आपकीबुद्धिकाप्रभावते जैसेंजोहरीअभ्यासका बलथका हीराने आदिलेरजवाहरकासाचागने अरबैंकामोल नैकहदेबछे नैसँहाभलोवेद्यसास्त्रका अरअभ्यासकाबलथकी रोगीकारोगकीसाध्यप्रसाध्यकी अरसरीरकासुपदुषकीसर्वचे टाळूजारोंछे अवईनासकीपरिक्षालिबूंछं अंगुठाकेलग नाहीतीनअंगुल्या में पहलेअंगुलानीचैतोवायकीयुष्यनाडीबहे छै वीचलाांगुलीकैनाचेपित्तकीनाडीवहेछे पीछलीग्रांगुलीनी चैकफकीनाडावहेछ सोसांपजोकनेादिलेरजेसेवेषांकाचाले डे तेसैंवायकानाडीयाकीनालेअरकाकलवामीडकानें आदिल
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३
अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग
रजैसे उनावलाञ्चरफदकताचाले तैसेंपित्तकीनाडी उतावली अरफदकतीचाल है जैसेंराजहंसच्चर बनकरमीरकबूतरक मेडी कूकडोनीनेंत्र्यादिलेरयेजिनावरमंद चालै छै तैसें कफकी ना डीमंदवाले अरवारंवारसांपकीसीगनिचाले वारंवार मडकाका सीगतिचाले सोवानाडीवातपित्तकीजाणिजे अरसर्पकीसीश्वर हंसकीसी गतिहोयनाडीनें वायकफकीकहिजे अरवांनराकी सीमीडकाकीसीहंसकीसी चालचालैतींनाडीनों पत्तकफकीकह जै अरजेसें पानी चिडोकाष्टनैकूरे अतिवेगसूं नैसेहींपुरुषकी नाडीचाले अरवाहीनाडीचालीबासेंरहजाय अरोरुंचालबा लागिजाय वानाडीसन्निपातकीजाणिजे परमंदमंदबांकीबांकी व्याकुलव्याकुलहोय स्थिरस्थिर होयवाधमनीनाडीजीकीचाल सोवानाडीसूक्ष्क्षा हुईथकींपुरषनैमारे सोवानाडीसन्निपातकी जाणिजे जी पुरुषकैज्वरकोकोपहोय तीकीधमनीनाडीउन्ही रउतावलीघणीचाले अरजीरोगी की नाडीइकसारसीध्यापका स्थानमें चालैसोरोगी मरेनहीं अरकामातुरपुरसकीनाडीउत्ता वलीचले क्रोधीपुरषकी नाडी उतावलीचा चिंतावानपुरसकी नाडी क्षीणचले कहींनरैपुर सडोहोयतींकीनाडीमहा क्षीणचाले परमंदजीकी अग्नीहोय रक्षीणजी की धातहोय तीपुरषकीनाडीमहामंदचलै अरलोहीकाविकारवालापुरसकीनाड़ीक्यूंयेकगरम हुईथकीभारीचले अरजीपुरसकापेटमैं
बहोयत पुरसकीनाडीनिपटभारीचले जीपुरसर्ने भूषवली लागीहोयती पुरसकीनाडी हलकीरउतावलीचाले अरजीपुर सभोजन वस्योहोयती पुरसकीनाडीधीरीचाले जींपुरसकैपल
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४
अमृत सागरतथाप्रताप सागरतरंग कोपानहुवा होयतीपुरसकी नाडीघली उतावली चलै सुखीपुरसकी नाडीधीरीमरबलवानचले औरनाडी की परिक्षातोघर प्रकारसुं
सोबुवानवैद्य होय सोच्यापणी बुद्धिसंनाड़ीकी परिक्षाशरीरका सुखदुःखकोज्ञान सर्वविचारिलीज्यो जैसैंजो 11 कुंजोगका अभ्या सकरिकेंब्रह्मकोसारख्यान ज्ञान होयछे तैसेंसदवैद्यकुंनाडिकाच्य भ्यासक रिकेसरिरकांसर्वरोगांको परसर्वसुखादिकांकोज्ञान होय है इतिनाडि परिक्षासंपूर्णम् अथमूत्रपरिक्षालिष्यते वैद्य हैसोचारिघडी केलडकेरोगीनउठाय काचकारूपेदवासांमें च थनाकांसी का पात्र सुताचे पाछेवे वासगर्नैवस्त्रसूंढां किराये सूर्यो 'दयदुवा पाछेवैद्यवेंकीपरिक्षा करे बैंरोगीकोमूत्रपाणी सीरीसोहो य लुषोहोयभ्रघएणेहोय मरक्यूंनीलोभीहोयतोवायकाविकार कोमूत्रजांणजे सूत्रकोलालक संभा सिरीसोरंग होय रंग रमउत्तरे अथवा पीलो के सूल्य कारंगसिरीसोरंगउत्तरे रथीडो उत्तरे तोगसीकाञ्जार कोमूत्रजाणिजे भरवेंरोगी कोजाडोय रसुवेदव्यरची कोगूनउत्तरेतीक फकाच्याजार कोमूत्रजाणिजे अरोच्यारिघटिकातडका कोरोगी को मून नावडेमेलिघडीच्या रिपाछे मूत्रपरिवैद्यहैजोक पडासे तीतेलकी बूंदना है बातेल की बूंदमूनउपरिलिजायतोनोरोगीसाध्यजाणिजे परयोरो गीगोमो होई अरव नेक की बूंदमूंनउपरि फैलैनहीं चरस्थि रहोयर हैनोरोगीकष्टसाध्यजाणिजे अरवातेल कीबुदरोगीका सूतमेंडूविजाय अथवा चाक की सीनाई भ्रमणलागिजायनोप्रो रोगानिश्चैमरे पर बेरोगाकामुतमेतेल की बूंदावतां बूंदमेवेद्र पडियाय अथवा येचिन्हहोजाय पडग केव्याकार वादंडकेचा
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५ अमृनसागरनथापनापसागरतरंग १ कार गाधनुषकेश्राकार तेलकीबूंदहोजायतो पोरोगीनिश्मरेत्र ररोगीकामूतउपरिनेलकीबूंदतलावाकारहोजाय अथवा हंसकेाकारहोई अथवापाकेाकारहोय अथवा हाथीकेा कारहोय अथवा छत्रकेाकारहोय अथवाचमरकेतोरगया कारतेलकाबूंदहोयतो अोरोगीताजोहोय अरसरस्यूंकातेलसिरी सोजीकोमूतहोय नाचायपित्तकोरोगजाणिजे अरकालोअर दबुदानेलीयांजीकोमूतहोइतीसन्निपातकोअजारजाणिजे रमूननांजीरोगाधारलालजरैसोदीर्घरोगजारिजे मूतनांजी कीधारकालीउत्तरेसोरोगीमरिजाय अरजीकामूतमेबकरीकामू नसरीसीवासभाताकैअजार्गकोाजारजारिजेजीकोमूतगर मअरलाल अथवा केसरिसिरीसोपालोजाको नहोय नीकेवर कोबाजारजालिजे अरजीकैकवाकापालासरीषोमूनउत्तरेतीपु रुपनेनैरोग्यजालिजे इतिमूत्रपरिक्षासंपूर्णम् अररोगांकोष हवालवाँकाप्रसंगमेंकहस्यों अथरोगाकापरिक्षालिष्यते से गाकीपरीक्षाअननाप्रकारसँहोय. देषवासेस्पर्शकस्याँसेंबर भिवासें अरस्वमसेंइतसे अरसकुनसें अरकालज्ञानसैं अरोष धदेसकाल अवस्था अग्निबलकाविचारसें अरसाध्यप्रसाध्यसें। ननाप्रकारसंरोगानीपरिक्षाकरिजेसोअनुकमसैलिषांछां पी त्यानेआदिलेरकेईकरोगनोरोगानेदेष्याथकाहीवैद्यनैग्यानहोय छै अरज्वरनेत्रादिलेरकेइकरोगरोगीनेस्पर्शकस्याविना वैद्यनेन हाज्ञानहायछे अस्सदरमूल पाचशल मस्तगपीडाववासीर उपदं स सजाप होलदिल अरभूतादिककोलागियो प्रमेहनेंपादिलेरके इकरोगरोगानेबुग्यांपिनांद्यनेंरोगकोयथार्थग्यांननहीं होयछे
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६. अमृतसागरनथाप्रतापसागरतरंग प्रथसपनपरिक्षालिष्यते रोगानेसासपनांशावैताग्राख्यान ही रोगानेसपनामेंनांगायरमुंडित अरलालभरकालावस्त्रपह खांथकामादमादीषेअरनका अरबूचा अरकाला अरआयुध नेलीयांथका अरफांसीनेलीयांथकां मारताथकादीषनोनोरोगी असाध्यजापाजे परमेसाउपरउंटगधाउपरचव्यादक्षिणदिसा नेजाना सुपनामेंदेपैनोप्रारोगीबाछोनहीं अरउंचासनाचेपड़े जल,मूविजाय अग्निमेवलजाय सिंहनेबादिलेरनैषातोही य दीवानेबूमनोरेषेनेलदारुपीचनो लोहनेंलेनोरं पक्का ननेषावतोजाय कुवामैपडतोजाय इसारूपनारोगीनेावेतो रोगीकोअसाध्यजाणिजे अरईनेत्रादिलेरइसासपनांकाईदेषे तो कहींनेकहर्जनहींअरपरभानहीभम्मादिककोस्नानकरैवेंसु पनामाफिकहोगदानपाठनेपादिलेकरिदिजैनोसपनाकोदोस दूरिहोय अररोगानेसासपनाश्रावतोपाछासुपनामेंदेवतारा जा जाचक मित्र ब्राह्मए गर अग्नि तीर्थदेषैतोपोरोगावेगोत्रा छोहोय अरसुपनामैकादानेतिरजाय वेश्यानेजीतेगहल रथ प वन उपरचनोबोरोगीचेगोग्राछोहोय सपनामसपेदवास पेदपुष्पधारे अरमांस मीन फल यांनषायतोपोरोगीवेगोनालों होय अरसपनामैअगम्यागमनकरेअरसरारकै विष्टकोलेपकरे अररोवै अरापकीमृत्यदेषैभरकाचोमांसपायसपनामेंतोश्रो सेगीवेगेनाछोहोय अरजोक सांपोंरामांषसुपनामैजीनेयेकाटे मोरोगावेगोनाडोहोय येसुपनामाछाबादमानें भीमानोवैनेंभासमजाणिजे इतिसपनपरिक्षासंपूर्णम् अथदूतपरिक्षा लिणते वैद्यकाबुलावावासडून जैसोकांगोषोडोनकराने
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७ अमृतसागरतथापतापसागरतरंग १ आदिलेनहिं जै अरइसानभेजेतोनोरोगीवेगोग्राछोहोय चतुरम नुष्य अरनिर्मलबस्वपहस्यांहोय अरसपीहोयथेगानेजै अरघोडा रथउपरिचटिकरिजाय क्यूंवेद्यकेवास्तेभेटलेजाय माछाउत्तमजाति कोमनुष्यजाय अराछोचेष्टापानहोय जैाकोउंकोसुरचालतोही यजैगनेवैद्यक.जायउभोरहे श्रेसोडूतवेद्यकाबुलावावाजायतों प्रोरोगावेगानाछोहोय इनितपरिक्षासंपूर्णम अथसकन विचारलिष्यते वैद्यहेसोरोगीकाजतनकरियापारलेजातोहोयत्ती नंसीनलसगुनमिलेतोवेशकुनमाछा परवेद्यनेंरोगीकेजातांअमि नेपादिलेरगरमसकुनसाममिलैतोरोगीयाछोनहींहोय अरदूत द्यनेबुलावानेजातोहोयत्तानेजलनेश्रादिलेसातलसकुनसाममि लैतोबाछोनहीं परवेइननेअग्गिनेआदिलेरगरगसकुनसाममिले नोरोगावेगोग्राछोहोय इतिसकुनपरिक्षासंपूर्गम ४ अथका लग्यांनलिष्यतेजारोगीकेरातिनेंतोदाहहोयअरदिनमैसीतला गै अरकंउमेरोगीफेकफबोले पोरोगानिश्चेमरेजीरोगीकीनाक कोअगासीनतहोय अरबैंकोहियोअरवेंकाहथपगासीनलहो यअरवेरोगीकासिरकेविर्षेमूलचालतोशोरोगीनिश्रेमरै अरजी रोगाकीकांतिजातीरहै परकोप्रतापजानोरहै अरकालाजजा तीरहै अरकोसभावकोधीहोजाय सोरोगीछमहीनामेंमरेअर जीरोगीकोअंगकांपत्तोहोय अररोगीकागतिभंगहोय परवेंरो गीकासरीरकोवर्णोरसोहोजाय अररोगीनेसुगंधदुर्गेधकोग्यां ननहींहोय सोरोगीनिश्चैगरे अरनुक्षकापेगमेंअरशक्षकामालामें रोगानेअग्मिकातरवरासादीपेनोरोगीछमहीनांमैंगरेअरमोरो गीकामकारकैहानहोय अररोगीकेप्रस्वेदनहींापैथोरोगाता
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- अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग १ नमहिनामैंगरे अरजोरोगीकांनकालिइनेंरिअरशब्दसऐनहीं सोरोगनिदैमरे अरजीरोगाकीनापीअरदेह अरग्टाकोपर्गयो रसोहोयजायसोरोगानिश्चमरे अरजीरोगानेश्रापकाजीभकीयनीअरनासिकाकोअयभाग अरभंगाराकोबीचादसैनहीं ओरोगीनि श्चैमरे अरजीरोगीकामूंटाकोवर्णीरसाहोजाय अररोगीकाला लनेत्रहोजायसोरोगानिगरे अरजारोगीकीइंडीयांबापापा विसयनेंग्रहगकरेनहीं सोरोगीनिश्चैमरेअरजारोगीकापोलवाएं वाणीथकिजाय सामर्थथका सोरोगानिय गरेअरजीरोगीकाच मेंअरजलमेंअापकीछायादाषेनहीं सोरोगीनिश्चैमरेपरजारोगी कोट्टोलालपदमसिरिसोहोजाय अरजीजाभकालाहोजाय अ स्जीकासशरमैपीडाउठिावे सोरोगीनिश्चमरे परजीरोगीकोहि योधरनाभि अरकांधोकांपालागिजायसोरोगानित्रैमरे परजी आदमी अश्लेषा शनभिया आस्वाति मूल पूर्वाफाल्गुनी पूर्ण वादा पूर्वाभाद्रपदा भरणीयॉनक्षत्रांमें अरदीतवारशनैश्वरवारहो य मंगलवारहोय अरचौथिछठि चारसियेतिथिहोय तीमैरोगउपजे नो ओरोगानिश्चैमरे परजीरोगीनपैलाकीषिकीपूतलीमेश्राप कोस्वरुपदीसेनहीं ओरोगनिश्चैमरे परजीरोगीकोसूर्योदयहवा थकाजीवरगोश्वरचाले अरसंध्यासमैचॉवॉश्वरचाले ओरोगीमरैनहीं
इतिकालज्ञानसंपूर्णम् अयोषधीविचारलिष्यते वैद्यहै सोपोषदिकागुणागुणविचारे अररोगीनैरोगकाप्रमारामाफिको पधिदे कैसेदेजोरोगथोडोहोयतोग्रौषधिधणीदेनहीं अररोगधगो होयतोओषधिथोडीदेनहीं बरकड़वीअरकसायलीपोषधिरो गीषायनहीं रोपधिसतारोगीइसकेरेसोरोगीजीवनहीं
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_ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . इतियोषदिविचारसंपूर्णम् अथदेसविचारलिष्यने देसहें सोनीनप्रकारकोछै आनूप साधारण २ जांगल जैठेघपोजल सदा वहतोहोय श्ररकफ-देसमेंघपोहोय ऐसोपूर्ववेनैानूपकहजे अरसोलक्षणोरठेभाहोय जानीआनूपदेसकहजे अरजी देसमैंचायघणीहोयतीदेसनेजांघलकहजे अरजीदेसमेंवायपित्तकफ बराबरिहोय नांदेसनेसाधारणदेसकहजे परजींदेसमें जोआदमीउपजेतीवादमीकीयाहीप्रकृतिहोयछे निदेसविचा रसंपूर्णम् अथकालविचारलिष्यते कालतीनप्रकारकाछै सी नकाल १ उष्णकाल २ वर्षाकाल ३ सोयांकोविचारतिपूंछू सीत कालमैसीतथोडोपडै अरघगोपडेनोरोगहोय अरसीनकालमे गरमापडे तोश्रोविपरीनछ अोभीआछोनहीं ईमेमीरोगहोयइसी नरेंउष्णकालमेंउपाथोडोपडै अथवाघोपडे अथवा ईमसीत पडैतौरोगकी उत्पत्तिहोय असेंहीवर्षाकालमेंवर्षा थोडीहोय अ थवा घणीहोय अथवा होयनहीं तोमनुष्यांकैरोगउपजे इनिका लविचारसंपूर्णम् अथअवस्थाविचारलिष्यते अथश्र वस्थाछैनोयगाप्रकारकी नीमनीनियुष्यछे एकतोबालअवस्था १ दुसरीतरुअवस्था २ तिसरहहअवस्था ३ नीमेजोउत्तममध्य मअधम जोमनुष्यहोय नींके गीजोरोगउपज्योहोय नीकासरीर अरअवस्थामाफिकसदवैद्यहै मोजतनकरे इतिअनस्थानि चारसंपूर्णम् अथअर्थविचारलिष्यते अर्थपांचप्रकारकोडे एकत्तोशब्द दूसरोस्पर्श निसरोरुप३ चौथोरस ४पांच मेगंध ५ शब्दकोठिकामोतोकान में स्पर्शकोठिकाएर त्वचा में रूपकोटिका गोनेत्र रसकोठिकाणूजीभमैं गंधकोशिकाए नासिकामें सो
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१. अमृतसागर तथापतापसागर तरंग १ गुरायाका समर्थथकाथोडोसरों अथवाघगोसरोंअथवा मिथ्या सुरों कयूंकोक्यूमुरो स्पर्शकासामर्थथकाथोडोस्पर्शकरेअथवा मि थ्यास्पर्शकरैरूकोईपर्शकरे देषवाकासामर्थथकांथोडोदेषेअथवा देषघणोअथवा मियादेपे कोईदेषे ३ छयरसकाषाबाकासाम र्थ थोडोषाथ अथवा घपोषाय अथवा मिथ्याषाय क्यूंकोईक्यूं हीषाय ४ संघवाकासामर्थथकाथोडो घेअथवा मिथ्या पेअथवा क्यूंकोफ्यूंही घेनोनिश्रोगकी उत्पत्तिहोई अरयापांच हीकोमलोसाधनराषिवोकरेतोमनुष्यसदाहीनरोग्यहोई इतित्र र्थविचारसंपूर्णम् अथकर्मविचारलिष्यते कर्मतीनप्रकारका छै एकतोकायक कायामेरहेसोकर्मकर्मकहियेकरियो सोतोकायककहिये २ येकमानसकर्म मनमैरहेसोमानसकर्म ३ येक वाचक वालिभैरहेसोवाचक कर्मकहिजे ४ सोकायाका कर्मकी सामर्थथकाथोडोकर्मकरै अथवा घणीकरैअथवा मिथ्याकरैक्यूं कोक्यूंकरे। अरमानसककासामर्थथकाथोरोकरेथना घगोक रेअथवा मिथ्याकरैक्यूकोस्यूंकरे अरबोलवाकासामर्थथकांथो डोबोले अथवा घरोबोले अथवा मिथ्याबोले क्यूंकोक्यूंहीवोने ३ तौमनुष्यकैरोगकी उत्पत्तिहोय अरयांनीन्यांहीकर्मको मनुष्यभ लोयोगराषियोकरैतोओमनुष्यसदाहीनेरोग्यरहे इतिकर्मविचा रसंपूर्णम् अथअग्निबलविचारलिष्यते अग्निपांचप्रकार कोछे एकतोमंदाग्नि दूसरोनीक्षणाग्नि २ तीसरीविसमाग्नि ३चो थीसमाग्नि ४ पांचवीभस्माग्नि ५सोकफीपतिजीकेअधिक हो य जीकेमंदाग्निहोयछे सोनोकफकारोगहू उपजावे सोनाछी रही सरजाकीपित्तकीप्रकृति होयताकानीक्षणअग्निहोय सो
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११
१
अमृतसागरं तथा प्रतापसागर तरंग आछोषायोथको सर्वपचिजाय परिवाभीगरमी कामजारने उपजा बैछै २ अरजीकीपायकी प्रकृतिहोय तीकेविसमाग्निहोय सोचावाय कारोगांनेउपजावैरै सीवाक देतोअन्ननेपचायदेरकदेकमन्नने नहींपचावै ३ अर या चौथीसमाग्निछैसोसारीत्र्यग्निसंश्रेष्ठ श्राछी तरैं मनुष्य भोजन करे सोचचायदे अरकोई हीरोगकुंउपजावैनहीं ५ प्ररपंचमीभस्माग्निछेसोभस्मक कारोगांनैउपजावेछे कैसे कही औषधिकासंयोगसूंसरीरमांहिलोक फघटिजायछे श्ररपित्तवोध ग्निरुपवधिवोहीबायकासंजोगसंप्रेस्तौ थकौम हातीब्रमग्निनेंउप जावेछै तब भस्मकमग्निहोजायछे नबवेंने पाया कौन ही मिलेगी ति सपसेव दाहमूर्द्धानेंत्र्यादिलेर वेनेंकर आदमीनै मारिनाषैछै सोमनु यहे अग्निकावलनैविचारयांविनाजतनकरै अथवा भोजनादिकक रैतोवें की निश्वैरोग होय पर वेंकीची कित्सासफलहोयनहीं ५ इति ग्निबलविचारसंपूर्णम् अथरोगी के साध्यपरिक्षालिष्यने रोगानेराननेंनींदनहीच्या अवेंकाकंठमेकफवोले पर कासरीर मैं दाहहोय र वेरोगीकीनाडीमंदहोय पर वेंकी बोलवामैजीमथकी जाय र रोगी की सर्वइंद्री आपआपनाधर्मनै छोमंदे सोरोगीनिव मरे अरजीरोगी की अग्निमंदहोयजाय की प्रकृतिबिगडिजाय ओभीरोगीच्यसाध्यजाणिजे अरजीरोगी कीत्र्यांपिलालहोजाय अर स्वासहोयत्र्यावै अरहीयामेंसूलनाले पर वेकैतंद्राहोयमाने रहि चकिचालिजाय भरतृषा बहोतहोयश्रावै अरघणेशो अरघलो दाहहोयावे परपसेववैकैपणांवर चिकटायावैसोरोगी निमरे इनिरोगी की प्रसाध्यपरिक्षासंपूर्णं अथरोगी की साध्यपरि शालिष्यते जोरोगी आपकी प्रकृतिमठिकाणैर है अरजीकीयग्नितीर
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१२
•अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
१
होय पर कहींत कारोगकाउपद्रव होयनहीं मररोगयेकोसको होय परवेंरोगी की चिकित्साकाच्या रुपायामिले एकतोभलाशास्त्रकोजाशि वावालोवैद्यमिलै दूसरी उसी ही वेंहींरोग की दूरिकरिया वालीोषधामि लै अरउसाही चतुर चाकरमीलेअर वेंसोहीरोगांद्रयान होई जितेंद्री ही य रोगकाघटवावधवांकोजाएगवांवालोहोय सोरोगीसाध्यआएिजे इ तिरोगी की साध्यपरिक्षासंपूर्णम् अथरोगांकाभेदलिष्यते सोओरोगकायामैंर हैंती कोनाचव्याधिछै सोवहचौदा १४ प्रकार कोर्छे सोलिपूंडूं सहजरोग १ गर्भरोग २ जातजातरोग ३ पीडासे उपजैसोरो ग ४ काल सेंउपजैसोरोग ५ प्रभावसूंउपजैसोरोग ६ स्वभावसूंउपजै सोरोग ७ ससूंउपजैसोरोग - आगंतुकरोग ९ कायिकरोग १० - आंतररोग ११ कर्मसेंउपजैसोरोग १२ दोससूंउपजैसोरोग १३ कर्मदो ससूंउपजैसोरोग १४ अबयांरोगां काजु दाजुदालक्षणलिप्यते मातापिताका वीर्यकादोससेवांकी संतानकै भीश्रो हीरोगहोयच्यावे ववासीरकोदनेंत्र्यादिलेर तीनेसहजरोगकहिजे ? गर्भ में ही कूबडोपां गुलोछांगुलो रावराषंड्यांनेंत्र्यादिलेर होय तीनेंगरभजरोगकहि जे २ गर्भथकांमाताकामिध्यात्र्यहारमिथ्याविहारकावसथकाबा लकउपजतांई रतवाववुरीतरहकोसरीर गूंगापनेदिलेरजो रोगहोयतीरोगनैजानजानकहीजे ३ परशस्त्रादिककाप्रहारसूंउ पज्योजोत्र्यस्थिभंगपीडादिकरोगत्यांने पीडाजनितरोगकहिजे ४ रसीतकाल उस्लंकाल वर्षाकाल सूं उपज्योजोरोग सीतघोलाग्यो नावडो तू घरमेलाग्यो वर्षामेघशोभाजे त्यांरोगांनकालजरोगक हिजे ५ देवतागुरु वडाका सरापसूंउपज्योजोरोग परग्रहांका प्रतिकूलपणामूंउपज्याजोरोग त्यांनेप्रभावजरोगकहिजे ६ पर
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१३
अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग कधातृषाजरानेंत्र्यादिले उपज्यो जोरोग त्यो नस्वभावज रोगकहिये ७ अरभूतादिकको रकामक्रोधरागहूंसलोभमोहादिकयेजीकासरीर मैप्रवेसकस्योहोयत्यांनेंत्र्यागंतुकरोगकहिजे - परजरादिविसपर्यंत मुष्यरोग त्यांनें काशिकरोगकहिजे एअरहोलदिलनैयादिलेरगह लौहीजावैंयाँनैत्र्आदिलेररोग त्यांनैत्र्यांतररोग कहिजे १० अरजीदे समैमनुष्यकालाही कालाअरलालहीलाल र भूराही भूराध्यादमी उपजैतीन देसजरोगकहिजे ११ अरपूर्वजन्म में अथवा ईंजन्ममें ब्रह्महत्यादिकपापकरिउपज्याजोरोगत्यांने कर्मजरोग कहिजे १२ रवायपित्तकफसूंउपज्याजोरोगत्यांनैदोसजरोगकहिजे १३ अरब ह्महत्यादिकजोपापयरवायपित्तकफादिकजोदोस यांदोन्यांसू मिल्या थकाउफ्ज्याजोरोगत्यांनकर्मदोराजरोगकहिजे १४ प्रबयेही सारारोग दोयप्रकारका येकनोसाध्य । इसरोयसाध्य २ सोसा ध्यभीदोयप्रकारकोठे येकतौद्यसाजतनकीयांनी ठिब्यहोय १ अरथोडाही जतनकीयांच्याच्यो होय सोसाध्यकहिजे २ अरसा ध्यरोगभादोयप्रकारको येकनोजाप्य १ सोगंभीरादिकववासी रमृगाक्षीस्वासादिकमरज्यांमैघगारोगमिल्याहोय सो औषधिषाबोकरे मरपथ्यचाले अरभलावैद्यकाकह्यामाफिक चालबोकरैजैठानांईरोगकीप्रायुर्बल होयजैगताई बेगर है त्यांरोगांनैजाप्यकहिये १ अरएकमै साउयजैत्यांको इलाजहीनहीं
मारहीना पोरोगमहाअसाध्य प्रमीतीकारछे अरोमाका भेदतोत्रानंतछैत्यांकोपार नहीं त्यांरोगांकोग्यांनतोश्री परमेश्वरजी कुंछे पलिसद्वैद्यहंसाशास्त्र काबलसूं अरत्र्यापकी बुद्धिकाबल सूं यांसारारोगाने यांचेोदारोगांने यांकैअंतरभूतजालिलीज्यो ये
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१४ अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग साससेगन्याहा मैंअंतरभूत इतिरोगभेदसंपूर्णम् अथप्रकारांत रसंसारारोगांकीउपजवाकानोरहारिधिलिष्यते अरसर्ववात संसारभाममनुष्पदैसों चौदा १४ प्रकारकावेग त्यानेहकनाहकम गटनहीं अरससिद्धिमगरहुवाडेतोयानरोकेंनहीं वांकोका रजकरेतौमनुष्यकैरोगहोयनहीं अरवांचौदावेगानेहकनाहकमग टकरै अरसेप्रगटहुवाछेत्यांकोधारएकरैतोरोगहोयही सोचौदा बेगलिपुंडूं अंथचौदावेगलिष्यते येकनोअधोवाया जंगलकी वाधार मूत्रकीबाधा ३ डकारकोरोकिबो ४ छींककोरोकियो५८ पाकोरोकियो भूपकोरोकिबो नींदकोरोकिबोर षासकोरोकि पोरषेदकोस्वासकोरोकियो १० उवासीकोरोकिबोआंसूकोरो किबो१२छर्दिकोरोकिबो१३कामदेवकोरोकिबो१४ येचौदावेग छैपरयांकावेगनेंहकनाहरूरोके परयांकाउपज्यावेगकोधार एकरै तोमनुष्यकेनिश्चैरोगउपजैडे सोअनुक्रम लिपूंछं जोपुरसअधोवायकूरोकैतोकेगोलाकोबाजारहोयफीयाको उदरको आफराको पेटमैपाडको यरोगहोय पाठेवेंकैअधोवाय पाठीतरह होयनहीं अरकेमूत्रछकोअरबंधकोष्टकोरोगहो यजाय भरनेत्ररोगबरअग्निमंद अरहियोदूषै। इतिअथोपाय रोकिराकोरोगसंपूर्णम् अथमलकारोकिवाकोरोगलिष्यते जोपुरसमलकाबाधामूरो.जीयेरोगहोयहाथपामैफूटपा होय अरपानसहोय मस्तकपीडाहाय यायकीउर्ध्वगतिहोयाचे अधोयायकामाचीतररामचर्तिहोयनहीं हियोडूउदावर्जरोगा गैकहस्यांसोहोयआयेभरगोलोफीयोउदरकोरोग्य उदरपीडामू बहबंधकुष्टनेत्ररोगप्रग्निमंद येभारोगहोयावर इनिमल
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१
अमृतसागर तथा मतापसागरतरंग कारोकिवाकारोगसंपूर्णम् अथसूत्ररोकिवाकारोगलिष्यते जो मनुष्यमूकी घाधारी केली के ये रोगहीय अंगकेफूटीडोय पथरीको रोगहोय लिगेंट्री के विषैपीडा होय कालीबालाकीसंधिपीडाहोय रगोलाफीयानें पादिलेर पाछेमलकारो किवाकाजोरोगकयाछेसोभीईमूत्रकारोकिवामैहोय ३ इतिमूत्रकारोकिवाकारोगसंपूर्णम् अथडकाररोकिचाकारोगलिष्यते जोमनुष्यडकारच्यावतीनेरो केतकेइसगारोगहोयछे अरुचि सरीरकांपे हियोरुके माफरी षा सी. हिचकी रोगडकारकारी किवाकरिकें होय ४ इतिडकाररो किचाकारोग: संपूर्णम् अथछींक रोकिवाकारोगलिष्यते जोपु रुषछींक कावेगनैराकैनीकैयरोग होय है मथनाय होय अरसरी रकीसारी इंद्रा दुर्बल होजाय परगरदनमुडैनहीं गुषकेक्यूवाकाप लोहीयज्ञाय ५ इतिछींकरोकिवाकारोगसं• अथतिसरोकिया वारोगलिप्यते पुरुषनैतिसलागी होयचरतीनेोरीकेतीये रोगहोय मुषसो होय सर्वत्र्मंगमें फूटणीहोय बहरापगोहोय परमोहहोयत्र्याचे भ्रमहोयत्र्याचे रहियोषे ६ इतितिसरोकि बाकारोगसं• अथभूषरोकिवाकारोगलिष्यते जोपुरुषभूष कावेगनैरी कैमीकेतनारोग होय सबअंगदूटिवालागजाय श्ररु चिहीयत्र्या श्ररसर्वचस्तउपरिग्लानिहोजाय अरसरीरसहोजा य सूलचा श्ररभमहोयद्यावे अरविनाश्रमहीमहीया रसर्वइंइिसिथलहोजाय अरसरीरको एरिहोजाय ७ इतिभू षकारो किवाकारोगसं० प्रथनींदोकिवाकारोगलिष्यते ना मनुष्यनींदच्यावतीनेंरोकै तीकैयेनारोगहोय वेंकेमोहहायत्र्याचे मांथोम्प्ररमषिभारीहोयजाय श्रालसत्र्यविउवासीय संपा डाहोय -
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१६ भासागर तणापतापसागरतरंग इतिनीदरोकिलाकारोगसं अथपासराकिलाकारोगलिप्यते जोमनुष्यप्रापतापासनैरोकेवाईकेषासकारडिहोय सासहोय अरु निहोय हियामैरोगहोयसोसकोगेगहोयहिचकी इतारागहोयाइ निषासरोकियाकारोगसं अथश्रमकासासरोकवाकारांगति ष्यनेजोपुरषश्रमकास्यासनैरोके तोकेदतारोगहोय गोलोहयोगमो हयेरोगश्रमकास्वासरोकिचा होया इतिश्रमकास्वासरोकिया कारोगसं अथउवासीरोकिवाकारोगलिष्यतेजोमनुष्यार नावामीनैरोके नीकैमथवायहोय इंद्रियांकीदुरबलताहोय गर्दनको अरमुषकोवांकापगोंहोयजाय१रतिउवासीरोकियाकारोगसं० अथांसंरोकिवाकारोगलिष्यतेजोपुरषासूत्रावतानेरोके नांकेयेरोगहोयछे पीनसहोयनेत्ररोगहोय अरमथपायहोयहियो एषे गरदनमेंपीडाहोय अरुचिहोय अरभ्रमहोय अरगोलोहोया बतायांसनैरोकेनाकैइतरारोगगहोय१२ इतिभासंरोकियाकारो गसं अथवमनकारोकियाकारोगलिष्यतेजोमनुष्ययमनका आवतावेगनैरोके नीकैयरोगहोयरतचाय पिली कोदनेत्ररोग पा जि पांमुरोग ज्वरषासी सासहियोदूषेमुषकाल अथवा छाया सोजो येतारोगवमनकारोकिवारांहोय १३ इतिवमनकारोग सं अथकामदेवकिपाकारोगलिष्यने नोपुरषकामदेवजा ग्यांनेरोफेनांकेयरोगहोय. सुजाष प्रमेह इंदिकविपीराअरई द्रीसूजिजाय अरचित्तबहकिजाय अरभोजनवियंअरुचिहीय ए नारोगहोया४ इतिकामदेवरोकिवाकारोगसं० इनिप्रकारां तरसंसारारोगांकाउपजाबाकाविधिसपू० इनिश्रीमन्महारा जाधिराजमहाराजराजेंदश्रीसचाईमतापसिंहजीविरचित अमृतसा
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अमृतसागरतयाप्रतापसागर तरंग २ गरनामप्रथेरोगविजरनाडीपरिक्षा भूमपरिक्षारोगपरिक्षा सपनाप रिक्षा दूनपरिक्षा सुकनपरिक्षा कालग्यांनपरिक्षा ओषदिविचार दे सकालअवस्थाअर्थकर्मअग्नियलरोगीकोसाध्यासाध्यविचाररो गकाभेदरोगांकीउत्पत्तिनिरूपणंनामप्रथमस्तरंग:समाप्त ७ अथकायकरोगामेंसर्वरोगमानकोराजाज्वरछे सोतीकोअहवाल पूर्वकलक्षाअरवेंकोजतनकमसैलिषजैछै अथप्रथमर रकीउत्पत्तिलिष्यते सतीजीकैपितादक्षप्रजापतिजग्यफोपारं भकस्यो नीमैअहंकारकेवल त्रिलोकीकेपतिजोसाक्षाशिवजी मैंयापकाजग्यमबुलायानहीं औरसर्वदेवतानकूबुलायजग्यकोप्रारंभकरयो ताहांसतीजीध्यापकापिताकेधिनांबुलायांगई शिवजी काज्याविनांहीगई तवजग्यविषेवेंकैपितासतीजीकोअनादर कायो नहांसतीजाजोगबल आपकासरीरकोत्यागकन्यो तयया बानशिवजीसुगीनबशिवजीकेकोषउपज्यो नवक्रोधउपजताही शिवजीकाललाटकोनेत्रषुलिगयोतीनेत्रमैचीरभद्गएराप्रगटभयो चारभरगागकिसोकडे अतिक्रोधी अरपीलोसरीरहुँजीको भरनेत्र जीकैनीन भस्मलगायां प्रलयरुप पीलाजींकानेत्र वायरधारया अग्निकोसोरुप डोरीजांघतीन बडोउदर ऐसोपगरभयो सोशिव जासूधरजकराकहाफरूं तबशिवजीधाग्यादेतभये तमवाको जग्यविधंसकरो तपाईंमारिवाकोजग्यविध्वंसकीयो अरबाज ग्यकीसामग्रीआपपायगयो नबवीरभदकोनामशिवजीज्वरपा यो सोभोज्नरहसोमनुष्यांकेमिथ्याग्रहारमिथ्याविहारकायस थकीनाभिअरस्तनकविजोग्रामकोघरती मेरहताजोवातपित्त कफ त्यानरोगीकासरीरमेंआमासयकोजागामैदुष्टहोय पाया
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २ मासय की जागा मैंर हतो जोच्प्रहारती सैंउपज्यो जोरसनांनविगाडि मरामासयमैंर हनोजोउदर कोच्यग्नित्ती उदर में से चारै फाटि सारारोगीकासरीर नैता तोयग्निरूपकरिदेउँसीन्प्रोज्वररूपहीय वेहींसमैसरीरका पराक्रमनेषायजाय छे सोज्वरपाठप्रकारको छै एकनोबायको ज्वर १ पित्तकोज्वर २ कफकोज्वर ३ वातपित्तको ज्वर ४ बातकफकोज्वर ५ कफपित्तकोज्वर ५ सन्निपातको ज्वर ७ आगंतुकज्वर - एत्र्मठप्रकारकाज्वरछे सोष्प्रचयांकाजुदाजु दालक्षणकहस्यूं अथमथमज्वरमात्र कोसा सान्यलक्षण लिप्यते जीकासरीरमें कसमचेइसोल क्षण होइजीनेंज्वरकहि जे सरीर तातो होयत्र्यावै परपसेवभानही यावे अरभूषजातीरहे सारोअंगजकड्योसोहोय परमथवाइहोय मरहाथपगांफूटल होई अरकठैहीमनलागैनहीं भैसालक्षणजी रोग में होयतीनेंज्वर कहिजे १ अथज्वरको पूर्वरूप लिष्यते हाथपगांफूटणीहोय मथवाय होय जांभाईहीय निगरिषेदहीसरीरमैषेदहोय पेसाल क्षराजींमनुष्यकेहोरा नबजाणिजेज्वरउपजसीप्रसोल क्षणवेद्य जागे २ अथज्वरको विशेषलक्षणलिष्यते प्रथवायज्वरल क्षणविष्पते सरीरकांपै ज्वरको विसमवेगहोय कंठहोउस्कै नीं दवैनहीं छीकावेनहीं सरीरलूषोहोय मथवाय होय सरीरमें पीडाहोय मुषमेछऊंरसको स्वादजातोरहै जंगलउतरैनहीं पेटमें सूलहोय प्राफरोहोय उबासीघलीपावेनी चायकोज्वरजाणिजे अथसामान्यज्वरमात्र कोजतनलिष्यते गरमपालीपाजे या छाल कालंघनकराजे मलकाबलमाफिक रहलकोपथ्यकरा जे पवननहींच्यासाघरमेराषिजै श्रायामिहीयस्यापरसुना
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१५ अमृतसागरतथापतापसागरतरंग शिजेतोज्वरजाय परतीनदिनलाईनोज्वरमैकरवीकसायलीजुला पंगेरे औषदिदीजैनहींयोहाजननकीजे पाछे सूंठिमासा २धलो मासा १इनकोकाथकारपाजैतोज्नरजायअरभूषलागे अथवा यज्चरकोजतनलिष्यते अतनांपुरसानेलंघनकराजेंनहींराय जरनालानै क्षयीरोगवालानजीकै अग्निघलाहोयजीनेंगीली रूपाने दूबलानेवालकनें बूढानेंडरपस्पालनैतिसवालाने येतांम जुष्यानेलंघनकराजेनहींहलकापथ्यकराजेवायज्वरवालासो षद्यांकोकाथरीजेचिरायतो नागरमोथोनेत्रवालो दोन्यूंकाली गिलवैसरियेसारीअोषदिछदांमछदामभरलेत्यांनजोकूटकार यांकोकाथदिन ५दाजैतौवायनरडूरिहोयर अथवायज्वरका इरिकरियाकोदूसरोकाथलिष्यते ठिनीवकीडालि धमा सो पाठ कचूर अरड्सो एरंडकीजड पुहकरमूल येसारीओषदि छदांमछदामभरले त्यांनैजोकूटकरियांकोकाथदीजैतोवायच रडूरिहोय ३ अरहिंगुलेसररस नायज्वरततकालडूरिहोय हींग लुपीपल सांगीमोहरोसोध्यो एतीन्यूंवरावरिले यांनौमिहींपाटि पालामरतीआधप्रमाकीगोलीबांधेगोली५मेंबायचरनि जाय परवायज्वरवालानें मूंगांकोमसूरको कुलस्थको मोठको यांकीदालकोपाएगीपथ्थडे परसनावरी गिलवै येदरेन्योछदाम भरत्याकोकाथकरेसाथमेंउदामभरपुराएगोगुडनाले ईतोलदी न ५लेतौवायचरजाय अरमिनकादाषपीपलि पित्तपापडी सौंफ येसबछदामदोमभरिले इनकोकाथदीनेनीवायज्वरजा य इतिवायज्वरजननसंपूर्णम् अथपित्तज्वरकोअहवा लभरलक्षागजतनलिष्यते ने मैदाहहोय मूडोकडदोरहे
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग निसघणीहोय भोलिवावे बघणैौ भ्रसरीरतातोघशोर है मरने गभीघणो मलपतलोहोय यमनहोय नींदच्यावेनहीं मुषसूकै श्रपकिजायपसेवत्र्याचे परमलमूत्रनेत्रयेपीला होय लक्षा जगनुष्यकेहोय तीकैपित्तज्वरजाणिजे प्रथपित्तज्वरकाजत नलिष्यते नागरमोथो धमासो पित्तपापडी नेत्रवाली चिरायतो नीबकीछालि येसबऔषदिछदांमछदांमभरिले त्यांनेजौकूटक रियांकोक्काथकरिपीवैतपित्तज्वरइरिहोय । श्रथवा गरमपा लीकै साथ घरसारको चूर्णछदांमभर अरकुटकीमासा २ मिश्री टंकर यांकोचूर्णकरिलेतौ पित्तज्वरहरिहोय २ भ्प्रथवा चंदनटंक १ षसटंक १ इनकौमिहींवांटि पईसा ४ भरफालसां कासर वत्तमैं मिश्रीपर्ड्सा २ घालिपीवैतैौपित्तज्वरहूरिहोय ३ येजतनत्रिंशती मैकद्या अथवा चांवलांकीमालकापाली में मिश्री मिलायपी वैतौ पित्तज्वरहूरिहोय ४ अथवा कुटकी किरमालाकीगिरि नाग रमोथो हरडेकी छाल पित्तपापडो येसारीछदांमदांमभरिले त्यां नैजो कूटकरियांकोकाढोदेतपित्तज्वरनें परतिसनें परदाहनें रमूर्खाने प्रलापन भौलिने यांसारानयोक्काथरिकरे योवैद्य विनोदमेकोछे अथवा गोहांकापादाने सिजायतीममि श्रीघालितीनें पतलोपूचसिजाय पतलोहीरोकरिदेतपित्तज्व रहूरिहोय अथवा मीठी ड्यूकोसर व तदेतपित्तज्वरकोदाहरू रिहोय ७ परयाहीदाहज्वरहीयतौ महानंदरसर्वगुणांकरिकैसंयु क्त सीजोस्त्रीषोडसवरसकी फूलांकोजी कैप्राभरण महासुंदरजी केवस्त्र धरमहाचतुर सीस्त्रीसंगकरैती दाहकी व्यथाइरिहो य रतनीवस्तभीदाइकी व्यथाने दूरिकरैछें सोलिषजैहैं सूचा
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२१ अमृतसागर तथापनापसागर तरंग २ कीवाली मेनांकीयाणी वालककीवाणी मनोहरबाग फूलांकोहा रकमलकाल मनोहरशृंगारकीकथा कपुरकोलगावो संदर स्त्रियांकोसंग फवारानेादिलेर येसाराहीदाहकीव्यथानेंदूरिक रेडेअथवा फालसाकांसरबतमैसीथोलूराघालिपीवतोपित्त चरडूरिहोयसअथवा गूगांकीदालकोपापीनामेमिश्री मिला यपीवेनीपित्तज्वरडूरिहोय अथवा मिनकादाषकोरारब तमिचीमिलायपीवेतीपित्तज्वरडूरिहोय अथवा पित्नपाप डोनागरमोथो चिरायतोरंक ५कोयांकोकाथदिन लेनौपिन जरडूरिहोया येसाराजतनज्वरतिमिरभास्करमेलिष्या छै अथवा रक्तचंदन पदमाष यो गिलवे नीवकीछालिये सारीओषदिछदांमछदांमभरिलेजैत्यांनेजोकूटकरित्याकोका दोदिन ५लेनो पित्तज्वरदाह. तिसनेवमनने यांसारानेयो दूरिकरैछे येजतनलोलिंबराजमैलिष्याछै अरयोहिपि नवरघगोदाहचरहोयतो कमलकाफूलांकीसेजपरउनें सुवालिजेनोराहचरडूरिहोय भरकोलिकेपानाउपरसुवाणि जेनौदाहज्वरडूरिहोय.४ अथवा पायावनमैंराषिजैनौदा हज्जरडूरिहोय अथवा आङ्याषसषांनोंमेराषिजेतोअरष संकापंषाकीपवनकाजतोदाहज्वरडूरिहोया५येजतनलो लिंबराजमैकल्याडै अथवागलावकाफूलांकीयांषड्या कोतिलांकैपांचसातपुरदेअरवांकोनेलकाटैचवेलीकानेलकीसीनाई मानेरलरोगनकहेंछैहकीग अरइहींनहिंदगामें गुलाबकोतेलकहेछेनीकोदाहचरवालाकैमर्दनकरेनोदाह ज्वरडूरिहोय अथवा सौवारकोधोयोवृतअथवाहजार
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३२. अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंगा २. नामकोधायोधृततीकोसरारकैमईनकरेती राहवरमाच्यथान कालडरिहोया अथवानींबकाकोमलपानानेयारियापा हा धार्टि पारिलोय पामेमागरायनांमागांकोदाहज्वरवाल
मालेपेकरेती अथवाईमगामैचहेडाकानींगीमिलाय खेपफरेनौदाहकीरिथाततकालदूरिहोया येजननयजीव नमें अरविनोदमेलिष्या इनिपित्तज्वरदाहज्वरकाल क्षपाजतनसं• अथकफचरकालक्षएगअरजतनलिष्य ने अनकीअरुचिहोय सरीरभात्योहोयरोगांचहोय मूत्रअर नवजांकासुपेदहोय नाट्यगीआवेसरीररंडोहोय ऍटोमी रोहोय वेगधगोनहींहोय पालसघगोआवैसासहोय षासहो यपानसहोय येजीमेलसराहोयसोतीनेकफज्वरकहिजै अथ कफज्वरकोजतनलिष्यते नींबकीछालि इंटिगिलचेकरा लीपोहकरमूल कुटकी कचूर अरसो कायफल पीपलिस नावरीयेसारीओषदीछदांमछदामभारले पाडेयांनजोकूटकार यांकोकाथदिन ७ देतोकफचरडूरिहोय अथवा कायफल पीपलि काकडासीगा पहकरमूल यांसारानेमिहावादि छदाम भरिसहतमैचटावेनौ कफज्वरसास कासनैयोअवलेहदारक रे येजतनवैद्यविनोदमेलिष्याछ २ अरकफज्वरवाला नै गरमपाएगीसेरकोतीनपावरहै येसोथोडोथोडोपाजे संघ न १२ कराजै पाछैमूगांकोअथवा मोठाको अथवा कुलस्थको पाणीकोपथ्यदाजै दिनमैसोबादीजनहीं अरविजोराकीकेसरि सांधालएकैसाथदीजै पथ्यमेश्रादोदाजे अथवा योपाचनभी दीजे सोलिषेह सूहि मिरवि पापलिचित्रका नापलामूल दो
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२३ अमृतसागरनथा प्रतापसागर तरंग २ न्यूंजीरा लचंगइलायची सेकाहींग अजवाया अजमोद येसर्वच रावरिले यांकोचूर्णकरैपाईनछामभरगरमजलकैसाथदीने तो पाचनहोयभूषलागेकफज्वरडूरिहोय ३ अथवा कालीगिलोय मूटि पुहकरमूल अरसो यहक्षद्रादि कहै सोयेसब
औषदिअधेलायधेलाभरलीजे त्यांनेज़ौकूटकर ईतोलका थकरिदिन दाजैलोककबरदूरिहोय४अथवा करीलपी पलि काकडासांगीगिलचे अरसो येसबऔषट्टिकर ली ने इनकोकाथकरिदिन १० देतो कपनर सासङ्घ खासळूमं दाग्नि रहकाथरिकरेछे ५ अथवा-अरसाकोकाटोछ दामभरनोलप्रमादिन दीजैतो कफज्वरततकालनिश्चै दूरिहोय अथवासीतमंजीरसरती २दोय अरडूसा परसूठि काकाटाकेअनोपानसूईतोलदिन ७ लेतीकफज्वरनिश्चैतन कालदूरिहोय अथकफज्वरडूंसातभंजीरसलिष्यते पारोसोध्यो हांगलूकोकाट्योटंक ५गंधकसोध्योटंक ५नामे श्वरदंक ५सांगीमुहरोसोध्योरंक रसूठिटंक५मिरचिटंक ५ पीपलिटंक ५.सुहागोसोध्योरेंक ५येसबमिहींचारियांकेचित्र ककारसकीभुट २ दीजे पाडैादाकारसकीपुरटीजे पा छैईकैपानाकारसकापुर ३ीजै पाळेई कीगोलीरतीप्रमा गकीकाजे योनीलभंजीरसबै ईसंकफज्वरअरसीनांग अ रसायकासर्वरोगारिकरेछै७ इतिकफज्वरकालक्षा अरजतनसं० अथवातपित्तज्वरकालक्षराजतनलिथ तेजीमनुष्यकैवानपित्तज्वरहोय जाँकैमू होय अरभोलि दाहहोय नीदमारेनहींअरमथवायहोय कंठ मुषसकै पर
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२४
अमृतसागर तथा मतापसागर तरंग वमन रोमांच अरुचिहोय अंध्यारीच्याचे परसर्व अंगमेंपीडाहो य जंभाई रकिबो लक्षएगजीस्वर में होय तीनेचातपित्तज्वर कहिजे अथवातपित्तज्वरकाजतनलिष्यते परैंटी गिलोई अरंड कीजड़ नागरमोथो पदमष भाडंगीपपति पस रक्तचंदन येसर्ब औषदिमासापांचपांचप्रमाएाले पायानेंजोकूटकरिछदाम भरिकोकाथदिन १२ देतोबातपित्तज्वरइरिहोय २ अथवा ग लोय पित्तपापडो चिरायतो नागरमोथो ठि यहपंचभद्रको काथछे इनकोंबराबर लेजोकूष्ट करिछदामभरिको वाथरोजी नादिन १२ देतोबातपित्तज्वरइरिहोय ३ अथवा गिलोय पित्त पापडो सूंठि नागरमोथो अरसो यांनैवरावरिले जोकूटकरि छदामभरिकोकाथदीजेतौ वातपित्तज्वररिहोय ४ अथवा प टोल नींबकीखालि गिलोय कुटकी ये बराबरिले त्यांकोछदाम भरिकोकाथदिन १२ लेयनौवातपित्तज्वरहूरिहोय ५ प्रथवा महुवो महलोठी लोद गौरीसर नागरमोथो किरमालाकी गिर येसर्बबराबरिले यांनैजोकूटकरिछदांमभरिकोक्कायदिन १२ लेखनीवातपित्तज्वरदूरिहोय अथवा चांवलां की पीलाकां पाएंगी मैमिश्रीप्ररसहतमिलादिन १• पीवैतौवातपित्तज्वरइरि होय अथवा सूंठ मिरचि पीपल इनकीसममात्राले इन की बराबरिमिश्री मिलाय चूर्णाकरि भेलाभर रोजीनांसहतक संगसूंदिन १० लेतौ वात्तपित्तज्वरइरिहोय - इतिवानपित्तज्ज रजननसंपूर्णम् अथवातकफज्वरलक्षएजतनलिष्य तेजीमनुष्यकैज्वरमैयेलक्षणहोय पासी रुचि संधिसंधिमैंपीडा मंधवाय पीनस संताप अंगकंप सरीरको भास्यापो नीं
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२५ अमृतसागस्तथाप्रतापसागरतरंग २ रआवैनहीं पसेव सास पेटभेसूल अस्जीमनुष्बकीनाडीसर्पकी अथवाहंसकीचालचालौथूसरोअथवासपेट्चीकणोअथवा सुरमासिएकोजीकोमूतहोय कालोजीकोमलहोय अरचीको होय धूसरीयांषिहोय मुषकसायलोअथवा मीयहोयजीभका लीहोय अथवासुपेदालासाहोय कंठमैकफकोपूपरोबोले सरीररंटोलागे येलक्षपाजीकैहोय तीनैवानकफजरजांनिये ये लक्षज्वरतिमरभास्करगेलिष्याछै १ अथवातकफज्वरका जतनलिष्यते ईज्वरवालाने लंघनदशकराजे आधीनोटायो पानीपाईजे अरदिनदसपछै चिरायती नागरमोथोगिलोय सूं हि येसरवरावरिलेत्यांनजोकर करिछदामभरकोकाथदीजै पाडैउनेपथ्यदीजैतो अरकोदतरेकोउपदवउठेनहीं अरइहींज्व रमैदिन ३पाछैकाथदीजैनौरहज्वरकुंडरिकरैछे सोकाथलिबूं डूंकायफल देवदारु भाडगीनागरगोथो घणो पित्तपापडोहर डेकाडालि संलि कागचकीजड येसर्बऔषदिबराबरिलेशनहूं जोकूटकरिटंक २ भरकोकाटोकरिष्यतो वातकफवर षासी सोजो सास इनकुंडहरिकरेछै१अथवानागरमोथो पित्तपा पडो डिगिलोय धमासोयेसर्वबराबरिले यांनजोकूटकर छदामभरकोकाथदिन० लेयतो वानकफज्वरकुंवमनळू दा हकूमुषसोसळू यहकादौदूरिकरेछैअथवा कटालीसंडि पीपलि गिलोय येसबछदामभरिलेतीकोकाटोदीजैतौवातक फवरइरिहोय ३अथवा सालपणी पृष्टपर्णी कटाली दोन्यू गोषरु बोलकीगिर अरण्यू अरल कुंभर पाठयोहसमूलछे तीनैजोकूटकारे तीकोकाथकरिपीपलिमिलायदिना देयतो
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२६ अमृतसागर तथापनापसागरतरंग २ वातकफवररिहोय अथवाइजरमेंमुषभरतालवोसकिजा यजीभलठरहोजायतो विजोराकीकेसरि4सीधोलूनअरमिरच ठगायजीभकैलेपकरैतो मुषको अरतालचाकोसोसपरजीभ कीलठरताईनेइहलेपरिकरैछै ५अथवा चिरायतो गिलोय देवदारु कायफल वचयेनीषदिवरावरिले त्यांकोछदामभरको काथकरितोषातकफज्वरदूरिहोय येजतनज्वरतिमिरभा स्करमेलिष्याछै इतिवातकफज्वरजतनसं• अथकफ पित्तज्वरकालक्षगलिष्यते मूंदोअरजीभकपसंलिप्याथ काहोपरतंडाहोयमोहहोय पासीहोय अरुचि निसघणीहोय पारंवारसरारमेंदाहहोय अरसीतहोयसरीरमैपीडाहोयहियोडू
भोलिभामूषनहींहोय सगरजकङ्योसोबैजायजांकानाडी हंसकी अथवा मांडकाकीसीचालचालै मूंतजीकोसपेदलला ईनलीयांचीकरणेहोय मलभाललाईलीयांहोयजींकानेप्रमीड ककावासिरीपाहोय सुषमागेरहै अथवाकडयोहोय जीभ ललाईलीयांसपेदहोयजीमनुपकैयेलसराहोय तोकेकफाप तज्वरकहजे येलक्षनरतिमिरभास्करमेलिष्याछे१ अथक फपित्तज्वरकाजतनलिष्यते चरवासानेलंघनकराजे ईज्वर,अशवसेसजलपावजे अरयांोषयांकोकाटोदाजे सोलिपूंछंगिलोय रक्तनंदन पंडिनेत्रपालो कायफल रारु हलरपेोषादिवराबरिले नइंजीकूटकार छदामभरकोका टोदिन देयतो कफपित्तजरदूरिहोय अथवा नींवकालि रक्तरंदन पदमाष गिलोय धगो पाचौषधांकोकाटोकारदिन १०दीजैनी योजुरदूरिहोप भरदाह निस वमनयेभीडूरिहोय २
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२७
*मृतसागर तथा मतापसागर तरंग अथवा गिलोय इंद्रजव नींबकीछालि पटोल कुटकी सूंठ सुपे दचंदन नागरमोथो पीपलि येसबञ्यपदिबराबरिले इनकोमि हां चूर्णकरिमासाच्यारि ४ अष्टावसेसजलकैसा थिदीजैनौ, ज्वर कुंसासकूं उष्णतां [होदूषवेकूं अरुचिकों पासीकों यहचूर्णहू रिकरैछे ३ अथवा गिलोय दोन्यूंकटाली कचूर दारुहलद पीप वि रडूसो पोल नींबकीछालि चिरायतो येसर्वोषदिसम लीजै इनकूंकूटकरि छदामभरकोक्काथकरिदोन्यूबषतदिन १७ लेतपित्तकफज्वररिहोय ४ अथवा दाष किरमालाकीगिर ध एगो कुटकी नागरमोथो पीपलामूल सूंठिं पीपलि येसर्बबराबरि ले इनकूंजोकूटकरिछदामभरकोकाटो दोन्धूंबषतदिन ११ दी जैती सूल भ्रम मूर्छा रुचि छर्दिको पित्तकफज्वर को यहक्काथ दूरिकरै ५ अथवा ईरससेनीयोज्जरननकालजायछै सोलिषू छू हींगलूको काट्यौपारीक ५ गंधकसोध्योटंक ५ मिरचिकाली टंक ५ हागोसोध्योटक ५ येसर्बमिहीवांटि प्रादाकारसकीपु ट ७ दे पाछैपानांकारसकी पुढसात ७ दे पाछैगोलीरती ४ प्रमा एकीकरै गोली मानगोली १ संध्या रोजीनादिन ७ घायतो क फपित्तज्वरनिरिहीय ६ इतिपित्तकफज्वर्जतनसंपू० अथसन्निपातज्वरकी उसत्तिलक्षणजत्तनलिष्यते जोम नुष्य बहुत चीको घौषट्टो घोगरम घोतीषो घमी को घोलूषोभोजनकरै अरुविरुद्ध्वस्तषाय प्ररघोषाय मरदुष्टपाणीपी अरक्रोधवती रोगलीस्त्रीसंगकरै रडु ष्टमांस अरकचोमांसषाय परसीनना वडोदेसरिनुग्रहइनके विपरीतपतें मनुष्य कैसनिपातको रोगहोय सोयातोईकी
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२९ अगृतसागरतथा प्रतापसागर नरंग २ उत्पत्तिकै अथसन्निपातकासक्षगलिष्यते अकस्मातक्षरो कमेंतोदाहहोयगावेक्षणकर्मेसीनलागेअरसभावीरीजाय घरसर्वदाअपनेंअपनेधर्मसूडोडिदेअरसरीरकाहराडोमेस वसंध्या में अरमाथांमेघसीपाराहोय आष्यांमैनांसूआयोकरे अरनेत्रवेंकाकालापरलालहोजाय अरकानांमैशब्दहोबोकरे अरकानांमैपाराहोयरमेकांटापडिजाय नंदाहोयमोहहोयत्र रखेकै काससासअरुचिभ्रमयभीहोय अरजीभकालीषरधरी लठरअसीहोय अरलोहा मिल्योकपथूके दिनमैनांदावैरा विमैजागे पसेवधगोआवैकैनहींाचे अरअकस्मात्गावैनाचे हसेरोवै मांथोधुणेप्यासघगालागेडियोहू मलमूत्र उत्तरेनहीं जोडनरैनौथोडोउत्तरैसरीरकसहोजाय कंउमैकफकोथूघरो बोले गूगोहोजाय होटगैरेइंडीयकोजाय पेटभारीहोजाय नाडीकागतिमहामंदसिथलमहासूक्ष्मटूटीसीहोय अरमूत्र हलदसिरीको कैकालोकैलोहासिरकोहोय अरमलकालोसुपे दाईलायांहोयकैसूरकामांससरीकोहोय येजांजुरमैंलक्षरा होयतीकोसन्निपानवरकहिजे सोयासन्निपातज्वरकालव रुपछे श्रेसेसन्निपातज्वरकोजोयश्रीषदकरै अररसकरै अरमंत्रयंत्रतंत्ररिपोरदंभदंसनेप्रादिलेरकहींतरैईसन्नि पानज्वरकुंडूरिकरैताद्यसेरोगीहेसोव्यउगरेदेकरकहींत रैकरराहोयनहीं इतिसन्निपातज्वरलक्षणसं० प्रथसन्नि पातज्वरकाजतनलिष्यते सन्निपातज्वरपालामनुष्यने प विसेसजीमेरिरंक १ नाषिप्राचाकूचाकोपाणीपाइजैदि नकोयोटायोनोदिनमेंपाजेंरातिकोओरायोरातिमेपाचतु
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अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग रादमीकनैराषिजेजीमेपवननहींावेसाजागामैंराषिये सातदिनपायोकाटोदीजै सीतलजतनकरजेनहीं शिक्उगेरै पूजनकराजे होममंत्रमणिधारपदानादिककीजे अथवा का यफल पापलामूल इंद्रजव भाडंगी{ठि चिरायती कालीमिर चि पीपलि काकडासंगापुहस्कमूल रासना कटालीदोन्यूं अज मोद छड वच पाठ चव्य येसर्वोषदिबराबरिले इनजोकूट करिटंक २ कोवाथकरिदोन्यूवषतांदाजैतोसन्निपातहूं अरस वरतकोज्ञानजातोरत्योहोयजीकू अरपसेवयगांधावताहो यजीकू सातांगउपज्योहोयजीकू घरगोबकतोहोयजीकू पेटंकसू लडूं आफराळू वायकारकफकारोगडूंसूवाकारोगळू यांस बरोगानेयोकाथरिकरैछै अथवा श्राककीजडजवासोचि रायतो देवदारु राना निर्गुडीवच अरगीसहजगोपीपलि पीपलामूल चव्य चित्रक संहिअनीसजलभांगरो येसबौष दिबराबरिले यांनजीकूटकरिटंकरप्रमाराकोकाटो दोन्यूवष तांदीजेती महासन्निपातज्वरकौं धनुर्यातकुंजवाडामिचिग याहोयतींकू सांतांगको सूयाकारोग• स्वसvषासीकुंअर पायकारोगांनयोकादोदूरिकरे, योजननलोलिंबराजमैं लिष्योछै २ ईसन्निपानमैजीमजडहोयगईहोयत्तौजीभकै विजोराकीकेसरिमैंसीधोलूराअरमिरचिमिलायऊकोलेपकरें तोजीबकीजडनाईदूरिहोय अथवा जींसन्निपातमैंज्ञान जानोरहेनीकोजतन वच महवो सिंधोलूग मिरचि पीपलि ग्रेसर्बबराबरिलेईनकूमिहीपीसिगरमजलमैनासदीजैनोग्यानहोयावे ४ अथसन्निपातकेरिकरिवेकीऔरनां
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३. अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग २ सलिष्यते पारोटंक ५गंधकरंक ५इनरोउनकीकजलापरल मैंकोजें पाछेयादोन्यांकीबराबरि सूंड मिचि पीपलियेमिहिवांटि फेरिइनकमिलाय यांपांचाकैधतूराकाफलकारसकापुट ३दीजे दिन ताईपरलकरैयोउन्मत्तनायरस तीकीनासदेयतो सन्नि पातकुंदुरिकरै अथसन्निपातरिकरियाकोअंजन जमाल गोरांकीमीजीटंकी कालीमिरचिटंकी पीपलामूलटंकी यांती न्यांनंजेभीराकारसमेदिन ७ ताईपरलकरै पाछेरैकोअंजनकाजे नौसन्निपानहरिहोय५अथवा पारो गंधक कालीमिरचि पीप लियेसवबराबरिलेयांचास्यांकोचौथोहिसोजमालगोटोले पाछे पारागंधककीपरलमेमिहींफजलाकरे पाछेयेदोन्यूफजलीमैमि लाय इनसक्नकुंजंभारकेरसमेदिन-परलकरै पाछेईनको जनकरैतो सन्निपातरिहोयउपद्यमिटै ईअंजनकोनामभेरवां जनडै योवैयरहस्यमेलिष्योछे अथवा सिरसकावीज पीप लि कालीमिरचिसयोलूगलसरामेासिल यच येसबबराबार ले तिनकूमिहींपांटिगोमूत्रमैदिनापरलकरै पाईकोअंजनकरै तो सन्निपानहरिहोय-अथसन्निपातहरिहोवाकोपंचवत्र रसलिष्यतेहांगलूकोकाट्योपारोटंक ५सोध्योगंधकटंक ५ सोध्योसीगीमुहरोटंक५सोथ्योसुहागोटंक५पीपलिटंक५का लामिरचिरंक ५पारागंधककीकजलीकरिपाइंकजलीमेयैत्री अदिमिलाय धतूरकाबीजकातेलमैयडि ४परलकरे पाछेकी गोलाग्नीकीयांथैगोलादाकारसमेटेयतो सन्निपातहरि होय ऊपरदहीपरभातवावे योजतनवैद्यरहस्यमेलिष्योछे अथसन्निपानकेरिवेसछंदभैरेवरसलिष्यने हींगलुको
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२
३३ अमृतसागरतथाप्रतापसागरनरंग कास्योपारोटंक ५सोध्यागंधकटंक ५सोध्योसींगीमुहरोटंक५ जायफलटंकरपीपलिटंक १०पारागंधककीकजलीकरै पाछे येसारीऔषदि ममिलाय पादाकारसमेदिन षरलकरेपछै रतीप्रमागदीजैतौ सन्निपातज्वरसीनवर दिसूचिकाविसम ज्वर जीर्णज्वर मंदाग्नि माथांकारोग यांनयोरसइरिकरैछे रहवे घरहस्यमेलिष्योछे अथसन्निपानमैसीतउपज्योहोयती कोउवटगोलिष्यते मिरचि पीपलि संठिहरडकिहाली लो द पुहकरमूल चिरायतौकटकी कूट कचूर इंद्रजव येबराबरि ले इनकूनियरमहीपास सरीरकैमर्दनकीजैतो पसेवनैसीता गनेंदूरिकरै१०अथवा पारोटक ५ सींगीमुहरोटंक ५मिरचिट क २०यतूराकाफलकाराषटंक १०येसर्वमिहीवांटिसरीरकैम ईनकरैतो अतिपसेव अतीसीतांगसन्निपातरिहोय ११ अ यमहासन्निपातरिकरिवेकोजतनलिष्यतेपारोसींगी महरो कालीमिरचिनीलोथूथो नौसादर येसर्बबराबरिलेया कूमिहीवांटि धतूराकारसमें परलसराकारसमेरोराकरे पा छेरोगीकामस्तगकैक्षोरकराय मस्तकापरवारोटीरापह राजविकासरीरकैतापहोयाबरोचेनन्सहोयत्रा पैनो ओपुरषजी अरऊकैनापनहींहोय अरचैतन्यनहींहोय तौरोमनुष्यजीनहीं१२अथवा लसणाराई सहजणांकीज उयांनैगोमूत्रमेंमिहीवांटिनीकारोरीकरै यारोदीमांधापरिक्षा रकरायपहर राषे जोवैनन्यभरतापवेकेनहींहोयतौरोजी
नहीं थेजतनवेघविनोदमेलिष्याछेअथसन्निपान रिकरिवेकोजतनलिष्यते महाभयंकरसन्निपातवारेकोपी
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३२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २ छूकठाइजेतीसन्निपातहरिहोई१४ अरसन्निपातवारेस पकठावोबालिष्योहे सोलोकविरुङहे सोनहीकीजे १५अथ चा सन्निपातवारेकॉलोहकीसलाकानिपटतातीकारकीपग थल्यांकै अरवेंकाभवांराकैवाचिअरवेंकाललाटकेंवीचिलो हकीसलाकाकोडाहदाजैतोसन्निपातरिहोय १६योवैद्यवि नोदमेलिष्योछै अरमंत्रजंत्रउगेरेंकेसाधन भीसन्धिपातडू रिहोयछे सश्रुतचरकवाग्भट्टकेमतसैनौसन्निपातजुरएकही छै पणिोररिषीश्वरनकैमनसौंसन्निपातज्वरवायन ५२प्रका रकेहैतीमैतरामुष्यहै तिनकैजुदेजुटेनामभरलक्षगरज तनलिबूंछं अथनेरासन्निपातकानामलिष्यते संधिग अंतकररुगेदाह ३चित्तम्म्म४सीलांगतंद्रिक ६कंटकुज्व ७ कर्णक - भग्ननेत्र रक्तष्टीवी प्रलाप जिव्हकारअभिन्यास १३अवयांकापायुर्बललिबूंछं संधिगदिन रहै अं तकदिन रहै रुग्दाहदिन २० रहे चितभ्रमदिनरहै सीतांग दिना५रहै तरिकदिन २५रहै कंउकुज्वदिनारहै कर्णकमहीना
रहे भग्ननेत्रदिन-रहै रक्तष्टीवीदिन रहे प्रलापदिनार है जिदकदिनार रहै अभिन्यासदिन१५रहै येनेरासंन्निपातकी आयुर्बलकहापरिणयांमैउपदयाठिावतोततकालादमीम रजाय अरसन्निपानजुरबारेमनुष्यकासातलजननकीजैनहीं दिनसोवादीजैनहींअहवसेसजलपाइजे अरामअरकफघटेऐसौजननकीजैसंन्निपातकेोषमाफिकलंघनकराजे अथ संधिगसन्निपातलक्षगलिष्यतेजीमनुष्यकैसंधिगसन्नि पातउपजेजीकासरीरकासंथिसंधिमैघी मूलचाले सरीर
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३३ अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग २ सूजिजाय पेटभारंवोहोजाय अंगसिथलहोजायबलजातोरहै वाय कोअरकफकोकोपयगोहोय नींदआवैनहीं येलक्षणसंधिगस निपातकाजाणिजे अथसंधिगसन्निपानदरिकरिकोज नलिष्यतेरासनाहरडैकाहालि गिलोय सहजयों चित्रका लजा लु मूठि देवदारु कुटकी रचूर अरडूसो वायविडंग सालपर्शी पृष्ठपी दोन्यूकटालीवीलकीगिरीअरण्यू अरलू कूमेर पाठ पीपलि येसर्बबराबरिले इनकुंजोकूटकरिटेकर कोकाटोकार दोन्यूंबषतांदाजैतोसर्वलक्षणसंयुक्तसंधिगसन्निपातरिहीय १ अथचंतकसन्निपातलक्षालिष्यते सरारमेंदाहय गोलागिजाय सरीरकांपे मांथोधुरो घणोषासे हिचकीहोय बकेबहुत ग्यांनजातोरहै सासहोयावेजांमनुष्यकैयेलक्षण होयतीनअंतकसन्निपातकहजे योनाइलाजछैईसन्निपातवा रोजीवनहीं२ अथरुग्दाहसन्निपातकालक्षरालिष्यतेबकै सरीरमैंदाहयगोहोय पेटमैसूलचले सरीरव्याकुलहोयतिस घसीहोयजीमैंयेलक्षराहोयत्तीकैयेरुग्दाहसन्निपातजाणिजे पोभीप्रसाध्यछै३ अथरुग्दाहकोजतनालिष्यतेहरडैकीछा लिपित्तपापडोनींबकीछालि कुटकी देवदारु किरमालाकागि र मिनकादाष नागरमोथो येसबबराबरिले रनबूजोकूटकरि टंक २ कोकाथदोन्यूवषतांदि १५दीजैतो रुग्दाहसन्निपातजाय ४ अथचित्तभमसंन्निपातकालक्षगलिष्यतेजीके भ्रमहो य परमद तापमोह येहोय अरबकै बावलाकासानेत्रहोय रहसे गानाचे सासहोसावै येजीरोगीकैलक्षराहोय तीके चित्तम्भमसन्निपातजाणिजे अथचित्तम्भमकोजतनलिष्य
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३४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ने ब्राह्मीवच लजालू, त्रिफला कुटकी घरैंडी किरमालाकीगिरी नीं बकीछाली नागरमोथो कडवीतोरुंकीजड मिनक्कादाष सालपर्णी दोन्यूंकटाली गोषरू चीलकीगिरी मरल्यूं अरलू कुंभेर पाठ येस र्बबराबरिले इनकुंजौकूटकरिटंक २ कोकाटोदोन्यूंवषनांदिन ११ देतो चित्तम्भमसन्निपानदूरिहोय ५ अथसीनांगसन्निपात कोलक्षएालिष्यते जींमनुष्यकोसरीरसारोसीतलपालासिरीसोहोजाय परकांपैहिचकी द्यावे अंगसिथलहोजाय स्वासहो यत्र्यांचे अरषासीहोय वमनहोय मुषमैंलालपड़े जीकेयेलक्षण होयत कैसीतांगसन्निपातजानिये येभीमहान्प्रसाध्य छै ईसन्नि पानवालोजीवेनहींनाइलाजछै तथापिईकोजतनलिषिजैछै ईसन्निपात वालारोगीकोवीकठाजै श्ररसींगी मुहरोतेलमैमिं लायश्र्वमर्दनसरीर कैकीजै अरसींगी मुहरो लसनराई इनकूंपी सिगोमूत्रमें इनकीरोटीकीजे रोगी कों क्षौर करायरोटी वेंकैमांथे बांधै सरीर नानोहोयतवताईरोटीराषे तापनही येतोरी गीमरीजाय अरईकोउवटएगोलिंडूं पारोटक ५ सांगीमुहरो टंक ५कालीमिरचिटंक २० धतूरकाडोडाकीराषटंक ४० यांने मिहीवांटिसरीरकैमर्दन करैनोसीनांगदूरिहोय ६ प्रथतंडिक सन्निपातको लक्षणलिष्यते जीमनंदाघणी होय परज्वर कोवेगघगोहोय तिसघणीहोय जीभ काली होय रषरधरीहो य स्वासहोय तीसारहोय परदाह होय कानांमैपीडाहोय येन क्षणजीकाहोय तीकैतंद्रिकसन्निपातजाणिजे ७ अथतंडिकको जननलिष्यते भाडंगी गिलवै नागरमोथो कट्याली हरडेकीछा लि. पुहकरमूल येबराबरिले इन कूंजोकूटकरिटंक २० कोकाटोदि
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३५ अमृतसागर तथापनापसागर तरंग २ न१५ देनीतंदिकसंनिपातपूरिहोय७ अथकंठकुज्वरसन्निपात कोलक्षएलिष्यते मोथोघणोदूषै अरदाहहोय अरडादमेंपीडा होय सरीरबहुततानोहोय मू होय गलोरुकिजाय अरपकिर्जय अरवांकीसरीरमैंपीडाहोय अरबके येजीमेंलक्षणहोय तीनेकुंठ कुज्वरसन्निपातजारिजै योसन्निपातकष्टसाध्यछे अथकंठकु ज्वकोजतनलिष्यते काकडासींगीचित्रके हरडैकीछालि कडू सो कचूर चिरायतो भाउंगीदारुहलद कयली पुहकरमूल नाग रमोथो कुराकी छालि इंद्रजव कुटकी कालीमिरचियेसारीबरा बरिले इनकुंजोकूटकारटंक २॥ कोकाटोदोन्ग्रूवषतांदिनप्तां ईदेयतो कंठकुज्वसंनिपातजाय औरभीउपद्रवासमेतरिहोय एअथकर्गकसन्निपातकालक्षालिष्यतेरास्ना आसगंध नागरमोथो दोन्यूंकटाली भाउंगी काकडासींगी हरडैकीछालि वच पोहकरमूल कुटकी येसबबराबारले इनकुंजोकूटकरिट क२॥कोकादोदोन्यूंबषतांदिन २० देतोकाकसन्निपातजाय १अथकाकरोदूसरोजतनलिष्यने हलद हिगोटाकीजड कूट सहजशांकीजडे सीधोलूरा दारुहलद देवदारु इंदायरा कीजड़ येोषदिबराबरले इनकूकूटिपाककेदूधमेमिहीषरल करैरकर्णमूलके ठंगोहीलेपकरैतीकर्रामूलबोटजाय अरक
मूलकोरोगहूरिहोय २अथवा कपमूलकै उठलाहीकैजोकल गावैकर्णमूलमाफिकलोहीकदाजैतो कर्णमूलनिश्चैजाया ब्योहोय अथभग्ननेत्रसन्निपातकोलक्षालिष्यतेजी रोगीकोस्मरजातोरहेज्वरकोवेगहोय बांकानेत्रहोय अंरचंच हनेत्रहोय अरश्रम कांप पीहोय चकयोहोय येजीमेलक्षराहोय
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३६
२
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जीकुंभग्ननेचसन्निपातकहिये योभीप्रसाध्यछे ११ अथभग्नने त्रसंन्निपातको जतनलिष्यते दारुहलद पटोलपत्र नागरमो थो कट्यालि कुटकी हलद नींबकीछालि त्रिफला येसबबराबार लेटंक २॥ को काटो दोन्यूंबषतदिन १५ देयतौ भगनेत्रसन्निपा तदूरिहीय १० अथरक्तष्टीवीसन्निपात कोलक्षगलिष्यते लोहीथूकेघर तिसघएगीहोय मोहहोय स्वासघणोहोय पेट मैंसूलहोय भ्रमहोय चमनहोय आफरोहोय येजीमेंलक्षणहो यतीरक्तष्टावीसन्निपातजानियें योमहाप्रसाध्यडे ११ अथ रक्तष्टीवीकोजननलिष्यते नागरमोथो पदमाष पित्तपाप डो रक्तचंदन महुवा नेत्रबालो सतावरी मठियागिरिचंदन बका यएकीछालि येसबबराबरिले तिनकुंजौकूटकटिंक २॥ को कादोदिन १५ देतो रक्तष्टीवीसंनिपातदूरिहोय ११ अथवा दूब कारसकी दांड्यूका फूलांकार सकीनासदेतौ रक्तष्टावीसन्निपात दूरिहोय ११ प्रथमलापसन्निपातको लक्षणलिष्यते सरीर काँपै बकैबहुतसरीर तातोघएगोहोयजाय दाहघएगोहोय जुर कोवेगघएणोहोय संज्ञाजातीर है साराअंगविकलहोयजाय ये लक्षणप्रलापसन्निपातकेजानिये प्रथमलापकोजतनलि ष्यते नागरमोथो नेत्रचालो सालपर्णी पृष्टपर्णी दोन्यूंकटाली बीलकीगिरि मरलू कुंभेर पाठ सूंठ पित्तपापडो चंदन परडूसो येसबबराबरिले इनकूंजी कूटकरिटंक २॥ कोकाटोदोन्यूबष तांदिन. १० देयतौ प्रलापसंन्निपात दूरिहोय १२ अथजिकस निपातकोलक्षएालिष्यते भैसास होय कासहोय तापघ लोहोय अरजीभहोय श्ररजीमकैकंटाहोयजाय गूंगोहोजाय
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३७ अमृतसागरतथापनापसागरतरंग अरबहरोहोजाय अरबलजातोरहै येनामेलक्षाहोयताकौजिद्दक सन्निपातकहिये योभाकष्टसाध्यछै अथजिककोजननलिख्यते पच कत्यालीजवासो रास्ना गिलवेनारमोथो सूठिकुरकी काकडासी गा पुहकरमूल ब्राह्मी भारंगीनींबीछालि अरसो कनूर येवरा बरि इनकुंजोकूटकारटंक २॥ कोकाटोदिन देतोजिकसन्निपा तरिहोय१२ अथअभिन्याससन्निपातकारक्षगलिष्यतेनी दावेनहीं स्वासघणोंउतावलोचाले सरीरकांपे सरीरकीसर्वचेष्टा जातीरहै घांघोबोले काष्टवरहोजाय येजीमैलक्षगहोयतीकेअभि न्याससन्निपातकहजे योमहांअसाध्यछे मृत्यरुपछै १३ अथ भिन्याससन्निपातरिकरिवेकेजतनलिष्यने भाडंगा रास्ना पटोल देवदारु हल मंठि मिरचि पीपलिअरडूसो इंद्रायणकाज डब्राह्मी चिरायतो नींबकीछालि नेत्रवालो कुटकी वर पारअरलू दारुहलद कलाली गिलचे निसोतमांकाजड पुहकरमूल नायमा
नागरमोथो जवासो इंद्रजय त्रिफला कचूर येसपबराबरिले इन कुंजोकूटकारटंक २॥ कोकाटोटोन्यूवषतांदिनारदेयनो अभिन्यास सन्निपातजाय १३अथसन्धिपातहरिहोवाकोअंजनलिष्यते लसए पीपलि मिरचिवच परलूकाबीज सांधोलायेसबराब रले इनइंगोमूत्रमैमिहीवारि नेत्रांमैं अंजनकरैतो सर्वसन्निपानडू रिहोय १४ अथसन्निपातडूंनाससिष्यते कालीमिरचि महुवो सांधोलूए चित्रक कायफल पीपलि येसबबराबरले इनकूमिहीं वांटिगरमपातीमैनासदीजैनौसन्निपातहरिहोय१५अथपाठौ जरकारिकरिवेंकोचिंतामणिरसलिष्यते हिंगलूकोकाट्यो पारो सोध्योगंधक अभ्रक तामेंस्वर मरिकालामिरचि पीपलि
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३८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . . २ हरडेकीछालि बहेडाकीछालि आंवला सांध्याजमालगोटा येसब बराबरिले इनसबनकूडघलकापानाकारसमैंषरलकरै पहर दोयताई पाछेनाबडेसकायरतीप्रमागगोलीबांथै गोलादीजेतो आहहीज्वरडूरिहोय अरपेटकीसूलजाय अजाहिरिहोय आम वानडूरिहोय योवैधरहस्यवैद्यविनोदर्मेलिष्योछे १६ अथअमृत संजीवनागरिकालिष्यते हांगलूकोकाट्योपारोटंक २गंधकसो ध्योटंक३ तामेश्वरटंक ४ सुहागोसोध्योटंक २सीगीमुहरोसोध्यो टंक कालीमिरचिटंक ४प्रथमपारागंधककाकजलीकरेपाछे येोषदिमिलाई इनसबनकैब्राह्मीकारसकापुट दीजे पछैचि त्रककापुटा दीजै पाछैईकीगोलीरतीप्रमाएगबांधेगोलीया दाकारसमैदाजैतो संन्निपातने मूर्जानेहरिकरै यहरस मरेमनुष्य कूजिवावेहै परामवानकू यायकीमूलकूसियादाहकू विषमजरकू मंदाग्निकुं सन्निपानकू यहचिंतामृतसंजीवनिगुटिकाइन नेरोगकुंडूरिकरैछै १७ योरसमंजरीमैलियोहे अथकालारिर सलिष्यते पारोमासा१२ सोध्योगंधकमासा२०सोध्योसींगीमो रोमासा१२ कालीमिरचिमासा २०पापलिमासा ४० लवंगमासा धतूरकाबीजमासा१३सहागोसोध्योमासा२० जायफळमासा २० अकलकरोगासा १२ प्रथमपारागंधककीकजलीकरै पाछेवेंकज लामेंयेोषदिमिहावारिमिलावै पाछैइनकोंश्रादाकारसमेदिन ३परलकरै पाछेनींबूकारसमेदिन ३षरलकरैपाछेकलिकारस मेंबरलकरे पाछेरती तथा प्रमाणुगोलीबांथै गोलाषायतो वायकोरोगभरसन्निपातहरिहोय योरसयोगचिंतामणिमेलिष्योछैन्यथत्रिपुरभेरवरसलिष्यते सूठिपईसा४ कालीमिरचि
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अमृतसागरनथापनापसागरतरंग २ . पइसा ४ नेलियासुहागोसोध्योपइसा ३ सांगीमोहरोसोध्योपईसा १ भर पाछैननळूमिहीवांटिदिन ३नींबुकारसमेषरलहरै पाईश्रादा कारसमेदिन ५षरलकरै पाछेपानाकारसमेटिन ३परलकर पा डैकीगोलीरता१प्रमाबांधै गोलीपादाकारसमैरीजैनोसन्नि पातडूरिहोयाऐ अथसंज्ञाकर रसलिष्यने सोध्योसांगामोहरो सांधोलपा कालीमिरचि रुद्राक्ष कटाली कायफल महुवो समुद्रफ ल येसारीओषदिबराबरिले पाछैयामिहीवांटि आकडाषारकी पुट दे पाछेईनैरती तथा रस-३ कानकाछिदमें नथानाकमैंदेश रफूकदेनो संज्ञाहोयावे अरसन्निपातडूरिहोय २० अथब्रह्मा स्वरसलिष्यते पाराकीमरमटंक ३सोध्योगंधकटंक ३यांदोन्यांकी बराबरीसोध्योसीगीमुहरो यांसारांकीबराबरिकालीमिरचिले प छैयांसारांकोयेकजीवकरि कलहारीबंदाल अरज्वालासरवी यांज डांकारसमैं अरादाकारसकीपुर २१ कीसदेरयोरसतयारक रे पाछेरतियोरसदेतोसन्निपानहरिहोय २१ इतिसन्निपात काजतनसंपूर्णम् अथवागंतुकवरकानागउत्पत्तिलक्ष एजतनालिष्यते शस्त्रांदिकांकाचोट उपजीजोज्वर अरभूतादि कांकालगिवांकासंगसेंउपजीजोवर २अरविषादिकांकाषाया सेउपजीजोवर ३अरकामक्रोधसोकभयस्लेहद्वेषादिकांकामा धिक्यनेउपज्योजोज्वर ४अरराजा गुरु मातापितानेपादिलेरयां कातिरसकार उपज्योजोवर ५त्यांसारांहीज्वरांनैागंतुकन रकहिले प्रथशस्वादिकतेंउपज्योजोजरतीकालक्षगलिष्य ते शस्त्रादिककालागिवा उपजीजीपाडा नी वायकोकोपहोय पाछैचावायलोहीनविगाडै पाछेउँकैपीडाहोय अरकैसोजोहोय
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४० धमनसागरनथापनापसागरतरंग २ अरवेंकासरीरकोवाओरसोहोजाय पाडेवेंकासरीरकोवायवकैच स्नैकरैछै१ अथशस्वादिकरांउपज्योजोजुरतींकोजतनलिष्यने ईवरवालानेलंघनकराजेनहीं कसायलावस्तगरमयकोजतनक रिजेनहीं मधुरचाकाव्यषुवाजे अरसेकिवो सावतोपाटीवांधि वानेआदिलेर जथाजोपजतनकाजै सोरवीउगेरैषवाजी अथभूता दिककालागिवा उपज्योजोजरतीकोलाएगलिष्यने सरीर मैंउद्देगहोया कदेकहसेकदेकरोवै कदेककांपेचित्तथिरनहींहो यतीकैभूनादिककोप्रवेशजाणिजे २ अथभूतादिककाइरिकार वाकोजननलिष्यते वेनेबांधिजे ताडनादिककरिजे अरमंत्रजंत्र तंत्रकाजे अरनांसीजेयांमयेरिहोयछै सोथोडाथोडासपहीअज मायलिबूंढूं अथभूनादिककाकाढिवाकोमंत्रऊँहाहीहूँ नमोभू तनायकसयस्तभुवनभूतारिसाधय २९३ ईमंत्रकोमोरकीपांष संकाडोदीजेनोभूनादिकनीकलै अथभूतादिककाकादिवाको इसरोमंत्रलिष्यते नमोनारसिंहायहिरएयकश्यपुवक्षस्थलविदारणाय त्रिभुवनव्यापकायभूतप्रेतपिशाचशाकिनीकोलनमूल नायसंभोद्भवसमस्तदोषान् हनहनसरर चल २ कंपरमथरहुंफट् ३ ठः ठः महारुदोजापयतिस्वाहा इतिनृसिंहरक्षामंत्र ईमंत्र मोरकीपांषसूझाडोदेतोभूनादिकरहेनहीं२ अथभूतादिककाव करावाकोमंत्रलिप्यते नमोक्षगवनेभूलेखरायकिलि २ तारवा यरोदरंष्ट्रकरालपक्राय त्रिनयनभूषितायधगधगितपिसंगल लाटनेत्राय तीव्रकोपानलायामिन तेजसेपाशशुलरवडांगडमरु कधनुर्बारामुद्गरमयदंडासमुद्राव्यग्रदशदोर्टेडमंडिनायकपिल जटाजूटफूटाईचंरारिरामस्मरागरंजिनविग्रहायउयफशिपनि
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४१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग घटायेपमंडिनरंठदेशायजयभूलडामरशात्मरूसंदर्शयन त्ययरसरर वलरपाशेमबंधहुंकारपत्राशयर वजदंडेनहन २ निशिनरवड्रेनििधशलायेएमिंधर मुहरेपचूर्णयरसर्वग्रहा गांधावेशयर ईमंत्रसेतीगरकानमेगूगलमिलायपगोधूपये वै भूनादिकलाग्योहोयजीकनैं अरदहीमंत्र उडदानमंत्र अरघाउ उदांकावेंकैदेतो अोमनुष्यमुकरवकाजिसोहोयतिसोकहे ३पाछे वांमंत्र काटे अरथूपमैनाबकापानबरसांपकीमांचलीमिलावे परभूतारिककाकादिवाकीनासपरअंजनलिष्यने हांगने लसणकापालिचाटिनांसदेनथाअंजनकरेतीभूतादिकडूरिहो य४ येतंत्रोपचारग्रंथमेलिष्याछे अथभूतादिककाकाटिया कोतंत्रलिष्यते तुलसीकापांन-कालाभिरचिन्सहदेई कीजड दीनवार.पवित्रहोयले पाछेयेनीन्यूंमिलायकंठकैबांधेतोभूना दिकरिहोय५अथकोधज्वरकालसरालिष्यते सरीरकांपै मथवायहोय अरपित्तजरकालक्षरामिले तीनकोजरकाहिजे ६अथक्रोधचरकाजतनलिष्यते आध्यासीतलवचनकार अरमनकुंप्यारालागेंग्रेसा लोभकारयोज्वरडूरिहोय अथमान सज्वरकीउत्पत्तिलक्षालिष्यने पुत्रमित्रस्त्रीधनयां आदि लेरज्यांकोनासहोय अरापपाइष्टकोनासहोय परराजाअरब डांजीकोनिरसकारकरेत्यांकैयोमानसज्जरहोयछे अथईका लक्षगलियते सोधपोहोष अनीसारहोयाचे सर्ववस्तमें ग्लानिहोयाचे चित्तम्भमहोयाचे आंसूआवै सासहोया येलक्षणहोयत्तीनेमानसजरकहजे अथमानसज्वरकोजन नलिष्यने ईन्चरकोजननग्यांनमष्यछे अरधैर्यल्यावशो अर
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अमृतसागरनथापतापसागरतरंग २ मिशनरुचिकारिनानाप्रकारकाभोजन परयंजनषाएगा यांसंयो खरडूरिहोय ९ अथपुरुपकेकामचरकालक्षगलिष्यतेजीकैका मज्जरपगटहुवोहोय नोभोजनादिकमेअरुचिहोय मनमैंदाहहो य अरलाजनांद बुद्धिकोधैर्यपगोंयेसाराजासारहै हियोह संभोग मैंहींध्यानरहे नि:स्वासहोया येजीमैलसराहोय नीनैकामज्व रकहिजे अथकामज्वरकाजतनलिष्यते सगुणाकरिकैंसंयुक्त महासरुपसुंदरजीकानेष महागाटाप्रसंचाजीकाकुच अरसोल वरसकीमोठ्यारजोस्त्रीती आछीनरहसंभोगकरेतीकामज्वरडू रिहोय अथवासंदरमहबूबसूसंगकरेतीकामनरहरिहोय अथस्त्रीवकामनरहुई होयतीकालक्षालिष्यतेजांत्रीकेका मज्वरप्रगटहुईहोय ताकमूर्जाहोयआवेभरकासाराअंगमैंम रोडीयावे अरतिसहोय नेत्रचपलहोय कुचमसलावाकामनमा वै पसेवभावै अरहियामैंदाहहोय अरभोजनमैरुचिनहीं अरला जनाद धैर्यएभीजाताररै येजीकैलक्षणहोय तोकेकामज्वरकहिये १२ अथईकोजतनलिष्यतेजीकैकामज्वरप्रगटहुवोहोय सोस्त्री आछीसारीसामग्रीलीयांआपकाभरतारसंसंभोगकरेतीकामज्वर दूरिहोय.३ अथभयन्जरकोलक्षालिष्यतेजीभयचरनगट्हु वोहोय तीकैप्रलापहोय अरमनासारहोय चित्तस्थिरनहींहोयमो जनमेंअरुचिहोय येजीमैंलक्षणहोय तीनेभयचरकहियेश्य थरकोजतनलिष्यते नेहर्षकीवानांकहणी अरवेंकोकहानम् भयडूरिकररण४ अथविषमज्जरकालक्षएलिष्यतेजीपुरषकै वस्थायांपाछै कहींतरैकाकुपथ्य रसधात.छोडि परलोहीने आदिलेरवांधाताप्रामिहोय पित्तकफहेसोविषमज्वरनैकरेंछे
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४३ अमृतसागरनथाप्रतापसागरतरंग ५ अथवावरायांविनाभीजरहोयावेछेजीपुरुषकैसीयोदाहा
अरसीकोअरदाहकोपयोथोडाकोनेमनहीं छै अरसमयकोभानि यमनहींरहै किहींबषतायजाय येजीमैंलक्षणोयनीनषिसम जरकहियेसोषिसमजरच्यारिप्रकारकोछे येकतोसंनतजोरोजी नांआवै।परयेकइकांतरेआवेजानेकांनरोकहिजेरयेकत्तीसरे दिनावतीनेतेजरो कहिजे३येकचौथेटिनावै तीनचतुर्थकक हिजे विषमज्जरकाभेदत्तोपगाछे त्यामेच्यारिभमुष्यछेसोलिष्याडे अविसमज्वरकाजतनलिष्यतेविसमचरवालानेमूंगाकीन थवामोठाकोदालकोपाणीदीजे हलकोराषिजे ठंठोपातीपाजेनहीं अरपटोलहरडैकीछालि इंजय गिलवैजवासोयेसारीत्र्योषदिन रावरिले यांनजीकूरकरिरंक२॥कोकासेदोन्यूबषतांदिन लेय तोसंततज्वरडूरिहोय१५अथवासीतज्वरवालानेयहक्षादि कदेतोसीतज्जरजायसोलिपूंछु कपाली धणेहि गिलचे ना गरमोथो पदमाप रक्तचंदन चिरायती पटोलपत्र परसो पुहकरमू ल कुटकी इंजवनींबकीछालिभाडंगापित्तपापडो यांनीषयांन बराबरिलेत्यानेजोकूटकरिटेक २॥ कोकादोरोजानांदोन्यूबषतांदि ना लेनोसातज्वररिहोया५ अथवा षोडसांगचूसूंभाविषम ज्वरद्वारहोयछसोलिपूंछंचिरायतो नींबकीछालि कुटकी गिलचे हरडेकीछालि नागरमोथो धगो परसोत्रायमाएकमालीकाक डासांगा इंडिपित्नपापडी फूलप्रियंगुपटोल पीपलि कचूर येसा राओषरिवराबारले त्यांनीमहींपासिकपडा छागिरंकासपा सीनलजलसूदिन- लेतीविसमज्वरडूरिहोय१५अथवा चिराय तो करका निसोत नागरमोथो पीपलि पायडिंग टिनींबकी
छालि
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४४ . . अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २ हरडेकाडालि येसारीओषदिवरावरिले त्यांनेमिहीपासिनींचूरगने कागरमपाणीसंदिन ७ लेनोविषमज्जरडूरिहोय अरमूषलागे१७ अथवा साराहीसीयादाह कांतरानेजराउगैरे सांवरांकसरि करैछ सोलिपूंछं सोमलनेभारुवैगएकापेटमेंवार १४ पकाले ती कोभरातोकारले पोवेंबराबरि पीपलि अरहींगलले त्यांतीन्यांकी राईजितीगोलीबांधौ पाछेगोली१पतासामैदे सोलागेजिहपहली तोनिश्सीयोवेलांजरोतेजरोडूरिहोय गोली ३ तथा ५मे१९अथ जीर्णज्वरकालक्षगलिष्यते दिन उपरांनिजुरजांकासरीरमें रहै सूक्षमहीयकर परजांकाभुषजातीरहे सरीरंडूवलोहीयजाय अरपेटमेंफियोहोयावै जीनेजीर्णज्वरकहिजै अथजीर्णज्वर काजतनलिष्यतेप्रथमवसंतमालतीरसजीर्णज्वरादिकानेंडूरिक रैछै सोलिपूंछू सोनांकाउरक भाग जूकाकामोतीरोयभाग२ हांग लूतीन३भाग कालीमिरचि ४भाग षपस्योंगोमूनमेंसोध्योपाठभाग यांसारांनैषरल,मिहीयांटि पाछैगांसारानैंगरकामाषनमें वांकानोलमाफिकषरलकरै पाछैनींबूकारसमेंषरलकरै वाचि कटाईमिटेजेगताई पाछैऔरसनयारकरे पाईयोरसरतीनथार पीपलि सहतकासंयोगसुंदेतोजीर्णज्जर. धानकाधिकारनैं गरमी कारोगर्ने संग्रहणीकारोग. मूत्ररुछनेसासनें षासनें प्रदर. यां रोगांनेयोडूरिकरैछै अनुपानकासंजोग २ अथवा कव्वाली गि लवे हि यांतांन्याकोकाटोदिनालेतीजीएनरनेंरिकरैछै २१ अथवा कचूर पित्तपापडौसंठिनागरमोथो कुटकी कपाली चिरा यती यांनेबराबरिले त्यानेजोकूटकारटंक २॥रोजीनांदोन्यूवषतांदि न११ लेतीजाजरविषमज्जरडूरिहोयरस्योद्यविनोदमैलिष्योछै
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४५ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग अथलाक्षादितैललिष्यते पीपलकालापशेर १पाणीमिशेर ६ लोटेक १० यांनोटायमधुरांचसूईकोचतुर्थासरसकाटे पाछे ईरसमेंगडकोमठोशेर नांषेमिरोनेलशेर १नां अरसोंफरंक २ आसगंधकटंक २ हलदटंक २ देवदारुटंक २ सभालुटंक २ पि तपापडोटंक २ कुटकाटकर मुरिंकरमहलोटीटंकरनागरमोथो टंक र रक्तचंदनष्टंकर रासनाटंकर यासारीश्रौपद्यांनमिहीयोरेईते लमैनाले पाछेसारांकोयेकजावकारमयुरीयांचसोटावे कोर सवलिजाय तेलाईरहै तदिउतारिलै पाईनेलकोमरदनकरतो जाज्वरविषमजरदूरिहोय अरसरीरमैबलहोय २३ अथवा पीप लित्रतीन येकेकरोजानावधैईकईसनाई अरयेकेकहीघटै तीन
आयरहेजगनाईदेईनवईमानपीपलिकहेछै ई जीर्णज्वरबिस मज्वरडुरिहोयपथ्थरहै २४ अथवा बकरीकाडूधकामागांसुंभी जीर्णज्वरडुरिहोय, २५ अथवा नींबकापत्र त्रिफला सुंहिकाली मिरचि पीपलि अजमोद सीधौलए संचरलप विडलुजोषारचि जक चिरायतो पित्तपापडो येसारीऔषदिबराबरिले यांनैमिहींपी से कपडछाराकरिरंका मातेकालहीजलसंनोविषमज्वरजान ररिहोय २६योनिबादिचूर्णछै अथवा त्रिफला दारुहलद दोन कटाला कचूर सूंठि कालीमिरचि पीपलि पीपलामूल मुर्वा गिलवै धणों अरडूसो कुटकात्रायमारा पित्नपापडो मोथो नेत्रबालो नींव कीछालि पोहकरमूल महलौटी अजवायण इंट्जव भाडंगीसह जपांकाबीज फिटकडीवच नजकमलगापदमाषनंदन अनी स पटीवायविडंग चित्रक देवदारु पटोल चयलवंग बंसलोचन पत्रज येसारीओषदिवरावरिले यांसाराऔषधांसुंआधोचिरायतो
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४६ अमृतसागरतथाप्रतापसागर तरंग २ त्यांनमिहीवारिकपडछाराकरे पाछेटंक १सीतलजलसुले तो सर्व चरमात्रने विषमज्वरजीर्णज्वरनेंयोइरिकरेछ योसुदर्शनचूर्ण है २७ अथवा कहींतरैविषमज्जर अरजार्णज्वरजातीदासैनहींती वेनेवेंकारोगमाफिकजुलाबअरबमनकराजेतीविषमज्वर अरजी एज्वरदूरिहोय २८ अथजीर्णज्वरकालक्षालिष्यते पारंपारण नलोजंगलजाय पाटीडकारावै वमनकीइछारहे उदरमैपीडा होय अराफरोहोय पेटमैगुडगुडाटशब्दहोय तदिअजीर्णजुर जाएिजै अथअजीर्णजुरकोषदिलिष्यत अजमोद हरेडेकी छालि संचरलुण कचूर यांनैबराबरिले यांकोचूर्ण मिहींकरिटंका गरमपाणीसुलेतो अजीर्राज्जरजाय१ अथदृष्टिचरकालक्षण लिष्यते भाईघणीआवै उदरमैपाडाहोय हाथपगामैफुटरगाहो य सरीरकीशक्तिजातीरहेतो दृष्टिजुरजांशिजै अरदृष्टिजरको लक्षालिष्यते सेकाहींग कालीमिरचि पापलि मंठि येमिहींया दिरंक २ गरमपाणीसुलेतो दृष्टिजुरडूरिहोय अथवा मुहराउगे रैकौपाणीपावेतोदृष्टिजुरइरिहोयर अथलोहीबिगडयोहोय तीकाजुरकालक्षरालिष्यने अंगमैफुटगीहोय मूंहंडाकरिसा सावै सरीरसिथलहोय तिसहोय मुळहोय आफरोहोय येजी मैंलक्षणहोयीनलोहीकीज्वरजाणिजे अथलोहीकोजुरकोज तनलिष्यने दाष परसो कट्यालाहलद गिलवैहरडैकीछालि अंबराबरिले त्यांनजोकूटकरिटंक २ कोकाटोकारदे काटोसी . तलहुंचांकाटमें अधेलाभरसहतमिलाय दिन देतो लोहाधिग ड्यामंडपज्योजोजूरतीयोइरिकरैछ। अथमलज्वरकालक्ष एलिष्यतेजीमेंमुषसोसहोय दाहहोयम्भ्रमहोय यमनहोय मूर्छ
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४७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग होय मथवायहोय हिलकीहोय पेटमैसुलहोय येसारालक्षजीमो होयतीनेमलजर कहिजे अथमलजुरकोश्रोषदिलिष्यते कुट की पापलामूल नागरमोथी हरडेकीछाल किरमालाकीगिरयेसारी ओषदिबराबरिले यांनजीकूटकरिटंक २ कोकाटोकरिदेनीमलजुरडू रिहोय ओकिरमालपंचकछे। अथगर्मिणीस्त्रीकीजरकोजतन लिष्यते रक्तनंदन राषगौरीसार षसमहलौरी महुवोधगो नेत्रया लो मित्रीयांसारानैंबरावरील त्यांकोकाटोस्नि देतो गर्भिशास्त्रीकी ज्वरजाय। अथसूतिकावरकालगलिष्यते अंगामेंफूटपणी होय सरीरतातोहोय कांपएगीहोय तिसोहोयडीलमास्योंहोयसोजी होय अतीसारहोय येजांमैंलक्षणहोय तीनैसूतिकाज्यरकहिजै। अथसूतिकाज्वरकाअोषदिलिष्यते अजमोदजीरो बसलोचन घेरसारविजेसार सौंफ धणों मोचरसः यैसारीबराबरिलै त्यांनैजो कूटकरिटंक २ कोकाटोदिन लेतोसुनिकाचरडूरिहोयाअथवा दसमुलकोकाटोदेनौसुतिकारोगरिहोय सोलिबूंडूंसालपर्णी पिष्टपर्णा दोन्यूंकटेली गोषरू चालकागिरि अरण्युअरेलु कुंभेरे पा र पापलि येसारीबराबरिले त्यांनेजोकूटकारटंकर कोकाटीदिन. लेतीसुतिकारोगजाय अथवालककेजरहोयतीकोउत्पत्ति लक्षगलिष्यते बालककीमाता अथवा पाय कूपथ्यकरै गरिष्ट वस्तषाय नदिबालककैनानाप्रकारकारोगहोय अरज्वरहोयसोबा लककारोयबासुंजायोजायजूरप्रत्यक्षमालुमहोय अथबालक कीजरकोजतनलिष्यतेपालककामाताकेने अथवा धायनेंप थ्यराषिजै अरहलकाभौजीजेअथवाबालककीमानाकैदूधन होहोयतोबकरीकौडधदाजैअथवानागरमोथो हरडेकाछाल प
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४८ अमृतसागर नथाप्रतापसागरतरंग रोलमहलोरियेसारीओषदिमासाभरलेतीकोकाथकरिदिन देतो बालककीजरडूरिहोयाअथवा पाल महलोनी उर महुचौ यांकोमि हीचूर्णकरिमासो१सहतमैदेतो बालककीवरडूरिहोयर अथवाषा लककैअनीसारनैलीयांवरहोयतो अनीस वीलकीगिरि इंद्रजवधा वड्याकाफुल लोद धगों नेत्रबालो यांकीमासारभरकोकारदेतो या लककोवरातिसारडूरिहोय ३अरबालकका डीपकिगईहोयतो घृत सेकेतोपाळीहोय ४ अथपेटमैक्रमिपडीगईहोयतीस उपजीजोवरतीकोलक्षगलिष्यते जुरहोयावे सरीरकोवर्णी रसोहोय पेटमैसूलहोय हियोडू वमनश्रावैभमहोयभोजनमें रुचिहोय अतीसारहोयतो रुमि उपजाज्वरजाणिजे अथईको जतनलिष्यते पलासपापडी नींबकीछालि सहजशांकीजड नागर मोथो देवदारु वायविडंगयांओषधांनैबराबरिलेत्यांनेजोकूस्कार टंकर कोकाटोदिन ७ देतो पेटकीरुमिहरिहोय अरयोज्वरजाया अथकालज्वरकालक्षगलिष्यतेज्वरकोवेगयोंहोय अर्थासास होयसरीरकीकांतिजानारहै पसेवावै सरीरसिथलहोजायनाडी हाथलागेनहीं सारीइंद्रियांकाधरमजातारहैतोकालज्जरजाणिजे थईकाजतनलिप्यने गऊपथानादिलैश्रामाफिकदांनकराने ईश्वरकोस्मरराकराईजौ अरसन्निपातकाजतनपाछेकह्यासोक रिजै अथज्वरकादस १० उपद्वछैसोलिपूंछूनिसघणीलागे? षासाहोयरसासहोय ३ हिचकाहोय ४ वमनहोय५अतिसारहोय ६ अरुचिहोय ७ बंधकुष्टहोय-आफरोहोय९मूर्जाहोया अथ उपद्माकोलक्षगलिष्यते प्रथमज्जरहोयपाछै औररोगहोय यो जरकोजतनकरियादेनहीं११ ईनै उपद्रयकहिले तिमनोज्वरकास्त्री
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४९
२
अमृतसागरतथाप्रतापसागर तरंग षाससासज्वरकावेठाडै हिचकी परवमनज्वरकी बैठी प्रतीसारज्व रकौभाईछे अरुंचिज्वरकी वहाछै बंधकुष्टज्वरकैौभांणिजोंछे प्रा फरोज्नरकौसुसरोछे मूर्छाज्वरकीवांदीछे याँमेजीबलवान होयतीं कोजतनकीजे प्रथज्वरत्र्यतीसारयेदोन्ंयेक ठाहोयतींकोज तनलिष्यते सुंठ तीस नागरमोथौ चिरायती गिलवे कूडाकी छालि यांनें बराबरिलें त्यांनैजोकूटकरिटंक २ कौकाटोरोजीनांदि न ७ देतोयोरोगदूरिहोय १ अथवा पीपल पीपलामूल चव्य चि त्रक सूंठ बीलगिरि नागरमोथो चिरायतो कुटकी छालि इंद्रजव यांसारानेंबराबरिलै यांनेजौकूटकरिटंक २ को काटोकरिदिन तैं तो ज्वरातिसारनें मूषसोसनें हिचकीनैं तिसने वमनने सासने पा सनैं यांसारांहीनैयोदूरिकरैछै २ अथज्वरर्मेतिसघणी होयतीको जतनलिष्यते धण नागरमोथो पित्तपापडी यांनैजोकूटकटिं कर कौकादौदिन ३ देतो तिस दाह अतिसारदूरिहोय ३ अथवा वडकाअंकुर चांबलांकीषील कमल गटा यांनें बराबरिले त्यांनेमि ह्रींबांटिसहतमैंगोलीकरै गौली मूंटामैराषे तोनिसइरिहोय ४ म थज्वरमैंषासहोयती कौजतनलिष्यते पापलि पीपलामूल सूं ठि भाडंगी बेरसार कट्याली भरडूसो कूलीजन बहेडी यांबराब रिलैटंक१ कौकाटौदिन ७ देतो जुरकोषासजाय १ प्रथजुरमैंसा सहोयत कौजतनलिष्यते सूंठि मिरचि पापछि मौथौ काकडा सांगी भाउंगी पुहकरमूल येबराबरिलै यांकोटंक १ कौकाटीदिन ७ देतीजुरको सासरिहोय १ अथज्वरमै हिचकी होयनोंकोज तनलिष्यते जलसांधालूानोंमहिवांटित कीनासदेवी हिचकी इरिहोय १ अथवा मौरका चंदवाकीराष पर पीपलिस हनमेंवटा
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५० अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग वैतो हिचकी अरवमनहरिहोय ३ अथजुरमैवंमनहोयतीकोजत नलिष्यते गिलटंकसवा । कोकादोराहतमिलादेतो ज्वरकोवमनदु रिहोय ४ अथवा मांषाकावाटरतीरसहत्तमेंचढावेतोछर्दिरिहोय ५ अथवा चावलांकाषील पीपलिसहतमेचदावेतोछर्दिरिहोय६ अथवरमेंमु होयतींकोजतनलिष्यते किरमालाकीगिरि दा ष पित्नपापडी हरडेकीछालि यांकोकादोटंक २ कोकरिदेतोमूर्जाडू रिहोय' अथजुरमैंबंधष्टहोयअराफरोहोयतीकोजतन लिष्यते साबगकीवाताकरिगुदामेंमेलेतीबंधकुष्टअराफरोदो गुंडूरिहोया अथज्वरमूषसोसहोयावेअरजीभकोविर सपोहोयतीकोजतनलिष्यते मिश्रीअरदायूंकावीजांकाकु रलाकरै अथवा दाष परदायूंकाबीजांकाकुरलाकरैतोमुषसोसत्र रजीभकोविरसपणोंदूरिहोया अरजुरमैनींदजातारहैतीकात्रावा कोजतनलिष्यते आलुबूषारो१सेकीभांगिरती सहतमैचटवेतो नींदावै अरअतीसारसंग्रहणीदूरिहौयभूषलागे अथवा पीप लामूलटंकी गुरमैषायतीनींदमुकरावै २ अथवा अरंउकोतेल अरअलसीकोनेल येदोन्यूंकांसाकाथालीमैघसि ईकोअंजनकरतो नांदमुकर आवै३ अथज्वरउतरिगईहोयतीकोलक्षरगलिष्य ते सरीरसारौहलकोहोजाय मस्तगमेंषुजालियावेहोरामेपाप रीहोय सर्वइंद्रायांआपकाविसेनेग्रहणकारवालागिजायसरीर कासारीच्यथाजातीरहे सारासरीरमैपसेवाजायभूषघगीलागे छोकआमलकीप्रवर्तिहोय यैलक्षणहोयतदिनरनिश्चेडूरिहवीजानी – स्पागोपुरषडरिहुवापाछेभा अतनीवस्तकरेनहींवलसरीरमैवापर जबताई अरपथ्यमेरहै मैथुनव्यायाम डोमागवो घोषावो यां
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५१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नेपादिलेर येतीवसकरेनहीं इतिश्रीपाठोज्वरकीउत्पत्तिलक्षण जतनसंपूर्णम् इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराज्यराजराजेंद्र श्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरचितंअमृतसागरनामग्रंथेसर्वज्जरकार त्पत्तिअरसर्वज्जरलक्षण अरसर्वज्वरकामुष्यमूष्यजनननिरूपणेना माहितीयस्तरंगःसमाप्तः॥२॥ ७ अथवतीसाररोग कीउत्पत्तिलक्षजतनलिष्यते इतनीवस्तासुमनुष्यांकैअतीसा रकोरोगपैदाहोयछै भारीवस्तमैदाउगेरैकाषावासंघपाचीकपीवस्त काषावामु लुषीवस्तकापावासुं गरमवस्तकाघानासु पतलिसीतल वस्तकाषावासु विरुहवस्तकाषापासुंभोजनउपरेभोजनकरियासुं विसकाषावासं मलकीवाधाकारोकिया ईतनीयस्तासुमनुष्यके अतीसारकोरोगपेदाहोयछे अथप्रतीसारकोखरुपलिष्यते मनुष्यांकासरीरमेयांकुपथ्यांसुजलधातवधैतदिउदरकाअग्निसां निकरै नदिनोजलहैसोषिष्टासंमिलि पचनकोपास्पोथकोगुराकामा रंगसुंपतलोमलनीचे कुंघगोचले तीनैअतीसाररोगकहिलेछ सो अनीसाररोगछे६ प्रकारकोछै येकतोवायको१पित्तकोरकफको३ सन्नियातको ४ सोचको ५ प्रांमको अथञ्चतीसारकोपूर्वरुप लिष्यते प्रथमहियोनाभिगुदाउदरपेडू यांमैपीडाहोय अंगामेंफू टणीहोयं यदाकोपवनरुकिजाय बंधकुष्टहोयावै आफरोहोय अन्नपचनहीं तदिजाणिजेमनुष्य के अतिसारहोसीअथवायका अतीसारकोलक्षगलिष्यते येकललाई.लीयांमलहोय अ रमलमैंझागमिल्याहोय मललुषोहोय अरथोडीथडोवारंवारजाय अरमसुंमिल्योथकोमलजाय अरमलजातांपैड्रमेंपीडाहोय तो वायकौअतीसारजाणिजे अथवायकाअतीसारकोजत
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५२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ३ नलिष्यते वच अतास नागरमोथी इंदजवसूठि यांनवराबरिले त्यां नैजोकूटकरिटंक २ कोकादोदिन देतीवायकोयतीसारडूरिहो या अथवा इंद्रजव नागरमोथोलोद बालकागिरि अांबकीरांट ली धावयाकाफुल यांनेबराबरिलै त्यांनैमिहींवांटिचूकिरिटंक २.सिकीछाछिमेदिन लेनीवायकोअतीसारदुरिहोय २ अथ पित्तकाअनीसारकोउक्षरालिष्यते मलपालोजाय अरलाल अरहस्यो अरडूरगंधनेलीयांगलजाय अरपतलोजाय अरगुदा पकिजायसरीरमॅपसेवावे निसलागेसरीरमैंदाहहोय मुर्ग होय येलक्षणजीमेहोय तीनपित्तको प्रतीसारकहजे अथपित्त काप्रतीसारकोजतनलिष्यते बालकागिर इंद्रजच नागरमोयो नेत्रबालोअतीस यांनैजोकूटकरिटंक २ कोकाटोरिन- देतीपि तकोअनीसारजाया अथवा रसौत अतीस इंजय धापड्याका फुल मूटियेबराबरिलेत्यांकोमिहींचूर्णकरि चावलांकापागोसंट क२॥ तमेसहतमीलायदिन लैनो भयंकरभीपित्तकोअती सारजायर अथवाबीलकीगिरनेत्रबालो मोथो इंट्जव अतीस यांनीषयांनेलताडोकादोरंकरकोदिन करिदेनो पित्तकोअती सारजाय ३ अरपित्तप्रतीसारकोरक्तानिसारभायैदछै जांधणीगर मवस्तषाईहीयतीकैपित्तवर्धे वेकोलीहाधिगडै नदिवकीलोहानैमि ल्योमलउतरेनदिवोंनेरक्तातिसारकहेछै अथरक्तातिसारकोज तनलिष्यले कुराकाडालि दायूंकायोडरा यांदीन्यांनेटकाभारले त्यांकोकाटोकरिकादामैटंक ५सहतमिलायदिन लेलोरक्तातिसा रजाय अथवा कुडाकीछालि अतीस भोथी नैनबाली लोदर कचंदन धावड्याकाफल दाडंकायोडा पाछै गाने बराबरिले
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अमृतसागर नथापनापसागर तरंग पाछेयांनजीकूटकारटंक २ कोकाटोकारतीमेंटंक २ सहतनाषि दिन ७ देतोरक्तातिसारनैंदाहसुलसंयुक्तनेयोहरिकरैछ २ अथ वारूपेदचंदनरंकी मिहींवांटि नीमैसहतटकर मिश्रीरंक र संदि नन् चाटेतो रक्तानिसारजाय अथवा मातीदाडमकोपुटपाक देसहतमिलायचाटैतौ रक्तातिसारजाय ४ अथवा बकरीकोडूध मांषनसहतामनायेसारमिलायषायतौ रक्तातिसारजाय बंधही य५ अथगदापकिगईहोयतीकोजतनलिष्यते परोलमहलो दी महबो यांनीटायपाछेउँटोकरिपागासंधौवेतो गुदाकोपा काछ्यौहोया अथवा बकरीकाधमेंसहतमिश्रीमिलायसे थौवेतोगुदाकोपाकाछयोहोयर अथवागौहाकाचूनमें धृनमि लायपाणीसुप्रीसशिवेंसुं हावतोसुहावतोसेंकैनौगुदाकोपाक आयोहोय३ अथकफातीसारकालक्षगलिष्यनेजीमल चीको अरसुपेद अरजाडो अरडुर्गधिनेलीयां अरसीतल पर थोडीपाडानेलीयांजाय अरसरीरभास्वोरहै येजीमैंलक्षणहोपनी नैंश्लेष्यातिसारकहजै अथश्लेष्मातिसारकोजतनलिष्यने कफातिसारवालाने दोयच्यारिलंघनकराजे कैमूगांकोथोडोपथ्यदीजे पाईयोकाटोदाजे चव्य अतीसकूठ बालकागिरिसुंठिकुरा कीछाल तजयमेजोकूटकाररंकर कोकाटीदिन देतोषणाऽनि सारजाया अथवासेंकीहींग संचरलु सुंठिकालीमिरदिपीप लि अतीस येबराबरिलै त्यांकोचूकारटंक १ दिन ७ लेतीले भानिसारजाय२ अथसन्निपातकाअतीसारकोलक्षरालि ष्यतेजोंकोसुरकामांससिरकोमलहोय अरजीमलमेंअनेकरूप मोदीषे अरवेंपुरषकेनेत्रामेतंद्राहोय तिसहोय मुषसोसहोयभ
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५४ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग ३ महोय मोहहोय अरयोबालककै डकैसीकेहोयतोश्वसाध्यजाणि जैी अथईकाजतनलिष्यने पीपलि पीपलामूल चव्य चित्रक मुठि परेंटीबीलकागिरि गिलवे मोथो पार चिरायतो कूडाकीछालि इंद्र जप यांनजोकूटकरिटंक २ कोकाटोकरिदिन १० देतो सन्निपानको तीसारडूरिहीय१ अथवाजांगीहरडै सुंठि मोथो येबराबरिले त्यां मैमिहींवांटिपुराणागुरमैंटंकरदिन ७ षायतौ त्रिदोषकोअतीसार दूरिहीया अथवा कुडाकीछालिले तीकोपुटपाककाररसकाटे पाछैवेरसमेसहतमिलावेटंक ५ पाछेदिना लेतोसन्निपातको अतीसारजायर अथसोचकाअतीसारकोलक्षणलिष्यतेजी पुरषके पुत्रमित्रस्त्रीधन यांकानासकासोचसुंउदरकोअग्रिहेसो मंदहोय सरीरकोवाहिरलोतेजहैसोउदर,जायं पाछेरक्तनैविगा डेछै पाछेोरक्तविष्टासुंमिलि अथवा नहीं मिल्यो श्रोहीगुदाके द्वारनीकलैचिरमीसिरीको नीनेसोकातिसारकहिजे योदोहरोजाय औसोचरिडवाजाय अरईसीतरहीकहींनकाभयसुंभाउपज्यो सोभयातिसारभीजांदिललीज्यो अथसोकातिसारभरभयातिसा रकोजननलिष्यने ओबायकाअतिसारकोजतनछेसोहाजालिली ज्यो अथप्रामातिसारकोलक्षरालिष्यतेजांपुरषकैप्रथमभी जनकोजार्णहोय पाओगरिष्टवस्तषाय तदिवेंकैवायपित्तक फहैसो कोठामैजायधानकासमहर्ने परमलनॉषिगाई अरचेमलने सुलसंयुक्तदुर्गेधिनेलीयांजीमेंअनेकवर्णईसामल गुरारकादै तीनैवेद्यन्नामातिसारकहेंछे श्ररमलहेसोजलमेतिरै बहेसो जलमेषिजाय अरयांबडधिमेलीयां अरसुपेदाईमेलीयांप रचिकटाईनलायांहोयडेयौईकौलक्षणछ। अथामानिसा
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५५
३
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रकोजननलिष्यते धों सुंठ वीलकीगिरि नागरमोथो नेत्रबल यांनॆबराबरिलै त्यांनेज्याकूटकरिटंक २ कौकादोकरिदिन ७ देतो रोगमाफिकदिन १० तथा १५देतो आमातिसारनैं सुलनैयोइरिकरै छें योधणापंचक ? अथवा जांगी हरडे मौथो सूंड अतीस दा रुहलद येबराबरिलै त्यांनेजो कूटकरिटंक २ कौकाटोदिन ७ देतो ग्रामातिसारइरिहोय २ अथवा जांगीहरडे अत्तीस सेकीहांग सं चरलुएगा सीधोलुएरा यांने बराबरिलै त्यांनैमिहीपीसिटंक २ गर मपालीसंलैतौ आमातिसारइरिहोय ३ अथपक्वातिसारकोज तनलिप्यते लोट धावड्याकाफुल वीलकी गिरि मौथो त्र्यांवकारां उलि इंद्रजव येबराबरिलै त्यांनेमिहींपासिटंक २ भैंसिकीछाक्षिमें लैतौ पक्वातिसारदूरिहोय ४ अथवा अजमोद मोचरस सुंठ धा वड्याकाफुल जामुणिकी गुटली आवकीगुटकी यांनेबराबरिलै त्याने महापासिटंक २ गऊकी छाछिमेलैतीपक्वप्रतिसारजाय यौ लघुगंगाधरचूर्णछे ५ अथसोजातीसारकोजतनलिष्यते साटीकीजड इंद्रजव पाट वायविडंग अनीस नागरमोथौ काली मिरचि यांनैबराबरिलै त्यांनेजौकूटकरिटंक २ कौकाटोकरिदिन ७ देतोसोजातिसारजाय १ अथप्रतीसारमें छादणी होयतीं कौजननलिष्यते सबकी गुटली बीलकीगिरि येदोन्युंटंक २ लैतौ त्यांकोकाटोकरि काटामेंसहतटंक २ मिनीटंक 2 मिलायदि न ७ लैतौ अतीसारछर्दिसमेत डुरिहोय? अथवा सेक्यामुंग चावलांकीषील यांदान्योनैमोटायती मैं सहनमिश्चिमिलाय दि न ५पीयॆतॊ छर्दि अतीसार दाहज्वररिहोय' अथच्पतीसार कौभेट्यौडानिवाही छेती कोलक्षणलिष्यते कुपथ्य का करि
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५५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग वावालौजोपूरसतीकैवायवथ्योथकोकफसंमिलिमोडानिवाहीनैक रैछ वामोडानिवाहीपुरषकैस्यायतमेमोडोराचाले थोडी अथवा घगोमलनेरादाबाराकाटेछै तीनमौरानिवाहीकाहजै सोमोडानिवा होच्यारिप्रकारकाछै वायकीपित्तकारकफकी३ लोहाकी ४जीमें पाडाघणीचालैमलउत्तरै तीनेवायकाकाहिजेजीमैंदाहगाहोय तीनपित्तकीकहिजेजीमेंकफ्सुमिल्योमलजाय तीनेकफकाकहेजे अथयांच्यारुहीकाजतनलिष्यतेबीलकीगिरिलोद कालीमिरच येतील्युंपईसापईसाभरिलै पाछेयानेमिहीवांटिटंकासहतमेचा रेतौ मोडानिवाहीदूरिहोय १ अथवाधावड्याकाफुलरंक २ यांने मिहीनांटिदहाँकैसातदिन ७ षायतोमोडानिवाहीजायर अथवा कैथकोरसरंक ५सहनकैसाथिदिन षायतो मोडानिवाहीजाय ३अथवा लोदटंकर दहीकैसाथिदिनषायतो मोडानिवाहीजाय ४ येसाराहीलक्षरगअरजतनभावप्रकासमेंफयाछे अथा मातिसारकाऔरजतनलिष्यते हरडैकीछालिमिहीनांटिटंकर सहत दिन ५षायती आमातिसारडूरिहीया अथवाभांगराकोर सरंक ५दहीकैसाथदिन ७ षायतो सर्वप्रकारकाअतीसारानेडरिक रै२ अथवारालटंकरमिनीटंक१० मिलायईतौलदिन लैनौष पादिनाकोभीअतीसारजाय ३अथवा बालकागिरिटंकरबकरी काढूधकैसाथिदिन पावैनौरक्तातिसारजाय ४ येवेद्यविनोदमें लिष्याले५ अथवाधणों सुंडि पीपलिसांधौलूराजमोदसै काहींग जोरी यांनैबराबरिलै यांनैमिहावारिदहांकामठामें टंकर लैंतीसाराअनिसारसुलामडरिहीयभुषलागेरुचिहीय योदमें लिप्पोनें अथवासंग्निजलसंमिहींपासवैकोगौलौकरि गोला
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३
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नैपरंडकापानासुंलपैरसतवांधि पाछेवेंऊ परेमाटीलपेटे मुधरी त्र्यंचसंपकावे पाछेमाठी उगेरे सबदूरिकरसुंठिकाढिले पाछेवेंने उंटीकरिटंक २ सहनसंदिन ७ घायतेोश्रामअतिसारजाय अ थवा येकभाग अफीमदौयभाग हींगलुतीनभाग लवंगचारिभाग मोचरसतीनभाग मिश्रीयांनैमिहीवांटिरती १ तथा २ साठ्याचांव लांकापाणी मैं अथवा छाछिकैसाथिलैनोभयंकरमीप्रतीसारजा य अथवा नागरमोथो मोचरस लौद धावड्याकाफुल बीलकीगि र इंद्रजव अफीम सोध्यौपारी सोध्यौगंधक यांनैबराबरिलै प्रथ मपारागंधककीपरलमैं काजलीकरै पाछेयेसारीयोषदिमिहींवां टिवेंकाजलीमेंमिलावे पाछेईनैरती ३ छाखिसुंदिन १० लेतो प्रती सारनैं मोडानिचाहीने संग्रहणाने साराहींनैयौ गंगाधररसइरिकरै खै १० अथवा सुंठ जायफळ अफीम काचीदाडमकाराला येसारा बराबरिले पाछेसरवतयेकटाकरिकाची दाडुमेभरै पाछैवेंकोपुट पाककरिपाखैवैंकीगोली चिरमी प्रमाणबांधे पाउँगोली १ गऊ कीछाछिसुंदिन ७ देतेोपक्का तिसारनैंइरिकरै ११ अथवा अमल नैवीकरामैयूधरीत्र्यांचसुंसै कलैपाछै अनुमानमाफिकदेतो ती सारनिश्वेडुरिहोय १२ अथवा जायफल लवंग धावड्याकाफुल बीलकीगिरि नागरमोथो सूंठ मोचरस हींगलु अमल येसारी षदिबराबरिले यांनैनिपटमिहींवांटि छांतराकापाणीसुं रती १ त था २ कीगोलीबांधै गोली १ -चांवलांकापाणीसुं अथवा छाडिदि न ७ तो निसरबचतीसारजाय १३ अथवा जायफल तया अफीम यतीन्युंबराबरिलै त्यांनेपानाकारसमैरती १ प्रमाणकी गौलीबांधे पाठैगौली १ छाछिसुंदिन ७ देतो भयंकरभीतीसारडु
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ус
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रिहोय १४ अथजीकैपतीसारहोय सौननीवस्तकरैनहीं न यौपन्न गरमवस्तभायो चीको भोजन तावडी षेद मैथून सनांन चिंता येअतीसार वालोकरैनहीं यौवैद्यविनोदमेलिष्यो १५ अथ अतीसारकौत्र्मसाध्यलक्षगलिष्यते सूरकामांस सिरकोमलहो यतिस दाह अरुचि सास हिचकी पसवाडामैसुल मूर्छा पर कौईवानमेंमनलागेनहीं येजीमेलक्षण अरगुदापकिजाय अग्निजीकीजानीरहै तिसजीनेंघणीलागे अरज्वरभीर है परमुत्रबंधहो य परसरीरकौबलजातोरहें येजींच्प्रतीसारमै लक्षणहीय सौपुरष मरिजाय अथप्रतीसारजी कोजानोरन्यो होयती कोलम्सलि ष्यते जीकैजंगलविनांमूनऊतरे मरगुदाको पवनप्राछी तरह चलै अरत्र्याडीभुषलागे अरकोठोहलको हुवोहोय येजीमेलक्ष एराहोय तींकोअतीसारकौरौगडुरिवोजाणिजे इतित्र्पतीसार रोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनसंपूर्णम् १ ५ अथसं ग्रहणी रोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यने अथसंग्रहणी की उत्पत्तिलिष्यते प्रथममनुष्य की अतीसार होयकरि ती सारतोजातोरहै पाछेोमनुष्यकूपथ्यकरै तदित्र्यग्निमंदहोय सौत्राग्निमंदहुईथकी पूरषका उदरमैंरहतीजों ठीकलाजी को नामग्रहणाचे बालकात्र्यग्निकोस्थान अन्नादिकजोषाइजेजे नीने वाग्रहाकरैछे सोवामंदाग्निवैंकलानविगाडेछें सोना कला विगडीथकी काचाश्रन्ननेोग्रहकरे अप्राकाम्यन्नने गुदा द्वारकादेछे वास्तेवैद्य हें सोईरोगको नामसंग्रहणीक ईग्रह
कलाकै अग्निही कोबनचे सोवाकलाश्रमिनेटकरे अथसं ग्रहणी रोगकालक्षणलिप्यते प्रथमसंग्रहणीच्चारि ४ प्रकारकी
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
छै येकतोवायकी १ पित्तकी र कफकी ३ सन्निपात की ४ येवायपित्त कफ है सो घणावध्याथकाकुपथ्यसूं वाग्रहणीकलाघोषाय पणि काचाही अन्नदाहाराकारैछे अथवा पक्यामन्ननेका तौभीपी उचालिकादैमलनें कदेकतोचंध्योमलजाय परकदेकपतलोही जाय योई संग्रहणी रोगको लक्षण अस्पतीसारसंग्रहणी में यो दछै प्रतीसारवालोतोपतलोमलजाय अरसंग्रहणीचा लोवंध्योम लपीडार्नेलीयांजाय। अथवायकीसंग्रहणी काउत्पत्तिसमे तलक्षगलिष्यते जोपुरषवायलवस्तको घणोसेवन करें परमि थ्याविहारमैथुनादिकघृणाकरै ती पुरुषकैवायकुपित्तहुवोधको जठ राग्निनविगडिवायकी संग्रहणीनेंकरे तींपुरसके अन्नषायोदो हरोपचे रवेंकोकंठसूकै भूषलागे तिसलागे कानांमें शब्द होय अपसवाडा में जांघा में पेडूमै काधामेंपीडाहोय परकदेविस् चिकामी होय हियोषै सरीरडूबलोहोय जीभ को स्वादजातोर है मीठा उगेरै सारारसांकाषावांकाकी इच्छारहै अरभोजनकस्योहो यसोपाचजाय तदिग्राफरोहोय परभोजनकरैतदजीवचैनपाचे अरपेटमँगोलाकी फीयाकी च्यासंकार हे अरमोडोदुषनैलीयां थोडोसोमागांसमेतिपवन सरतोथको बार बार मैजंगलजाय भ रजीकै सासषासभीहोय येजा मै लक्षणहोयतीनें वायकी संग्रह लीकहिजे १ प्रथवायकी संग्रहणीकोजननलिप्यते सूंड गिलवै नागरमोथौ प्रतीस यांनेबराबरिले पाछैयांनेजौकूट करिटंक की काटीदिन १५ देतो त्र्यांबसमेतिवायकी संग्रह वीजाय रभूषये श्रवाति तद्धि पीपलामू ल घीपाल चित्रक दव्य येसारीदरावरिले तीको चूर्णफरिदक
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६. अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ३ रोजानांछाछिमिलायधापिच्छाडिहीकोषूनसेवनकरेतीवायकासं ग्रहणीमुकरजाय२ अथवासोध्योगंधकटंक२॥ पारोकायांदोन्यां कोकजलीकरै पाछेसूठिमासा मिरचिकालीरंकशापीपलिमासा पांचूलगमासा सेकाअजमोदरंक ५सेक्योजीरोटंक ५सेकाहींगटे क५सेक्योसुहागोरंक५सकामांगपईसा ४भर यांसारांनमिहीपी सि पारागंधककाकजलीमैमिलाय पाछेईनदिन र परलकरें तदि योलाईचूर्णहोय पाछेईनेमासारतथा ४ गउकोछाछिमेंदेतोयाय कासंग्रहणीनेंडूरकरे अरमंदाग्निर्ने अतीसारनैं बवासीरने पेट काक्रमामैं क्षईरोगनै यारोगानेंयोलाईचूर्णडूरिकरैछै ३ अथपि तकीसंग्रहगीकी उत्पत्तिभरलक्षगलिष्यतेजोपुरषगरमव स्तपातकालीउगेरै तापीवस्त पाटीवस्त पारिवस्त घगीषायतीकै पित्तदुष्टहोय पाछैप्रोडष्टपित्तहसोजठरागिनेबुझायदेछै नदिवेंकै कचाहीमलनेकादै नीलो पालोपतलापरणानेलीयां परवेनैषारी उकारावैहियामैकंउमैंदाहहोय अरुचिहोय निसलागेयेजीमैंल क्षणहोय तीनपित्तकासंग्रहणीजाणिजे अपित्तकासंग्रह गीकोजतनलिष्यतेरसोन अतीसरंदजव तजधावड्याकाफू ल येसारीबराबरिले यांकोमिहींचूर्णकरिरंक २॥गऊकीछाछिस् अथवासहतसूं अथवानांपलांकापाणीदिन १५लेतो पित्तकी संग्रहणीजाय अथवाजायफलचित्रकसुपेदचंदन वायविडंग इलायची भीमसेनीकपुर बंसलोचनजीरो सुटि कालीमिरचि पीपलि तगर पत्रज लवंगयेसारयोषदिबराबरिले पाछेयाने मिहापासियांसंडूतीमिश्रामिलावै अरसार ओषयाबराबर मि . श्रीविनासेकीभांगिरमिलावै पाछैयांसारांनौमिहींपासिमासा४
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग तथा ६ गउकीछाछिकैसाथिदिन १५लेती पिनकीसंग्रहगीजाय रयेचे घरहस्यमेलिष्याचे अथकफकासंग्रहणीकीउत्पत्तिलक्षपलिय ते भारीवस्त अतिनीकरणीवस्त सीतलवस्त जोषाय अरभोजनकरिके सोयजायतींपुरसकेकफकोकोपहोय तदिवेंकोअन्नदोहरोपचे भर हियोदूषै अरवेंकैछर्दिहोय अरोचकहोय मुषमीठोरहै षासीहोयपी नसहोय पेटभास्योरहै मीठीडकारावे स्वाप्यारीलागेनहीं आमसु मिल्योमराजाय बलविनासरीरपुष्टीषे आलसघणोभावे येजीमें लक्षराहोय नीनैकफकासंग्रहणीकहिजे अथकफकीसंग्रहणी काजतनलिष्यते हरडैकीछालि पीपलि सूठि चित्रक संचरलूप का लीमिरचि यांनबरिबरिले यांकोमिहीनूर्णकारिटंक २॥रोजीनां गाडि संदिन १५ लेतो कफकासंग्रहगीजाया अथसंन्निपातकीसंग हणीकोलक्षगलिष्यते जामवायपित्तकफकासाराहीलक्षामि ले तीनैसन्निपातकासंग्रहणीकहिजै अथसन्निपातकासंग्र हरणीकोजतनलिष्यत बालकागिरि मोचरस नेत्रवालो नागरमो थो इंद्रजव कुडाकीछालि यांनेबराबरिले त्यांनमिहीपीसि पाछैटे क २॥बकरीकाधमैदिन २५ लेतीसन्निपातकीसंग्रहणीजाय १ अथवा अनारदाणाटकाभर संचरलूटकारा भर जीरोटका।। भर धरणोपईसा २५भर सूंठिटकाभर कालीमिरचिटकाभर मिश्रीटकाभर यांसारानेमिहीवांटिटंकशागऊकीछाछमैम हीनो' लेतौ सन्निपातकासंग्रहगीजाय परप्रामातिसार पस वाडाकापीड अरुचि गोलाकोबाजार येसाराहूरिहीय२ अथवा पारोसोध्योगंधक सोध्योसांगिमुहरोसुंठि कालीमिरचि पीपलि सेक्योसुहागो सारअजमोद अमल येसारीबराबरिले अरयांसा
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६२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ३. रांकीबराबरिकी अनकले पाछेयासारांनेचित्रककाकाटाकारसमेदि नषरलकरे पाछैकालीपिरचिपमाणगोलीबांधै गोलारोजीनाम हिनां ताईपायतो संन्निपातकीसंग्रहणीजाययोश्रभ्रकगुटिका छै अथवा सोधीगंधक पारोअभ्रक हांगलूसारजायफल बील कीगिरि मोचरस सोध्योसीगीमुहरो अत्तीस सूंठि कालीमिरचि पी पलि धावड्याकाफूल घृतमैसेकीहरडैकीछालि केथ अजमोद चि त्रक अनारदानांइंजव धतूराकाबीज करागच अफीमयेसारीब राबरिले प्रथमपारागंधककाकजलीकरै पाछेईकजलीमैं येोष दिमिहीवाटिमिलावे पाठे विगोलीमिरचिप्रमाणबांधैछ्योतरांका : रसमेंयोयहणीकपाटरसछै ईकागोली देतो सन्निपातकासंग्रह पार्नेमूलने अनीसारनै विसूचिका यांसारांरोगांने योदूरिक दिन १५ सेवनकषांयेवैद्यविमोदमेलिष्योछे ४ अथघिदोसकासंग्र हरगीकोभेद आमवातकासंग्रहगीतीकोलक्षगलिष्यते पत लोसपेद चीकरणोमलजाय काटमैपीडाचाले आंबनेलीयोगला नरैयावधपोहोय पीडघएगाहोय करेंत्राच्योदरीषे पाछे दवेदि नमहीनामेंफेरिहोयावे अथवारोजीनाहियोरोगरहै नबोल बोकरे बालसाबोकरैसरीरबलोहोजाय पेटमैपीडरहबोकरे दिन रहैगतिने अाब्योहोय येजा,लक्षराहोयतीनेग्रामवान कीसंग्रहणीकहिजे यामाप्रसाध्यहीछे ईकोजतनपरसन्निपानकी संग्रहणीकोजतनयेकहीछे अथसंयहसीकोभेदघटीयंत्रछैती कालक्षालिष्यते सरीरसूनोरहै पसवाडामैसूलचालै पेटबो लबोकरे अरसंग्रहपीकालागछे सोहोय ईनैपटीयंत्रकहिजेया मानसाध्यछे औरअनीसारकाप्रसाध्यलक्षणपाछेलिष्याठे सो
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६३ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ३ ईसंग्रहणीकावेहीजाणिलाज्यो अरअतीसारकावाध्यायाच्याज ननपाछेलिष्याछेसोईकाभीवेहीजाहिरालीज्यो अथसंग्रहणीकायो रविसेसजतनलिष्यते कैथकाभाग मिश्रीरभाग अजमोद ३ भाग पीपलि भाग बालकागिरि ३भागधावड्याकाफूल भाग दायूंकागुलांका माग डांसख्यांकाभागसंचरलूगाभाग नाग केसरिभाग धगोंभाग तजाभाग पनजाभाग भिरचिाभाग ना गगकेसाराभाग अजवायराभाग पापलामूलीभागनेत्रपालो भाग इलायचाभाग यांसारांनमिहीनांटिगऊकीछाछिमैंटंक २॥ लेतीसंग्रहणीने अनिसारनैं गोलाने यांसारांने योकपित्याष्टकचू
दूरिकरेछे अथसंग्रहगीरोगवालोइतनीवस्तषायनहींसो लिष्यते भारीवस्त प्रांवनहींकरैइसीवस्त भूषबंधकरैइसीवस्त
औरअतीसारमैवरजीछे वस्तसोनहीं करे अरज्यांवस्ता भूषनधै सोषायतीसंग्रहणीजाय इतिसंयहरगोरोगकोउत्पत्तिलक्षण जतनसंपूर्णमा अथववासीररोगकोउत्पत्तिलक्षाजतन लिष्यते अथववासीरंकी उत्पत्तिलिष्यते मनुष्यकैगुदाहसो संषकीमाहिलीनाभिकातरहसाटाच्यारिआंगुलिकानांनोटा छै येकऊपरलोांटोयेकवीचरलोांयेरयेकवेंकैनाचलो टो३ उपलाटाकोनाम प्रवाहिनीसोतोमलपवनउगेरैचारका टै यीचरलोमाटोमलपवनउगैरेनैछुटायदेसारोतीसरोनीचर लोग्रांटो वांछोड्यापछैगुदानेज्यूंकीज्यूंकिदे यांनीन्यांमाराम स्वामीपेदाहोयछै योपवासीरकोस्थानछे पहलांपाटामेघवासारखे यसोतोसाध्य वाचरला होयसोकष्टसाध्यभरमाहिलामैहोय सोअसाध्यसोवाववासीररोगप्रकारकोछै येकनोवायकी
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
पित्तको २ कफकी ३ सन्निपालकी ४ लोहीकी ५ येकसरीर की लार ही उपजेजीकी ६ परचायलयस्त अथवा गरमंवस्त अथवा कफ 'काची कलीमिटीस्त जोपुरषयेयणीषाय अरवाय पित्तकफनै करवावाला मिथ्याहारकरे मिथ्याविहारकरें त्यांदोन्यांमिथ्यां या हास्पर मिथ्याविहारकरिकै को पकूं प्राप्तडुवोजोवायपित्तकफदो स समुदाकीनीन्यूंत्र्यांवल्याऊपर त्वना परमांस परमेद यांनेविगाडेनानाप्रकार कार्यासकाअंकूरानै मस्साकायाकारकरिगुदा कैऊपरिकरछे तीनेवैद्य है सो बवासीर कहै सोछप्रकारकीईने लौकिकर्मैदोयप्रकारकाकहे येकतोषूनीं । अर १ वादी बूंनीतो जीमैयललोहीजाय। अरवादी जीमेलो होजायनहीं परपीडचि मचिमी अरबुजालउगेरेजीमैहोय येदोन्यूंबांडवांहींकाभेद अथसारीववासीरांकोपूर्वरूपलिष्यते अन्नकोपरिपाक या छीनरहहोयनहीं अन्नकूषिमैं ही रहे बंध कोष्टहोय रम्यमिमं दहोजाय डकार घणीच्यावे सरीरसहोजाय कूषिमैं प्राफरोहो य अंगामैपीडर है येजीमेलक्षण होयत दिजाणिजे ईपुरसकैचावा सीरहोसी अथवायकीववासीरको लक्षणलिष्यते जीकीगु दाकामस्सा हैसो सूकाञ्चरचिमचिमीनैलीयांहोय अरकालाल लाईनेलीयां परषरधरा रकठोर अरवांका तीषा फूटामूंढा का इसागुदाउपरिमस्साहोय परछोटाबोरसरसा कपास्यासरी सा अथवासरस्यूंससा अथवा कदंब काफूलरिससामस्साहोय अरजीकैमथवाय होय अरपसवाडामैं कांधा कटामै जंघा पेड़ में पांघरणीव्यथाहोय अरछींक परडकारत्र्यावेनहीं हियो भूक्लागेनहीं पास सास अभिमंद कर्णशब्द भ्रमयेभीहोय गो
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६५ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग ३ लोफायोउदरकोरोग येभीहोय येजीमेलक्षणहोय तदिवायकीव वासीरजाहिजे अथवायकीववासीरकोजतनलिष्यनेजीमीक दनै मारीसूलपेटि भाडमैषूव भडीतोकरि तेल अथवाधृतम् लपेटिटकायेकभरिरोजानांदिन १षायतोवायकाववासीरमुकर दूरिहोय योभावप्रकासमै अथवााककानापानांमें पांचू लूरा अनुमानमाफिकलगाय तेलअरषटाई औरलगायवांपा नानैदग्धकरि वांकीराषकरै पाछेचाराषटंकसया तथाटंक २॥ गरमपाणी दिन १५ लेतो पायकीववासीरजायर योद्यविनो दमलिष्योछे अथवा गउकीछाछिमें सांधोलूरा अनुमानमाफि कघालि ईछाछिकोनाछीतरेंसूंघपादिनताईसेवनकरतोवाय कीबवासीरजाय अरसरारघगोजाडोरहै योभावप्रकासमैलिष्यो छै३अथवाहरडेकीडालिटकायाभर कालीमिरचिटकाभ र पापलामूलटकाभर पीपलीटकाभरजीरोटकासाभरच व्यरकाभर चिनकटकापासंठिटकाभर सोध्यामिलावाटका ५/भर पकायोजिमीकंदपावाजवषारटकाभर पाछेयांसा रानैमिहावारि यांसारां डुगोण्डले पाछैयांमैमिलायगोली स्काभरकाबांधेगोली रोजीनांषायतौबायकोचावासार निश्वेजाय योकांकायनमुनिगुडकत्योछै४ अथवा बनालका पानांनैीराय तांकापाएगी सोचलेतौ पचासीरकागरसाइरि होय अथवावनालका रोडांकीधूणीदेतौववासीरकामस्साहू रिहोय ५ अथवा अरचनालकाडोडाकांजीमैपीसिवासीर कैलेपकरैतोमस्साडूरिहोय अथवा नींबकापान अरकनी कापानगुर करवातुंबाकीजड़यांनैकांजीकापागीमैवांटिम
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३
७
६६. अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग स्साकै लेप करेतोमरसाइरिहोय अथवा हलद कडवीतोरई कीज ड आककापान सहजगांकीजड यांनैकांजी कापाएगी संमिहीपासी ईनैमस्माकेलेपकरेतो मस्साझडिपडे अथवा अरंडकीजड मह लोटी रास्ना अजवाया मूरुची यांनैकांजी में वांटिगरमकरिलेपकरे अथवा ईस्सेककरे मस्साकैतो मस्साकीचिमचिमीजाय पर मस्साझडिपडे एयेजतनवैद्यरहस्यवैद्यविनोदमे अथवा हीरा कसीस सीधोलूल पीपलि सूंठ कूठ कलहारीजडीकीजड पाषाण भेद कनीरकीजड वायविडंग दांत्यूंगी चित्रक हरताल चोष यांनै बराबरिले त्यांनैवांटि यांसूंनीगुणोनेलले अरथोहरिकोअरच्याक को अरगोमून येतीन्यूंच्यषद्यांसूं अरनेलं चोगुणाले अरयां नैसामिल करीपचावे भरवेबलिजाय परतेल मायरहेनादितेल उतारिले पाछेईतेलको मस्साकैमर्दनकरैतो मस्साहूरिहोयववासी रजाय आंवला इषैनहीं योक्षारतेलवैद्यरहस्यमेलिष्योछे १० अ थवा पकायोजिमीकंद भागसोला १६ चित्रकभाग - संठिभाग - कालीमिरचिभाग ४ त्रिफला भाग २ पीपलामूलभाग - सोध्याभिला वाभाग - इलायचीभाग ४ वायविडंगभाग - सतावरीभाग-भदा यरोभाग १६ भांगिभाग - पाछैयांसास्यांने मिहीवांटि पाछेयांसारां औषधांसंगोगुडले नीकीटंक ५. प्रमाणगोली बांधे पाछैगोली १ रोजानांमहानां १ तांईषायतौ वावासीरनैहिचकीनें सासनें पासने राजरोगनैं प्रमेहनें फायानें यांसारांरोगानें यहम हनसूरणमोदक छैसोडूरिकरैडै ११ योवैद्यरहस्यमे यथपित्तकीववासीरका लक्षगलिष्यते मस्साकानीलामोंटाहोयचारलाल पीला सुपेदा ईलाग्यांमस्सा होय परवांमस्सामेंपिहींयारलियां गरमगरम लो
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१७ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग ३ जाय अरमिहींकोमलमस्साहोय अरजोकसरीसामुदाहोय अर सरीरमैंदाहहोय अरजुरभारहै परपसेवा अरघणीतिसहो यमूर्खाहोय अप्रातिहोय अरवेंकोमलनीलोपालोलालहोय पर त्वचानषनेत्रजांकापालाहोय येजामैंलक्षणहोय तीकपित्तकीव वासीरजाणिजे। अथलोहाकीववासीरकोलक्षणलिप्यते गुदाकामस्साचिरमीकारंगसिरकाहोय अरवांमस्सामैलोहीकाधा रगरमघणीवहोतपडे परवेंकोमलगादोदोहरोउतरेअरलोही काघगाजावा वेकोसरीरमीडकाकावर्णसिरकोहोय अरकोब लवर्ण उत्साहपराक्रम येसाराहीजानरहे सरीरलूषोहोजाय गुदाको पवनमाछीनरेंचलेनहींअरमस्सा,लोहीजातांमागहोयावेअर काटमैंजांधामै गुदामैपाउहोयआवेअरसरीरहूवलोहोयत्तोलो हीकाववासीरमेंबायकोमामिलायजाणिजे अरवेंकोमलसुपेदची कपोभास्योउंटरोहोय अरमस्साकालोहाकीधारजाडीनांतिनेंतीयां होय अरजीकीयदाकेकफसोलाग्योहाकरे तोवयासारमैंकफका संबंधनेलीयांलोहीकाजाहिजे अथववासीरकोलोहीजाजी कार्थभिवाकीनओषदिलिष्यते बडवोरकापांनपईसा४भर सू काांवलापईसा४भरले पाछेगायकोमांषनपावडालेनीनेतो हकीकडाहीमेषूबतावे श्रोतषूबनपिजाय नदियांदोन्यांव स्ताईनमेनाले पाछेयेनीन्यूंहीवलिजाय नरउतारिटीकार धातकावासपमैघालीपाछेयांसारांनेषरलमेंघालिमिहीपारि यांकोयेकजीवकरपणे पाछेवासारवालारोगानेमासा४रिनस प्रभानदेपाछेपागीकाकुरलारेकुरलांकोसीपीवनहीं पर गरमवस्न वाजरो करेलापतकाली पेडाअधांवेगएकैरउडर
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६८ अमृतसागरतथाप्रतापसागर तरंग उगैरेषायनहीं नोववासीरकोलोहाथं अथवासीरकालो हीथभिवाकोदूसरोजतनलिष्यतेनिबोलीकामांगीपरयलयो येदोन्यूंबराबरिले त्यांनैपरलमैपाणीसूमिहावाटिरतीप्रमाणगो लीबांधैगोलीयेकरसोतकापागांसूंघभातरोजीनांदिनलेनो बचासारकोलोहीनिश्चैथंभैर अथववासीरकामस्साहरिहवा कीऔषदिलिष्यतेरसोन चालियांकपूर निबोलीकामागीयां तान्यांने पाणीसूमिहीवांटिववासीरकामस्साकेलेपकरेतोयस्सामु रदारहोय पाछैनीलाथूथाकोलेपकरेनोववासीरकामस्साडूरि होय ३ अथपित्तकीयवासीरअरलोहीकीववासीरयांदोन्यां ववासारकोजतनयेकहीछेसोलिष्यतेरसोननैमिहीवांटिटंक २॥ पाणीघरीभेर पाछे-पापीनेडालिईनोलमहीनारलेती पित्तका परलोहीकीयवासीरमुकरजाय अथवा पापलीकीला ष हलद महलोमजीर कमलगट्टाकामांगायेबराबरिले यांने मिहावाटिरोजीनांटंकणदिन४९लेतीयेदोरेन्यूंववासीरजाय ५ अथवा नागकेसरिमांषनमिश्रीयेटंक५रोजानांदिन४५लेती ये दोन्यूंववासारनाय अथवाकुडाकाडालिटकाभर नीनां रिसोलेसेरपाणीमैंऔरावे पाछै-कोपाउवोहिसोरहै नदिने नेउतारिरसडालिले पाछेरसमैनागरमोथोटकाभर मंठिट कापाभर कालीमिरचिरकाशभर पापलिरकाशभर त्रिफलाट का शभर रसोतटकाराभर चित्रकटकाराभर इंजवटकाभ रचरकापाभर पाछैयांकोमिहीचूर्णकारगुडकीचासपीमि लावेयोचूरण अरईमैंशेर १सहतमिलावै सेर१ गऊकोघृतमि लाचे पाडैईनेटकाभररोजागांषायतोयेोन्यूंबवासीरजाय
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ३ श्ररसाराही ववासीरईसूंजायछे अरव्यमलपित्तनेअतीसारनें पां डुरोगनें संग्रहणीनें पीएापणानें सोजानें जुदाजुदा अनूपानसूं ईउपरि छाछिकासेवासूं इहकुडाकी छालिकोअवलेह है सोननारोगांनें योदूरिकरै ७ अथवा वकायणकाबक्का ६ तथा ७ तथा - रोजीनांम हीनांयेय २ ताईमिश्रीकैसाथिलेतौ यांदोन्यांप्रकार की ववासीरजा य अथवा गिलोयसन सोध्योपारो सोध्योगंधक बीजाबोल मो चारस येबराबरिले पाछेपारागंधककीकजलीकरै पाछेकजली मैयेऔषदिमिलावे योबीजाबोल बन्चरस सोसहतसूंमासा ३ रोजीनांदिन २१ लेतौ येदोन्यूंबवासीरजाय अतीसार प्रमेह स्त्री कोप्रदर भगंदर येसाराईसूंजाय ए अथवा वसंतमालतीरस रती २ पीपलि २ तथा ४ सहतमिश्रीकासंजोगसूंदिन २५ लेतो ये दोन्यूं बवासीरजाय संग्रहणी जाय १० येजननवैद्यरहस्यमेलिष्यो है अथवा बवासीर करिबंधकुष्टहोयच्यावै परमस्साऊंचाही यत्र्यावे अरमस्सामेंषाजीयावे अरमरसामेलोही की धारपडे त
दिवांमस्साकैजोकलगायलोहीकटायनांषैतदिवाववासीरजा
य ईसिरषोऔरउपायछनही योवैद्यरहस्यमेलिष्योछे ११ येपि त्तकीरलोहीकी ववासीरदोन्यूंडे सोबूंनी बवासीरजाणिज्यो अररसाराववासीर वादिजाणिलीज्यो अथक फकीबवासीर कालक्षणलिष्यते गुदा कामस्साजाडाहोय मंदपीडाहोय ऊंचा ह्येय भास्याहोय कफसूंलपेट्याहोय वामेषुजाघिणी होयच्यावे अरषुजालिघाणीप्यारीलागे परपेडूमैंत्र्यापरोर है गुदामैषाजिघ लाच्यावे अरषाससासभाहोय अरहियोडूषै अरुचिहोय पीनस होय प्रमेह मूत्र मथवाय सीतलागें ये भी होय पश्यनिमंद
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७. अमृतसागरतथापतापसागर तरंग ३ वमन आमवातभीहोय अरकफ लपेट्योमलजाय अरगुदाकाम स्सामेंलोहोजायनहीं सरीरकोरंगपीलोहोययेजीमेलक्षणहोयती कैकफकाववासीरजाणिजे अथकफकीववासीरकोजतनलि ष्यते आदोटकाभर तीकोकाटोदिन २१ लेतोकफकीयवासीरजा यप अथवा हलदकैथोहरकाधकीपुरदे हलदकोमस्साकै लेपकरैतोमरसाइरिहोयर अथवा त्रिफला दसमूल चित्रकनिसोन दांयूंगीयेपांचूंशेरऽ१ ले अरपाणीअधोगले पाछेईपाणी मैंओषदिकूटिनाषेोदिन राईमेरा अरोषयांकीसाथिपाएगीमें गुडसेरऽ७ नांषै पाछैईनदारुकाजंत्रमेंदारुकासीनाईअरककादै पाछैईनेटकाभर रोजीनालेतो कफकाववासीरजाय३योदायूं गीकोअर्कछे योहंदमैकत्योछे अथसन्निपानकीववासीरका लक्षालिष्यते पायपित्तकफकामित्यालक्षण्छेसोइईकाजा पीलीज्यो अथसन्निपातकीववासीरकाजतनलिप्यतेआदो टकाभर कालीमिरचिटकाभर पीपलिपावडाभर चयटका।। भर नागकेसरिटंक ५पीपलामूलटकाचित्रकटकाइलाय चौटंक ५अजमोदटकामरजीरोटकाभर येसारीऔषदिमि हीपीसिगडटका ३०/भर तामैगोलीटंक ५प्रमाणबाथै पाछैगोली १प्रातसमैषाययाछेभोजनकरै पथ्थरहैतोसन्निपातकीयवासी रनैमूबहनें वायकारोगर्ने घिसमज्वर पांडुरोगर्ने गोला. फीयानें षासनै सासने वमननै अतीसारने हिंचकाने यांसारां रोगनै जुदाजुदाअनूपान इरिकरैछै जैसैंजलमैतेलनाष्यों स्या यतेकमैफैलिजाय सेऔषदिअनूपानकावस ततकालगुरा करे यापागदागुटिकाठे सोसर्वसंग्रहमेलिषीछे। अथवा
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७१ अमृतसागरं तथाप्रतापसागरनरंग २ त्रिफलादि कालीमिरचिपापति तज परज इलायचीवचसेकी हींग पाउसाजी जवषार चारुहलद चव्य कुटकी इंद्रजवसोफ पां चूलग पीपलामूल बीलकीगिरि अजमोद येसारीबराबरिले पा छैयांनी महाँवांटि गरमपाणी टंक २॥रोजीनालेतोसन्निपातका बवासारनै सासकारोगनें षासकारोगनें हिचकीने षासाने भगंदर मैं पासवाडाकासूलने गोलाने उदरकोरोगांने प्रमेहनै पांडुरोगां मैं अंबरडिनैं संग्रहणीने विषमजरनें जीविरने उन्मादनैयांसा रांरोगांनैजुदाजुदाअनूपानसं योविजयनामचूारिकरैछै यो भावप्रकासमैलिष्योछे २ अथवासोध्योपारोटका १।भर सोधीगंध कटकाराभर तामेश्वरटकाभर साररकाशभर इंडिटका शम र कालीमिरचिटकाराभर पीपलिटकाराभर सोध्योसींगीमुहरो टकाभर दांयूएगाटकाभर चित्रकटका २॥भर बीलकागिरिट काराभर जवषारपईसा ५भरसुहागोपईसा॥२५भर सींधो लूगरका ५भर गोमूत्ररका ३२भर पोहरकोइधरका २॥भर या सारांनेयेकगकारकडाहीमेमधुरीपासूपकायले पाछैवेकीपी डीहोजाय नदिमासादोयभरत्तात्तापायीसूलेतो असाध्यभीसन्नि पातकाववासीरजाय३ योरसकुठाररसछै योजोगतरंगिलामलि प्योछे अथशिवजीकामतकोवायोलोहसारजीतूंववा सीरउगेरेघपारोगजायछेसोलिष्यते यवासीरकोमहाप्रसा ध्यरोगजामिनुष्यांकै नारदजीश्रीमहादेवजीसूबूमतावासो मलागेरैलपावासंगुदाकामस्साडूरिहोयछै पणिवां मनुष्यमरि मरिनीठिवचे ईवास्ते विनासुंगंमही कोई उपाय बासीरजा य रसोजतनवाताचोतदिश्रीमहादेवजीबहुतकरूपाकरि नारद
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७२ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग ३ जीनेईसारकावणाचाकी क्रियावताई ईतरेकाकरिपाकासार चवासी रउगेरेघगारोगजायसोलिपूंछं कांतिलोहले अथवा गजवेलि कोलोहले तीकापत्रकराय वनितलमेछाछिमेगोमूत्रमकाजामेंत्रि फलामेवारसातसान ७प्रथमसोधे पाछेवारिताय पांबराबरिमेरा. सिल सोनमणीयेदोन्यूंले पाछैयांदोग्यांकीरेत्यालोहके सरावामैमे ल्हिअग्निशीलकारसमू बांदोन्यांनीसणि वेंकाअनुमानमाफिक रेतीलोहकेमांहि वादोन्यानेघालि वेसरावानेदिलुहारीकोइलासू धौणि खूबध तदिवेंदोन्यूंवलिजाय पासावा रहैतादवेने काढिले इसीतरैवानेवालिदेवारदसेक पाछेत्रिफलांकारसपा रांने-वेल्यालोहकेचरावै लोहकौपाठउभागचरावे इहीविधीसूं पारच्यारिनोरंभस्मकरेपाछेवांसारांनैषरलमैमिहींपासि तदियो लोहपारगार्मेतिरवावालोसारहोजाय पाछेलोहकासरावामेवेंसार कैविसषापराकारसकीपुट १० वेंहीविधिमूंदे पाछैछीलाकारसकी पुट १० दे पाछेथोहरिकाधकीपुर १ दे पाछेसाटीकारसकापुटी दे पाछेसतापरीकीपुट दे पाछेगिलवैकारसकीपुट२० दे पाछेजा मुशिकावकलकापुट७दे पाछेगूलरीकावकलकापुट ७ दे पाछे गवारकापागकीपुट पदे पाछेतीकापुट७ दे पाछेआंवलासार कीपुट २०दे पाछेनींबूकारसकीपुट २० दे पाछैछिललाकाबकल कीपुट १०दे पाछैसारकोबारों१३हिसोहीगलूदे तीनेकवारका पागकारसमैमिलायवेंकीपुटदे पाछेबैंकेतकीपुट१०दे पाछेस हतकापुट देअरपुटपुटमैंषरलकरतोजाय इसीतरेईसारनेसि हिकरे पाईसारनेरताप्रमाणले सहतपीपलीकासंजोग पर शिवजीपूजनकरे ईमंत्रसूईनषायांअमृतभक्षयामिस्वाहा
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७
३
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अरकीपरममात्राचढतीवल माफिकलेतोरनी ३ की प्रभातसमेंही ले ऊपरिषरेंटी कोकाटोले इसीतरेमहीनां ३ ईकोसेवन करेतौ वचा सीरमात्रइरिहोय अरवूढापणेंइरिहोय नरुएाहोजाय अरईकासे वनमेंमंदाग्निजाई सास पास पांडुरोग वातरक्त मूत्र यंत्रवृद्धि नेंत्र्यादिलेरच्यसाध्यभीरोगजाय र बलवर्णच होतवधै पुष्टाईस रीरमैंहोय आयुर्बलवर्धे सर्वरोगमात्रसूंजाय परईको सेवावाली इतनीवस्तषायनहीं पैठो तेल उडद राई दारू षयई येषायनहीं यहविधिवडाच्यात्रेयमें परभावप्रकासमैंलिपीछे ४ अथवा वडी हरडैकी छालिटंक २।। पुराणोगुडटंक ५ येदोन्यूंमिलाय जलसूंरो जीनांले ऊपरसुंगऊकी छाछिकोसे वनकरैती याववासीरजाय ५ अथवा सांधाहेलीनीलाफूल कीजडी होयछेसोले परेंटी दारुह लद पृष्टपर्णी गोषरू, इंद्रजव साल का फूल वडकाअंकूर गूल रकाअंकूर पीपलकाकोमलपत्र येसारी औषदिदोयदोयटका २ भरले पाछैयांनैजौकूटकरिटंक २॥ कोकाटोकरिछापिले पाछेजी वंतीकीजड कुटकी पीपलामूल कालीमिरचि सूं देवदारु सता वरी चंदन रसोत कायफल चित्रक मोथो प्रियंगु बरैटी सालप ff कमलगट्टाकी मींगी मजीठ कट्याली बीलकीगिरि मोचरस पा ठ येसारीयोषदि अधेलामधेलाभरले पाछैयानैमिहीवांटिसेर ऽ४ खात्र्मषद्यांकाकाढाको रसले तीमेंगऊ को घृतसेर ९१ घालै पा छैयांदोन्यांनैकडाहीमैघालिमटावे काढौ बलिजायघृतप्राय रहे नदिउतारिछाटिका २ भररोजीनांषायतोववासीरजाय६ अथवा पारोसोध्यो गंधकसोध्यो येबराबरिले यांदोन्यां की कज लीकरि पाछैवें कजलीनघृतसूंचोपडे पाछैवांदोन्यांसूं दूणोबी
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जाबोल कजली में पालियोरुंरगडे टिकडीबांधे पाछेवेटिकडीनेंलो हका पात्र यांचदेकरिपतलीकरि केलिकापानउपरिढाले बैंकीपाप डीकरै तदिवेंकोनामपर्पटीरसहुवो ईरसको सेवनरती ३ रोजीनादि
१५ करैत सन्निपातकी ववासीरजाय ७ योवैद्यविनोद मेलिष्यो छै नारदाकामस्साविना औरसरीरमैं कहींठिकाणेमसाहोय ती नैचर्मकीलकहेजेछे तीनैत्र्मनिकरिकेवरषारांकरिकेंइरिकीजै औरमस्साकोजननलिष्यते पाचाकोचूनो साजी सुहागो नीलो थूध यांबराबरिले पाछैनींबूकारसमेंदिन ३ भेवै पाछैमस्सा कैलगायेतौ यस्मामुकरडुरिहोय - अथवा सीसाकी गोलीनैगऊ काघृत में परिववासीरकामस्साकैदिन १० लगावैतीववासीरद विजाय ९ अथवा विष्णुकांताजडीटंक २|| काली मिरचिटंक २० मांगमासाच्या धरोजीनांघोटिपीवैतों बवासीरदेवीरह १० अथववासीरकाव्यसाध्यलक्षगलिष्यते जीववासीरमे सोजो अतीसार वमन अंगामैपीडा तिस जुर रुचि अग्निमं दगुदाकोपको हियामैसूल येलक्षणजींचवासीर वालांकेहो यसोनियेमरे ववासीर वालो इतनी पस्तकरैनहीं मलमू त्रनैरोकैनहीं स्त्रीसंगघणोकरेनहीं घोडाऊपरैचदैनहीं उकडू
नहीं कर करेला बाजराउगेरै गरमवस्तषायनहीं इति बवासीर की उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् इतिश्रीमहा राजाधिराज महाराजराजराजेंद्र श्री सर्वोप्रतापसिंहजीवि रचिते अमृतसागर नामंग्रंधेवतीसारसंग्रहणी बचा सीर की उत्पत्तिलक्षणजनननिरूपणनामस्तृतीयः स्त रंगः समाप्तः २ ५
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प्रथमजीर्णरोगकीउत्प
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७५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ४ तिलिष्यते प्रथममनुष्याकेजठरागिहेसोच्यारीप्रकारकीहै ये कतोमंदाग्निा येकअतीतीक्ष्णग्निर येकनिषमाग्नि ३येकसमा ग्नि ४ जीपुरषकीकफकीप्रकृतिहोय नीकैमंदअग्नीहोयाजीकी पित्तकाप्रतिहोयतीकैअतीतीक्ष्णाग्निहोय रजांकीवायकीम इतिहोयनीधिसमअग्निहोयजींकीवायपित्तकफकामिलीम कृतिहोयतीकैसमाग्निहोय४ अथमंदाग्निकोलक्षणालि ष्यते मंदाग्निवालाकैथोडोसोहीतकारीभाषायोधकोभोजनया छीतरैपचैनहीं भरकोसिरउदरभास्योरहबोकरै अरका गामैफूटपीरहवोकरै अथतीक्ष्णाग्निकोलक्षगलिष्यते गपासूंघएोभोजनकस्योजीकीपाछीतरहपचिजाय यो ग्निपाछयो २ अथविसमाग्निकोलक्षगलिष्यते करेनोभो जनाछीतरहपचे कदेभोजनाछीतरैपचैनहीं भराफरो होयाचे पेटमैसूलचालै उदरभारपोरहै अतीसारहोयाचे रपेटबोलिबोकरै येलक्षणहोयतोरिसमाग्निजाहिराजे ३ अथ समाग्निकोलक्षालिष्यतेजीकैसमाग्निहोयतीकैप्रमाणभो जनको पाछीतरैपचै घोषायो अजीमैभीभास्योअन्नभी येसमापितीन्यूअपि श्रेष्ठछे अनि कहींतरेकोषिकारहो यनहीं अरभूषलागीडै तीनैंकहींकारएरोकैतोभीततकालरोग नैउपजावेनहीं अरतीक्षगाग्निहेसोभूषनैबंधकरीततकालपित्त कारोगउपजाचेछै वास्तैसमागिश्रेष्ठछे ४ अरमंदाभिसूंनो कफकाबाजारहोयछे नामअग्नी पित्तकारोगहोयछे विस मायिसूबायकारोगहोयछे समाग्नि कोईभीरोगहोयनहीं अथभस्मकरोगीउत्पत्तिलक्षराजतनलिष्यनेनीषा
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७६ अमृतसागरतथाप्रतापसागर तरंग ४ वस्त आदिलेरलूषोअन्लजोषाय तीकैकफपटैपरवायपित्तवधै तदिपित्तहेसोपवन प्रेसोथकोभस्मकअग्निनैरोगरूपपैदाकरे तदिजोषायसोएकस्याइनमेंभस्महोयजाय ईनेभस्पकरोगकहिजे योतिसदाहमूर्जानेंगरकरिभोजकरयानेषायसारीधानांनषायजा यछे योमारिनांषैछै ५ अथजीर्णरोगकाउत्त्पत्तिलिष्यतेघगो पाएगीपावै विसमानस भोजनकरेमलमूत्रकावेगनैरोके दिन मेसोवेरातिनेसोचैनहीं इसापुरषकैपथ्यभोजनभीपाछीतरै पचे नहीं अथवा इतनीवस्त मनुष्यकैयाछीतरहअंनपचैनहींजीं कैअष्टप्रहरईर्षारहबोकरे भयरहबोकरै क्रोधरहबोकरे लोग रहबोकरै कोइकरोगरबोकरै दीनतारहबोकरै आछ्योमनमाफि कभोजनमिलेनहींतीपुरसकेभोजनाछीतरैहपचैनहीं अथ अजीरणकोसामान्यलक्षगलिष्यते मनमैंग्लानिरहै सरीर भारयोरहै उदरमैंग्राफसेरहे भ्रमरहेगुदाकोपवनाछीतरह चलैनहीं बंधकुष्टहोयावे अथवा वारंवारपतलामलकीप वृत्तिहोययेजीमेंलक्षणहोयतदिजाणिजेमनुष्यके अजीछे। अथअजीर्णकोभेलिष्यते अजाप्रकारकोछे येकतो प्रामकहिजे मीठोकच्चोहीभोजनगुदाहाराजाय अरजीकैकफकी प्रतिकरिमंदाग्रिहोयजीकेअरटूसरोविदग्धक्योंयेकवल्यो षटाईनौलयांमलगुदाद्वाराजायजीकैपित्तकीप्रकृतिकरितीक्षाअग्निहोयजीकै २ अरतीसरोविष्टब्धअन्नहेसोकूषिमेहार हैपचैनहीं आफरोपेटमेंकरेअरसूलकरैपरकाचोहीअन्नगु दाहाराजायजींकैवायकाप्रतिकरिविसमाग्निहोयजीकै अ रचौथोरससेसभोजनकस्पोआजीनरैपचैनहींमलपतलोही
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७७ अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग ४ जाय ४ अरपांचअजीर्रादिनपाकीयेकरातिदिनमेंपचैनहीं दूसरे दिनभूषलागै योगायोनिरदोषछै ५ अरछगेअजीर्णसनैसिद्धिस दाहीरहे वेनेप्रतिवासरकहिजे यांचांपसवाडाकासोवा गरमपाणी पीवासू मिहनतकरबासू हरडैकापावासू योजाय ६ अथामा जीर्णकोलक्षालिष्यते सरीरभारयोहोय वमनकीइछारहै जि सोभोजनकस्योहोय उसीहीडकारावै कच्चोहीमलजाय अथ विदग्धाजीर्णकोलारालिष्यते भ्रमहोय निसहोय गरमीका नानाप्रकारकारोगहोय धूंचांनेलीयांषारीडकारावै दाहअरप सेवहोय २ अथविष्टयग्रजीर्णकोलक्षगलिष्यते पेटमैंसू लहोय आफरोहोय वायकीनानाप्रकारकीपीडाहोय अरमला धोवायरुकिजाय सरीरजकउबंधहोय ३ अथरससोषअजी रणकोलक्षालिष्यते अन्नमेअरुचिहोय हियोदूषेसरीरभास्यो होय ४ अथग्रजापकाउपदवलिप्यते मूळहोय प्रलापहोय वमनहोय अंगमैपाडाहोय प्रमहोय येअजीमैपदवहोयतो ओमरिजाय५मूर्षादमीअजामैपशकीसीनाईभोजनकरैआदमीकेअनेकरोगहोयछै सत्यवांवछेसोदोसांसूबंधहोयवो अग्निकामारगनेंरोकैनहीं तदिअजीर्णमेभीभूषलागे वेंकचीभू षमैंजोषायसोपुरषमरिजाय अथविसूचिकाकोलक्षालि ष्यते पुरषकेमंदाग्नि पथमामाजीहोय पछैवेमैमूर्षपर्णा सूपसुकीसीनाईघीगरिष्टवस्तषाय नदिवेकै विसूचिकाहोय जाँकेमू होय अतीसारअरवमनभाहोय अरतासमाहोयपेटमें अथवा औरठेभीसूलहोय भ्रमहोय पीडीफूटेजंभाईआवै दाह होयसरीरकोवर्णऔरसोहोजाय कापणीहोय हियोमांथोघणे
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग दूषे सारासरीरमैं सूईकासाचभकाहोय येजीमै लक्षण होयतींनैवि सूचिकाकहिजे लोकिकमैईनेवासी कहे येईकाउपद्रवछै नींद नहीं सर्वत्र प्रीती होय सरीरकांपै मूत्ररुकिजाय संज्ञाजा तीरहै येउपद्रवहोइंतौमरिजाय । अथप्रलसको लक्षणलिष्यते पुरषकैविष्टब्धवायका जीर्णसूंयेलक्षणहोय पेटमें
परोहोय प्रांतावोले पचनफिरि वासूंरुकिजाय कूषिमोंफरे म लमूत्रगुदाकोपवनयेरुकिजाय तिसघणीलागे डकारघणीच्या वैजामैयेलक्षणहोयतदिलसजाणिजे २ मथविलंविकाको लक्षगलिष्यते जो भोजनक रह्यो होयसोपचनहीं ऊपरनीचैजा यनहीं वेनेविलंबिकाकेहजे अश्यांतीन्यांही मैयेलक्षणहोयसो मरिजाय दांतजी काकालाहोय होउनष भीकालाहोय संग्याजा तीरहै छादणीला गिजाय नेत्रमांहींयुसीजाय स्वरघांघोहोजाय सरीरकी संग्यासिथल होजाय जीमैयेलक्षण होयतौ मरिजाय प्रथमजीदुरिहुवोहोयतीकालक्षएालिष्यते उकारशड
वे सरीरमें उत्साह होय मलमूत्रपवनकी प्राछीतरेप्रवर्तिहोय सरीरहलकोहोय भूषतिसाठीतरैलागे तदिजाएिजैमजीए दुरिव १ अथमंदाग्निनेआदिलेराजीएविसूचिकाकाज तनलिष्यते हरडेकीछालि सूठि यांनेमिहीवांटिटंक २॥ गुडटक १० कैसाथिजलसूरोजीनांलेतौ श्रामाजी एडरिरुवो रभूषवधै १ अथवा हरडैकी छाल सांधोलू ईकोसेवनरोजीनां करैतो जीजाय भूषवधै २ अथवा सींधोलूए सूंठि कालीमिरचि ये बराबरिले त्यांनैमिहीवांटिटंक २।। गऊकीछाछिकैसार्थिदिन १५ लेतो भूषवधै मंदाग्रिजाय पांडुरोगजाय. बवासीरजाय ३ अथवा
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७९
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
माजी होयतो वच लवएणका वमनसूंजाय विदाधाजीर्णहोय तो लंघनसूजाय विष्टब्धजीर्णहोयतो सेकसूंजायरससेषहोय तौसेवासूंजाय ४ अथवा सूंठि कालीमिरचि पीपलि अजमोदसी धोलूण दोन्यूंजीरा सेकीहींग येबराबरिले त्यांकोचूर्णटंक १॥ तथा २॥षीचडीकैसाथिघृतसूंमिलाय प्रथमग्रासकै साथिरोजीनांषायतौ प्रजीर्णकदेभी होयनहीं रभूषवधै गोलोफीयोहूरिहो य योहिंगाष्टकडे ५ अथवा जवषार साचीचित्रक पांचूलू इ लायची पज भाडंगी हींगसेकी पौहकरमूल कचूर निसोन मो थो इंद्रजव डांसरया अमलवेद जीरो सांवला हरडेकीछालि पी पलि अजवाया तिलांकोबार सहजएगां कोषार छीलांकोषार सार ये सारी प्रषदिबराबरिले यानेमिहीवांटिछांणि ती केविजो राकारसकीपुट दे सिद्धिरिले पाछैईचूर्णनैटंक २|| रोजीनांज लकै साथिलेतौभूषघणीलागे अरजीनें गोलानें उदरने यंत्र वृद्धिनें वातरक्तनें यांसारांरोगांनेयोअग्निमुषचूद्दूरिकरैछै ६ अथवा थोहर याक चित्रक अरंडकोषार साटी तिल धोका डो केलि छीलो डांसरया यांसारांकाधारकाटै पाछैयांकाजुदाजुदा बारले परप्रजाया अजमोद जीरो सूंठ कालीमिरचि पीपलि सेकीहींग येसारीबराबरिले त्यांनेमिहीवांटि ईकै प्रादाकारसकी पुट ५ दे योवैश्वानर चूर्णतयारकरै पाछैईनेटंक सीतलजलं ले प्रातसमेतोजीरएणकदेरहै नहीं रईसूभूषण वधै अर जुदाजुदा नूपानसूं योअनेकरोगांने इरिकरैछे ७ अथवा सां भस्योलूएापईसा ४ भर संचरलूापईसा २।। भर वायविडंगटंक ५. सींधोलू टंक ५ धणेटंक ५ पीपलिटंक ५ पीपलामूलटंक ५
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.८० अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरग ४ पत्रजटंक ५कालोजीरोटंक ५नागकेसरिटंक५चयटंक५अमल वेदटंक५मिरचिकालाटंकशाजारोटक ॥सूठिटंक २॥अनारदा पांटंक १० तजरंका इलायचीटंकायांसारांकोमिहीचूरणकरि मासा ४ गउकीछाछिमूले अथवा कांजींसूलेतो गोलाने फीया नै उदरकारोगने ववासीरनैं संग्रहणीनबंधकुष्टनैं सूलनैं सोजा नै सासषासने प्रांवकाधिकारने पांडुरोगनें मंदअग्निनै सर्बश्र जीर्णमावनैं योलबएभास्करचूरदूरिकरैछै अथवा सीथो लगटंकीपीपलामूलरंक २ चव्यरंक ३चित्रकटंक ४इंठिटंक ५ हरडैकीछालिटंक ६ यांकीबराबरिशमश्रीले पाछैईतोलयो चूर्णकरे पाछेईचूर्णनेटंकारोजीनालेती अजीर्णदूरिहोय भूषयीलागे ९योवडवानलचू छै अथवा सोध्योगंधकर काराभर पारोटकाभर सारटंक५ तांबवररंक ५प्रथमपा रागंधककाकजलीकरै पाछैकजलीमेंयेदोन्यूंमिलावै पाछैयां च्यास्यांनेंलोहकापात्रमें अभिउपरि चटायपिघला चतुराई सूंपिघल्यापछै अरंडकापांनांउपरवेनेटाले पाछेनोमहीवां टिले पाछैषरलमैंईनैयालिटका१.०भर जंभाराकोरससुसावे पाछे ईमेक्जिोराकोरसटका१००भरसुसावे पाछेईमपीपलिपी • पलामूल चव्य चित्रक सूठियांकोकाटोकरि ईकाईकैपुर ५०दे
अरसुकायले पाछैईकैचूककासरकीपुर ५०दे पाछेईकैअमल वेदकारसकीपुट ५० दे पाछेयसारासूकिजायतदिवांसारांबरा बरिसेक्योसुहागोहानांपेअरसुहागा आधोसंचरलूएईमै नांर्षे अरसारांकीबराबरिईमैकालीमिरचिनांपे पाछे कैच कापारकापुट दे पाछैईनैन्यारकरिले पाछैईकव्यादरसर्ने
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1 अमृनसागर तथा प्रतापसागर तरंग ४ निपरजायनांसू पाछ्यापा,धरिराषे पाछैईक्रव्यादरसनेमासार ले उपरसांधोलपामिलायगरकीछाछिमेपीवेनी अजीर्णमात्रतन कालई दूरिहोयछे अरपणोंभागरिष्टभोजनकपीईसंतनकाल पविजाय अरयोरस सूलनैं गोलानै श्राफरानें फीयानैं उदरकारो गांनैयोडूरिकरैछै१• इनिकव्यादरस अथवाजवषार साजा सु हागो पारो सोध्योगंधक पीपलि पीपलामूल चव्य चित्रक सूठि येसारीवराबरिले यासर्वकीवरावरिसेकामागिले अरभागिसूत्रा धीसहजएकीजडले प्रथमपारागंधककीकजलीकरैपाछैकज लीमैयेसाराओषदिमिलावै षूयमिहीवाटै पाछैयांनेभागिकारस मेदिनीषरलकरै पाछैयांसहजएकीजडकारसमेदिनीष रलकरे पाडैचित्रककारसमेदिनीषरलकरै तावडेसुकावतीजा य पाछैईनेसरावामैमेल्हिकपडमिट्टीदेरफूकिदे पाछेईनेकाटि दिन ७ पादाकारसमेंषरलकेरै योज्वालानलरसत्तयारकरै पा छैईरसनेरती १ तथा २ सहन ले अपरिसंगुउकोकाथलेती ननकालनैंअजारमात्रअनीसारने संग्रहणीने कफकारोगनै वमननै अरुचि. इतरांरोगांनेयो दूरिकरछै अरयाभूषघणीवधा वैठे १० योज्वालानलरसछै येसाराभावप्रकाशमैलिष्योछै१२ थवा सोध्योगंधक कालीमिरचि चूक संचरलूग यांनबराबारले त्यांनमिहीवांटिमिलायटंकी पाणीसूलेतीबंधकुष्टदूरिहोय.३ अथवा पारोरंक ५सोध्योगंधकरंक ५सोध्योसींगीमोहरोटंक५ कालीमिरचिटंकी जायफलटंक २॥ प्रथमपारागंधककीकज लीकरै पाछैवेंकजलीयोमलावै पार्छयानेशंसस्यांकारसमेदि न५षरलकरै पाछेईरसनैरतीरोजीनांदिन लेनोभूषधी
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२२ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ४ वथै अजानतकालमिटे योरामबाएरसडै ४ अथवासोध्योपा रो सोधीगंधक अजमोद त्रिफला साजाजवषार चित्रक सांधोलूल जीरो संचरलूप वायविडंग सांभरोला मूरि कालीमिरचि पापाल येसारीबराबरिले अरयांसारांकीबराबरिबकायगावकाले प्रथ मपारागंधककीकजलीकरै पाईकजलीमेयेमिलावे पाछेजंभारी कारसमदिन षरलकरै पाछेरतीप्रमाणगोलीकरै पाछैगोली। रोजीनांषायतौभूषघणीवधैईपरिहरडेकीछालि मुहिगुडयां कोकाटोलेतो सर्वरोगमारनेइरिकरैछै याअग्नितुंडायतीगोलाछ १५ अथवा इंडिभग कालीमिरचि २भाग पीपलि भाग सी धोलूएच्यारि४ भाग सोधीगंधक ५भाग पाछैयांसारांनमिहीनांटि पाछैयांनेनींबूकारसमेंदिन परलकरै पाछेरतीप्रमागोल बांधे गोली रोजीनाषायतोभूषधणीवधेयोक्षदबोधरस१६ अथवा विडलूरासंचरलूप अजवायण दोन्यूंजीराहरडेकीछा लि मुठि कालीमिरचि पीपलिचित्रक अमलवेद अजमोदधौं डांसस्या यांनवराबार पाछैयांकोमिहांकाररंकशारोजीनां. लेतीपथरभीपचिजाय नोमोजनकोंकाईकहों अथवा सो धीगंधक कालीमिरचिपापलि मुठि सांधोरा जवषार लवंग ये साराबराबरिले यांनी महापारिनींबूकारसमेदिन १० षरलकर पा छैरती प्रमाएगगोलीबांधै पाछेगोली१ रोजीनाषायतोभूषधणी वधै१- अथवा हरडेकीछालिभाग पीपलिभाय ४चित्रकभा गसांधोलामागर यांकीमिहीपूर्णकारिटंक शाजलकैसाथि लेती अजीरएजाय मूषलागे१९अथवासेकयोसुहागोरंक पी पलिकासोध्योसींगीसहरोकशाहींगलूरंकाकालीमिर
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२३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग - ४ चिरंक २॥ यांनमिहीनांटिनींबूकारसमैदिनापरलकरै पाछैमर रममाएगोलीबांधेगोलीनथा जल लेनौ ततकालअजीरण अरविसूचिकाडूारहोययोअजीर्णरंकरसडै २० अथवासोध्यो सींगीमुहरोटक सेक्योसुहागोटंकण मिरचिटंकशासीधोलूरा टंक २॥ यांनमिहीवांटिपाछेयांमादाकोरससेरऽसुसायदे रदहीनेवांधिवेंकोजलसेरऽ१ईमेसुसायदे अरनींबूकोरससेर ईमेसुसावे पाछै कीगोलारतीप्रमाणबांधे गोली रोजीनांजल सुलेती अजीनितकालडूरिहोय अरईकोसेवनकरेती श्राफराको रोग उदरकोरोग गोलो मूल येसाराजाय अरभूषवधैयोकच्यादि रसछै २१ अथवा दालचिनीटंकी इलायचीरंका. लवंगदंक १५ सेक्योसुहागोटंकी.चित्रकटंक१० कालीमिरचिटंक ५सांधोलूए। पईसा भार यांनौमिहीनांटिटंकागरमपाएगीसुलतो ततकालत्र जीराजाय योभाकव्यादिचूर्णछै २२ योसाराजतनवैद्यरहस्यमैलि ष्योछै अथवा मंहि कालीमिरपि पीपलि त्रिफला पांचूलप सेक्यो सुहागोजवषार साजी पारो सोधीगंधक सोध्योसींगीमुहरोयेसर्व बराबरिले पाछेपारागंधककीकजलाकरे पाईकजलीमेयेमिला पाछैादाकारसकीपुर रेपाछैरतीप्रमाकीगोलीबांधै गोली १ नथार लवंगकाकाथकैसाथिलेती अजीनितकालजाय भूष वधेयोक्षधासागररसछै २३ अथवाडीहस्डै १०.ले त्यांनेगा कीछाछिमेंऔरावे पाडेवांकीगुठलीकाटिनांपै पाछैचांहरडैमेये
औषदिभरैसोलिपूंछसठि कालीमिरचि पीपलि चय चित्रक . दालचिनी पांचूलरामेकाहींगजवषार साजीदोन्यूंजीरा अनमी दनिसोत येसर्बबरावरिले पाछैयामिहीनारियांकैनींबूकारस
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८४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ४ कीपुर १०दे अरयांबराबरियांमैचूकमिलाय यांहरभरे पाछैयां नैनायडैसकायले पाछेहरडै रोजीनांपायतोभूषधगीवधै अजी रणयेका हरडैमूंजाय अरमंदामिनैं उदरकारोगनैं गोला. सूलने संग्रहणीने बंधकष्टनैं आफरानेश्रामवासने यांसारांनैयाहरडि दूरिकरैछै २४ याअमृतहरीतकीछे अथवा कालीमिरचिटंक ७ अजवायगरका ।भर चित्रकटकाराभर पीपलिटंक ७॥संचर लूराटंक २॥सांभरोलूरारंक सीधोलपटंक ॥पारोटकासो ध्योगंधकटकाभर पापलामूलरकाशभर संहिपईसा ५भार हरडेकिछालिपईसा५मर बहेडाकोडालिटंक ५जीरोटकामाभर चव्यरंक५ यांसारां प्राधालचंगप्रथमपारागंधककीकजलीक रै पाछेयेोषदिमिहीवांटिकजलीमेंमिलावे पाछैयांके पाराका रसकापुर देअरयांबरावरियांमैचूकमिलाये पाछेईकागोली मासा २प्रमागकरै गोली जलझूषायतोअजीरगनतकालजा य अईकोसेवनकरैती भूषधणीवथै सर्वरोगमाई दूरिहोय सरीरनैपुष्टकरैयालचंगामृतगुटिकाछै २५येसारादेयरिनोद मेलिष्योछै अथवा दालचिनीटंक ५ लवंगटंक१० दोन्यूंजीराट क.मंस्टिंकी कालीमिरचिरंक ५ अजमोटंक ५ हरडेकीछा लिटंक५पत्रजटंक ५ ससांरंका सीधोलूगाटंक०संचरलू पाटंक २०निसोनरंक१५सनामुषीपावअनारदाणांअधसेरऽ। . यांसारांनमिहावारियांकेनींबूकारसकीपुर दे पाछैयांबराबरि यांमैचूकमिलावै पाछैनसुकायजावता अमृतवानमैभरिराषे पाइनरंकाजल लेनी अजीरणततकालमिटे अरकोसेव नकरैनौ वरकुष्टनै मंदाग्निनैउदरकारोगने गोलानै फीयानैसर्व
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८५ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ४ रोगने योरिकरे ईचूरणकोमामराजवल्लभडै २६ अथवाहरडेकी छालि पीपलि संचरलूपयेबराबरिले यांनमिहीवांटिटंक ॥गरमपा पी लेती श्राफरानै आदिलेरसर्वअजीरगजाय २८ अथवा मिन कादाष हरडैकीछालि मिश्री यांतीन्यांकीगोलीकरैसहत टंकप्र मारा पाछै गोलीजलसूलेती अजीराजाय२९ येहंदमैलिष्योछे थवा जीरो संचरला सुंठि मिरचि पीपलि सिंधोला अजमोद से काहींग हरडेकीछालि येसारीअधेलाअधेलाभारले निसोनटका २। भरले यांकोमिहीनूर्णकारटंक गरमपाणि लेतौ ततकालअजी रणजाय अरभूषवथै योजीरकादिचूरराछे जोगतरंगिणीमेलिष्योछे ३० अथवा अजमोद हरडेकीछालि चित्रकलचंग दालचिनी सीधी लूए येबराबरिले यांनमिहागारिटंकशापापी लेती अजीरगजा यभूषलागे योअजमोदादिकचूरगछे ३१ योसर्वसंग्रहमैछै अथवा सोधीगंधकटकाशभरचित्रकरकाकालीमिरचिरंक॥पीपलि टंकासूटिटंक ५जवषारटंकशासींधोलूगारंकासंचरस्टंक पासांभरोललाटंकायानेमिहीवाहिनींचूकारसमेदिनपरलकरै पाछैटंका। भरकीगोलीकरे गोलीज लेतो अजीरराने सूलनें आंबकदोसने गोला. श्राफरानैततकालडूरिकरैयागंधकवरी, ३२ यासर्वसंग्रहमैलिषीछे इतिअग्निमांद्यअजीरकाजत नसंपूरणम् अथविसूतिकाकाजतनलिष्यतेपोत्याल साकीगुलि जारो सोध्योगंधक सांधोलरा सूठि कालीमिरचि पीप लि सेकाहींग येसारीबराबरिले पाछेयांनैपरलमैमिहींपाटि नींबू कारसकीपुर ५०२ पाछेईकीगोलीछोराबोरप्रमाकीजे गोली पाएगी दीजेती विसूचिकासनकालजाय अरअजीररामिटेभ
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५ अमृतसागर सथा पतापसागरतरंग ४ : योजारकादिकछे अथवा वायविडंग सूहिपापति हरडेकालालि ओं वला बहेडा वच गिलचे सोध्याभिलावा सोध्योसांगीमुहरो येसारीब राबरिले पाछैयांनेषरलमैमिहावारिगोमूत्रमैदिन १षरलकरे पाछै रतीप्रमागोलाबाथै पाछेगोली प्रादाकारस अजीरगवाला नैदेतो अजीरगजाय गोलारसूविसूचिकाजाय गोली३{सांपकी कायोपाख्योहोय गोली४ सन्निपानजाय यासंजीवनीगुटिकाछे ३४अथवासेकयोसुहागोटंक ५पारोटंक ५सोधागंधकटंक ५सोध्यो सींगीमुहरोटंक ५ पीली कौडीकीराषटंकशासाजीटंक॥पीपलिटं क२॥ सूठिटंक२॥ कालीमिरचिटकाराभर प्रथमपारागंधककीकज लीकरै पाछेयेोपदिमिलावे पाछेजंभीरीकारसमेदिन-परलकरेपा छैरतीप्रमाएगोलीबांधै गोली वासीवालानैदेतीवासीततकाल पाछीहोय योगिकुमाररसछै ३५ अथवााककापानांकोरससे राधतूराकापांनांकोरससेरयोहरिकोइधसेर सहजएांकीज डेकोरससेरऽ१ कुठटकाराभर सांधोलगटकाराभर नेलसरकां जीकोपाणीसर ४येसारायेकगकारकडाहीमैमथुरांच पका वैयोरसमात्रबलिजायतेलायरहे तदिईतेलकोमर्दनकरेतो वि सूचिकोअरपक्षघातयेदोन्यूडूरिहोय ३६ येसर पवैयरहस्यमेलि ष्योछे अथवागणागचकाजांधाकाडाकीजड नींबकीछालि गि लवे कुडाकीछालि यांनबराबरिले पाछेटंक २॥ कोकाटोकरिदिन ३ लेतीविसूचिकाजाय ३७ अथवाहरडैकीछालि वच सेकाहींग इंद्र जव भांगरोसंचरलूगअतीस यांबराबरिले सानैमिहीपीसिटंक २॥ पाणी लेतो पासीजाय ३-अथवालायचीमासा ४ लवंगमा सा ४ अमलमासो जायफलमासा१० यानमिहीवारिमासागरम
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७ . अमृतसागर तथापतापसागर तरंग ४ पाणीसूतौषिमूनिकातनकालजाय ३५ अथवा नूकानोराय वेंकोरससेर३१ काटै ईरसमैसीधोलूराक५कूरटंकी नेलपा व यांसारांनेयकलाकरिमंदाग्नि पकावै ओरसवलिजायतेलमा अमायरहै नदिवेंतेलकोमर्दनकरेतीविसूचिकाइरिहोय ४.अ थवाजौवांकोचूनपईसा, ४ भरजवषारटंक५ यांनेछाछिमैसि जाय ईकोगरमगरमलेपकरेनौ पेटकासूल विसूचिकाकीसूलहू रहोय४१ अथवा कउवातेलकोगरमगरममर्दनकरेतोकूषिको दरदारहोय ४२ अथवा विसूचिकामेतिसघणीलागैतोलबंगा कोकाटोदेतोनिसहरिहोय ४३ अथवा विसूचिकाघपीवधेतौवें कापसवाडामेंडाहदेतौविसूचिकाइरिहोय ६४ अथवा विजोरा काजडसूठि कालीमिरचि पीपलि हलदमागचकाबीज यांनैव राबारले पाछेयांनेकांजींकापागामिहीपीसिईकोअंजनकरैती विसूचिकाजाय४५ येसर्वसंग्रहमें लिष्याछै इतिविसूचिकाका जतनसंपूरणम् अथअलसविलंबिकाकाजतनलिष्यते साबगरंक नीलोथूथोटंकीयांनंजलमेमिहींवांटिगुदाकैलगा वैनीततकालबंधटै अरअलसविलंविकाजाय ४६ अथवा यस हल चोष कूठ सौंफ हींग सीधोलूपा यांनेबराबारले यांनैकांजी कापाएगीमैमिहीवांटि गरमकरै पाछेउदरकैलेपकरैतो अलस पर विलंबिकाइरिहोय ४७ अथवाजोवांकोचूनअधपाया ईमेसाजी टकाभर नाषिईनैपकायकूषिकैगरमलेपकरेनौ विसूचिका लसविलंविकादूरिहोय ४८ इतिविसूचिकाअलसविलंपिका काजतनसंपूर्णम् अथकृमिरोगकोउत्पत्तिलक्षराजननसिपने पचमकमियो पत्रकार का येक्तीवाहरली इसारमा
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८
अमृतसागर तथा मतापसागर तरंग. हिली २ बाहल्याकोजनमतोच्यारिजागाछे एकतोमलसूंउपजैल ८१ येक पसेवसूंउपजैजूंलीष ३ समजूं ४ अथमांहिली कृमिकी उत्पत्तिलिष्यते अजीए में भोजन करै रोजीना मीठीषा टोपर पतलो मीषाय भोजनकरिषेदकरैनहीं परदिनमेसोवै यरविरुद्ध भो जनकरे ती पुरसकेपेटमैकृमिपडिजाय गिंडोलाउगेरे २० प्रकारका अथजींकापेट में गंडोलाउ गैरे कुमिपडिग ईहोयतींकोल क्षएालिष्यते जुरहोयावे सरीरको रंगऔरसोहोयजाय पेटमें सूलचालै हियोडूषै छादलीयावे भ्रमहोयंत्र्यावै भोजनमैंरुचिनहीं अतीसार होया येल क्षणजीकेहोय नदिजाणिजेई का पेट में ह मिगिंडोला । अथकृमिरोगकाडूरिकरिवाकोजतनलिष्य ते पुरासाली अजवायएगटंक २॥ वास्यापाएपीसूंदिन ७ लैतो पेटकी कृमिऊडिपडै २ अथवा पलासपा पडानें पाएगी मैंवांटिटंक १ सह तटंक ॥वेंरसमैघालिदिन ५ पीवैतैोपेटकीकृमिजाय ३ प्रथवा वायविडंगटंक २॥ मिट्टीबांटिरोजी नांदिन ७ सहतसूंलेतीपेटकील मिजाय ४ प्रथना वायविडंग सीधोलूल हरडेकीछालि जवषार येबराबरिले पाछैयांनैमिहीवांटिटंक २॥ छाछिसुंदिन ७ पीपैतीपे टकीलमिडिपडे ५ अथवा नींव कापत्रांकोरसटंक १० मिलायदि न७ पीवैतीपेट कीलमिजाय ६ अथवा पारोटक सोधीगंधकटंक २ खुरासाणी अजवायटिंक ३ चकायणकावकाटंक ४ पलासपाप डोटंक ५ यांनीमहीवांटिटंक २॥ सहतटंक५ सूंरोजीनादिन ७ चाटै तौ पेंटकीकृमिजाय ७ येसारासर्वसंग्रहमेलिष्योछे अथवा नाग रमोथो त्रिफला देवदारु सहजएगोकीजड यांनेबराबरिले पाछैयां नैजोकूटकरिटंक ५ कोकाटोदिन ७ लेतो पेटकीकृमिजाय ८ ९
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा वायविडंग सांधोलू सेकीहींग पीपल कपेलौ संचरलूप मांनैबराबरिले त्यांनेमिहींपासिटंक २॥ गरमपाणीसुंदिन ७ लेतेोपेट कीकृमिजाय ९ येसर बवैद्यविनोदमेलिष्योछें प्रथमांथामेजूंला पपडीगईहोयतींकाइरि करि वांकोजननलिष्यते धतूराकापां नांकारसमें अथवा नागर वेलिकापांनाकारसमें पाराने मिलाय यांकोबालामेंलेपकरैजूपडीही यजितौ जूलीषमरिजाय १ प्रथ गुदामेचुरणापडिगयाहोयती का दूरि करियाकोजतनलिष्य ते लसण मिरचि सांधोलूए हींग येसर्बबराबरिले पाछैयांनेजल मैंवादिगुदामांहिलेपकरैतीचुरएयामरे १ अथवा बहुवाकाफूल वायविडंग कलहारीकीजड मेंटल चंदन राल बस कूठ भिलावा लोहबान यांनैबराबरिले पाछेयांकी धूलीदेतो मांछरषटमलयेसा राघरमैं सूंजातार है २ येवैद्यरहस्यमैवैद्यविनोदमैलिष्यो इति कृमिरोग की उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् प्रथपांडुरोग कामलारोगहली मकरोयांकी उत्पत्तिलक्षएाजतनलिष्य ते प्रथपांडुरोगपांच प्रकार उपजैछे वायको १ पित्तको २ कफकी ३ सन्निपातको ४ यैकमांटीका घावाको ५ अथपांडुरोगकी उत्पत्ति लिष्यते घाषेदका करि वासूं घणीषटाईकाषावासूं दिनकासो वासूं घणीतीषी वस्तकाषावासूं इतनीवस्तकासेवासूं वातपित्त कफहसोपुरषकालोहीनेविगाडि अर वेंकासरीरकी त्वचानेंपीली कारदेछे । अथपांडुरोगका पूर बरूपको लक्षणलिष्यते व चाफारि वालागिजाय अंगामपीडाहोय मांटीषावाकी इछा रहे श्रां ष्पांऊपरिक्यौंसोईहोय मलसूत्र पीलोहोय अन्नपचनहीं लक्षण केहोय तदिवैद्यकथारे पांडुरोग होसी ईपांडुरोगनेंलो कफ मैं
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९. अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ४ पाल्योकहैछेअथवायकापांडुरोगकोलक्षालिष्यते जीकाल चा मूत्र नेत्र येलूषाहोयअथवा कालोहोयअथवालालहोय अरस शरकंपहोय पीडाहोय आफरोहोय भमादिकहोय तदिजालिने वायुकोपांडुरोगछै। अथपिनकापांडरोगकोलक्षालिष्यते मलमूत्र नेत्रजीकापालाहोयसरीरमैंदाह तिस अरजुरयभाहोय मलपतलोजाय सरीरकात्वचापीलाहीय तदिजालिजेपिनकोपांडु रोगछ २ अथकफकापांडरोगकोलक्षगलिष्यतेमुषसूकफ नीकलै सरीरकैसोजोहोय नंदाहोय आलसहोय सरीरभास्योहोय सरीरकीत्वचा मूत्रनेत्रयेसपेदहोय नदिजाणिजे कफकोपांडुरोगई ३ अथसन्निपातकापाडरोगकोलक्षगलिष्यते कसायलामा टीषाय जीकेवायकोकोपहोय मातीमांटीषायजीकेकफकोकोप होय पाछै वामांटीपाईहैसोसातूंधाताने अरभोजनकपोहोयती नेलूषोकरिनां पाछेवापेटमेंमांटीहोयसोविगरिपकीथकीन सांनेफुलायदे अथवारसवहवा रोकदे नदिसारीइंद्रियांकोर लजातरहै अरसरीरकोवार्य अरपराक्रमभीजातोरहै तदिवापेट मैंषाईमांटीसरीरकीत्वचानेपालीकरिबलवरणअग्नियांकोनासक रेतदिवेंकैनंदाहोय बालसञ्चावे सास पास मूल बवासीर अरु चि आष्यांऊपरिसोजो पगांकेसोजो पेटकेसोजो इंदाकैसोजो पे टमैं शमि अतीसार मलकफलोही मिल्यो येसर्बलक्षणहोयन दिजाशिजेईमांगषावाकोपांडुरोगछे अथपांडुरोगको साध्यलंक्षालिष्यतेसरीरकोलोहीजातोरहै सरीरसुपेदहोजा य दांनषनेत्र पीलाहोजायसंपूरण-नेपीलोहीपालोदीपैथ रसारासरीरमैसोईहोया अतीसार अरज्वरहोया ओसो
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९१ . अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ४ पांडुरोगीमरिजाय१ अथकामलारोगकोलक्षगलिष्यतेजो पांडुरोगीगरमवस्तघणीषाय वेंकैपित्तहेसोलोहीअरमांसनेदा धकरे वेंकानेत्रहलदसिरकाकरैपरवेंकात्वचानषदोहलदका रंगसिरकोकरिदे अरवेंकोमलमूत्ररुधिरसिरीसोकारदे मांडका कावररासिरीसोहोजाय इंद्रयांकोबलजातोरहै दाहहोयावे अंनपचनहीं दुर्बलताहोय अरुचिहोय येलक्षणहोयतदिकाम लारोगजातिजै अथहलीमकरोगकोलक्षगलिष्यतेजीपांशु रोगीकेवायपित्तवधै तदिवेंकात्वचाहरीकालापीलीहोजाय पर वेंकोवलउत्साहजातोरहे अरनंदरामंदाग्नी मिहींजूर दाह निस रुचि भ्रम येसाराहोयाचे स्त्रीसंगप्यारोनहींलागे अंगामैं पार्ड होय तदिहलीमकरोगजाणिजे अथपांडोगकोजतनलिष्यते सारनैगोमूत्रमैदि७ पकावै पाछैईनमिहीं वाटि जलसूंरंकारो जानादिन१५लेतोपांडुरोगजायाअथवा गोमूत्रमैपकायो मांड र तीनेक गगुडकेसाथिदिन१५ लेनोपांडरोगजायर अथवा सा सकीजड निसोत सूठि मिरचिपापति वायविडंग दारुहलद चित्र क कूठ हलद त्रिफला दांयूएगीचय इंट्जव कुटकी पापलामूल नागरमोथो काकडासांगी करेललि अजवाणि कायफल येसारा टकाटकाभरिले पाछेयांनैमिहींपारि यांसूंडूएगोईमैमांडरमिलावे पाछेयांने अठगुणागोमूत्र में पकावै पाछेईकीगोलारंकाप्रमा पाकीबांधै पाछैगोलीगंडकीछाछिकैसामिलदिन१५लेतो पो डुरोगअसाध्यभीजाय अरयोहाकामलारोगर्नेहलीमकरोगनै सा मनै षासीनैं राजरोगनैं जरने सोजानैसूलने फायानै आफराने वासीरनैं संग्रहपीने कृमिरोगर्ने वातरक्तनै कोट.यासारारोगांने
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९२ . अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग - ४ ईकासेवन येडूरिहोयछै योपुनर्नयादिमंडूरछै १ अथवा हरेडेकी छालिरंक ५बहेकीछालिरंक ५आंवलाटंक ५मूठिटंक ५काली मिरचिटंक ५पीपलिटंक५ नागरमोथोटंक५वायविडंगटंक५चि वकटंक ५मास्योसारपाईसाएभर यांसारांनैमिहीवांटियांमेसारमि सवै पारतीए इनेसहतकेसाथिले अथवा घृतकेसाथिले अ थवा गउकाडालिकेसाथले अथवा गोमूत्रकैसाथिलेनी पांडुरो गर्ने सोजानें अग्निमांद्यनै वासारनै अरोचकने यांरोगांनैयोन वायसचूरगदूरिकरैछे दिन१५ ईकोसेवनकरै प्रथमदिवसईनर नीरषाय पाछईनरेतीदोयदोयररोजीनांवथै अगरारतीताई योनवायसचूराछै २ अथवा अरडूसो गिलवै नींबकीछालि त्रिफला चिरायत्तो कुरकी येवराबारले यानेजोकूरकरिरंक २॥को काटोकरितीमैसहतमिलायदिन लेती पांडरोग.रक्तपित्तनैका मलारोगने हलीमकरोगने यांरोगांनैयोदूरिकरे ३ अथवाधिक लाकोरसअथवा गिलवैकोरसअथवादारहलदकोरस प्रथ यानीबकोरस यारसांमैसहतमिलायदिन १०पीवैतो पांडुरोग कामला हलीमकायेसर्बजाय४अथवा दडधलकोरसनेत्रांमैं प्रांजैतो पांडुरोगकामलारोगहलामकजाय ५योवेयरहस्यमैलि योकै अथवा चिरायतो कुटकी देवदारु नागरमोथो गिलवैप टोल धमासो पित्तपापोनीबकीछालि इंडि कालीमिरचि पीप लिचित्रक त्रिफला वायविडंग यानेबराबारले पाछेमिहीपीसि यांबराबरिई मेसारमिलावैपाईनेटंकासहतसं अथवाग छिसंरोजानांती पांडुरोगनेंकामलानेहलीमकनैं सोजानै प्रमेह
संग्रहणीने सासने पास.रक्तपित्तनें बवासीरनैं आमवात.
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९३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ४. गोलानै कोदने यांरोगांनेयोअशदशांग अवलेहरिकरै योभा वप्रकासमैकल्यौछे अथवा कडवीतूंबाकीगिरिकारसकीनांसदे तो ततकालपील्योजाय अरपांडुरोगवालोजन गौहू चापल मूं गअरहड मसूर येषाय इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराज राजेंद्र श्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरचितेअमनसागरनामयंथे अजीरणमंदामिभस्मक विसूचिकाअलसविलंविकारुमिरो गपांडरोगयांकाउत्पत्तिलक्षाजतननिरूपणनामचतुर्थस्तरंग: संपूरगम४ अथरक्तपित्तरोगकीउत्पत्तिलक्षराजतनलि ष्यते पणातावडाभैरहवासंघपाषेदमं घपाचालिवासंघपा मेथुन तोषावस्तकापावासू पणासोच गरमवस्तकापावासू सारावस्तकाषापासूं लूग पराईकाषावासू कडवीवसकाषावासू यांसंपित्तदग्धहोय शरीरकालोहीनेदग्ध करेछे तदिवेंकोलोहीदोय तरहकरिभवनहोयछे येकउपरायेकनाचैरउपरतोनाकमांहि कर नेत्रांमैं कानमें मूंटामे यांमैप्रवनहोयछै अरलिंगेंदिमै योनिमें गुदामे यांहारांनीचेपवर्त्तहोयछै अरघगोलोहीकृपित्तहोयती स बालांमाहवतहोयछै अथरक्तपित्तकोपूर्वरुपलिष्यते अंगामैपीडाहोय ठंटिसुहावैयूंटामैचूंबोनीकलै वमनहोय लोही कीमूंदामेश्रावै येलक्षणहोयतदिजाणिजेरक्तपित्तहोसीअथ कफकारक्तपित्तकोलक्षगलिष्यतेजाडो पीलो चाकरो मोरका चंदनासिरकोलोहाहोयतो कफकोजाणिजे अथवायकारक्तपि तकोलक्षालिष्यतेकालोमांगासमेन मिहींधारनेलीयां लूषोलो हीहोयतो यायकोजागिने अथपित्तकारक्तपित्तकोलसपालि प्यते षैरकाकांटासिरकोकालो गोमूनसिरको स्याहासिरीसोची
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९४ अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग ५ कणो इसोलोहीहोयतोपित्तकोजाणिजे अरयेसर्वलक्षरालोहीमें मितैतीसंनिपातकोजाणिजेनांक मूंदोषि कानमैंहोयलोहाजा यतोसाध्यजाणिजे यदालिंगयोनिमैहोयकरिजायनोजाप्यजाति जै दोन्ऍमार्गातूंजायनोअसाध्यजाणिजे अथरक्तपित्तकाउप द्रवलिष्यते रोगांसूंजीकोषापासरीरहोय अरवूदोहोय लंघनक रतोहोय दुर्बलहोय जाँकेयोरोगसाध्यछै अरसास पासवर वमन मदलियांपांडरोगीकेदाह मूर्छ अधैर्यवानकै हियोडूषतो होयजीकोतिसवालाकै अतीसारवालाकै भोजनकाअरुचिवाला के इतनाकाहोयतो उपरवजाणिजे अररक्तपित्तवालाने आकास मालालदाषेसोअसाध्य अरलोहीदाडे भरलालजीकामेत्रहोय अरलोहीकाजाकैडकारावैधरसरबत्रलोहीसोदेषेतीअोध साध्य अथरक्तपित्तकोजतनलिष्यतेनकसीरवालाने मूदां मैलोहीपडैजीनैजुलावदाजे हरडै त्रिफला निसोत किरमालो या काजुलाब रक्तपित्तजायाअरनीचरलामार्गकारक्तपित्तवम नसूजाय २ अथवा षस कमलगट्टा अरडूसो गिलवै महलोठी महुयो नागरमोथो रक्तचंदन घणो येसारोबराबरिलेयांकोटंक २॥ कोकाटोसहतनांधिलेतो रक्तपित्तजाय ३ अथवा कूलप्रियं गुलोद रसोत चाककीमांरी अरसो यांनैबराबारले पाछेटंक २॥ कोकाटोसहतमिश्री मिलायदिन लेतो रक्तपित्तजाय४ अ थवा दोबकारसकी अथवा दांड्यूंकाफूलांकारसकी अथवा अ लताकारसकीअथवाहरडेकीसीतलजलमैवाटितीकारसका नासदेतो नकसीररिहोय ५अथवादोबांबलवाटीमाथांके लेपकरें तोनकसीरसनकालबंधहोय अथवा पक्यागूलरिका
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९५ अमृतसागर तथाप्रतापसागरतरंग ५ फलअथवाछवाराअथवा दषयेसहनसूपायतौरक्तपित्तजा य७ येसारावैयविनोदमैलिण्याछै अथवाधणोंांवला अरडू सो दाष पित्तपापडो येसाराबराबरिले पाछेटंक ५सीनलजलमैं भेगडेपापीमैंवांटिलागिपीवेतो रक्तपित्तजायजुरदाह निससो स येभीजायन् अथवा मिनक्कादाष चंदनलोद फूलभियंगुयेब राबरिले यांने मिहावांटिसहतसंदिन १० वाटेतोरक्तपित्तजाय सर्वप्रकारको९ अथवा वसंतमालतीरस पोलवरपर्पटीरसपा छैलिष्याछैत्यां भीनकसोराछीहोया अथवा प्याजकेरस कानांस लेतीनकसीरवंथहोय अथवा सौ१००वारकोधोयो तमस्तगकैलेपकरेती नकसीरवंथहोया अथवा वडोपकोपे ओलेतीकाबीजथ्योतरिकरिपाणीवेनैपकायवेटोकरि गा टावरुषसंवेंपेटाकोजलकाटे नोजलजुदावासरामेराले अरपेय नैंकडाहीपृतघालितलिले रोकरैबलिवादेनहींपाछपेठाकार समैमिधीकीपासणीकरै पाछैवेचासीमेवेंपेगनेंनां भरपीप लिटकाराभर सूरिटकाराभर जीरोटकाशभर पगोटंकपत्रज टंक ५ इलायचीटंक ५मिराचकालाटंक ५तजरंक ५वंसलोचन रंक५यांनॉमिहींपाटिचासपी मैनाले अरपावासहतईचासपी मैंनांषे पाछेईनेटकारानथाराभररोजानांषायतो रक्तपित्तनैंपि नज्वर. तिसर्ने दाहने प्रदर4 षागताने बमननैंसरभंगने पास मैं सासने क्षयीचे यांसारानैं योपेटाकोअवलेहङ्कारकरेछे पर सरीरघगोपुष्ट करेंछे इतिपेटाकोअवलेह अथवा इलाय चीपत्रज पंसलोचन नजदाष पीपलियेसारीपईसापईसाभार ले पाठेयानमिहींयां मिश्रीटकामहलोडाटकामदाषदकारी
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग छवाराटका शभर यांनैमिहींवांटि वामेमिलायसहनटंक २॥ मैंगोली बांधे गोली १ राजीनांषायतो रक्तपित्तनें सासनें पासने पित्तज्वरनैं हिचकी मूर्छाने मदनें भ्रमनें तिस पसवाडाकीसूलनें रुचिनै सोसनैं ज्वरभंगनै क्षयीनै योयेलादिगुटिका यांरोगांनेइरिकरैछै परपुष्टाईकरे इतियेलादिगुटिका येजननवैद्यरहस्यमैलि योछे इतिरक्तपित्तकाजतनसंपूरणम् अथराजरोगकाउ त्यत्तिलक्षणजतनलिष्यते राजरोगतोपंच ५ प्रकारको वाय को? पित्तको २ कफको ३ सन्निपातको ४ हिया चोटलागियाको अरसोसरोगछ ६ प्रकारको येकतौस्त्रियांका घासंगकरिवा १ घणणसोचसूं २ गंभीरादिकत्रणञ्चरहियामें चोटघलीलागीहोय जीसूं ३ मार्गका घणाचालिवासूं ४ घणाषेदसूं ५ बूटापासूं ६ अथराजरोगकी उत्त्पत्तिलिष्यते मलमूत्रअधोवाय कारो किवा सूं अरबीर्यकाक्षीणपणासूं घणासाहसपणाकार आपसूनहोय सोकरैतिं विगरिसमैंघणाभोजनकरिवासूं यांसूंयोनिदोसरूपी राजरोग पैदा होयछै सोईरोगमैं कफप्रधान सोयोक फघणांस्त्री संगकरि वासूं रसनैंवहवावाली नाड्यांनै रोकेरै बार्यनेबीए करे पाछैसारीधातांनैषीणकरैछै नादमनुष्यदिनदिनसूकिवालागे याई की उत्पत्तिछे अथराजरोगको पूर्वरूपलिष्यते सास अं गापीडा बासीकरिकफकोथूकिवो तालवाकोसीस वमन अमि कीमंदता पीनस पासी नदीचा प्रांयांको सुपेदहोवो मां सकाषाचाकी इछा मैथुनकी इछारहै येलक्षणमनुष्यकै होयतोजा लिजे राजरोग पेदाहोयसी पथराजरोगको लक्षणलिष्यते कां धामैंरपसवाडामैं संतापहोय वेंका हाथपगबलै अरसर
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९७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ५ बांगजुररहे नदिजाणिजेईकेराजरोगछ अथवाभोजनमात्रमें रूचिनहोय जुरहोय सासषासहोय मूंटामैलोहीआवेअरस्वरभंग होययेछै ६ लक्षणहोयतोजाणिजेयोराजरोगछ २ अथवायकाराज रोराकोलक्षएलिष्यतेवरभेदहोय मूलहोय कांथाअरपसवाडा कोसंकोचहोयतोवायकोजाणिजे अथपित्तकाराजरोगकोलक्ष एलिष्यतेजुरहोयदाहहोय अतीसारहोय लोहा दामैावै तोरा जरोगपित्तकोजाणिजे अथकपकारोगकोलक्षालिष्यतेमांथो भास्योरहै भोजनमैरुचिनहींरहै पासाहोय कंठसूबोल्योजायनहींनो राजरोगकफकोजाएिजे ३येग्यारा सर्वलक्षामिल्याहोयतोरा जरोगसन्निपातकोजागि ४ अथहियामैचोटलाशिवासूउप ज्योजीराजरोगतीकोराजलक्षालिष्यते सिरमैपीडाहोय मूंटा मेलोहीकोयमनहोयसरीरलूषोपडिजाय भोराजरोगी असाध्य जाणिजे अथवासुपेसपेदजींकैषिहोय अन्नकापावामैत्र रुपिहोय अरसासकोरोगजांवधिजायरजांप्रमेहकोरोगपलो होयजाय अरघगोमूनोराजरोगीमरिजाय२ अथईराजरोगकी अवधिलिष्यनेमलोसास्त्रकोवेनासर्वजतनउगेरौक्रयामैलसल इसोयनोजतनकोक मिले अरोरोगीतागहोय अरव्यवा महोय वैद्यकहेसोकरै अरजितेंडीहोयसोमादिनहजार..ला ईजी उपरांतिनहींजीये अथकुंकसाध्यराजरोगकोउक्षणालि ष्यतेजाजुरनहींहोय अरयोबलवानहोय अरवैद्यऔषदि कड वीकसायलादेजीनेषायजाय अरभूषजांकानाब्रहोय अरसरीरपु ष्टहोंय राजरोगीकोजननकरजे अथपणामथनकरपासूर पज्योजोसरोगनीकोलक्षालिष्यने लिंगेंशमेपोनामैपीडहोय
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९८
'अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मैथुनकर वामशक्तिन होय पाढेहाडांकोनासहोय परराज रोगकाउ पद्रवकह्यासोहोय सरीरपीलोहोय चिंताग्रस्तहोय सिथलांगहोय. येलक्षणहोयन दिजाणिजे ई कैमैथुनकरिसोसहवोछे परसोचकरसो सरोगहुवो होयती को भीयोहीलक्षणडे येकईमैवार्यको क्षयनहीं अथजरासोसी कोलक्षणलिष्यते सहोयजाय वीर्यबुद्धिबल येजाता है सरीरकांपै भोजन मैंरुचिहोय घांघोबोलें अरकफघ शोथूकै सरीरभास्योहोय पानसहोय लूषोसरीरहोय येजीमें लक्षण होय तदिजाणिजे योजरासोसी छै ४ अथमार्गसोसीकालक्षणलि यते परजरासोसी कालक्षणसंमिल्याछैपरिवे केहिया में पीउनहीं होय ५ अथगंभीरादिकब्रएाउपज्योजोसोसती कोलक्षण लिष्यते घणीतीरंदाजी करि वासूं भारका उठावासू यांसू हियामैजो रमापर्डे अरघणोमैथुनकरे लूषोषाय नदियें काहियामैयोरोगप दाहोय तोहियोघोषे पसवाडाइषे अंगसूके गंगामैकांपली होय अरबीर्यबलवर्ण रुचि अभियेसर्वघटिजाय लोहीछादै लोही मूतै पस वाडो पीठिकढियेडूर्षे अरज्वर होयच्यावे गरीबसोहोजा य अतीसारहोय पासीहोय येसर्बलक्षण होय तदिजाणिजे कैन एसीसकोरोगछे अथराज रोगन्धरसोसरोगयांकाजतनलि ष्यते सलोचनटंक - पीपलिटंक ४ इलायची टंक २ नजरंक १ म श्री टंक १६ यांनेमिहीनांटिसहतमाषनकै साथि चारैती राजरोगनें सासषासनें पित्तज्वरनैं पांकासूलने मंदानिने रुचिने हाथ पगांकादाहनें रक्तपित्तने यांसारानेयोहूरिकरैछे यो सितोपलादिय वलेह अथवा गिलोयसन सार येटंक १ ले पाछेसनमांषनसं नातीराजरोगजाय २ अथवा भास्योपारो ३ भाग सोनाकी राष२
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९९ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग .. ५ मेरासिलीभाग गंधकाभाग यांसारांनेयेकराकरिबडीपालाकोडी मैंभरे पाछेबकरीकाधमैसुहागानेवांटिवेसुहागासूाकौड्यांका मूदानेदेपछलांकौड्याने कूल्हडीमैमल्हि षामदेगजपुरमेशूकिदे पाछेस्वांगसीनलहवां-नेकादै योराजमृगांकरसछै ईनैरती४मही नोवईमानपीपलिझं पीपलि मूं.२१ ताई सहतमांषनमिलायनो राजरोगमुकरजाय योराजमृगांकरसडै ३ अथवा भीमसेनीकपु ररंक५तजटंक ५कंकोलमिरचिटंक५जायफलटंकपलनंगरंक ५नागकेसरिटंक ७ पीपलिटंक ठिटंक९यांसर्बकीबराबरिम श्री यांनमिहापारिसहतउगेरैअनेकअनूपान टंकालेतौ राजरो गनै अरुपिनै क्षयाने सास. पासनै गोलारवासारने वमननैकंठ कारोगनें यांसारानेयोडूरिकरेछै४ योकपूरादिचूर्ण अथवा सो भागंधकटंक ५अधकटंक५सोध्योपारोरंकहींगलूटंक २॥मेगासि सरंकाप्रथमपारागंधककीकजलाकरे पाछैईमेयेशोषदिमिलावै -पाछैयांसारां प्राधोईमेसारमिलावै पाछैपरलमेंयांनघालि यांकैस तापरीकारसकीपुरषदेरईनेसुकायले पाछैरनारसथामिश्रीकैसा थिपानासमेषायती राजरोगनेवायपित्तकफकारोगांनैसर्वचरनयो ट्रारकरेछ योकुमुदेस्वररसछै येसाराधरहस्यमैछै अथवाचौला ईशांधितामपृतघालिनित्यभोजनकरेनोराजरोगबहुमूत्रनाइरिहोय ६ अथवा हवांनांचलावडापकापांचसै५०० सेत्यांनैजलपकावें पोकोरसकादै रेंसमे पचास ५० टकाभारमिनीकीचासणीकरिचांदी कावासबमें पाछे!चासणामयेचौषदिनाषेसोलिपूंछंगिनकादाषं अगरचंदन कमलगटा इलायचीहरडेकीछालिकाकोलीबीरकाको लीरिरिद्धि मेदमहामेदजावकरिसभ गिलवै काकडासीगी पोह
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१००
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
करमूल कचूर भरडूसो विदारीकंद परेंटी जीवंती सालपण पृष्टपण दोन्यूंकटाली बीलकीगिरि धरल्यू अरलू कुंमेर पाठ नागरमोथो ये सर्वोषदिर काठकाभरले त्यांनैनिपटमिहींवांटि ईमावलाका संजो गकीमिश्री की चासणीमेंनाषे पाछैईचासणीमेंटका ६। भरसहनना षै पाछेंईमैपीपलिटका १। भरनांषे पाछेईमेतजटंक २॥ पत्रजटंक २॥ नागकेसरिटंक २।। इलायचीटंक २॥ वंसलोचनटंक २॥ भर यानेमि हावांटिईचासणीमेंनाषे पाछैयांकोयेकजीवकरिटका १ भर रोजीनां षायतौ राजरोगर्ने सोसरोगनें योचिमनप्रासव्यवलेहदूरिकरैछे अरयोबलकर्त्ताछै सरीरनैपुष्टकरैछे अरबूटापणानेइरिकरैछै रसरीरनैजुबान करेछे ७ इतिचिमनप्रासावलेहसंपूरणम् अथवा अरडूसाकोरस अरकट्याली कोरसटका १शभर तीसह त १भर पीपलिटंक २॥ मिलायरोजीनां षायतेौराजरोगहूरिहोय ● अथवा मृगांक १ भाग पारो १भाग मोतीबांध रभाग सोधी गंधक २ भाग प्रथमपारागंधककी कजठीकरि येयामैंमिलाय कां जीमैदिन १ घरलकरे पाछैईको गोलोकरिसरावामै मेलिवैकैकप उमिटीदें अरलूएसूंभांडोभारती के वीचिसरावोमेलिदिन ? यांच देवैनैपकायले तदिप्रसीतल होयपाछे वेनैकायोकुमुदेश्वर रससिद्धिहोय पाछेरसनेरती १ तथा २ प्रभातही मिश्रीकैसाथ Adiराजरोगजाय इतिकुमुदेस्वररसः ९ येसर्ववैद्य विनोदमेलि पोछे अथवा पिली कोडी बडीले भरपारागंधकनैवरावरिले ती कीकजलीकरिवांकोज्यामै भरेकोडी के मूंटेक्स हागो देसेककर पा बैसरावामेवां कोड्याने मेलि येसरावाने गजपुटमें फूकिदे सीतल हुवांका पाछे नेरती वायती राजरोग सोसरोग सासने षासनें
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११ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ५ संयहीने जरातिसारयेसाररोगईरसमजायछे योगपर्देसररस छै योरुद्रदत्तमेलिष्योछ। अथवारोजरोगसोसरोगवालाने येत. स्तहिनकारीछ सोलिपूंछू साठ्याचावल गौहूंजव मूंग हिरएकोमा. सकुलस्थ बकरीकोयत बकरीकोथ मातीदायूं प्रांवला येसाराभा छ्या येवृंदमेलिष्योछे ११ अथवा सिलाजीतसुद्धकासेवामंराजरोग, जाय २ योचरकमैलिष्योछे अथवा तालीसपत्ररंक.चित्रकटं क. हरडैकीछालिरंक अनारदापाटकर डांसवारंक. अज मोदकागजपीपतिटंक॥ अजवायराटंकमार्कषकाज टंकशाजारोटंक ॥धपोरंकसजायफलरंकशालवंगटंकतज रंका परजटंकसा इलायचाटंकसायांकाबराबरिमिश्रीले पाछै यानैमिहींपाटिंकररोजीमांबकराकाडूधमैलेती राजरोगनै क्षयी रोगने पीनसनै फीयान अनीसारनै मूत्रनै पांडरोगने वायपि तकफरोगनैं प्रमेहनें योचूरगडूरिकरेछे १३ इनिमहानालीमादि चूरा योहरीतलियो अथवाइंडिकालामिरचि पीपलित जपत्रज इलायची लवंगजायफल बंसलोचन कचूर बाबचीत्र मारदाणां येसाराबराबरिले पाछैयांनमिहीयारियांबराबरिईमै चोषोसारमिलादे पाछैयांबराबरिईमैमिश्रामिलायका॥ईनै रोजानांबकरीकाडूधकैसाथिलेती राजरोगने मंदाग्निने वीसप्रमे हनै योडूरिकरैछै अरसरीरनैपुष्ट करैछै ४ इतिगगनायसंचूर एम् १४ अथवा लवंग कंकोल मिरचि षस चंदन नगर कमल गट्टा कालोजारो इलायची अगर नागयेसरि पीपसि डि चित्र कनेत्रवालो भीमसेनाकपूर जायफल वसलोचन यांसारांभैपरा. बरिलै यांसारांकायाधीमित्राले पाछैटंकारोजीनांषायती राज
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१०२ अमृतसागर नथाप्रतापसागर तरंग . ५ रोगर्ने मंदागिनें षासनै हिचकीने संग्रहलीने अतीसारनै भगंदरने अमेहनेयोहरिकरैछै१५ इसिलवंगादिचूरा अथवामाग्यौषधक दकाश भर भीमसेनीकपूरमासा ४ जावत्रीमासा षसमासा ४ तेज पत्रमासा ४ लवंगमासा४ तालीसपत्रमासा दालचिनीमासा४ दाल चिनीकालमासा५ धावाकाफूलमासा ४ हस्डैकाडालिमासाना बलामासा ४ बहेडाकीछालिमासाठिमासाहपथमपारागंधक काकजलीकरै पाछेकजलीमैयेऔषदिमिहींपांटिपैमामिलाययेक जावकरे पाछेपागोसूचनांप्रमागाईकीगोलीबांधै पाउँगीली४रो जीनांसातलजलसूषायतीराजरोग सोसनै सासषासनैं सूल. प्रमेहुर्ने चमनर्ने अमलपित्तनै अरुचिर्ने संग्रहपान यानरत्तने यां सारांरोगांने यागोलाइरिकरैछै सरीरनैपुष्टकरैछै याश्रृंगारी मृकगुटिकाछे अथमथुपकहहर.कीक्रियालिष्यते दस मूल पीपलि चित्रक कौंछिकाबीज बहेडाकीछालि कायफल काक
सांगी देवदारु सारीकाजड धपो लचंग किरमालाकागिरि गोष रूपधायरो कूटइंद्राया येसारीऔषदिटका २ दोयभरलीजे सोया नेनौकूरकारसेरसोलापकाजलमैयांनीषानेनापि अरबी पद्यांकालारनोपामोटीहरडैपडीसेर७४ पकानांषि मधुरीबांचढूं मटकीमैयालियौटाई ओव्यांपाठेगाहरडैकीपालीकादि पाने टीकरे पाचोषीसहतमैनांषिदिनपांचराषिजै पाछैनांहरडैनैसंह नमें कादि पारसहतमैनाषिजै सहतमैंड्वारहे सीतदिन १५ ताईराषिनै पाठेयाने ओलंकादि महानां नाई औरसहतमैरापि जे सहनमैंडूचीरहै पाछेनांहरसमेनसहनकापासणमैं नजप अजनागकेसराइलायची पापलि यांसारांकोचूारका-भरमि
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१.३ अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग ५ हींगांटिईमिसापीजे पाछेहर रोजीनांचायती राजरोगसोस रोग षास सास हिचकी पमनजुर मूत्रल प्रमेह गातरक्त बवासीर संग्रहणी रक्तपित्त दाह विभूतियोंची कोटमृगी पांडुरोग यांसारांरो गानेरमधुपकहरडेडूरिकरे ७ इतिमधुपकहरडैकी विधि संपूरणम् याधन्वंतरीसहिनामैंसिष्योछै अथवा परागोगुडसेम १ अरबादाकोरस सेराईरसमैंगुरकीरासणीकरै मधुरांच भु पतलीईचासणीमें नज पत्रजनागकेसरि इलायची लग सूं 18 कालीमिरचि पीपलि येसारीओषदिटकायेकेकभरिले त्यांनमि होवांटिईमिलाप टकायेकभरिरोजीनांषायती राजरोग. मंद अग्गिने षासनै सासनैं अरुचि. यानयोडूरिकरैछै१- इतियादा कोअवलेह अथवा बकरीकाधमैबराबरकोपापिघालिता मैंपीपलि ३ नांषे अरयेकेकरोजामांवर्धेमहीनायकत्ताईवधाप छैयेकेकघराभरमैपाएीवलिंजायपरथायरहैतदिपेहली तौपीपतिषाय पाछैनोइथपाजायती राजरोगअरसास.षास ये जातारहै योकासीनाथीपहित मेलिष्योछे १९ अथवा मिन काराषसेर ४पकाले त्यांनम पाणीयोरावे वैकोचतुर्थाश राणे पाछेमपरागोराउनाले घरमैवायविडंग फूलप्रियंगुलज लायची पज नागकेसरियेरकाटकाभरनांपिदारुकायंत्र यां कोअर्ककादै पाछैटकाभर रोजानीलेतीराजरोगसासषासरि होय २० योदाषांकीपासवछे योजोगतरंगिणीभेलिष्योछे अं थवा मृगांकी रुपरसरतामेस्वर ३ पाराकीभस्म ४ अप्रफ ५ये येकेकभागवधताले पाछेयांनेयेक मिलाययां फेज़दीजुधयेके कपुरदे प्रथम वायपिउंगकी नागरमोथाकी कायफल की नि
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१०४ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग ५ ऐडीका १ दसमूलकाचित्रकका हलदकी सूठिकाकालीमिर चिकी पीपलिकीयांकीपुटदे पाडेगोलारतीआधप्रमाणबांधे गोलीरोजीमांषायती राजरोग पासी फीयो गोलोजाय योपंचामृ तरसछै योसारसंग्रहमैलिष्योडै अथवा बडासंषनेगउकामूत्र
शांति वेंकाराषकारकीरडामुसिवणावै मुसिमेंपारोटंक५ गंधकटंक ५ यांकाकाजलीकरिमेले पाछेईकैकपरमिदीदे पर गजकुटमैफूकिदे पाईनमुसिसमेतवांटिरती सहन लेतो राजरोगजाय २२ योरसारावलियो अथवाथोहरिकील कडाबालीपावलेसींधोलूएण्टकाशभरसंचललूटका। भर सांभरोलूएण्टकाभर बैंगासेरऽचित्रकटकाराभर यांने येकाचारि सरावामेमलि गजपुटमैकिटे पाईनेमासोमोज़ नउपरांतिजल लेती ततकालभोजनपचे अरराजरोग सास या सारजाय अरआंबनतकालभस्महोय मूलजाय योक्षदादिकषार छै२३ योरसराजलक्ष्मीग्रंथमेरो अथवासंषकाराषनीपुकार समेंबुमायकार पाराषटकारामरलेभरचव्यरंका जवषारदं की पांचूलूगटक सेकाहींगटंकी मूटिरंक १० कालीमिरचिट की पीपलिटंकी पारोरंकी सोध्योसांगीमुहरोटक सोधीगं घकटंक १० प्रथमपारागंधककाकजलीकरै पाछेकजलीमैयेमिला. ये पाछैनींबूकारसमेंगोलीचगांप्रमाणवांधेगोलीरोजीनालवंगां कापातामैंलेतौ राजरोगसंयहगा सूलगोल येसाराइरिहोयच्या संषरटीजोगतरंगामेलिषीछे अथअगस्थिहरडैकाविधिलि ष्यने समूल कौंचकाबीज संषाहूलीकचूर परेंटीगजपीपति अांधीगाडो पीपलामूल चित्रक माउंगी पोहकरमूल येसारीऔष
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१०५ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग दिदोयदोयटकाभरलीजे पर वडाहरडै १०० ताजे पाछेयांओषयांने जोकूटकार सेरवासपांगामेोषदिअरहरडैसामिलकरोगजे पा छैोपालाचतुर्थीसरहै नदिवे उतारि वैमाहि हरडैकादीलीजेपा छैहरडैकीगुठलीकाटि हरडैनैवांटिराषेपाछोपुरागोराडरका १०० भरतीकाचासणीकरैवेचासणीमें ईहरडेकाचूननैमिलायै मैगर कोनटकाभरनाषेचासणीमैपाछैईनेटकाभर रोजीनांषा यती राजरोगनै सोसनै षासीनै सासनैहिचकीनै विसमजरने से ग्रहणीने बवासीरनै अरुचिनै पीनसने याअगस्तिहरडैइतनारोगा नेहरिकरैछै अरसरीरनैपुष्टकरैछै भूषवधा, कोष्टनेसुहकरेछ २५ इतिग्रस्तहरडैकीविधि यादमेलिषीछै अथवा अर इसोटका १०० भरलेतीकोकादोकरिचतुर्थीसराषिजे जुदोछागि पोछेईकादाकारसमैंटका १००भरगुडकी चासणीकरिटकाभ र तिलांको तेलनांषै अरटकाभर गऊकोघृतना अरईचा सीमेवडीहरडै १० काबकलकोचूररामिहींना पछै पीपलि रंक २॥पीपलामूलटंकसा कालीमिरचिटंक ॥ पोहकरमूलरंक
चयटकाचित्रकटंकसूटिटंकशायमिहींपांटि ईचास पीमैयांकोचूर्णनांषेपाछैयांकोयेऊजीवकार टकाभररोजानां पायती राजरोगनिश्चैहरिहोय अरई बवासीर पासी स्वरभेद मोजो अमलपित्त पांडुरोग उदररोग अमिमांद्यनपूंसकता येसा रारोगई जाययाचरकमेलिषीछै २६ इतिराजरोगसोस रोगक्षयारोगयांकीउत्पत्तिलक्षराजतनसंपूरणम् अथ पासरोगकी उत्पत्तिलक्षराजतनलिष्यते अथषासकार पत्तिलिष्यते मूंदामेधूचांकाजावासू सूंदामैंधूलिकाजाबासूं
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१०६ . अमृतसागर तथाप्रतापसागरतरंग ५ लूषाअन्नकाषावासूं भोजनकाकुपथ मलमूत्रकारोकिवासू लीक कारोकिचाएं चिकाईमूलीउगेरैऊपरजलकापिपासू यांसूंषास पैदाहोयछे पाछैोषासहेसोहियाका प्राणपवनं मिलै अरोश पपवनकंठकाउदानपवन मिलि वांदोन्यांपयनानेडष्टकरै तदिवे इष्टकंउकापवनहेसोवांकोशदकांसीकायापासणसरासोहोय मूं टांसंवेगदेरनीकलेनदि मनुष्याईनेषासकहेछै सोपोषासरोगपांच ५प्रकारकोछै यायकोपित्तकोर कफको३चोटलागिवाको ४क्षयी रोगको ५ अरअनुक्रमसूंषासहेसोपाडिलोपाछिलोवलवानजागी जै वायपित्तकोवलवान ईक्रम जाहिल्यो अथषासकोपूर्व रुपलिष्यते कंउमैगलामेंकांटासापडिजाय कंउमैषुजालियावे भोजनकरुयोजायनहीं तदिजाणिजेषासहोसी अथवायकाषा सकोलक्षगलिष्यते हीयामै कनपट्या में मांथामें उदरमें पसवा डामैसूलचालै मूंदोउतरिजाय बलपराक्रमस्वरयेषीरापडिजाय गासपातांकंउमैविथाहोय सूकोषासै टूोसुरबोले येलक्षणहोय तदिजाणिजेचायकोषास अथपित्तकापासकोलक्षालिष्य तेहियामेंदाहहोयज्जरहोय मूंटोसूकै नीषोमूदोरहै निसलागेक उपोचमनकरे सरीरपीलोहोजाय येलक्षणहोयनदि पित्तकोजागि जै अथकफकाषासकोलक्षालिष्यते कफ मूंदोलिपोरहे मथवायरहे भोजनमेंरुपिनहींहोय सरीरभास्वोरहे करमेषुजालि आवै कफकागलकाथूकै येलक्षाहोयनोकफकोषासीजातिय थक्षतजषासकोलक्षणलिप्यने पगोत्रीसंगकरै भारउगचे मारगकाचालिवासं जड़काकरिवा घोडाहाधाकादोडापासूल पापाचा वायहेसोहियामेजाय षासनेप्रगटकरैोषासप्रथम
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सूकोषासे पाछैलोहीथूके कंठघोषे सूलचालै संधिसंधिमे पाडाचालै जुरहोय सासहोयतिसहोय स्वरघांघो होय कबुतरका सानाईबोल बोकरै यलक्षण होयतो क्षतजकोषासजाणिजे यक्षयारोगसूंउपज्योजोषास ती कोलक्ष लिष्यते कुपथ्य अरविसमासनउगेरे करै घणोमैथुनकरें मलमूत्रनै रोके घणों सोचादिककरै नदिमनुष्यांकैमंदाग्निहोय वायपित्तकफनीन्यूंको पै नदिई क्षय रोगकावास पैदाकरे नदियोषाससरीरनैषीण करें ज्वरदाहमोहयांनेकरे नदियोमा कोनास करे सूकोषासेदु लोहोनोजाय रुधिरमांससरीरको जातोरहे. राधिके तदियो साध्यजाणिजे प्रथषासकान्प्रसाध्यलक्षगलिष्यते वायपित्त कफकीतोपासीसाध्य अरक्षतजरोगकीषासी अरक्षय रोगकीषा सी असाध्यजाणीजे पर बूढात्र्यादमीकीषासी असाध्यजाणीजे अथषासरोगकाजतनलिष्यत्ते लवंगटंक ५ कालीमिरचिटंक ५ बहेडाकीबकलटंक ५ षैरेसारटंक ५ यांनेमिहीयांटि बांचलकीब कलका काढा मैंगोलीस्ती २ भरकी बांध गोली १ तथा २ त ३ रोजी नीदिन ७ षायतो वासीजाय १ यालचंगादिककीगोली लोलिंबरा जमेलिषीछे अथवा पारोटक १ सोधीगंधकटंक २ पीपलीढंक३ हरडैकीछालिटंक ४ बहेडा की बकलटंक ५ काकडासगीटंक५ यांनेमिहीवांटि बंबूलकाबकलका काटाकीपुट २१ दे पाउँगोलीट क १ भरकीबांधे गोली १ रोजी नांबायऊपरिसूंसूंठकोकाटोपीचे तोषासमुकरजाय २यारसस गृहमैरयोचिंतामणीमकृष्यो अथवा कालीमिरचिरंक २ पीपलिटंक २ दांड्यूंका छ्योडाटंक १० गुडटका २शाभर जवषारटंक १। यानमिहीवांटि गोली चणाप्रमाण
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१.८ अमृतसागरतक्षापतापसागरतरंग - ५ बांधै गोलीरतथा४ रोजानांषायतीपासाजाय३ अथवा पीपलि पो हकरमूल हर.काछालिटि कचूर नागरमोयो मामिहीवांटिगु टुमेगोलाकरैरता३प्रमाणगोलीप नथारत-३षायती पासीजाय ४ अथवा ठिकाकादायूंषासीनाय ५ अथवा आदाकोरस सहतमिलायलेतोषासीजाय ६ अथवा कट्याली गिलचे सूहि पोहकरमूल येबराबरिले अरईमेअरडूसोमिलावे. योरुद्रादिक कोकाटोछे तांसेतीपासीजाय अथवा छोटीकट्याली तीकोभ अतोकरिवेंकोरसकादि पैरेसमेंपीपलिकोचूर्णमिलायरोजीनांपी वैतोषाससासजाय- अथवाहरडैकीछालि पीपलिटि काली मिरचि यानेमिहीयांटिगुडमैंगोलीकरि गोलीनधारत-३रोजीनां षायतोषासीजाय ९ अथवाइंस्टिंकाकालीमिरचिटंक २॥ पापलिटंक शाअमलवेदटंक २॥चयटकाचिकटंक २॥जी रोटका डांसस्यारंक शातजमासा४ पत्रजमासा ४ नागकेसरी मासा ४ यानमिहींपांटिपाययेकगुडमेंटंक२॥प्रमागगोली बाथैगोलीरोजीनांपरभातषायतोषाससासजाय अथवा लवंगटंकापीपलिटंक २॥जायफलटंकणकालीमिरचिटक ५सुंगपईसा-भर यांसबकाबरावरिमिश्री पाछेयांनैमिहीवांटि रंकाजलसूलेतौ षासानेजरने प्रमेहने अरुचिनै सासनें मंदा ग्निनै संयहरणीने यांमारांरोगांने योचूर्णडूरिकरैछै इतिलवंगा. दिचूरण १ अथवाहीगल कालीमिरचीनागरमोथो सोध्यो सांगीमुहरो यांनैबराबरिले यानेमिहींपांटिजंभारकारसमें मूं गप्रमाएरागोलीबांधै अथवाग्रादाकारसमैबांधेगोला रोजीनांषा यतौसासषासजाय अथवा कालीमिराच नागरमोथो कूट यच
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१०९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग सोध्योमुहरो यांनवराबारले यांनेादाकारसममिहीवारि सूगप्रमा एगोलीगांथै मोली रोजीनांषायतोपासने मूलने कफकारोगने सू तकारोगर्ने संग्रहणीने यारोगांनयोगोलाइरिकरैछै१३ अथवाबंगलं कापीपलिटंकर हरडैकीवकलटंकबहेडाकावकलरंक ४ अरडू सोरंक५भाडंम्मरक यांसारांकीबसवरिषैरसारले पालैयानामही वांटि बांडलकीबकलकाकादाकापुर १ दे अरसहनसंगोलीबांधैच पाप्रमाएगोला रोजानांषायनी सास पास क्षई येसाराजाय १४ इतिषासकर्तरी अथवाभीमसेनाकपूरका वस्तूंरीटंकाल गरंकामिरचिटंक २॥पीपलिटंकबहेडाकीछालिटंकाली जनटंकादायूंकायोडाटकामांसारांकीबराबरिरसारयांमें मिला यांसारांनैमिहापारिपाणी चणाप्रमागोलाषांथै गोली रोजानांपायतौ षासाजाय१५ इनिकर्पूरादिगुटिका पसाराज तनवेयरहस्यमैछ अथवाप्राककाफूलांकर्षिचलाफूसी अरवां बरावरि मिरचि यादीन्यांनेवांटिलरमीप्रमाणंगोलाबांध गोली रोजानांषायतोषासीजाय१६ अथवा प्राककाफूलांकाविचलीत ली यांबराबरिलवंग यांकीगोलारताप्रमाएबांधै गोली रोजीनां षायतोषासीजाय७ येरुदत्त मेलिष्यो, अथवा पसरकाली कोपंचांगले सेर ४ ईमपापीघालिकाटोकरेईकाटामेहरडेसो १०० वडीपकावे वेसीजिजायतदिकाटिलेकादामांहिसों पाछैवानसातल कार रांउलाकादिवांटिठे पाछपुरापोराडरका १००मरलेनीकाचास 'पीकरै पाछैोहरडे कोचूरगचासगीममिलावे पाछैवैचासलीमे येोपदिनांसोलिपूंछंसूटिटकासकालीमिरचिटकाभपीपलि टकारातजटका।पत्रजरकाश नागकेसरिटंकापाइलायरीटका
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११०
५
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग भर येमिहींपांटिवेंचासणी मैंनांषे परसहसेरनांचे पाछे ईकोयेकजीवकरिटका १| भर रोजी नांषाय तो सर्वप्रकार की बासीजा १- याभृगुहरीतकी छे अथकव्यालीको प्रचलेहलिष्यते कट्यालीसेर ९४ कोकाटाकर ईकाटामै सेर ३४ मिश्री की चासणीकरि ईमेयेषदिनांषे सोलिपूंचं गिलवैटका १ काकासगीटका १ चव्यटका१।चित्रकटका ११ नागरमोथोटका १ सूंठटका १) पीपलि टका १| धमासोरका १| भाडंगीट का १श कचूर का ११ यानैमिहीवांटि वेचासणी मैंना ईमेसेर ७१ सहतनांषै बंसलोचनपाव ॥ ईमैंनाषेपा छैईनेटकाभररोजीनांषायती सरबप्रकार कोषासजाय १९ इति कट्यालीको प्रबलेहसंपूरणम् येभावप्रकासमेलिष्यो अथ बा अरसाकाकाटा सहननांषिपीवेनेोषासीजाय २० अथवा प्राककापान मैासिल सूठि कालीमिरचि पीपल येबराबरिले तीकीगुडावणाचे बहुकामैषीवैतोषासीनिवैजाय २१ अथवा पा रो सोध्योगंधक हाल सोध्यो सांग मोहरी सूंठ कालीभिरचि पीप लि सेक्योसुहागो येबराबरिले पाछेपारागंधककी कजलीकरे पाढे येोषदिमिहीनांटिकजली मिलावे पाछै कजलीने भागराका रसमैदिन परलकरे पाछे बिजोराकारसदिन ३ परलकरै पाछे की गोली रतीच्याधकीकरै पाउँगोली १ रोजीनांदिन १० षायतो बासी मैं क्षयानें संग्रहणीनें सन्निपात मृगी यानेयोरसइरिकरे २२ इति आनंदभैरवरससंपूर्णम् इतिषासरोगकी उत्पत्तिलक्षण जननसंपूरणम् अथहिचकी रोग की उत्पत्तिलक्षणजतन लिष्यते गरमवस्त वायलवस्त भारीवस्त लूषी सीलीने दिलेर जोवस्तती कापावा मुषमैरजकाजावासे पेद काकरि वासें मार्ग
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११॥ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग काचालिवासं मलमूत्रकारोकीवासूं भूषारहवाइननीयस्तोसं मनु पहिचकीहोयछै सासषासपैदाहोयळे अथहिचकीकोस्वरू पलिष्यते वायहेसोदोन्यूंपसवागने परप्रांतांनेदुःखदेरादानेहो यकरपडाशब्दनैलीयांप्राणाकोनासकरतोथको मूंदामाहि भयंक रशब्दनैकादैछैतानेमनुष्यहिचकीकहेछै सोनोवायकफ मिलिंपां चपकारकाहिचकीकरैछैयेकतो अंनंजा यमलारक्षदागंभी रा४महती५ अथहिचकीकोपूर्वरुपलिष्यते रहियोभास्यो होयमूंदोकसाबलोंहोयकूषिमैग्राफरोहोय नदिजालिजैईकहिच कोपैदाहोसीअथअनजाहिचकीकोलक्षालिष्यते धनध पोषाय अरपाणीघणोंपावतीकारवायकोपैवेगदेर तादीबायऊ धंगामाहोय मनुष्यकेअंनजाहिचकानपैदाकरै। अथयमलाहि चकोलक्षालिष्यते मोडीमोडीदोयदोयहिचकीचालसिरकाधी नैकंपावतीथकी नीनयमलाहिचकीकाहिजेर अथक्षुदाहिच कीकोलक्षगलिष्यते मोडीमोडीमदमंदचालें कंडहियाकीसंधी सूनीनेकदाहिचकोकहिजे२ अथगंभीराहिचकीकोलक्षण लिष्यते माभासूमयेकर जामैपीडायणी अनेकउपदनानक रनाथकी तानगंभाराहिचकी कहिजे४ श्रथमहतीहिचकीको लक्षासिष्यते समर्मस्थाननेपाडतीथकी अरसर्यगात्रनेकपा बनाथकीचाले वेनेमहांहिचकीकहिजे५ अथहिरकाकोप साध्यलक्षगलिष्यते हिचकीचालतांजीकोसरीरकांपिउ पर उंचीदृष्टीहोजाय अरअंधेरामायजाय सीरक्षीराहोजाय भोजन मैंअरिहोजाय परडीकघणीपावै प्रेसीयोन्यूहिचकीगंभारा अरमहती असाध्यजाणिजे अथहिचकीकोजतनलिष्यतेप्रा
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११२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग एायामका करि वासूं कहांनरे काडरपिवासूं भयंकर बात का कहवासू वा यत्र्चर कफघर्टेइषीवस्तकाषावासूं हिचकी रिहोय ? अथवा ब करीका दूध में सूंठिनैपचायचधठिसमेत पावेतो हिचकी जाय २ अथवा विजोराकोरसती मैजौको सातू परसींधोलूराभिलायषायतो हिचकीजाय ३ अथवा डि पीपलि सहनसूंचातीहिचकीजाय ४ अथवा मांषीकी वाउ दूधमैबांटिवेंकीनांस लेतेोहिचकीजाय५ थवा पडसूंठपालीमैनांदिवेंकीनासलेतौहिचकी जाय ६ अथवा कां सकीजडकोरसनी मैसहतमिलायती की नासलेतौहिचकी जाय ७ अ थवा मोरकीपांकीरापसहतसूंचाटेंनी हिचकी जाय अथवा विजो राकीकेसरी सीधोलूरणसंमिलायषायतौहिचकीजाय ९ अथवा कवा रकापाळा कोरसती ठिमिलायषायतोहिचकी जाय १० अथवा पौ हकरमूल जन्रबार कालीमिरचि येबराबरिले यांनैमिहीपीसीटंक || गरमजलसूलेज़ो हिचकी जाय ११ अथवा हलद उडदं यांनैवांरिनिर्धू मांगारापारमहुकामैघालिवेको धूनोपी वैती भयंकर हिचकी जाय १२ येवैद्य विनोदमेलिष्याळे अथवा साकी छालिको चूराकरि
G
कोकोपी येतो हिचकीजाय १३ अथवा सूंठि कालीमिरचि पीप लि जवासो कायफल करेला पोहकरमूल का कडा सांगी येसर्बबराब रिले यांनमिहीवांटिटंक २|| सहतसूंचाती हिचकीजाय मरषासीसा सयेभीजाय १४ अथवा पित्तपापडो पीपति येोन्यूटंक २॥ गुडटं क५यांकोकाटोदेतो हिचकी जाय १५ अथवा असाल्यूटंक १० कोका ढोकरिछाणिपीवैतौहिचकीततकालहूरिहीय १६येवैद्यरहस्यमेलि. प्याछै अथवा महलोटिंक १। सहतसूंचातेोहिचकी जाय१७ थवा पीपलिटंक १ | मिश्रीकैसाथिलेतौहिचकी जाय १८ अथवा
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११३ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग ५ दूधमैतघालिगरमगरमपावतोहिचकीजाय१९येसुश्रूतमेलिष्यो छै अथवा विजोराकोरस सहतसंचरलूग यमिलायषायतोहित निश्चैटूरिहोय२० योवैद्यसरवस्वमेलिष्योठे अथवाकैथकोरस अथवा आंवलांकोरस तीमेसहतमिलायपीवेनी हिचकी सासंजाय सयोकाशीनाथपडितमेलिष्योछै अथवा ायचा दालचिनी २नागकेसरि३कालीमिरचि४पीपलि ५ शिष्यवधतीवधतीले त्यांनैमिहींचाटि ईमेघृतमिलायरयासर्वबराबारमिश्री मिलाय रंकाजल लेती हिचकीनें जीने दररोगने पवासारसा सनैं षासने यारोगांनेयोडूरिकरेछै २२ योएलादिचूरगवंदमैलि योडे इतिहिचकारोगकीउत्पत्तिलक्षाजतनसंपूरणम् म थसासरोगकी उत्पत्तिलक्षगजतनलिष्यतेज्यांयस्तोकापावा मूहिचकापेदाहोय त्यांहींवस्तांकाषापासूसासरोगहोय? सोचा सासरोगपांच ५प्रकारकोछै येकतोमहासासाअर्थस्वास छिन्नसा सतमकस्वास ४ सदस्वास ५.अथस्वासरोगकोपूर्वरुपलि ष्यते हियोहफैसूलहोय आफरोहोय मलमूबऊनरेनहीं गूंदामेंर सकोस्वादावेनहींकनपटिहर्षे तदिजाणिजैसासरोगहोसीअथ सासरोगकोवरूपलिष्यते सर्चसरीरमैफीरतोजोवाय सोकफ “संमिल्योसर्वनसांनेरोकै नदिनोवायफिरिवारहै नदिसासनप्रग टकरे अथमहास्वासकोलागलिष्यतेतदिमनुस्यसासमंडपा हुनोथको उपप्रकारमस्तबलधंकासीनाईसासनिरंतरले परनरह ईछेसंज्ञानीकाअरनष्टडवोछेग्यांनजीको अरजीकानेत्रतरतरारक
अरसासलेनोमूंदोफारिजाय अरनेत्रफारिजाय अरबोल्योजायन हींगरीवहोजाय परवेंकोसासदूरिसुरो येजीमेंलक्षणहोयनदि
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१४. अमृतसागर नथा प्रतापसागर तरंग प्रोमहासासामाणिजैईसासवालोततकालमरिजाय अथउर्व स्वासकोलक्षगलिष्यते उंचोसासलेनाचोभावेनहीं कफसूमूंदो भरिजायांचादृष्टिहोजाय नेत्रतरतरकरे ईसासमंडपाहयोथको नेत्र नमनाहोजाय मोहहोयाचे ग्लानिहोया येसक्षराहोय तदिउर्धस्वासजाणिजे योमनुस्यनेमारिनांषै २ अथछिन्नस्खा सकोलक्षालिष्यते सरबसरीरकापांचूपचनांसंपाइयोथकोम नुष्दटूटोससले अथवाडपाहवोथकोसासनहींलेबैईकामर्मस्था नटूरिजय नदिअाफरोहोयाचे प्रस्वेदहोय नेत्राटिजायसासले तांनेशलालहोयजाय चेतजातोरहै सरीरकोवर्णऔरहोजायची प्रारती ततकालमरिजाय३ अथतमकस्वासकोलक्षगलिष्यते ससरकोपपनउलयोफिरिनासांनेरोकीदे तदिकांधीसारनैयकडि कफनेप्रगटकरैतदियोकफकंउमैजायशरपुरघुरनैकर प्रा एगाकाहरवावालासासनेप्रगटकरे नदिमनुष्यसासकारेगकरिश्ता निप्राप्तिहोय तदिवेंकीअग्निरुकिमाय तदियोषासेजदिमोहने पातिहोय अरकफ छूटे तदिपाहोय अरमुषमाहिसंकफनी कलजा-तदियोधडीदोयेकसुषयावेतदिसूनोल्योजाय भरओ सोचैनदिसासहोयाचे तदिबनेनींदाचनहीं बैव्योहारत्यांचन प. अरगरमीसुहायेांष्यांउपरिसोजोहोय ललाटमैपसेरायै टोसूकै धलिकासीनाईसासले मेहकापचन सीतलवस्तसं ओवथै मधुरवस्त बथै येलक्षणंहोयदि तमासासजाहिजे योसासजाप्यछै ४ अथक्षद्रस्वासकोलक्षएलिष्यने वषावस्त काषावासू षेकरिवासू कोयमैपवनहेसोक्षस्वासनेप्रगरक रैनदिगोमनुस्यांनघणोडषदेनहीं अरमनुस्यांकीषानकागतिने
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११५ . अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ५ रोकेनहीं दियानेपाडाकरेंनहीं येलक्षणहोयतदिक्षुद्रस्वासजाणिजे ५योबलवानपुरसकेसाध्यछे क्षदस्वाससाथ्य तमकस्वासकष्टसा ध्य अरमहास्वास उर्धस्वास छिन्नसासयेतीन्यूअसाध्य पापाका हरवावाला अथस्वासरोगकोजतनलिष्यतेलूरामेतेलपालि सुहावतोसुहावतोहियानेसेकेतीसासद अथवा भाडाकोरस सहतमैमिलायचाटेतोसासजाय अथवा आदाकोरससेरनी मैंसंहिपावरहेडाकाडालिपार पकरीको नसेरऽ२ यांसारा नैगरमकरिकाजाडोकरै पाछैईमेसहतसेरामिलायटकाभर रोजानांषायतोषाससास जायश्अथवादसमूल कचूर रास्मा पीप लिहि पोहकरमूल भाउंगीकाकडासांगीगिलचित्रक यांने राबरिले यांकोकाटोटंकणभरकोरोजीनालेतौसासषास पसवा डाकोसूलजाय अंथवा पेठाकाजरकोचूटिंकागरमपाएगीसू लेती सासषासनिजाय५अथवाहलर कालीमिरविदाष पी पलि रारमा कचूर यांनवराबरिले यानैमिहींपाटिरंकागुडभर कउवालकैसाथिचाटेतीसासकोरोगनिजाय अथवा भाडे गासेरमतीनेोरायतांकोरसकाटिईमैटकासो..भरगुडकीचा सलीकरैईचासणीमैहरडैकीछालिकोचूसेर नांषेचासगीप कताहींमै पाडेचासपीठंबांटकाधभर ईमेसहतनांषेडिट काभर कालीमिरचिटकाभर पापलिटकाभर नजटकाभर पत्रजटकाभर नागकेसरिटकाजवषारक ॥यानैमिहींवांटि वेंचासणीममिलायरे पाछेपईनाभररोजानांषायतो सासकोरो गजाय पासवासीर गोलो क्षयीरोगउदरकारोगयेसाराजाय७ योभाडंगीकोअवलेहछे येसाराजामनभावप्रकासमेलिष्योडे
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११६
•अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा पारोटक २॥ सोधीगंध कटंक २|| सोध्योसींगी मुहरोका फु लायोसुहागोटंक २॥ मैणसिलटंक २॥ कालीमिरचिटका राभर ठि टंक २॥ पीपलिटंक २।। प्रथमपारांगंधक की कजलीकरे तामयेोषदि मिलावे पाछैईकैन्प्रादाकारसकीपुर १| दे पाछेरती १ रोजीनांषायतो सासजाय - इतिस्वासकुमाररस अथवा पारो १भाग गंधकच्प्राध भाग यांकीबराचरितांर्मेस्वरले यांनैकवार का पाठोंकारससूंषरलकरै पाछैईनैनांबाकीमाबीमेघालि वालूकाजंत्रमैदिन १ पचायसिद्धिक रै पाछे ईरसनेरती २ पानमैषायतोसासरोगजा इतिसूर्यावर्त्तरसः योवैद्यविनोदमेलिष्योछे अथवा काकडासींगी सूरि पीपलि नागरमोथो पोहकरमूल कचूर कालीमिरचि यांनेबराबरिले प्ररयां की बराबरिमिश्रीले पाडेयानैमिहीं वांटिटंक शागिलवे परसो पीप लि पीपलामूल चव्य चित्रक संठि यांका काढायचूरलैतो सास रोगजाय ११ योचकदत्तमे अथवा पीपल पोहकरमूल हरडै की छालि ठि कचूर कमर्ग हा यांनै बराबरिले यांकोचूर्णकर यांन रावरिगुडसूंगोली बांधेचणाप्रमाणगोली १ तथा २ ० ३ रोजीनांषाय तौसासजाय १२ अथवा पारो गंधकसोध्यो सार सूंठ कालीमिर चियापलि पचज नागकेसर नागरमोथो वायविडंग सांभालू कपे लो पीपलामूल येसारी वांसूं दुखी पा छैयांसारांनेमिहीवांटि जल पीपली कारसकीपुट ३ दे पाई की चणाममारागोली बांधे गोली रोजीनांषायती सासने पासने बवासीरने भगंदरने हिलाकी सूल नै पांसूकीसूलने संग्रहणीने उदररोगनै प्रमेहमानने यांसारांनैयो महोदधिरसङ्गरिकरेछे इनिमहोदधिरस• येसरवसंग्रहमैलि यो अथवा पारो सोध्योगंधक सार सुहागो रास्ता वायविडंग
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७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग ५ त्रिफला देवदारु ठिकालीमिरचि पीपलि गिलवै कमलगट्टासोध्यो सांगामहरोयेबराबरिले पाछैपारागंधककीकजलीकरै कजलामेये मिलायसहन रन तयार प्रमाणकागोलीबांधैगोली रोजीनां पायतोसासरोगजाया४इतिअमृतार्णवरसयोवैधरहस्यमैछ अथवा पारोगंधकबराबारले त्यांकीकजलीकरि चौलाईकारस मेदिन ५षरलकरै पाछैनजमुसिमेईनघालिवालजंत्रमेईनेपकाचे रिनापाछेईनैरती२पानसंपायनो सासहिचकीरिहोय १५ इतिमेपउंबररस योरुद्रदत्तमलिष्योछे इतिश्रीमन्महाराजा धिराजमहाराजराजराजेंदश्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरचिते अमृतसागरनामग्रंथेरक्तपित्तराजरोगक्षयारोगसोसरोग पासरोगहिचकीसासरोगयांकी उत्पत्तिलक्षराजतननिरूप एनामपंचमस्तरंगःसंपूर्णम् ५ अथस्वरभेदरोगकोउत्पत्ति लक्षगजननलिष्यते मनुष्यहेसोघपाबोलवासं काटासुरका पटवा कंठके कहींनरैकीचोटलागियानं अरविसादिककाषावा सूं कोपकोंप्राप्तहुवाजोपायपित्तकफ सोकंउकास्वर.वहवावालि जोनसांत्यामेरहिअरस्वरकाभंगनेक सोप्रोस्सरभंगहेसोप्र कारकोछ पायको पित्तको २ कफको संनिपातको सरीरका स्थूलपणाको ५क्षयरोगको अथवायकास्वरभंगकोलक्षण लियतेकालाछैनेत्र टोमलमूत्रजीको टूटोथकोशब्दनैबोले ग धाकोसोशब्दहोयनोवायकोस्वरभंगजाणिजे अथपित्तकाख रभंगकोलक्षरालिष्यते नेत्र टोमलमूरजीकापीलाहोय पर गलामेंदाहहोय बोलवाकैसमै तरिपित्तकोस्वरभंगजाणिजे अ थकफकास्वरभंगकोलसएलिष्यतेसदाहीकंठकफसरुल्यो
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११८ अमृतसागर तथा मतापसागर तरंग ५ रहै अरमंदमंददोहस्योबोलोजाय रात्रिर्मेवधजाय तदयोस्वरभंगक फकोजाणिजै अथसन्निपातकास्वरभंगकोलक्षगलिष्यते जीमेवायपित्तकफकासर्वलक्षणमिलेंतीनैसन्निपातकोस्वरभंगक हिजे योअसाध्यछै ४ अथक्षयरोगकास्वरभंगकोलसगलिष्य ते बोलतांमूंदांमै चूंबानीसरैसोक्षयीरोगकोस्वरभंगजाणिजेसो असाध्यछै ५ अथसरारकामोरापगाउपज्योजोसरभंगती कोलक्षालिष्यते गलाकेमाहिहींचोलैशब्दजाएयूंजापनहींअर मोडोबोले गलोबोले तिसघणीलागेजांकैयेलक्षणहोयतीसरीरका मोरापणांकोस्वरभंगजाणिजे योभीप्रायोनहीं अथस्वरभं गकोजतनलिष्यतेबायकोवरभंगहोयतोलूपानेलकीवस्तषा वा जायापित्तकोसरभंगपृतकाअरसहतकापावासंजायरक फकोस्वरभंगमामीकडवीअरसहनउगेरैकाषावा जाय ३ अथ बागलाकोतालयाकोमसूदांकोलोहीकदापासूस्वरभंगजाय ४ अथवागरमजलकापीवा बायकोस्वरभंगजायघृतराडफाषावा सूंबायकोस्वरभंगजाय गरमधकापीवासूपित्तकोस्वरभंगजा यपीपलि पीपलामूल कालीमिरचि याने गोमूत्र पीवैतौकफकोस्वरभंगजाय अथवा कट्यालीटका १०० भरले ईमाधोपीप लामूलले ईसाधोचित्रकले चित्रकबराबरिदसमूलले यांनेमा येकपाएगीमैंऔटावेईकोपारगीसेरऽ४ राषै अरपाणीछागिले पा छैईपाणीमेटका १००भर पुराणागुडकीचासगीपतलाकर पाछे ईचासलामेयेोषदिमिहींपारिनामेसहतसेरऽ१ नाषे. पाछेट का तथा रोजीनांषायतो सर्वप्रकारकासरभंगनै सासषास नै मंदायिनै गलाकारोगने श्राफरानै मूबहनें यांसारांनेयोहार
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११९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ६ करेछे ९ इतिकल्यालाकोअवलेह येसाराभावप्रकासमेलि ष्याछै अथवा अजमोद हलद चित्रक जवषार आंवला येसाराब राबरिले यांनमिहींपांटिटंकाघृतसहतकैसाथिचाटेतोभयंकर मीस्वरभंगजाय अथवाहरडैकालालि पर पीपलि यांनमिहींना टिगरमजल लेनो मेदकोक्षयारोगकोस्वरभंगजाय१येय विनोदमेलिष्याछै अथवा बहेडाकीछालि पीपलि सीधोला
आंवला यांनमिहीवांटिगडकीछाछिसूं अथवा गोमूत लेतीस्वर भंगजाय १२ योइंदमेछै अथवाजायफल पीपलि पील बिजोरा काकेसरीयेसारामिहींवांटिसहतेचाटेतोवरभंगजाय अरस्वरनि पटनोपोमिहींहोजाय योजायफलकोअवलेहछै योसर्वसंग्रहा मैछे।५ अथवा कुलाजनमूंदामेराषेवेंकोरसचूंसेतोस्वरभंगजा या४ अथवाचव्य अमलवेद सूहि कालीमिरचि पीपली डांसस्या पत्रज तजजीरो चित्रक इलायचीयेसारीबराबरिले यानेमिहीवां टिरंकशापुरांपातिगुणागुडमैलेतौ स्वरभंगपीनस कफकारोग अरुचि येसाराजाय१५ इतिचव्यादिचूर्ण अथवा पाराकीराष तामेस्वर सार येबराबरिलेतीकै कल्यालीकाफलांकारसकीपुट २१ दे पाछेवेकीगोलीमूंगममागबांधे गोलीपमूंदामेराखेतोस्वरभंग दूरिहोय योगोरषनाथजीकागोलाछै १६ अथवा ब्राह्मी वच हरडैकीछालि अरसो पीपलि यांनैबराबरिले यांनौमिहीवांटिटं का सहतकैसाथिोदन ४ लेतोस्वरभंगनिश्वजाय अरकोस किन्नरकोसोहोजाया येसाराजननवैघरहस्यमैलिष्पोछे इतिस्वरभंगरोगकोउत्पत्तिलक्षाजतनसंपूरम् अथ अरोचकरोगकोउत्पत्तिलक्षजतनलिष्यते सोचकोथ
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ६ सूं मोहसूं अतिलोभसूं डरपवासूं मनपकड्येोजाय इसाभोजनसं अरबुरीत कारूपकादेषावासूं बुरीतरैकागंधकासूं घिवासूं, तदिम नुष्यांकै वायपित्तकफहसोम्प्ररुचिनामरोगनैपेदाकरै छै सोवापरु चिपांच प्रकारकी वायकी १ पित्तकी २ कफकी ३ सन्निपातकी ४ सो कादिक्रकी ५ अथवायकी अरुचिको लक्षएालिष्यते पाटोक सायलोमूंडोहोय हियामैसूलचालै रुचिजाती रहे भोजनसूं तौबा यकीन्प्ररुचिजाएणजे १ अथपित्तकी रुचिकोलक्षएालिष्य ते कडवो पाटो गरम विरस सलूलोजीको मूंडोहोय भरसरीरमें दाहहोय मुषसोंस होयतोषित्तकीम रुचिजालीजे २ अथकफकी अरुचिको लक्षणलिष्यते मूंटोमारोहोय अरचिपचिपोहोय स शरभारसोहोय बंधकुष्टहोय लालपडे सरीरमैंजा गांजागांपीडाहो य भोजनमै अरुचि होयतों कफकीन्प्ररुचिजालीजे ३ येसर्वमिले तदिसन्निपातकीरुचिजाणिजे ४ प्रथसोकादिकसूपजीजो प्ररुचित्तीको लक्षगलिष्यते पेटमै भूषलागेमूढांमेचलै नहीं ५. यासोकादिककीपरुचिजाणिजे अथारुचिकोस्वरूपलिष्य ते लूटार्मेंअन्नकोगासलेनदिपुरसनै क्यूंभास्वादयावे नहीं तदिजा पिजे कैरुनिकोरोगकै अथभुक्तइसकोलक्षणलिष्यते भो जनकोचिंनवनकस्यैौ अथवा भोजननैदेष्योतदियो-भोजनरुचै नहीं तदिवेकेभुक्तसनामकहजे प्रथप्ररुचिरोगकोजतन लिष्यते भोजनपहली सीधोलूगलगाय श्रादोषायतो अरुचिजाय भुषलागे कंठजीभसुरहोजाय परसहतत्र्यादाकोरस मिलायपीचे तो रुचि सासषासजाय २ अथवा पकीप्रामिली कोसर वतमि श्रीघालिकरे ती मैं इलायचीलवंग भीमसेनी कपूर को प्रतिवासदे
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अरयोसरवनषाय अथवा ईकाकुरलाकरैत अरुचिजाय ३ थवा राईजीरो सेकी हींग सूंठ सांधोलूण यमिहीनांटि अनुमान माफिक गऊकाहींकोमो करिती मैये चालिपावेतो रुचिजाय भूषवधे अथवा गऊकादहीनै वस्त्रसंछातिमे मिश्री मिलाय रईमैइलायची लवंग भीमसेनीकपूर कालीमिरचि येअनुमानमा फिकई मेंमिहींवांटिनांषिषायतो अरुचिननकालजाय ५ इति सिषरणिकीक्रिया अथवा अनारदांणाटका २शभर मिश्री का सूंठिटक १ कालीमिरचिटका ।। पीपलिटका १| तजटंक २॥ पत्रजरं क२॥नागकेसरिटंक२॥यांनैमिहीं वांटिटंक २ । जलसूंरोजीनाले तो अरुचिजाय पासीजाय ६ इतिदाडिमादिचूरण अथवा लवंग कंकोल मिरचि षस चंदन नगर कमलगट्टा काठोजीरो नेत्र. बालो अगर नागकेसर पीपलि सूंठ चित्रक इलायची भीमसे नीकपूर जायफल सलोचन सर्वबराबरिले यांसारांसंग्राधीमिश्रीले पाछेयानेंमिहिपीसिटंक १ रोजीनाजललेतौ रु चिने मंदाग्निनै क्षीणपणानें बंधकुष्टनें पासीनै हिचकीने राजरो गर्ने संग्रहणीने अतीसारने प्रमेहनें यांसारांरोगांनेलचंगादिचू एरिकरै ग्रेसाराजननभावप्रकासमै अथवा सॉफ जीरो कालीमिरचि डांसरयां भ्रमलवेद संचरलूल गुड- सहन वि जोराकी केसरि तज पत्रज वंसलोचन डोडांकीबीज अनारदांणा जीरो येसारामधलाच्मलाभरिले धरपीपति पीपलामूल चव्य चित्रक सूंठ कालीमिरन अजमोद डांसरयां श्रमलवेद असगंध अजवायण केथ येभीत्र्यधेला धेला भरले मिश्रीटक ४ भरले यांनमिहीवांटिटंक २।। रोजीनांजलसूंलेतौ अरुचिने सासनें
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१२२ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग ५ पासनें सूलनैं वमन रक्तपित्तनैं यांसारांरोगांनैयोरिफरे ९. इतिहदेलादिकचूर्ण योसारसंग्रहमेलिष्योछ अथवाजप पार साजा सेक्योसुहागो पांचूला मूरि कालीमिरचि पीपलि त्रि फला सार मीमसेनीकपूर लवंग चयचित्रक अनारदापोडांसस्या श्रादो येसर्बबराबरिले यांनमिहीवारि अजवायणकाअर्ककापु टतान दे पाछेनींबूकारसकापुट ५रे पाछैअमलयेरकारसकापु ०३दे पाछैईसकाचणाप्रमाएगोलीबांधे गोलारोजीनांषायतो अरुचि. मंदाग्मिने गोलाने प्रमेहनै सासनै षासनै कफनैं नानाथ नूपानसू योअग्निकुमाररसडूरकरैछै १० इतिअग्निकमारर ससंपूर्णम योसर्पसंग्रहमैछै तिरुचिरोगकोउत्पत्ति लक्षराजतनसंपूर्णम् अथर्दिरोगकाउत्पत्तिलक्षजत नलिष्यने घगीपनलीवस्तकाषावासं पणीचीकएणीवस्तकाषा वासं सगलीकाषावातूं पेटकृमिकापडिवाइंडरगंधकादेष वासं स्त्रीकेगरभकारहवासू अतिउतारलाभोजनकाकरिवारंवा यपित्तकफयांसंडष्टहोय अंगा. पीडाकरताथका दाउपरौड मूटाद्वाराषायोपायोसर्वकायदेछै नदिईनेमनुस्पर्दिकहेछ सो वाछार्दपांच ५ प्रकारकाछै पायक पित्तकीरकफकी ३सन्निपा न ४ सगलायसनादिलरेतीकारेषवाकी ५ अथछर्दिकोपू रुपलिष्यते हियासूषारोषाटोप्रथमहींनीकले अरडकारा वैनहीं लालपउनैलागे पारो दोहोजाय अन्नपानउपरिरुरिजा तीरहै सदिजाणिजेचमनहोसी अथवायकोछर्दिकोलक्षण लिप्यते हियामेपसवाडापाडाहोय सुषसोसहोयमथपायहोय नामिडु षासहोय स्वरभेदहोय डकारकोशब्दउंचोहोय यमनमें
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१२३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ६ जागावे वमनकोरंगकालोहोय कसायलोहोय घणोवेग थोडोछा दैछारतांडषयगोपाजामेयेलसपाहोयतोवायकाउर्दिजाणिजे अथपित्तकोछर्दिकोलक्षणलिष्यते मूर्जाहोय तिसहोय मुष सोसहोय मायोतातोहोय तालचो नेत्रयेताताहोय अंधेरीआवेभोलि
आवै परन्हंहस्पो लगरम.लीयांादै येलक्षणहोयतौपिनकाछार्दजाएिजैर अथकफकोछर्दिकोलक्षगलिष्यते नंदा होय मूंडोमीडोहोय कफछादै नींदभावै भोजनमैअरुपिहोय स शरभाखोरहे नारणो मागोजाडो सफलीयांडादै रोमांचरहै येलक्ष पहोयतदिकफकोछर्दिजाहिजै अथसन्निपातकीछर्दिको लक्षगलिष्यतेसूलहोय अन्नपचनहीं अरुचिहोय दाहहोय ति सहोय सासहोय प्रमेह येसारायणानिरंतररहै अरसलूएोषाटो सालोजाडोऊनो लाल इसोवमनहोयतोसंनिपातकाछर्दिजाणिजे अथसूगलीवस्तनादिलेरतीकोदेषवा उपजाजोछर्दि तांकोलक्षगलिष्यते उरलेदहोयर्दिकरवालागिजाय५श्र थछर्दिरोगकाजननलिष्यने धएं इंडि दसमूल यांकाकारासू वायकीर्दिजाया अथवा घृतमेसांधोलूापालिपीतीवायकी उर्दिजायर अथवा मूग आंवला यांनेोराययांकोरसकारि ईमै धृतरसांधोलानांषिपीवेतो पायकीर्दिजाय अथवाउडर मूग मसूर जव यांकाचूनकाराबकरितीमैंसहतनांषिपावैनोपित्त कीछर्दिजाय४ अथवा प्रांवलाकारसमैचंदनसहतमिलायपी तोपित्तकीछर्दिजाय ५ अथवा पित्तपापडाकाकाथमेसंहननाषि पीतोपित्तकोछर्दिजाय अथवा गिलवै नींबकीडालि पटोल त्रिफला यांकोकाटोकरितीमेसहतनांषिपानपित्तकोछर्दिजाय
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा माषीकीबीर मिश्री चंदनसहतसूंचातपित्त की छर्दि जायद अथवा बीलांकोसातू घृतमिश्रीसहत मिलायषाय तोपि तकी छर्दिजाय ९ प्रथवा मसूरकोसात्तूमिश्री मिलायषायतोपि त्तकी छर्दिजाय १० व्अथवा दांड्यूंकारसमें सहतनांषिपीवैतौवायपि त्तकफकीछर्दिजाय११ अथवा चांवलांकापाली भैंसहतनांषिपी वैतो पित्त की छर्दिजाय १२ अथवा इलायची नागरमोथो नागकेस रिचांवलांकीषील गौरीसर चंदन बहुफली बोरकीमीगी लवंग पीपल येबरावरिले यांनमिहीपीसिटंक शनया २|| सहनसूंचा रैनो सिकीछर्दिजाय १ ३ अथवा पीपलकाछ्योडानैबालि पाणीमेंबुजाय पाएपीपीवैतौ छर्दिजाय १४ अथवा बोरकामी गी आंवलांकीमींगी पीपल मांषीकीवीठ यांकोकाढोकरि तीमैं सहनमिश्री मिलायपीवेतोच्छर्दिजाय १६. येसर्वजवीनोदमेलिष्यो छै अथवा जामुलिका यांवका पलवलेत्यांने टायपातीकरि वेपाएगी में पीलांकोचूननांषिसहतमिलायवैनें पीवैतौ भयंकरभी छर्दिजाय १७ अथवासूंगली वस्तसूंउपजीजोछार्दतीनेचछीव स्तदिषायां छर्दिजाय १८ अथवा अरांबसं उपजी जोर्दितीने लंघनकरायांछर्दिजाय१९ यजतनभावप्रकाशमेर्छे प्रथ वा केसरिमासो इलायचीमासो २ हांगलूरती २ याने सहन सूं चाटैतौछर्दिजाय २० इतिछर्दिरोगकी उत्पत्तिलक्षणजननसं पूर्णम् अथतिसरोग की उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते भयसूं बे दसैँ बलकानासथकीवध्योजोपित्तहैसोवायसूंमिल्यो भरताल धानेपासिहोय तिसकारोगनैप्रगटकरे अरजलनैवहवावाली नसांनेरोकिकरि येवायपित्तकफ सोसातप्रकार कीतिसनेकरे
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६
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सोलिबूंं बायकीतिस १ पित्तकी २ कफकी ३ सस्यादिककी चोट सूं उपजी ४ बलकानाससूंउपजी ५ वसूंउपजी६ भोजनकरिया उपजीजोतिस ७ अथतिसरोगकोस्वरूपलिष्यते निरंतर पाणी पीतोजाय परतृप्तीहोयनहीं अरपाणीपीवाहीमेमनरहे नदिजाणिजें ईकै तिसरोगछै अथवायकीतिसकोलक्षपलि प्यते मूंदोउन रिजाय कनपटी परसिरमै पीडा होयच्यावै नसां किजाय सूटामैसूरसकोस्वादजातोरहै ठंटोपाएसीपी यांतिसव धेनदिजाणिजेचाय की तिसकोरोगछे प्रथपित्तकीतिसकोलक्ष एलिष्यते मूर्छा होय भोजनप्यारो लागेनही वहहोय नेत्रलाल होय मुषमैघणोसोस होयउंटिसुहावे मूंटोकडवो होय सरीर में तापहोय मलमूत्र नेत्र पीलाहोय येलक्षण होयनदिपित्तकीति सकोरोगजालीजै २ अथकफकीतिसकोलक्षणलिष्यते जठराग्निनैकफरोंकेतदित्र्यग्निकी गरमी हैसी जलनैवहवाली नसांनैसोसि परकफहैसो मनुस्य कैतिस उपजावे तदिवें निसकरिपीडितमनुस्य हैसो नींद सरीर काभास्यापणांनेमासीहोयछे भरवेंकोदोमीठोर है अरोमनुस्यसूकतोजायन दिजाणिजे ईकै कफकी तिस ३ अथशस्त्रादिकाँकीचोट
उपजीजोतिसतिकोलक्षणलिष्यते शस्त्रादिकांकाला गिबासूंसरीरकोलोहीनी कलैती सूंपीडा होयतदिघणीतिसला गै ४ प्रथक्षीणतासूं उपजी जोतिसती को लक्षणलिष्य ते हियोइर्षे कंपहोय मूंटोसुकै सरीरमेसून्यताहोय तिसघ लीलागे पीनोपीनोधापैनहीं ५ अरयेही लक्षणबकीतिस काजाणिजे ६ प्रथभोजनउपरांतितिसलागेती कोलक्षण
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग लिष्यते घणणेची कणोघाटोसलूणी भास्यो अनषायोहोय तदि ननकालनिसलागे ७ अथतिसका उपद्रवलिष्यते परमु षकोस्वर वैठिजाय कंठगलो नालबोसके अरज्वरमोहसासबा सयेहोयतो वेतिसवालोमरिजाय प्रथतिसरोगकाजतन लिष्यते वायकी तिसवालानेगरमत्र्यन्न अरजलच्याच्यातींसू वायकीनिसजाय १ अथवा दहींगुडबायकीतिसजाय २ थपित्तकीतिसकोजतनलिष्यते सोनो रूपोगरमकर वेंपाली मैंबुजाय पाछैोपाणी पीवैतौ पित्तकी तिसजाय ३ अथवा मिश्री काउंटासर वनसूपित्तकीतिसजाय ४ अथवा धराधिनें भेवैपछेवेनैप्रभातघोटिवे में मिश्री मिलायपीवैनोपित्तकीतिस जाय ७ अथवा दाज्यूंकासर वनमेंमिश्री मिलायपीवैनापित्त कीतिसजाय अथवा सीनलजगामैंर हवासूं परजलक्रीडा सूं सीतलवस्त्रांकापहर बांसूं पित्तकीतिसजाय ९ अथवा क पूर चंदन अगरकालगावासूं पित्तकीतिसजाय १० अथकफ कीतिसकोजननलिष्यते निषीकडवी उन्ही वस्तकाषावासूं कफकीतिसजाय११ अथवा उरंगकाकाटासूंफकीतिसजाय १२. अथवा जीरो सूंठ संचरलू यांकोचूरणजलसूंलेतौक फ कातिसजाय १३ अथवा सुंदरमद्यकापी वासूंकफकी तिसजाय १४ प्रथक्षीणताकीतिसकोजतनलिष्यते सायंकारसं निसइरिहोय १५ अथवा वडकाअंकूर महलोटी बील कम लगट्टा यांनेमिहीनांटिगोली करि मूंडामेराषैतौतिसजाय १६ अथवा मोषाकोगूंदमूंदामैराषेोतिसजाय १७ अथवा विजो मकीजड कैथ दाज्यूंकीजड -चंदन लोबोकीजड यांनैजलमैमि
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१२७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग होगांटिसारकैलेपकरैती तिसदाहसोसयेसाराजाया- अथ शस्त्रप्रहारसंउपजीजोतिसतीकोजतनलिष्यते यकराका लेहीकापीमा योनिसजाया९ अथवा कराकासोरपामैस हतमिलायषायतौशस्त्रप्रहारकातिसजाय२० अथवाधारमैमि श्रामिलायषायतौयोतिसजाय अथावकात्तिसकोलक्ष रालिष्यते पचवीलकाकाटा आंबकीतिसजाय अथड बलादमीकीतिसकोजतनलिष्यते दूधकापीपासूईकाति सजाय २३ नपासूडषीपुरषमोहनैपाप्ताहोय मोह मनुस्यमा पानेछोडिदे ईकारणकहींअवस्थाकै विषैमनुस्पहेसोजलनैप ज्यानहींजरथोडोथोरोसदाहीपीयेंजतनवैद्यविनोदमैत्र रभावप्रकासरगेरैसर्वग्रंथामैलिष्योछै इतितिसरोगकी उत्पत्तिलक्षाजतनसंपूर्णम् अथमूर्जामोहनमतं दानिद्रासन्यासयांरोगांकी उत्पत्तिलक्षराजननलिष्यते पीलापुरसकै घणाकुपथकाकरवावालाके मलमूत्रकारोकिया सूचोटकालागिवासं यां पुरसकेगाहरलैरंट्रियांजोनेत्रकर्रा नेपादिलेत्यांमैवायपित्तकफथसिकरिसंज्ञानेवहबाबालाजोन सांत्यांनेवायपित्तकफरोकिअरअंधकारनैततकालमातही यमनुस्यनेकाष्ठकीसानाई पृथीउपरिनांषिदेडै सोवेनेसुषड़ा पसोग्यानरहैनहींना वैयहे सो मूरिमोहक हैडै सोवामू र्जा प्रकारकीछे वायकीपित्तकारकफकीलोहीकी४ मयकी ५धिसकार यांउजाहीमूर्जा पिसौंपत्तहेसोमुष्यप्रधान है अथमूर्जाकोसामान्यस्वरूपलिष्यने कुपथ्यकोसेवापालो अरहीनछैपराकमजीको अरती परमयादिककोपीयावालो
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१२८ अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग असोजोपुरसनाकै अग्यानकोहेतु असोजोत्तमोगुणपित्तरूपसो वधिकार ग्यानरुपएसोजोसनोएगपररजोगुगत्यानेछादितकार अरदसोंइंद्रियांकास्थानाकेविसैपायपित्तकफहैसोग्यांननैवहवा वातीजोनसांत्यांनाछादनकर सुषपकोनाषकोकरवापालो प्रेसोअग्यानकोहेनजोतमोगुणसोवधिवगदेकरिके मनुष्यको थीपरिकाष्टकासीनानांषिदेछै सोवेनेपेचहसोमूर्जकहे। थमूर्जाकोपूर्वरुपलिष्यने हियोपैजंभाई घणीया मनमै ग्लानिहोया संग्याकोडर्बलताहोयजाय नदिजाएाजेईपुरस कैमूर्जाकोरोगहोसी अथवायकीमू कालक्षगलिष्यने आकास नीलो अथवा कालो अथवा लालजीनदिसे पाछैअंथ कारमैंप्रदेसहोयकरिग्यांनहोयपाछैसरीरकांपैअंगामेटली होय हियोडूले सरीरकसहोय लालकालीजीनेडायादीषै येल क्षराजीकैहोय तीकैवायकीसू जाणिजे अथपित्तकीमूर्जा कोलक्षगलिष्यने आकासलालहस्पोपीलोजीनेदीषेपाचे नैमूछावै पाछेपसेवा तदिग्यानहोय अरनीसलागेसगरमैसंतापहोय लालपालाजीकानेत्रहोय मुषमाहिसंदूराम क्षरनीसरै सुनाकलैनहीं सरीरकीकांतिपालाहोयजाय नदि पित्तकीमू जाणिजे २ अथकफकामूर्जाकोलक्षगलिष्यते मेघकाघानेंलीयांमाकासजानेदापे पाछैनेमू आवै पा डैमोडोजानग्यांनहोय अरजांकोसरीरजाडापसेवांसेतीव्याप्त होय अरलालजीकैपएपड़ेकडोगरमथूको तोकफकीमूर्जा जाणिजे अरसर्पलक्षामिलैतदिसंन्निपातकीमूर्खाजागीजे यामूमिगीकानुल्यछै सूगलीयस्तदेष्यापिनाहीावै ४ अथ
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१२९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग लोहाकीमूर्छाको लक्षणलिप्यते मनुष्यनै लोही की दुर्गधिश्राय पृथ्वीपरत्र्याकासत्र्यंधकाररूपहीदीसै अरसर्वत्रलोही की वासया वैनिश्चलदृष्टिहोय सासच्याछीतरे श्रावैनहीं पाछेमूर्द्धायाचे तदि बेंकैलोही की मूर्छाजाणिजे ५ इसीतरहचंपाकापुष्पादिकांकासूं घिवासूंमूर्छाहोयछै योईकोसुभावछै प्रथमद्यकी मूर्छाकोल क्षणलिप्यते घणोमद्यपीयांमनुष्यबकैघणे अरसोयजाय पा संग्याजाती रहे परपृथ्वी पर हाथ पगपटकै जेठाता ईवेंमयको सरीरमें अमलरहे सरीरकांपै सोवैघणो तिसलागे येलक्षणहोय तदिमद्यकी मूर्छाजाणिजे ५ प्रथविसकी मूर्छाकोलक्षणलिप्य ते विसषायो होयजी कोसरीरकांपै परनोंदणीप्रावै निसपली लागे संज्ञाजातीरहै मूंटोकालोहोजाय प्रतीसारलागजाय भोज नमैंरुचिजातीरहै येजीमेलक्षण होयतदिविसषायाकीमूर्छाजा णिजे ६ अरतमोगुणधरपित्तकात्र्ग्राधिकापणाने मूर्छाहोयछे अथभ्रमकोलक्षणलिष्यते पररजोगुणचर वायपित्तमिलै तदिभ्रमहॊय प्रथनंद्राकोलक्षणलिष्यते तमोगुण र वा यकफ मिलैतदितंद्राजाणिजे श्राधानेत्रषुल्यारहे अथनिद्राको लक्षएालिष्यते तमोगुण अरकफमिलै तदिवेपुरषकोमनषेद कुंप्राप्तिहोय अरदसूइंद्रीयांभीषेध कूंप्राप्तिहोय तदिवेइंडियां हसोच्प्रापकाविसयनेग्रहणकरैनहीं नदिपुरससोवै प्रथस न्यासकोलक्षणलिष्यते हिया रहताजोवायपित्तकफयेदो
सूं वाली देहमन की चेष्टाकूंग्रहाकरिनिर्बलपुरषकुंकाष्टकी शीनांईमूर्छितकरेछे तीनेसन्यासकहिजे प्रथमूर्छाकोजत नलिष्यते तिलांदिकांका सेकसंवायकी मूर्छाजाय १ अथपित्त
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मृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग की मूर्छाकाजतनलिष्यते सीतलसरबतमात्रसूंपित्तकी मूर्छाजा य २ चमत्कारीमणिकाधारि वासूंमूर्छाजाय ३ कपूरचंदन उगेरे सी तलव्यकाले पसंमूर्छाजाय ४ अथवा बोरकीमांगी सीतलमिर चिपस नागकेसर येच्याऊंटंक ५ ले यांनैभिजोयसीतलजलसूं भिजोयसरबतकरिमेंसहत मिलाय मिश्री मिलायची तो मूर्छाजा य ५ अथवा मीठदाज्यू कासर्वतमै मिश्री मिलायपीवैतौ मूर्खाजा य६ अथवा गिनकादाषांका सर्बत में मिश्री मिलायपीवेतोमूर्छाजा यथचा साबणनें जलमै पसिजन करैतोमूर्छाजाय - अथ वा सिरसकाबीज पीपलि मिरंचिकालि सींधोलू येगोमूनमेंवांटि अंजनकरेनीमूर्छाजाय ९ अथवा मेएासिल वच लसण यांने गोमू चर्मैवांटित्र्यंजनकरैतौमूर्खाजाय १० अथवा मैासिल महुवो सींधो लूएा वच कालीमिरचि येबराबरिलेयांनैजलसू मिहींपांटिनासदेनेो मूर्छाजाय ११ अथ लोही की मूर्छाकोजतनलिष्यते सर्वसीतल जतनसंंयामूर्छाजायचे १२ प्रथमद्यकीमूर्छाको जतनलिष्य ते मद्यकामूर्छाविसैंथोडोसोमद्यऔर पावैतौमद्य की मूर्छाजाय १३. अथवा सोबासूंमूर्छाजाय १४ अथविसकीमूर्छाकोजन नलिष्यते विसषावावालानैवमनकराजेमेंटल अथवा लिला थूथासं अथवा फिटकडीसूं गरमपाणी पीपति उगेरे कहींतेरेव मनकदावतोविसकी मूर्छाजाय १५ अथवा पीपलि मायोपारो तामेसुर बस नागकेसर येबराबरिले यांनेरती १ सीनलजलसूंदे ती सर्वप्रकार की मूर्छाजाय १६५ अथभौलिकोजतनलिष्यते धमाकाकादामै घृतनांषिपीवैतो भौलिजाय १७ अथवा हर डे यांवांकाकादामैघृतनांषिपी वैती भोलिजाय १८ अथवा
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११ अमृतसागस्तथाप्रतापसागर तरंग संहिपापलि सौंफ हरडेकीछालियेटकाटकाभरलेगुडरकाभ रलेनीकागोलारंक५भरकीकरै गोलीरोजीनांषायनौभौलिजा या९ अथतंद्राअतिनिद्राकोजतनलिष्यते सीधोलूरा कपूर सरस्यूं मैरासिल पापलि महुवाकाफूल यांनेघोडाकीलालसूमि होगांटिअंजनकरैतोनंदाजाय अरअतिनिद्रायेदोन्यूडूरिहोय २० अथवासहजणांकाबीज सीधोलूण सरस्यू कूर यांनेबकराकाम् तसंमिहींपांटिनासदेतो तंद्राअतिनिद्रायेदोन्यूंजायसअथवा कालीमिरचि सहजपांकाबीज सूटि पीपलियेबराबरिले यांने गथ्याकारसममिहीनांटिनांसदेतोतंद्राजाय २२येसाराजतनभाव प्रकासमेछै अथवासंतिकारसमैसहतमिश्रामिलायावतीमून जिायर अथवा कौंछकीफलीकालगाया मूळजाय २४ इनिमूर्छाधमतंहानिहासन्यासयारोगांकीउत्पत्तिलक्षाज तनसंपूर्णम् इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजराजे द्रग्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरचितेअंमृतसागरनामग्रंथेस रमेरअरोचकछर्दिमूर्छादिलेरयांकाभेदसंयुत्त उत्प तिलक्षपाजतननिरुपरांनामषष्ठःस्तरंगः६ प्रथमदा सयरोगकाउत्पत्तिलक्षराजतनलिष्यतेजोगुणपिसभक्षण मैंछेसोहागुणमयकापीयामेछै दुरीतरेषगो कुपथ्य साथि जोपुरषमयपी वेंकैमदात्पयनैनादिलेरघरोगहोयछैईया स्तैमद्यपाछीतर पीवोजोग्यछै ईनाछीरीती पावतोत्रम नकासागराकरैछै अरईनरीतरैसपीवेतोरोगांनउपजायधि सकीतरहमारिनाषेछै रहदृष्टांतदीजैछजैसोमनुश्यहसोमा डोनरेआपकाभूषमाफिम अन्नकोभोजनकरैवषनरपरि
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१३२ अमृतसागर तथा प्रतापसागरनरंग ७ अरप्रमाणपूर्वकतोअन्नअमृतकौतुल्यगुणकरै अरसरारननिरोग राषै अरोहीअन्नकोभोजनपसुकी तरेषाय, अरयगाथोडाको ग्यांननहींराषेती बोभोजनवासीनअादिलेररोगांनउपजाई मन प्यनैततकाउमारिनाले असेहींमयअरविसैयेरोन्यूमा एकाह
छि परिणयांनयुक्ति सेवनकरैतोयेदोन्यूअमृतकौतुल्यगुणाक रैछ रोगमात्र दूरिकरे सदा पुरषनैतरुणराषै अथविधि सुंमद्यपीवैतीकोफललिष्यते मानसमे सौचादिकजायलानारि ककरि टकाराभररीति मद्यपी मध्यान्हसमेनाकपाभोजनकै साथिटका ४ाभरपीवैरात्रिकामजनकेसमैप्रहरराविप्रथमटका
भरमद्यपावतोयोगद्यश्रमतकायुगकरै भूषवार्यादिकपधावै रोगावादेनहीं परचोषोकादयोनिसाकोपीअरकाबाच्याभो जनकैसाथिहीपीवै मनप्रसन्नराषीपीसमेकासमेतो मधमेक त्याछेसोगुगकरै सोगुणलिवूडू कामवधा मनप्रसन्नराते जनै पराक्रम बुद्धिने म्मतिनै हर्षनै सुष.भोजननैं नीदने मैथु नने यांसारांनै पाछीतरैपीयोमद्यपधावेछै अरअन्यथापाती मदात्पयनैंपादिलेरचनेकरोगाने अनेकवार्तानउपजाबैंछ सो लिखूज़ बकवालागिजायस्मरपाजातोरहैयाएकाचरसरीरकी चेष्टागहलाकीसीतरेकरिवालागिजाय बालस्या नहीं कहा कीचातकहै काष्टकीसीनांईपयोरहेअगम्यागमनकरै बडानेमा नैनहीं अभक्षाभक्षकरे संज्ञाजातीरहे गुत्यवार्ताकहजेीररो गांनउपजायसरीरकोनासकरैइसीतरेपीवैतीसोनरहलिपूंछंभो जनपिनापीय निरंतरपीचौहाकरे कोधकरिपीवैभयकरिपीपैतिसा योपविषेदयुक्तपापै मलमूत्रकायेगमैपाचे धणीपटाईकेसाथिपी
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१३ . अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग ७ निर्बलहुरोपी कहींतरेकीगरमाकोपीयोथोपाजोपुरष त्यांकमदात्ययनेबादिलेररोगहोयछे अथवायकामदात्यय कोलक्षगलिष्यते हिचकाहोय स्वासहोय मांथोकांपे पसवाडा मैंसलहोय नांदावे बकैबहुतयेलक्षणहोयतौबायकोमदास यजालिजे। अथपित्तकामदात्ययकोलक्षालिप्यते तिसप तालागेदाहहोयरहोय पसेपाचे मोहहोय अतीसारहोय भोलीपावे सरारकोहयोवाहोय यलक्षाहोयतोपित्तकोम दात्सयजाणिजे २ अथकफकामदात्ययकोलक्षएलिष्य 'तेर्दिहोय अरुचिहोयसलूलो पाटोछादैनंगहोय सरीरभा पोहोय येलक्षणहोयतोकफकोमदात्सयजाणिजे ३ अरयेस लक्षणामिलेतीसन्निपातकोमदासयजाणिजे ४ अथपरम दकोलसरालिष्यते पानसहोय मथपायहोय अंगामैपीडा होयसरीरमास्योहोय सुषकोस्वादजातोरहे मलमूत्ररुकिजाय नंदाहोय अरुचिहोय तिसहोय येलक्षणहोयतोपरमरजाणिजे ५ अथपांनाजीकोलक्षालिष्यते घराफरोहोय व मनहोय दाहहोय अजीर्णहोय येलक्षाहोयतोपानांजाक हजे अथपानविनमकोलक्षालिष्यने हियोडू अंगमेपी राहोय कफथूकै मूंदासंधूंवोनीसरे मूर्खाहोयधमनहोय जुर होय मथवायहोय मिगईमेदारुमैं रूचिनहींहोय येलक्षणहो यतोपानबिनमकहजै प्रथमदात्ययकोअसाध्यलक्षालि ष्यतेनीचलोहोठलरकिजाय सरीरउ परेसूउंटोलागेसरीरमा हिंदाहहोय मूंटामैतेलकीवासाचे जीमहोठदांनकालाहोय नालापीपलालजीकानेत्रहोय अरहिचकीजुरवमन पसवाडामें
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१३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागरनरंग ७ सूल पासी मौलि येलक्षाहोयतोमदात्मयअसाध्यजाणिजे अथ मदासयपरमदपानाजापानविनमयांकोजतनलिष्यते अथवायकामदात्पयकोजतनलिप्यतेपासवां चोषीदारुका विधिपूर्वकसेवासंचायकोमात्सयहूरिहोय अदृष्टांतरजेचे अग्निकादायानेअग्नि तपातोप्रोभाछोहोय अथवा विजो राकाकेसरी अमलवेद माराबोर मोडीदायूं अजवायलिजीरो सूहि यांतीन्यांनैमिहीपारि विजोरादिककारमकायांकैपटदेयो चूर्णअनुमानमाफिकचोषामयमैनांषिविधिपूर्वकमयने पाये रपुराणोमद्यपीवैअथवासंचरलूला हि कालीमिरचि पीपलि यांकोमिहींचूर्णकार अनुमानमाफिकमयमैमिलायमद्यपायैतो वायकोमदापयजायर अथवाचव्य संचरलप सेकाहींग मोर अजवाया यांकोमिहींपूर्णकार मधमैनाषिपातीवायकोमदा त्पयजाय३अथवालाची तीतर मुरगाकामांसभक्षणसंपातकोमदास्पयजाय अथवासर्वगुणसंपन्नजोबननेलीयांषोडसवा र्षिकीस्वीकासेवन गायकोमदात्पयजाय५ येजतनभावप कासमैलिष्योछैयष दा चारा महुवायांकादारुमियीकासं जोगकापीवैतीवायकोगदात्ययजाय अथवा गडकादहीको मट्टो मिश्री मिलायपीपेनो गयकोमदात्पयजाय येसारसंग्रह मेलिष्योछे अथपित्तकामदात्पयकोजतनलिष्यते सर्वसी तरजतनांसंपित्तकोमात्ययजाय- अथवासातलजलमॉम श्रीराहतमिलायपीचैतोपित्तकोमदात्पयजाय ९ अथवा माटीदा यूंकारसमेंमिश्रामिलायपातोपित्तकोमरात्पयजाय अथ वा सुस्लो हिरणलाबो यांकामांसकापावासूपित्तकोमरात्पपजाय
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अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग ७ अथवापफराकासोरसासं साडीचावलांकाषापासूपित्तकोमदा सयजाय १२ अथकफकामदात्ययकोजतनालिष्यतेचंदन पस यांफालेपसंकफकोमात्पयजाया३ अथवाजवगोहंत लत्थ यांफाषापासूफफोमदात्पपजाय१४ अथवाकडचीषा
सबलापस्तकापावासंकफकोमदात्पयजाया५ अथवावम मसं लंपनसंकफकोमदात्पयजाया अथवा संचरतराजी रोपमलवेद तजरलायची कालीमिरवि मिश्री यांनवराबरिले यांनीषहीं पीसिजलकेसाथिलेतो कफकोमदात्पयजाया अथ सनिपानकामदात्पयकोजतनलिष्यतेनांपलांकारसमैपा रागंधककाफजलाकामिलायपीपैतीसन्निपातकोमरात्पयजा ११- अथपानविनमकोजतनलियतेदाषांकासरबतमैप थवा कैथकासरबनमैं अथवारा कासरबतमै सहतमिश्रामि लायपीवतोपानविनमजाय१९ योदमैछै अथधतूराकाफलकामदकोजतनलिष्ये पेडाकारसमेगुडघालिपविनोध दूराकोमजाय अथवाधमैमिश्रीनांपिपावेतोधतूराकोघरभा गीकोमदजाय २० अथभांगिकामदकोजतनलिष्यते कपास कीजडकोरसपीवै अथवा वैगपाकीजडकीजडकोरसपावैध थवा पतलीछाछिपी अथवा पृतपावअथवा मिश्रीकासरष तमैनांपूकोरसनांषिपातीधराकोअरभागिकोमजाय अथ वामिश्रीपीवतीभांगीकोमदरिहोय २१ अथविसकामद कोजतनलिष्यते निबोलीकामांगीनीलोथूथोमासार गांटिकोजr कापापी पीवेती सविसमात्रकोमदहरिहोयर येजतन योपचारयंथमैछ इतिमदात्ययपरमदपानाजीापान
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१३६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ विभ्रमधतूरा-भंगविसमग्रयांकीउत्पत्तिलक्षगजतनसं पूपाम् अथदाहरोगकीउत्पत्तिलक्षाजननलिष्यते॥ दाहहेसो७ प्रकारको पित्तको इष्टलोहाकावधवाकोश स्त्रांदिकांनीसरोजोलोहीतीकरिपूर्णकोटहोयजायचाकोरम यादिककापीयाको ४ तिसकारोकियाको ५धातुक्षयकोम मकानोरलागिवाको ७ अथपित्तकादाहकोलसपालिष्य ते पिनजुरकासर्वलक्षामि। अथलोहोकाइटपासू उपज्योजोदाहतीकोलक्षालिष्यतेसर्वसगरमैाहलागिजा य अरसर्वसगरमधूवोसोनासरे सरीरकीतांबाकासाचाहनि होय अरतांबाकारंगसिरकानेत्रहोय मूंदामैंलोहाकासीगंधा वैअरसगलागअग्निकासीनाईबले येलक्षपदोयतोऽष्टलो हीकोदरजारािजै अथशस्त्रादिकरांनीसपोजोलोहीती सूकोष्टपूर्णहोयतीकादाहकालक्षकोलक्षालिष्यते लो हासंकोटोभरजा अरदाहलागिजायसोअसाध्यछे योमरिजाय ३ अथमद्यादिककापीवाकादाहकारक्षगलिष्यतेह दाकोपनहेसोपित्तपरलोही मिसियेसारातचामैायपासाहोय अरसारासरीरमै भयंकरदाह करेछै४ अथपित्तका रोकिवाकादाहकोलक्षालिष्यतेतिसकारोकिवासूसरी रकोजलधातुषीणहोय नदिसरीरमैंगरमीपधै नदिसरीरनैंर गधकरै पाछेकोचित्तमंदहोअरवेंकोगलोतालबोसूकेजी भगारेकरि कांपगलागै५ अथधातक्षयकादाहकोलक्ष रालिष्यते धातक्षयकादाहसंमूर्जाहोयावै निसलागेमुष कोस्वरटिजायसरारकोसामर्थ्यजातोरहे योदाहअसायचे
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१३७
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथमर्मकी चोटलागिवाकादाहको लक्षणलिष्यते सिरह दयपेडूनेंत्र्यादिलेर मर्मस्थानमें चोटला गिवासूं उपजैसोन्यसा ध्यजाणिजे प्रथदाहको साध्यलक्षएालिष्यते सरीरठदोहो जाय अरमांहींदाहहोय सोमरजाय अथदाहकोजतनलिष्य ते हजार वारको धोयो अथवासोवारको थीयोघृततीकोसरीरकै मर्दन करैनोसरीर कोदाहजाय १ अथवा जवांका सातू में मिश्री लायषायतौदाहजाय २ अथवा आंवलांकापाणी मैं कपडो भिजो यवेने देतोसरीरकोदाहजाय ३ अथवा पसररक्तचंदनने पतिसरीरकैलेपकरैतौदा हजाय ४ अथवा केलिकापांनाकी न थवा कमलकीपांषड्यांकी सज्याऊ परिसोवै तौदा हजाय ५अथ या फवाराचादरिउगैरैजल कीडासूंदाहजाय ६ अथवा पसषां नाकारहवासुंदाहजाय ७ अथवा सीतलजल काचीवासुंदा हजाय - अथवा उपवनउगेरै सीतलस्थान में रहवासूंदाहजा य९ अथवा चंदन पित्तपापडो बस कमलगट्टा धों सौंफ आंवला यांकोटंक २॥ भरकोक्काथकरि नीमैं सहत मिश्री मिला यपीवैतौदाहततकालजाय १० अथवा धरणानेरातिनैभेचे पाछे बेंहीजलमैंप्रातसमैर्वैनैघोटिछाणिमिश्री मिलायपीवैतौदाहड् रिहोय ११ येसर्वभावप्रकासमेलिष्यो थलोहीका विगडिकाकादाहकोजननलिष्यते वेंकैसीरछुटायोजेती दुष्टलोहीको दाहइरिहोय १२ अथवा पारो सोध्योगंधक भी मसेनीकपूर चंदन बस नागरमोथो येसाराबराबरिले पाछे पारागंधककी कजलीकरि तीकजली मैयेोषदिनांषे पायां कीजलसूंगोलीबांधै गोला ? मूंढामैराषिचूसेतो सरीरको मांहि
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१३९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ लोदरहजाय योदाहरिकरयाकोरसछै१३ अथवा पारोतोलो १ तामेस्वरतोलो। अभकतोलोअरसोध्योगंधकतोलापथ मपारागंधककाकजलीकरिपाठयेऔषदिकजलामें मिलावे पा छैयांकैनागरमोथाकारसकीपुरादे पाछैमीतीदायूंकारसकी पुरादे पाछैकेवडाकाअर्ककापुट पदे पाछसहदेईकारसकीपु हदे पाछपीपलिकारसकापुट दे पाछैचंदनकारसकापुटादे पाईराषकारसकापुरदे पाडैछायासुकाय रणाप्रमाएगोली बांधै पाछैगोलीरोजानांषायनो दाह. अमलपित्तनें मूत्रहछ नैं प्रदर. प्रमेहने यांसारांरोगांनेयोचंद्रकलारसरिकरैछ १४ इतिचंद्रकलारसः योवैधरहस्यमैलिष्योछ इतिदाहरोग काउत्पत्तिलक्षणजसनसंपूर्णम् अथउन्मादरोगंकी उत्पत्तिलक्षाजतनलिष्यतेविरुडभोजनसंपुष्टभोजनसू अपवित्रभोजनसं मनुष्यकोपित्तविगडैछे भरदेयतागुरुत्रा म्हण तपस्वी राजा यांसारांकातिरसकारसंपुरसकोमनविग डै ३ अरकहींतरैकाभयतूं भरकहींतरैकाहर्षसू पुरसकोमन विगडे, अरथनूरानेभांगिनेआदिलेरत्यांकाषापासंभीपुरस कोमनविगरेंछे तदिओपुरसकोमनविगड्योथको वायपिनकफ "कुंप्राप्तिहोय पुरषकूमदजुक्तकरिदेछै नामपुरष.गहलोक रिदेछै तीनतोकिकमेहोलदिलकहेछ सोयोरोगछप्पका रकोछै वायको पित्तको २ कफको ३ सन्निपातको ४मनका इषको ५विसकाषायीको अथउन्मादकोस्वरुपलिष्यते विरुइभोजनादिकपाछैकत्यात्यांसेती अरषारापुरषकैवाय पित्तकफइष्टहोयबुद्धिकोनासकरै पाछेकाहियामैपीडाकरे
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१२९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ पाछेमनबहवापालाजोनसायानैवेदोषमोहितकरैतदिमन स्यकोचित्तविगडिजायथिररहेनहींईनैहोलदिलकहेछ अथ उन्मादकोपूर्वरूपलिष्यते बुदिथिररहेनहीं सरीरको पराक मजातोरहै दृष्टिथिररहैनहींधारजजातोरहै पाछीतरैबोलेन होहदोसनोहोयजाय येलक्षणहोयतौजाणिजेपुरषकेउन्मा दहोसीअथवायकाउन्मादकोलक्षरालिष्यते लषीवस्त कापरउंदायस्तकाघाषावा घणाजुलाबकालेवासंधान काषाणपणांसं वायवधै नदियोवायहियानैविगाडै अरबुद्धि कोचरस्पराकोतनकालनासकरे तादमनुस्यहेसोषिनाकार यही हसेगावैनाचे योहाथ{मूदानैवानराकोसीनाईकरवाला गिजाय अररोषालागीजाय सरीरकोरअरकालोलालहोजाय परभोजनपयांपळुयोरोगवधेयेलक्षराहोयनौवायकोउन्माद जाणिजे अथपित्तकाउन्मादकोलक्षणलिष्यतेजारी मैंभोजनकरुणांकडवोषाटो गरम यांभोजन पित्तथैतदिम नुष्यकाटदाको पित्तहसोविगडिउन्मादनैंकरै तदिओपुरसकहींकी वातनैमानेनहीं अरनांगोहोजाय मारबालागिजाय रोलवालाग जाय बैंकोसरीरतानोहोजाय सीतलवस्तकावांछाराषे अरसरी रवानामनिपालीहोजाय येलक्षसहोयतौपित्तकोउन्मादजाणि जे अथकफकाउन्मादकोलक्षरालिष्यते भूषमंदहोय अ रजामघोषाय नदिपुरसकेकामकारवामैनालसघगोआचे नदिकैपित्तहेसोकफ मिलि परमर्मस्थानानैवधा नदिपुरस कीबुद्धिको अरस्मरणकोनांसकरै पाछे-काचित्तनैविगाडै पुर सनउन्मनकरिअरोपुरसकमबोल भूषजातीरहे स्त्रियाप्या
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१४. अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ शलागें ऐकांतस्थानपारोलागे नींदधणीयाछर्दिोय बलजातो रहै नषादिकसपेदहोजाय येलक्षणहोयतोकफकोउन्मादजाति जे ३ अरयेसर्वउक्षराहोयतोसन्निपातकोउन्मादजाणिजे अथ मनकाइव उन्मादकोलक्षालिष्यते चोरांकाभयसं राजाका भयसं प्रबलशत्रुकाभयमू और कहिभयंकरकर्मकाभयमं उस्यो जोपुरसतीके अथवा धनकानास अथवा पुत्रादिकानासम्यां यस्तासं पुरसकेमननेचोटलागे अरघगोमेथुनकरैजीके नदिको मनधिगडैपुरसकोउन्मत्तकारदे तदिवोमनमैंयावेसोबके संज्ञा जातीरहै अरगावालागिजाय हसिवालागजाय येलक्षणहोयनो मनकाडुःखकोउन्मादजाएिजे५अथधिसषावाकाउन्मादको लक्षगलिय्यतेलासनेत्रहोय बलसरीरकोजातोरहै सर्वर यांकीकांतिजातीरहै गरीबहोजाय मूटोकालोपडिजाय लक्ष पाहोयतो विसषापाकोउन्मादजाणिजे ईउन्मारवालोमरिजाप अथउन्मादमात्रकोअसाध्यलक्षगलिष्यते फेतौनीचोहीमुष राषेकैउंचोहीमुषराले अरसरीरकोबलमांसजातोरहै नींदा वैनहींजागिबोहोकरे यलक्षणहोयतौओपुरसमरिजाय थभूतादिकजीनलाग्योहोयजीसूरुपज्योजोउन्मादतीकोल क्षगलिष्यते जीपुरस.भूतादिकलाग्योहोयतींपुरसकाराएगी मनुस्यकीसीनाईहोयविचित्रहोय अरकोपराकमभीविचि अहोय अरकासरीरकीचेष्टाभीविचित्रहोय अरचेंकोग्यांनभी अरकोविज्ञानभाविचित्रहोय येलक्षणजीमेहोय तोकेभूतादि कलाग्याकोउन्मादजाणिजे अथजीकासरीरमैंकहींदेवता कोषवेसहोहोयती काउन्मादकोलक्षणलिप्यतेसर्वचान
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१४१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ प्रोसंतुष्टरहै अरोपवित्ररहै अरसंदरपुष्पादिककामालाधा रै अरसुंदरअतरसूधिोकरे परकीयांषीमिचैनहीअरवि गरिपत्योसंस्कृतबोले अरसरीरमै तेजवथै अरजोमांगेजीनवर दे अरोत्रम्हएयहोजाय येजीमैलक्षाहोयतीमे देवताकाप्रवे सकोउन्मादजाहिजे२ अथजींकासरीरमैसरप्रदेसक खोहोयत्नासूउपज्योजोउन्मादतीकोलक्षएलिष्यते पसे वावे अरबाह्मगुरुदेवनायोमैदोषकाटेकुरिलजीकीदृष्टि होय कहींतरैकोकैमयहोयनहीं पोटामार्गमैरष्टिहोयकहीं तरेनुप्तिहोयनहीं भोजनादिकमैडष्टात्माहोय येलक्षराजीमहो यतीने असुरलाग्योजाणिजे ३ अथगंधर्वलागिवा उपज्यो जोउन्मादतीकोलालिप्यते इष्टात्माहोय परपुलिनमें वनमैरहवा मनराजीरहै आचारमैंमनरहै गाबोनाचिबोसुहा वैथोडोबोलैयेलक्षराहोयतीगंधर्वलाग्योजाशिजै १ अरयेहीज क्षग्रहकालक्षजाणिजे ५ अथजीकासरीरमैपितरांकोस तीकोदोसहवाहोयतीकोलक्षगलिष्यतेडाभकेअपरिपिंड मेलबोकसतोगुणीहोजाय तर्पणकरचोकरैमासमै तिलमैंग उमें पारकाभोजनमैमनरहैंयेलक्षएजीमहोयतापित्रेसुराको दोसजाणिजे अथसतीकोदोसजीकासरारमैहोयतीको लक्षालिष्यते मननिश्चलरहैनहीं संतानादिककोअवरोधक रै सतीकीवातसुहावे वोलेनहीं बोलतोवरदेतोपोलेपवित्रर है आछीवस्तांमैमनरहै येलक्षणहोयतोसतीकोरोसजाणिजे ७ अथषेत्रपालकादोसकोउन्मादलिष्यतेमुषनासिकामें लोहोचलावै स्मसांनकीराषमस्तंगमैनांषे षोरामुपनामा
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१४२
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पेटमें पीडरहे अरसंधिसंधी मेंपीडर है चित्तस्वस्थिर रहनहीं येल क्षण होयतौ क्षेत्रपालकोदोसजाणिजे अथबीजासणिकादो ससूंउपज्योजोउन्मादतीकोलक्षएलिष्यते पप्पाघातहोय सरीरपररुधिरसुसिजाय मुषपगवां काहोजाय सरीरषीणहोजा य स्मरणादिकजातोरहै ये लक्षण होयतो बीजासणको दोसजालि जै९ अथकामणकादोससंडुपज्योजोउन्मादती कोलक्षण लिष्यते कांधोमांथोभास्योहोय मनथिरर हैनहीं सर्वांगसी एहोजाय नासिकामैंने चामैं हाथामै पगामैंदाह होय वीर्य कोनास होय सरीरकात्र्याऊंपंगांमेसुईकासाचभकाचालि बोकरे सरीरस् किजाय येलक्षणहीयतो काम कादोसकोउन्मादजाणिजे १० अथशाकिनीडाकिनीला गिवासूं उपज्योजोउन्मादतीकोल क्षणलिप्यते सारा गंगामेंपीडाहोय नेत्रघणाहुषे मूर्छाहोय स शर कांपे रोवैवकै भोजन में रुचिहोय हसैस्वरभंगहोय सरीर कोबलम्परभूषजातीरहै भौली होय जुरभीहोय येलक्षणजीमै हो यतौशाकिनीडाकिनी कोटोसजाणिजे ११ प्रथषोटीगतिसूंमू वाजो मनुष्यवैषेत होयतीउपज्योजोउन्मादती कोलक्षण लिष्यते संचारै धरमै कठिऊठिभागे षोटावचन काटै बहुतव कैं सरीरकांपैरोवे बाचे पीवेनहीं बुरातरैसास लेबोकरै मनमैं यासोपाचे लक्ष होयतो प्रेत को दो सजाणिजे १२ अथजी कासरीरमेराक्षसलाग्यो होयतींसूंउपज्योजो उन्मादतीकोलक्षणलिष्यते मांसकाषावामैं मरलोही कापीवामैजांकी रुचिरहै परदारुकापीवामैरुचिरहै अरनिलजघणोरहे घणो दुष्टपणांसूबोलै घणौसुरापः पोजीनेचदिजाय को जीनेयणो
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१४३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग होय रात्रिनेंएकलोफिरै पवित्ररहे येलक्षणहोयतोराक्षसला जाणिजे १३ प्रथब्रह्मराक्षसजींनैलाग्योहोयतीसूउप ज्योजोउन्मादतीकोलक्षणलिप्यते देवता ब्रम्हा गुरु याँसूं बैरराषे वेदर वेदांत कोजाणिवावालोयापहोजाय अराप कासरीरनै पापही पीडाकरै परमारैनहीं येलक्षणहोयतौ ब्रम्ह राक्षसलाग्येोजाणिजे १४ अथपिसाचजीनैलाग्येोहोयती सूंउपज्योजोउन्मादतीकोलक्षणलिष्यते उँचाहाथरापियो करै सरीरहसहोजाय क्यूंकोक्यूंमिथ्या वकै सरीरमेंडुर्गंधियावे अपवित्रर है अतिचंचलहोजाय घणौषायउद्यानमैमनरहे भ्रम घणौ रोवै ये लक्षण होयतो पिसाचलाग्योजाणिजे १५ अथउ न्मादको साध्यलक्षणलिप्यते प्रषिफटीसीहोजाय मोल बोकरे मूंढेागाचोकरे नांदणी आवे पडिजाय कांपे येल क्षएगहोयतौष्यसाध्यजाणिजे परपून्यूने आजारपणो होयतो दे वतांकोदो सजाणिजे परसांग में कोईलागेतो असुरकोदोसजाणि जै भ्रमावसनें ये लक्षण होयतौपितरांकोदोसजाणिजे श्रानये लक्षणहोयतौगंधर्वकोदोसजाणिजे पडिवानैयोविकार होयतो जक्षकोदोसजाणिजे रात्रिनेयेलक्षणहोयनौराक्षस पिशांचाकोदोसालिजे अथयांसारांकाला गिवा की तरहलिष्य ते जैसे मनुष्यादिकां कोमतिबिंबदर्पणादिकांमेधसिजाय छै तैसेंहाँप्रालीमानमेंसी तउष्गंध सिजाय जैसे प्रातसीकाचमे सूर्यको किरणधसिकरित्र्यग्निनउपजायदे तैसेंही मनुष्यादिका कासरीरमें भूतप्रेतादिकधसिजाय सरदीषैनहीं चिन्हासू जाएयां पडे अथउन्मादादिलेरयांसारांकाजथाजोग्पज
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१४४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ तनलिष्यते घृतादिककापीवासंबायकोउन्मादजाय पाया जुलाबकालेवा पित्तकोउन्मारजाय२ पमनकाकरावासंकफको उन्मादजाय ३ अरलिंगमैगुदामैऔषदिकीपीचरकाकादेवास योवस्तिकर्मछै ईकाकरियासंभाउन्मादजायछै ४ अथवालराध्या कोरसकारितामेबराबरिकोगुडमिलायतीमगडकीछाछिनांषि पीचनौउन्मादजाय५अथवापरैरीडाल्यांकोरसकाटिपावेतो उन्मादजाय अथवाकडवातेलकोमर्दनकरितापराषैतो उन्मादजाय अथवा कोईअडतवस्तदिषावै अथवाकोईरष्ट कोनामसुगावेतौउन्मादजायन् अथवा तातापनको अथवाना तात्तेलको अथवा तानाजलकोस्पर्शकरावेतोउन्मादजाय९ थवा कौछकाफलीकोस्पर्शकरावेतोउन्मादजाय १. अथवा कोरडाकीदेतौउन्मादजायाअथवा शस्त्रसंहाथी सिंहसू सर्पसं रोकिवासू कहांतरैमंडरावेतोउन्मादजायाश्यांकारणा सूचित्तठिकाणे सोसडरवसंपााकोराषियोसिरैछे ईवा स्तैयेजतनसिरैछै अथवाकूर असगंधसांधोलूगा अनमो ददोन्यूजीरा सूहि कालीमिरचि पीपलि पाठ सांषाहूलीयेसारी औषदिबराबरिले अरयांसर्बकोबरापरिषचले पाछैयांसबने मिहीं वाटिकेबाम्हीकारसकीपुर१०दे पाछैईछायासुकायर्ट क॥घृतसहतसाथिईसारस्वतचूनिदिनै १५लेतोसम कारकोउन्मादजाय१३ अरयोसर्यवायकाधिकारने प्रमेहनैहू रिकरैछै अरयोबुद्धिनेयधावेछै अरयोकरितानेकराचैछै यो ब्रम्हाजीपणायोछै इतिसारस्वतचूर्ण अथवा विफला पित्तपाप डो देवदार सालपोजवासो नगर हलद दारुहलर इंद्रायाका
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१४५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. ७ गौरासर चंदन पदमाष कूठ कमलगट्टा इलायची कट्यालीमजी उ परज निसोत वायविडंगरुदंती नागकेसार महलोग पृष्ठपण चमेलीकाफूल येसारीओषदिअधेलाअधेलाभरिले पाछेयेोष दिसेर ४ जलमैटिनांपरईमेसेरऽ१ गउकोघृतनां पाछैम धुरीयांचसूपकावै नदिनोजलबलिजाय अरतमात्रायरहैत दिईनेउतारिले पाछैईनेटंक५रोजीनांभोजनकेसाथिषायतोउ न्मादनेमृगीकारोगनै अरपांडुरोगनैं योघृतरिकरैछै इतिक ल्याएरातं १४ अथवा हि कालीमिरचि पीपलि हींग वच सि रसकाबीजसाधोलूरा सिस्यू येवरावरिले यांनेगोमूत्रमामहीवा टि अंजनकरेतोउन्मादजाय १५ येजननवैद्यविनोदमेछै . अथवाइंटिअजमोद हलद दारुहलद सांधोलूरा पच मह लोरी कूठ पीपलिजीरो येसर्वबराबरिले यांनैगोमूत्रमैमिहीवां. टिटंक ॥ घृतकैसाथिलेतो उन्मादजाय अरवेंकाजीभउपरीस रखताआयवसे इतिविश्वायंचूर्ण१५ येभावप्रकासमेछै अथवा श्रामीकोरस अथवा पेठाकोरस अथवा पापलामूल कोरस अथवा साषाहूलाकोरसटंकी पावेतोउन्मादजाय१७ अथवा पच कूठ संपाहूली धतूराकीजरयेबरावरिले यांके ब्राम्हीकारसकापुट ७२ अरकालाधतूराकाबीजांकातेलकीयु ट५दे पाछैईकानांसदेतोउन्मादडूरिहोयान्येसर्ववैद्यरह स्यमैछै अथवा सिरसकाफूल मजीठ पीपलि सरस्यूं बच हलद मूरि यांनबराबरिले यांनेवकरीका नमैमिहींवांटि गो लोकरै पाछैगोलीघसिजनकरैतौउन्मादजाया९योजोग रत्नावलीमैछै अथवा सेकाहींग संचरलूरा सूठिकालीमि
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१४६ - अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग ७ पीपलियेसारीबराबरिले दोयदोयरकाभरिपाछेगऊकोत सेर ४ ले परत चौगुगोगोमूत्रले पाछेयांसारांनएकाकार मधुरांचसूपकावै तदिवैमैकोगोमूत्रवलिजाय घृतमात्रायर है नदिई उतारिटंक ५भोजनकेसमैलेतौउन्मादडूरिहोय २० इ तिउन्मादरोगकोउत्पत्तिलक्षागजतनसंपूर्णम् अथभूत नेपादिलेरजोउन्मादतीकोमंत्रतंत्रसर्वशास्त्र अनुस्वार लिष्यते प्रथमभूतवादिलेरयांकाजतनकरेसोआपपवित्र होयापकीरक्षाकारकोजतनकरे कालामिरचि पीपलिसी धोलू गोरोचन यांनमिहींपांटि सहतमैअंजनकरतोभूतप्रेतजा या अरज्वरकाप्रकर्षामभूतज्वरउपरिश्रीनृसिंहजीकोदिव्यमं बलिष्यो? तसूभूतप्रेतादिककोसर्वहीउन्मादडूरिहोयछैसोदे पिलीज्यो अथउड़ीसमैयांकासावरगरजंत्रलिष्याछेमहादे पजीसोलिपूंछु उनमोभगवतेनारसिंहायधोररोडमहिषासुररु पायत्रैलोक्यबरायरोरक्षेत्रपालायहोहोकिकिकिमितिताडय नाडयमोहयमोहयभिभिक्षोभयक्षोभयाभिप्राभिसाधय साधय हीहदये ग्राशक्तयासक्तय प्रातिललाटे बंधयबंधय हीहरयेस्तंभयस्तंभय किलिकिलि ईहींडाकिनी मछादयप्रछा दय शाकिनीपछाट्यप्रछादय भूतंप्रछादयपछादय अप्रभूति अतिस्वाहा राक्षसंपछादयपछादय बम्हराक्षसंप्रछादयपछा दय शाकासंप्रादयपछादय सिंहनीपुत्रपछादयप्रछादय एते डाकिनीग्रहमाधयसाधय शाकिनीगृहसाधयसाधय अनेनमंत्रे ए राकिनीशाकिनीभूतप्रेतपिशाचादि एकाहिकाहिक त्राहिक चातुर्थ पंचमकं पात्तिक पैत्तिक गेभिक सन्निपातकेशरीडा
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१४७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ७ किनीयहादिमुंचमुचस्वाहागुरुकाशक्तिमेरीभक्तिपुरोमंत्रोईश्व रोवाचा ईमंत्र झाडोदीजेवार समोरकीपांष अथवालोहाकी वस्त अथवा छानिकीपानि तौभूतादिककासउन्मारकोदो सर्हिोय २ अथडाकिरणीशाकिणीकावकरावाकोमंत्रः उनमोआदेसगुरुपूनमोजयजयसिंह तीनलोकचोदाभव नमें हाथचाविहोरचावि नयनलाललाल सर्वरीपछाडिमारि भगतनकीपराराषिश्रादेसमादेसपुरषको ईमंत्रकाक्रिया यो मंत्रपटिरोगानेवाय ईमंत्र पाणीमविपापपवित्रहोयो पाणीवै पावै पाछैनैबु शाकिनीडाकिनीबोलैसही ३१ थडाकिएबलावाकोमंत्र उनमोचटोचढोसूरवीर धरतीच दिपातालचदि पगपालीचरीकुपाकुपावीरचच्या हगवंतवीरच ख्या धरतीची पगपाएगीची एडीची एडाचदी मुरचेचदीमु रचेचदी पीडीची पीडीचदीगोमांचीगोमांचदीजांघचदीजा पंचढी कारची कटिची पेटची पेट धरणिचरिथरणीसू पांसल्याचदी पांसल्यामूहियेची हियासूछातीचदि छातीसं षयांचाट पयां कंउची कंगसंमुषचदीमुषसंजिदाचदी जि हा कानाचदि कानांसंशांप्पांचटि ओष्पां ललाटचटीलला टरांसीसी सास कपाउचही कपाल चोरीचदीहनूमा ननारसिंहकरवारत्ताचल्याचार समदवार दीवीर भाम्यावीर सोसंतावीर येवीरचत्यायकरावेतो-पुरसमैनिक्षेत्रापगोले ४ अथडाकिरगीकैचोटलागियाकोमंत्र-ऊनमोमहाकायजोगिणी जोगिणीपारसाकिनीकल्सहक्षायदृष्टिजोगिएीसिद्धि रुझय कारभेनसाधयसाधयरमारय मारय श्यचूरय अ
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१४८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पहरशाकिनीसपरिवारं नमः गृ ६ उन्हीं ६ हो होफट्स्वाहा ईमें चकीक्रियापवित्रहोय वार ७ गूगलनेंमंत्रिऊषल मैंनांषिमूसल सूंकूटिजेतौ वेचोटडाकलिकेलागे अरईमंत्रसूंगोडोसूंडिजैतो डाकणिको मांथोमूडौंजाय अरईमंत्रउडदमंत्रिनांषिजेतीतीकै घरन्प्रायषेले अरजलनेंईं मंभित्र्यांष्पांचा दैतौ वाषेलउठे ५ अथडाकणिकादोसडूरिहोवाको जाडोमोरकीपांषंसूंदी जे अथवा लोहकाराछसूंदीजे उन्नमोप्रादेसगुरूंकौडा किली सिहारी किन्नैमारी जती हणवंतनैमारी कहांजायदवकी किनदेषी जतीहणवंतनेदेषी सातवेंपातालगई सातवांपातालंकुए पकडि ल्यायाजतीहणवंत पकडल्याया एकतालदे एक कोडातोड्या दीय तालदेदोय कोठातोड्या तीन ताल देतीनकोठा तोड्या यारितालदे च्यारिकोठातोड्या पाँचतालदेपांच कोठातोड्या उतालदेउकोठा तोड्या सात्तवोंकोगेषोलिदेषेनौकुणकुणषडीछे डाकिनीसिहारी भूतप्रेतचल्या जतीहणवंततेरेडेंसूंचल्या ऊंनमोप्रादेसगुरूंकू इहजत्रनेबालककै गुरुकीशक्ति मेरी भक्ति इहजंगपाणी मैंघो गलेबाधिजे जंत्र रोमंत्रईश्वरोवाच अथ 'लिपाजैजंत्र. डाकणिकारिहोवाकोयंत्र- इहेंजननें
१३९ ६६ १
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४. नापासीमै घोलिपाजैतो
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डाकिनी शाकिनीदूरिहोय अथप्रत्यक्षहाजरायनलिष्यते अथ हाजरायनमंत्र: ऊंनमः कामारख्याये सर्वसिद्धिदाये अमुककर्म कुरुकुरु स्वाहा २४ अस्पमंत्रस्यबाल्ही कऋषिः जगतीछंदः कामा ख्यादेवता प्रणवः शक्तिः अव्यक्तंकीलकं अमुककर्मणिजपेोवृनि
योगः
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१४९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग उनमः अंगुष्ठाभ्यां नमः कामाख्यायेतर्ज्जनीभ्यां नमः स्वाहा सर्वसिद्धि दायैमध्यमाभ्यांचषद् अमुककर्मत्र्यनामिकाभ्यां हुं कुरुकुरुकनिष्ठि काभ्यां वौषट् स्वाहाकरतलकरपृष्ठाभ्यां अस्मायफटू उनमोत्हृदया यकामारव्यायैसिरसे स्वाहा सर्वसिद्धिदायेसिषायैवषट् प्रमुकक र्मकवचायहुं कुरुकुरुनेत्रत्रयाय वौषट् स्वाहाम्यस्त्रायफटू अथ ध्यानम् योनिमात्ररारारायाकुंशुपासिनिकामदा रजःस्वलामहा तेजाकामाक्षीध्येययासदा मंत्रस्यसहस्रजपः १००. गुडहलका फूलांकी १०० आहूति मेंढलकीराषकरिराषै रुईमैभिलाय वेंकीचा तीकरणी गावातीतेलकादीवामैमेली दीवा की पूजा करणी दी वाकैच्प्रागेबालक आठवरसको अथवा इसवरसको पवित्रश डुवंशकोदेवनागडाको बालकस्थापण परश्रापभीपवित्रहोय मेंढलकाफलऊपरि ईमंत्रकाजपका संकल्पकोजलनांषण पर दीपकभागेयोजंत्रलिपि जंत्रकोपूजनकरण अरयोजनवालकनैं दिषावणौवे की हथेलीमैं अरमैंटलकीराषतेलोसणिवेकी हथेलीकैमसलणी पाछैवेनैवुफाएंगे श्रदेषैसोसर्वसमंचारसत्यक है अथवा आठदसबरसकी देवतागणकीकन्याबैठावणी पवित्रकुलकीवेनैदाषैसोक है दशांसमार्जन दशांसतर्पण दशांसत्रा म्हणभोजन इतिहाजरायतका विधिसंपूर्णम् यास त्यहाज रायतछै येसर्वउड्डीसमेलिष्याचे अथवा योजन हाजरायतको नींबकापत्र बच हींग सांपकीकांचली सि बांधिजै रसूंयांकी धूंगीदेतो डाकिएगभूतनेंत्र्यादि १ लेरसर्वदोसजाय अथवा कपासकाका कडा मोरकाचंदना कट्याली शिव कोनिर्मा
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१५० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ ल्य मरवो तजउड वलयकोदांत मार्जारकाविष्टा तसवच केस सांप काकाचली गउकोसींग हायाकोरांत हांग कालीमिरचि यांसारांने बराबरिले यांनैकूटिईकाथूलादेतो सर्वप्रकारकाभूतांने आदिलेर जोदोसहोयसोसाराइरिहोय योमहाहेस्सरधूपछे योचकदत्तमें लिष्योछैअथवा पीपलि कालीमिरचि सीधोलरा गोरोचन यां नैसहनमैयारि अंजनकरैतोसर्वभूतादिककोदोसजाय अथ चा मागचकीजड दारुहलद सिरस्यूं कूर हांग रच मजीर विफ लारि कालीमिरचि पीपलि फूल प्रियंगुयबराबरिले यांनैवक राका नमैवाटिनासदेनौ अथवा अंजनकरैतौसर्वभूतांदिकांको दोसजाय अथवागोरषकाकडीनेंगोमूत वारिनांसदेतो ब्रम्हराक्षसकोदोसजाय १२ अथवा सांषाहूलीकाजडचांचर कापागामेंगारि अथवा घृतमैवाटि वेंकानासदेतोभूतादिकजाय १३ इतिभूतादिकांकाउन्मादकाउत्पत्तिलक्षणजननसंपूर गम् अर्थमृगीरोगकाउत्पत्तिलक्षाजतनलियते चिं नासोकादिकांकरिकक्रोधळूमाप्तिहवाजोपायपित्तकफसोहदा कीनसांमैपेठिरस्मरणमात्रकोनॉसकरिमृगीकारोगनैप्रगट करेठे सोश्रोमृगीरोग४प्रकारकोछे वायको१पित्तको२कफकोसंन्नि पातको ४ अथमृगीकोपूर्वरूपलिष्यतेहियोकांपेपरहि यो नोव्हेजाय पसेवावै ध्यानलागिलाय मूर्जाहोयगावै ग्या नजातोरहेनांदावनहीं येलक्षाहोयतदिजाएिजेईकैमृगीको रोगहोसी अरनैसर्वत्रअंधकारहीदीसै स्मरणजातोरहै अरह्य थपगांनआदिलेरसाराअंगानैपृधाउपरिपटकिबोकरैतीजालि जेमृगीकोरोगडवो। अथवायकीमृगाकोलागलिष्यते
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१५१ अमृतसागरनथा प्रतापसागर तरंग ७ कापणीहोय दांतचा मूंदैमागावै सासहोय कालोपालोवेदी पै येलक्षाहीयतौबायकामुगीजाहिजे अथपित्तकीमृगीको लक्षरालिप्यतेमुटामेंपालामागावे अरसरीरकोत्वचाटो प्रांषियपालाहोजाय वेनैलालपालोसर्वदासै तिसपणालागेस सरीरउन्होरहै अरवेनैसर्वत्रअग्निवलतीसीदीसे येलक्षाहो यतोपित्तकीमृगीजाणिजे प्रथकफकामृगीकोलारालि व्यते मूदैसुपेदमागावै सरीरकात्वचा{दोनत्रयेसारासुपेद होजाय सीतलागै रोमांचहोय वेनैसर्वसुपेदहीदीसे येलक्षराहो यतीकफकीमृगीजाणिजे अथसन्निपानकीमृगीकोलक्षण लिष्यते येपाछैकत्यासोजीकैसर्वलक्षणहोय तीनैसन्निपात कामगीजाणिजे ४ अथमृगीकोनसाथ्यलक्षपलिप्यने जांकोसरीरयषोंपुरकै सरीरक्षीहोजाय भंगाराचदिवालागि जाय नेत्रांकाविहतिओरहोजायतो ओमृगीचालोमरिजाप प्रथमृगीकासमयलिष्यते रवै१२ दिनावैनीवायकी जाणिजे पंवैदिनाचतो पित्तकाजाणिजे महान मैयावैतीक फकीजाणिजे अठेदृष्टांतीजे असेंद्रजलचरसैछै नदि सर्वयःस्तुउगेपलिजय गोहूं चणाने आदिलरपृथ्वीउपरिसरद रिनमैंहाऊगै तेसैसगरमैंयेरोगरहेतोसदाही परिवारोगांको समयावै तदिकोपकरै अथमृगीकोजतनलिष्यते तिल कैसाथिलसएषायतोवायकीमृगीजाया दूधकैसाधिसतावरी षायनौपित्तकीमुगीजायरब्राम्हीकोरससहतसाथिषायती कफकीमुगीजाय अथवाराईसिरस्यूंनैषायतो अथवायांनै गोमूत्रमैवाटिसरीरकैलेपकरेतीमगीजाय४ अथवा तेलसेर
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१५२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ सहजगाकोरससेर ४ कवारकापागंकोरससेर७४ चिरचिराको रससेरऽ४ नींबकाचालिकोरससेर ३१ गोमूत्रसेरऽ४ यांमैतेलने पकावै पाछेयेसारारसपलिजाय तेलमात्रायरहै नदिईते लनैंजुदाराषै पाछैईनेलकोमश्नकरैतीमगीजाय ५अथवा मेस्ससिल नीलदांचकावीर अथवा कबूतरकीवीठ यांदोन्या नैमिहींपारिअंजनकरैतोमृगीजाय अथयापारोमास्यौअत्र कसार सोध्योगंधकमायोमेसिल मारीहरताल रसोत येसा शबराबरिले पाछेयांनेगोमूत्रदिनापरलकरै पाईलोहका पात्रमैं यांसारांसूहगीगंधकमेलि अरगंधककै वीषियांनमे लियां पकायले पहरयेकमै पाछैईनैरती रोजीनादिन ७ ताईषायतीमृगीजाय अथवासंतिकालीमिरचि पीपलि . संचरलूरा सकीहींगयेबराबरिले यांनैमिहीनांटिटंक शारोजी नांघृतकैसाथिदिन१५लेतौमृगीजाय अथवामहलोरीने मिहींवांटिटंक २॥ पराकारसमेदिन पीवैतीमगीजायर अथवा ब्राम्हीकारसकैसाथि पच फूट यांदोन्यांनमिहींपांटि टंक २॥पावै अथवासांपाहूलीकारसकीसाथिपावै अथवा पुरापागुउकैसाथिदिन१५पावेतोमगीजाय अथवागऊको पृतसेर पेगकोरससेरऽ१-मालोबफाकाटाकोपालीसेर ५२ यांतीन्यांनैपचा योदोन्यांकोरसबलिजाय घृतप्रायरहेनदि ईपुतनैषावेतौमृगीजाय अथवासहजगांकीछालि फूड नेत्रपालोजीरो लसगरि कालीमिरचि पीपलि हींग येसर्व पईसापईसाभरले तलसरावकराको लसरऽ२लपाछैयां नैमधुरीबांच पकायसारावलिजाय तलमात्रायरहै
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अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग नदिईकीनांसदेतौमृगीजाय १२ येसर्वजतनभावप्रकासमैलिष्याडे अथवा पीपलि पीपलामूल चव्य चित्रक सूठि त्रिफ ला वायविडंग सीधोलू अजवायण धरणों जीरो यांनैबराब रिले यांनैमिहींवांटिटंक २॥ गरमपाणीसंलेती मृगीजाय संग्र हंएगीजाय उन्मादजाय बवासीरजाय योचूरणयांनेदूरिकरैछै १३ अथवा पुष्यनक्षत्रकेदिनकुत्ताकाषित्ताकाटी वेंकोगंज नकरै अथवा घृतकैसाथिईको धूपदेती मृगीजाय योजोगत रंगिली में लिष्योछै १४ अथवा वचको चूर्णटंक २॥ दूध कैसा शिषाय अथवा सहनकैसाथिषाय महीनोयेकतोमृगीजाय १५. योजोगतरंगिणी मेंलिष्योछे अथवा न्यौल्याकीविष्टा चिलावकी विष्टा कागलाकीवीठ यांकी धूणी देतोमृगीजाय १६५ योचक्रदत्तमैलिष्योछे इतिमृगीरोगको लक्षणजतनसंपू र्णम् इति श्रीमन्महाराजाधिराजमहाराज्यराजराजेंद्रश्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरतेअमृतसागरनामग्रंथेमदा त्पयउन्मादमृगीयांका सर्वभेदसंयुक्त उत्पत्तिलक्षणजन ननिरूपणंनामसप्तमः स्तरंगः ७ •अथवातव्याधिरोग की उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते कसायली कडवी तीबीय स्तकाषावासूं स्वल्पभोजनसूं लूषीवस्तकाषावासू वेदसूंसीत लभोजनसूं घणामैथुनसूं धानकाषीणपणासूं मलमूत्रकारो किवासूं सोचसूं भयसूं घएगालोही कानी कलवासूं मांसकाक्षी णपणासूं घणाचमनविरेचनं श्रचकादोससूं बुढापासूं म नुष्यांकैचर्षारितुमैं अथवा तिसरैप हर अथवा पहर कैतडके बलवान वायर्हेसो मुनुस्य कासरीर की रीतिजोनसांसांमे पाय
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग धसिकरिनानाप्रकारकाजोरोगत्यां सारांनैच्यंगामें अथवा येके कत्र्ांगमैंहीं श्रवांबस्तांसंकुपितजोवाय सोचौरासीप्रकार कारो गांनैकरैर्छे सोवेचौरासीरोगलिपूंछूं सिरोग्रहरोग अल्पके स२जंभाईघएणीआवे ३ डाटीमुडैनही ४जीभहालैनहीं ५ बकाई षातोबोलै ६ होलूंबोले ७ गूंगापणौ होय - षोटोहीबोले ९ घ बकै१०जीभकोसादजातोर है ११ बहरोहोजाय १२ कानामैगुंगार शब्दहोय१३ त्वचार्यैस्पर्शकोग्यांनजातोर हे १४ मर्दिनरोग १५ कां धीमुडैनहीं १६, भुजास सिजाय १७ भुजामुडैनहीं १८ चर्चित रोग १९ विश्वाचीरोग २० उर्ध्ववातडकारयणीयावै २१ आफरोहोय २२ प्रत्याध्धयानरोगहोय २३ अष्टीलारोग २४ प्रतीष्टीलारोग २५ तू नी २६ प्रतितूनी २७ अग्निकीविसमता २८ प्रायोपरोग २९ पस वाडाकीसूल ३० पीठिमैंसूलचाले ३१ बहुमूत्रता ३२ मूत्ररुकिजाय ३३ मलगा टोहोजाय ३४ मलऊतरैनंहीं ३५ ग्रधसीरोग ३६ का लापषजतारोग ३७ षोडापणौ ३८ पांगलायो ३९ कोटशीर्षक गोडाकोरोग ४० षल्परोग ४१ बानकंटकरोग ४२ पगसोजाय ४३ पगवलवोकरै ४४ आक्षेपरोग ४५ दंडकरोग ४६ वाताक्षेपकरोग ४७ पित्ताक्षेपक ४८ दंडी पतानक ४९ अभियाताक्षेपक ५० त्र्यं तरायाम ५१ बाह्यायाम ५२ धनुर्वात ५३ कुञ्जक ५४ अपतंत्र ५५ उपनान ५६ पक्षाघात ५७ आषिलागिक ५- कंफ ५९ स्तंभ ६० व्यथा ६१ लोद ६२ भेद ६३ स्फुरण ६४ लूषापणों ६५ कालापण ६६ क्षीणपणे ६७ सीतलपणों ६ रोमांस ६९ अंगमर्द ७० अंगविनंग ७१ नसांकोसंकोच ७२ अंगकोसोस ७३ डरपपण ७४ उन्मादप लो ७५मोहपरलो ७६नींदनहींच्याचे ७७ पसेवनहींयाचे ७८वल
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१५५ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग र काहानिवार्यकोनास-स्त्रीधर्मकोनास-गर्भकोनास-२ विनाश्रमहाश्रम-श्रमनासन्४ अथवातव्याधिकासर्वरो गांकालक्षगरजतनलिष्यते अथवातव्याधिकोसामान्यजतनलिष्यते इतनीयस्तांकाकरवासू बायकासर्वरोगइ रिहोयडै मांडीवस्तकाषावा सलूणावस्तकाषापासूनीकी स्तकापावासू बायकासर्वरोगरिहोयछै बलाकापावासू गरमवस्तकापावास नांदकालेवासू तावडाकासेवाएं पसेवका लेयासं तप्तिभोजनसं गरमउपरणांसू तेलकामर्दनसं ओष यांकालेनासं यांवस्तकासेवासू सामान्यवायकारोगरिहोय के अथसिरोग्रहकोलक्षगलिष्यतेपायहेसोही मि लि माथांनैनसानेलूषीकरै पाछैनांमैघपीपीडकरैनसांनैका लोकरे योरोगसाध्यछै अथसिरोयहकोजतनलिष्यते दसमूलकोकाटोकरिकोरसकादै अरविजोराकोरसकादै पररैरसमैंनेलपकावे पाछैईतेलकोमर्दनकरैतौसिरोग्रहह रिहोयर अथवा कूर अरंडकीजड धतूराकीजड़ सहजए कीजडसूहि कालीमिरचि पीपलि साँगीमोहरो यांनैबराबरिले अरामिहींपाटि गरमकरिलेयरैसहावतो र तोसिरोग्रहरि होय ३ अथकल्पकेसीकाचिकित्सालिष्यते देसीगोषरू तिलांकाफूल यांनैबराबरिले अरयांकावरापरिसहतपत लेतीमैयांदोन्यांने केसाकैलेपकरेतो केसघणारथैअथवा महलोठनीलकमलकीजड मिनबादाम इनको तेलमैं पूनमें दूधमैं मिहीपीसीलेपकरैती केसलंबाघहोय अरयांगोष घांसूछटीकोदोसहरिहोय अथजंभाईकोलक्षरालि
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१५६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ष्यते मूंडाका एकस्वा सर्ने प्रथममूंदा में पाजाय पाछेओस्सासच्य पूठोकाटिदेवेगडेर अरत्र्यालसमरनींदनैंसीयांग्रावे वेनेजंभा ईकहजे प्रथजंभाईयणीच्यावैतीको जतनलिष्यते ठि पीपल काली मिरचि अजमोद सांधोलू यांनैजुदाजुदा अथ वा येकठामिवांटि गरमपाणीसूंलेतीजंभाईकोरोग होय १ अथवा कडवातेलको मर्दन करे अथवा मीठो भोजनकरे अथवा तांबूलकोभक्षण करैतौ जंभाईकोरोग इरिहोय २ अथ हनुग्रहरोगको लक्षएालिष्यते दांता की फडसूंजी भनेंघी घसेतो रचवीणांकापावासूं अथवा कहींतरैंकी चोट डा टीकाजडमैंरहतोजोवायसोकुपितहोय ओमूंडाने फाडोहीरा पिदे अथवा मांच्योहीराषदे नदिपुरषहैसोवडाकष्टसूं बोलि वामैं परषावामैंसर्वथाहोय तीनैवैद्य हैसोहनुमहरोगक छै अथ हनुग्रहकोजननलिष्यते जींकोमूंटोमिचिगयोहोय तीनैंचीकाली बस्तसूंसे कि पसेवलिचावैतौमूंटो उघडिमा रजींकोमूंटोफाट्पौर हजाय नीनैंसीतलवस्तसूं फाट्यापणोंडू रिहोय परजकीडाठीमुडियासूंरहजाय तीनैपीपल आटो चबायचचायथुकायदेत्तौडाढीमुडिवा कोरोगडूरि होय १ प्रथ वा तेलमैलसणनैतलि सींधोलूडालगाय षायतौ हनुग्रहरो गरिहोय २ अथवा उडदांका वडामैं लसण सांधोलू या दो हींग मिलाय तेलमैवडाकरिषायत हनुग्रहरोगजाय १ म थवा तेलनैगरमकरि सुहायतौसुहावतो मांथाकैमर्दनकरैती हनुग्रहरोगजाय ३ अथवा प्रसारणी तेल कामर्दनं इतनांरो गजाय सोलिष्यतेपीपलको पंचांगटका १०० भरले-जीनेंसोला
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१५७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग - सेर पाणीयोगवैप्रोटावै नैंकार पाठेवेंकोचतुर्थासपायरहै तदिवेनैछापिपाषामैतिलांकोलटकाभरनांपेअरइहीं मैंदहीकोमटोटकाभरनांषे भरटकाभरकांजीकोपाणी नांषे परतेल चोरगोगउकोडधनांषे अरचित्रक पापलामूल महयो सीधोलूग वच सौंफ देवदार रास्ना गजपीपति घर छ सलो रक्तरंदन अरंडकीजड परैटाकीजडरियेसारीऔषदि टकारकाभरिले त्यांकीकाटोकार वेंकादाकोरस-तेलमैनां अ रपीपकोरससेर तेलमैनांचे पाछैमधुरांचसूपकावै येस बरसवलिजाय तेलमात्रायरहे तदितेलनेउतारिले पाछैईते लकोमर्दनकरै अथवानांसदे अथवाईनैषवावे अथवाईको सेककरैतो सर्ववायकाधिकारने हनुस्तंभने पांगुलानै जिदास भने अर्दितरोगने बकाईकारोगनैं कांधाकास्तंभ पारिकासू लनै यभ्रसानै षोडाने चांयलाने धनुर्वात. कूबडापाने रत नावायकांरोगांनेयोनेलरिकरे, इतिषसारणीतेलम् अथजिव्हास्तंभकोलक्षपातयते पापी.वहवाबालीजो नसांत्यांमैरहनोजोपवन सोकुपितहोयजीभ स्तंभितकरै छै सोवाजीभजलकापीयामे अरबोलवामैसमर्थनहीं यछ ईनौजव्हासभरोगकहिजै अथजिव्हास्तंभकोजतनलिष्य ते मागेरस लूप षटाई चाकणी उन्हीयांवस्तांसंजीभ जथा योग्यनैमर्दनकरै अथवा सुहायतागरमपाणीसंकुरलाकरे तौजिव्हास्तंभकोरोगडूरिहोय अथगंगापोंगदगदपयों वंकाईषायवो यारोगांकोलक्षालिष्यतेकफकारकैसं जुक्तवायसो धयनीनाडीनैवहयावालीजोमसात्यांनाछा
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१५८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ८ नकार मनुस्यांनैगूगा परनांकमैहाबोले अरबकाईषायबोले इसारोगांनैकरैछे अथगूंगाकोपरगनगन्याकोअरबंकाईया यबोले सांकोजतनलिष्यते गउकोपतसेर१सहजणांकाज उटकाभर वचटकापाभर सांधोलूगाटकाभर पापड्याकाफू लटकाभर लोदटकाभर यांसारांनेवारि बकरीकोडूपसेर.५४ तीमैतसेरानांषि अरयेत्रीषदिमिलाय मरीनांचसंपकाचे पाछैधभरोषदिवालिजाय घृतमात्रायरहै नदिनैकाटि ले पाछैईपृतकोसरस्वतीमंत्रसंविधिपूर्वकसेवनकरैतो गंगा पणों अरगनगन्यापों अरबकाईषायवीयेसारारोगडूरिहोय अरकास्मतिबुधिमधाकांतिबहोतबधै इतिसारस्वतघृतम् अथसरस्वतीमंचलिष्यते उंहीऍहींउंसरस्वत्यैनमः योसर सतीसिद्धिमंत्रछै रंकोयांअछरांबराबरिसहस्रकरैईमंत्र.सि हिकरिईमंत्र योपतषाय अथवामालकांगपाकोनेलषायती यसर्वरोगजाय अरकाबाहनतकालचमत्कारीहोजायअथवा हलद वच कूट पीपलि संठि जीरो अजमोद महलोठी महुवो सीधोलूर यांनेबराबरिले पाछैयानिपटमिहींवांटिटंकामा पनकैसाथिलेतौरोजीनादिन राती येसर्वरोगहूरिहोय अरबों रसश्रुतिधरहोजाय हजारलोकरोजीनांकंठकरै इतिकल्याण कावलेह अथप्रलापरवाचालरोगकालक्षालिष्यते आपकाकुपथ्यसंकुपितजोवाय सोअर्थरहित कोक्यूंवच नबोले नी प्रलापरोगकहिजे अरअर्थलीयांषोटाशब्दमुषसू कादैतानचाचालकहिजे अथवाचालप्रलापरोगकाजतन लिष्यतेनगर पित्तपापडो कुटकी नागरमोथो असगंधप्राम्ही
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१५९
•अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग दाष अगर दसमूल साबाहुली यांसारानैबराबरिले पाढैयानैजौकूटकर यांकोकाटोकरिदेतो प्रलापने पर वाचालरोगनैइरि करै प्रथजीभकारसाग्यांनको लक्षएगलिष्यते जोमधुर रसनैत्र्यादिलेरछे ६ रस त्यां काषा बामेजथार्थज्ञानजीभ को जातोरहे जाणिजे क्यूंईषाइजैठे तीनैंरसाग्यानरोगकहिजे अथरसाग्यानरोगकोजननलिष्यते सूंठ कालीभिरचि पी पलि सांधोलू अमलवेद-चूक यांऔषद्यांनेमिहांवांटि यांको एकजीव कर जीभ कैच्याछीतरहलेप करैतौरसाग्यांनकोदोस इरिहोय १ अथवा ब्राम्ही पलासपापडी राई कालोजीरो पी पलि पीपलामूल चित्रक सूंठ यांनैमिहींवांटि जीभकैवारंवा र लगावै अथवा यांको काटो करिई काकुरलाकरैतौजीभका रसका ग्यांनपणांकोदोसइरिहोय १ अथवा दौवारंवार षायतौ जीभकारसाग्यांनपणाकोदोसडूरिहोय १ अथसरीर की त्वचासूंनी होयगईहोयतींको लक्षणलिष्यतेजीपुरस नैंसी उष्णकोमलकठिएापणी को ग्यानजातोरहै तीनैत्वचा नीपांकोरोगजाणिजे अथत्वचान्यकोजतनलिष्यते त्वचासून्यपणांवालाकैलों ही कढायजेनौयोरोगजाय १ प्रथ वा सूप धूमसो यांदोन्यानेतेल मिलायती कोसरीरकैमर्दन करैतौ त्वचाकीसून्यपणांकोदोसडूरिहोय १ अथप्रर्दितरो गको लक्षणलिष्यते ऊंचा पडतीजोभारीवस्ततींने हाथां सूंउंचोमूंटोकरिग्रहाकरे अथवा करडीवस्तनैं घणीषाय च थवा घणहंसै घणीजंभाईले अथवा बोजानें माथा संघ गौब है अथवा विसमस्थानमैसोवै नींपुरसकैंसिरमैनासिकामे
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१६९ अमृतसागर तथापतापसागर तरंग - होठमैंडारीमै ललाटमैं नेत्रामैं यांस्थानांमैरहतोजोवाचसोपुरस कामूदांमेअर्दितरोग उपजावैछै सोवेंपुरसकोगुंदोपाधोयां कोहोजाय अरसेंकाकांधीमुडेनहीं अरकोसिरहालबोकरे आछीतरहबोल्योजायनहीं पाछीतरहदेव्योजायनहीं भरपुर सकेकांधामैंअरडाटीमें अरदांतांमैपाडरहै येजीमैंलक्षणहोय तीनअर्दितरोगकहिजे। सोअर्दितरोगतीन प्रकारकोछै वाय को पित्तको २ कफको ३ अथवायकाअर्दिनकोलक्षण लिष्यते लालपणीपडे सरीरमैपीडायणीहोय सरीरकोपैपुर कैयणो डादीमडैनहींहोरमूजिजाय येलक्षणहोयतौबायकोष दिनजातिजै अथपित्तकाअर्दितकोलक्षपालिष्यते मूं टोपीलोहोजाय जुरहोयआये तिसपणीहोयनोपित्तकोअर्दित जाणिजे २ अथकफकाअर्दितकोलक्षणलिष्यते मोहप एोहोयावै गलामे सिरमै कांधा यांतान्यांस्थानांमैसोजोहोय आवै अरयेतीन्यूमुडैनहींतोकफकोअर्दितरोगजाणिजे ३ अथ अर्दितरोगकोअसाध्यलक्षालिष्यते क्षीणपुरसकेनिमेष नहींलागेजांपुरससंबोल्योनहींजाय अरसरीरकांपतातीनिवर सहोयगयाहोयतोअर्टिनरोगअसाध्यजाणिजे अथअर्दितरो गकोजतनलिष्यते अर्दितरोगवालानैचीकरांषुवाजेनाराय राविसगर्भनआदिलेरत्यांकोमर्दनकराजेगरमवस्तकोसेंवनक राजेडाहदिवाजे गरमोषधांसूंपसेवलिवाजे सिरऊपरिवाय कातेलनांषजे यांवस्तांसंअर्दितरोगजाय २ अथवायकाच तिरोगकोजतनलिष्यते दसमूलकाकादासंबायकोअर्दि नजाय१विजोराकारसकासेवा बायकोअर्दितजाय१अथवा
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११ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग परेंटीपीपलि पापलामूल चव्य चित्रक सूरियांकाकादा चाय कोअर्दितजाया अथवाउडदांकावडामैं हींग आदोलसामि लायषायऊपर मांसकोसोरवोपचितौवायकोपर्दितजाय १ अपित्तकाअर्दितरोगकोजतनलिष्यते घृतकोवस्तकर्म करै अथवा दूधकोसेवनकरैतोपिनकोअर्दितरिहोया अ थकफकाअर्दितकोजतनलिष्यते वमनकरायांसंकफको पर्दितजाय अथवा निलांकातेलमैंलसरामिलायषायतीस र्वप्रकारकोअर्दिनननकालजाय। अथमन्यास्तंभकोलक्ष पालिष्यते दिनकासोयासू घाखारहवासं विकारकूप्राप्त हुनोजोकफसोसायसंमिलिकांधान मुडिवादेनहीं नीनंमन्यास्त भरोगकहिजे। अथमन्यास्तंभकोजतनलिष्यते दसमूल काकादासू अथवा पंचमूलकाकादारांमन्यास्तंभजायाअथवा पसेवलेवा अथवानासिकालेवा मन्यास्तंभजायायथवा तेलकोमर्दनकारतांऊपरिअरंडकापांनयांधेतोमन्यास्तंभजाय १ अथवा कूकडाकाअंडाकोरस तीमैसीधोलूरा-अरपतमि लायनांकोबांधाकैमर्दनकरैतीमन्यास्तंभजाय। अथवाहसो सकोलक्षगलिष्यते कांधारहनोजोचाय सोकपिनहोय भुंजा सुसायदे अरभुजानेस्तभितकरिदे वैवाइसोसरोगक हिजे' अथवाहसोसकोजतनलिष्यते पाछानैंकल्याए घृतउन्मादरोगमैलिष्योछे नकोसेवनकरेनौवाहसोसरोगजा या अथवा परेंटीकोकाटोतीसिंधोलरामिलायपीवतो या हुसोसयरमन्यासंभरोगजाया अथवबाहुकरोगकोल क्षपलिप्यते भुजाकानसांमैरहतीजोगय सोनसांनसंकोचकरि
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१६३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग भुजा स्तंभितकारदेछे १ अथअवबाहकरोगकोजननलि प्यतेसातलजलकीनांसदेतो अवबाहुकरोगजाय१ अथवागू गल मोईजडी कीजड़तीकोकाटोकरि नीमैगूगलमिलायतींकी नासदेतो अववाहकरोगजायाअथवाउडदांकापागीकानां सदेनी अवबाहुकरोगजोय अथवाउडद अलसीजवकरसे लो कत्याली गोषरू परत कॉछिकोजड कपास्यासपकाबीज कुलस्थ बोर कीजड सारीकीजड पीपकीजड रामापरेंटीकीज डगिलचे कुटकीयेभातेलमेंपचावे पाछैईतेलकोमर्दनकरैतो अवबाहुकरोगजाय इतिमाषनेलम अथविश्भाचीरो गकोलक्षगलिष्यने हाथकीांगुल्यांकैनींचेषाजियाय अरभुजाकैपाछेषाजिकोरोगकरभुजानेनिकमीकारदेतीनधि श्वाचीरोगकहिजे अथविश्वाचीरोगकोजतनलिष्यते दसमूल षरैटी उडद यांकोकाटोकरितीमै तेलामलायपीवेतो विश्वाचीरोगजाय१अथवा उउद सीधोलूग परेंटीराला दसमूल हींग वच सूठियांनमिहीवांटिपाणीमैत्रोटावे पाछैवे पालीमैंनेलनांपैनेलनैपकावै नदिपाणीबलिजाय तेलाय रहै तदितेलनेउतारिले पाछै! कोमर्दनकरैनो विश्वाचीरोग. बाहुसोसनैं अवबाहुकरोगर्ने पक्षाघानने योमाषादिलङ्कार करैछै। अथर्ववातरोगकोलक्षालिष्यते कुपथ्यकासे बन नीचरलोपवनकुपिनहोय टाकाकफसंमिलिवारंवार उकारपपीहालेतौऊर्धवानरोगकहिजे अथउर्धनातको जननलिष्यते सूउिभागदस१० बधायरोभागहरडैकाडालि भाग ५असगंधभाग१सेकाहींगभागासांधोलूभागा यांस
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१५२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग वकीपरावरि चित्रक निसोतभाग ५ यांसारांकोमिहींचूर्णकार का गरमजल लेतोउर्ध्वगातरोगजाया अथावानरो गकोलक्षासिष्यतेसारापेंटमेंआपरोधपोहोय परपीडप लाहोय अरगुदाकोपवनरुकिजाय नीनाधानरोगकहिजे १ अथाानरोगकोजतनलिष्यते पायानरोगमैलं घनकराजे पाचनकीमोषदिदीजै भूषलागियाकाऔषदिदीजे वस्तिकर्मकराजे अथवा पीपलिटंक निसोतटंक मिश्रीर का यांकोचूकिरिटंक २॥सहन लेतीग्राफराकोरोगजाय
योनारायचूर्णछै अथवा पच कूर सौंफ सेकाहींग सी धोलून येषरावरिले त्यांकोचूर्णकरिकांजीसंमिहींपारिगरम करसहायतोपेटकैलेपकरैतोग्राफरोडूरिहोय अथवा म. हानाराचरस आफरोजाय सोलिपूंछंहरडैकालालिरका १॥किरमालाकागिरिटका। आंवलाटकाशदांत्यूरगोटकाकुट काटकामानिसोतटकारानागरमोथोटकापाथोहरकोइघटका। यांसारांनेवांटिसेर ९४ पाणीमेंटोरावै पाछेपागाकोपाठऊ. हिसोमायरहे तदिपालीमैंजमालगोराकाथ्योतउतारिटका
भर मिहींवस्त्रमैंगांधिसनेस-जमालगोरानैपचावै भोपा बलिजायनदिजमालगोटानेकाटिले पाछैयांजमालगोराकोभा गमारजंले रित्तीनभागले कालीमिरचिदोयभागले पारोएक भागले सोधीगंधकएकभागले पाछैपारागंधककीकजलीकरि ले पाछैचेकजलामेयेसारामिलावे पहरयेकषरलकरै पाछे रतीयेककागोलीबांधै गोली सीतलजल देतो आफरानैंसू सनैं पानाहने प्रत्याभाननेउदावर्त्तनै गोला. उदरकारोगने
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१६४ अमृतसागर तथा पत्तापसागर तरंग यांरोगांनैयोमहानाराचरसरिकरैछे ईकादस्तलागिचुकेतदिमि श्रीमिलायरहीषुवाजे पाछैचावलानैदहीसुंमिलाय उनमानमा फिक सीधोलग मेपालि थोडासायेषवाजेतौनाध्यानकोरोग जाय। अथप्रत्याभानकोलक्षगलिष्यते पसवाडामैपर हीयामैंनौग्राफरोहोयनहीं अरनाभीसूलेरपेटहीपेटमैंग्राफरो होयनीने प्रत्याध्यानकहिजे अथप्रत्याधानकोजतनलिष्य ते संघनकराजे पाचनादिकदीजे वस्तिकर्मकराजेतीप्रत्याध्या नजाय अथवाताष्टीलाकोलक्षगलियतेनाभिकेनी पवनकीगोरिभाठासीरकीयंधिमलमूत्रनैरोकिदे परांठेपाड घणीकरै तीनप्रत्याष्टालाहिजे अर्थयांदोन्यांकोजतनलि यतेसेकाहींग पीपलामूल थलोंजीरो वच चयचित्रक पाठ कचूर अमलवेद संचरलपरासींधोलूरा सांभरोलूरा सूटिकाला मिरचि पीपलि जवषार साजीअनारदाणां हरडैकालालि पो हकरमूल डांसस्यामांऊरुषकाजड़येसाराबराबरिले यांने मिहींपारि आदाकरिसकापुर ३दै पाछैईचूर्ण छायासका यटक २॥गरमपाएगी लेतीवानाष्टीलापरप्रत्यशलाजाया अथतूनीरोगकोलक्षगलिष्यते मलमूत्रकास्थानमैरहनो जोपपन सोगुदालिंगमैपाडाकरैतानेतूनीरोगकहिजेोप थप्रतितूनीरोगकोलक्षालिष्णतेरायासिंगमैरहतोजोपरन सोवानेंपीडाकरे पेडूमैंजायपीडाकरै तीनपतितूनीरोगकहिजे १ अथयांदोन्यांकाजतनलिष्यते यांदोन्यांकैस्नेहकारस्तदाजे तोलूनीरोगपतितूनीरोगजाया अथवा संलिपीपलि कालीमि रचि सेकाहींग जवषार साजी सीधोलूला यांनमिहींगरिदंक
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१६५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग गरमपापी लेतौनूनीअरप्रतिनूनीरोगजाया अथषिकसू लकोलक्षालिप्यते करिकानीन्यूहाडामै अरपीठिकानीन्यूहा डामें अरबांसकााडामैपीडाहोय तीनवकमूलरोगकहिजे अथधिक लकोजतनलिष्यतेपालरेन सेककराजे थवा आरणाछापांकाराषकोसहारनोसहावतोसेककराजे. तोषिकमूलजाय अथवागूल्हाबोलीकोजडकावकल अस गंधमांऊरूंषकाषकल गिलोय सतावरीगोषरू गरुमा निसोन सौंफ कचूर अजवायणि सूटियांनवराबारले यासर्वकीबराबार सोध्योगूगललेगूगल चौथाईघृतले यांसारांकोएकजीपक रिपांचमासारोजीनांदारुकेसाथिले अथवागरमपाणाकैसाथ ले अथवा मांसकासोरवाकेसाथिले तौधिकसूलनैजानुग्रहने सुजास्तंभने संधिगतवायहोयजीन हाउटिगयोहोयतीनै षो डापरणांनैयध्रसी. पक्षाघात. यांसारांरोगांनयोत्रयोदशांगगू गलडूरकरैछै इतित्रयोदसांगगूगल अथवस्तिवालको लक्षारिष्यते पेडूकोवायकुपितहोयरमूत्रनाछीतरै चालतौहोयतीनैरोकिदे अरघलारोगांनप्रगटकरैतानेवास्ता वातरोगकहिजे अंथईकोजतनलिष्यते परेंगकाजडका बाल तांबराबरिमिग्रामिलायक ॥ गरकाधकेसाथि लेती वारंवार तिवाकोरोगररिहोया अथवा त्रिफलाकोचू सकारतीबराबरिसारभिलाय मासा ४ सहतकैसाथींचारैतो वारंवार निवाकोरोगजाय अथ{सरुकिगयोहोयतीको जननलिष्यते जवषारमासा५मिश्रीकेसाथिलेनौमूचकोबं पछुटै अथवा पेयकाबाजभरतेवरसीकाबीज़यांनेपाली
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१६६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . मेंघोटि मासारतीमेजवषारनांषिमिश्रीमिलायपीवेतो गुंतरूकि गयोहोयतीकोबंधछूटै अथवा नालियांकपूरकावत्तीकरिलिं गमें अथवा भगमैदेतौमूतकोबंधछूटै अथयध्रसीरोगको लक्षगलिष्यते पहलीकूलाबांमैपाडहोय पाछैकटिमपीडहो यपाछैपीरिमैपीडहोय पाछैगोडामैपीडहोय पाछेजांघमैंपीड़ होय पाछैपगांमैपीडहोय अरपगानेसभितकरिदेअरपगनि पटहोलूक ईनैरभ्रसीरोगकहिजे सोगृध्रसीरोगदोयरमकार कोछै येकतोवायको येकचायकफको २ वायकामेतीपाडप गीहोय अरसरीरबांकोहोजाय अरगोडामैंजंधामैं संधिसंधिमैं फरकणीहोय अरस्तंभितहोजाय अरपायकफकीगृध्रसामैस सरभास्सोहोजाय अंमिमंदहोजाय अरनंदाहोय लालपणीप. अथगृध्रसीरोगकोजतनलिष्यते यमनकरावा गृध्रसीरो गजाया वसकर्म गृध्रसीरोगजाया सरीरनैहरडेकाजुला बसं निरामकरि पाछैवस्तिकर्मकरै। अथवा अरंडकोनेल रगोमूत्रमिलायमहीनां ताईपीवैतीगृध्रसारोगजाय अथ वा तेलघृतादाकोरसविजोराकोरस चूक गुड येअनुमानमा फिकमिलायमहीनां ताईपावेतोरप्रसारोगजाय अरइहींसू करिकीपीड जांधकीपीड निकसूल गोलो उदावर्तयमारोगजाय १ अथवा अरंडोल्याकाधमैषीरकरि महीनांयेक ता!षायतो ग्रध्रसीरोग पोनाकालूत.इरिकरै१ अथवा अरंडकीजड नीलकीगिरि करेली इनकोकाटोकरियांमेलमिलायपीवतोय ध्रसीनेपोतांकासूलनेहरिकरै अथवा विउलूरा संचरला या नैमिहींदांटिगोमुनअरंउकालमैंयपालिपावेतोकफवातकी
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१६७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग - अभ्रसीजाय अथवा अरडूसो दांयूणी किरमालाकीगिरि यांकोकाटोकरि तामैअरंडकातेलनांषिपविनोग्रध्रसीरोगजाय १ अथवा निर्गुडीकापानांकाकादासंयध्रसीरोगजाया अथवा रास्माटका ५। गूगलरका पायांदोन्यांनेचाटिघृतमैंगोलामासा ४ काकरिपाइंगोलीरोजीनांषायतौयभ्रसीजाया अथवा गिलचे रास्ना किरमालाकागिरि देवरास गोषरू अरंडकीजड सादीकाजड सूठियांकोकाटोकरिदेतो ग्रभ्रसारोगनै अरजांध कापीडमैं पेटकापीडनैं पसवाडाकासूलने यांसारांरोगानेयो काटोदूरिकरैछै१ इतिरास्मादिककोकाटो• अथषोडा पांगलारोगकालक्षगलिष्यते कटिरहतोजोवाय सोजां पकानसांनैपकडियेकपगमैस्तंभितकरिदे तीन षोडोकही जे अरकटिभैरहतोजोवाय सोजांयकीनसांनंग्रहाकारदो न्यूंजांघाकोनासकरैचालवादेनहींनीनेपांगलोकाहिजे थयांदोन्यांकोजतनलिष्यतेजुलाबकालेवासं औषयों कागरमपसेवा योगराजउगैरेगूगलकापावासू तैलादिको कामदैनसंयतकर्मसं येदोन्यूरोगजाया अथकलापषं जरोगकोलक्षणलिष्यते चालेजीसमेंसरीरकांपेअरषो राकोसीनाईदोषै जाणिजेनसांआपकोठिकाणोछोडीदायोछे तीनकलापषंजरोगकहिजे अथईकोजतनलिष्यते विसगर्भादिकतेलकामर्दनसंयोरोगजाय अथकोष्टशी र्षरोगकोलक्षालिष्यते गोडामैवात्तलोहोकाधिकार सो ईहोयअरगोडामैपपीपीडहोय अरस्याल्पाकामाथामिरीसो गाटोहोय तीनैकोष्टुशार्षरोगकहिजै अथकोष्टुरोगको
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१६० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जतनलिष्यतेगिलपेटंकर॥विफलाटकर यांदोन्यांकोकादो करितीमैगुगलटकानांपिईतोलमहीनां ताईपावेतोयो क्रोष्टुशार्षरोगरिहोया अथवाधसेर१ अरउंकोनेलटं का नांषिमहीनाताईपावतोमोष्टशीर्षरोगरिहोय थवा यथायराकोचूर्णरंक२॥गरकोइधसेराधानांकी साथिपावतोकोटुशीर्षरोगजाय१ अथवा तीतर्कामांसका सोरयामेंटंक २॥ गूगलनांविषायतोयोरोगजाया अथवा किसोरगूगलकासेवा योरोगजाया अथगोडाइषिवा कोजतनलिष्यते नेलकोमर्दनकरितांऊपरिचारिसूठिकोम र्दनकर पाडैबैंपरितेल चोपडिअरंडकापानगरमकर बांधेतौगोडाडूषतारहै अथवा कौंछिकाबीजटंकादहीके साथिदिन तथा १४ लेतीगोडमरूपतारहै अथषहीरो गकोलक्षालिष्यते पगमैं जंघामें पहुंचामें काषनमें गां यंदाआवैतांकोषलारोगकहिजे अथषल्लाकोजतनलिप ते कूट सांभोला यांकोकाटोकरि ईकाढाकारमसे नेलपर अमलवेदकोरसनांषिईतेल.मधुरीयांच पकावै पाइरस बलिजायतेलमारवायरहै नदिईनेलकोमर्दनकरैतोषलारो गजाय १ अथवातकंटकरोगकोलक्षगलिष्यने उंची नीचाजागांमैंपगमैलतांषेदहोय पीछेरकोएयामें पाडापा यरहै नींकूवातकंटकरोगकहिजे अथईकोजतनलिष्यते स्कूण्याकीजगेसुयासूषोदिलोहीकलाईजेतीवातकंटकराग जाय अथवाअरंडकोलटक ५रोजीनांमहीनां साईपी कैतौ वातकंटकजाय २ अथयाददाहकोलक्षणलिष्यते
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग वातपित्तलोहीयेतीन्यूंमिलि पगथलीन में दाहकरै नीकोपादद्दाह कोरोगकहिजे' अथपाददाहकोजतनलिष्यते मसूरकीदा लिकुंमिहींपीसिटावे पीछे वे कौं निपटउंटोकरि वटाको सांनि पतलोलेपकरैवारपांचसानतौ पाददाह रोगजाय १ म थवा मांषनकोपगथलीनकै मर्दन करि पगथलीनकोअग्निसं तपावैतीपाददाह रोगजाय १ अथवा अरंडोल्यांने गऊकादूध मैं महीपसिहथेली वापगथली कैलें पकरैतौघशोभीदाहजाय? अथपादहर्षकोलक्षगलिष्यते जी कादोन्यूं पगलांट करिसोय सोयजाय कोईनरैदाविवे उगेरेकूंछोडेतोजागिउठेती कौ पादहर्षरोग कहिजे? अथईकोजतनलिष्यते कफका अरवायकाद्दूरिकर वावालाजननकरैतौ पादहर्षरोगजाम १ अथपग फूटणीकोजननलिष्यते तिल सांभरोलूल हलद येबराबरिले अरइनधतूराकेपीजन कुंपाणी मैं पीसि उनतीन्यू बराबरिगऊकोमाषनले पाछैयांनेपकावे परयांपचतांहीं मैं चौगुणोगोमूत्रनांषै येसर्ववलिजायमाषनमात्र प्रायरहै नदि पगथलीन कैमर्दनकरैतोपगफूटणी इरिहोय अथपित्तसहितजोवायतीकात्र्याक्षेपरोगको लक्षणलिष्यते पिन कोस्थानउदादिकती मैं रहताजौवायतिन कौस्तंभितकरिदंड कीसीनांईकरिदे अथवाकफमैंमिल्योजोवायसोधमनीनाडीमै रहकरिसरीरकूंस्तंभितकरिदे सोच्योकष्टसाध्यछे अथके वलबायकाआक्षेपकोलक्षणलिष्यते हाथपगमांद्योपीठि दूंगाइन कुंस्तंभितकरिदे पर वायइनमैंपीडभीकरिदे सोइह साध्यछै। अथचोटलागिवासूंउपज्योजीवायतींकाच्या
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१७. अमृतसागर तथा पतापसागरतरंग . क्षेपकोलक्षगलिष्यतेजीटेसरवादिककीचोटलागीहोयता , उपज्योजोवायसोनीमाफिकसायजानिये अधईकोजतन लिष्यते षटीकाजड दसमूलजव बोरकीजड कुलस्थ इनस बनकोअष्टावसेसकाटोकरि तीमैंतेलनांषि परयेोषदिनांपि मधुरी आंच पचाय नेलतयारकरियेोपदिऔरमिलाजेसो लिखू सांधोला अगर गाल देवदारु मजीर पदमाप कूर इलायची छड पत्रज नगर गौरीसर सतावरी असगंध सौंफ साटीकीजड येतेलकैअनुमानमाफिफनांषि नेसनैंपकायले पा छैईमहाबलीतेलकोमर्दनकरैतोसर्वप्रकारकाप्राक्षेपकरोग नकूसर्वप्रकारकावायकारोगांनै हिचकाने सासनैं गोला. अं प्रहरिने पाणतादूट्याहाउv पेदकूदनसर्वरोगानेंगोमहाब लीनेलरिकरैछै अथअंतरायामरोगकोलक्षालिष्यते पगनकाांगुलीटिकोण्या पेटहियो गलो इनमैंरहतौंजोवाय सोपडानसांकासमूहळूसरीरकैमाहिपकावे पाछेवैकाने अफारिनिश्चलसेहोयजाय भरडादीमु.नहीं परवेकापस वाडादासाहोयजाय कफकोंछादै अरसरीरकेंभातरिकबा कोसीनाईयांकोहोयजायजांमयेलक्षणहोयतौअंतरायामरो गहिजे अथवात्यायामरोगकोलक्षालिष्यते पलावा यलवस्तकाषावासू कुपितहबोजोवायसोसरीरकासगलीन सानै अरकांधा.पारसुसारअरमनुस्यकैसरीरकुंकवान कीसीनाईबांकोकारदेछै अरवेंकाहियाकुंजापनकुंचावायतोटि नाषे अंजामलक्षणहोयतीडूंचात्यायामरोगकाहिजे सोपर्दिन होगकेजतनपीलिहेसोहाइनकोजानिलाज्यो अथधनुस्तंभ
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१७१ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग कोलक्षालिष्यते कथानकासीनाईवेंकोसरीरहोजाय बरस सरकोवर्णऔरसोनोरहोजाय मूटोमिचिजाय देहसिथलहोजा पचेतजातोरहै पसेवावे यांदूधनुस्तंभरोगकहिजे यारोगवा रोदिन जावे अथकुजकरोगकोलक्षालिष्यले कोपर्वं प्राप्तिभयोजोवायसोहियाळूउंचोकारदेअरऊठेपाडपीकरे नांकजकरोगकहिजे अथइनतीन्यूरोगनरहरिकरिवेगारो प्रसारणानेलयाही प्रकर्णमेलिष्योछे नी धनुस्तंभ पात्यायम अंतरायाम यातयाधिसर्वप्रकारकोरिहोयछ अथअपतं घरोगकालक्षालिष्यते वायलवस्तकेसेवन कोपळूपा लिभयोजोवायसोआपकेस्थानकुंछोडिअरहियामैजायमा प्ताहोय सिरकूधरकनपटीनकुंपीडाकरैकवानकीसीनाई सरीरकूनवायदे अरोमोहकूमाप्तिहोजाय अरबोबडेकष्ट संप्रकारकरिसासले अरवैकानेत्रफाटिजायमिचिजा य अरकोकंउकबूतरकासीनाईबालेसंज्ञाजातीरहैजाके येलक्षणहोयताकैअपतंत्ररोगजाणिजे अथअपतंत्ररोग कोजतनलिष्यते मिरचि सहजयांकाबाज वायविडंग अ फाम महुवो येबराबरिले इनकूमिहीपीसीनांसदेतोअपतंत्र जाय अथवाहरडैकालालि क्रास्नासांधालुरा अमलवेद इनइंमिहापासिरंक ॥धृतसाथिअथवा आदाकारसके साथिलेयतौअपनंबरोगजाया अथअपतानकरोगको लक्षालिष्यते नेत्रफाटासाहोजायसंज्ञाजातीरहे कंठमैक फवोलै संज्ञाआवैतरचैनपडे अरअग्यानबावेतपोरूमो हहोय इहभयंकररोगछै अरदहस्त्रोकेगर्भपातसूडोयछैत्र
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१७२ अमृतसागर तथापतापसागर तरंग - रपुरसकेपणेलोहीनिकलवेसहोयछे अथवा घणीचोटलागि वेसंहोयछे इहरोगसाध्यजानिये अथईकोजतनलिष्य ते दसमूलकाकारामेपीपलिनांषिपावेतोपतानकरोगजाय अथवा नेलकैमर्दन जाय र अथवातीषीयस्तकीनांसले तो अपनानकरोगजाय ३ अथवा घृतकेपीवे अपतानकरोग जाय४ अथवा स्नेहकारस्तिकेलेवे अपतानकरोगजाय ५ अथपक्षाघातरोगकोलक्षरालिष्यते कोईकारण कुपित जोवायसोमनुष्यकेआधेसरीरकूपकडिअरसर्वसरीरकीनसां नैसुकायदेछै अराधेसरीरकीनसांनेनिपटदीलीकरिदेछै अथवासर्वसर्षसरीरकीनसानैदीलीकरिदेछै निपटनिकमीक रिदे उननसंनकोग्यांनजातोरहै येलक्षणहोयतीनैपक्षापान रोगकहिजे जीवनोअंगहोय अथवागांवोअंगहोयनिर्जीव सो पक्षाघातदोयप्रकारकोछै पित्तवायको कफवायकोर सरीर केमांहीनबारेदाहहोय अरमूर्खाहोयतोपित्तवायकोपक्षापा तजानिये अरसरीरकैमांहीबारैसीतलगे अरसोजोहोयस शरभारीहोयतोकबायकोपक्षाघातजानिये पक्षाघातकोसा ध्यलक्षण केवलवाय पक्षाघातउपज्योहोइनौकष्टसाध्यजा निये अथपक्षायातकोअसाध्यलक्षगलिष्यते गर्भिणी स्त्रीकै अथवा यावरस्त्रीकैपक्षाघातहोयसोअसाध्यजाणि जे अथवाबालककैरकै क्षारापुरसकै घाववालाकै लोही निकलिगयोहोयतीके सूनांसरीरवालाकै पक्षाधानअसाध्य जाणिजे अथपक्षाघातकोजतनलिष्यतेउडर कौंछकाबी जअरंडकीजड षरेंदीकीजड इनकोकाटोकरितीमेसेकीहींग
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१७३ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग र अरसांधोलूणमिलायपावतीपक्षाघातहरहोय अथवापी पलामूल चित्रक पापलि इंहि रास्मा सीधोला उडद इनकोका टोकार ईकादाकारसमेंनेलपकावे रसवलिजाय नेलमात्रा यरहै तबस्कोमर्दनकरेतीपक्षाघातजाय इतिग्रंथिका दिलाउडर कोंडकेबीज अतीस अरंडकीजड रास्मा सौंफ सांथोलूग इनहूमिहीपसियांकोकाटोकरि ईकारामैनेलपका वै नदिरसवलिजाय तेलायरहैतीकोमर्दनकरेतीपक्षायान जाय ३ इनिमाषादितलम् येसर्वजननभावप्रकासमें लियाछै अथवा कौंधकाबीज परीकीजड अरंडकीजड
डर सूटि सांधोलूप इनकोकारौकरिछापिपावेनौपक्षाधा सजाय यहवैद्यविनोदमेछै अथवा महुवाकोरस गूग उरंक ५ वाजाबोलटंक५बकराकीमांगटिंक ५कटेलीको रसरंक ५ पलासपापडोटंक ५यांवीहलीटंक५सुहागोटंक ५विजोराकीजरंक५ इनकोमिहींपीसितेसरीरकैलेपकरे पीछेकमरवरावरिषाडोषोद अरपाडाकूअग्निवालिलालक रैपरवाषाडाकैअासपासनांचैाककापांनमेले पीछेवाप क्षाधानकेलेपवारयादमीकूवाषाडामैंटावै वाकैपसीनोग्रा वैजहांताईनोपक्षाधानकोरोगउहीदिनजातोरहै। अथनि द्रानासरोगकोजतनलिष्यतेसेकीभांगीकोचूर्णमिहीपी सिराधिकअनुमानमाफिकसहत चाटेतो नीरनिश्चैावै अरया अतीसारसंग्रहणीभीजाय अरभूषधीलागेअथ वा पीपलामूलकोचूर्णगुडकेसाथिलेतोनष्टभयाभानीरावे १अथवा काकल हारकीजड सिरकैबांधेतौनीदा। प्र
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म
•अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग थवा कांगसीसं सुहावतो माथोवहावेतौनांदावै ३ अथवा कोमल हाथन सूपगथली पलोटावेतौनींदच्यावै ४ अथवा वेग एका भडीतामेसहत मिलाय षायतौनी दयावै ५ अथवा तेलकी कांजी कैसाथ अथवा पटाईकै साथिभडीतोरातिकूंषायतौ नींदततकालच्यावै ६ अथवा अरंडकोतेल अरयलसीकोते ल पेट्रोन्यूं बराबरिले तिनकुंकासी की थाली में घूघसि अंजनक रैनौनीदघणीच्यावै ७ अथवा सौंफ अरभांग इनकूंमिहीपी सिबकरीकाधमैंनिवायोसुहावतो लेप करैतोनी दयावे थवा बकरी कैधसूंपगथलीधोवेतौ नींदआवे रपगथल्यां कोदाहरिहोय ९ अथवा कस्तूरीनै स्त्री का दूधमैमिहापासि अंजनकरैतौ घणादिनकीगईभीनांच्या १० येसर्वजतन वैद्यरहस्यमेलिषेहै अथसर्वागमैंवाय होयतीको लक्ष एलिष्यते सर्वसंगमैं कोपको प्राप्तिभयोजोवाय सोसाराही अंगमैपीडाकरे प्रथईको जतनलिष्यते विसगर्भकुंआदिले र तेलनसूंसर्वागगयजाय १ अथसात्धाननमैंप्राप्तिहुवो जोवायती काजुदाजुदालक्षण अरजतनलिष्यते त्वचाकूं सूनीकरिदे परत्वचाकुंपीलीकरिदे सरीरकुंसकरिदे सर्वत्र सरीरमें पीडाकरै २ अथलोहीमैप्राप्तिभयोजोवायतींकोल क्षणलिष्यते सरीरमैपीडाघणी होय वर्णओरसोहोजाय स रीरकसहोजाय सरीर्भाग्य होय अरुचिहोय मूंढापैकीलहोय भोजनपचेनहीं ३ अथमांसमैंप्राप्तिभपोजोवायती कोल क्षणलिष्यते सरीरभास्योहोयपीडाहोय सरीरस्तंभितहोय ४ अथमेदमैं प्राप्तिभयोजोवायती कोलक्षएलिष्यते सरी
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ८ रमैंफोडाकरैऽअथहाडनमैंरहतोजोकुपितवायतीको ल क्षणलिष्यते संधिसंधिमैं पीडाहोय मांसवलिजाय नींदयावे नहीं रमज्जा में वायहाडकीसी नाईजांनिये ६ थवीरजमें प्राप्तिभयोजोवायतांकोलक्षणलिष्यते स्त्रीसंगकरैतौनी र्यततकालगिरिपर्डे कैपडेनहीं अरगर्भकूविगाडतोउपजावै ७ अथइनसवनकेजतनलिष्यते रसमेंवि गड्योजोवायतीकै तेलको मर्दनकरिये १ रक्तमेंविगड्योजोवाय तीकेसीतललेप सूं अथवाजुलावसूं अथवालोहीकेकटावेसांतिकरिये २ मां समेदमैंरहतोजोवायतीने जुलाबसूंसांतकरिये ४ हाडनमैंवि गड्योजोवायतीको चीकनीवस्तकेषावेसूं ४ अथवा लगावासूं सांनकीजिये ५ परमज्जामैगयोजोवायसोची कणी वस्तकेषा बालगावांच्याछ्योहोय ६ अथवा वीर्यमैनिगडेयोजोवाय सोपुष्टाईकाषदिषावासूंच्योहोय ७ अथकोष्टसैंपा सभयोजोवायतीको लक्षणलिष्यते उदरमैंरहतोजोडुष्ट वायसोमलमूत्रकूंरोकिदे पर वदको हियाको गोलाको बचा सीरकौ पसवाडाकेसूलको उपजावैरै - अथईकोजतन लिष्यते पाचनादिकनसूँ इकोजतनकीजे अथवा दूध पाजे अथयामासयमैंरहतोजोवायती कोलक्षणलिप्यते हियामैं पसवाडामैं नाभिमैं इनमेंपीडाहोय तिसलागे डकार घणीच्या विसूचिकाहोय षासहोय कंठमूंटोकिजाय सा सहोय प्रथईकोजननलिष्यते दीपनपाचन की औषदि दीजे लंघनकराजे वमनकराजे जुलावदीजें षावामें पुराणामूं गचावलदीजे अथवा रोहीस हरडेकीछालि कचूर पुहकरम्
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१७६ असतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . ल बीलकागिरि गिलये देवदारुसहि वच अतीस पीपलि वाय घिउंग येसर्ववरावरिले इनकोकादोकार देयनोमामासयकी वायजाय अथपकासयमैरहतोजोवायतांकोलक्षण लिष्यने आंतचोले पेटमैसूलचाले आफरोहोय मलमूलक ष्टसंइनरै पाठिमैं पीडहोय अथगुदामैरहनोजोइष्टवाय तीकोलक्षालिष्यते मलमूत्र पवन रुकिजाय पेटमैसू लहोय आफरोहोय पथरीकोरोगहोय जंपामें पारिमैं पसया समैं पीराहोय अथईकोजतनलि बस्तिकर्म इहरोगजा य अहियाप्राप्तिभयोजोचायतींकोलक्षालियने गिलचे मिरचि इनकूमिहींपासिनिवायेजलसंपानी यहवा यजाय अथवा असगंधवहेलकाडालि मिहोवांटिगुडमैं . मिलायषायतोइबायजायर अथवा देवदारुसूरि मि हीपासिनियायपाणी पीवैतौरबायजाय३ अथकर्णादि कनमेंप्राप्तभयोजोनायतीकोलक्षगलि उनकादिक इंद्रियनकोनासकरे अथईकोजननलिसेकसंतैलादिक केमर्दन बहबायजाय अथसरीरकोनसनमैंमाप्तभयो जोवायतींकोलक्षालिनसनमेंमूलचालैनसईकडाहो जाय अथईकोजतनलि सारछुडावेमंडहरोगजाय अथ संधिप्राप्तिभयोजोवायतीकोसक्षगलि संधिसंधिमैंसू लहोय संध्यानेविगाडिदे अथईकोजतनलि.सेकसंतेलकै मर्दन इहवायजाय अथवा दायणकाजड पीपलीटंक . २॥ गुडमैंषायतो संधिगतवायजाय अथवातव्याधिकोसा मान्यजननलि. अथनारायणतेलकीविधिलि. अस
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१७७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . गंध षटीकाजड वालकागिरि पाठल दोन्यूंकटेली गोषरूं गंगे रनिकीछालि नींबकालालि अरलू साटीकीजड पीप अरएयू ये सबओषदिटकादसदसभरिले अरपाणीसेर १५ ले नीमैयेगी षदिनांषि सनेसनैपचाय यांकोकाटोचतुर्थासरापे पाछैईमैति लांकोलसेर७४ नांष अरईमैसतावरीकोरससेर ४नांषे तेल {चौगुणोईमैगजकोडूधनांषे पीछेयांकूमधुरांच पका वै यांनैपचताहीईमेयैऔषदिनांषे कूठटका ११ इलायचीट काशरतचंदनटकारावचटकारा छउटका सिलाजीतटका। सीधौलाटकाश असगंधटकाराषरैंटीटकारारास्नाटका। सौंफटकाराइंद्रायणटकारासालपटिकारा पृष्टपर्णाटका रामांसपीटकाश उरपटिकारारास्नाटकारायसर्बबरा वारले ईमैनाषिमधुरांच पचावै सर्वरसवलिजाय तेल : मात्रआयरहै तवईकूउतारिछालि पीछैईनेलकोमर्दनकरै
तो अथवाषायतो अथवा यांकोयस्तिकर्मकरैतौ इतनारो गजाय पक्षाघात हनुस्तंभमन्यास्तंभ गलग्रह बधिरपणों गतिभंग करियह गात्रसोम नष्टशुक्र विसमजर अंत्रवृद्धि गोसो सिरोयह पार्श्वसूल ग्रध्रसीपायकासरोग ईनाराय पातेल डूरिहोयछै इतिनारायगतेलम् अथजोग राजगूगलकीविथिलिष्यते मूटि पीपलि चव्य पीपला मूल चित्रक सेकाहींग अजमोद सिरस्यूं दोन्यूंजीरा संभालू इंजय पाट वायविडंग गजपीपलि कुटकी अतीस भाउंगी वच मूर्चा येसबओषदिमासाच्यारियारिले अरविफलास गलीओपदनासंदूपीले पाछेइनसवोषधानेमिहीवांटि
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१७८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग - कपडछापकरे अरयांसारीयोषधांपरावरिमोध्योगूगलले पाई गूगलअरयेसारीऔषदित्यांकोएकजीवकरि मासाच्यारियार भरकागोलीकरै अरघृतकावासमैंमेलिराषे पाठेरास्मारिका काटा गोलीले सोलिपूंछू रास्ता साठीफीजडशिगिलवैध रंडकीजड यांकाकादारांजोगराजगूगललेतो सर्वनायकारिकार जाय अरकिरमालापंचककाकाटासुलेतौकफकारोगजाय पर दारुहलदकाकादा लेतीप्रमेहकारोगजाय अरईनेंगोमूबसू लेतो पांडुरोगजायसहत लेनो वायरक्तकोरोगजाय भरपुन नादिककाकादा लेतीसउदरकारोगजाय परगूगलकोसे वावालो इतनीयस्तकरेनहीं मैथुनकरैनहीं पाईउगेरैषायन ही इतिजोगराजगूगलकाविधिसंपूर्णम् अथवाहस राकोरसटकाराभरकादि तीमैंबराबरकोनेलमिलाय अनुमा नमाफिकसीथोलूनांषि पीतो गायकासर्वरोगजाय अपना दूधकैसाथि अथवानकैसाधि अथवानेलकैसाथि अथवामा सकासोरवाकेसाथिलसएदिन१४ पायती सर्वप्रकारकावा यजाय अरविषमज्वरनैंसूलनैं गोलाने अग्निकीमंदताने का यानै सिरकारोगनै वीर्यकारोगनै यौनयोलसणयांकासंजोग मंडरिकरेछे इतिलसराकल्प अथवा रास्मा घमासो परें टीकाजड अरंडकीजड देवदारु कचूर वच अरडूसो हरडेका छालि चय नागरमोथो साठीकोजड गिलचे वधायरो सौंफ गोषरू असगंध अनासकिरमालाकागिरि सतावरी पीपलि सहजणांकीवकल धणों दोन्यूंकटाला येसर्ववरावरिलेत्यांको काटोकरिनांकासाथियोजोगराजगूगललेतौ सर्वप्रकारकावा
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१७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग यकारिकारजाय इनिमहारास्नादिककाथ येसाराभायप कासमेलिष्याछै अथवा योहरीनपांनाकोरस अरंडकापां नांकोरस बकायकापांनाकोरस संभारकापानांकोरस स हजएांकापांनांकोरस कंडारापानांकोरस यांसारांसंचौपाई तेलनाषिपकाचे पाछैईमैठिनाषे येसर्वपलिजायनेलच्या यरहै नदिईनेलकोमर्दनकरैती सर्वप्रकारकोपायजाय इति अष्टांगतेलम् अथविसगर्भनललिष्यते धतूराकीजड़ निर्गुडीकडवीतूंबीकीजड अरंडकीजड़ असगंधपचाड चि त्रक सहजएणकाजड कागलहरी कलहारीजडीकाजड नांव काळासि वकायकोडालि दसमूल सतावरी चिरपोटणि गो रीसर विदारीकंद थोहारकापांनाककापान सनाय दोन्यूंक नीरकाहालि आंधीपाडो षीप येसारीओषदीतीनतीन श्टका भरले यांगोषद्यांबरावरिकालातिलांकोतेलले अरइतनोहीं अरंडकोनेलले अरईमैचौगगोपापानांपै येओषदिकूरियां मैंनांषि पाछैयानैमधुरीयांच पकावै येसर्वजलसमेनवाल जाय तेलमात्रायरहै तदिईनेतारिले पाईनेसमैयेनौ पादनांप सोलिपूंछु सठि मिरवि पीपलि असगंधरास्मा कूर नागरमोथो वच देवदास इंजय जवषार पांचूललामी सोधूथो कायफल पार भांडंगीनौसादर गंधक पोहकरमूस सिलाजीत हरताल येसारीऔषदि अधेलाअधेलाभारिते साँ गीमोहोटका ओभरले पाछैयांसनामहीवारि ईतेलमैंनांपै पाछैईनेलकोमर्दनकरेंतीसायकारोगरिहोय अरकूषियो परभंवारांको अरपाटिको जांघांको अरसंधिसंधिको योजाय
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अमृतसागर तथा प्रताप सागर तरंग गांकोसोजोइरिहोय अरगृध्रसीरोगनें सिरकारोगनैं फूटलीनें कर्णकी सूलने गंडमालाने यांसर्वरोगांनैयोविसगर्भतैलरिक रैछै इतिविसगर्भतैलम् अथवा मजीठ देवदारू चीट क स्याली वच तज पत्रज सोधीगंधक कचूर हरडैकी छालि बहेडा कीछालि आंवला नागरमोथो येषदि टकायेकेकभरिले त्यां नैवांटि टायरसकाढिले पांछेरसमैंसेर ९१ तेलनांषै पाछे ईतेलनैपकावे पाछैओरसवलिजाय तेलमात्र प्रायरहै नदिई मैयेोषदिनांपै सोलियूंडूं छड मूर्वा मेंटल चंपाकीजड तज पीपलामूल नेत्रवालो संचरला येऔषटिकादोय भरले अरलोहवान वेरजो असगंध नव छड येटकाटकाभरले अ रइलायची लवंग चंदन जायकीकलि कंकोल अगर केसरी येसारी पईसापईसाभरिले कस्तूरीटंक २॥ ले येसारी मिहींवांटि तेलमैंमधुरीयांचसंपकावे तदिसर्वरसऔषदिसमेतवलिजा य तेलमा आयरहै नदिईमैटंक २॥ कपूर वांटिनांषै पाछेई को मर्दनकरैत सर्ववायकारोगजाय सर्वप्रकारको मेहजाय रसोजानें गोलानैं जुरनैं यांरोगांनेयोनेलइरिकरैछे इतिल क्ष्मीविलास महासुगंधितैलम् योचकदत्तमैलिष्योठे अथवा टिका ७ भर अरईवरावरि इकपोत्योलस भर सूंडिनमिहांवांटि चरावरिकाघृतमें भूमिले पाछैलसणनैवांटि वेंमिलाय पाछे मैचोषी सहनटका ७ भरनांचे पायांसारां कोकजीवकरि टकाये केकभर रोजीनांषायतो पक्षाघाननें हनुस्तंभनें कटिभंगने भुजाकीपीडने सर्ववायकारोगांनैयोउ साइरिकरैछे । प्रथविजैभैर तेलकीविधिलिष्यते
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११ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मालकांगी असाल्यू कालोजीरो अजवासा मेथी तिल येसर्व वरावारले परतेलीकापागामेयांनेलकाटे पाछैईतेलफोमर्द नकरेनोवायकासर्वरोगजाया इतिविजेभैरवतेलम् अथ वा पारो गंधक हरताल मेगासल येसराबारले पाछेयांसा रांनमिहीनांटि कांजामैदिन ३नई पांछे एका हाथमिहींकपडे लेनांकैयांचाषांकोलेपकार बैंकपडाकावातिकारकैसूतर पेठे पाडैउवातीउपरिनिलांकोनेलचौरागोनांपै अरबैंचाताने नींचीराषिजोयरे वेवातीकैनीलोहकोपात्रमैले वैलोहकापात्र मेंउनटपकांकोनेलपसोजोले पाछैईविजेभैरवनेलकोमर्द मकरैतोसर्वप्रकारकाबायकारोगजाय इतिविभैरवतेलम् अथविजैमेरपरसलिष्यतेहरडैकीछालिरका शरित्रकरका
इलायची तज परज नागरमोथो येयारंपईसापईसाभ. रिले अरसभालूटका संठिटंकी कालामरचिरंक पीप लिरंक१. पापलामूलटंकी सोध्योसींगामोहरोटक साररंक १.बंसलोचनरंकापारीरंकी सोधौगंधरंक ५प्रथमपा रागंधककाकजलीकरै पाछेकजलीमैयेसारीओषशिमला .वै पाछैयांनीषयांमैपुराणोतिवरस्योगुडरका ५॥भरमिला यईकोयेकजीयकरै पाछैधृत ईकीगोलीपोरकामीजीप्रमा रायगावे यांगोल्यानेयतकांपासएमैंराषेपागोषी तथा २नथाररोजानांमहीनार ताईवायतो कफकाभरपिनकास रोगजाय पररसनैमहानांचारिताई सेवनकरेती बायका सर्वरोगजाय अरवरषाताईरसकोसेवनकरैतीसर्वप्रका रकारोगजाय परपरसदोयनाईईरसकोसेवनकरेनौ बुडा
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१८२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पोहरिहोय अरतरुराहोजाय अरवरसतीन ३ ताईईसकोसे वनकरेतौ ग्रासुरबलपपीहोय सरीरनिरोगोरहै इनिविजे मेरेवरस. अथवानारिरसलिष्यते पारोभागा सोधीगंध कभाग२त्रिफलाभाग३चित्रकभाग४सोध्योगूगलभाग५पांसा रांनअरंडकातेलमदनापरलकर पाईईमहिंगाष्टकचूर्णनांषे ओख्येकदिन षरलकरै पाछैईकागोलीटंकाप्रमाबांधे पाछै लोंगहि अरंडकीजडकाकादा रोजानांमहीनाताई ले अरब्रह्मचर्यरहेतौसर्वप्रकारकावायजाय अरसाधारणबा यतों ईकासात दिनसेवाहीसंडूरिहोय इतिवातारिरसः अथसमीरपन्नगरसलिष्यतेसोधीगंधक सोध्योसांगाम हरो संठि कालीमिरचि पापलि पारोयेसारावरावरिले पाछैपा रागंधककाकजलीकरै पाछैकजलीमैयेऔषदिनांषि अरभां गराकारसकापुट दे पाछैई कीरतीयोकप्रमागगोलीबा धैगोलापादाकारस लेतोसर्वप्रकारकावायजायाइ तिसमीरपन्नगरसः अथसमीरगजकेसरीरसलिष्यते अफीमचोषीनई कुचिला कालीमिरचियेबरावरिले पाछेयां सारांनमिहींपांटिरतीप्रमाएकागोलीबांधे पानांकारसमेंगोलीरोजीनांप्रभातपाय अरऊपर पांनचावेतो सर्वप्रका रकोवायजाय? अरसोजो विसूचिका अरुचि मिरगी येसारा जाय१ इनिसमीरगजकेसरीरसः येसर्ववेयरहस्यमैडै अथरचिंतामलिरसलिष्यने पुरासानि अजवालि जीरो अजमोद काकडासांगीअसगंध येसर्ववरावरिले यांनमिहीं वांटिमासो तातापाणीसंलेनोसप्रकारकीपायहरिहोय।
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अरसास बास प्रलाप अतिनिद्रा अरुचि येसाराजाय इतिद्धचिं तामणिरसः अथप्रमृतनामगुटिकालिष्यते चित्रकरका ३। हरडेकीछालिटका ३। पारोटका १ ठिटका १| मिरचिटका १ पीपलिटका १| पीपलामूलटका | नागरमोथोटका १| जायफल टका? बधायरोटका १॥ इलायचीटंक ५कूटटंक ५ सोधीगंध कटंक ५ हिंगलूटंक ५ आकलकरोटक ५ मालकांगणीटंक ५ तजटंक ५अभ्रकटंक ५ सोध्योसींगी मुहरोटक ५ गुटका प्रथमपारागंधककीकजलीकरि पाछैयेऔषदिमिवांटिक जलीमै गुडसमेत मिलावे पाछैईकैजलभांगराकारसकीपुर १ दे पाछैरनी २ तथा ३ भरका गोली बांधै गोली १ रोजीनांषायतौ सर्व प्रकारकीवायनै कोटनैं प्रमेहनै मृगीनैं क्षयाने सासनें सोजा नै आमवातनें पांडुरोगनैं बवासीर यांसारांरोगांनैयोरसडू रिकरे इतिअमृतनामगुटिका • योजोगतरंगिणीमै छै •मथरसराक्षसरसलिष्यते सोध्योपारो सोधीगंधक येदो न्यूंबरावरिले यांदोग्यांकी कजलीकरै पाछैईकै धाकारसकी पुट दे पाछैतुलसीकारसकीपुर १ दे पाछैवावची कारसकीपु ८१दे पाछेमोरसिषाकारसकीपुट १ दे पाछैमहलोटी कारस काउंट १दे पाछैवाराही कंद कारसकीपुर १ दे पाछै बहुफली कारसकीपुट १दे पाछैयांकारससुकाय पारागंधककी कजली नैक्कूकडाकाच्अंडामै भरै अंडानेधोयसोधिले पाछैवेयंडाकैक पडभिट्टी ७दे मंडानैसुकायले पावेगंडानेगजपुटमेंपकावैं इसीतरे वार ३ करें पाछैईनेरती १ षायतौसर्वप्रकारकी वायजा य परयोभूषणीकरें इतिरसराक्षसरसः योरसार्थव
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१८४ अमृतसागर नथाप्रतापसागर तरंग . मेछै. अथवंगेस्वरसलिष्यते पारोसोध्यो गंधकसोध्यो यांकी कजलीकरै यादोन्या आधासोधाहरतालनांपै यांचरावरिरांग नांषे पाछैयांनआंककाइधर्मेदिनपरलकरैपाछेसकाय काच कीमानसीसीसीकैकपडमिट्टिदेरमैभरिदे पाछैसीसानेवालू काजंत्रमैपहर १२ पकाचे सीतलहुबांकादै पाछेरनीप्रापपान मैंषायनोसर्वप्रकारकावायजाय असन्माद क्षीरगना मंदामि को दरा पिसमज्वर येसाराजाय इतिवंगेवररसः योजोगन रंगिणीमैछै सोधीहरताल सोध्योगंधक पारो हांगलू सुहागो सूंरि मिरचि पीपलि येसर्ववरावरिले पारागंधककीजलाक रियेमिलाये पाछैआदाकारसकापुट देअरमूंगप्रमारागोली बांथैगोलप्रभातपायती सर्वप्रकारकापाय परसूतिकारो ग मंदाग्नि संयहली सीनवर येसाराजाय इतिहरतालगु टिका योरसरलपदीपमैले अथलसएगपाककीविधि लिष्यते लसएगपईसा ५भयोलाजे तीकौमिहीजीरोसोकन रिलीजे फेरिइथपईसाभस्यौपारंगीतमेअधेलाभरयो तीमैं चदायांचदाजे सोडूथलसरासुसिजायनादलसानैपर लकीजै सोलुगदीवधिजाय तबयनअधेलाभरिमैनांपिांच दीजे आंच सुरषीपडिआवैतदिउतारिलीजै सिवायतरहै सोकादिनाषिजे फेरिमिश्रीपईसादोयभरकीचासणीकाजैतीमें कस्तूरीरतीआधी लौंगरती४जायफलमासोदालचिनीमासो सोनाकीनवकरयेसाराऔपदिपीसिचासणीमैनांपणापायी लसपनाषि गोली४ बांधणी गोली प्रभातपाय अरघलावाय होयनोडूजागोली प्रांथगाउपाय नौवायकोआरामहोय पथ
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१८५ अमृतसागर नथापनापसागरतरंग र मैंरत्यां गोली दिनरूषाय जादावायहोयनोदिन ४९पाय औरगो लासिवायकरणाहोयतो हिसावसंघोषदिवालसातोलामाफी कवधायले ईलसापाक.पायांसनायकाचिकारडूरिहोय पर योलसरापाकसरारपुष्टकरैछै अरभूषनेवथावे? इंतिलस
पाककीविधिसंपूर्णम् इतिवातव्याधिरोगचौरासाभे दासमेतयांकाउत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् इतिश्रीमन्म हाराजाधिराजमहाराजराजराजेंीसवाईप्रतापसिंह जीविरचितेअमृतसागरनामग्रंथेपातयाधिरोगकीची रासीभेदासमेत उत्पत्तिलक्षराजतननिरुपनामाष्टम स्तरंगःसमाप्तः अथउरूस्तंभरोगकोउत्पत्तिलक्षण जतनलिष्यते सीतलवस्तकापावासू गरमवस्तकापावासू पततीवस्तकापावासं भारीवस्तकापावासू चीकणीवस्तका षावानं दिनकासोवासू रातिकाजागिवाएं पुरसकैपणीभूषसू अथवा थोडाअजीमें येपाछैकहींसोवस्तषाय नदिवेंपुरसकै पायहेसोकोपकँपासिहोय अरपिनोंगाडे अरपुरसकैदो न्यूजंघानेस्तंभिनकारदेछे अरकाजधानेसूनीकरिदेछै जाति जैयेजांघपेलाकीछे हालवाचालवादेनही तीनरुतंभरोगक हिजे अथउरुस्तंभरोगकोपूर्वरुपलिष्यते नींदपणीमावे ध्यानलागिजाय कौंजुरकोअंसहोयरोमांचहोय परिहोय छर्दिहोय दोन्यूंजांघांमैपाराहोययेलक्षणहोयतदिजाणिजेडरू संभरोगहोसीधन्वंतरजाईरोगनेंभुर्नमैंमहा वातयाधिरोग कटोछे नीकोलक्षालिबूंछ्रोन्यूंपगसोजाय अरनाक्षी डाहोय वडाकष्टसंदोन्यूपगउटै दोन्यूंजांधामैपागहोय अरदाह
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१८६ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग - ९ होय अरथरत्तीमैपगमेलेनदिपीडहोय सातस्पर्शकंजारोनहींग ल्पोजायनहीं जांगिजांयकाठकोडैमांटूटीसीदीषे येलक्षण होयजीनमहायातव्याधिकहिजै इहींनउरूस्तंभकाहिजै अथर रूसंभकोसाध्यलक्षगलिष्यते उरुसंभवालारोगीकैदाह होय पीडाहोय अरसरीरकांपै ओउरूस्तंभामारजाया अथर रूस्तंभकोजतनलिष्यतेत्रिफला पापलामूल संठि काली मिरचि पीपलि यांकोमिहांचूर्णकरिटंकारोजीनांसहतकैसा थिलेतोरुरुस्तंभितरोगजाय१ अथवा सूहि पापति सिलाजी तगूगल येसारामासा ५गोमूत्रकेसाथिरोजानांपावतीउरुस्तं भजाय अथवा दसमूलकाकाटाकेसाधिगूगलषायतोउरु स्तंभजाय येमावपकासमैलिष्याछे अथवा मिलावारंव गिलटंकारिका देवदारुटंकाहरडेकीछालिटंक साटीकीजउदंकादसमूलरंकायांकोकाटोलेतौउरुस्तंभ जाय। अथवा गूगलटंक गोमूत्रकेसाथिदिन १५लैतोउरु स्तंभजाया अथवासहतस्यूंबंबाकीमारीयांनमिहावांटि यां कोमर्दनकरैतोउरुरतंभजाया अथवा वचकोचूटिंकसागर मपाएगी लेतौउरुस्तंभजाय अथवाउरुस्तंभवालोइतनीय स्तकरैनहीं लोहीकटावैनहीं वमनविरेचनकरेनहीं वस्तिकर्मक रैनहीं येसर्ववेयरहस्यमैछे अथवा षसकोरस अथवा नीबूकोरस गुडकैसाधि अथवा सहतकैसाथिपीवैतौउरुस्त भजायायोकासीनाथीपडितमैछै अथवाचव्य हरडेका छालि चित्रक देवदारु कलगचकाफूल सिरस्यू यांकोचूर्णकरि एंकशासहत लेतीउरूस्तंभजाया योसर्वसंग्रहमेछे छ
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१०७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ९ अथउरुस्तंभरोगकीउत्पत्तिलक्षराजतनसंपूर्णम् अथ आमवातरोगकीउत्पत्तिलक्षाजननलिष्यते मंदाग्निवा लापुरसकै कुपथ्यकरिक चीकशोअन्नषाय अरषेदकरेनहीं त्रै सोजोपुरस नीकैचायकारकैंप्रेस्यो असोजोकचाअन्नकोरस सो कफकोस्थानजोहायो तीने प्राप्तिहोय अरोकचोहीरसवायक रिकनसांमोजायप्राप्तिहोय अरवायपित्तकफकारक घणोडूपीत हबोजोकचाअन्नकोरससोसरीरकीनसांनैपूरितकार अग्निकामं दपणा प्रगटकरेछ अरहियानैघरोभास्योकरिदेछै अरयोकचा अन्नकोरस ओमकोअरसर्वरोगहूकरैछै १ अथग्रंथांतर सुभाइहरोगकोलक्षालिष्यते मंदाग्नियालोपुरसअजीर्ण मैंभोजनकरैतदिवेंकापेटमेंांमदाहोय तदिवा प्रांमअने करोगांनैपैदाकरै मथवाय.करै सर्वगात्रमैपीडाकरै अरकांधा मैंपारिमें कटिमैं गोडामें यांमेयणीपीडाहोय अरनसांनसंकुचि तकारदेडे अरसरारनेस्तभितकरिदेछे येलक्षराजीमैंहोय नीं मैंआमवातरोगकहिजे अथग्रंथांतरश्रामचानकोलक्षण लिष्यते अंगामैपाडाहोय भोजनमैंअरुलाहोय निसघणीलागे आलसथायावे सरीरभावोहोजायजुरहोय अन्नपचनहीं अं गसूनोहोजाय यलक्षणहोयतीनेश्रामवातरोगकहिजे अथवा मवातरोगकोजतनलिष्यते ईर्नेलंघनकराजै अरसेककोई नैतीषोरसदीजै अरभूषलागे इसाओषदिदीजे ईनेजुलावरीजे ईनैवस्तिकर्मकराजेईकैलालरेन सेककाजेपरलूग सेकिवो ईनेजोगछै हईजोग्यछे यथवाकाअरबैगएकीतरकारीईने खुवाजे करेलाई जाग्यछै कोदूंजर सारीचावल पुराणाचावल
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१८८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग इतनीवस्तईनैजोग्यछे गऊकीछाछिई.जोग्यछ अरकुलत्यमर रचण येईनैजोग्यछै अथवा चित्रक कुटकी हरडेकीछालि पर देवदार अतीस गिलवैयांकोकाटोरंकाकोरोजीनांगरमपापी संलेतौ आमपातजाय अथवा कचूर सूटि हरडेकाहालि वच देवदारु अतीस गिलवैयांकोकादोरंकाकोरोजीनांलेनोमा मवातजाय अथवाअरंडकोत्तेलटंक५रोजीनांपातौआम यातनिश्चय अथवा अरंडकोनेल हरडेकावकलकोचूर्ण ईकोसे वनकरैतौ आमवात अरमध्रसीनिश्चैजाय अथवा किरमाला कापांना करवातेलमभूनिकरिरोजीनांघाय चापलांकैसाथितो आमवातजाय अथवा अरंडकाबीजानेंडूथमैंयकाय षीरक रिषायती आमवात अरगध्रसीयेदोन्यूंजायाअथवारामा रंडकीजड अरडूसोधमासो कचूर रारुहलद परैंटीनागरमोथो सूहि अतीस हरडेकीछालि गोषरू सहिजयों चच्य दोन्यूंकला ली यांनैवरावरिले अररास्ना येकोषदिसूतिगुणीले पांछैया नेजोकूटकारदंक ५ कोकादोरोजीमांकरितो इतनारोगडूरिहो य पक्षाघान अर्दित कापणी कूवडापगों संधिसंधिकायाय गोडांकीपीड ग्रभसीहनुग्रह उरुस्तंभ वातरक्त बवासीर वार्य कोदोस स्त्रीकोवंध्यापरणों इतनारोगांनन्योहारिकरैछै इति महारास्मादिककाथ अथवा अजमोद कालीमिरचि पाप लि वायविडंग देवदारु चित्रक सौंफ सांधोलूरा पीपलामूल येसारीओषदिटकास्काभारिले मूटिटका१०भरले वधायरोरका
भरले हरडैकीछालिटका ५भरले गांसारांनमिहींवांटि यांसा रांकाबराबारगुडले पाडेयांकीटंक २॥ भरकीगोलीबांधै गोली
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१०५ अमृतसागर तथापतापसागरतरंग ९ रोजानांगरमपापी लेतो मानने आफरानैं सूलनैं गृध्रसी मैंगोलानैं प्रतितूनाने करिकीफूटएी. पीउकीफूदगीने जांघां काबरहाडांकाफूटपाने सोजानैं यांसारांरोगांनेयोचूदूरिकरैछ इनिप्रजमोदादिचूर्ण परजोगराजगूगलपाछेवातव्याधिमें लियाछै तीसूभीयामरातकोरोगहरिहोयछेअथवाइंडिट काभर गकोतसेर दूधसेर ४ सूठिनैमिहींपारि घृतमैं . मकरोय दूधमैपकाय कसारकरिले पछेषांडटका भरकिना सणीकरै ईचासणीमैतममकरोईड मात्रासमेंतनांषेपण छैचासगीमेयेओषदिनांपैसूटिटकाभर नागकेसरीरका येसाराओषदिमिहीपांडिचासणीमैनांषै पाछैईकागोलीरका येकेकभरकाबांधे पाछैगोलायेकेकदोन्यूवषतांषायतौबामया त.दूरिकरे सरीरनैपुष्टकरैपलकरै पराकमकरै इनिसंगपा कः अथवा मेथीटकाभर मुरिटकानभर यादोन्यांनमिहीं वांटि गड़कोदूधसेर७४ मैंपकावे यांदोन्यांनतमैमकरोययां कोषेरोमावोकरे पाछैसेरऽ४ पकीमिश्रीकांचासगीकरे पाछै चासणीमैयोमायोनांषे अरयेोषदिनांष सोलिपूंछमिरचि टकाभर चित्रकटकाभर पीपलीटकाभर धौंस्काभ रसूठिटका १२५भर पीपलामूलटका।अजवायपाटकाभर जीरोटका सोफटकाभर जायफलटकाकचूरटकाभर त जटका पत्रजरकाशभर नागरमोथोटकाभर यांसारांनाभ हीवांटि चासणीनां पाईसारांकोयेकजीचकार टकायेके कभरकीगोलीकरै पाछेगोलीपरोजीनांषायतो आमवाननै वात व्याधिनें विसमज्वरने पांडरागर्ने उगादने मृगीनैं प्रमेहनें
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१९० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ९ अरवातरक्तने अमलपित्तनैं मथवायने नेत्रधिकारने पदरने यांसारांरोगांनेयोडूरिकरें? वीर्य वधावै इतिमेथीपाकः ॥ अथवा लसराकोरसटंकगऊकोतटकायांदोन्यांनमिला य रोजीनांपावेतो आमवातजाय अथवासांधोल टंक ५ हरडै काछालीटंक ५पोहकरमूल ५महुवोटंक ५पीपलिटंक ५यांसा रांनैमिहींपारिले पाछेअरंउकोलसेरले सौंफकोपर्कसेरा ले कांजीसेरदोयऽ२ले दहीकोमडोसेर ७४ ले यांसारीओषयांस मेतएकठाकार कंदाहीमैचदावेनीमंदांचदे सर्वरसपलिजा य तेलमात्रायरहैतदिउतारिले पाछैईनेटंकराजीनांषाय अथवा लंगावेतोश्रामवातजाय भूषवधाये इतित्रहसेंधवा घलेलम् अथवा पारो सोधीगंधक सूरि कुटकी त्रिफलाकि रमालाकागिरि येवरावरिले हरडेकीछालियकोषदिसूतिय पाले प्रथमपारागंधककाकजलीकरै । पाछैईमेयेोषदिमिलावै पाछैईनैमासोहि अरअरंडकी जर यांदोन्यांकाकादा लेतो आमवातकोरोगततकालजाया इतिश्रामवातारीरस: आमवातवालोइतनीवस्तषायनहीं दहीं दूधगुड मछलीकोमांसउउदकाचूनकायस्त मांस येषा पनहीं येसाराभावप्रकासमैछै अथवागलसेरऽ१ कडवो तेलटकाभर हरकीछालिकोचूसेरऽ१ यहाकालालिको सूर्यासेर अांवलांकोसेर१पाएगीसेरऽ४ तानेपोषटिस नाषे पाछैकडाहामैपकावे पाछेजलकोचतुर्थीसपायरहै त दिउतारिले पाछेअमिउपरिऔरंचढाय इनक्यूंकादोकारले म छैई मैयेोधादिओरनां सूटिटक २मिरचिटंक २॥पीपलिद
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. १९१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ९. त्रिफलाटंकनागरमोथोरंक | देवदारुटंकासोधीगंधकटं का सोध्योजमालगोटा १०० प्रथमपारागंधककाकजलीकरै पाछेकजलामेयेसारीवस्तमिलावे पाछैगूगलकारसमैयमिलावे पाछेमासो तातापापासूईनेलेनो आमयातनैततकालरिकरे रयोभूषयगीकरैधात वधावे वूदा जवानकरै अरचायका रोगांनै भगंदरनें सोजानै मूलने ववासीरने यांसारांरोगांनेयोडू रिकरै इतिव्याथिसाईलगूगल. अथवाहरडैकीछालि सी भोला निसोत इंद्रायणकाजड मूटिइंद्रायणकाफलकामांगी मांसारांनैमिहींपाटिलोहकापात्रमैजलपालि नीमेयनांषे पाछै मधुरांच पकाय डोटावोरप्रमाए।गोलीबांधे गोलीगर मागीले उपरेपणात चावलायती आमवातकोरोग जाय इतिआमारिगुटिका येसाराजतनवैद्यरहस्यमेछ अथवा सूहि कालीमिरचि पीपलि त्रिफला नागरमोथो वाय विडंग चव्य चित्रक वच इलायची पीपलामूठ मारुषकीज डदेवदारु टुबरु पोहकरमूल कूट ऐन्यूंहलद सौंफजीरो इंडि पज धमासो संचरदराजवषार साजीगजपीपलि सीधोलूपा येसारीयोपदिवरावरिले यांकीपरावरिसोध्योगूगलले पाछेयां
औषयांनैमिहींपाटि गूगलमेमिलावे पाछैईनेटकातकैसा थिअथवा सहतकैसाथिरोजानालेतो आमवात. उदावर्जन पांडुरोग. कमीकारोगनै विषमज्वरनैं उन्माद. प्राफराने को द, सोजानें यारागांनेयोहरिकरेछै धन्वंतरजीईकोनांवटा त्रिंशतगूगलकाट्योछे योचीरसिंहावलोकनमेछै अ थवा सोध्योगूगलसेर करयोनेलटकाभर त्रिफलासेर ३
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१५२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ९ पगासेर २४ तात्रिफलानांषिौटावै पाछेपागाकोचोथोहिसो सेरऽ पायरहै नदिईपापानेछाणि औरंअग्निउपरिचदायकाटो कारले पाछैईत्रिफलाकाजलमैयेोषदिनांषे गूगलनांषेनेलनां पैअरसूटिंकण मिरचीटंकापीपलिटंकरात्रिफलाटंक ॥ नागरमोथोरंका देवदारुटंकरगिलबैटंक॥निसोतरंक २॥ दांयूगाटंक २॥ वचक॥जिमिकंदटंक २॥ पारोटंकांसोधी गंधकटंक ॥धतूराकाबीजटंक ४ यांसारांनमिहींपारिधि फलाकाजल में मिलाय येकजीयकरे पाछैईनैमासोरोजी नांनातापाणी लेतोभूपतियणीलगेयोधातयावेळेस शरनिरोगोकरिदेछे सरमामवातनैमथवायनै काटकीवायने भगंदरनैं गोडांकावायनेजांघांकीवायने पथरीने मूकनेर तनारोगांनेयोगूगलरिकरे? इतिसिंहनादगूगल. यो जोगतरंगिणीमेछे अथवा सोधीगंधकटंक ५तांमेसुरटंड५ पारोटंक २॥ सारटंकायांसारांनएकठाकरिअरंडकापानांउप रिटाले पाछैईनेषरलमैवारि पीपलि पापलामूल चव्य चित्र कसरि यांकोकाटोकरिईकापुटादेअरवहाकाकादाकारस कीपुररूदे अरगिलवैकारसकापुट देअरयांसारांओषयां कीवरावरिईमेसेक्योसुहागोनाषेसहागासू आधोईमैघिडल पानांघिउलूरावरावरिईमैकालीमिरचिना अरमिरचिवरा परि ईमैडांसस्यानांषेअरमंडि पीपलि त्रिफला लवंग येसाराये केकमिरचिपरावरिनांषे पाछैयांसारांनमिहावांटियांकोयेकजी वकरै पाछेईनैमासोरोजानांजुदाजुदाअनुपान षायतोसर्व रोगमाननेयोरसडूरिकरेछ भूषघणीवधावे? अरामवानने
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१९३ , अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ९. दूरिकरैछे स्थूलपुरषनेरुसकरैछै अरहसनैपुष्टकरे इंकीयारि रतीकामाचा सोकंठपर्यंतभोजनकोभीतनकालयोपचायदे डेनियामनातेसररसः योसारसंग्रहमेछै अरदही मछली गुडडूध उडरकोचून येआमवानवालोनषाय इतिश्रामपात रोगकाउत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् अथपित्तव्याधिको उत्पत्तिलक्षराजननलिष्यने करपारसकाषापासूं षटाईकाषा वायूं गरमवस्तकाषावासू सहकरिवाचालीवस्तकापावामुनी षीवस्तकापावासू उपवासकाकरिवासू तावडाकासेवासं पण. मेथुनकाकरिवासं घालूणकाषावासू क्रोधकारिवाएं निस कारोकिवा भूषकारोकिवा षेदकाकरिवासू मयादिककापी वासं इतनीयस्ताकाकरिचायूं गरमीकोकोपहोयजायछै कदे भोजन.जीर्णहोतांथका सरदरतुकैसमें ग्रीषमरिनुकेविषे मध्यान्हकेसमै पाधीरातिकसमे पित्तहेसोकोपळूप्राप्तिहोयडे सोपित्तका चालीस४. रोगछे त्यांकानामभरलक्षरालि. थतेजवानीमैसुपेदवालहोजाया लालनेत्रवहबोकरैरमून लालरहे । नेत्रपालारहै ४ मूत्रपालोरहे ५मलपीलोरहे। नषपालारहै दांतपालारहे-सरारपीलोरहै९ अंधेरीवो करे सर्वत्रपालोदीषवोकरैशनांदथोडीया१२मूदोसूकै मुषमेंदुगंधिया १४गूंदोतीषोरहे१५गरमसासनीसरे टोषाटोरहै । ७ डकारमैyोनासरे। भोठिावे९इंद्रीसिय लहोजाय २० कोधयणोपावे१ दाहरहे २२ अतीसाररहवीक रै २३ तेजसुहावैनहीं२४ सीनलनासुहावै २५कहाँवस्त धापन ही २६सर्ववस्त अतिप्रीतिरहै २७ भोजन कांग्रहहोय२८
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१९४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग भूषपणीलागे २९ नकसीरादिकहोय ३० मलपतलोरहै ३१ मलग रमऊतरै ३२ सूत्रगरमऊतरै ३३ मूत्रछुहोय ३४ वीर्यको अल्प पणहोय ३५ सरीरगरमरहै ३६ पसेवयणनावे ३७ पसेब मैं दुर्ग चित्रप्रावै३८ हाथ पगांमैव्याऊघणी होय ३९ सरीरमें फूटलीपरफो उफुलसीघणीहोय ४० येचालीसरोगगरमीकाडे प्रथयेसाराही पित्तकारोगत्यांका सामान्यपणांसूंजतनलिष्यते गांव की छालिनेयादिलेरतीषाद्रव्यकाषावासूं मिश्रीनेत्रपादिलेरमीग द्रव्यकाषाचासूं चंदननेंत्र्यादिलेरसीतलयस्तलिंगावा सीतल पवनकासेवासूं सीतलछायाकारहवासूं रात्रिमें रहवासू षटका वीजणांकापवनसूं चंद्रमाकीचांदणी तहर्षानाकारहवासूं. इ धकापीवासूं जुलाबकालेवासूं रुधिरकाकढावासूं इतनीयस्तां काकरिया पित्तकारोगदूरिहोय इतिपित्तव्याधिकी उत्पत्ति लक्षणजननसंपूर्णम् अथकफव्याधिकी उत्पत्तिलक्षण जननलिष्यते भागरीवस्तकाषा वासूं मीठी वस्तकाषावासूं घणी चीकरणी वस्तकाषावासूं मंदाग्निसूं घणादही काषावासू दिनका सोवासूं सीतलवस्तकाबाबासूं घणावैगर हवासूं इतनीवस्त
कफको कोप होयछे परभातसमे भोजनकरिचुके जाबच तवसंतरितुमैं कफको कोपहोयडे अथकफकावीस २० रो गछैयांकोलक्षणलिष्यते मूंढोमी गेरह वोकरे ? मुषकफसूं लिप्योरहै २ लालपडै ३ नींदीचे ४ कंठमैघूघरोबोर्ले ५ कडवारसकी वांछारहे ६ गरमवस्तकीयांछारहै ७ बुद्दिकीजड गार है - चेन थोडोर हे ९ आलसघलोआवे १० भूषलागेनहीं ११ मं दाग्निहोय १२ जंगलघुणोजाय १३ मलसफेद होय १४ मूत्रघलोउतरे
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१९५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ९ मूत्रसुदहोय वीर्यकाअधिकतापगाहोया७निश्चलपणों रहे सरीरभारीहोया९सरीरठोरहे २० येकफकाचीसरोग छै अथकफकारोगांकोसामान्यजतनलिण्यते लूषीवस्तका षावासू कसायलावस्तकापावासं करवीयस्तकापावा षेदका करियासंकुरलांकाकरानाएं यमनकाकरावासू पसीनां संघ नकरावा तिसकारोकिवायूं हुकाकापीवासू कुस्तीकाकारवासू जलकारा गरमवस्तकापावासं चित्रककाषावासू नासकाले वासू मारगकाचालला जागिया मेथुनमंइतिनीवस्तका करिवा कफकावीसरोग(रिहोयछै इतिकपत्याधिकी उत्पत्तिलक्षराजतनसंपूर्णम् इतिश्रीमन्महाराजाधिराज महाराजराजराजेंदीसवाईप्रतापसिंहजोविरचितेश्रम तसागरनामग्रंथेउरुसंभग्रामवातपित्तव्याधिकफच्या थियारोगांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षाजतननिरुपरांना मनवमस्तरंगःसमाप्तः९ अथवातरक्तरोगकोउत्पत्ति लक्षगजननलिष्यतेलूराकाषावासू उन्हीवस्तकाषावासं श्र जीर्ण गल्यांमांसकाषावासू बडामूलांकापावा कलस्थकापा वामू उडदकाषावा घशीतरकारीकाषावासं दारुकापासव • कापावासू मांसकाषावासू मांछतीकाषावा दहीकापावासू कांजीकापावासं निरुद्धवस्तकाषाया अजीर्णभोजनकरयां मूं क्रोध दिनमैसोवासू हाथाघोडाउंटकादोडावा इतनाव स्तां सूकुमारपुरसकै सुषीपुरसाकै वातरक्तकोआजारकोपळू प्राप्तहोयछै अथवातरक्तकोस्वरुपलिष्यतेसर्वसरीरमैलोही दग्धहोजायछे पाछेयोरक्तपुष्टहुवोथकोदोन्यूपगामैचुयवालागिजा
यो।
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१९६, अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० अथवातरक्तकोपूर्वरुपलिष्यते पसेवयगांधावै अथवाया नहीं सरीरकालोपडिजाय शरीरकास्पर्शकोग्यानहोयनहींथो डीसीचोटमेंपीडघगीहोय संधिसंधिसिथलहोयजाय पालस घोंपावै सशरमैफणस्यांहोययावे गोरा,जांयांमें कारमें हाथ पगांकीसंधिमैपीडाहोय सरीरभास्योरहैसनोहोजाय सरीरमैं दाहहोय सरीरकोरंगोरसोहोजाय सरीरमैलालचागपडिजा ययेलक्षणहोयनदिजाणिजेवातरक्तहोसी अथवायकाम धिककोवातरक्तकोलक्षालिष्यते पगामैसलादिकघी होय अरफरके अरसोजोहोय परलूषाहोय अरकालाहोय अरचोवी नाड्यामें अरांगुलीकासंध्यामेसंकोचहोय सरीरज कडवंधहोयसरीरकांपेअरसरीरसंनोसोदीसै येलक्षणाईमैहो यतोचायकाअधिककोवातरक्तजाणिजे अथरक्ताधिवातर तकोलक्षालिष्यतेजोमैंसोजोहोय पीडधणीहोयललायी नेलीयांहोयजीचिमचिमीहोयषुजालिहोय येजीमेलक्षराहो यतीनैरक्ताधीकवातरक्तकहिजे अथपित्ताधिकवातरक्तको लक्षरालिष्यतेजीमैंदाहहोय मोहहोय पसेवनानै मूर्खाहोयम दहोय तिसहोय स्पर्शसद्योजायनहीं पीडाहोय सोजोहोय पकि जाय गरमपरगोहोय येलक्षराजीमैं होयतीनेपित्ताधिकवातरक्त कहिजे अथकफाधिकवातरक्तकोलक्षगलिष्यतेसरीर मैंसलपडिजाय सरीरभास्योहोजाय सरीरसोजायसरीरचीक गोहोजा यसरीररंटोहोजाय सरीरमेंघुजालिया येलक्षणजी मेहायतानकफाधिकवातरक्तकहिजो अरयेसर्वलक्षराजीमैं होयत्तानेसन्निपातकोवातरक्तकहिजे अथवातरक्तहा
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१९७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग " थांमैहोयछैनीकोलक्षणलिष्यतेजैयांपगथलामेंहोयतैसे हीहथेलीउपरिपुरणस्याउगेरेहोयछे पाछैसारासरीरमैहोय२ अ थवातरक्तकोअसाध्यलक्षालिष्यते पगथलीसूलेरगोडांना ईफुगस्याहोय अरफारिवालागिजाय परचुयवालागिजाय रपलमांसअग्निकोनासहोजाय बोवातरक्तपासाध्यजालिजेपर ईनेवरसयेकको जायजाणिजे ३ अथवातरक्तकाउपद्रवलि प्यतेनांदावनहीं रुचिजातीरहै सासहोयाचे मांसगलिजाय मथवायहोय पीडाहोय तिसहोयजुरहोय मोहहोय सरकांपे हिचकीहोय ांगल्यांगलिवालागिजायव्योचीहोय फुपस्यांपाक जाय पाडहोय भौलिया प्रांगल्यांगांकिहोजाय फोडांमैंदाहहोय येईकाउपरबछै अथवातरक्तकाजतनलिष्यते वातरक्तचा लाकैलोहीकदाजेजोकांकरिकै अथवासींगीकारक अथवापाछ लाकारक अथवासीरकरिके पलिलोहीअत अनुमानमाफिक करराजे वायरधनहींजेगनाईभरवातरक्तगाला.इतनोवस्तक रिसोनोग्पनहीं दिनमैसोचोकोपकारपोषेदकरियोमेथुनकारियो कडवोपावो गरमवस्तकोषावो भारीवस्तकोषायो लूकोषा को पटाईकोषाचो इतनावस्तकोकरिवोजाग्यनहीं अरअननीय स्तकोकरियोजोग्यछ पुरांगाजव पुराणागोहूंपुराणीसालि रचनी यस्तषाजे अथवालाची नीनर वरेर अरहडपए मूंग मसूरक लव धणों चिरपोटणि चथयो लूगष्यो चालबोक्थवाकोभेदब करीकोंतबकरीकोथ इतनीयस्तकोकरियोजोग्यछै अथवा अरंडकाजउ गिलवैयांकोकादोजोग्यछै अथवागूगलटंक। गिलवैकाकादासूलेबोजाग्यछै१ अथवा अरंउकोतेलरंका
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१९८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० गिलवेकाकादामैनाषिपातीवातरक्तजाय अथवा मंजिष्ठारिकका कादा वातरक्तजा.सोलिपूंछ मजार त्रिफला रुटकी चदारह लद गिलये नांवकीछालि येसर्ववरावरिले यांनजीकूरकाररंक॥ कोकादोरोजीनालेतो वातरक्तनै कोटने पांव फोडाने यांरोगांनयो इरिकरैछै येकमंडललाईले इतिलघुमंजिष्ठादिककाथ अथ वा गिलवे गावची पपाड नींबकाशासि हरकीछालि हलराव पाअईसो सनावरी नेत्रपालो परै महलोग महनो गोपर पो ल षस मजार रक्तचंदन येसर्ववरावरिले पाठे यांनजीटक रिंकाकोकादोरोजानालेती वातरक्तनै कोदनै पांव दाद. यांरोगानयोकादोरिकरे? इतिराच्यादिकाथ येसर्वभा वप्रकासमैछ अथवा सोध्यो सागगउसेर पापांसेर:५४ हरडैकाडालिसेर बहेडाकाडालिसेर गांवलासेर १ गिलने रका ३२॥भर यांसारांनैकूटिचोसष्टिसेरपाणीमैयांसारोपयां नैनोरावे पाछैयांगोषयांममेनपाएगीाधोधायरहै तदिईनै नारिछापिले पाडेपोरकराहीमै पालिवेनैं औरायगायेकरै पाठे ईमेयेोषदिनांये पारोरंकशा वायविडंगदंकानिसोतटकर॥ गितवैटंक २॥ दांयूएगीरंकशाप्रथमपारागंधककाळजलाकरे पाछेकजलीमेयेओषदिमिहींगारिमिलाय येसारीखेंगूगलमैंना पै यांसारांकोयेकजीनकरै पाछेमासा ४ अथवा मांस- रोजी नाईनमंजिष्ठादिककाकाटा लेतो गानरतने फोडाफसाने जानें षासनै गोलाने कोदनैं सोजाने पदररोगने पांडुरोगनें प्रमेह, मंरागिने यांसारांरोगांनेयोहरिकरे ईकोषावावाती रचनीयस्तकरेनहीं भेदकरेनहीं ताडैरहेनहीं अमिकनेजाय
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१९९
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
१
नहीं घटाईषायनहीं मांसदहीषायनहीं मैथुनकरैनहीं मार्गचा लैनहीं तावडेरनहीं बुषायनहीं नेलषायन हीं इति किसोर गूगलसंपूर्णम् अथवा भिलावाभास्याजल में डूविजाय सा सेर २ ले त्यांकामूंदाघोरसूंघसिसेर १६, पाणी घालावे हैं मटतापांणी में गिलवेसेर ९२ कूटिनांषै नदिईयाणीको चतुर्थोस रहे नदिईमेयेऔषदिकूटिनांषे सोलिबूंं गिलवैकथा वाच चीटंक २॥ नींबकी छालिटंक २॥ हरडेकी छालिक २॥ वलाटंक २३।। हलदटंक २|| नागरमोथोडंक सातजटंक २॥ इलायचीटंक ५ गोषरूटंक ५ कन्नूरटंक ५ रक्तचंदनटंक ५ यांनेमिहीनांटिइभि लावासमेत एकजीवकरि अमृतवानमेंरा पाछैईनेटंक ५ज लसूंरोजीनांजलसूंलेतौ वातरक्तनै कोटनें ववासीर विसर्पने पांवने वायका सर्वविकारानें रुधिरकासर्वविकारानें इतनांरो गांनैयोइरिकरैछे ईकोषावावालोइतनी वस्त करैनहीं वेदकरे नहीं तावडेरनहीं अग्निकनेरहेनहीं घटाईपायनहीं मांस षायनहीं तेललगावैनहीं मार्गचालनहीं इतिअमृतभल्लान कावलेहसंपूर्णम् अथवा अलसीनेदूधर्मैपीस अथवा डकी अरंडोलीनेंदूधर्मेवारि हाथपगांकैलेपकरे तो वातरक्तजा या अथवा गौरीसर राल मोममजीठ येबराबरिले खानेतेल मैंषकाचे पाछेंईकोमर्दन करेंतो वातरक्तजाय १ अथवा भरंड कीजड गिलचे अरडूसो यांकोकाटोकरि गूगलमासा ४ परं उकोतेलटंक 20 नांषिपीवनों वातरक्तनें मूर्छाने मथवायनें सास नैं फोडानैं यांनेइरिकरैछे येवैद्यरहस्यमैछे अथवा हरताल कापत्र चोपालेत्यांनेसाठीकारसमेंदिन २ परलकरे पाछेवेनें गाढो
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२०० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग " करि काटीकाकारसकायलेपाछैमादीकाधारकैवाचि हरताल काटीकडीमेलिटाकरामैं पाछैनोरीकरोचूल्हाउपरिचढावे पाछैम धुरामांचदेदिमपांचाताईरातीदिन पाडेवेनेसांगसानलहवांकाटे वाहरतालसुपेदनीकले तौलउतारे पाडैनैरतीयादिकका काटाकासाथिषायतौ यातरक्तनें पराप्रकारकाकोटमैं फिरंग बाय. विसर्परोगनें पांवने फोरानेसर्वरोगांनेयोडूरिकरैछै ईको पावावालोलापाई करनोरस तावडरोअग्निकनैवैटियो येडो डै अरसाधोलूणषाय मागेरसपाय इतिहरनालकेस्वररसः याहरतालकीकियाछै भावप्रकासमैंलिपाछै इतिवानर क्तकोउत्पत्तिलक्षराजतनसंपूर्णम् अथमूलरोगकाउ सत्तिलक्षराजतनलिष्यते सूलरोगाठप्रकारकोछै बायको १पित्तको कफको ३ सन्निपातको ४ आपकारसको ५वातक फको कफपित्तको ७ वातपित्तको- अथवायकासूलको उत्पत्तिलक्षगलिष्यतेषेदसूं घोडादिकांबादौडापासूं अतिमै थुन पणजागितामूं घगाजलादिककापावासूनोटकालागि .या कसायलीवस्तकाषावा करीवस्तकापावा भेयाअन्नकाषागझू विरुहवस्तकापावासमकामांसकाषावासं मलमूत्रका रोकिवा मैथुनकारोकिया अधोवायकारोकिवा सोचकाक रिवाझं लंयनकाकरिवाएं घसाहसिवायूं इतनीयस्तासूवायवं पैनदि इतनाठिकाणाममूलकारोगर्नेप्रगटकरै हियामें दोन्यूंप सवाडामें रोमांमैं याठिकाणामें मूलचलावे संध्यासमें बादलामें सीतकालमैयामैंघलाचाले वारंवारभिजाय वारंवारचालिवा लागिजाय मलमूत्ररुकिजाय मूलचालै पाउघीहोय यावायका
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सूलकी उत्पत्तिलक्षण। प्रथपित्तकासूल की उत्पत्तिलक्ष एलिष्यते पारीवस्तकापावासूं प्रतकालीनैत्र्यादिलेरघणीतीषी वस्त काषायां गरमवस्तकाषावासूं निलांकाषावासूं क्रोधकाक रिवासूं षलिकाषावासूं कुलत्थकाषावासूं पटाई काषावासूं कांजी कापी वासूं दारूकाच्या सवकाचीवासूं बेदकाकरि बासूं तावडाका सेवां घणमैथुनका करि वासूं इतनींवस्तांसूपित्तकोकोप होया रसूलनेंप्रगटकरे नदितिसघणीलगावै दाहघणोकरे नाभिकैप सेवच्चावैमूर्छाहोय कामहोय क्रोधहोय मध्यान्हमै धीरातिमै यी रितुमें सरदरितुमै इतनीजाय- घणांकी सूलचाले तदिजाणिजेपित्तकीसूल प्रथकफकी सूल कोलक्षएलिष्यते अन् पदेसकामांसकाषावासूं मांडलीकाषावासं पेडाउगेरै दूधकाषा वास्तूं सांठाकाचूसिबासूं मैदाकाषावासूं घणामधुररसकाषावासू इतनीवस्तांसूं कफकोपकूंप्राप्तिहोयछे सूलने पैदाकरेचे हियोषे वमनसोत्र्याचे षासीहोय पीडहोय भोजनमेंव्यरुविहाय पेटमैपी उचाले मलऊतरैनहीं मथवायहायाचे सरीभास्योहोयजाय भो जनकस्यांपीडघलीहोय प्रभातसमैवसंतरितुमें घी होय नदि जाणिजेकफकीसूलछै अथसन्निपातकीसूलकोल क्षणलि ष्यते येकह्यासोपाछिलालक्षणसोसाराहीमिले तीनसनिपात कीसूलकहिजे अथत्र्यांच की सूल कोल क्षएालिष्यते आफ रोहोय पेटमैंगुडगुडशब्द होय हियोपकड्योजाय वमनावे स रीरभारी होजाय लपडे अरकफकी सूलकासारालक्षणमि लैतीनेत्र्यांवकीसूलकहीजे अथवायकफकी सूल को लक्षण लिष्यने पेडूमैं हियामैं कंरमैं दोन्यूंपसवाडा में सूलचालै जीनें
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२०२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० वायक'फकीमूलकहिजे अथकफपित्तकामूलकोलक्षरालि ष्यते कृषिमें हिया में नाभिमैसूलचाले तीनैवातपित्तकीमूलकहि जे. अथसलरोगकाउपवलिष्यते पाउघणीचाले जीमेनिस होय मूळहोय आफरोहोय सरीरभारोहोय अरुचिहोय षासहो य सासहोय येसूलकाउपदवछै अथमूलरोगकोभेदपरिणा मसूलछैतीकोलक्षालिष्यतेजेताभेदसूलपाछेतेताहीपरि गामसूलकाछै गाहापैकीउत्पत्तिछे ईमैंइतनोविसेसछै कुपि नवायहेसोकफपित्तमिलिसूलनेकरेअथईकोलक्षणलि प्यने भोजनपयांपीछेसूउउपजैतानेपरिनाममूलकहिजे थनद्रवमूलकोलक्षगलिष्यते भोजनकोपरजाय अथ पानहींपचेसदाहीसूलरहे पथ्यचालतांभाकहींतरैसूलकीसांनि होयनहीं तीनैनवसूलकहिजे अथजरपिनमूलकोल क्षालिष्यतेजोभोजनपचतांसूलहोयतीनेजरसित्तलकहि जे अथसूलरोगकाजतनलिष्यतेमूलरोगाला यमनक राजै ओरलंघनकराजे औषया पसेपलिवाजे पाचनदीजेव स्तिकर्मकराने साजीषारनेआदिलेरत्यांकाचूर्णदाजे कव्यादिकदी जे गरमगरमकुलस्थकोसेककाजे रेतनेंगरमकरिजीमेपालांनोषि वेसिजायवेनैंकपडामैंघालितीकोसेककराजे अथवाकाकिर कीमीजी कुलस्थतिलजव अरंडकाजड अलसी सारीकीजडल साकाबीज यांनकांजीमेसिजायजेठेमूलचालतेरेहीसेककराजे दौसूलजाय अथवा तिला वाटिकांजीमेसिजाय मैं नेलना पि-कोसेककराने कपडाकापोली तौसूलततकालजाया अथवा मैटसनैकांजामगांटिनाभिकैलेपकरेतोसूलजाय अथवा
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२०३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० सूरि अरंडकीजड यांकोकाटोदेतोसलजायाअथवासहि अर अरंडकाकादामें हींग संचरलूएएनाषिपवितो मूलजाया अथवा गुडौटाय तीमेजवषारनांषिपावतोसूलजाया अथवा कांसी कारुपोकातांबाकापात्रमैजलधालिजेठसूलचालेतीउपरिपात्र 4फेरैतीसूलजाया अथवा पित्तकासूलहोयतोजलावरांइरिही या अथवागुडहरडेकाछालितीमेवांटितीमेघृतमिलायषायतो पित्तकीसूलजाय१ अथकफकीसूलकोजतनलिष्यते अब लांकोचूर्णसहतमंचारैतो कफकासूलजाया अथवानीपकाछा लितीकोकाटोकरितीमेपावाकीदारुनाषिपीयैतौकफकीसूलजा याअथवाजवषार सांधोलूएप संचरला सांभरोला पीपलि पापलामूल चय चिनक सूहिसेकाहींग यांकोचरणकार ईचूर एनरंका गरमपापी लेतौ कफकीसूलजाय येजतनकर्फ कीमूलकाछै सोयहीग्राममूलकाजाणिलीज्यो अथवा राई त्रिफलाको सहनत लेनोसर्वसूलमात्रडूरिहोय। अथवा दारुहलद चोष फूठ सौंफ हींगसांधोलप यांसारानेको जीमेपासिगरमकरिसहायतोसहायतोलेपकरैतोसूलहरिहीय १ अथवा बीलकीजड अरंडकाजड चित्रक संरि सेकाहींगसी धोलर यानैंपरावारले योनीमहींवांटित्यांकोचूरगकरिटंक॥ गरमपाणीसलेतोसूलजाय अथवा पकापेठानलेतीकाटक राकरितावडेसुकावै पाछेगांकापातलकाकचोलामेंगालि गांकाकोइलाकरैजुगतिमं राषकरिदेनहीं चूल्हापरिचढायनीचे अग्निवालीकोईलाकरै पाछैयांकोइलानैवाटिईमेंसूहिकोचूर पामासा२मिलायई जल पावेतो असाध्यभामूलकोरोगजाय
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग इति कृभांडार • येसर्वजतन भावप्रकासमे अथग अजवाया सांधोलूल सेकीहींग जवषार संचरलूप हरडेकीछा छि येगरावरिले यांकोमिहीं चूर्णकरिटंक २॥गरमापाशी संलेली वा कोसूलजाय १ अथवा संचरलूाटंक १ जीरोटक ३ कालीमि रचिटंक ४ यांनमिहोपाटि ईमें मलवेदकारसकीपुर ७ दे पाछै विजोराकारसकीपुर ७ दे पाछे की गोलीमासा ४ भरकीबांधे पा छेंगोली १ रोजी नांगरमपाणी सूंलेनोवायकीसूलजाय। अथवा सूंठ हरडेकीछालि पीपलि निसोत संचरलूण येबराबरिले यां नैमिहींवांटिटंक ।। गरमपाणी सूंलेतौसूलने माफरानें बवासीर आमवातनैयोरिकरैर्छे इतिपंचसमचरण अथवा सूंडि काकादामैं अरंडकोनेलनांषि अरसेकाहौंग संचरलूल मिला यथावैतौ ततकालसूलजाय १ अथवा संकोचूर्ण संचरला सेकीहींग सूंडि कालीमिरचि पीपलि येवरावरिले त्यांकोचूर्णक रिटंक २॥ गरमपाणी सूंलेतो ततकालसूलजाय १ अथवा सो ध्योसींगी मुहरो चित्रक सूंठि कालीमिरचि पीपलिजीरो सेकी हांग येवरावरिले यांनैनिपटमिहीनांटि ईकै भांगराकारसकीपुट ३ दे पाछेई कीगोलीचणांप्रमाणबांधै गोली १ गरमपालीले तो सूलननकालजाय १ अथवा संषनैभस्मकरिले वरकएागच कीजड सेकीहींग सूंठ कालीमिरचि पीपति सांधोलूल येसर्वव रावरिले यांनैमिहीवांटिटंक २॥ गरमपाणी सूलेली सुलकोरोगजा
१ इतिसूलनासनचूर्णम् अथवा चित्रक सेकाहांग पाठ सूंठ कालीमिरचि पापलि पांचूलू जीरो धणों छड अजवायल पीपलामूल येचरांवरिले यांनेमिहींवांटि यांकैजभीरीकारसकी
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२०५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० पुर५दे पाईकागोलीबांधै पाडै गोलीगरमपासूलतोसूल मैं हियावसूलने पसराडाकीसूलने वकीसूलने अनि असी ८० प्रकारकायाय. यागोलीततकालदरिकरेले इतिचित्रकादि गरिका अथवाहरडेकाछालि मंडि कालीमिरचि पीपलि कुन चिला सोधीगंधक सेकाहींग सीधोलूग येसर्ववरायारले पाछैयाने मिहींपाटि चापमारागोलीबांधे गोली१ रोजीनांप्रभातसमैगरम पाणीसूलेनौ सूलनैं संग्रहणीने पतीसारनैं अजीर्णनैं मंदागिने यागोलीदूरिकरेछे इनिमूलनासिनीगोली अथवाकूरटंक साइंटिटंक ॥संचरलूणटंकासेकाहींगटंकायांनैमिहींगरि सहजणांकीजडकारस अथवा लसराकारससंगोलीबांधै गो लारोजीनांगरमपाणी लेतो सूलततकालजाय इतिरुचि लादिगुटिका अथवा त्रिफला सार महलो महुयो यांनैव रावरित यांनमिहापासिरंकासहतघृतमैनाटैनौषिदोसकोस् लजाया अथवा सोध्योपासेरंक सोध्योसीगीमोहरोटंका का लीमिरचिटंकर पीपलिटंक २० सूटिंकर० सेकाहींगरंक२०पाचूलगरका पाभर अमितीकोषारटकाभर जंभारीकोरसरका नभर अरसंषनैंगर ७ दग्धकरितांकोटकानाभरले पाछैयां सारांनेयेकाकार नीबूकारसमैदिन ५षरलकरै पाछैनैरंक ॥गरमपाणी लेतीततकालसूलजाय तिसूलदादानलर स अथवा हीराकसीससरमाथालाहोराफिटकडीसेर१ सांधोलूरासर १ कलमीसारासर१यांनेगारिकलाजंत्र या नेजुवाय यांकोरसकाटिलेचीपीकावाससमें पाछैमासोरोजी नांजाभकै मृतलगाल परईनेदांताकैलगावैनहीं इसीतरैती
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२०६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सूलरोगनें गोलारोगनें फीयानें उदकारोगने बनासीरने जाएं नैं वायकारोगर्ने यांसारांनेयोहूरिकरैर्डे इतिसंषद्राव अथवा सोधीगंधक प्राधोसोध्योपारो यांदोग्यांकी बराबरिसोध्योकं टकवेधी तांबाकापत्र यांतीन्यांने परवमैंघालिमर्दनकरीदिन १ पाछैयांकोगोलोकरि झंडी में लाभरि तीकैचाचियोगोलोमैले पा छैद्यांचदिन ३ की देर गोठानेंपकावे पाछेईनेस्वांगसीतलहवांकाटेपाईनेरती १ नागर बेलिका पानसंषुवावेतौ ननकालसूलमा त्रइरिहोय' इतिसूलगजकेसरीरसः अथवा जीरो सूंठ काली मिरचि सेकी हींग वच येवरावरिले यांनैमिही पीसिटंक २॥ गरमपालीलेतो सूलजाय अथवा चिफलाटका १। सोधीगं धकटंक ५ सारटंक २।। यांनेमिहींवांटि यांकोयेकजीवकार पाउँ सहनटंक २॥ घृतरंक २।। यांदोनांकी साथि यांनेलेतौ सूल माचनें वायकाविकारनें फोडानें महीना ३ सेवनकरयां यांनेदूरिकरैछे ? इतिगंधकरसायनम् अथवा गुटकाभ्यांवलाटका १| मांडू रटका ३शभर यांसारांनेमिहीवांटिटंक २॥ सहतघृतकै साथिई नषायतो सूलनें अनइवनें जर ित्पत्तनै श्रमलपित्तनें परिणा मसूलने योइरिकरैर्चे इतिगुडायमंडूरम् अथवा वायविडंग चित्रक चन्य त्रिफला ठि कालीमिरचि पीपल येसारावरावरि ले अरयांसारांकावरावरिमंडूरले यांवरावरिगुडले पाडेयांसारां सुंदसगुणोगोमूत्रले पाछेयांनेकडाही में पालि मधुत्र्यांचसूं पकावै छैयांकोएकपांडोकरि चीकरणावास में मेलिराये पा छैईनेटेक भोजनकैपहलीलेतो सूलनें पंक्तिसूलने कामलारो गर्ने पांडुरोगनें सोजानें मंदाग्निनें बवासीरने संग्रहणीनें कृमिरो
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२०७ . अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० गर्ने गोला. उदरकारोगनें अम्लपिन यांसारानेयोहारिनरैछै १ इतितारामंडरः अथवा हरडैकीछालि सुहागो सूरि काहींग कालीमिरचि चित्रक सोधीगंधक सीथोला येसारापरावरिले यांसारांकावरावरिकुचिलाले पाछेयांसारांनैमिहींपाटियाकोए कजीवकारमासोजलझूलती सूलनैं श्राफराने बंधकुष्टनै कफ काआजारने अजीर्णने मंदाग्नि जरने यागोलारिकरेछै इ तिसूलगजकेसरीराटिका अथवा कागचकीजड सेकीही गसेक्योसुहागोभूठियेसारावरावरिले यांनैमिहींपाटिरंक २॥ गरमपाणीलेतो महामूलरिहोय येसाराजतनवैद्यरहस्य मैछै अथवा निसोन वायविडंग सहजपाकाफली हरडैकी उालि कपेठो येसारापरावरित यौनमिहींपारियोडाकामूत्रमैप कायले पाछेनैकशमीनाकादारूकै साथिलेतो वायकीमूलजा या योचक्रदत्तमैले अथवा सेकाहींग अमलवेद पापलि संचरलूप अजवायाजवषारहरडैकीछालि सांधोलू येसर्व वरावरिले यांनमिहींवांटिटंक २॥ पीवाकीदारुकैसाथिलेतीवाय कीमूलजाय। अथवा संचरला अमलवेद जीरो मिरचि ये सारायकस्येकडूगोले यांनाभहींवांटि विजोराकारसमेंगोलीक रैपाछैगाली गरमपारी लेतीमूलजाया इतिसोवर्चला दिगुटिका अथवासेकाहींग अमलवेद सूहिकालीमिरचि पापलि अजवायणि संचरलूरा सांभरोलूए सीधोलूरा येसर्व वरावरिले यांनमिहीनारि विजोराकारसमैंगोलीकरे पाछैगोली १ गरमपाणीसंलेतो सूलजाय इतिहिंग्वादिकटिका अथवा विजोराकीजउटंक तीनोमहींपांटिघृत पीवेतो या
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૨૦૮:
अमृतसागर तथा प्रतापसागर वरंग कीरोय) इतिविजैपूरादिजोग येजननसर्वसं ग्रहमैं अथवा सूंडि कालीमिरचि पीपलि संचरण यांनैव रावरिले पाछैयांनैमिहीनांटि विजोराकारसकीपुट ३ दे रससुका यले पाछैईनैटंक २॥ सहनमैंचाटेंतो निदोसकीसूलइरिहोया अथवा संपकीभस्म संचरलूण सकीहींग सूंठ कालीमिरचि पीपलि येसर्ववरावरिले यांनी महीं वांटिटंक २शा गरमपाणीसूंले नोविदोसकी सूलजाय १ अथवा हलद सहजगांकीछालि सां धोलू अरंडकीजड भैसागुगल सिरस्यूं मेथीदाणां सौंफ म सगंध महुवी यांनैवरावरिले यांनेंमिहींवांटि कांजी कापाली मेरो टीकरि वेनेंपकाययग्निऊपरि पाछेवैकापेटऊपरिसेककरैतोपे टकीसूलंडूरिहोय? अथवा कोड्यांकीराम सोध्योसींगी मुहरो सीघोलू सूंठ कालीमिरचि पीपल येसर्वचरावरिले यांनेमिहीं चांद नागर वेलीकारसमै गोलीरती १ प्रमाणबांधे पाछैगोली १ रोजीनांषायती मूलकोरोगजाय। इतिसूलगजकेसरीरसः अथवा पारो सोध्योगंधक अभक तामेस्वर अमलवेद सोध्यो सीगीमुहरो येवरावरिले पाछ्यानैमिहांचारि वादाकारसमैरनी३ प्रमाणगोलीकरे पाछेंगोली १ रोजीनांजलसूंनी वायकीसूल इरिहोय १ इतिच्यग्निमुषरसः अथवा वडासंषनैवार २१ ग रमकरिनींबूकारसमें बुलाने पाछेवैको चूर्णकरै पाछेद्यामिलीको बार ईमेटका १। भरनाषै संचरलूटंक ५ ईमैंनाषि सीधोलूट का १| भरमेनांष सांभरलूटका १| भरईमैंनांषि सरकचलू बिडलूटका ।। येकेकभरनाषै सूंठमासा ६ मिरचिमासा६ पी पलिमासा नांवे सेकाहीं गटका ११ भर सोधीगंधकटको १ भर
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पारोटका १ भर सोध्योसींगी मुहरोटक ५ पाडेयांसारांनेमिहीयां टि अरपारागंधककी कजलीकरिईकजली मैयांसाराने मिलायपा छैयांकोएकजीबकरियां की गोली छोटाबोरप्रमाणबांधे गोली लबंगकाकाटासूंलेतौ सूलततकालदूरिहोया इतिसंषवटीरसः अथवा सीपांकीभस्मटंक २॥ नातापासूंपीवैतो भोजनकरा पाडेसलचालै सोहूरिहोय' अथवा सोध्योपारोटक १ सोधी गंधकटंक सोध्योसींगी मुहरोटक । कालीमिरचिटका १| पीप 'लिङका २|| काकडासींगीट का २ सेकी हींगटक २) पांचू लूटका ८। मामली कोषाररका नजंमीरीकारसमें बुलाई संघकीभस्मट का नभर प्रथमपेोरागंधककी कजली करे पाछैईकजलीमैयेसा शोषदिमिलाय नींबूकारसमैयेकजीवकरै पाछेकीगोलीट क१। प्रमागगोली बांधे पाछैगोली १ जल सूंले तौसूलने वजी एनिउदर कारोगनैं मंदाग्निनें दूरिकरे इतिसूलदावानल रसः येसाराजतनसर्वसंग्रहेग्रंथमे प्रथपसवाडा कीसूलकोजतनलिष्यते सांगीमोहरो हरताल हांग राई नौसादर मेएासिल लसण बचएलीयो यांनेबरावरिले यांने मिहीनांदिगरमपाणीसूंडे गरमसुहावतो लेपकरेती पसवा डाकीसूलजाय इतिसूलरोग - प्रकार की अरपरिणामसू लभ्प्रन्नद्रवजरत्पत्त का जननसंपूर्णम् इति श्रीमन्महा राजाधिराजमहाराजराजराजेंद्रश्री सवाईप्रतापसिंहजीविरचितेअमृतसागरनामग्रंथे वानरक्तसूल परिणा मसूल अन्नद्रव जरपित्तयांकी उत्पत्तिलक्षणजनननि रूपणनाम दशमः स्तरंगः समाप्तः १०
अथउदावर्त्त
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१०
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१० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ११ रोगकीउत्पत्तिसक्षराजतनलिष्यते मनुस्यकैनेरा१३ वस्तका धारणकस्यांसंउटावर्तरोगपेदाहोयछै सोतेरावेगालिबूंडूंत्र धौगायकोवेगासमलकोवेगर मूलकोवेगजंभाईकोवेग अश्रु पातकोवेग ५डककोवेग उकारकोवेग७ वमनकोवेग मेथु नकोवेग ९क्षधाकोवेगावषाकोवेगास्वासकोवेगारनिदाको वेगा३ यांनेरांवेगानेजोमनुस्यरोकैतीकैउदरावर्तकोरोगपेदाहोया 'अथअनुक्रमसूअधोवायनेबादिलेर १३वेगलिष्यात्यांका. लक्षालिष्यते अथअधोवायनैरोकेतीसंरोगपैदाहोय सोलिष्यतेजोअधोवायनेरोके ताकमलमूत्रकारोकिचाकोरोग होय आफरोहोय पेडूमें पोतामें इंडीमैं पीसहोय अरपेटमैवाय काऔरभीरोगपेदाहोय तीने अधोगायकारोकिवाकोउदावर्नरोग कहिजे। अथमलकारोकिवाकाउदावर्त्तकोलक्षालिष्य ते पेटमेंगुरगुडाटशब्दबोले पेटमैमूलनाले पेडमैपीडाहोय मलउतरेनहीं उकारयणीयावै मलमूटोमैनिकलिावै येजीमें लक्षणहोय तीनेमलकारोकिवाकोउदावर्तकहिजे २ अथमूत्र कारोकिनसकाउदावर्त्तकोलक्षरालिष्यते पेमैंरंद्रामैसूलहो य मूत्रकष्टमंउत्तरै मथवायहोय आपविनांहिपेड़, आफरोहो यतो सूत्रकारोकिनाकाउदावर्तजाणिजे३ अथजंभाईकारोकि पाकारदावर्त्तकोलक्षालिष्यतेजीमेकांधीगलोरुकिजाय माथांकाधिकारहोया जंभाईघणीचा बायकापोरविका रहोयनेबांमै नासिकामेंपीडपणाहोय कानमैपीउधणीहोय येत क्षराहोयतदिजाणिजेजंभाईकारोकिवाकोईउदावर्त्तछै४ अ थांसूकारोकिवाकाउदावर्त्तकोलक्षालिष्यते आनंदका
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११
२११ मृतसागर तथा प्रताप सागर तरंग धांसू रोके अथवासोचकाच्यांसूने रोकैती वेकें मांथो भाग्यो होय रनेत्रकाआजारहोय ५ अथछीककारोकिवा का उदावर्त्तको लक्षणलिष्यते कांधीमुडैनहीं माथामैसूलचालै आधासीसीहो य सर्वइंद्री दुर्बल होजाय ६ अथडकारकारोकिचाकाउदाव कोलक्षणलिष्यते कंठरमृटोभोजनसंभारखोदीर्षे मोहनिप टघलौदीषे सरीरमें विथाहोय पवनसरैनहीं और वाय कापलावि कारहोय ७ मथछर्दिकारोकिवाकाउदावर्त्तकोलक्षणलि ष्यने सरीर में बुजालिहोंय दाफडहोय अरुचि होय मूढाऊपरिखा यपडिजाय सोजोहोय पांडुरोगहोय जुरहोय कोटहोय हियो विसर्परोगहोय - अथशुक्रकारोकिवा काउदावर्त्तकोलक्षएालिप्यते पेडूमैं गुदा मैं पोतामें इंद्री में पीडहोय परसोजोहोय मूत्ररुकिजाय वीर्यच्यापरतो इंडिमेसूं पडिवालागिजाय पथरीको आजारहीय नेत्रकाविकारहोय ९ अभ्रभूषकारो किवाकाउ दावर्त्तकोलक्षएालिष्यते तंद्राहोय हामांमेफूटली होय अरुचि होय विनाश्रमहीश्रमहोय सरीरक्षीणपरिजाय दृष्टिमंदहोजाय १. प्रथतिसकारोकिवा काउदावर्त्तको लक्षणलिष्यते कं उमूंदोसुकै थोडासु हिया पीडहोय ११ प्रथस्वासकारोकि वाकाउदावर्त्तको लक्षणलिष्यते दौडतांसास होयद्याचे तीने रोकेजीकेयेलक्षणहोय हियोइये मोहघणो होत्या पेटमें गाला कोरोगहोय १२ अथनींदकारोकिवा का उदावर्त्तकोलक्षण लिष्यते जंभाईपणीच्या अंगामैकूटणीहोय अधिभारही मांद्योभास्योहोय तंद्राहोय १३ अथउदावर्त्तकी उत्पत्तिलिष्य ते कोठामैंरहतोजोवाय सोलुषाकसायला कडवाभोजनासूंकु
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२१२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ पिनहयोथकोउदावर्तरोगकरेछ अथउदावर्त्तकोसामान्यल
क्षालिष्यतेजहांबायकोउर्धनमहोजायनीनेउदावनकहिजे १ अथउदारतकोविशेषलक्षालिष्यते कफमेदनेवहवाचा लीज़ोनसा सोअधोवायनै अरमलमूत्रने उंचोलेजाय अरमलने सुकायदे अरहियामैं पेड़मैसूलचाले यमनसोराले अरुचिहोयथ रअधोवाय मलमूत्रयनिपटकष्टसूउतरै सास पास पानस दाह मोह तिसवर यमन हिचकी मांथाकारोगहौलदिल सणेथोसे अरचायकापणाजारहोय अरतिसकरिकैंपीडित अरसरीरक्षी लपरिजाय सूलपणीचाले मलकोवमनकरै इसाउदावर्त्तवान लोमरिजाया अथकमरिकै उदावतकाजतनलिष्यते अधोचायकारोकिवासूउपज्योजोउदावर्ततीनेनेहपानकराजैतो उदावर्तजाय अथमलकारोकिवाकाउदावर्त्तकोजनन लिष्यने ई-जुलावदाजे परमउनैंरिकारवावासाओषदीरी जैसाहीअन्नदीजे फलवलिंदाजै नेलकोमर्दनकीजे नास्तिकर्म कराजे अथमूत्रकारोकिवासूउपज्योजोउदावर्तनांकाजत नलिष्यतेजवषाररंकावरंकायांनेपालीमैमिहींपाटिपाचे तौमूत्रकारोकिवाकोउरावर्नमाया अथवा कपाली अर्जुन बछकीजडईकोकाटोलेतीमूनकारोकियाकोउदायर्त्तजायाय थवा तेवरसीकाबीजत्यांनैपापणीमैयाटिजीमेसीधोलपनांषि पावनीमूत्रकारोकियाकोउराव-जायाअथवा मिश्री सांगको रस इधदाषांकोसरचतपावनौमूचकारोकिवाकोउदरावर्त्तजाया अरऔरभापायकारोगजाय। अथां कारोकिवा उप ज्योजोउदावर्ततीकोजतनलिष्यतेनेहकापान अथवा
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२१३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग " मर्दनकीयांसू अथवा ईसंपसेवलिवायांसंयोजाय अरऔरभीयायकारोगजाय२ अथाकारोकिवासंउपज्योजोउदाय
नींकोजतनलिष्यते ऊंचाप्रकारसुंरुदनकरै अरआंसूकार्दै तो अथवा सुषपूर्वकाछीनरैसोवैतीयोजाय१ अथवा म नोहरकथासुरोतोयोजाय ३ अथडीककारोकिपासूउप ज्योजोउदावर्तनीकोजतनलिष्यते कालीमिरचि राईनक डीकपीनेंपादिलेरतीकीनांसदेतो अथवा सूर्यनेदेषितीकरिडी कलेतोउदावर्नजाय अथवा तैलमर्दनकरायजे अथवा पसेपलि वावेतीयोरोगजाय ४ अथडकारकारोकिवासंउपज्योजोउ दावर्त्ततांकोजतनलिष्यते तेलकामर्दनसं प्रस्वेद योजाया अथडर्दिकारोकिवा उपज्योजोउदावर्ततीकोजतनलि. इनैवमनकराजे लंघनकराजेजुलावदाजे नेलकोमर्दनकराजैव स्तिकर्मकरानासिका पाणीपाजेतीयोरोगजाया अयशुक्र कारोकिवासंपज्योजोउदावर्त्ततीकोजतनलिक सुंदरषोड सवरसकास्त्रियां भोगकराजैतोयोजाय अथवा तैलाभ्यंगक राजे मदिरापाइने कडाकोमांसचाजेसाठीचाचलपुवाजे व स्तिकर्मराजेनोयोरोगजाया अथभूषकारोकिवासूउपज्यो. चीकगागरम हलकारुचिकारी हितकारीभोजनकराजे सगंध पुष्पांकोधारणकाजेतीयोरोगजाया अथतिसकारोकिवासू उपज्यो सीतलकियासर्वहितकारीफंचाराचादरिउगैरेजलकी डासाराईनहितकारीअरसीनलजलमैंभीमसेनाकपूरनांषितीको सनेसनेपानकरेनोयोरोगजाय अथश्रमकासासरोकिवाउ वेंकोदरिकराजेविश्रामकरिअथवासोरवाकैसाधिचावलषु
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२१४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ११ वाजेतीयोजाय। अथनींदकारोकिवासंउपज्योजोउदावनती. गरमधमेंमिश्रीनांषिसुहायतोसुहावतोरुचिमापिकपाजे अथ या सुषसंसोज अथवा मनोहरकथासुगाजेतीयोरोगजाय १३ अथल्यावस्तकापावासंउप हींगसहतसींधोलूपा यांनैपि सियांकापनाकरिधुनमंचोपडिगुदामैंमेलै सुहायतोजेठाताईतो योउदावर्तजाया इतिहिंग्वादिफलवर्ति अथवा मैदल पाप लिकूर वच सिरमगुडयांने दूध बाटि यांकीपातीकरि गुदामैंसुहावनीरातोयोउदाव-जाया इनिमदनफलादिफलपति
अथवा पांमटकाानिसोनटंक २॥ पापलिटंक ५यांकोचूर्णक रिभोजनकैपहलीटंकासहन लेतोमलगादोदोहरोउत्तर लोहोयतोहरिहोय योउदावतर्दसूजाया इतिनाराचचूर्णम् अथवा सूंधि मिरचि पीपलि पीपलामूल निसोन दांयूपी चि अक येसर्वबराबरिले यांनैमिहीवांटिटंकागुडकैसाधिपरभा नहीजल लेती उदावर्त्तनैं फायाने गोलानैं सोजानै पांडूरोगर्ने योडूरिकरैछै इतिगुडाष्टकम् अथवा स्कीमूलीसाठीकोज ड पीपलि पीपलामूल चव्य चित्रक संसि दसमूल किरमालाकी गिरि यांोषद्याने घृतमैपकाजे पाछेत.षायनोसर्वप्रका रकोउदावर्नजाया इतिशुकमूलकायंतम् येसर्वजतन भावप्रकासमेलिष्याछै अथवा साध्याजमालगोटा पारो सो धीगंधक सेक्योसुहागो सूहि मिरचि पीपलि येसर्वबराबरिले प्रथमपारागंधककाकजलीकरैपाछैयेोषदिईकजलामैमिला ये पाछैईनैरती४अथवा मासोमिन्त्रीकैसाथिलेतो उदायत्त आफराने उदरकारोगर्ने गोलाने योरिकरेंछै१ इतिअजेपाल
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१५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ११. रसः योवेयरहस्यमैछै अथवा निसोत थोहरिकापान निल नेपादिलेरोरगरमवस्तनीकासेवन उदावजाय अथवानिसोत दांयूपी नजथोहरिसांषांहुली किरमालो कपेलो कागच कोजड चोष येसर्ववरावरिले यांनेजोकूटकरिरंकारोजानादिन ७ कादोदेकाटामैंनेलटंक २॥धृतरंक २॥नांषिलेतो उदावर्नजाय अरउदरकासर्वरोगजायाफरोजाय तिसरोगजाय गोलोजाय योकाटोइतनांरोगांरिकरेछे इतिउंदावतरोगकोउत्पत्तिल क्षराजतनसंपूर्ण अथानाहोगकीउत्पत्तिलक्षराज तनलिष्यते उदर,आंबकावधिवासं अथवा मलकावधिया सं अथवा अथोपायकारुकिवासू अथवा सरारमैडुष्पयनकावधिवासं मनुस्यके उदर में श्रानाहनामाफराकोरोगपे दाहोय अथांबकायाफराकोलक्षणलिष्यते जात्रा फराकारोगमें निसपणीहोय पीनसहोय सिरकाविकारसारा होय पेटमेंसूलहोयसरीरभास्वोरहै हियोडूषै उकारावेनहीं येलक्षणजीमेंहोय नीनेबकोग्राफरोगकहिजे। अथमल कावधवाकाग्राफराकोलक्षालिष्यते सरारजकउबंधहो य अरकाटमैपाउमें मलमैसूलहोय मूर्जाहोय मलमेंछर्दि करे सारहोय अरविसूचिकाहोय अरपाछेलक्षाकत्त्याछेसो भाहोय नरिमलकावधिवाकाबाफराकोलक्षराजाणिजे अथ ग्राफराकाजतनलिष्यते जोउदावतकाजतनपाछेलिष्या
सोहीअाफराकाजाशिलाज्योपोरक्यूविसेसलिफूंर्छ नि सोतभाग २ पीपलिभाग ४ वडीहरडैकीछालिकाभागण्यांने मिहांवांटि यांतान्यांकाबराबरिगुडमिलाय गोलीटंक १प्रमाए
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२१६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ११ करै पाछेगोली रोजीनांजलकैसाथिदिना५लेतो आफराकोया जारहूरिहोया अथवा सूहि कालीमिरचि पीपलिसीधोलूग सिर स्यूं धमासो कूट मैटल येसारीबराबरिले यांनमिहींवांटिगुडमैं मिलायपकावै पाछेवेंकीवानीकरै अंगुठासिरीसीजाडीपाछेवेंकै तलगाययावानीगुदामैंमेलेनोग्राफराकोरोगअरउदावर्तकोरोग उदरकोरोग अरपेड़कोरोग गोलो येसाराहूरिहोययेसाराजन नभावप्रकासमैंलिष्याछै इतिअनाहनामग्राफराकारोग काउत्पत्तिलक्षणजतनसंपूर्ण अथगुल्मरोगकाउत्पत्तिलक्षराजतनलिष्याते वायपिचकफहेसोमिथ्याग्रहारअरमिथ्यावि हारकाकुपथ्यपणांसूडष्टहवाथकोपुरूषांकोअथवा स्त्रियांके हियासुंलेरपेडूमाहिगोलाकैयाकारएकगांठिनैंकरे सोनोगोलो पांचप्रकारकोछै वायको पित्तकोरकफको३सन्निपानको४ लोहीको ५ अथकोष्टकविजीस्थानमैंगलाहोयसोस्था नलिष्यते दोन्यांपसवाडामेंहियामेंनाभिमैं ४ पेड़में ५ थगुल्पकोसामान्यलक्षालि हियाअरपेडूकेवीचिगांरिहो यअरफिरै अथवा नहींफिरैगोलहोय अरवथनाहोयतींनंग स्मकहिजे अरईगुल्मरोगमै अरुचिहोय अरमलमूत्रदोहोऊ तरै वायवधे यांनबोलै आफरोहोय पवनकाअर्धगतिहोय ये जीमेंलक्षणहोयतीने गुल्मकोलाजारकहिजे अथयायगोलाकीउत्पत्तिकोलसपालि लूषाअनकापावासू विषमा सनकावैगवा मलमूत्रकारोकिवाझं सोचकाकरिवासू चोटका लागिवाझं मलकाक्षीणपणालंयनकाकरिवारांविरुडाचेष्टा {बलवानसंयुद्धकरिवागांवस्तांसूबायकोगोलोपेदाहोयछे
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२१७
•अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ११ अथवायका गुल्मको लक्षणलिष्यते जोगोलाकास्थानांमैपीडा कोघटनवधनपण होय अधोवाय की प्रवर्त्तिश्राछीतरैहोयनहीं मलऊतरैनहीं मूंटोसुकै गलोसूकै सरीरकीकांतिकाली होय सीतज्वरहोय हिया कृषिमैं पसवाडा में यांसारामैं पीडाहोय हि यामैं भोजनपयांपाछै पीडाघणी होय भोजनकरयांहलकीहोय अरलूषाकसायलाकडवारसांसूंपीडावधे येलक्षणजी मैं होय तीनैंचायकोगोलोकहिजे' प्रथपित्तकागोलाकी उत्पत्तिलिष्यते कडवो घाटोती षोऊन्हूं यारसांकासे वासूं कोधकाकरि बासूं अतिमद्यकाचीवासूं नावडा कावैठिवासूं निकासेवा सूं यबकावधिवासूं चोटकालागिवासूं रुधिरकाविगडवासूं यांवस्तांसूंपित्तकोकोप होय १ अथपित्तकागोलाकोलक्ष एलिष्यते ज्वरहोय तिसहोय शरीरमें पीडाहोय सूलहोय भो जनपचतांषणापसेवत्र्याचे दाहहोय ब्रणहोय गोलाकै हाथला गतांपाडपणीहोय लक्षणहोयतौपित्तको गोलोजाणिजे १ अथकफ का गोलाकी उत्पत्तिलिष्य • इंदीवस्तकाषायासूं भा रीवस्तकाषायासूं चीकएणीवस्त काषावासू वैठारहवासू दिन कासोवासूं इतनी वस्तांंंकफको गोलोपैदा होय छे अरसर्व कारपामिलैतदिसन्निपान को गोलो पैदा होयछे प्रथकफका गोलाकोल क्षणलिष्यते जसीतज्जरहोय सरीरमेंपीडाहो य मूढांसूंकडवीषाटोनमनहोय बासीहोय भोजनमें रुचि होय सरीरभारयौहोय येलक्षणजी मैहोयनीन कफकोगोलोक हिजे येसर्ववायपित्तकफ काजीमै होयतीने संनिपात कोगोलो कहिजे" श्रथस्त्रीधर्मरूपजोरुधिरती उपज्योजोगुल्म
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२१८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ नाकॉलक्षगलिप्यते योलोहागुल्मस्त्रीकेहीहोयछै नवमांमही नांपहलीस्त्रीकोकाचोगर्भपडै कुपथ्यभोजनांसू प्रथमगर्भकारि 'तुसमें अथवा रिनुविनां तीस्त्रीकेवायसोलोहीइंग्रहणकरि गोला पैदाकरैछै वेगोलामें पीडघणीचाले वेमैंदाहहोय पर पित्तकागोलाकासलक्षणमिलेजांमै अरोसर्वजागांफिरै अं गाविनाहीनीमैसूलचाले स्वीकापेटकागोलामेंगर्भकासर्वल क्षणामिले बेनैंरुधिरउपज्योगोलाकोरोगजारिगजे पणिवेस्त्रीके दशओंमहीनोंव्यतीनहोयजुकैतदिगोलाकोवैद्यहेसोजननकरे ५ अथगुल्मरोगकोअसाथ्यलक्षालिष्यते जीमनुस्यकैगो लोफिरैनौ अथवा नहींफिरतो अरपाडयएचाले सरीरमैदा हघणों होय पथरीकासीगांडिचाहोय वागाठिमनविगाडि नांषै सगरनैंडर्बलकारदे अग्निकाबलकोनांसकरिदे नांगोला कारोग त्रिदोषकोजाणिजे योअसाध्यछै। अथगोला काऔरअसाथ्यलक्षगलिष्यते गोलोक्रम वथै जीमैंसू लचालै काछिपाकीसानाईगादोहोयसरीरडुर्बल होय भोजन मैंरुचिजातीरहै कडवोषारोवमनकरेजुरहोय तिसहोय नंदा होय पीनसहोय अरअतीसारहोय हियाकै नाभिके पगांके सो जोहोय निसघालागेयरोगावालामनुस्यकैअसाध्यलक्षण जाणिजे। अथगोलाकाजतनलिष्यते गरमधमैत्र रंडाल्याकोलेल अरहरडेकोचूनांषि रोजीनांपीवेतौ जुला बलागिकरिगोलोहरिहोया परनेल कामर्दन भागोलो जाय अथवा साजी कूट जवषार केराकोषारयांकोचूर्णक एिईमैंअरंडकोनेलमिलायीवनौयायकोगोलाजाय। अथ
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२१९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ पित्तकागोलाकोजतनलिष्यते निसोतकाचूर्णकोसेवनक राजे अथवा त्रिफलाकोसेवनकराजे अथवा कपेलानें मिश्रीके साथि अथवा सहनकैसाथिदीजैतो पित्तकोगोलोजाय १ अरचायकागोलाकाजतनसोकफकागोलाकाजाणिलीज्यो? अथवा सेकाहींग पीपलामूलधोजीरो वचचव्य चित्रक पा उ कचूर अमलवेद संचरला सांभरोलूरा सांधोलूग जव पार साजी अनारदाणा हाडैकालालि पोहकरमूल डांसस्या को अंरुषकोजड येसर्वबराबरिलेयांनमिहींचांटि यांकेआदाकार सकीपुट ७ दे अरविजोराकारसकापुट दे पाछैटंकाईनैरो जीनालेतो गोलानें आपराने ववासारसंग्रहणीने उदावर्तन उदरकारोगर्ने उरूसंभ उन्मादने सूलकारोग यांसारांरोगाने योहरिकरेइतिहिंग्वादिचूर्णम् अथवा साजीमासा ४ गुड मासा ४ या मिलायरोजीनांषायनोगोलोजायाअथवा प लासकोषार थोहरिकोपार गांधीजाडाकोषार आंमलीकोषार प्राककोषार तिलांकोषार जवषार साजी यांनेमिहींपवाटिरंक १अथवाटंक २॥ गरमपाणी लेनोगोला.सूल कारोगयो दूरिकरैछै। इतिक्षाराष्टकम् अथवा सांभरोलरा सीधोलूपा कचलूरा जवषार संचरलूपा सुहागो साजीयेवरावारले याने मिहींपांटियां थोहरिकाढूधमदिनभिजोयराले पाछेतावडे सुकापाछैयांनैाककापानांमैलपोटमांटीकावासामेमोलि गज पुरमैंपकायले पाछेई मेमूहिकालीमिरचि पीपलि त्रिफला अज पायाजीरो चित्रकयानेवाषारांकावरावरिले पाछेयानामहादा शिवापाराममिलाब, पाछैईनैटंकरगरमपाणीसंप्रथयागोमूत्रसूं
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२२० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग " लेनो गोला. सूलने अजीर्ण सोजानैंसर्वउदरकारोगनें मंदानि मैं उदावर्तन फीयाने यारोगांनयोहरिकरैछै इतिवज्जक्षारचूर्णम्
अथवा गवारकापागकीगिरि तामसूटि कालीमिरचि पाप लि सांधोलू यांनमिहींचास्टिंक २॥वेंकैलगाय इतकेसाथिरो जीनांषायतो गोलोफीयोहरिहोया अथवा गवारकापाठाकी गिरिमरा जीमैगुडरका २०० भरनाषेसहनटकाभरना था पड्याकाफूलसेर नाङ्ग संहिरका २॥ मिरचिटका॥पीपलिंट-२) तजरका॥ पत्रजटका चयटकारा इलायचीटकाराकररका शचित्रकरकाशनागकेसरिटकारागारूषकीजउरकाराअंज मोदटका शजीरोटकारा देवदारुटकाराबोलीकावकलटकाय सगंधटका। रास्नाटकाराथायरोटकाराइंद्रजवटकारा यां. मिहींपांटिगवारकापागंकारसमैनांषेपाछेयांकोयेकजावक रिचाकणावासपमैयालिदिनसचामेंगामिरा पाईनेका दिटकाशभरपातो गोलाउदावर्त्तनैउदरकाविकारवि सूचिकानें ग्रध्रसीने सांसनें षासमें पांडुरोगनें सर्ववायकाधिका रयोहरिकरैछै इनिगुवारकापाठगकोपासव येसर्वज तनभावप्रकासमैंछै १ अथवा सोरोटंकापादोटंका यांनैरोजीनांपायनौगोलोजायअथवा सांपकाभस्मटका गुडमासा.४ रोजीनांषायतो योलोजाया इतिसीपप्रयोग. अथवालसपटकारा दूधमैपचावै पाछेयांकाषीरकरै पाछे ईषीरनैं रोजानांषायतो गोलोजाया अथवा अरंडकाजड चित्रक सूरि पापलामूलवायविडंग सांधोलासेकाहींग यां कोकादोदेनोगोलोजायग्राफरो मूलजाय अथवा अजना
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२२१ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग " यतिमासा जीरोरंक ५थएोटंक ५ कालीमिरचिटंक५करावी छालिटंक ५अजमोदटंक ५ कालोजीरोटंक५सेकाहींगटंकर जवषाररंक-साजारंक-पांचूलएरंक-निसोतरंकन्दायू लाटंकी करटक१०पोहकरमूलटंकी वायविडंगटंकी अनाररागांटंक१० हरडेकीछालिटंकी चित्रकका अमल वेदटंक १० मंस्टिंकी यांसारांनेमिहींपारिधिजोराकारसकापु र दे पाछैटंकीप्रमाणकागोलाकरे गोली पृतकैसाथि रो जीनांषायतो अथवाधकैसाथिलेतो पित्तकागोलारिक रै मयसाथिलेनोवायफागोलानैंरिकरे दसमूलकाकांदा केसाथिलेनो त्रिदोसकागोला.दूरिकरे अरहियाकारोगनैं सं ग्रहणीनैं सूलनै रुमिनै यवासीरनें यागोलारिकरैछे इतिका कायनराटिका अथवा लवाभास्करचूर्णपाछेलिष्योछै नीकालेगा गोलाकोरोगजाय१ अथवा निलांकोकाटोले तौगोलोजाय१अथवा भारंगी गुर घृत पीपलि निलमूहि मिरचि यांकोकाटोदेनोगोलाकोरोगजाया अथवा पापलि भाउंगा पीपलामूल देवदारु कणगचकीज निलांकोकाटोदेनो गोलाकोरोगजाय इतिकगादिकाथ अथवा मेलसिलह रितालरुपमा आंवला सार गंध तामेसुर पारो येवरावरि ले प्रथमपारागंधककीकृजलीकरे पाछेकजलीमयऔषदिमि लाय पाछपीपलिकाकादाकारसमैंषरल करोदिनापाछेथोह रिकाहूयमैदिन १षरलकरै पाछैटेक सहलमेंले अथवागो मूत्रसंलेनो गोलो अरसूलकोरोगजाया इनिधियाधररसः अथवा पारो सोधीगंधक मेयोसुहागो त्रिफला सूहि काला
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२२२
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मिरचि पीयलि सोधीहरताल सोध्योसींगीमोहरो तामेसुर सोध्या जमालगोटा त येसर्ववरावरिले प्रथमपारागंधककीकजलीकरे पाछैकजलीमैयेत्र्औषदिवांटिमिलावे पाछे कैभांगराकारसकीपु ट ३ देरदिन ३ तांईषरलकरै पाछैईकी गोलीरती १ प्रमाणकीचां धे पाछैगोली १ आदाकारसमेलेतो गोलानेंइरिकरैर्चे? इतिगु लमकुठाररसः येसाराजतनवैद्यरहस्यमलिष्याचे प्रथ वा हाथ की सीरछुडावैतैौगोलाका सर्वरोगजाय अथवा सेकी air अनारदाणा चिडलूण सांधोलूा येवरावरिले यांनैविजो राकारसमेंबरलकरै पाछैटंक २॥पीवाकीदारुकै साथिरोज़ीनां लेतौनायको गोलोजाय ? अथवा साजी कूठ जवषार केवडा कोषार येवरावरिले यांनैमिहींवांटिटंक २|| तेलकैसाधिपीवै तो बायको गोलोजाय १ अथयोनिमेंसूलचालती होयती कोजतनलिप्यते त्रिफला निसोन दांत्पूणी दसमूल येसर्वज दाजुदारका १| भरले पायांनै जनकूटककार ईकोकाढोटंक ५ कोरोजीनांकरिछालिले पाछैईकाटामें अरंडकोलनांषि पाछेईमैघृतमिलाय इथसूंपीवैतौ योनिकीसूलरिहोय इति मिश्रकस्नेहः योजोगतरंगिणी मैंलिष्योडे अथवा अज वायणिनैं मिहीवांटिटक ५ लूटंक १| गुडटंक ५ ईमेमिलाय छाछिके साथिरोजी नांलेतौगोलोजाय भूषलागे मलमूत्र याछीनरेऊतरे योहंदर्मेलिष्यो अथवा अजवायलि सेकाहीं ग सीधोला जवषार संचरलूल हरडैकीछालि येवरावरिले यांनेमिहींवांटिटंकशाचीचाकीदारुकै साथि रोजीनालेतो गो लोसूलहरिहोय १ प्रथवा सेकीसंग भाग १२ सींधोलूभाग २
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११
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पीपलिभाग ३ पीपलमूलभाग ४ कंकोलमिरचिभाग ५ अजवा यणभाग ६ हरडेकीछालिभाग ७ अनारदाणांभाग मांनकीज डकीचकलभाग ९ चित्रकभाग १० सुठिभाग ११ फिटकडी भाग १२ यांसारानमिवांटिटंक २॥ रोजीनांपालीलेतो गोलानै रु चिनें हड्रोगनैं ग्राफरानें बवासीरनें वायकासर्वविकारानेयोतू एरिकरे? इतिहिंगुद्वादशकंचूर्णम् अथवा वच हरडै कीछालि संकीहींग सीधालूरा अमलवेद जयषार अजवाय एा यांनेवरावरिले यांनेमिहींबांटिटंक २।। गरमपाणीसंलेतौ सू लनैं गोलानै इरिकरैर्डे । इतिवचाद्यंचूर्णम् अथवा बसीहर डै २५ जलसेर १६ मैपकावैजल में पचनायेऔषदिनांषै दोसूली टका १६/ भरनांषै चित्रकटका १६। मनांचे पाईकैमधुराव्यांच दे अरजलको चौथौहिसाराचे पाछैपाली में हरडेसमेतगुडट का१६/ भरनां पाछेमा अर्धोराषे पाछैईमैपापलि टका || संठिटका १ घृतटका ४। सहतटका ४ | तजरका १। पत्रज टका १| नागकेसरिका १। इलायची का ? यांसारांको एकजीयकरि अवलेहकरै पाछैटका १ भर रोजीनांषायतौ जुलाब लागे अरइतनांरोगजाय गोलो संग्रहणीनें पांडुरोग सोजो विषमजु र कोट ववासीर अरुचि फीयो दृद्रोग येसारारोगजाय इतिदं तीहरीतकी अथसंपदाक्सुंभी गोलोजाय अथवाव डीजंभीरापकी २०० तीं कोरसलीजै घृतकाचीकरणवाससमैचे मैयेनांषिजे सेकीहींगटका २ सींधोलाटका १| ठिटका १ का लीभिरचिटका १। संचरलूटका ४ अजवायाटका १ सिरस्यूं टका ९ यांसारऔषयांनैमिहीनांट जंभीरीकारसमैनांषिदिन २१
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२२४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग " रूडीमेगाभिरापे पाठेटकाभर रोजीनांपायनो गोलाने पायाने विधीनें अष्टीलाने वायकाफमा अतीसारने पसवाराकीसूल मैं हियाकारोगनै नाभिकामूल. पंधकुष्ट–जहरनें सरकारोग मैं वायकफकारोगांनैं योरिकरैछै इतिजंभीरदाव येजन नभावपकासमेलिष्योडै अथवा मदीकोषार कुराकोपार पाककोषार सहिजएकोषार कस्यालाकोषार योहरिकोषा र बालकोषार छीलाकोषार यकायकोषार गांधीमाडाको पार करवकोषार अरसाकोषार सांभरोलप येसर्वचरावरि ले यांमेयांकाअनुमानमाफिकसेकाहांगनांषि पाछैईर्नेटंक २॥ गरमपाशी लेतो गोलाने मूलमें उदरकारोगनैं योडूरिकरेछै इनिनादेईक्षारस याजोगसतकमैछे अथवा सौंफ कराग
काजड तजदारुहलर पीपलियांकोकाटोदे अरतिलगाएं डिमिरचि सेकाहींग भारंगी येसारीऔषदिकादामेंनांषि औटा यदेतो लोहीकोलोस्त्रीधर्मपगोजातोरत्योहायजीनेहरिकरै। अथवाजषार संहि कालीमिरचि पापलि यांनोटायपीचे तो लोहीकोगोलोजाय अथवा पारोभाग१ बंगकामसमभाग १सोधीगंधकभाग ४ तामसुरभाग४ यांसारांनैाककाइयमें दिनरपरलकरै पाईकोगोलोकरि सरावामेमेल्दै पाछैनैग जपुरमैपकावे पाछेईने उंटोहुवांकाटे पाछेरतीरघृतकेसाथि इनैलेतो गोलानै फीयाने उदरकारोगांने हारकरै इतिबंगे स्वररसः मछलीकोमांस सूकीतरकारीराल मीगफल येगो लावालोषायनहीं येसर्वसंग्रहमैलिष्याछे इनिगुल्मरोगकी उत्पत्तिलक्षाजतनसंपूर्णम् अथयहनप्लहरोगकाउ
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२२५.
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सत्तिलक्षणजतनलिष्यते यतनलीहये दोन्यूं सरीरका अंग छै जीमणांसवाडामैतोयकृतरहे है ही या कैनींचे १ अरबांबांपस वाडामैंहायाकैनांचे लाहरहछे इनैलोकिकमैंफीयोकडे सोलो हानेंबहवाबालीनसांत्यांकोमुष्यठिकाण प्रथाहरोगका उत्पत्तिलक्षणलिष्यतं मनुस्य सोगरम वस्तषाय अथवा दहाँ नेच्यादिलेर कफकारीवस्तघणीषाय तीकैयेदोन्यूंकफअरलोही वथै तदीयानेवधावै तदियोफीयोवध्योथको मंदजुरनें पर ग्नी कामंदपणाने करे श्ररकफपित्तकाजों कैलक्षणहोय सरीर कोवलजातो हे सरीरपी लोहोयजाय तीनेकी योकहजे प्रोफा योच्यारप्रकारको नायकोफीयो १ पित्तको २ कफको ३ लोहीको ४ अथवायकाफीयाकोल क्षणलिष्यने पेटकोनित्यच्प्राफरोर है नित्यउदावर्त्त रोगरहै पेटमेपाडरपोकरैती वायकोफीयोजा लिजे । प्रथपित्तकाफीयाकोलक्षणलिप्यते जररहे तिस लागे दाहोय मोहहोय सरीरपीलोहोय येपित्तकाफीयाकालक्ष छै१ प्रथकफकाफीया कालक्षणलिष्यते पीडमंदहोय की योभा परगादोहोय सरीरभाखौहोय भोजनमें रुचिहोय येकफकाफीया कालक्षण) अथलोही काफीयाको लक्षण • लिष्यते सर्वइंद्रासिथलहोजाय भ्रमहोय मोहहोय दाहहोय - सरीरको रंग औरहीय सरीरभास्योहोय उदरलालहोय लक्षा होयतो लोहीकोफीयोजाणिजे अरविदासकोफीयोहोयतो असा ध्वजाणिजे अरयेही लक्षणयहत्ररोगकाजाणिजे १ अथफीया काजतनलिष्यते जयपार ऊटडीकाइधसूलेनोफीयोजाय १ अथवा सापाकी भस्म दही संषायतौफीयोजाय १ अथवा प
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२२६ अमृतसागरनथा प्रतापसागर तरंग ११ लाटंकायकमाधिरोजीनालेतोफीयोजाय अथवा पाककापा नांकाराषजीमैलूामिनायमट्ठाकेसाथिपीतीफायोजाय४ अथ वासेकाहींग मूरि कालीमिरचि पापलिकूर जवषार सीधोलूल ये वरावरिले यांनमिहींपासिपिजोराकारससंलेंतो रोजीनाटकानी फीयोजाय अथवाडीलाकाषारमैभेईपीपल्यांनेरंकारोजी नांषायतौफीयो गोलोजाय अथवासंषकाभस्ममासा ४ जेभी शकारसकालारषायतोफीयोजाय अथवा धांवांहाथकासारडु डावतोफायोजाय ९ अथवाजीवणांहाथकासारछुडावेतोयहतजा य१० अथवा पकायांबकारसमें सहननांषिपावेतो फायोजाय ११ अथवा अजवाया चित्रकजवषार पापलामूल दांयूपी पापलि येवरावरिले यांनमिहींपांटिटंक २॥ महाकेसाथि अथवा दारुकेसाथिरोजीनांपीयेतो फायोजाया येसर्वभावप्रकास मैंलिष्योछे अथवासीयोलगटंक५जलमेंोटायरोजीनांपा बेतौफीयोजायश्येवेयरहस्यमेछे अथवाजवषार वायपि रंग पीपलि कागचकाजड अमलवेद येरावरीले यां रूणी हरडेकीछालिले यांनमिहींपारिगुडकेसाधिपाएगी लेनोफायी जाय अथवा पीपलि संहिदायूंगी येवरावरिले यांसंशाहर डेकीछालिले यांनमिहींपारिगउकेसाधिलेतो पायोजाय१४ अ. थवा वायविरंग इंद्रायणकाजड चित्रकयेरावारले यांसूंडूलो देवदारुले सूहितिगुणाले सागकीजड वायविडंग येवरावरिले निसातचौगुणाले यांनमिहीवांटिटका गरमपाणीकैसाथिलेतो कायोजाय१५ अथवा सहिजणांकाजड सांधालुगचित्रक पाप लियांकोकाटोकरिपीवेतोफायोजाय १६ अथवा भिलागार
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२२७ अमृतसागर नया प्रतापसागर तरंग डेकीडालि जीरोयेवरावरिले यांनैमिहींवारियांवराबारकागुड मिलायरंक ५गेजीनांदिन षायतो फायोजाय७ अथवा लसण पीपलामूल हरकीछाति येवरावरिले यांनैमिहींपाटिरंकागो मून लेतो फीयोनाया येकदनमैतिष्पा भयवासे हासकीनर हरकीछालि संठि येरावारले यांनैमिहीं मरिरंक २॥गोमूतकीसाथिलेतोउदरकोरोग प्रमेह पवासार कफकोरोग फायो कोट पेनापारयोजोगतरंगिणीमैलिष्यो अथा सांभरोलग हलद राई येतान्यूंटकायेकेकभरिले छारिका भरले चीकरणावासपमेंघालिदिन १५सपाछेरोजीनांदिन ३० तां ईटका साभरपातोफायोजाय२० इतितकसंधानम् यांभाषण कासमेछै अथवारोहीसटकाभर ई.कूटिले पारफोजड ६४ोर पाणांसेर ईमेयांदोन्यांनेोटा पाईपाणाकोचो थोहिसोपायरहे नदिनेउतारिछापिले पाछेईफाएभमेसेर) मरकोपृतना पाईमैंबकरीकोथऽ४ रनामे मूरिंका सारीकाजडटंक २॥तुंबरुटंक २॥ वायविडंगरंकजवषारदंक २॥ पोहकरमूलटकाकांऊरुषकाजडटंक २॥वचटंकरायां सारांनमिहीनांटि वृतमैमधुरीयांचसूपकावै येऔषदिपरह पपलिजाय घृतमात्रायरहै तदिवेनेडापिअमृतवाणमेपालि राषे पाछेईनटका ३३ भर प्यथकै साथिईपृतनैषायतो उननांसे गद्दारकरै फायानें पाहोदर कृषिकामूलने पसबाडाकासू बने अरुचिर्ने धरने पांडुरोयनें छर्टिमैं अतीसारनें विषमजरनैयारिकरे। तिमहारोहिनतम् योचकदन मैंलिष्योछै अथवाचिरका..भरलेतीकोकाटोकरें ईमें
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग airat फोपटक २०० दहींकोमडोटक ४०० भर पीपलामूलटका चव्यटका १ चित्रकटका १ सूंडिटका । ताईसपाटका ११ जयवारंट का १ सोलूटका दोन्यूंजीरोटका ११ दोन्यूं हलदरक ।। कालीमि रचिटका १| ये मिहींवांटि चित्रककादामैनांचे ईमेसेर १ घृतनांचे तदिपाणी उगैरे सर्व वलिजायघृतमात्रम्यायरहै नदिईनेउतारिया णि चोषामृतबारामैघालिराषै पाछे कोसेवनकरैतौ फीयानें गोलीनैं उदरनें आफराने पांडुरोगनें मरुचिनें विषमज्वरनें पेडू कासूलनें सोजानें मंदाग्निनै यांसारांरोगांनेयोइरिकरे वसने वधावैर्छे इतिचित्रकाद्यंघृतम् योहंदमेलिष्योछै अरफीया काजोजननछैसोहियकृत्ररोगकाजाणिलीज्यो अथवा जवबार वायविडंग पीपलि कणगचकीजड यांकाकाटासंयक्कृत्फायोये दोन्यूंजाय ' इतिफीयायकृत्रोगकी उत्पत्तिलक्षणजतन संपूर्णम् अथहृद्रोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते घणीगरमवस्तकाषावासूं घणीभारी वस्तकाषावासूं घणीषटा ईकाषावासूं घणी कसायली वस्तं काषावासूं घणीतीषीवस्तकाषा वासूं घणाश्रमकाकरि वासूं घणी चोटकालागिवासूं घणागाटापि टबासूं घणीचिंताकाकरि वासूं घणामलमूत्रकारोकिवासूं यांच स्वांसूंहियों को रोगहोय सोयोरोगपांचप्रकारको वायको १ पित्तको २ कफको ३ संनिपातको ४ कृमिको ५ प्रथहोगको सामान्यलक्षणलिष्यते अन्नकोषायोरसहसोप्रथमहियामैंजा
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११
यं तदिवेंरसनैवायपित्तकफहैसोविगाडिहीयानॅयलोपीडितक रे तीन वैद्य हे सोद्रोगकहेउ अथवायकाहृद्रोगको लक्षण लिष्यते हिया मैंपीडफैलिजाय अरहियामेसुईकामाचभकाचा
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२२९ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग ११ लिजाय हियामेंरोसोफिरेहियामैंकरोतकासीनाईफिरेहिया मैंपथराकासाचोटलागे हियामैकहाडाकासाचोटलागे पेलक्षण होयतोगरायकोटद्रोगजाणिजे अथपित्तकाहोगकोलक्ष पालिष्यते तिसपणालागे दाहहोय हियोर्षे करमांहीसंधूषो नीसरैमूर्जावेजोकोसरीरसीतलहोजाय पंसेवआवै मूंदोसू किजाय यलक्षाजीमैंहोयतानपित्तकोहद्रोगजाणिजे २ अथ कफकादृद्रोगकोलक्षालिष्यते हियोभास्योहोय मषसूक फपणोंनीसरै भोजन रुचिजातीरहे सरीरजकउथहोजाय मू टोमाटोहोय मंदाग्निहोय हियामैकफजमिजाय येलक्षणहोयत दिजालिजेकफकोतदोगडेश्येसर्वलक्षणमिलतदिजाणिजेसन्नि पातकोहोग३ अथकृमिकाहद्रोगकोलक्षएलिष्यने श्रांतांमैतमिहोय पाछैकुपथ्यकोकरवावालोमतष्य तिलथए उनै आदिलेरमातीवस्तषाय नदिकामर्मस्थानामैपीडहोय हि योडूषेहियोसिडिजाय तदिवेकोमात्मापोडषपायेजीमैलक्ष पाहोयतीमेक्रमिकोहदोगजाणिजे५ बेमेंउत्केरनहोयथूके पषों हियामेंसूलनाले भोजनमैंअरुचिहोय नेत्रकालाहोयजाय सरीरसुसिजाय येहमिहद्भोगकालक्षएाजाणिजे अथदृद्रोग काउपद्रवलिष्यतेसर्वइंद्रायांकोग्यानजातोरहें सरारमैं पीडा होय भौलियाचे सरीरसुसिजाय अथहोगकाजतनलि ष्यते बहेडाकारक्षकीवकलकोचूटिंकारोजीनांडुधकेसाधि अथवा पृतकैसाथि अथवाराडकापातामसाथि पावतो होगर्ने जाजरने रक्तपित्तनैंरिकरे। अथवाहरडैकीछालि वच रामा पापलिमूहिकचूर पोहकरमूल येसर्ववरावारले यांनैमि
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२३० अमृतसागर तथापनापसागर तरंग ११ हीवाटिटंक जिलझूलेलो होगरिहोयर अथवा हिरणका सांगकोपुटपाककरे अरगउकातकैसाथिषायतोदृद्रोगनेंसू उमात्रदूरिकरै३ इतिहिरकासींगकोपुटपाक अथवाष रैरीगंगेरसिकालालि कहपारंपकीयकल महलोठी येोषदिव रावरिले यांनमिहींपांस्टिंकशायांकोरोजीनांकादोलेनी होगनें वानरक्तनेंरक्तपित्तनरिकरैडै ४ येसर्वभावप्रकासमैलिष्यो. छै अथवा कूड वायविडंग यानेमिहींवांटिटंक ॥गोमूत्रकेसा थिलेतो हियाकामिजायपडै हद्रोगरहोय५ अथवा गंगे रपिकीजड अरकहबाकीबकल पोहकरमूल यांनमिहींवांटिटं का दूधकैसाथि अथवासहतसाथिरोजीनालेतो हृद्रोगनेंसा सषासनें छर्दिनें हिचकीरिकरे अथवा हरडेकीछालि पर रारमा पीपलि सूठि कचूर पोहकरमूल यांकोचूालेनौहोगजा य७ इतिहरीतक्यादिचूर्णम् अथवादसमूलकाकादामैं परं उकोनेल अरसांभरोल्पनांषिपातीरोगजाय- अथवा पोहकरमूल सूहिकचूर हरडेकाडालिजवषारयेवरावरिले यां कोकाटोकरि ईमैंइतनांपिपीयेतो वायकोहदोगजाय९येसर्य वेयरहस्यमैछे अथवासेकाहींग पचवायपिडंग महिपापलि हरडैकीछालि चित्रक जयपार संचरलूपा पोहकरमूल येसर्परा बारले यांनैमिहींवांटिटकागरमजलकैसाथिलेती हृद्रोगजा या योजोगरत्नावलीमैछै अथवा पोहकरमूल. मिहींची टिंक शासहतकेसाधिलेतो हदोगनें सासनैं षासनेराजरोग मैं हिचकीने योडूरिकरेछे ११ अथवासेकाहींगसंह चित्रक कूर जवषारहरडेकीछालि वच वायविडंग संचरलूरा पारो पो
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२० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग हरमल येवरावरिल यांनमिहीनांटिटका जलकैसाथिलेतौर शेगनेजार्याने विधिकारिकरे १२ योरसपीपमेछ
इनिहद्रोगकाउत्पत्तिलक्षाजननसंपूर्णम् इतिश्रीम हाराजाधिराजमहाराजराजराजेंद्रश्रीसवाईप्रतापमिही विरचितेअमृतसागरनामग्रंथेउरावर्त्त अनाह गुल्म यह तीह दृद्रोग यांसर्वरोगांकाभरसंयुक्तउत्पत्तिलक्षराज तननिरूपरांनामएकादशःस्तरंगःसंपूर्णम् ११ प्रथम वहछोगकोउत्पत्तिलक्षजतमलिष्यते षेदकारिया सूतीषीरस्तकाषावालूषाअन्नकाषावा मद्यकापावासू नांचियासू दृष्टयोडाकावंटिवासू नदीमाजिनांवरांकामांसका षापासूलषाअन्नकापावासू भोजनउपरिभोजनकरुषांसू अ जीर्ण यांकारा मनुष्यकैमूत्ररूपैदाहोय? सोबाराम कारकोछ वायको१पित्तको.२ कफको सन्निपानको ४ चोर कालागियाको ५मलकारोकियाको शुक्रकारोकिवाको ७प थरीको- अथमूत्ररोगकोसामान्यलक्षगलिष्यते कोपकूप्राप्तिहुबोजोवायपित्तकफापापकाकारणांसू पेडू मैं प्राप्तिहोय मूत्रकामारगर्नेघणीपीडाकरे अर वडाकष्टसं चासचालिनांटिने मूंतकोबंधतोकमहोय अरमनतांपाउप एगाहोय तीनमूत्रहकहिजे अथवायकामूबछकोलक्ष पालिप्यतेजांयांकाभरपेडूकासंधिमैं भरपेड़में अरइंट्रिमें पा डपपीहोय अरथोडोयोडरोवारंवार ते येलक्षराजीमैहोयत्ताने बायकोमूत्रहकहिजे। अथपित्तकामूत्रहकोलक्षालि प्यते पालोलालमूतऊतरै अरपगोगरमसूत्रउतरेअरपडाकष्ट
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२३२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२
वासदेरमूनऊतरै तीनपित्तकोमूत्रलकहिजे २ अथकफ कामूबरुकोलक्षालिष्यते पेडूअरलिंगयेदोन्यूंभास्याहोय अरयांदोन्यांकसोजोहोजाय अरमूत्रमेंमागा भरमूषकष्ट सूजनरैयेलक्षणहोयतीनैकफकोमूत्रककहिजे अरयेसर्व लक्षराजामैंहोयतीनेसन्निपातकोमूहकहिजे ४ अथचो टलागिषाकामूचककोलक्षगलिष्यते मूत्रनें वहयावाली जोनसांत्यांकैकहींतरेकीचोलागे तदिवेंकोमूनरुकिजाय अरवा यकामूत्रहकासर्वलक्षामिलैसोईमूबहसंमनुष्यमरि जाय ५ अथमलकारोकिवाकामूत्रछकोलक्षणलिप्यते जोपुरषमलकावाधानैरोकेकेवायकुपितहोय भरपेमेंअरपे टमैं आपरोकरै अरजागांपीडघशीलाले अरमूनयाकष्टसू उत्तरे येलक्षराजीमेहोय तीनेमलकारोकिवाकोमूत्रकाह जे ५ अथशककारोकिवाकामूहकोलक्षगलिष्यते शुक्रकारोकिया मूत्रकोमारगरुकिजाय नदिपुरसकै पेडूमैं टीमें मूलपाले वार्यनेलीयांनडाकष्टसं ते ईनसक्रकारोकियाको मूत्रलकहिजे ७ अथपथरी उपज्योजोसुबहछतीको लक्षणलिष्यते पथरीपरशर्करानामरेत येदोन्यूपोतामैरहेछ यांदोन्यांसमूत्रहहोयछे अरयापथरीहेसोपित्तकारकैंपची थकी वायकारक सूकीथकोअरकफरांनहीं मिली पाहीपथरीरे तरूपहोयमूत्रकामार्गहोयनीकलैमूत्ररोकिकार अथशर्करा काउपदवलिष्यते हीयामेंपीडाहोय सरीरकांपैसूलचालै कूषि मेंमंदामिहोजाय बैंसेतीमूर्जाहोय परमूत्रहहोय येलक्षण । होयतदिमनुष्यमरिजाय अथमूछोगकाजतनं
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२३३ - अमृतसागर तथा:प्रतापसागर तरंग १२ लिष्यते गोषरू किरमालाकीगिरि डाभकीजड कांसकाजड जका सो आंवला पाषाणभेद हरडेकीछाति येवरायरिले यांनजीकूटक रिंका कोकाटोकरि कादामहतमिलायरोजीनालेती मूत्रल अरपथरीकोअसाध्यभीरोगजाया इतिगोक्षरादिकाथ अ थवा इलायचा पाषाणभेद मिलाजीत पीपलि गोषरू नेवरसी कावीज सायोलग केसरी येसारीऔषदिवरावरिले यांनमिहींचां टिटंक २॥चावलांकापापीकैसाथि अथवा पुराणागुडकापागांके साथिरोजीनालेतोमूत्रकृछजाय अथवा दूधर्मपुराणोगुडनां षि अथवा मिचीनाषिक्यूंगरमसोधापिररोजीनांपावतोमूत्रह छजाय४ अथवा गोप्टकालागिवा उपज्योजोमूत्ररूतीको जतनलि. क्लिांकारसमैंसहतनांषिपाने अथवा सांगकार समैंसहननांषिपावेतोमूत्रउजाय५ अथमलकारोकिया कामूलरुकोजतनलिष्यते गोषरूकोकाटोकरितीमेजर पारनाषिपावतो योमूत्ररुजाय अथवा त्रिफलाटंक ५ बोरकाजउकीबकलरंक ५यांदोन्यांनैरात्रिभेय परभातिवेपा पाहामैवांटिमेसांधोलूनांषिपीवेनौमूत्ररुजाय अथ बाजषारमासा ५मिश्रीमासा ५ यांनगांरिजलसूलतोमूत्रक, इनिजायर अथवा मिनकादाषरंक५मिश्रीलंका दहांकोम छोरंका येतान्यूंमिलायपीवैनोमूहछजाय ९अथवा गोषरू कीजडसमेतईकोकाटोकरेनीमेसहतमिश्रीनांषिपावतोमूत्रह
छजाय १० येसर्वजतनभावप्रकासमेलिष्याछै अथवा गिल ..वै संहि-यांबला असगंध गोषरू येरावरिले यांनजीकूटकार कशारोजीनाईकोकाटोपावेतौमूत्रहजाय अथवा पक्का
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नीबू का रस गऊ का कचाइधमैंनांषिमनमेंच्यावैजितोरोजीनांपी तो स्वीकाजमी का दोस ते उपज्योजोरोगतीनें परदाहनें प्रमेह में मूचछुनें योइरिकरैछै १२ अथवा हरडेकी चालि गोषरू कि रमालाकीगिरि पाषाणभेद धमासो अरसो येसर्ववरावरिले यांनेजौ कूटकरिटंक ५ कोकाटोकरिती में सहतनांपिरोजीनांपी वै तौ दाहसंयुक्तमूत्ररूछ्नैं बंधकुष्टनैयोइरिकरे १३ इतिहरीति क्यादिकाथ अथ लोही कष्टसूंनतोहोयतीको जतनलि यतेामकाज कांसकीजड दोबकीजड सरकनांकीजड सांठा कीजड यांकोकाटोदेतौ लोही मूंन तोयाछ्योहोय? इतितृणपं चकं अथवा पक्कापेठाकारसमें मिश्री मिलायपीवेत मूत्रहछुजा य १४ इतिकूमांडरसः अथवा कट्यालीकारसमेसहतनांषि पावैतोमूत्ररूछ्रजाय १५ अथवा गोषरूटका २० भर ईमैंपाठ गुणोपानांपितकोच्याधोपाएगीराषे पाछैईने छाशिईपाली मैंगुगलटका ७। भरनांवे पाछैईनैरूपकावें पाछेमेंट टका १ कालीमिरचिटका १। पीपलिटका १। हरडेकीछालिटका १ बहेडाकी छालिका १| आंवलाटका १| नागरमोथोटका १॥ यमि
गिलनांचे पाछैयांकोएकजीवकरिमासा ५ रोजीनां जलसूंलेतौ मूत्ररूछनें मूत्राघातनैं प्रमेहनें प्रदरनें वातरक्तनें शुक्रकादोसनें यारोगांनेयोइरिकरैछें १६. इतिगोषुरादिगूग लम् अथवा जीरोटका १। गुडटका ११ रोजीनांषायनोमूत्रकछुजाय १७ अथवा जवषारटंकर ।। गऊकीछाछिपी वेती सूत्र कुछुनें पथरी येदोन्यूरोगजाय १८ इतिजवषारनकजोगः अथवा पारोभाग १ सोधीगंधकभाग ४ यांदोन्यांकी कजली करें
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पाछैयाकजलीवडाकौडामैंभरै पाछेसुहागोपालीबाट कौडा कैमूंलगाने पाछेंबाकोडाने कूलडी में मेलि गजपुटमें फूकिदे पा छेस्वांगसीतलवांचे कुल्हडीमांही सूंचे कौडानैं काटिमिहींवांटिले पाछैरतीच्यारी ४ भरले अरईमैमिरचि २१ मिहींपांटिमिलायघृत क्रैसाथिषायतौमूत्रहवजाय १९ इतिलघुलोकेसुररसः ये सर्वजननवैद्यरहस्यमेलिष्याछै अथवा निरूहस्तिकाक स्वासं उत्तर चस्तिकाकरि वासूं मूत्रजाय २१ अथवा सता वरी कांसकीजड डाभकीजड गोषरू विदारीकंद सालर कीजड किसोरया यांकोकाटोकरिती में सहतमिश्रीनांषिपीवैतौ मूत्रह छ्रजाय २२ योचकदत्तमैछै अथवा तेवरसीकावीज महुवो दारुहलद यांकोकाटोकरिपीवैतौ पित्तकोमूत्रकृच्छ्रजाय २३ थवा केलिकारसमें गोमूचनांषिपी वेतौ कफकोमूत्र सजाय २४ अथवा इलायची मिहींवांटिजलसूं लेतोकफकोमूत्ररुजाय २५ अथवा मृगांकोचूएटं १ चांवलांकापासूनौकफ कोमूत्रकृछ्रजाय २६ अथवा गोषरू सूंठ यांकोकाढोलेतीक फकोमूत्रकृछ्रजाय २७ योहंदमे अथवा वडीकट्याली पाठ महलौठी मडुवो इंद्रजव यांकोकाढोलेनीसन्निपातकोमू त्रकृछ्रजाय २- अथशककारोकिवाकासूत्रकलिष्यते सिलाजीत सहन में मिलायषायतौ शुक्रकारोकिवा कोमूत्रकृछ्र जाय २९ योचकदत्तमैछै अथवा उत्तमस्त्रीसंग करे तोयो मूत्रकृछ्रजाय ३० अथवा परैंटी की जड कोकाटोलेनौ संपूर्णमूत्र कुछ्रजाय ३१ अथवा गोषरूकोपंचागटका १०० भरलेतीने कु टिमाडगुणांपालीमैोटाचे तांकोचतुर्थोसर है तदिवे छा
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सिले पाछेवेमैंमिश्रीका ५० भरकी चासणीकरे अवलेहकीसीती येोषदिनांषे ठिटका २। पीपलिटका २ इलायचीटका राजवषार टका २ केसरिटका । कहवारूष की नकलटका २१तेवरसीकाबीजट का२शवंसलोचनटकाभर यांसारऔषद्यांनेमिहीं वांटि इमैंना
पाछेदका ॥ भर रोजीनांषायतो मूत्ररुनें दाहनें बंधकुष्टने प थरानें लोही कामूनवांनें मधुप्रमेहनें योइरिकरैछ ३२ इनिगोक्षु रावलेह येसर्वजननसर्वसंग्रहमेचे इतिमूत्रछुकी उत्प तिलक्षणजननसंपूर्णम् अथमूत्राघातरोगकी उत्पत्तिल क्षणजतनलिष्यतेमनुषईकरिकेंच्या काकरैछे मूत्र रमूत्राघातमै भेदकाई सोलिंंं मूत्र मूतनांकष्टनघणे परभूतकोवंधथोडी मरमूत्राघात में मूत्र को बंधनोपणे सर भूततापीडथोडीयोमेद अथमूत्राघातकी उत्पत्तिलक्षण लिष्यते कुपथ्यकारकै कोप कूंप्राप्तिहुकोजोवायपित्तकफत्यांकरि कैमूत्राघातहोयर्चे सोसूत्राघाततेरापकार को है १३ वातकुंडलि काष्टीला २ खानवस्ति ३ मूत्रातीन ४ मूत्रजठर ५ मूत्रोत्संग ६. मूत्रक्षय ७ मूत्रग्रंथि - मूत्रशुक्र- ९ उठावात १० मूत्रसाद ११ विडविधान १२ बस्तिकुंडलि१३ अथवानकुंडलिकाकोलक्ष एलिष्यने लषीवस्तकाषावासूं परमूत्र शुक्रकाधारिवासूं वा यसोपेडू में जाय पीडाकरे मूलकीनसांमेंजाय विचरतो कोकु पितहोजाय तदिकफहैसोमूत्र काछेदनैराकै तदिवायहैसोई टीकामुषमें कुंडलकेच्या कारहोय ऊंठरहे तदिपुरषहेसोथोडो थोडोन परसूतांपीउघणीहोय येलक्षणजी में होय तीन वातकुंडलिका रोगका हजे सोमसाध्यछें ईरोगचालीपुरषामरि
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जाय
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२३७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ अंथअशलाकोलक्षगलिष्यते पेडूमेंग्राफरोहोय गुदाकोप पनचलेंनहीं गुदामेंपवनकीगांठिभागसिरासीहोजाय उंठे पीड घशीहोय अरोपवनमलमूत्र रोकिदेयेजीमेंलक्षणहोयनी नेअशलारोगकहिजे२ अथवातपतिकोलक्षगलिष्यने। जोपुरषमूत्रकारोगनैरोकैतीकै पवनहेसोपेड़मेंजायमूतकानसा काट्दानैरोकिदे मंतउतरि वादेनहीं पेडूमेंअरकूषिमैपीडाकरें नेवातपस्तिरोगकहिजे योरोगकष्टकारीछे ३ अथमूत्रानी नरोगकोलक्षालिष्यते मूतनेघणीवाररोके पर वेगदेरमू
करेनहीं नदिपुरसकेमूलमंदतरै ईनेमूबानीनरोगकहिजे ४ अथमूरजठररोगकोलक्षरालिप्यतेजोपुरषमृत्रकाये गनेरोके तीकैगुदाकोअपानपवनहेसोउदरपवन भरेना मिनीचेाफरोकरे घणीपीडकरैतीनेमूत्रजठररोगकहिजे ५ अथगूत्रोत्संगकोतक्षरालिप्यते पेडूकमोहि अथवा सिं गकीनसांमैं आयोजोमूततीनेंकरेनहीं तदिवेपुरसकैमूत्रद्वारा थोडोथोडोलोहीमूतेपाडानेलियां अथवा नहींपीरा.लीयांई नेमूत्रोत्संगरोगकहिजे अथमूत्रक्षयकोलक्षगलिष्यते. जीपुरसकेषेदकारकेसरीरलूषोपडिजायनीकापेमेरहतो, जोवायपित्तकफसोमूत्रकानास करेंछे पीडाबरदाहसंयुक्त नीनेमूत्रक्षयरोगकहिजे७ अथमूत्रग्रंथिरोगकोलक्षगलि. पेडूकैमाहिगोल अरस्थिर अरछोटी प्रांवलाप्रमाणनिपटगांठी बायकागांठि अकस्मातरपजियावतीनेमूत्रग्रंथिरोगकहिजेअथमूत्रशुक्ररोगकोलक्षपालिष्यते मूनकोवेगलागिरत्योहो य अरमैथुनकरिवानेस्वाकनँजाय तदिवेंकैवायहेसोशुकने
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२३८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ स्थानसंभष्टकरै मूत्रकैपहलीअथवा मूत्रकेपाछेनाले धारणा छाशकीराषकापाणीसिरीसो तीनेमूत्रशुक्ररोगकहिजे९ अथ उगवातरोगकोलक्षगलिष्यतेस्त्रीसंगसेती षेदसेती ताव डाकापडियासेता पुरसकेपेडूमरहतोजोवायपित्तसो पेड़नेई दीने गुदाने दग्धकरताथकाहलदसिरीसोमूंते अथवा लोहीसियांवडाकष्ट मूतै तीनंउषावातरोगकहिजे१० अथमूत्रसा दरोगकोलक्षगलिष्यने पुरसकेकुपथकरिके पेडूमैरहतोजो पवनसोपित्तनेअरफफनेविमाडै तदिवेंकैतनिपटकष्टसूज तरै पालो अथवा लाल अरसुपेदउतरें निपटजारोगतरे पर गरमऊन गोरोचनसिरीसो संषसिरीसोकैलोहासिरीसो के चूनासिरासो थोडोउतरे सरीरकोवाकिजाय ईनेंमूत्रसाद रोगकहिजे।। अथविडयातरोगकोलक्षणलिष्यते घगो लषोअन्नपातोजोपुरषसोडूवलोहुवोथको मलनेलीयांथकां मूतै काट्तमैमलकीसीडूरंगंधावे अरघणाकटसंमूते तीनवडघातरोगकहिजे १२ अथवस्तिकुंडलरोगकोलक्ष एलिष्यते पाउतावलादोडिया संघनकाकरिवातूं घणा षेद पेड़मेंकहींतरेकाचोटलागिवा पेड़मैंगोलगांटिपडि जाय तदिवेठेपीडहोयोगांटिवडीवडीथकीहालेनहींगर्भका सीमांईरहेठेसूलचालै फुरके वेढ्दाहपोहोय वेंगारिनँहा थपीडैनदिमूंतकीबूंदऊतरै अरघणीपीडेतदिमूतकाधार उत्तरै परपीडनिपटधणीचाले शस्त्रकासीचोटलागीसिरीसी ईनेंवस्मिकुंडलरोगकहिजे योरोगसाध्यछै ईरोगवालोमरिजा या३ अथमूत्राघातरोगकोजतनलिष्यते नरसरलकीजर
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२३९. अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १२ डाभकीजड कांसकीजड सांठांकीज परैंटीकीजड यांकोकाठोक रै ठंटोकरितीमेंसहतनांषिपीवैतौमूत्राघातरोगजाय १ अथवा कपूरनेजलसूमिहीवाट अरमिहीं वस्त्र कैंचेंकोलेपकरि वेंकीवाती करे पाछेवेंपातीनेंइंद्री में मेलें तौमूत्राघात कोरोगजाय २ अथवा धणों गोषरू यांदोग्यांकोकाटोकरि काटाकारसमें घृतपकाययोघृतषायतौ मूत्राघात मूत्र परशुक्रकोदोष येतीन्यूंजाय ३ इतिधान्यगोक्षुरको घृत अरजितनाजतनमूत्रल भरप थरी रोगका सोजितनाहींमूत्राघातकाजाणिली ज्यो ४ योभा वप्रकासमैंलिष्योछें अथवा तेबरसीकावीजटंक ५धटं क५यांनेरातिनेंभेयपाछेवेंही पाणी में परभातिनांटिछाणसी धोलू टंक एकनांषिपीवेत सूत्राघातजाय अथवा पाडल वृक्षकोषारटंक २|| संचरलूप टंक १॥ येदोन्यूं सुराकै साधिपी तौमूत्राघानजाय ६ अथवा पावाकीदारुषारिदाज्यूकोरस नांषि र वैमें इलायचीनांषियी वैती मूत्राघातरोगजाय यो हृदर्मेलिष्योर्छे अथवा सीलाजीतको सेवनकरैनोमूत्राघा तजाय - अथवा कौंछीकाबीजटंक ५ पीपलिटंक१ तालमंषा लाटंक १। मिश्री टंक १० मिनक्कादाषटंक १० यानेंमिहीनांटिगर महूधर्मेंसहनघृतपीवैतौ शुक्रकारोकिवाको मूत्राघानजाय ९ अरहप्रयोगबंध्याकैपुत्र उपजावावालो येसर्वसंग्रह मैंलिप्या अथवा चित्रकः।। गौरीसरटंक ५ बरैटीकीटक १. दाषमभपाव- इंद्रायणकीजडटंक ५ पीपलिटंक त्रिफला टंक१० महुबोटंक१० वडामांवलाटंक १०० पाणी सेर ९१६ मैंयां कोकाटोकरे पाछैयांको चतुर्था सप्रायरहै नदिई उतारिखा
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२४० अमजसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ गिले पाईकाटामैंपृनसेर९४ नांषिपका नदिऔषदिअरपा पीपलिजायतमात्रायरहे.तदिईनेछापिले पाछेईभैसलो चनअधपाय:- नांषे पाईरोजानांअथपाव-पायतो सर्वप्रका रकाचार्यकादोसनेयोधतहारकरेंचे परस्त्रीकेगर्भनफरेछै पर मूत्राघातने प्रदरकारोगनेजोनिकायोस. मूबहछने योसर्वरोगां नैरिकरैछ १० इतिचित्रकायंप्रतम योचरकमेलिष्योछे अथवा त्रिफलांकोकादोकारतीमेगुडइधनांषिपातीमूनाधा तकोरोगजाय १ अथवा पाटल अरल नींबकीछालि हलद गो पर पलासकीवकल येवरावारले यांकोकादोकरितामगुडना पिपीपैनोमूत्राघातरोगजाय १२ अथवासंदरअरचतुरस्त्रीसूम थुनकरैनौमूत्राघातजाया येसर्वश्रात्रेयमैलिष्याछे इतिम बापानरोगकीउत्पत्तिलक्षणजतनसंपूर्णम् अथमूत्ररो धरोगकोजतनलिष्यते योजतनमूत्रकृमूत्रापानकाछेसो हाईकाजाणिलीज्यो क्यूबिसेष सोलिषषं काकडाकाबीज विफला सांधोलपा यांनैवरावरिले पाछैयांनटेक ५ मिहींपारि लालि गरमपाणी पावतोमूत्रारोथजाय१ अथवातिलांका काकडानैदाधकारतीकोषारकादि ओषारटंक २॥ दहीसहतकी साथिलेतोमूत्रारोथरोगजायर अथ{तनिपटगरमउतरे तीकोजननलिष्यतेचंबलाकीजडनेंवकरीकाडूध वाटिपी वैतौयोरोगजाय३ अथवांकमलकीजड़नैगोमूतवांटिमें तिलमिलायपाचतोमूत्ररोधजाय४ इलिमूत्ररोधकाकाजतन संपूर्णम् यात्रेयमेलिष्याछे अथवस्मररोगकोउत्प जिलक्षगजतनलिष्यते असमरानेलौकिकमैपथरीकछे
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२४१ अगृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ सोपथरारोगच्यारि ४प्रकारकोछै वायको पित्तको२.कफको३ वीर्यकारोकियाको ४ यांच्यारयांमैकफमिल्योछे येजमरुपछे अ थपथरीको उत्पत्तिकहेछै पेड़मैरहतोजोपयन सोपेडूकावीर्य नेपेडूकामूचनें पेडूकापिनने पेड़काकफनें सुकायकरिके पथ रानेक्रमसेतीउपजायदेछे अदृष्टांनदीजैछै जैसेगउकापित्ता मैंगोरोचनवधिजाय तैसेंपुरसकैपथरीपैदाहोय अथपथरी कोपूर्वरुपलिष्यने पथरीकोरोगसन्निपात पदाहायडे प थरीवालाकातमैगस्तबकराकासीगंधावे पेड़मेश्राफरोहो य पेडमैपीडपणाहीय अरगुंतवडाकष्टमंइतरेजुरहोय भो जनमेंअरुचिहांय यंपथरीका पूर्वरुपकालक्षराछै अथपथ सरोगकोसामान्यलक्षणलिष्यने नाभिमैमूचकानसांमै पे ड्रमें माथामे यांमेपारायणीहोय मूत्राधार बंधायकपर्डेनहीं मृतकोमार्गरुकिजाय परवापथरीमंतकामार्गनेछोडिदे नदि ईपुरसकेसुषउपजै मूंताछीतरैपालोऊतरे अरवाकोपर्कमा प्तिहोयतदि लोहानेलीयांवडीपाडानेलीयांमूते अथजीमैं वायधीहोय इसिपथरीकोलक्षरालिष्यतेजीमेमूतनांपा उघलाहोय दांतांनेचा मूततांकांपालागिजाय मूलनारंद्री मैंपीडहोय नाभिमैपीड होय सूततांपुकाराउटे मूंततामलक रिदे मूतकाबूंदबूंदऊतरे पथरीकोरंगकालोहोय अरपथरी कैकांठासाहोय येलक्षणहोयजीनंबायकापथरीकोरोगकाहि जै। अथपित्तकीपथरीकोलक्षपालिष्यतेपेअग्निसरी सोवले जाणिजे राधिसरीसोपकिगयोछे सरपथरीविदामका छयोडासिरीसाहोय अरपालाहोय लालहोय सुपेदाईनेलायां
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२४२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग येलक्षण होयतीनें पित्त की पथरी कहिजे २ अथकफकीपथरी कोलक्षणलिप्यते पेडूमेंपीडघलीहोय पेडूसीतलहोयपरमास्त्रो होय की पथरीचीकी गिलगिलीहोय अरसुपेरहोय अर फूँकडाकाडाकी बराबरिहीय येजीमें लक्षण होयतीनें कफकीप थरीकहिजे २ अथशुक्रकारो किवा उपजीजो पथरीतीको लक्षणलिप्यते जो डोपुर पतीकेमैथुनकरि बाकी इछाहोय अ रश्रीशुकनैकैिक हीतरैजाबादेनहीं तींकेशुक्रकी पथरीपैदाहो य इंद्रीपरपोतांकेबीच श्रपनवीर्य सुकायपथरीकरिदे पाछैवापथरी पेडूमैं पीउचलावेभूतमहांकष्टसूंउतरे वादेपोना सूजिजायवें को शुक्रे जातो ही रहे वरपोइंडीने पीडाकरे नदिइंडी द्वाराकनीसरे अथवा ओइंडीनेंपीडितकरे तदिवाय सोचें पथरीका निपटछोटारैतसिरी साहूकडाकारदे नदिईनेंसर्करा कठै ४ ग्रथपथरीका उपद्रवलिष्यते सरीरइबलोहोजाय सरीरमैं पीडाहोय कृषिमेंसूलहोय अरुचिहोय सरीरपीलोहो
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मूत्राघातहोय धरनाभिपोनासूजिजाय मूंतरुकिजाय येई काउपद्रव अथपथरीरोगकाजतनलिष्यते सूंठ रएयूं पाषाणभेद कूट वरणो गोषरू परंडकीछालि किरमालाकोगि रि यंत्ररावरिलें यांनेजौकूटकरिटंक ५ को काटोकरे ताकी हींग जवषार सीधोलू येनांषि पथरीवालोमनुष्य ईकाटानें पीचेतौ बैंकोपथरीकोरोगमूत्रकृछ येदोन्यूंदृरिहोय परयोको गकीचायनें बवासीरनैं उपदंसने योइरिकरैछे परयोदीपन पाचन इतिसंख्यादिक्काथः अथवा इलायची पीपल म पाषाणभेद पनपापडी गोषरू अरसों अरंडकीजड ये
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२४३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १२ बरावारले यांनेजोकूटकरियांकोकाटोकरें ईकाटामेंसिलाजीत मांषिपीयेतो पथरीने मूत्ररू.योडूरिकरैछै इनिइलादिका थः अथवा पेठाकारसमें सेकाहींग जवषारनांषिपावेतो पेड़ कीपीडनैपथरीकारोगनैयोहरिकरैछ २ अथवा परण्याकीछा लि पाषाणभेद इंडिगोषरू यांकोकाटोकरिजवषारनांषिपीये तो पथरीनैं दूरिकरैछै अथवा गोषरूकोचूर्णकारटंकपती मैंसहनमिलायभेडकाढूधमुंपावतो पथरीकोरोगजाय५थ थवावरण्याकाजउकोकाटोकरितीमैंगउनांषिपाचतो पथरी कोरोगनैं पेडूकीसूलनैं योरिकरैछै ६ अथवा आदाकोरस जवषार हरडेकीछालि मलयागिरिचंदन यांकोकाटोकरेनीमै दहांनांषिपातीपथरीजाय अथवा बरण्याकीवकलटका १..भरले तीनेचौरागापाणीमैंओटाय तींकोचौथोहिसोराये नांमैराडटकाभरकीचासणीकरैतींचासणीमैं इंडिटका। पेठाकाबाजरका।वहेडाकामीगिटकामावथवाकाबीज सह जएगांकाबीजयेदोन्यूटकायके कमरिनांपैदाषटकारा इलाय चीटकाहरडैकीछालिटका वायविडंगरकायांकोचूर्णकार मैंराले पा.यांकोएकजीवकरिरोजानांटकाराभरषायतो पथरीजाय- इतिवरएयादिगुडकोअवलेह अथवा मजीठ तेवरसीकावीजजीरोसोंफ प्रांवला बोरकामीजीसो धागंधक आंवलासार मैणासिल येवरावरिले यांनमिहींपाटि रंकारांजानांसहतकैसाथिषायनो पथरी निश्चैजाय ९ अ थवा कुलत्यटका ॥भरतीकोकाटोकरितामैसींधोलूगमासा २सरपंषाकोरसमासा नांषिपावेतो पथरीजाय येसर्व
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१२
मृनसागर तथा प्रतापसागर तरंग भावप्रकासमैंलिष्याछें अथवा हलदकोचूटंक ५ गुडरंक 1. कांजा में मास १ नांषिपावेतो पथरीइंडीद्वाराफडिपडे ११ अ थवा संचरण सहत दूध तिलांकीनालीकीराष चीवाकीदारु, मेनांषिदिन पीवैतो पथरीजायपडे १२ योचकदत्तमैलियों है अथवा तिलांकी नाली कोषारटंक २॥ महतटंक ५ ये धकै साथिदिन १५ पीवैतेोपथरी निश्चैऊडिपडे १३ अथवा गोपाल काकडीकीजडदंक २॥तीनेरातनें भेवे पाछैईनैपरभातवेंहींपा एलीमेनांटिदिन पविनापथरी इंद्विद्वाराऊ डिजाय १४ येराज मार्तंडमेलिष्याचे अथवा कुलत्थ सांधीला वायविडंग सार मिश्री साठांकोरस जववार पेठाकोरस तिलषार पेठाकाबीज गोषरू यांकोकाढोकरि ईकाटामैंगऊकोघृत पकाय का? भररोजी नांषायतौ पथरीनें मूत्ररूनें मूत्राघातनें शुक्रका धनें यांसारांरोगांने यांइरिकरे १५ इतिकुलत्थाद्यघृतम्
योवृंदर्मेलिष्योडे अरमूंग जब गौहूं चावल दूध घृत टीमसा सांधोलून येरांगनेपथ्यले इतिस्परीनामपथ रीरोगकी उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् प्रथममेहरोग की उत्पत्तिलक्षएाजननलिष्यते घणावैठिवासूं घणासोबासूं घणादही कात्रावासू नवीनपाएगी कापीयासूं बकराभेमकामां गपावासं गुडनादिलंरघणाम ठाषावासूं कफकारीजोवस्त
काषाबासूं घण्णाश्रमकाकरवासं घलामैथुनका कर वासूं ता बंडाकारहवा सूं विरुद्ध भोजनसं गरमभोजनकरिवासु, घणा मद्यकापीबाएं पाराकडवार सकाषावाएं, पुरषकैप्रमेहको रोग ऐदाहोय अथकफकापित्तकावायकाजोप्रमेहत्यांकी
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२४५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. १२ संप्राप्तीनामजनमसोलिष्यते कफहेसोपेडूमेंप्राप्तडबोजो मेदभरमांस अरसरीरकोजलतीनैदूषितकार अरकफकाम मेहकरैछै श्रेसेंहीपित्तहैसो गरमदांसुपितहसोथको पे डूमेंप्राप्तहुनोजोमेरअरमांस अरसरासकोजलत्यांने दूषितकार अरपित्तकाप्रमेह करेंछै अलैहींगपहेसोग्रापकिअपेक्षाक परआपसांक्षीजोकफपित्ततीनेशीराहुवांथकां पडूमैंप्राप्तह बोजोमांसकोनहतानमांजाने अरसरकाजलने पेडूका नसांकानूंदामेंप्राप्तिकरि वायकाप्रमेहनेंकरैछ सोकफकाता दस प्रमेहसाध्यछ क्यूंदोसदुष्पाकासंमानजननथकीअरपि तकाप्रमेहसोजाप्यछे जाप्पकाईजतनकियेदव्यारहै क्यूंयां काविसमजननछै क्यूंदोषडष्यांकाविसमपएकाथकी ठेदोष इषितछे अरडुष्परसमासादिकछे सानलमधुरादिकपित्तहारी ट्रव्यछै अरवायकाप्रमेहच्यारि ४ सोअसाध्यछै पैजायनहीं यू. मीजीनेंदिलेरवैगंभीरधातुछ सोसर्वसरारव्यापीछे परस शरकोविनासकारीछैईकारा बायकाप्रमेहअसाध्यडै १. अथप्रमेहवीस२०प्रकारकाछेत्यांकानामलिष्यते उदकप मेह । इक्षुप्रमहर सांदपमेह ३ सुराप्रमेह ४पिष्टप्रमेह ५सुक्तप मेह सिकनाप्रमेह ७ सातप्रमेह-शनैप्रमेह ९लालीप्रमेहा. येदोसतोकफकाप्रमेहछै अरक्षारपमहानीलप्रमेह र काल प्रमेह ३ हरिद्रापमेह४ मंजिष्टपमेह ५रक्तपमेह यछह ६ पिनकाप्रमेहछे अरपसापमहानीलप्रमेह २ कालप्रमेह ३ हनीप्रमह ४ यवायकाजालिजे येवीस०प्रमेह वाग्भटस शुनचरकभावप्रकासादिककामनमूंछै अरआत्रेयजीका
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२४७, अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ मनविसेससोलिडं पूर्वप्रमेह तकप्रमेह २ पाडिकाप मेह ३ शर्कराप्रमेह ४ घृतप्रेमेह ५ अतिमूत्रप्रमेह ६ येप्रमेह यात्रेयकामतसूविशेषलियाछे अथपमेहकोपूर्वरुपलि ष्यते दांततालगोजीभयांकेमेलघोहोय हायपगांदाहहोय रेहचाकरणीहोय निसघणीलागे मूंटोमांठोरहे येलक्षणहोयन दिजाणिजेप्रमेहहोसी अथप्रमेहकोसामान्यलक्षालिष्य तेषगांजाडोअरपोपतलोमूत्रहोय नदिजाणिजेईकैप्रमेह कोरोगछै अथकफका१०दसपमेहछेत्यांनअनुक्रमलि ष्यते अथादकपमेहकोलक्षासिष्यने निर्मलमूते पणों मूतै सुपेदमूने सीतलमूतै गंधरहितमूतै जलसरीसोमूते क्यूयेकजाडोअरचाकणोंमूतै तीनैउदकममेहकहिजे अथ इक्षपमेहकोलक्षालिष्यने सागंकारससरिसोनिपटमी ठोहोयतीनेइक्षप्रमेहकहिजे २ अथसांडप्रमेहकोलक्षण लिष्यते जैसैं वास्योपारंगीपज्योथकोवासरामेंजाडोहोजाय ति सोजाडोपुरसते ती सांदप्रमेहकहिजै ३ अथसुराप्रमेह कोलक्षणलिष्यतेजीफामूतमैदारुकीसीवासापरवेंको मूंतऊपरतोनिर्मलदीसेअरनींचेजाडोहोय नीनेसुराममेहकहि जे ४ अथपिष्टममेहकोलक्षएलियतेचावलांनेादिलेर जोन्नतीनेपासितांकापाणीसाशसोमूतेसुपेदकष्टकारक अ रमूंततारोमांच होयश्रावै तीनपिष्टप्रमेहकहिजै ५ अथमुक्त प्रमेहकोलक्षणालिप्यते.वार्यसिरासोमूतै अथवावार्यनेली याभूतैनीनेसुक्तप्रमेहकहिजे अथसिकताममेहकोलक्ष गलिष्यते वीर्यकारेननेंतीयांमूतै तीनसिकताप्रमेहकहिले
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२४७ अगृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . १२ अथसीतलप्रमेहकोलागलिष्यनेवारंवारमूंतेपणों सात लमूतै तीनेसीनलप्रमेहकहिजे२ अथशनैःप्रमेहकोलक्ष पालप्यते सनेंसनेंनिपरमंदमंद तैतीनेशनै प्रमेहकहिजे ९ अथलालप्रमेहकोलक्षालिष्यते लालकानातिनैलायांमू तीनलालापमेहकहिजे. येकदसकफकाप्रमेह अथ है। पित्तकाप्रमेहनीमेप्रथमक्षारप्रमेहकोलालि ष्यतेजीफामूत्रमैंषारकोसोवाहोय अरपारकोसोहावेंन कारसकोस्पर्शहोय अरपारकापाणीसारासोमूतेनीषारण मेहकहिजे अथनीलप्रमेहकोलक्षणलिष्यतेजीकोमृत . नालरांचकारंगसिरीसोउतरे तीनैनीलप्रमेहकहिजे२.अथ कालप्रमेहकोलक्षगलिष्यतेस्पाहीसिरीसोकालोमूतैनाने कालपमेहकहिजे ३ अथहरिद्रप्रमेहकोलक्षालिष्यतेह लदकारंगसिरीसोमूतै अरकरडोमूतै तीनेहरिद्रप्रमेहकहिजे ४ अथमंजिष्ठप्रमेहकोतक्षालिष्यते गजानकापालीका रंगसिरीसोनै अरजीमेडरंगंधियावतीनमंजिष्टप्रमेहक हिजे५ अथरक्तपमहकोलक्षरालिप्यते लोहासिरीसो तेजीमैडरगंधिधलीआवे अरगरम नै अरलूपानेलीयाम नै ईनरक्तप्रमेहकहिजे येपित्तकाप्रमेहछे अथवाय कायारि४प्रमेहछतीमैं प्रथमवसाममेहकोलक्षणलिष्यते सुमांसकोजोततीनेलीयांमूते परवेंकारंगनेलीयां ते तासाप्रमेहकहिजे अथमजाप्रमेहकोलक्षपलिष्यते हाउमाहितीमाजीनलायांमूने अरवेंकारंगसिरीसोमूते पर बारंबारमूनताने मज्जाममेहकहिजे अथक्षोदप्रमेह
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२४८ अमृतसागर तथापनापसागर नरंग १२ कोलक्षणलिष्यते कसायलोजांणूनहोय सहतसिरीसोजी कोमूतमीठोहोय अरलूषोमूतहोय तीनेक्षीदप्रमेहकहिजे ४ यांपुरषांकैकोई प्रमेहहवाछै अरपुरषजननकरेंनहींधरप्रमे हानेदिनघणालागजाय परवेंपुरसकुपथ्यकरपोकरैतदिनांपुरषां कैमधुप्रमेहहोजाय येमधुप्रमेहअसाध्य. अथकफकापसे हकाउपद्रवलिष्यते अन्नपचेंनहीं भोजनमैंअरुचिहोय छा दगाहोय नांदघणीना पासीहोय पानसहोय येकफकाप्रमे हकाउपद्रवलिष्याछै अथपित्तकाप्रमेहकाउपपलिष्यते॥ पेडूमेंइंद्रीमेंसूतहोय पोताफाटलागीजायजुरहोयाबदा हहोय तिसहोय पाराडकारावै मूर्जाहोय अतीसारहोय ये पित्तकाप्रमेहकउपद्रवछै अथवायकाप्रमेहकाउपलिय
जामेंदावनकोरोगहोया सरीरकांपै हियोडूषै सर्वरस काषायाकीइछारहै पेटमैंशूलचाले नींदावनहीं सरीरसूजि. जाय पासीहोय सासहोय येवायकाप्रमेहकाउपदवछै अथ प्रमेहकोअसाध्यलक्षएलिप्यते वायपित्तकफकाजोपमेह . छै गांउपद्रयांसूयुक्तजीपुरषकैजोप्रमेहहोयसोपुरषअसा ध्यजाणिजे वोपुरषमरिजाय परप्रमेहकीदसपिडिकाकाहजै छै तीपारकासंयुक्तजोपुरषहोय सोपुरषमरिजाय यांउपदगांसं. युक्तहोयतो अथपात्रेयकामतकाप्रमेहएत्यांकानाम अरलक्षएलिष्यते पूयप्रमेहा तक्रप्रमेह पिडिकाप्रमह३ सर्कराप्रमेह ४धनप्रमेह अनिमूत्रप्रमेह अथपूयप्रमेहको लक्षालिष्यतेजाकामूतमेराधिप अरराधिकोसीयेमैसा नानपूयप्रमेहकहिजे अथतकप्रमेहकोलक्षगलिष्यने
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जीकोमृतछाछिसिरीसोउतरे पर वें कायूंतमेंडा उसिरीसीयास श्रावै तीनेतकप्रमेहकहिजे २ अथपिडिकाप्रमेहको लक्षणलि ष्यते जीकामूंतमैपिटकडी वीर्यकी पडे तीनेपिडिका प्रमेहकहिजे ३ प्रथशर्कराप्रमेहकोलक्षण लिप्यते जींकोनमिश्रीसिश सोमीगेहोय अरजीकामून कोवमिश्री सिरीसो होय तीनेंशर्क राममेहकहिजे ४ अथघृतप्रमेहकोल क्षणलिष्यते जीकार्मू तको घृनसिरीसोस्वाद होय सरघृतसिरीसोही वर्णहोयतीनेंट तप्रमेहकहिजे ५ अथप्रतिमूत्रप्रमेहकोलक्षणलिप्यते जीपुरषकैमूत्ररात्रिचरदिनमै घणांसू पोउतरे अरम्योपुर सनिर्बलपडिजाय तनेतिमूत्रप्रमेहकहिजे ६ येाभेय कामतकाप्रमेहछै अथप्रमेहवालाकैदस १० जातिकीची डाहोयत्यांकानामेलिष्यते शराविका ? कछपिका २ जालि नी. ३ विनिता ४ अलजी ५. मसूरीका ६ सर्षपिका ७ पुत्रिणीविदारिका ९ विधी १. अथपिडिकाकोलक्षपलिष्यते श शरकाटुंगानें आदिलेरजो पुष्ट स्थान त्यांकाजोगर्भस्थानकै विसे दस १. संधिउपजेछेतींनेपीडिकाकहिजे १ अथसराविंकाको लक्षणलिष्यते वाकुणसी हंसीऊपरतोऊंची वीचमैजीकैपाडो तीसराविक कहिजे २ अथकछपिकाकोलक्षएालिष्यते पा छैकरथाजोसरीरका पुष्टस्थानांकै विसैसरस्यूंप्रमाणजोफुलसी होयदाहनेंलीयांकछवाकैयाकारती ने कच्छा पकांकहिजे २ अ थजालिनी कोलक्षणलिष्यते जीफुणसी में दाहघणी होय वामांसकासमूहमै हायतींनेजालिनीकहीजे ३ अथविनि नाकोलक्षएालिष्यते जी फुणसी में मांहीपीडाहोय वाणसी
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२५० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ पडाहोय अरपीडिपीछेहोप अरबाउदर#होय नविहिताकहि जे४ अथअलजीकोलक्षालिष्यतेजोवारासीलालहोय का लाहोयरहोतफाटे पीडघणीहोयनेचरजीकहिजे५ अथम सूरिकाकोलक्षणलिष्यने जोफरासीमसरकेप्रमाराहोय अर मसूरकोसोरंगहोयने मसूरिकाकहिजे अथसर्षपाकाको लक्षगलिष्यतेजोफणसीसरस्यूंप्रमाणहोय सरयूंकारंगसि रासोरंगहोयतीनेसर्पपिकाकहिने ७ अथपुत्राणिकोलक्षण लिष्यतेजोफुसीऊठतीहीबडीररीतीनेपुषिणी कहिजेथ थविदारिकाकोलक्षालिष्यनेमोफशसीविदारीकंदमिरीसी गोलहोय अरकरडीहोय अरउसोहारंगहोयतीनेंविदारिकाकहि जे९ अथविर्धाकोलक्षालिष्यते विरारोगपछै प्रकार कोछैनोंकोलक्षणआगेलिषस्यांसोईठेजापिलीज्यो यदस १० पिरिका, सोप्रमेहवालारोगीकैहोयछे त्यांहीकारणांसूपुरुषां कोपारिकादसहोय अरज्यांपुरुषांकेसरीरमेंमेदइष्टहुयोछै त्यां केप्रमेहधिनांभीयेदसा पिडिकाहोयछे अथदस.पिडिका काउपालिष्यतेनिस पासी मांसमोसंकोच मोह हिचकी मद जुर पिसर्प मर्मकोरोकिनो येयांकाउपवळे अथाषिटिकाका असाध्यलक्षालिष्यते यदाकै हायाकै मस्तगकै कांधोकै मर्मस्था नकै मंदाग्विालाके यांस्थानांमऊरासीहोय तीने असाध्यकहिजे केईकराचार्याकोमतछे स्वीपमेहकोरोगहोयनहीं पास्त्रीह सोमहीनांकीमहीनेवीधर्महोय, तीसेतीस्त्रीकासरीरकासारा रोगजातारहेछ अथप्रमेहजातोरत्योहोयनीकोलसलिष्यने जीको ननिर्मलहोजाय अरपनलोपाणासिरीसोहोजाय अरमूं
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२५१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. १५ नेजीकोकडयोअरतापोहोजाय नीकैपमेहगयोजाणिजे अथर तपित्तरक्तप्रमेहकोभेदलिप्यतेजीकोसरीरकोहलदसिरीसो वर्णहोजाय अरजीकोमूतलोहीसिरीसोहोजाय तोकेरुधिरप्रमेह जाणिजेनहीं कैरक्तपिनकोकोपजाणिजे अथप्रमेहरोगका जननलिष्यते प्रमेहवालानेइतनीवस्तवावोजोग्यछे साउं कोंडू गोहूं चषां अरहर कुलत्थ जय मूंग मोट साट्याचावल येसारा पुरांगांषाबोजोग्यछे अरनीषासागपत्र अरहिराकोमांस पर ममेहालाकैयेकुपथ्यले गुडनें आदिलेमीठीवस्तधृततेलछा छि दारूपावाका षटाई सांठाकोरस पीस्योअन्न अनूपदेसकोमा स येप्रमेहवालानेबरज्याछै अरकफकादसप्रमहछैतीनेयोका टोजोग्यछे नागरमोथो हरडैकीछालि लोद कायफल येवरापार ले यांनजोकूटकाररंकाईकोकाटोरोजानांसहतनांषिलेनो पि जहाप्रमेहजाय२ अथवा पसलोद कहवाकीवकल अररक्तचं दन येरावारले योनेजोकूटकाररंक ५यांकोकाटोरोजानांस हतनांपिलेतीपित्तकापमेहजाय येजतनभावप्रकासमैडै अथजलप्रमेहकोजननलिष्यने धवरूषकीवकल कहवार, पकावकल रक्तचंदन सालरसंषकीबकल ईकोकाटोलेतोज तपमेहजाय ४ अथप्रमेहकोजतनलिष्यते यास्यापारी में दापांकोसर्वनकरैनांगमहलोरीसुपेदचंदननांषिपीवेतोरक्त प्रमेहजाय ५ अथक्षारपमेहकोजतनलिष्यने सुंदररत्री कासंभोगसंक्षारपमेहजाय अथवावरुषकावकल कह वारूपकारकल अरलकाबकल किसांस्या केलिकामाहिलीसुपे वकलकमलकानडदाष यांकोकाटोदेनोक्षारप्रमेहजाय ,.
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथतकप्रमेहकोजननलिष्यते लोद कहवाकीबकल पैर नींब कापांन आंवला रक्तचंदन यांकोकाटोकरि गुडघालिलेतौ तकप मेह अरपिडिकाप्रमेह्येोन्यूंजाय ७ अथसूक्तप्रमेहकोजतन लिष्यते दोन मूर्वा डाभकीजड कांसकीजड दांत्यूणी मजीठ सालर कीचकल योकोकाटोलेतो शुक्रप्रमेहनें अररुधिरप्रमेहनें यांदोन्यां नेयोइरिकरेडे - अथघृतप्रमेहकोजननलिष्यते त्रिफला किर मालाकीगिरि पर वेंकीजर मूर्वा सहजणांकापांन नींबकापांन केलिकीसुपेदबकल मिनकादाय यांकोकाढोदेतौ घृतप्रमेहजा य९ अथइक्षप्रमेहकोजननलिष्यते कूठ पित्तपापडो कुट की मिश्री यांकोकाटोदेतौइक्षप्रमेहजाय १० अथवा अरण्यांकी जड पाडल धमासो अरलू छिलाकीजड यांकोकाटोदेतो कप मेहजाय ११ अथपित्तकाप्रमेहकोजतन लिप्यते कमलकी जड कहवाकीबकल इंद्रजव धवकीनकल च्यामिलीकीबकल आंवला निबोली यांनेमिश्रीनांषिपीवैतौ पित्तकोप्रमेहजाय १२ अथकफ काप्रमेहकोजतनलिष्यते वायविडंग राल कहांरू
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कीचकल कायफल कदंबकीवकल लोद विजयसार यांकोका ढोलेतॊकफफाप्रमेहजाय? ३ अथसंपूर्णममेहमात्रकोजतनलिष्यते नागरमोथो त्रिफला हलद देवदारु मूर्वा इंद्रजन लो द यांकोकाटोकरिदेतो संपूर्णप्रमेहमानने अरमूत्रयहनेंइरिक रेछें १४ प्रथवा काकलहर हरडेकी छाल हलद कहवाकीचक ल येचरावरिले यांनमिहीवांटियां की वराचरिईमैमिश्रा मिला यटंक".सहनकैसाथिलेतो सर्वप्रकारको प्रमेहजाय । प्रथम धुप्रमेहको जतनलिष्यते वडकीजड की वकल अरलुकी जडकी
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२५३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ पकल चारोलीकासंघकीवकल आंवलाकीजडकीवकल पीपल काजडकायकल किरमालाकाजडकीवकल महतोटी लोदनाब कीछालि पटोल परएयाकीपकल दांयूपी मीदासींगी चित्रक करा गरकीजड इंद्रजच त्रिफला सोथ्याभिलावा सूटि कालीमिराच त जपत्रज इलायचीयेसर्ववरावरिले यांनमिहींपांटिटंक. २॥सह तकैमाथि रोजीनालेती मथुप्रमेहजाय अथवा बडकाजटाने 'आदिलेरयेऔषदिछै सांकोकाटोदे अथवा यांकोलेलकरैय थवा यांकोतकरैअरईतेलकोनोगर्दनकरै अरपतकोपान करै तोमधुमेहजाय७ इतिन्यग्रोधाचंचूर्णम् अथवा सोधीसनामुषी पाषाएाभेट सोध्योसिलाजीनचंदन कचूर पीप लि सलोचन येसर्ववरावारले यांनैमिहीनांटिक सहन क.मिलाय गरुकाइधकेसाथिरोजानांपावैती मथुपमेहनें अ रमूबकाअवरोधनेयोडरिकरे 1- येसर्वजननायमैलियाछे अथचंद्रप्रभागुटिकालिष्यते कचूरदंकवचट कानागरमोथोटंकीचिरायतीरंक देवदारुटंकी हलदटेक १अतीसरंकदारुहलरंकापीपलामूलटकाचित्रकटंकाय गोरंकाफिलाटंकाचच्यटका गजपीपलिरंकाजवपारटं का साजीक सीधोलपाटेकरसंचरलूगरंकासांभरोलगा टंकासारटंक मिनीटंकरासोध्योसिलाजीतटंकासासोयो गूगलटका ४॥ यांसारांनैमिहींजुदाजुदावांटे पाछेयांसाराये कराकरि मिलाययांकोयकजीरकरैअरपागेरकासोध्योगंध करका अनकटका पाछेपारागंधककाकजलीकरै येसा शोषदिईमैमिलावे पाछेमासा४ई महततकेसाथिलेंनो
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. २५४ अमृतसागर तथापनापसागर तरंग १२ सर्वप्रमेहमाबनें बवासीरनें क्षयाने वीर्यकायेसने नेत्रांकारोगांने दांताकारागर्ने पांडुरांगनैं पांव. मलनै उदरकारोगर्ने मूबछछर्ने । मूगायामानें फायाने पासाने काढनें यांसारांरोगांनेयोइरिकरें।९ इतिचंदप्रभाशुटिका अथवा त्रिफलाटका राजारोटकाध लोटका कौंलिकाबीजरका छोरीइलायचीरकाशदालचिनी स्का। लवंगटकारानागकसरिटका नुकमरियाकावीजटड़ा २॥ यांसारांरोगांनमिहीवांटि एकजीवकरै पाईयांनामधापनमें मिलाय यांकालमुगायेकेकभरकाकरै पाछेरोजीनालाइएका प्रातःममैपायत्तौयोप्रमेहमाननेंरिकरैछ इतिपमेहारिपूर्ण म२० अथमप्रमेहकोजननलिष्यते सोध्योपारो सोध्यो गंधक कहनाकीवकल मिश्री येवरावरिले यांनषरलमेंमिहीं वांटि अरसालरकीजउकीपुट दे पाडेपरलकरैपाछेकागो लामासाप्रमारावाथै पाछैगोलारोजीनांषायतोमधुममेह जाय २१ अथवा लोदरंकासहतमुले अथवा षटीकाका दा लेतौममेहजाय २२ अथवा गिलोयसन विफलासार ये नीन्यूंमिलायरंकासहत षायतो प्रमेहजाय२३ अथवामि श्रीसिंघोडा रेवनानी येवरावरिले यांनमिहींपारिटंकज लकैसाथिरोजीनालेतो घरादिनकोभापमेहरिहोय २४ अ थवा पकागूलारकाफलरका सांधोलूकीसाथिषायनीय साध्यभीप्रमेहजाय २५ अथवा बंगेवररसरती१सहतसूं ले अरईउपरिपकागूलरिकाफलांकोचूसिहत लेतो असा ध्यभाप्रमेहरिहोय २५ अथवंगेश्वररसका क्रियालिष्यते संगपाय:-पोषोले ईनँगालि ईनंगलतां अधपाय:- पारोनांषै
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२५५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १२ पाडेकाथालीपतलीपापडीकरै पाछैवांकाछोराछोयटक कारजुदाराषिजे पाछैछापा २थापड्यावडावडासेर पांचकागा परकाकराययेकेकछाएगउपरिकसैलासेर कोचूविछावै जुगतिस तीमध्यमिहदीयोचूर्णसेर१मिलावै यांदोन्याकैवीचि पांपारारांगकादूकानें वांदोन्यांकाचूर्ण जुगतिमंदाधिदेऊपरि इसरोछागोदे पाछैना निर्वातस्थानमैजुगति फूकिटे पाछेवा नेवांगसीतलड्डुवांजुगति का? वेंकाफूलासुपेदहोजाय मोनो सऊतरै यावंगेश्वरकाकियाडै ईकागुणकोपारनहीं योसर्वरोग मात्र.रिकरैछै जुदाजुराअनूपानसूं इतिबंगसरकाक्रिया संपूर्णम् २७ अथसुपारीपाकलिष्यते दषपणीसुपारीटका
तीनमिहींपारि गउकोतटकानातीमैईनेयोसलिसेर ३ गउकाइधमैंईकोषैरोमावोकरै पाछैईमावामैये प्रोषधांमिहीं वांटिनांपैसोलिपूंछनागकेसराटंक ५नागरमोथोरंक५चं दनटंक ५सूहिक ५कोलीमिरचिटंक५पापलिटंक ५अांव लाटंक ५कोयटकावीजटंक ५जायफलरंक५लवंगटक५५ गोरंक ५ रोलाटंक५तजटंकपत्रजटंक५दलायचीटक ५दोन्यूजीराटंक५सिंघाडाकपसलोचनटंक ५यांनौमहीं वांटिईमावामैनांषेपाछमिश्रीटका५॥भरकीचासगीकरैचा सशामैचोषयांसमेनमावीनांषेपाछैकीटकायेकेकभरकी गोतीबांधे गोली प्रभातगोलासंध्याषायती अतनारोगांनेह रिकरैप्रमेहनैजीजरनें अम्लपित्तनैववासीरनैं मंदामिने भुक्रकादोषनें प्रदरनैं यारोगानेयोरिकरैठे अरसरीरने पुष्टक रैछै२८ इतिसूपारीपाका अथगोषरूपाकलि०गोषम्सेस्था
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२५६ अमृतसागर नया पतापसागर तरंग १२ ईनाम हींगारि गरकानसेरमैमकरो पाछैगरकोइधसेरनी मैंईकोपैरोमावोकरै इमावायेोषदिनांपैसोलिपूंछ बीलकी गिरिरंक-२॥ कालीमिरचिटंक साररंक५जायफलटके २॥समु इसोपटंक २॥ इलायचीटकशाभीमसेनीकपूरटंक २॥पत्रजटंक२॥ रालचिनारका हलदटंक २॥ कूटकरातालमषागारका फीमरंक॥यांओषधां आधीभागि यांनमिहींपारिमैनांषे. पाईसेस्यारिऽ मिश्रीकाचासणीकरैईचासणीमैोषयांमुधो मानोमिला पाछैईकागोलारंक५प्रमाणकाकरैगोली रोजीनां सथतीसधनीषायनो प्रमेहनेंरिकरै अरवार्यकोस्थंभकरै स्त्रि . यांनपणीप्रसन्न करें इनिगोषरूपाकः२९ अथवाचित्रक सो पागंधक सूट कालीमिरवि पापलि पारो सोध्योसोंगामहरो त्रिफला नागरमोथो येवरावरले पाछेपारागंधककाकजली करै पाछेकजलीमेयोपदिमिहींचांटिमिलावै पाछैईकैभां गराकारसकीपुटादेषरलकरै पाठेगोली प्रमाणकाबांथै गो सीरोजीनांप्रभातपातो पाराकोपकारकाकारांनँयोडूरि करेंछै ३० इतिपंचाननगुटिका येजतनवैद्यरहस्यमैल ष्याछै मामसेनीकपूरमासोकसुरीमासोअफीममासा ४ जायपत्रीमासा४ यांसारांनैनागरिपेलीका पांनाकारसमैवांटे पाछेरतीप्रमाणुगोलीकरै पाछैगोली१रोजानांइधमिश्री नाषिनीकैसाथिलेतौ प्रमेहमात्र रिहोय अरस्थभनकोकरै ३१ अथधृतप्रमेहकोजतनलिष्यते गिलचित्रक पाठ कु डाकाडालि सेकीहाँग कुटकी कूठ येवरावरिले त्यांनमिहींपाटि टंक शाजल लेतौघृतप्रमेहजाय ३२ अथवाांवलाहलद
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२५७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरत्तरंग १२ येवरावारले अरटंक५यांनेराविनेभेयपरभातवेहीपागामैचारि ईमेसहननांपिरोजीनांपीवैलीप्रमेहमारजाय ३३ अथवासोधी गंधकसार सोधासनामुषी हि मिचि पीपलि त्रिफला सिला जात योरकामीगि दलद कैथ येरावारले पाछैपारागंधककी कजलीकरेतीमैयेऔषदिमिहापांटिमिलाय तीकैभांगराकार सकापुटरादे पारंकारोजीनांषायतोपमेहमात्रद्वारहोय २४ इतिमेघनादरसः अथवा पारो अभक परावरिले यांना वलांकापरलकरीदिनपाछैरनारोजीनांषायतीप्रमेहमात्रजा य३५ इतिहरिशंकररसः अथवा इलायचीभामसेनाक पूर भाउंगीजायफल गोषरू सलरकीवकल मोचारस पारी अभ्रक बंगसारयेरावारले यांनेषरलमहींपारि रतीररो जीनांसहन लेती प्रमेहमाउरिहोय २६ इतिप्रमेहकुगर रसः अथवा वकायकाबीजटंक ५चांचलांकापापीपी सि मैगऊकोवृतमिलायरोजीनांपीवतो घणांदिनांकोभीप्रमे • हजाय३७येसर्वजननसर्वसंग्रहगलिष्याछै इतिप्रमेह हरणकाजतनसंपूर्णम् अथप्रमेहपिडिकाकालक्षण परजननमात्रेयकामत लिप्यने पित्तका पिडिकापीली अथवा लालहाय दाहहोय जुरहोय अरवायकापिडिकाकालि होय सरीरकांपैमूननासूलहोय पुरषविकलहोयजाय कफका पिडिकासुपेदहोय जाडीहोय सीतलहोय मोडापचे सोजानेली यांहोय येसर्वलक्षराजीमहोय नींनैसन्निपातकापिडिकाकह जेधवकहनाकीवकल कदंबकीवकल बारकावकल सिस्यूं कावकल नीबकाबकल यांकोकाटोकरिईपाणी पिडिका
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२५८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १२ नेधोतोओपिडिकापाछीहोय अथरंदीउपारराधिपडिग ईहोयतीकोजननलिष्यते कहबाकीचकल कदंवकीवकल तीकाअंतरछालियांकाकाटा धातौइंट्रीकाराधियाडीहोय२ अथइंद्राउपरिवायकीपिडियाहोयतीकोजतनलि. भांगराकोरस तुलसीकापांन पटोलकापत्रयांनेकांजी यांरि लेंपकरेनौपिडिकाजाय३ अथपिडिकाकोजतनलिष्यते महलोरी कूट रक्तचंदन पस रोहास गेरु कमलगरा येथमैंवा दि पित्तकीफुणस्यांकैलेपकरेनौवांकोदाहहारहोय ४ अथइंडी काकुपासीपकिजायतांकोजतनलिष्येने सीतलजल सौ१०० पायकोधोयोमांषन तीकोलेपकरैतो पांकोदाहरिहोय.५ अ थवा कदंबकापांन कहवाकापांन दांगूंकापान षेरकापांना रलाकागांन यानगरमपाएगामैवारि लेपकरेनोफणस्यांकाराथि जाय ६ अथवात्रिफलाकाभुरका राधिआय अथवाकांजी काधोवाझं छाछीकाधोष सीतलजलकाधोना राधिपाडी हायर येजननायमेलियाछै अथरसरलाकरकाज · ननलिष्यते कपासकामांगी भैसिकालाछिमें दिन षरलकरैपा छैनेंमासा रोजीनाषायतौलालाप्रमेहजाय१ अथवहमूत्रन मेहकोजतनलिष्यने मूर्यो पारो बंग अथवा बंगेखर सार अ भक यांनैवरावरिले त्यांनसहतमेदिनीपरलकरै पाउँमासो सहत रोजानांपायनो बहुमूत्रपोजाय२ इतितालकेसुर रसः ईरसनेलीयांपाछै पक्कागूलरकालरंक २॥ईकोचूाई रसउपरिलेतो बहुमूत्रपोजाय ३अरपंचपकरसमासारले तौबहुमूत्रपगोंजाय४ येजतनरसरत्नाकरगेछै इतिप्रमे
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२५९ अमृतसागर तथाप्रतापसागर नरंग ३ हरोगग्ररपिडिकारोगयांकाउत्पत्तिलक्षराजतनसंपूर्णम् रतिश्रीमन्महाराजाधिराजराजेराजेंदीसवाईप्रतापसिंह जाविरचितंअमृतसागरनामग्रंथेमूला मूत्राघात अ स्परशर्कराप्रमेह यांसर्वरोगांकाभेट्संयुक्त उत्पत्तिलक्षण जतननिरूपणनामादशःस्तरंगःसंपूर्णम् १२ अथमेदरो गकीउत्पत्तिलक्षणजननलिष्यते पणाग्रेसका करिया बैठ्यारहवासू दिनकासोवासू कफकारियलकाषावातूं मधुर नकापावासू पृतनेंपादिलेचीकणीवस्तकापावासू मेदवधैछेज दिमेदवथेतदिपुरषहेसोक्यूंभाकामकरिवेंकूसमर्थहीयनहायी निकम्मोहबोथकोपड्योरहै कुंओरधातजोछे हामीजाचार्ययेमें दनवध्यांथकांपुष्टहोयनहीं प्रोग्रादमानीकमोहोजाया अथ मेरंकापोरदौसलिणूंछंजीकैमेदहोयतीकैक्षदवासहाय तिसहोय मोहहोय कुराहतोसोवे सशरमैपीडाहोडीकवावे पसेवा सरीरमेंदूरगंधियावे मेथुनकरिवसिमर्थहोयन हायमेदवाकालक्षाडै अथमेदकोस्थानलिष्यतेप्राणिमा
कैमेदहेसोउदरभैरहैछै ईकारणमेदहसोउदरवधानेछैपा छैउदरबध्योथकोअग्निनेदीप्यमानकरैछै कूमेदकारकैटक्यौ
मार्गजिनको असोजोवायसोकोष्टहीमविचरैतदियग्निकुंडे दीप्यमानकरिषावाहीकीवांछारातदिमनस्यहेसोधगोपायो थको अनेकभयंकरबाजारानेपणादिनांमैपैराकरे पाछेउद रमेरहतोजोअग्नि अरपवन स्थूलज़ोओमेदवानोपुरुषती मैंवेदग्धकरै अँठेदृष्टांतीजेछ जैसैंवनमैरहसोजोअग्निप्रोप वनदग्धकरै पाछेमेदपगोवध्योथकोपेटमैरहतोजोवाय
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१३
२६० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पित्तमग्नि वैद्यणाविकारांनैपैदाकरे ईपुरसनें मारिनांषै १ यथ स्थूलकोलक्षणलिप्यते मेदमांसज्ञदिपांवधैनदिपुरसके दूंगा उदरस्तनयेवध्याथका घणाथलथलाटकरता हालै परखें पुरेसकोबलमांसउत्साह जाता है ईनैस्थूलकहिजे पाछेस्थूलपु रषकैयेभयंकर रोग होय विसर्पभगंदर विषमजुर अतीसार बवासीर पांवने दिलेरौरभीरोगकरै प्रथमेदवालारो गीकोजतनलिष्यते पुराणाचावल मूग कुलरथ को इयेषाय लेखन बस्तिकर्म षेदकार वो चिंता कुस्ती मार्गचालिवो सहत कोषावो जबकोषावो जागिवो षारोरस अरंडकापानांकीतर कारी हींग चावलांकोमांड इतनींवस्तईरोगवालानें सेबोजोग्य छै अथवा गिल त्रिफलायांका काढासमेदको रोगजाय। अथवा गिलवै त्रिफला यांकोकाटोकार तामसार सहननांषि पावत मेद कोरोगजाय २ अथवा वास्याउंदापालीमै सहत नांषिपावैनमेकोरोगजाय ३ अथवा उन्हंम्पन्नषाय अथवा चावलांकोमाडपीवैतौमेदकोरोगजाय ४ अथवा सूंठ मिर चि पापलि चित्रक त्रिफला नागरमोथो वायविडंग यांकाका टामैं गूगलनांषिपीवैतौ मेकोरोगजाय ५ अथवा पीप लीसहतसूंरोजी नांषायतौमेदको रोगजाय ६ अथवा धत्तू राकापांना कोरसती कोमर्दनकरि बोकरैतो मेदकोरोगजाय ७ •अथवा पारो तांमेसुर सार बीजाबोल यांनैवरावरिले यांनम
वांटि ईनकूकरभांगराकारसमेंदिन ३ घरलकरै पाछैरती २ ईनेंरोजी नांसहतसंचाटेंनौमेंटकोदोसजाय - इतिवडवान लरसः योवैद्यरहस्यमै अथवा व्यजीरो सूंठ कालीमि
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२४ अमृतसागर नथा पनापसागरतरंग १३ पीपलि सेकाहींग संचरहरा कारोवारले यांनेमिहींपारि जवां कामातूकैसाथिटंक रोजानांपावनोमेद कोरोगजाय ९योचक रत्नमलिष्योछे अथवा वायविडंग सहि जयपार पापलि सार यानेमिहांगारिटंकी नामै जवरांपलाकोचूमिलाय सह तसंलेनोमेरकोरोगजाय अथवा वोरकापांनाकोकलकनी मैंकांजीकोपाणिनांषि परइहीपरण्याकोरस अरमिलाजीत नांषिणवैतौमेरकोरोगजाय अथवा गिलवै इलायची कुडा काडालि आंवला येसाराअनुक्रम येक येकवधताले अरगू गड़यांसारांकावरावारले त्यांकोएकजीवकरै पाछेईनैटेंकसा सहन केसाथिलेती मेदकोरोग भगंदर येजाय१२ इतिअम नागूगलः योचक्रदत्तमेछै अथवा त्रिफला अनीस मूर्वा निसान चित्रक अरसो.नींबकीबकल किरमालाकागिरि पीपलामूल दोन्यूंहलद गिलचे इंद्रायरा पीपलिकूर सिरस्यूं सूटि येवरावरिले सांको काटोकरि तीमैनुलसीकोरसनांषि ईकाअनुमानमाफिक पाछैईमैनेलपकाये पाछैईतेलकोम र्दनकरै अथवाईकोवनिकर्मकरैती मेंदकारोगांनै कफकारोगानै योइरिकरेलै ३ इनिधिफलायंनेलम् योचक दलमेछै इनिमेदरोगकोउत्पत्तिलक्षराजतनसंपूर्णम् अथदेहमपसेवांसूंडुर्गेधित्रावतीहोयतीकोजननलि. अरसाकापांनाकोरस नीमैसंघकोचूर्णमिलायतीकोलेप करै अथवा वीलपत्रकापांनामैंसंषकोचूर्णमिलायलेपक रैनौसरीरकोडरगंधिजाय। अथकाषामैवासाचती होयतीकोजतनलिष्यते नींबूकापानांकारसोलेपकरेतो
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२६२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ॥ काषांकापसेवकोदोसहरिहोय अथवा हलदनेअथवलीकार तीनवांटिपाणीमैलेपकरेतोकापाकीदुर्गधिजाय अथवा नागके मार सिरसकायकल लोद पसहरडेकीछालि याने पाणीवाट यांकोरवरगोकरैतो सरीरकीदुर्गधिकोदोसहरिहोय अथवा बोलिकापानांनैंजलमेंांटियांकोमर्दनसरीरकैकरै पाछैस्ना नकरिनांपेनो सरीरकाडर्गेधिपणांकोदोसडूरिहोय३ येजत नभावप्रकासमैलिष्याछै अथसरीरकाडरगधिरिहुना कोउवरगोंलिप्यते नांबूलकापांन हरडे की छालि फूर यांने पालामांटि सरीरकैमर्दनकरेतो सरीरकीदुर्गधिजाय योइंटमैडै अथस्त्रीकात्राछारंगकरियाकोठेपलिष्यते हारेकीछालि लोद नीचकापांन दांज्यूंकायकल वकीवक ल यांनैनलसूमिहींवांटि ईकोसरीरकैलेपकरैौरेहका कानि नेकरे ५योकाशीनाथीपरितमेछै अथकाषकाधि हारवाकोजतनलिष्यते कर दोन्यूहलद यानेगोमूतमैवांटि अथवा गोवरमैंगांटिजलसूईकोलेपकरेतोकापकावासडुरि। य अरई कोदमीजाय योचक्रदत्तमेलिष्योछै पीर सरीरकोडर्गघिरिरवाकोजननलिष्यते कुलस्थ कर डा डछडीलो चंदन सेक्याजवांकोचून नज पच यांनंजलसूमिहीं वांटिसरीरकैमर्दनकरैतीसरीरकोडरगंधिजाय योशा घरमैछै अथकार्यरोगकीउत्पत्तिलक्षगजननलिष्यने ईकार्यरोग.लौकाकमैंषागाकहेछै यायलवस्तकापावासू लूषाअन्नकापावासूं लंघनकरियाझं घणामैथुनकाकरिवाएं षेदकाकरियामं भय धनपुत्रादिककानांसमं घपोसोचका
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१३.
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग करिवात्र्यकारणणसं पुरसकै कार्श्यरोग होय अथक्षीणप लांकारोगको लक्षणलिप्यते कुलाउदर कांधी येसूकिजाय नसांनी कलिया हाडचामडीसरीरकीत्र्वसेस प्रायर है सरीर डूबलीहोजाय लक्षण होयती पीएापणांकोरोगमनुष्यकैजाणि जे९ श्रथमनुष्पप्रसँतषी रापडिगयोहोयती कोइननारो गहोय सोलिषूं फीयोहोय वासीहोय क्षयरोगहोय गोला कोरोगहोय ववासीर होय उदरकोरोगहोय संग्रहणी आफ रार्ने प्रादिलेर और रोगहोय पर केईपुरषदीषनकानो बला क्यूंजयां कैसे दको भागतो सरीरमै थोडो परवीर्य कोहिसोसेरीरमैं घोर अरोमैथुनघणोंकरे रवेंकोबंधेजघोर है पर
स्त्रीयांकोगर्भ राषिदे अरकेईकदीपनकातोसरीरकापुष्ट अ रथलहान परमैथुनादिकमैं समर्थनहीं तीन षी एकहीजे क्यूं बैंकासरीरमैं मेदको भागतोयणो परशुक्रकोविभाग थोडे। जींसू
पुरषषीहीं जाणिजे १० अथकृसनामषीणपणांकारो गकोजतनलिष्यते जीतनीबलकारीयोषदिछें अरजीतनी बंधेजकी ओषदि परजितनां पुष्टकारी मृतदूधमांसनेंत्र्यादि लेरपुष्टाईकाछे त्यांसूंषीणपरिहोयछै परयांकाजतन पुष्टाईकाग्रंथकासमाप्तिमैलिषस्यां ११ अथप्रसाध्यक्षीणप गांका रोगको लक्षएालिप्यते जिहपुरसकैस्वतः स्वभावसेती freeहोय अग्निमंदहोय अरजीहपुरकै स्वतः स्वभावसेती हीसदाही वें कोसरीरनिर्बलहोय नीकोजनननहीं ये सर्वजननभावप्रकासमेलिष्याछें अथकानामषाण पणांकारोगकी उत्पत्तिलक्षणजननसंपूरणम् ॥ છે.
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१३
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथउदररोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते मंदाग्निवाला पुरसकैनि पैदा होयछे पणिउदरकी सर्वहारप्रकार तीं नेत्र्यादिलेर अरसर्वउदररोगमंदाग्निवालापुरसकैनिश्रेपैदा होय ? अथउदररोगकी और भीउत्पत्तिलिप्यते अजीर्ण तैंउदररोगहोय प्रत्यंतदोसनेंउपजावै इसिवस्तषाइतौउदर रोगहोय दोसांकोसंचय होय अथवा मलको अथवा यांवको संचयकोष्टमैहोय नदिपुरसकै उदररोगपैदाहोय । अथउद ररोगकी उत्पत्तिलिष्यते कुपथ्यसंसंचयकूंप्राप्तिहुबाजोवा यपित्तकफ सोजलनैं बहवावाली जोनसांत्यांनेरोकै हियाकाप वननैं रमनें अरगुदा कापवननैं भलोम कारषितकरै वाठप्रकारका उदररोगनैपैदाकरैछे । प्रथउदररोगकोसा मान्यलक्षणलिष्यने पेटमै आफरोहोय चालिचाकी सामर्थ जानीरहै सरीरडूवलोहोजाय मंदाग्निहोयजाय सरीरमैंसोजोहोय हाडांमें फूटणी होय मलमूत्रमाछ। तरैऊतरेनहीं सरी
दाहोय लक्षण होयतदिजाणिजे ईकैउदरको रोगहै। अथउदररोगयठप्रकारको छै सोलिंचं वायको १ पित्त को २ कफको ३ सन्निपातको ४फीयाको ५. मलकाबंध होवाको ६. चोटकालागिवाको ७ जठोदरको - अथवातोदरकोलक्ष पालिष्यते जांपुरसकैपगांके हाथांकै नाभिकै सोजोहोय कृषि मैंपसवाडामैं काटमैं पीठिमैं यांमैपीडाहोय अरसंधिसंधिमैं पीडाहोय कोषासहोय सरारभास्यौ होय मलऊनरैनहीं स रीरकीत्वचा नव नेत्र येकालापडिजाय पेटमै पीडाचाले आफ रोहोय वोलोकरे पेलक्षणहोयतदिवायकांउदरकोवि
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२६५ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १३ कारजाणिजे। अथापित्तोदरकोलक्षएालिष्यनेजीमैंजुरहोय मूर्जाहोय दाहहोय तिसहोय करचोमूंदोरहै भौति अतीसार ये सारारोगहोय अरसरीरकीत्वचा पालीहरीहोय सरीरमैपसेवथा धै अरदाहहोय धूवानलीयांउकारावे लसाकोस्पर्शकोमलहो य अरविचापकीसीहोय येजामैंलक्षणहोयनापिनकोउदररोग जाणिजे अथकफोदरकोलक्षएलिप्यतेजीकासरीरमेंपी डाहोयसोवैधणो सोजोहोय सरीरभास्योहोय हियोइषे भोजन मैंअरुचिहोय मोडोपचे सरीरंदोहोय अरपेटबोलिवोकरे ये जीमैंलक्षणहोयतीनेकफकोदरफहिजे येनीमैसर्वलक्षाहो यतीनेसन्निपातकोउदरोगकहिजे ४ अथडूस्योररकोल क्षणलिष्यतेजापुरसकोवेशकहींतरैसूकहाँपुरस.सिंहका नष अथवा मूंछकायालकहींइष्टजिनावरकोमलमूत्ररूधिर वीर्य अथवा जहरकहि मिलिजोअन्नपानमैखवायदे नीके योङ्कस्योदरपैदाहोयछै सोनीकासरीरकोलोही अरवायपित्तक फ येसाराहीसरीरकुपिनहोयछे अरईसन्निपातकाभयंक रउदररोग पैराकरै पाछैनोउदररोगहसोमेहकादिनांक पिनहुचोथको पुरसनेघगोंडपिनकरै मूर्छितकरेछ मृत्यु ल्यईनेंइस्योदरकहिजे ५ अथपाहोदरनेफायोकहेछेनीको लक्षालिष्यते गरमवसकाषावासू अरगरमवस्तकापावास दृष्टहुवोजोलोही सोकपसूफीयानेवधावे? पाछैफयोरध्यो थक्यो उदरकारोगांपैदराकरेंछैगांवांपसवाडामैंनदिसेतामनु ष्यहैसोसिटायजायछै मनुष्यकैमंदापिहोजायजाजरहो जाय बलजातोरहै येलक्षणहोयतदिनहोदरकहिजे,
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२६५ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग १३ अथमलकाबडगरोदरकोलक्षएलिष्यतेजीपुरसकेअन्नहेसो विनांसोध्योषाय तीमैवाल अथवा कांकरारेत यां मिल्योथकोपा यानीकैदोसांनेलीयांथकामलकोसंचयहोय तदियोपुरसहेसो कष्टसेतीथोडोथोडोगुरादारामलने उतारेअर-पुरसकोहियोश्र रनांभिवधिजाय तीनैयक्दोदरकहै? ७ अथक्षनोद रकोलक्षालिप्यतेजोपुरसपाषापाअादिलेरेनमिल्योग नषाय तीपुरसकारांतांनकारत्नोथको श्रोअन्नपाणीसिरीसो होयगुदाहारानिकले परकीगुदारातिदिनवहबोईकरेअर वेंकोपेड्यथै अरपेडमैपाउपणीचाले ईनेक्षनोदरकहिजेक्ष तोररअर बरगदोदरएकहींछै७ अथजलोदरकोलक्ष रालिष्यते जांपुरसघृतादिकषायोहोय अथवा पस्तिकर्मक स्पोहोय अथवाजुलावलीयोहोयअथवा वमनकपोहोय इसो पुरसयांकाऊपरि सीतलपाएीपीवैतीपुरसकेजलनेवहया वालीनसांहेसोडूषितहोय अरस्लेहकरिलिपीजोवहीनसा सांकेविसेजलोदरपैदाकरे, प्रोसीतलजल पाछेप्रोजन लोदरपैदाहुबोथकोनामिकेचोगडदाईगोलअरचीको श्र रवडोवथै पाणीकीमसककीनाईजलसंभयोथको नदियोम नुष्यहेसो वैसेतीबहुतडषीहोय अरसेंमनुस्यकोसरीरकांपै येलक्षराजीमहोयतीनेजलोदरकहिजे- येसर्वही;उद ररोगउपजनांहींकष्टसाध्यछ अरचलवानपुरसकैजीनेजलो दरनहींहोय अरतनकालकाहवा अथउदररोगांको साध्यलक्षालिष्यते बरगदोदरहोयतोएकपक्षउपरांति असाध्यजाणिजे अरजलोदरअसाध्यहीछे २ अथपुनः
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२६७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ असाध्यलक्षालिष्यते पसवाडामैसूलचालैजीकानेत्रांपर सोईहोय अररंदीवांकाहोयजींकासरीरकीत्वचागलिजायत्र रजीकासरीरकोलोहीमांसबलजातोरहै अग्निमंदहोयजाय ओपुरसअसाध्यजाणिजे ३ अथपुनःअसाध्यलक्षरालि. पसवाडामैसूलचालै गानूंपसबाराष्टूटिगयाहोय अन्नमैसूरु चिजातीरहै सरीरमैसोजोहोया अतीसारहोजाय परजीकोउदररीनोछे अरभस्योदोषेतीउदररोगसाध्यजाणि जे४ अथवानोदरकोजतनलिष्यते दसमूलकाकादामें अरंडकोनेलनाषिपविनोवानोदरडूरिहोय१अथवा त्रिफला काकाटामैगोमूतनांषिपीवैनीवातोदरजायर अथवा कूरदां यूपीजवषार पाठ सीधालूपसंचरलूपा सांभरोला वच इंटि येवरावरिले.सांनमिहींपारिटंक ५गरमजलसूलेनोवा नोदरजाय३ इतिकुष्टादिचूर्णम् अथवारकपोत्यो लस परका तीनवांटिपाणीसेरगमैंग्रोटावेतीमैनोरताहीये
ओषदिनांषे सूठिटकाशकालीमिरचिटकापीपलिटका। साकीजउटका संचरलूपटका।विडलाटका त्रिफला टका३ दांयूएगीटकासहजणांकीवकलटका अजवाय पटकागजपीपलिटका निसोतटकार यानेमिहीवांटिनें लसराकाकादामैनांषेईमेनेलसर २ नांणे पाछेईनमधुरीप्रांच पका येसर्वरसभरोषदिवालजाय तेलमात्राय रहै नदिईनेउतारियासरामेभरिराषे पाछेईनेटंक ५प्रातःका लापकीअग्निमाफिकपीवेतीसगलाउदरकारोगजाय पर मूल हनें उदावर्त्तने अंत्रवृद्धिने पार्श्वसूलनैं आंवमूलने
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२६८ · अमृतसागर तथाप्रतापसागरतरंग १३ अरुचीने फायाने अष्टालाने हमफुटपीनेसर्ववायकारोगांनै योम हीनांयेकमैडूरकरैछ ४ अथपित्तोदरकोजतनलिष्यने जुला बकालेवा पित्तोदरजाय ५अथकफोदरकोजतनलिष्यतेनि सोतकोचूर्णरंकशाउंटीकाइधमैनांषि परधरंभगोनेलनांषि टंक५ अरइहीमें पीपलिपीपलामूल चित्रक अधेलाभरिनाषि वेंडूधने महानायकत्ताईगरमकारपावतौकफोदरजाय५अथ सन्निपातकाउदररोगकोजतनलिष्यते सूहि त्रिफला यां कोकादोकार तीमैं दहीं परतेल अथवा पृतनाषिपकावे पाछे पोतेल अथवा घृताईनेंयोषायतोसन्निपातकोउदररोगजाय ७ अथवा गरमइधर्मेयरमकोनेल परगोमूत्रनांषिपावेतो वायकोउदररोगजाय अथवा छाउिमैसंचरला पीपलिनां षिपातौवातोदरजाय९ अथवा मिश्री कालीमिरचियेजलसं पीवेतौपित्तोदरजाय१० अथवा अजवाया गांरुषकाजा जारो रि कालीमिरचि पीपलि यांनेचाटिरंक ५गरमपाली सूंलेतोकोदरजाय अथवा सूटिकालीमिरचि पीपलिज वषार सीधोला यांनैवांटिटंक ५ गरमपापी पीवेतोसंनि पातकोउदररोगजाय१२ अथनारायएचूालिष्यते अज बायरामांरुषकीबकल धणे त्रिफला पीपलि कालोजीरो अजमोद पीपलामूल वायविडंग येसर्ववरावरिले दांयूंगीये कोषदिकाहिस्सासूतिगुणाले निसोतएकोषदिकाभागसूं हुएगीले इंद्रायगयेकोषदिकाभागसंहगीले थोहरिकोढूधस स्यूचोगुणोले यांसारानेमिहीवारि थोहरिकाधकीईकैपुर १२ पाछेसुकायटंक:॥ गरमपाणीसंलेत्तो उदरकारोगांने
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२६९ अमृतसागर नथा प्रतापसागर नरंग ३ वायकारोगांनैदूरिकरै अरईबोरकावकलकाकादा लेनो गोला कोरोगजाय ईनैरुलेती श्राफराकोरोगजाय अरमहा लेनो पंधकुष्टजाय अरईनैदायूंकारसकेसाथिलेनौववासीरजाय गर मपापीसलेतीअजीर्णजाय श्ररयोभगंदरने पांडुरोगर्ने षासाने सास नैं क्षयीरोगने संग्रहपीने कोढनैं मंदाग्नि विसमारनेयोचूारिकरैछै जेसैं भगवानकोसुदर्शनचकदैत्यांनैमारेनेसै योनारायणचूर्णयारोगांनैरिकरैछै १३ इतिनारायचूर्णम अथवा थोहारकोइपदांयूपी त्रिफला वायविडंग कस्याली चित्रक कूकर भांगरो येसारासेरऽ२ले यांचौगुगोपाषापाले अरईमेसेर १ गउकोतनाषेपाछेमधुरांचसंस्काये येसारापलिजाय घृतमात्रायरहै नदिईनानारिपात्रीपासिरा थे पाछैईनैटंक २॥ लेनौजुलाबलागिउदरकारोगांनैारकरै१४ इनिनारायणघृतं अथवा सागकीजड दारहलद कुरका पटोल हरडैकीछालि नींबकीछालि देवदार मूठ गिलवै ये सर्ववरावरिले यांनेजोकूटकारटंक ५कोरोजीनांकाटोलेनीका दामैंगोमून अरगूगलनांषि रोजानापावेतौसफोदरपसवाकी सूल सास पांडूरोग येसाराजाय१५ इनिपुनर्नवादिककाथ: येसाराभावप्रकासमैछ अथवा अजवायगटका १४ सेक्यो सुहागोटका २॥ यांकोचूर्णकरिरंकणगरमपापासूलेनौएदर पारोगजाय१५ अथवा पीपलिटका ५/तीनेयोहारकाधमें दिन ७ मे रोजीनांसुकायछायमें पाछेयांनी महावांटिमासा४ जल येकदिनकाशांन रामूले उपरिछाछिचावलषायतो उदरकोरोगजाय। इनिउदरामयहरंचूर्णम् अथवा
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२७० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १३ पीपलि १००० तीकैथोहारिकाधकापुर ७दे अथवा हरडे कापूर्ण कैथोहारिकाधकीपुरदे नींनेरंक गोमून लेती सर्वउदरकारोगजाय१८ अथवा दांयूपी पीपलि सूहि येवरावरिलेको षयांसारांमूहगीले विडलूरायांचौथाईले पाछैयांनमिहीयां टिटंकगरमपाणीसूलेनोफीयानै गोलामंदाग्निने पांडूरो गर्ने उदरकारोग यांसारांनैयोरिकरे १९ अथवा पाकका पानांनै अरमाधोलरामरकामैघालेका{टानेंटांकि फूकिदे पाछेयांनैयारिटंक ५ रोजीनांछाछीमूले अथवा गवारकापाग मुलेनोउदरकोरोगजाय २० अथवाइंहि गुड अथवा गुड हर है अथवा गुर पापलि यांनेरंकशारोजीनांषायनौ उदररोगनें सोजानैं पीनसनैं षासनै अरुचिर्ने जीर्णज्वरनै यवासीरने संग हपाने कफका अरबायकारोगांने ईनसेयांथकायोरोगांनैर् रिकरैछै २१ येसाराजतनवेयरहस्यमेलिष्याचे अथजलों दरकोजननलिष्यतेनीलोथूथो गंधक पीपलि हरडैकीछा लि येवरावरिले यांनैमिहीवार यांनैथोहारिकाधमंदिन ५ परलकरै पाछेकिरमालाकागिरिकारसमं५षरलकरै पाछे ईनैमासोरोजानांगरमपारणा लेतौजलोदरजाय पार चारलषायं उपरिमिलाकोसरचतपावै २२ इतिउदरादि रसः योजोगतरंगिणीमेछे अथवा इंडिकालामिरचि पी पलि पांचूलए सुहागो साजा येसर्ववरावरिले यासर्वकानुल्स सोध्याजमालगोटाले यांसारांकैदरांत्यगीकारसकापुट दे पा छक्जिोराकारसकीपुर ३दे परलकरि डायासुकायले पाई मैंअधरतीप्रमाणयांनषायनोसर्वउदरकारोगाने फायाने गो
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२७१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १३ सानैं आफरांने सूलने वासारने यांरोगांनेयोडूरिकरैछे पर ईन नेत्रमैंगांज्यां सर्पकोजहरडूरिहोयेछै २३ इतिउदयभा सररसः योरसरलपदीपमेछै अथवाआवकोपरका २कुडाकाडालिटका २॥चित्रकटका। पीपलिटका पाहू लीटकानीलकीजडटकाागऊकोनसेरथोहरिकोई घटका निसोतरकाश हरडे कीछालिटकाकपेलोटका। यांसारमोषद्योमिहींपाटि येकरीकरैयांपासेरऽ५मैंयालि घृतसमेतअमिउपरचढावणी मधुरीअांच पचायणी पा पाउगेरेसर्वपलिजाय घृतमात्रायरहै तदिपृतउतारिवाम एमघालिराषे पाछैईतकीजिननीबूंदपाय तितनाहीजुला बलागे तोइननारोगजायउंदररोगानें सोजानै भगंदरनैं गो लाने यारोगांनयोवृतहरिकरैछे २४ इतिविंधुघृतम् यो घविनोदमैलियोछे इतिउदररोगकाउत्पत्तिलक्षण जननसंपूर्णम् इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराज राजराजेंद्रश्रीसंवाईप्रतापसिंहजीविरचिते अमृतसा गरनामग्रंथे मेदरोग कार्श्वनाम क्षीणपणांकोरोग उदर रोग यासर्वरोगांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षजतननिरू पनामत्रयोदशस्तरंग:समाप्तः१३ अथसोथनामसो जारोगकीउत्पत्तिलक्षपाजननलिष्यते ज्यांपुरसाकैवचन विरेचलियांहोय तीकरिडूपलाहोय अरजुरारिकरोग हब' लाहोय अथवा लंघनादिक डूबलाहोयत्यांपुरसाकै पारीव स्त पाटीयस्त निषीवस्त उन्हीवस्त भारी दहीकाचीवस्त मां ससाक विरुद्दवस्त गोहूंकीमेदाजहरकोमिल्योअन्न यांका
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२७२
१४
अमृतसागर नयाँ प्रतापसागर तरंग पावासूं अरववासीरघएवढ्यौरवो पेटमै छै श्ररजुलाबले नहीं भरचोटलागिवासूं काचागर्भकापडिवासूं जुलाबलेरपां चकर्मकरैछे त्यांमैं कुपथ्यकाकरि वासूं अतनीवस्तां वांडूब नाच्यादम्यां कैसोजाकोरोगहोय है सोच्यो सोजाकोरोगनव९प्र कारको वायको १ पित्तको २ कफको ३ वातपित्तको ४ वातक फको ५ कफपित्तको ६ सन्निपातको ७ चोटलागिवाको वि सको ९ अथसोजाको पूर्वरूपलिष्यते सरीरमैंवाय होय अरनसांनेपसारतांपीडाणी होय सरसरीरभारयोरहै येजी मैंलक्षण होयतदिजाणिजेईकै सोजाकोआजार होसी १ म थसोजाको सामान्यलक्षगलिष्यते आपकाकारांकरि केंदुष्टहबोजोनाय सोरक्तपित्तकफकरिकै वेंकीगतिरुकजाय नादिरक्तपित्तहैसोसरीर की जोवाहरलीनसां त्यांप्रतिकफनें प्राप्तिकर सरीरकी जो त्वचामांसयांकासमूहनेंघ फुलाय देखेँ ईकारणईनैसोजाकोरोगक है छै सोवहसोजो इतनीवात नॅकरें सरीर भारयोकरिदे मनमेंत्र्यावैजैठेईहोजाय वेंसी जामैंगरमपणोंहोजाय नसांनी कलित्र्याचे रोमांच होयत्र्या सरीरको वर्णऔरसोहोजाय मेलक्षण होयतदिसोजाको रोग कहिजे' अथवायकासोजाकोलक्षएलिष्यते सरीरकान्व चाहैसो कठोरहोजाय लालहोजाय अथवा कालीहो जाय थवा सोईहोयजाय तदिवेंकैसेकादिककरे नदियाछी होजाय अरदिनमै घणी सोई होजाय येजीमेंलक्षणहोय तीनेंवायका सोईकहिजे? प्रथपित्तकीसोईकोलक्षणलिप्यते सरीर कीत्वचा कोमलहोय जाक्पगंधनैलीयांहोय पीलीहोय लला
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२७३
१४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ईनेलीयांहोय सरीरम्भ में जुरहोय पसेवघांच्या तिसघणीला गे मदहोयच्यावै सरीरको स्पर्शकहा वेनहीं नेत्रलालहोय सरी रकीत्वचामेंदाहघणोंहोय येलक्षणहोयतीनें पित्तकी सोईकहि जै २ अथकफकीसोईकोलक्षणलिप्यते जाकैमाईमैंसरीर भास्योहोय परचामडीपीलीहोय भोजनमूंरुचिजाती रहें नांद घावे अभिमंदहोय सोईऊंची नहींहोय रात्रिनेवधिजाय येलक्षराजीमैह्येय तीनेकफकीसोईकहिजे ३ अरदोयदोयटो सांकाजी मैंलक्षणमिलैती में दोय दोय दो सांकी सोईकहिजे भरजसोई में सर्व दोसांकालक्षणमिले तीनसन्निपातकीसो कहिजे १ अथचोटलागिवा उपजीजोसोईतीकोल क्षणलिष्यते सस्त्रादिककालागिवासूंउपजीजोसोई अथवा सीतपवनकालागिवासूंउपजी अथवा दहीकाषाचाउपजी सोई अथवा भिलावाकालागिवासूंउपजी सोई अथवा छिकालागिवासूंउपजीसोई अथवा जिमीकंदनैत्र्यादिलेर तीकालागिवाउपजी सोई सोवायेकजागाकीसोई सारासरी रमै फेलजाय अरसोई में दाहघणोहोय लालहोयत्र्यावैऔरपित्तकासर्वलक्षणमिलै येलक्षणजी मैंहोय तीनेंशस्त्रा दिककालागिवाकीसोईजाणिजे १ प्रथविसेलजिनावरांदि कांतेंउपजीजोसोईतीको लक्षणलिप्यते विसेलजनांवरां कासूत्रका स्पर्शकरिवासोईहोय अथवा मादकालागिवा संसोईहोय दातांकाठिवासूंसोईहोय नषकालागिवासूंसोई होय निसेलजिनांवरांकामलमूत्रवीर्य येवस्त्रांकास्पर्शकस्यां सौईहोय विसतृक्षकापवनका स्पर्श कस्यां सूंसोईहोय जहर
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२७४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १४ कापावासं अथवा लागिवासंसोईहोय त्यांकोयोलक्षण सोई में पीराघलाहोय सरीरमैपणा फेलिजाय दाहरणोंहोय तदिनागि जेयाविसकीसोईछै९ अथसोईकाउपदपलिष्यने षासहोय निसहोय छर्दिहोय सरीरडलहोय जुरहोय भोजनमैरुचि जातीरहे येसोईकाउपदबछ गांउपवांवालांकोजननकीजेन हो अथसोईवालाकोकष्टसाध्यलक्षरालिष्यते पेडूसूले रस्तनांताईसोईहोय वाकष्टसाध्यछै अरसर्वसरीरमैंसोईहो य वासोईअमाध्यले अथएनःअसाध्यलक्षणलिष्यते पुरसकेनोप्रथमपगांमुलेरमुषउपरताईसोईनाले स्वाकेपथ ममुषकैसोईहोय अरपगांताईया वासोईप्रसाध्यछै ई कोजतनछैनहीं अरपथमपेड़मैं होय अरसर्वत्रफैले यांसोई नांदोन्यां कैअसाध्यजाणिजे अथसोथरोगकोजतनलि प्यते सूठि साटाकीजड अरंडकीछालि पीपलि पीपलमूलन व्य चित्रक यांकोकाटोलेतीवायकोसोजोजाया परोल त्रिफ लानांवकीछालि दारुहलट्यांकोकादोगूगलनांषिलेतो पि तकीसोई. तिसमें जुर. यांनीषद्यांकोकादोडूरिकरेछै२ अ थकफकीसोईकोजतनलिष्यते पापन्यांने अथवा हर. मैं थोहारिकाधमैं मिजोयदिन३पाछैयांनैसुकायमिहीनां दिदंक शारोजीनांदिन १० लेतीसन्निपातकासोईजाय४ अ थभिलावाकीसोईकोजतनलिष्यनेनिलपरकालीमांटी भेसकाइधमै नथासिकामांपनमैवारियांकोलेपकरेनो भि लावाकासोईडूरिहोय ५ अथवा महलोठी कालानिल मैं सिकोडूध अरभौसकोमांषन तमियांनेगारियांकोलेपकरै
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२७५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १४ तौभिलावाकासोईजाय अथवा सालवृक्षकापांनाकोलेपक रैतौभिलावाकीसोईजाय अरविसकीसोईकाजतनविसका प्रकामैंलिपस्यां अथसोथरोगकासामान्यजतनलिष्यते हरडैकालालि हलद भाउंगी गिल चित्रक दारुहलद सारी कीजर सूठि यांकोकाटोलेती उदरकी पगांकी मूंढाकी सोईन तकालजाय इतिपथ्यादिकाथ अथपोनांकामोईको जतनलिष्यते त्रिफलांकाकाटामैंगोमंतनाषिपीवैनोपीनाकी सोईजाय९ अथवा विसषापराकीजा देवदारु मूरि यांकाका ढा सोईजाय अथवारांयूपी निसोन इंहि कालिमिरचि पापलि चित्रक यांकोकादोलेतीसोईजाय अथवासनामुषी विसषापरो नींबकीछालि गोमूंत यांकोकाटोलेतीसोईजाय १२ अथवा सारीकीजडदारहलद सूहि सहजगांकीजड स रस्यूं यांनकांजींकापागी वांटि नयोंगरमकरिलेपकरैतौ सर्व सोईमात्रमहोया३ अथवागुउग्रायो अथवा गुड इंडि अथवा गुडहरडैकाडालि अथवाराउ पीपलि यांनोमिहींचा दिरंक २॥ भुलेरटका भरतार्दवथतीपाय महानायकाता ईतौ सोजानैं पीनसनैं गलाकारोगनैं सासषासने अरुचि मैं जाजरनैं बवासीरनैं संग्रहणीनै कफवायकाधिकार यांसारांरोगांनेयोइरिकरैछ १४ अथवा पीपलि सूरि यांनेमि होवांटि यांबराबरिराडमिलायषायतो सोजानैं प्रांरनैंप जीर्णनैं सूलने यांनेयोइरिकरैछै।५ अथचागुडटकाभर इंडिटका भर पीपलटकाशमंडूरटकाभर तिलटका। यांसारांनैमिहींपाटियांकोएकजीयकरैपाछैटंकारोजीनां
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२७६ अमनसागर नथापनापसागर तरंग ४ पायनोसर्वप्रकारकीसोईजाय१६ अथवासूकीमूली साटीकी जड दारहलर रारमा सूंटि यांकोकाटोकरि ईरसमेंलपकायले पाडेतेलकोमर्दनकरेनौमूलसंयुक्तसोईजाया येसर्वज तनभावप्रकासमैरियाले अथसोजाकादाहकारिहना कोलेपलिष्यने बहेडाकीमीजानेपानीमैयाटि वेंकालैंपकरे तोसोजाकायहकोदोसडूरिहोया अथवा सादरीकीजड दारु हलद गिलये पार इंहि गोषरू येवरावरिले यानेमिहींपारि रंकागोमून पावेतो सर्वप्रकारकोसर्वसरीरमें फैलनोसो जोजाय पाई पाठप्रकारकोउदररोगजाय अरईसूत्रणमा अजाय१९ इनिपुनर्नवादिचूर्णम् अथवा साटीकोजउनी बकीछालि पटोल सूरि कुटकी गिलवै दारुहलर हरडेकीछा लियांकोकाटोलेनोसर्वागसोथ. पास उदररोगर्ने पांडुरोगर्ने यांसारांनेयोङ्कारकरे २० इनिपुनर्नवादिक्काथ इतिसोय नामसोजारोगनीउत्पनिलक्षाजननसंपूर्णम् अथह दिरोगईनेलोकिकमैअंडदृष्टि अरअंत्रदिरोगकहेछ तीकोउत्पत्तिलक्षराजतनलिष्यते अंडवृद्धि प्रकारको यायको पित्तको कफको २ लोहीको४ मेदको ५ मूत्रको ६ अंबहियेकप्रकारको वायको अथअंडवृद्धिकासामान्य लक्षपालिष्यने आधीगामीजोपवनहैसो श्रापका कारएy कुपिनड़योथको प्रांडांमैपरजांघांकीसंध्यामैप्राप्तिहोय पर इंदहीविचरतोथको उठसोजानेंअरसूलनैकरै पाछेयांदोन्यां प्रांडा. अराडाकोषालकोमंडावाने नवावालाजोनसांनी नेग्रोदुष्पवनपानिहोय वानसानेपाडिनकर अरबांदोन्गंत्री
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग डांनै भ्रदोन्यांच्यांडाकाभंडारानें वधाय देवैखै तीनेवैद्यडवृद्धि कंहै? अथवायकाअंडवृद्धिकोल क्षएालिष्यते वायक रिकैंभरी सीजोलुहारकीधमणि नीकोसोस्पर्शहोप अरलूषी होय रविरिकारणहीं वें में पीडाहोय तीनैवायकी अंडवृद्धिक हिजै १ अथपित्तकीडद्धिकोल क्षणलिप्यते पस्योजोगू लरिकोफल तीसरीसोसोजोहोय पर वेंदाहहोय तीनैपित्त कोअंडवृद्धिकहिजे २ अथकफकीडद्धिकोलक्षणलिष्य मोअंडटडिसीतलहोय अरभारीहोय अरचीकरणी होय मरजी मैं जालिहोय पर करडी होय पर बेमैपीडाथोडीहोय तदिजा विजेयाअंडरडिकफकी ३ अथलोहीका दुष्टपणांकी डबृद्धिकोलक्षणलिष्यते कालीहोय फोडाजी मैं घणाहोय अरपित्तकीदृद्धिकाजीमैंलक्षणमिले तीनैरक्तदुष्टकी अंडर डिकहिजै ४ अथमेदकीअंडवृद्धिकोलक्षएालिप्यते सर्व कफकासाजीमैंलक्षएाहोय अरकोमलजोताङको फलतींस सोहोय तीनेंमेद्कोअंडवृद्धिकहिजै पथमूत्रकारोकि वाकाअंडवृद्धिकोलक्षणलिष्यते जोपुरसमूत्रकारोगनैं रोकै परमारगनैचालेती के मसकसरीसोकोमलत्र्यांडबधै पर वेंमें पीडाहोय अरमूत्रकष्टसंतरे तीमूतकारोकिया कोडकिहिजे ६ अथमंत्रदृद्धिकी उत्पत्तिलक्षणलि• ज्यांवस्तांसंवाय हैसोको पकुंप्राप्तिहोय इसातो भोजनकरे रसीतलजलमैंतिरै जुद्ध मैं ऊंचो रहतीं भारका उठावासूं मा र्गचाविवासूं अंगांऊंश्रेठीऊंटी करि वासूं ओरकोईभयंकर ब स्तकाकरियां यांकारणांसंपवनहैसो सांकुचितहोय सरीर
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१४
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२७८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग .१४ कांछोरीगांताकाप्रपयवानैं आपकास्थानथकीनींचेप्राप्तिक रेपडूअरजांघांतीकासंधिमेंाफरोकरेअरकंठेपीडाकरे पीछैम नुस्यहसोहाथांउनैंभाचे तदिचोप्रोडोलियापकास्थान स्थानमैरिजाय अरमोरंकहीं नरेआफरोहोय तदिवारेनीक लिआवै अरजांपुरसकेकायकोसंचयघपोहोयतीकोनांचय वमिलिअंत्रदिनेकारलेवे? योअंजटिवायकाप्रतिकातुल्यछे योनरहडिरोगसाध्यैर अथरिकोजतनलिष्यने दूधमैअरंडकोनेलनांषिमहीनायकताईपीवेनीवायकीअंडवृद्धि जाय३ अथवा गूगल अरंडकोनेलयेदोन्यूगोमूत पीवैनोपि नकाअंडरिजाय४ अथवारक्तचंदन महुवो कमतगहाषस कमसकीजड यांनैरावरिले पाछैयांनैइधसूमिहीवारि उठेले पकरैतोपित्तकीडहिदाहर्ने पीडायोलेपरिकरेडै ५ अथवा इंडिकालामिरचि पीपलि विफला-यांकोकाटोले ती मैंजवषारसीयोनाषिपीवैतीकफकीअंउहिरिहोय अथवा कडवीतूंचालूपायांवस्तांकोसुहावनोसहावतोसेरक रअरयांकापाएगीकोनरडोदेतोसर्वप्रकारकोअंडहडिजाय अथवा वारंवारउठेजोकलगायकोलोहीकटानोकरेतो रक्तकाकोपकोअंडरहिजायन्अथवाजुलाब रक्तकोअंड इडिजाय९ अथवा मिथीसहनपापीमैनाषिपवितौरल काकोपकोअंडहाइजाय१० अथवा सीनलव्यकालेपसूं रक्तअरपित्तफोभंडारजाय अथवातुलसीकापानांने सिजायकोसुहारत्तोलेपकरैतौ मेदकोशंउटडिजायरअ थगोसोउत्तरगयोहोयतीकोपाछ्याहोवाकोओषदिलि.
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२७९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १४ भेडिकोघृतकांसीकाथालीमैमथै तामैरालमिलावे पाछेरुस थेपाछैमैक्यूसीगीमोहरोमिला पाछेईकोगोसाकेमर्दनकरेती गोसोयाख्योहोयाओषरिमंडरिकीपेरीकोगूदटंकास स्टंकी मूरिटंका५गरकाढूथपेसास्तीमैसालिममिश्रीपेसाभरमिलायरंक ४रोजीनादिनसताईांडकैलेपकरैतीअंटार जाया४ अथवाश्रांडांकासीमणिकापसवाड़ाकेनीचेमिहींवस्त्र करिवेनैवाथैतोमूत्रकीअंडडिजाय १५येसर्वजतनभावप्रकास मैंछै अथवारास्ना महलोठी गिलचेअरंडकीजड परैयकिर मालाकीगिार गोषरू पोलपरसोयांकोकाटोकरैतीमैंअरं उकोनेलनांपिपीवेतो अंत्ररधिजाय १६ अथवा हरडेकीछा लिचिरायतो धणों येसारापैसापेसाभारले लवंगपैसा पोरा भरिलेसनामुषीरकाशभर मिश्रीयांसारांकीबराबरिलेअर मिश्रीबराबरिसहतमिलाय रोजीनांटंक॥पायनोनिश्चेअंड वृद्धिहरिहोया येवेयरहस्यमैलिष्याछै इनिअंडवृद्धि अंत्रदिरोगकी उत्पत्तिलक्षएजतनसंपूर्ण अथवारो गई लौकिकमेवरकहेछैतीकीउत्पत्तिलक्षराजतनलि. घणीभारीयगीकफकारीवस्तषाय अथवाभायामांसका षावा अथवा पित्तकारीमियाविहार स्त्रीसंग कुपितह चोजोपित्तसंयुक्तनायसोपेअरजांघतीकासंधिमैसोजाने लीयांगांरिनैंकरैछै यांगांरिजुरनै जुरनेसूलनेकरैपरपगांमैं पीराकरेंछे तीनेवैचहेसोवधारोगईनलौकिकमैंथकहेगे थवदकोजतनलि हरडेकालालिपीपलिसांधोलूपयेब रावरिल यांनमिहीनांटि यांनअरंडकालमैमूनेपाछेरंकायांने
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१४.
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . पायतौवध कोरोगजाय १ अथवा जीरो फांऊं रूपकीवकल कूठ गौहूं बोरकापांनयाने कांजी का पाणीमैमिहीनांटि बदफैलेपकरै aौवदकोरोगजाय २ येभावप्रकाशर्मैलिष्याछै अथवा तत कालको मास्यैोजो कागलोनीं कोमांहिलोमलले नीनैं क्यूंयेकगर मकचिदकैबांधै अथवा लेपकरैनीनतकालवदयाछीहोय मोवैद्यरहस्यमै अथवा कुंदरू भेडिकाडूधमेंवांटि वेंकै लैपकरैतौवदुआडीहोय ३ इतिबद्रोगकी उत्पत्तिलक्षण जननसंपूर्णम् अथगलगंड। गंडमाला २ अपची ३ ग्रंथि ४ अर्बुद ५ यांरोगांकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिप्यते जीपुरसकागलाकैच्यांड की सीनांईगाढो सोजोहोय लटके मोसो जोवडोहोय अथवा छोटोहोय तीनवैद्यहैसोगलगंडरोगक है है अथगलगंडको सामान्यलक्षएालिष्यते वायरकफये दोन्यूंगलामैदुष्टहोय अरंग लाकेवी चिमेदनेपकडिसनैसनेंमेद नैत्र्यंडकीसीनाईआपका चिन्हार्नेलिययाचदेछे तीनेगलगंडक हिजै सोगलगंडतीनिप्रकारको बायको १ कफको २ मेदको ३ अथवायकागलगंडकोलक्षगलिष्यते जोंमें पीडाघणीही यमरगलाकीनसांकालीहोय अथवा लालहोय मरवांमैक ठोरपणोंहोय परमोडीवधे परपचेनहीं अरसूंदोविरसहो जाय र बैंकोतालको अरगलो लिप्योसोदा सेकफकरिकैं येजों मैंलक्षण होयतीनें वायकोगलगंडकहिजे १ अथकफकागल गंडकोलक्षएालिष्यते गलाकैत्र्यांडकीसीनाई लटकनीसोई स्थिररहे अरभारीरहै पर वेंमेषुजातिघणीच्यावे अरवासील होय अरमोडीवधे अरमोडी पके अर वेंमेंपीडकमहोय रवेंको
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२८१
१४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मूंटीमीढोहोय अरतालो अरगलोकफसंलिप्यौदा तीनै कफको गलगंडकहिजे२ अथमेदकागलगंडकोल क्षण लिष्यते योनी कोहोय कोमलहोय पीलोहोय पर मैंबुजालिहोय रवेमैपी डाहोय अरगलाकैघीयाकीसी नाईलटके पर वेंकीजडथोडीही य रवेंकादेहका अनुमानमाफिकयटैवधै अर पेंकोमूंढोचीक शोहोय रोगलाही मैं बोले ये लक्षणजी मैंहोय ती दकांग लगंडकहिजै ३ अथगलगंडकोप्रसाध्यलक्षगलिष्यते जीं कैसासनीठिया पर वें कोसर्व सरीर कोमलहोजाय रोव रस १ उलंघिजाय अरभोजनमैंरुचि जाती रहे अरसरीरक्षीण. पडिजाय अरस्वरम्प्राछ्यौ निकलैनहीं ओगलगंडवालो असाध्य जाणिजे ४ श्रथकंठमालाकोल क्षणलिष्यते जी कागलाकै अथवा कोषकै अथवा कांधीकै अथवा पेड़की अरजांमांकीसं धिमैं बोरप्रमाण अथवा भांवलाप्रमाण मेदकफकीघणीगाढी गांठपडिजाय तीनैवैद्यगंडमालाको रोग कहै छै । अथप्रप चीकोलक्षएएलिष्यते पर वाहीगंडमालाघादिनकीहोजा यर वेंमेयेलक्षणहोय चागांरिपकिजाय पर वेंमैंराधिपडि करिवहनीकलै अरबोऊंटे ही पैदा होती जाय अरमिटतीभीजा य अरदिनवेंमेंघणालागे तीनैवैद्य हैसोअपचीकहै अथ अपचीकांत्र्प्रसाध्यलक्षगलिप्यते पसवाडा में सूलहोय पा सहोय ज्वरहीय परवमनहोय येलक्षणहोयतो साध्यजा (राजै । अथग्रंथिजीनेगांठिक छै ती कोलक्षएगलिष्यनेवायपित्तकफहैसो लोहीनें मांसनैं मेट्ने नसांनेइसिनकरै रगोलऊंची सोईनैलीयांसी जोगांरितीने पैदाकरे सोईनें
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२८२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १४ वैययंथिनामगांटिकहेछै सोयागांठिपांच५प्रकारकाछै याय कपिनकीर कफका३ मेदका ४ नसांकी५ अथवायकीगाडि कोलक्षगलियंत प्रथमवागांडिचामडानषेचिकरियडीहोय पाछैउँमैचटकाचालै पाछै यथायणीहोय अरवाटैजाद निर्मललोहानैवहै अथपित्तकागांटिकोलक्षगलिष्यते वा गांठिसीतलहोयजांकोवर्णोरसोहोय जीमेंअल्पपीडाहोय पुजालिजीमैंघलाहोय पथरसिरीसीगांटिहोय मोडविथै यात टेजरिजाराधिनासरे लोहानहींनीसरेयेलक्षणजीमैं होयनीने कफकागांटिकहिजै ३ अथमेदकीगांटिकोलक्षगलियते जांसरीरमाफिकवागांटिवधेयटै वागांडिचीकगीहोय अरवरी होय शुजालिहोयमैपाउपणीहोय अरवाटैतदिपलसिरीसो घृतसिरीसोमेनीकलै तीनैमेदकीगांटिकहिजै ४ अथनसां कीगांटिकोलक्षालिष्यते गागांटिनिर्मलपुरसकेषेद उप जै नमानसंकोचकरे वायगांठिनउपजाने वागांडिचीयरगो लहोय अरयेमैपाडाहोय अरकोमलहोय अथवा करडीहोय पीडाभीनहींहोय परवांगांटिमर्मस्थानमैहोयनोनिश्चैहानसा ध्यछैनहीं यागांटिकष्टसाध्यछै५ बेमर्मस्थानभालिबूंछं। गाल गलो कांधा सरीरकासंथिहियो गुदाकैनिकटि पाटिये मर्मस्थानछै अथअर्बुदरोगकाउत्पत्तिलक्षणलिष्यतेजो पुरसमांसघोषातोहोय अरअन्नादिकथोडोषाय तीकैवाय पिसकफहेसो दुष्टहोयवेंकालोहाने अरमांसनें विगाडिका सगरमें अथवा सरीरकायेकदेशमें बडीगोल स्थिरजोमैथोडी पाटाजीकीजस्थोडी मोडीवथैपचैनहीं इसीमांसकागोटिहोय
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२८३
१४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग fitवैद्यहैसो अर्बुदरोग कहें डे सोच्योअर्बुदरोग दोय २ प्रकारको येकतौरक्तार्बुद १ मांसार्बुद २ अथरक्तार्बुदकोलक्षणलिप्यते आपकारणसंदुष्टहुवोजो पित्तसोरुधिरनैं अरनसांनसंकुचिनक रैपरवानैपीडाकरै वाकामांसकापिंडकर मांसकाअंकूरासंनीयां नैटकै वांनैवधावै पाछैवेनैक्यूंयेकपकाय परलोही संयुक्तवनैंघ एलोवहावैनिरंतर वेनेंरुधिरको पर्बुदकहीजे योग्यसाध्यछै ईर कानांसथकीसरीरमैंऔरउपद्रवपांडुरोगनैच्यादिलेरकरैछै १ अथमांसार्बुद की उत्पत्तिसंयुक्तलक्षणलिष्यते जीपुरसकेक होतं मूंगच्यादिलेरक्यांहों की वें कासरीरकैचोटलागैजींज गांकोमांसष्टहोय तदियोगांसदुष्टदुबोथकोऊंठे सोजानें करै सोपैंसोजामैंपीडनहीं पर वेंसोजाकोदेह का वर्णसिरीसोरंगहो य परसोजोपनहीं अरयोसोजोपथरीसिरीसोगादोहो यरोसोजोथिरर है येजीमै लक्षण होय तीनेमांसार्बुदकहि जे यो भान्साध्य २ अथमध्यर्बुदकोलक्षरालिप्यते जोय र्बुदमर्मस्थानमैं उपजे अथवा नसांमैंउपजे मोछोटीभीछे तानें अध्यर्बुदकहीजै१ प्रथत्र्यर्बुदरोगय कैनहींतीकोकारणलि ष्यते ईमैंकफकाअधिकपणंथकी अरमेदकाग्रधिकपणाथकी पकैनहींज्यूंयोत्र्मसाध्यछै । अथगलगंडनैत्र्यादिलेरयेरोगक ह्यात्यांकात्र्यनुक्रमसूंजननलिष्यते सरस्यूं सहजएकाबीज साकाबीज अलसी जब मूलीकाबीज येबराबरिले यांनेपाटी छाडिमेंमिहीनांटियांकोलेपकरैती गलगंडनैं गंडमालानें गांडि नैं यांरोगांनैततकालडूरकरै १ अथवा सरस्यूं जलकुंभीकीराष यांदोन्यांनैतेलवांटियां कोलेपकरैतोगलगंडरोगजाय २ अ
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२८४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १४ थवासाषाहुलीनैजलसंचारियमंछागि पातसमेदिना५पायैड परि गउकोतयगोषायतोगलगंररोगजाय ३ अथवा कुद की.चांदिवेनें पकायायाकाफलमैरात्रि.भिजोयराले पाहीज लमैनेवाटिछापिदिन पावैनोगलगंडरोगजाय४ अथवा गि लनीबकीछालि छरतुकीछालि पीपलिदोन्गूंषरेटी देवदार येबराबरिले यांकोकाटोकरि ईकादाकारसमें तेलपकावे पाछे ईतेल टंक रोजीनांदिना५पीवैतोगलगंडरोगजीय५ इति अमृतादिनेलम् अथवाजव मूंग पोल करनीवस्तषो अन्न यमनलाहीकोछुराबी पाडणांकोदेवो येसारागलगंडरी गाच्या अथवाजलकुंभासांधोलूगा पीपलियांवांटि प्रभातसमेंसूहिनाषिपवितीकंठमालजाय अथवावरण्या कीजडकोकाटोतामेसहतनांषि पार्वतीकंठमालजायर अथवा कचनागरकीवकलटकाभर सूटिटकाभर पाप लिटकाभर मिरचिटकाभर हरडैकालालिटंक ५वहेडाको डालिटंकण्यांवलाटंकवरएयांकाचालिटंकशातजरंका पत्रजटंकाइलायचीटंकीयांनमिहींपाटि यांबराबरिईमैं सो योगूगलमिलायईकोएकजीरकरिमासा४प्रभातहीजलसूं रोजानांलेतो गलगंड अर्बदनैं गांठिनबाने गोलानै कोटने भगंदरनैजुदाजुराअनूपानांझू यांरोगांनेहरिकरेछौ इतिका चनारिगूगलम् अथवा वायविडंगकाजड ईकोकाटोकरि नीमैंजलभांगराकोरसनांषि नीमेनेलअनुमानमाफिक नांपि मधुरांच ईनैपकावै तदिरसमात्रवलिजाय तेलमात्रा परहे तदिईनसीरनाषिउतारिले पाईकोलपकरैतोकंठ
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२८५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १४ मालजाय१ इतिचक्रमर्दनेलम् अथवा चिरमीकोपंचांगले तीनैजलसंवारि बेमेअनुमानमाफिकनेलनांषिमधुरांचसू पकावै नदिरसवलिजाय तेलमात्रायरहै नदिईतेलकोवेंके मर्दनकरैतोकंठमालजा१२ इतिगुंजालम् अथअपचीको जतनलिष्यते सिरस्यूं नींबकापान भिलावा यांनैघाति बक रीका तमै यांनवांटिलेपकरेतो अपनीजाय अथवा रक्त चंदनहरडैकालालि लाष वच कुटकी यांनपाणी0वांटिईपा पीतेलपकावै पाईनलकोमर्दनकरैनो अपचीरोगजा य१४ इतिचंदनादितेलम् अथवासंरि कालीमिरचि पापलि वायविडंग महवोसोधोलू देवदारु यांनैपालीसूमिहींपा टि ईमतेलनांषिमधुरीयांचसूपकावै जलबलिजाय तेलमात्र
आयरहे तदिईतलकानांसलेतोअपचीजाय५ इतिव्योषा दिलम् अथगाडिकोजननलिष्यतेसाजी मूलीकोषार संषकोचूर्ण यांनपारगामैवांटिलेपकरेतो गांटिने अर्बुदनैया दोन्यानेयोडूरिकरैछे १६ अथरजात्पादितआगेवा रोगमैकहस्या तीरांगांटिउगेरेघणमात्रसर्वजाय अथ अर्बुदकाजतनलिष्यतेहलदलोद पतंगधमासो मैरासि ल यांनैमिहींवांटिसहनमैं पाछेकोलेपकरैतौ मेदको अ ख़ुदरोगकोडूरिहोया अथवा मूलीकोषार हल संषकोचू र्ण येजसमैमिहीवारि लेपकरेतोअर्बुदजाय अथवा कूठ पारीला पडकोइथयांनैमिहीवांटिलेपकरेनों परउपरवड कोपानबांधेदिन तो अर्बुदरोगजायअथवा सहजणांका जड अरसहजताकाबीज सिरस्यूंतुलसीकापानजव कनी
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२५ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १४ रकारकल इंदजर येवरावरिले पाछेछाधिसूमिहींगॉरि ईको लेपकरैनौअर्बुदरोगजाय ४ येसजतनभावप्रकासमें लिष्याछै अथवालालअरंडकीजड छीलाकीजड यांदोन्या मैंचांवांकापागोमेवारि लेपकरैतोगलगंडजाय ५ अथ वाकिरमालाकीजड चांवलांकापांणीवांटिलेपकरेंनी कंठमालाजाय ६ अथवा संभालूकीजड जलझूवांटिलेप करेती कंठमालजाय अथवा सिरस्यूं सूकरकाविष्टा यांने बराबरिले यांनटिकरामेबालि पाछैकड़जातेलईमैमिहींवा टिवेकोलेपकरैतो कंउमालजाय- येसर्वजननवेयर हस्यमलिष्याछे इतिगलगंडकंठमालाअपचीग्रंथिअर्बु दयारोगांकी उत्पत्तिलक्षणजन्नसंपूर्णम् इतिश्रीमन्म हाराजाधिराजमहाराजराजराजेंडीसवाईप्रतापसिंह जीविरचितेअमृतसागरनामयंथेसोथरोगडहरि अंत्रदिपानामवर गलगंडकलमाला अपची ग्रंथि नामगांरि अर्बुद अध्यईद यांसारांरोगांकाभेदसंयुक्त उत्सत्तिलसगजनननिरूपांनामचतुर्दशस्तरंगः १४ अथश्तीपदरोगकीउत्पत्तिलक्षराजतनलिष्यनेजोप रषपुरागोजले तलावगैरेकोछरितु में पीवतोसीतलही जलतापरसकेयोतीपदरोगनिहायछे अथलीपद रोगकोसामान्यलक्षालिष्यतेजीकैपेअरजांघांकीसंधिमैसोजोयगोकरे पीडघणीकर वापाडजुर करे पाछैनासोईउंगसंचाले सोकम पगांताईआवेईनवैयहेसो स्लीपदकहेछे ईराचार्यहाथ कान इंद्रीके आपके
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग होटके नाककै भीसोईहोय तीनैं भीली पदरोगक है वोप दरोगच्यारि ४ प्रकारको वायको१पित्तको २ कफको ३ सन्नि पातको ४ अथवायको श्लीपदकोलक्षणलिष्यते कालो होय लूषौहोय प्रोफाटिजाय जीमैपीडघणी होय जुरहोय? अथपित्तकालीपदकोलक्षएालिष्यते श्रीकणेहोय पीलो ह्येय स्थिरहोय विनांकफभास्यापणों पर वडापणहोय ३ अथसन्निपातकाम्ली पदकालक्षएालिष्यते जीम्लीपदमैं छिद्रघणोंहोय चुयवालागिजाय बाबांकीसीनाईहोय प्रोश्लीपदसन्निपातकोजाणिजे श्रमसाध्य ४ अथश्लीपद कोजतनलिष्यते ईरोगवालानें लंघन लेप स्वाद जुलाब लो हीकोछुडायवो गरमवस्त कोषावो येसाराच्याच्या अथवास रस्यूं सहजणांकीजड देवदारु सूंठ यांनैगोमूंनमैंबाट गांको लेपकरैतौ श्लीपदजाय २ अथवा साडीकीजड सूंठ सिरस्यूं यांनैकांजी मैवांटि यांको लेप करैतौली पदजाय ३ अथवाध तूराकीजड करंडकीजड संभालूकीजड सहजणांकीजड सि रस्यूं यांनैपाणीसूमिहीनांटि ईकोलेप करैताश्लीपदजाय ४ अथवा सहदेई तालफलकारससूंबांटि ईकोलेपकरैतोलीप दजाय ५ प्रथवा साषोटकवृक्षकीवकलकोकाटो त मैंगो मूतनांषिपावेतोश्रीपदजाय ६ अथवा हलद मरगुड येथे न्यू बराबरिले यांनमिहीवांटि येकजीवकरि जोपुरसगोमूत सूईनपीवेतौली पदरोगनें दाहानें कोटने कोटनैयोदूरिकरै ४७ अथवा साठीकीजड त्रिफला पीपलि येबराबरिले यानें मिहींवांटिटंक २शा सहनसूंलेतौ घणांदीनांभाश्लीपदजाय
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२८८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ अथवा वडीहरडेकाचूर्णमैं अरंडकोनेलमिलायमैगोमूत नांषिदिन १५पावेतोश्लीपदरोगरिहोयर येसर्वजतनभा वप्रकासमेलिष्याछै अथवापदायरो पीपलि सूहिकाली मिरचिवायविडंग यानेमिहींनांटिपागीमें पाछेअनुमानमा फिक ईमैनेलमिलाय पाछेईमैमथुरायांचदेपकावैतदिओ पाएगीवलिजायतेलायरहै नदिउनारिले पाछेईकोमर्दनक रैतोश्लीपदरोगजाय१० अथवाथतूराकाबाजानेयेकसूच धैवीसतांईतीउपरिसीतलजलपीतोश्नीपदरोगजाय१ येसर्वजतनवैद्यरहस्यभेलिष्याछे अथवामजीठ महु वो रास्ता जात साठीकोजड यांनेमिहीं वाटिकांजीमैलेपकरेंनी पिनकोश्लीपदजाय १२ अथवा अंगूठाउपरलीनसांकोलो हीकदानौपित्तकोसीपदजाय१४ अथवाकसोधाकाजड तीनैटेक॥गउकातकैसाथिपीवतोश्तीपदजाया४ अथ बापापलि त्रिफला देवदारु ईमैनांषे पाछेयांनमिहींपाटि रंकनारोजीनांकांजींकापांगणमैंलेतोलीपदनैं अजीने नायकारीगनें फीयाने यांसारांरोगांनेयोहरकरेछे परभूष घणीवधावे? १५ इनिपिप्पल्यादिचूर्णम् योहदमैछ । तिश्लीपदरोगकीउत्पत्तिलक्षाजतनसंपूर्णम् अथविद्र धारोगकोउत्पत्तिलक्षणजननलि हाडामैरहतोजोपाय पित्तक फसोईकासरीरंकालचालोहीमांस मेद यांनधिगाडि अरसनैसनेई परसकैभयंकरसोजानैपेराकरेछै सोसोजोगोलहोयभरपीउनेलीयां होय अरोडोषपोहोयधरवडोघणोंहोययेजीमैंलक्षणहोयतीने यहसोविधीकहेछ सोवाविदधीरोगप्रकारकोछै वायकीपित्तकीर
कफकीसंनिपातका४चोटलागी
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२८९ अमतसागर तथा प्रतायसागर तरंग १५ पासूउपजी५रक्तविदधी५ अथवायकाविधीकोलक्षण लिष्यते वासोईकालीहोय अथवा लालहोय क्षरोक,थोडी होय जानेंउठताहीनानाप्रकारकापकिवाहोय येजीमैंलक्षण होय तीनवायकीक्दियाकहीजे अथपित्तकाविधीको लक्षगलिष्यते वासोईपक्यागूलरिकाफलसिरीसाहोय अ रकालाहोय जुरदाहनेलीयांहोय अरयासोईततकालपकि जाय येजांमेलक्षाहोयतीनेकफकीविधीकहिजै अ थसन्निपातकाविधीकोलक्षरालिष्यते जींसोई,नाना प्रकारकावर्गहोय अरजामैनानाप्रकारकास्रावहोय अरवा सोईगलाकागांतीकनेहोय अरवासोईघिसमहोय कदेतो घटकदेकवथै अरवावडाहोय अरकोपकिवोभाषसमहीं छैकदेकतोगीपकै कदेकमोडीपकैयेजीमेंलक्षणहोयती नैसन्निपातकाविधीकहिजे४ अथचोटलागिवाकीवि द्रधीकोलक्षालिष्यतेजीस्थानमैचोटलागै उठेहीपित्त मैंयावायहेसोपितसंयुक्तलोहानैविगाडै पाछे उठेसोईनैक रिअरजुर तिसराह पायउपजावै अरविड्थ मैपित्तका भीलक्षणमिले येजीमैंलक्षणहोय तीनैचोटलागिपाकीउप जीविधीकहीजे ५ अथरतविधीकोउक्षगलिष्यने वासीईकालाहोय अरमैफोडापगाहोय अरमैपीड दा इजरयेभाहोय अरपित्तकीविधाकाजामसर्वलक्षाहोय तानेरक्तविधीकहिजे अथसाध्यप्रसाध्यजाणिवाके वास्तैअंतरविद्रधीकोलक्षएालिष्यतेजुराजुदा अथवामि त्यासावायपित्तकफहँसोऊपथ्या कोपळूमाप्तिहवाथका
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२९० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ सरीरकैमांहि येकगांरिमोलाकैयाकार यांचाकीसानाईउंचीई सापैदाकरे सरीरकेमोहिनीनेवैयहेसोअंत्रविदधीकडेवा अंतरविदधीदशपकारकाडे येकनोगदाकविसेंहोय१पेडू कामुषमैं नाभिमें ३कूपिमैं४ पेडूअरजांधकासंधिमें५ हियाये निसकास्थानकेविचे पायामेंहियामें अरनाभिकेजीव पीकानी९निसकास्थानमैं अथगुदाकीविड्थीकोल क्षगलिष्यतेगुदामैविधीहोयतो पवनाछीतरैचालेनहीं वायपवनरुकिजायपेडूकामुषमैविधाहोयतोवेंकैमूत्रक
कोरोगहोय २ नाभिमैंविस्थाहोयतोवेंकैहिचकापणीयाने अरपेडूमैं आफरोरहे३अरषिविधीहोयतो उठेवायको कोपहोय ४ अरपेड्रजांयकीसंधिविधीहोयतोकरिमैपीदिमैंपाउयगीहोय ५हियाकैमरतिसकास्थानकैविचेविदा होयतो पसवाडाकोसंकोचहोय अरउठेपायपीहोयकी यामेंविधाहोयतोसासावैनहीं ७ हीयामेंविदधीहोयतो सर्वअंगांमें पीडहोय सर्वअंगरुकिजाय अरषासहोय पर नांभिकेजीवणीकानांनाभिकेविदधाहोयतो सासकोरोगहोय ९ अरतिसकास्थानमैविधाहोयतोजलघगोपीवै धापन ही १० अथविद्रधीकोसाध्यासाध्यलक्षणालिष्यते नाभि कैउपरिपकाविदयाछै वापूटिवेंकाराधिऊपरिजायछे अरना भिनीचरलीविधीछेसोवादिकाराधिनीचैजायजो विद्ध्यांकीराधिनीचेजायसोनोपापीजीचे अरज्यांविध्यांका
टिकरिराधिउपरिजाय प्राणीमरिजाय१ अथपुनःप साध्यलक्षगलि. हियामेनाभिमैंअरपेडूमेंविधाहोयसो.
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२९१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग आछीनहीं औरस्थानांच्या डी अरविद्रधीकच्ची अरपक्की घर दग्धहोयगईहोय ती सोजाकीसीनाईदेषिलीजै ? प्रथमांहि लीविद्रधीकोमसाध्यलक्षणलिष्यते वाफरोहोय हर्दिहो यतिसघणीहोय हिचकीहोय जामें पीउघलाहोय येजीमें लक्ष होयतोयप्राणीमरे ? अथविधीको कष्टसाध्यलक्षण लिष्यते नाविधीकधी होय पर वायकीहोय वडीहोय छोटी होय ग्रामर्मस्थानमेंहोय सोकष्टसाध्यजाणिजे १ जोविंदधीस निपातकीड़े रहिया मैं नाभिमें सरपेडूमेडे पर बायकीजा
भरवांमूंडीप्रमाणहोय वाविधीयसाध्यजाणिजे भरमूंदी प्रमाणमांसलोहाको गोलोभीहोयछे सोविद्रधीतोपकिजाय अरगोलोपनहीं गोई में भेद । अथविद्रधीकोजतनलि ष्यते सर्वविद्रधीमान कूजोक लगाय वांकोलोही कादैनौविद धामाछीहोय' अथवा जुलावसूंपित्तकीविद्धाजाय २ थवा विधीपकैनहाजितैब्रगका सोजाकोसोजतनकरें ३ थवा अरंडकीजडकोकाटोकरि तीतेल अथवा घृतपकावे पाछेंवें को सुहावतोसुहावतोसेककरैतानाय कीविद्रधीजाय ४ •अथवा जब गौहूं मूंग यांकाचूनने घृतसूंपकायचे कौलेपकरैती विद्रधीविनांपकीभीआछी होय ५ अथवा असगंध पस म हुवो रक्तचंदन यांनैदूधपीसि ईमेघृतमिलायनिवाईकारले पकरैतौपित्तकीविद्रधीजाय ६ अथवा ईंट वालूरेत लोहको मेल गोवर यांनमिहींबांटि गोमून में सिजाय ईकोसुहावनौसे ककरै अथवा लेपकरैतीकफकी विद्रधीजाय ७ अथवा दस मूलकाकाटामैंतेल अथवा घृतनांषिवें कोनरडोदेतो विद्रधी
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२९२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ काबणकोसोजो अरकीसूलजाय, अथवा रक्तचंदन मजीठ हलद महुनो गेरू यांनेइधसूसिजायलेपकरेतीलोहाकीअरचोर लागिवाकीविधीजाय ९अथवा कालोजीरो इंद्रायणकीजड तोरंयांकादोरंकाकोलेतीकोठाकोउपजीविधीजाय १० अथवा सहजणांकीजडकोरसनीमैंसहतमिलायपावेतोब वीडिजाय१ अथवासहजणांकाजउकाकायमैं सेकाहींग सीधोलूपानांषि प्रभातहीपीतो अंकीविडयीजाय १२ ये सर्वजननभावप्रकासमेलिष्याछै इतिविधीरोगकार सत्तिलक्षजतनसंपूर्णम् अथवराकासोथरोगकार पत्तिलक्षराजतनलियने बासोथरोगहेसोउपकारकोछे बायको पित्तको कफकोसन्निपानको४ लोहीकाष्टप पांको ५ कहींतरेकीलकडीउगैरेचोटलागिवाको छयांकार गांसंप्रथमबहोय पाछैनपाकेसोथहोय अथवासोथ कोलक्षालिष्यतेबायकोनशविसमपके पित्तकोत्रपतन कालपके कफकोजगमोडोपकै सोहीकोभावरानतकालप के चोटलागिवाकोबनतालहीपकै, अथबएसोथ नहीं पोतीकोलक्षालिष्यते वेंबएसोथमैंगरमथोडी होय अरसोजोथोडोहोय अरोत्रासोथकरडोहोय पर कीत्वचावर्गसिरीसोहोय मेंपीडाकमहोय अरसोजोथोगे होय येलक्षणहोयतदिज़ाणिजैबरासोथकाचोछे। अथ पक्याचगसोथकोलक्षगलिष्यते वासोईअग्निकासीनाई वले अरपासोईषारकासीनाईपकैयासोईकाडीकासीनाई काटे वासोईछुरीकीसीनाईकाटेअरवासोईदंडकीसीनाईमा
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२९३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ रैअरवासोईहाथ पीडीहनीमा अरवासोईसुईकारिकैरिधी हनीमा अरसोईमैंदाहपोहोय अरवेसोईकोरंगऔरसो होय अरवासोईचंगुलीकारपीरिजनहींमांनू आसनधिसेसो याकेविसै सांतिकुंप्राप्तिहोयवांछकाकाट्याकीसीनाईजीतिवा सोईगादीहोयतिननैवेंसोईकापकावाकोजतनकरेवेनफाडै नहीं अरवेंसोई मैंजुरहोय तिसहोय अरुचिहोय येलक्षरानी मैंहोय तदिजाणिजेवासोईपकिगई अथवएसोथपकिंग योहोयतीकोलक्षएलिष्यते वेंसोजामैपाडनहींहोय लला ईथोडाहोय घपोउंचोनहींहोय अरवेंसोजामैसलधाप डिजाय अरवेमैपीडहोय अरषुजालिघलीआवेसर्वपदव जानोरहै वासोईनयजाय त्वचाफाटिवालागिजाय मैंए ली पीयाराधिनीसरैयेलक्षराजीमैहोय नदिजारिजेत्र पासोथपकीगयोछे वेमेभावायविनापीडानहीं पित्तविनांप किवोनहीं कफपिनाराधिनहींईकारा पकिवाकेसमैये तीन्यूंहीहोय अथपरिपाकअवस्थामैऔरभीमतांतर कालक्षरालिष्यते वेंकाजतनकारवांमैटीलकरेतो पित्तहै सोकरिजाय कफकोहणकारलोहीनेपकायदे ओलोहाप स्योथकोराधि.करिदे अथवा राधिकाटेनहींनांकादोसलि ष्यतेजैसें तृणांकासमूह.पवनसंप्रेसोथको अग्निदग्धक रैछै तेसैंहावेकीराधिकाटेनहींतोवेंकासरीरकामांसरसा नैयाराधिषायजायछ। अथसोजाकाकाचांपत्याकाग्यो
नकैअर्थवैद्यकागुणदोसकहीजे जोकच्चाबाजारौं .. भरपचताबानेजा अरजोपयात्रनेजारोंसोतोय
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२९४ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग १५ अरयानेजा नहींसोधनहींछै वेचोरकीत्तिकरिवालावैध चोरलैजोवेयफोडबरानैंकचा.फाडै अरपकाने फाडेनहींसो वैद्यनहींछै नांवेधानेकच्चापकाकोग्यांननहीं वैद्यनेंचांडाल मंगाकोसीनाईजागनों२ इतित्रासोथकीउत्पत्तिलक्षण .जतनसंपूर्णम् अथव्रणरोगकोउत्पत्तिलक्षएजतनलि प्यते प्रथमत्रासोदोयप्रकारकोछ एकनोगयको पित्तको २ सफकोयांदोसांकोयेका सत्रादिककालागिनाको रपेवाय पित्तकफकाहेसोपाठ-प्रकारकाछै नायको पित्तको रकफ को लोहीको ४वायपित्तको५पायकफको कफपित्तको सन्निपातको अथवायकावणकोलक्षालिष्यतेश्रोत्र पाहैसोस्थिरहोय कठिनहोय मंदश्र पीडयीहोयजीमै व्यथापणीहोय फरकेपणों कालोधपोंहोय येउक्षराजीवरा महोय नीनवायकोबराकहिजै अथपित्तकाबराकोलक्ष गलिष्यनेजीमतिसहोय मोहहोयजुरहोय आलापोहो यजीमैंदाहहोय पीडहोयजीमैंफारिहोय जीमैंदुर्गथिली यांनीकलैयेक्षाजीमहोय तीनपित्तकोबरा कहिजे२ अ थकफकाबकोलक्षगलिष्यतेजीमेघगोंपालाप, होय भारोहोय चीकरणहोयजीमैपीडाकमहोय पीलोव
होय मोडोपकै येजीमैंलक्षणहोयतीनेकफकोबराकहिजे ३ अथलोहीकाबकोलक्षालिष्यते ओबरालालोय अरजीत्रामेंलोहीयगानीकलैं४ अरजीबरामैनायपित्तको लक्षणहोयतीनेवायपित्तकोकहिजे५जांबरामेंगायकफको लक्षणहोयतीनेवायकफकोकाहजैरजीत्रणमेंकफपित्तको
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२९५ अमृतसागर तथा प्रतापसागरंग १५ लक्षणहोयत्तीनंकफपित्तकोकहिजे जीवामैसलक्षाहो यनानेसन्निपातकोकहिजे- अथश्व कोलक्षपलि. जीभकानांचरलापदासारासीजांकीकांतिहोय अतिकोमल होय निर्मलहोयचीकगोहोय जीमैंपीडाथोडीहोय प्राछाजी कीविवस्थाहोयमेराभिगेरैक्यूंभीनीसरैनहींतदिजालिजे योत्रभुइहलो१ अथइष्टचकोलक्षालिष्यतेजीमें राधिलोहीदुर्गधियवहोतनिकलिचोकरे अरजीमैंसोजोरह वोकरै अरस्थिरपगारहै वेनेंडष्टनएकाहजी अथजीमअंक रशुरनीकलताहोयतीकोलक्षलिष्यते परजीबरामैकोपी लोरंग अथवा धूसरोवर्णहोय परराधिउगेरेजीमैसंज्ञातीर है अरअंकुरनीसरवालागिजायनीनेवाभरिवाकेवास्ते कारतत्रजाणिजे अरमलेप्रकारजगभरतोहोयती कोलक्षएलिष्यते प्रगमैंअंकूरभुरनीसरैतीमैंगोटिनहीं होयजामसोजोनहींहोयतीनेभलपकारनामोजालिजा अथबगाकोसुषसाध्यादिककोलक्षगलिष्यने मोबा मर्मस्थानमैंनहींहोय अरत्वचामैंअरमांसमैहोय अरतरू पपुरसकेहोय अरपथ्यचालतोहोय अरसीनकालहोयर सापुरसकैतोबरासुषसाध्यछ। अरवायपित्तकफकोतोत्र पोय परपसानेमेददनेमांजीने मांथाकाभेजासिरीसाने जोजपावेतो प्रोबराछोहायनहीं अरशस्त्रांदिकांकीचो दसंउपन्योमोबातीमेंसा मेंदमीजीअरमाथांकीभेजी सिरीसोवैवरामैनीसरतो प्रोवरापाब्योहोयापरकोटीके अरविसषानोहायजीराजरोगीकै अरमधुमहाके परधरा
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२९६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ मैत्रलाहोयजीकै इतनांपुरसांकेबलहेसोकष्ट आयोहोय। अथपुनःबकोअसाथ्यलक्षगलिष्यतेवरणमैमाहिप लोदोहहोय अरबवारांसूसीनलहोय अरपुरसकासरी रकोमांसलोहोजातोरत्योहोय अरसासषासअरुचि येजीके होजाय अरोचूटोहोय अरबमैंलोहाराधिनासरियोकरै अरोमर्मस्थानमेंहोय इसाबरायाध्यानहींहोय सोय वेंकोजतनकरैनहीं आपकोजसचाहेतोयेवायपित्तकफयांदो सांकागकालक्षणकन्या१ अथागंतुकबकहिजे तरवारिनेत्रादिलेरजोसस्त्रादिकांकालागिपासूउपज्या जोयावतीनेबगसंज्ञाकहिजेछै त्यांकी उत्पत्तिलक्षएलि. तरवारिसेल नार हरी गोलीबाण फरसीउगैरेकहींकाईपु रसकै कैठेहीसरीरमैलागेनीकालागिवा पुरसके वांबणाकानामंधांवांकीनानापकारकीग्राकृतिहोय. सोवापानि पुष्यप्रकारकोछ सोहूंलिपूंछ.छिन्न भिन्न विद्यक्ष त४पिचित ५ दृष्ट ५ अथछिन्नेबकोलक्षालिष्यते जोपुरषतरवारिनादिलेरशस्त्रकरिकैरेटोकट्योहोय अ थवा सूयौकख्योहोयजोश्रोधाचवरोहाय अरमनुष्यकांसरी र पृथ्वीरपरिनांषिदेनीनैवेद्यहेसोछिन्नबएकहेछ। थभिन्नबराकोलक्षणालिष्यतेवरछी सेल नीर छुरीनर वारिबादिलेरयांकाजीकैलागेतीलागिवाकरिकोठोकहीं तरेकटीजाय तीकोठाकरिवाकर वेंकोलोहीचलेतदियोलो हीकरिउदरभरिजाय नदिनोलोहि भस्पोजोउदरजुर.दाहने पैदाकरेंछे पालैप्रोलोहीइंडीद्वारा गुदाहारामूदाय
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२९७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १५ रा नासिकाहारा नीसरे परवेंकैमूळ सांसतिस आफरोअरू रियां पैदराकरेछ अरमलमूत्रकारुकिजाय पसेवाने बलालहोजाय मूटामेंलोहीकावासावै सरारमैडगयिभावे हियामेंपसवाडामेंगूलचाले येजीमेलक्षणहोयतीनै भिन्नत्र एकहिजे। अधविस्वकोलक्षगलिष्यतेजीपुरसके सस्त्रकीमाहिलीअगीकोलागेकोभंगकटिजाय पेंधावने विरुद्धकहीजै३ अथजांधाचमैतारउगैरैरहगयोहोयती कालक्षालिष्यते जोधावकालोहोय सोजासंयुक्तहोय फुल स्थानैलायांहोय अरघावमैवारंवारलोहानीसरे बरओघाव कोमल होय अरधारकोमांसबुदबुदासरीसोउंचोहोय अ रधानमैपीडाहोय तीधावनेशस्त्रसमेतजाणिजे४ अथ कोष्टमैंतीरइत्यादिकरहगयाहोयतीकोलक्षणलिष्यते सरीरकासातूत्वचा.उलंधिकरिके अरसरीरकानसांना लंधिकरिके पाछैवाहीनसांनविदाकरैगरकोष्टकेविसेर हताजोवेसस्त्रादिक सोवेआफरा करेछ अरबका दामें अन्ननेअरमलमूत्रनलेवापाछै तदिजाणिजेईकाकोष्टमें स्वल्पछे ५ अथअसाध्यजोकोष्टमैरहतोरक्तपरमलतीकोलक्षालिष्यते कोष्टमैं रहतोजोलोहासोपालोहोय तदिवेंकोसरीरभीपीलोहोय अरहाथ पग मूंटोवेंकोसीन लहोय अरकानांककोसासभीसीतलचाले लालजीकानेर होय येजीमेलक्षणहोयनानेग्रसाध्यकोष्टभैरहतौरक्तमल तीकोलक्षएाजालिजेहोसाध्यछे ६ अथक्षतव्रगकोल क्षरगलिष्यतेजामअमिछिन्नकालक्षपानहींमिले अरजीमें
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२९८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अतिभिन्नकामीलक्षणनहींमिले दोन्याकामियांजीमेंलक्षणहोय श्रोत्राविसमहोय सोवेंकाहारमैबराहोय -नेपिच्चिनबएकाह जे अथघुदाबकोलक्षालिष्यनेजीईटपथरभीताउँगै रैकहींतरेहं सरीरकीचामडीयसिजाय वाचामडीसरीरसुंड रीहोजाय बैंचामरामैं पनासरियोकरै अरमेंयहोय नै ष्टबकहिजे अथजांकेमांसनसांसंधिमर्मस्थानयामेलो लागीहोयतीकोसामान्यलक्षालिष्यतेजीकेभ्रमहोयप लापहोय दहपडे मोहहोय चेत्तजातोरहै ग्लानिहोय दाहहो य सिथलअंगहोय पाउयगाहोय मांसकाजलसिरीसोजीको लोहीहोय अरसर्वइंद्रियांकाधर्मजातारहै पाछैकत्याजोपांच मर्मस्थान त्यांमेजोवांकीचोटलागी यांकोयोलक्षणकहिजे अथमर्मस्थान नसां संथि हाड येवणबिंधिगयाहोयतींका जदाजुदालक्षणलिष्यते इंद्रकाधनुषसरीसो सांवराकिलो कडीसोजीकोलोहीनीसरैतीकैक्षतजबराकहिजे ओबरावा यकाअनेकरोगांनेंकरेछै अरनीर.अादिलेरशस्वछ परत रवारिनै आदिलेरजेशस्त्रछे त्यांकरिनसांवांधिजाय यांसूरप ज्याजोबत्यांकरिसरीरहेसोकूबडोहोय अरसरीरकाअंग गमैपीडाहोय चाल्योजायनहीं वहानमोडोपांमैअंकूराचे नदिजाणिजेईकीनसांवांधीगईतीकोईकैबराछे उबगकेसो जोधपोहोय वेंकोचलजातोरहे अरसंधिमैपावलाग्योहोयतो संधिकोहलियोचलिवोजानोरहेअर-मैपीरपणीहोय राति दिनमैंजकपडेनहीं तांकैहाडमैसस्त्रादिक उपज्योबराजाणि 'जै परमर्मस्थानमैचोटलागिवा बगहोयनांकासरीरकोपर्ण
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२९९ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग १५ पालोहोय प्रोत्रणस्पर्शसहनहीं अथबकासोला१६उ परवछैत्यांनैलिफ्जैछै वेविसर्परोगा पक्षायात रसिर मुडेनहीं अपतांन४ प्रमेह ५उन्मादबणमैपाडाजुर
निस ९ काधिमुडेनहीं१० पासा छार्दअतीसार १३हिच की१४ सास १५ कांपएगी। यत्रणरोगकाउपर्दछै अथ ग्निदग्धकीउत्पत्तिलक्षगलिष्यतेप्रथमअग्निदग्धदोयप्र कारकोछे ऐकतोलादिकसूदग्धहुवो इसरोलोहअभिनेत्रा दिवरदहुदो २पुनःअग्निदम्पयारिप्रकारकोछै प्लष्टपहुई ग्धरसमाकदग्ध ३ अतिदग्ध४ अथपूष्टदग्धकोलक्षण लिष्यते अग्निझूदग्धहुवाछै अरक्कोवर्णऔरसोहोयजाय देनेंपुष्टकहिजै। अथडुर्दग्धकोलक्षरालिष्यतेजीमैंदाहय पोहोय अरमैपाडहोय अरफोडाहोयावे अरमोडामिटे तीनदुर्दग्धकहिजे २ अथसम्यइदग्धकोलक्षालिष्यतेजी काअंगकोतांवासरीसोवर्णहोय अरनोबूटोनहीं होय अस्जीमैं दाहअरपीडसहोय अरफैलेनहीं तीनसम्पदग्धकहिजै अ थप्रतिदग्धकोलक्षालिष्यतेजीकोत्वचाधरमांससर्वद ग्धहोजाय अरयां सरीरजुदोहोजाय अरनसांस्नायु हाड संथियेसारादग्धहोजायपरवेंमैंपीडहोय दाहाहोयजुरहो यतिसहोय मूर्छहोयजीमैंअंकूरमोडोभावैवर्णऔरसोहोजा य येजीमेलक्षणहोयताप्रतिदग्धकहिजै ४ अथदोसांसे उपज्याइसाजोसारीरबानीकाजतनलिष्यते बैजतनसर्व मेमुष्याईग्याराप्रकारकोछै सोकमसूलिषांछा परशुश्रु तचरकमेतीव्रएकाजतनसाठि प्रकारसूलिष्याछ।
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३०. अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ प्रथमतोलेप१ पाछैऔषयांकाजल निवायोतरडोरपाछैनां सकीलकडी अंगुष्टोमसलिचेकैंपसेवल्यावरण पाछैकहीं तरैलोहोछडावरों४पाछैनौषधांकोपाटोवाधिवेपसेवल्या वणं५पाछैनैपकावणों ६ पाछैशस्त्रादिकां चारोदेगो ७ पाछैनगर्ने अंगुष्ठाभुदावि माहीरनाराधिकाटगी-पाछैच लकोसोधियो९पाडेगांभेकरल्याचगांपाछेवेनैवचाका वासिरीसोकारदेशों११ अथवा बायकासोजाइरिकारचा कोतेप जैसैलायलागीहोय अरवेलायनेजलबुमायदेजैसैंयो लेपहेसोसोजाकीपीडनैंरिकरे, विजोराकाजर उड देवदा रूसहि रास्ना अरएयू येवराबरिले यानेजलसूमिहीवांटिनि गायोलेपकरेनो पायकोसोजोइरिहोय। अथपित्तकासो जाकाहरिकरिनाकोलेपलिष्यते महुवो रक्तचंदन दोब आंवला कमलकीजड षस नेवालो पदमाष यांनैबराबरि ले यांनेजठभुमिहींगटिसीतलहीलेपकरेतोपित्तकोसोजोडू रिहोय २ अथवा वडकीजड गूगलकीजड वेतकीजड कीच कलयांनेजलमूमिहीवांटि ईमैंगोषयां दसवोहिसोवृतघा लिवेंकोलेपकरेनौपित्तकोसोजोजाय३ अथकफकासोजा इरिहोवाकोलेपलिष्यते नगदबाबची माढासींगी मजीठ राल असगंध सत्तावरी यांनैजलसूमिहींपाटि निवायोलेप करैतोकफकोसोजोजाय ४ अथवा पीपलि पलि सहजगांकीजडकीवकल रेतहरडैकोछालि यांनै नसूमिहींपाटि निवायोलेपकरेतोकफकोसोजोजाय५ अररातिनैलपकी जैनहीं अथोषयांकाजलमंनिवायोतरडोदेसोअ
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नुक्रमसूंलिष्यते हरडैकी वकलौटाय ईकोसहाचतोयेंसो जाकादाह कैनरडोदेतो वें कोदाहनतकालडुरिहोय ६ अथवा ना यदूरिकरि वा वाली जो षद्यांत्यांका काटा काजलसूर्वेकैतस्ये दे अथवा तेलको वेंकैतरोदे अथवा मांसकारसको वेकैनर डोटे अथवा गरमगरमघृतको वेंकैतरडोदे अथवा गरमकां जींकोचें कैतरडोदेतो वायकोसोजोइरिहोय १ अथ पित्तकासो जाहूरिकारिवाकोनरडोलिष्यते सीतलऔषद्यांका काटाका तरडासूं दूधसूं घृतसूं पांगमूं सांठाकारंससूंतरडीदेतोप त्तकोसोजीजाय २. अथकफ का सोजाका दूरि हौवा कोतर डोलिष्यते कफर्नैइरिकरि वावाली औषद्यांत्यांकोगरमगरमत रडोदे अथवा तेलषारकोजलगोमूंतयांकातरडासूकफकौसो जोडूरिहोय ३ थरक्तकासोजा कोअर पित्तकासोजाको जननएकछे प्रथव्रणकासोजा को अंगूठाउगेर मसलि करिपसेवलिपावणा ३ जोंकरडोव्रणहोयती थवा वांसकीस्वाफलकडी सूंसने सनम सलिवें केपसेवलियाचैनी पोटीलोपडियाछ्योहोजाय परवेंकोवर्णरसोहोय परका लोवर्णहोय श्रमैपीडघणीहोय इसाबणकासोजाकै अथ वा कहींविसेलजिनावर काट्योहोय तींसोजाकैजो करून गाय वेंकोलोहीका दिनांषणों अथवा पाळणादेरलोहीका दिनांषणों एककानीतो साराजतन परयेककांनी लोही काटियो योएक ही साराजतनकीबराबरिछे ४ प्रथाकाचामरपकवाकै सनमुषहोयरत्यात्यांकैयौ षद्यांकोवांधिवातीकरिवैकैप सेवयायवोसोलिष्यते जोकाचाञ्चरपकवाकैसन मुषहोय
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रह्याजोगत्यां येोषदिवांधिपकावैतौवेबणमाख्याहोय सोषदिनिषूं दसमूल घरेंटी रास्ना असगंध बीप अरंड कीजड अथवा काफल निर्गुडी खाटी सहेजलों पीपल सांधो लू सूंठ साकाबीज कंपासकाबीज अलसी कुलत्थ तिलज व सिरस्यूं मूलीकाबीज सौंफ नीचकापान नागर बोलिकापांन ज्युलेबांसकापांन यांउगेरैजोपावे त्यांनें गरमकरिखानेवांटिवांधे अथवा यांकोकाटोकरितीकोतरडोदेसुषपूर्वका आछी तरह कि यासूंनों वेंवायकाब्राको सोजोआछ्योहोय ५ प्रथव्रणका सोथकाइरि करि वाकोले पलिष्यते साठीकीजड देवदार हलद सूंठ सहजकीयकल सिरस्यूं याने पटायीसूवांटि निवायाकरियांकालेपकरैत सर्वप्रकारकात्रणकोसोजोइरि होय ६ अथब्रणकापकिवाकीविधिलिष्यते बलहेसोले पादिकांकरिषकैनहींतौ येोषदिएण पकायदेसोलिखूं छं साकीजड सहजशांकाफल तिल सिरस्यूं अलसी दारूका दिवाकोजावो जब गोडूं नींबकापांनउगैरै यांने सिजायत्रणकेबां धेतेोव्रएापकिजाय अथत्रणपकिगयोहोयतींकेचीरो देतींकी विधिलिष्यते जीवमैंराधिपडिगईहोयनीकेच तुरवैद्यकनासस्त्रसेतीची रोदिवाय वेंकीराधिकादिनां पा वैमल्हिमादिकलागावेतोबाचछ्योहोय- प्रथमतनां आदमी कैचीनहींलागावेसोलिष्यते बालककै वूढाकै जींसूंचीरोसत्योजायनहींतीकै क्षीणपुरसके डरपस्यालकै स्वीकै मर्मस्थान में जोव्रणहोयतीकै इतनांआदस्यांकैचारोटी जेनहीं वेकैप्रीषद्यांसेतीभेदकरी वेंकीराधिकटायन्मायो कीजे
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सोवैभेदनप्रषदिलिषजैछै कागचकीजड चित्रक दांत्पू ली भिलावा कनीर कबूतरकीवीठ यांमैसूं कहीं कोलेपकरैनी चोवणयापही फुटे वैकीराधिनीकलिजाय ? अथवा बारी लूण जवबार साजी गांधीऊाडाकोषार यांमैं कहीं कोलेपकरै तौव्रणकीराधिनीसरिजाय १ अथवा मोत्रायशोगाटोहोय तो हाथीकादांतनेंजलमैं घसी वें की वें बाकैबूंददेनेोवेंकोसो जोइरिहोय वेंकाराधिनीसरिजाय ॥ अथपीडनलिष्य ते ९ राधिजां में पडिगईहोय अरमर्मस्थानमैंहोय ईसाबण कैचीरोदीजैनहीं त्यांकेयेोषदिलगाय वैकिराधिकाढिनां षिजैतोवेंबराच्याछ्याहोय सोयेोषदिलिपूंछू जब गो हूं उडद यांनैमिहींवांटि पाणीसूंवानेंनिवायाकरिअरवल कासूंदामांहिसूंराधिकाटिनांर्षे पाछे वेंकैमल्हिमादिकलगावै तदिश्रवणाच्योहोय ९ प्रथमणसोधनलिष्यते जो व्रणकचोहोय तीकैपटोलकापांन, अथवा नींबकापांन त्यांने सिजाय वांकापाणी सूत्रानधोवैतौ ब्रणच्या छ्यो होय २ पर गूलरिकीचकलकाकादासूंधावेतौ बायाछ्योहोय ३ अर किरमालाकीचकलकाकाढासूंधावेतौ कफकोत्रप्राव्योहो य ४ अरपीपलिकीवकलगूलरिकी वकल बडकीवकलवी लकी कल यांकाकादासूत्रएका सोजानें उपदंसने धोवैनो ये वोहोय ५ अथवा तिल सांधोला महलोठी नींबका पान दोन्यूंहलद निसोन नागरमोथा यांनैबराबरिले मरज लसूंबांटि यांकोलेपकरैतौत्रणपकिचेकी राधिनीसरिजाय अथवा नवकापांन तिल दांत्यूला निसोन सांधाला यांमैं
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३०४ . अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १५ मिहींपारियांकोलेपकरेतौडष्टबायाछ्योहोय- अथवानी बापानसिजायबांधेतोडष्टबगाब्योहोय९ अथवा हरडै निसोतसीधोलूरा दांत्यूए कलहारीकोजड सहतीयांनैारि यांकीबराकैगातादेतो दुष्टबाभीआध्योहोया अथवा एकाग्दासमहोय त्यांनैनीबउगैरेकापांनाकारसगेरेयांनी षयांकावानीदेतीवेत्रगाड्याहोय११ अथवा नींबकापा नघृत सहत दारुहलद महवो यांकीवानीकरिबरामदे अथ गतिलांनोगय कावकैवानीदेतोबाच्योहोय१२ अथवलांकोरोपनांमअंकूरल्यावेसोलिष्यते ज्यांना एगांकीराधिनासरगईहोय अत्रभरेनहीं त्यांनीवका पांनानेओटाय पाडेवेंपाशीचा धोवै पाछेसहतमिला य तेलकोफोहोकैदेतोजगभरिजाय१३ अथवा असगंध लोद कायफल महलोठी मजीठ धावड्याकाफूल यांनवाटि बराकैबांधेनौवभरिश्राख्योहोया४ अथवांगमैदाहसू लउपजियायीहोयतींकाइरिकरिवाकोलेप.जवांकोया टो सहततेल पृतयेसर्वमिलाय क्यूंगरमकरिलेपकरेतोत्र गकोदाहसूलजाय१५ अथवगमैकृमिपडिगईहोय तींकाइरिहोचाकोलेप करागचकाजड नींबकीछालि निर्गुडीयानेवांटियांकोलेपकरेनौबराकोकृमिमिरिजाया अथवा लसणकोबणकैलेपकरैतोबाकाकृमिमरिजाय अथवा हींगनींबकीछालियांकोलेपकरैतीबरगकीकृमिमरै १८ अथवामेंडोतिपडीवें मैंषाजिपीउकृमिपडिगईहो यतीकारीहोवाकाधूणी नीबकापांन पच हींग घृत
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३०५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग लूण सरस्यूं यांनैयेकठाघृतमैवांटियांकीव्रणकै धूणीदेतो एकीकृमिषाजिपीडाजाय १९ येसर्वजननभावप्रकासमें लिष्याचे प्रथमणकाभरिवाकीमल्लिंग कडवोतेलपैसा शाभर पाणीपईसा ॥ भर यांदोन्याने कांसी की थाली मेंघालि दिन १ तांईहाथसूंमसले पाछे के मांहिरालपईसा ५भर मि हवांटि में मिलावे घेरसारटका १|भर मिहींवांटिईम मिलावे कू ठटंक ५ईममहींवांटिमिलावे नीलोयूथोडंक २॥ ईमैंमिलावे वेरजोटंक | मिरचिटंक १। मिहींवांटिईमैंमिलावे पाछैयांसारां निपटमिहीवांटि हाथसूंमथै पाछैत्रणकेईनें लगावैनोव्रण ततकालभरिजाय २० अथद्यागंतुकणकहिजेतरवारि नैंआदिलेरशस्त्रत्यांकालागिवासूंउपज्याजो नात्यांका जननलिष्यते ज्यांपुरसांकेतर वारिनैत्र्यादिलेर नानाप्रका रकाधारर्थैज्यांकै त्यांकालागिवासूचांकी त्वचाफाटिजाय थवा त्वचाकीनानाप्रकार की आकृति होजाय त्यांचाहत्यांन आख्यास्याणसथियाकने पाटका सूतसूसिमावै निर्वातस्थान मैं पाछैवांटा कांकाणांकास्थाननैं गौहाकी मैदाती में पांणी घृतघालिपकावै वेंकोपाणीवलिजाय घृतमात्रआयर है इसी तरैवेंकी लोई करिसुहावतौवें ऊपरिसेककरैतौ श्रोत्राततकालच्याछ्योहोय २ अथवा कुटकी मोम हलद महलोठी कएागचकीजड अरकणगचकापांन अरकएागचकाफल प टोल चंबेलीकापांन नींबकापांन या घृतघालिपकावे पाछे पाणीवलिजाय घृतमात्रत्र्मायरहे तदिई घृतको सुहायतौसु हावतोसेककरैतौ योव्रएातनकालाख्यौहोय ३ येजतन
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३०६ अमृतसागर तथा प्रत्तापसागर तरंग १५ वैद्यरतनमैलिष्याछै अथवाशस्त्रांदिकांकरिजीकोलोही घणोनीसरिगयोहोयतीकैबायकापीडाहोयप्रावतीकारि वावास्तै-नेवृतपानकराजेपरजीकोषउगादिकांकरिगानछि नहोय नीकैगंगरणीकीजडकोरसवेंमैंभरिदेतो वेत्रगतत कालभारजाय अरआछ्याहोयजाय४ ईबावालानेसातल जननसर्वाच्याछै अरशस्त्रलागिवेंकोरुधिरआमासयमैजायतोवेंपुरस. वमनकरायांनोपाब्योहोय अरपेडमैंरुधि रजायतो प्रोजुलावसंआयोहोय अथवा यांसकीछालि अरंडकाक्कल गोषरू पाषाणभेद यांकोकाटोकरितीमैसे काहींगसीधोलूराई,नांषिपीवतो कोगकोरुधिरनिकलवो आयोहोय ५अरजव कुलत्थ सीधोलू। येषावामैलषात्रा छ्याछै अथवा चंवलीफापान नींबकापांन पराल कुटकी दारुहलरहलद गोरीसर मजीठ हरडैकीछालि मोमनीलू शूथो सहत करगचकाबीज येसर्ववराबरिले यांकीबराब रिंगउकोषनले अरयां अय्यगोपापीले यांनमधुरी चसूपकावे तदिपापणीवलिजाय घृतमात्रायरहै नदिई तवातिउगैरेकरिमकैलगावैतोगंभीनेत्रादिलेरसर्वत्र साव्योहोय इतिजात्यादिघृतम् अथवा वेलीका पांन नबकापान परोलकापांन किरमालाकापान मोम म हुयो कूठ दारुहलद हलद कुटकी मजीठ पदमाषहरडै कीछालि लोद तज कमलगट्टा गोरासरनीलोयूथो किरमा लाकागिरि येबराबरिले स्पांकोकाटोकरि नींकादाकारसमें तीकांकोतलपकामधुरीयांचसूंउकाटाकोरसपलिजाय
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३०७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ नेलमारआयरहै नदिनेलने उतारि आध्यावासरगमैंघालिग पै पाछैईतेलवातीउगेरैकहींतरै वांबणाकैलगातौनोत्र एततकालभरि आयोहोजाय इतिजात्यादितैलम् अ थवा चित्रक लसग हींग सरपंषा गोडदेशपसिद्दक लहारीजडिकीजड सिंडूर अतीस कूठ कडवोनेल परयांशी षयांमाफिकपाशीनाले पाछैमथुरांच पकावै तदिवें मैं कोपापणीवलिजाय लमानायरहै तदितेलोरयासरगमें घालिराषै पाईनेलकोंकपाकीवनी कहींतरेबराकैल गावैती बगमात्रने दृष्टवाने नाडीबानैं योतलततकाल दूरिकरेछै- इतिविपरीतिमल्लतेलम् अथवा गिलचे पटोलकीजड त्रिफला वायविडंग येबराबरिले त्यांनोमिहीं वांटि यांवराचरिगूगलले पाछैयांनमिलाय यकजीवकरि क॥पाणीसंरोजीनांषायतो जरामानने वातरक्तनैं गोला मैंउदररोगानें सोजाने योगूगलरिकरेछै९ इतिश्रम तादिगूगलम् येसर्वजतनभावभकासमैलिष्याछै । अथ प्रकार कहींतरेसअग्निसुंदवहोयगयोहो यत्यांसारांहीकाअनुक्रम जतनलिष्यते अग्निक हीतरैदाभिगयोहायजोपुरस तीनैअग्निसूतपावेनीप्रोप रसवेगोपाख्योहोया अथवा पुरसकेअंगर.आहिले रगरमओषयांकोदााउपरिलपकरेनौ ओवेगोचो होय श्योपुष्टकोजतनछै अथडुर्दग्धकोजतनलि. पोषयांकात. अथवा ईहीननेगरमकार पाछैईन टोकरिईकोलेपकरेतोदुर्दग्धपणांपाब्योहोय ३ अथस
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३०८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ म्यकदग्धकोलक्षालिष्यते तवाषीर यडकीजड रक्तचंद न सोनगेरू गिल-यांनेतसंमिहींवारियांकोलेपकरेनोस म्यकदग्धाच्योहोय ४ अथअतिदग्धकोजननलिष्यते बुरामांसनकादिनांपाछेसातीचावल तांडू यांनत मि होवांटिकोलेपकरे उपरिगिलवैकापांनबांधेनोअतिदग्ध पणोंपाच्योहोय५ अथवा मोम महुवो लोद राठ मजीठ रक्तचंदन मूळ येसर्ववरावरिले यांनोमहींपाटि गउकात मैंपकावै पाईघृतकोलेपकरैतो अतिदधपणों अग्रिह रिहोय अरसरीरममांसपोरहोयावे इतिसिकथादि घृतम् अथवा पटोलकापंचांगकोकाटोकरि नामैकडवो तेलपकावै काटाकोरसवालजाय तेलमात्रायरहै त दिवेंनैलगावेतौअमिकादाड्याकादाहअरश्रवचो परकी फाख येसाराजाय येसर्वजननभावप्रकासमैलिष्या छै अथवा पुराणो आलोचूनोंषावाको तीनेंदहींकापांगी मैंवांटि अग्निकादाड्याउपरिलगावेतो अोपाज्योहोय तेल कोदाम्पोहोयतौवेंकाफफोलामाइरिहाय - अथवा जवा नेवालि तिलांकातेलमैंबांटे पाछेउकोदाम्पाउपरिलेपकरेनो प्रोप्रायोहोय ९ अथवा सक्योजीरोनीनैमिहींपारिब राबरि मोम राल घृनमेंमिलाय ईकोलेपकरैतो अगिकोदा पोततकालाव्योहोया अथतेलउगेरैकहींतरेंसूंदा मोहोयतींकोजतनलिष्यते तिलांकोनेलपावापरषावा कोचूनोपालोपुराणोपईसाभर तीनैहाथ मसलि पहर १ येक वै.रावसोकरिले पाछेनेईकापहला वैकैलगावै
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३०९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ तोदापोतनकालाच्योहोय १ अथवाग्रंथिरोगकी उत्पत्तिलक्षएजननलिष्यते विगरिषेदहीसरीरमाहीमूं नीकलतोजोइटलोही तीनैपवनपचनसोसकारकै वेंकागां ठिपदाकरिलेछ बेंगारिमेंदाहअरषजालिपपोहोयतीनेब पाग्रंथिकहिजै १२ अथवाग्रंथिकोजतनलिष्यते कसे लो वायविडंग तज दारहलदयांनमिहींपांटिजलझूअरवेंमें तिलांकोलनांषि मधुरांच पकावै भोपाणीवलिजाय तेलमात्रायरहै नदिईतेलकोलेपकरेनौत्रग्रंथिजाय १३ इतिबग्रंथिकीत्ररोगकाअग्निदग्घरोगकोउत्पत्ति लक्षगजननसंपूर्णम् अथभग्नरोगकी उत्पत्तिलक्ष राजतनलियते भग्नकहिजैहाडकोदूटिवो सोदोयपकारको छै एकतोकांउको१येकसंधिको २ कामकोनोनल कपाल पहुंच्यांनैादिलेर अरसंधिकोपकारकोछै उत्यिष्टी विश्ले ट२ विवर्तित ३ तिर्यगत ४ क्षिप्त५अथ अथसरीरका संधिभांवैजैठाकोटूटीहोयकहींतरेतीकोसामान्यलक्ष रालिष्यते संधिस्थान पाायणीहोय उठना पसारतां येकराकरता अरऊउसपरससुहानहीं तदिजाणिजैक हीतरैसंधिटूढीछे अथापिष्टसंघिसिवाकोलक्षालि पने शेयहाडांकासंधिहटाहोय उंचहूओरसोजोधपोहो य अरउंढपाडाहोयनदिजाणिजेउत्पिष्टसंधिटूटीछे अथ विश्लिष्टसंधिटिवाकोलक्षगलिष्यने ऊंठेसोजोहोय अररात्रिमैपीडामोजोयगोहोयजीमेयेलक्षणहोयतीनौति सिष्टसंधिटूटीजालिजे२ अथविवर्तिसंधिट्टीकोल
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३१. अमृतसागर तथापतापसागरतरंग १५ क्षगलिष्यते पसवारामैपीरपणीहोय अरउठेसोजोपीउरह वोईकरे येजीमेलक्षणहोयतीनपिवर्तिसंघिदूटोकहीजै। अथतिर्यगतिसंघिटूटीहोयतीकोलक्षालिष्यते उंग्रेसो जोहोय पाउपणीहोय येजीमैंलक्षणहोयनीनतिर्यगतिसंधि टूटीजाणिजे ४ अथक्षिप्तसंधिट्टीहोयतीकोलारालि यंतेजामविषमसूलहोयसाथलमै कदेकथोडीकदेकथणी होय येलक्षणहोयनानक्षिप्तसंधिटूटीजाणिजे ५ अथअधः संघिदूटीहोयतीकोलक्षएलिष्यतेजोमोसंधिनीवरला टूटी नीकैनीचे पीउहोय तीन अथासंधिटीजारािजे ५ अंथसंधिविनांकांडकहिजैहाडटूटाहोयनल कपाल बलयने आदिलेरत्यांकोलक्षालिष्यने नरसलकासीनां ईवेहाडछिनछिलियांहोय सूधाहोय तीनैनलकहिजे अ थहाडटिवोवारा१२प्रकारकोछसोलिष्यते कर्कट१ अ श्वकरगविचूर्णित कचिनकहिजै विनकस्यो४ अस्थि उलित ५ कांडकैपिसेभग्न प्रतिपातिन ७ मज्जागन-प स्फुरित ९वक्री-छिन्नहियाकरवीरजिसायांकानांमति साहीलक्षराजाशिलीज्यो अथहाडत्योहोयतीकोलक्षगलिष्यते अंगसिथलहोजाय अरऊउसपरमसुहावे नहीं अरऊठेसरीरफुरकै अरसरीरमैंपीडाहोय अरसूलहोय अररातिदिनमेंकदेहीचैनपडैनहीं यजी मेंलक्षणहोय तदि जाणिजेईकोकहींतरे हाउटूटोछ अथभग्नरोगकाकष्ट साध्यलक्षगलिष्यते अग्निमंदहोयजाय कुपथ्यकरियो करे भरवायकोसरीरहोय अरजीमैंजुरअनीसारादिकहोय
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शा अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ ग्रोभग्नरोगीकष्ट चचे अथभग्नरोगकोअसाध्यलक्ष गलिष्यतेजीकोकपालफटिगयोहोय करिदूरिजाय अरसं थिसंधिषुलिजाय अरजांघफिसिजाय भरललाटकोचूहोला य अरस्तनकीजांगारिजाय हियोफाटिजायगुदाफारिजाय कनफटीफाटिजाय पीतीफाटिजाय अरमांथोफाटिजाय गोत्र साध्यजाणिजे। अथपुनःअसाध्यलक्षगलिष्यते हाडा मैंाध्याप्रकारबांध्याछे पाउँगादायांथपीआवेअरवेषोटा यणामैंबंधिजाय अरऊठेचोटलागणीबाजाय अरमथनादि ककरणाबाजाय ओहाउटियोअसाध्योजाय अथसरी रमैस्थानांकाहाडांकैचोटलाग्याजोचिन्हहोयछेसोलि ष्यते कंगकैसालवाकै कनफट्यांके कांधाकै सिरकै गोडाके कपालकै कानकै प्राषिके यांजाशांकहांतरेकाचोटलागेनो उताकाहाडनयजाय पहचाकापीडीउगेरेसूधाहाउडै सोना काहोजाय कपालभैादलेरजोगोलहाउसोफास्जिाय दांनउगैरेछोटाहाडछेसोरिजाया अथभग्नरोगकहीजे हाडसंधिकोरीवौतीकोजतनलिष्यते प्रथमचोटउगैरे कहाँनरे हाडपरसंघिटिजातो हावषनउठेरोपां लीनांषेपाछेतुहिमानबादमीहेसोवेंकैयौषधांकोसेककरै अथवा पाटोवांधिवोकरै अरऊंठेजोइलाजकाजेसोसीतलाइ लाजकीजै अस्जोबुद्धिवानपुरषहोयसो पारीसाथलनहींषां धेअरनिपटगादीभीनहींबांधेबाछीतरेंसाधाररावांधेसिथ लवांध्यांाछीतरेस्थिरमिलेनहीं अरगादीवांध्यांत्वचाकैसो जो अरपीडा भरचामडीकोपकिवोहोजाय वास्तेपारीसाधा
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३१२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ राहीबांधिवोजोग्यछे। हाउसंघिटाकलायगांडाभसेतीवां थै औषधांचालीकार अथवा चोटकाजायगांत्रालोकादोल गावेनोहाउसंधिटूटीबाछीहोयर अथवा मजीठ महुबो यां दोन्यांनठंढापाएगीसंमिहींपारि श्रोहाउदस्योहायने ठेवाकोले पकरेनोोग्राछ्योहोय ४ अथवा सो वारकोधोयोत नीमैंसास्याचावलवारि वोकोलेपकरेोपोआयोहोय अरहा उकीसंघिदूटीहोयतो बार पीपलकालाष गेहूं कड़वांरुषकी वकल येनमें वांटिटंक ५दूध पावतोसंघिदूरीपरहाइटू ख्योाब्योहोय ५ अथवा लापकहवांकाककलं असगंधर्ष रैंटागूगल येबरावरिले त्यांकोयेकजाचकरिटफारूपकैसा थिलेतोहाडटूट्योसंधिटूटीग्राछाहोय अथवा गोहांनेत्रा यावालिपीठकरीमें पाछेवोंनैमिहीवांटिटंक ५ सहन की कैसाथिनारैरोजीनांदिन ७ तो हाडटूट्यौपाध्योहोय. अथवा आपला मैदालकी तिल येउंटपाएीसूमिहीवांटि जागांलेपकरै परईयतभीमिला पाछै-कोलेपकरैतो झारटूट्योसंघिदीमाछाहोय- अरचोषीमिमाईमनुष्यकामां सीमिलेसोअनुमानमाफिकसहन उनैदेतोकाहाडपर संधिटूटीपाछीहोय ९ अथवा चोटलागिवावालाकै मांससो रबोधनपुष्टाईकाओषदीयेसारीपाछी अतीवसई.आ छीनहीं लूणकड़वीवस्त पार षटाई मैथुन तावडरो पेट लूपो अन्न बालककी श्ररमोट्यारकीचोदवेगीबाछीहोय टाकी अररोगीकीनोटबगीश्राछाहोयनहीं अथवा लाषटंक॥ दूधसंदिन १५पीवतोड्योहाडाज्योहोय ११ अथवा पीली
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१३ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १५ कोड्यांकोचूर्णरतीर तथा३ ओरायाहूथ पावेतौटूटोहाडजुडै१२ येसर्वजननवेयरहस्यमैलिष्याछे अथवानोलकीवक ल त्रिफलाइंठि मिरची पीपलि यांसारांकीबराबरिगूगलनां षे पाछैयांकोयेकजीवकरिटंक शारोजीनांदिन१५दूध लेतो सरीरवजकोसोहोजाय१३ अथवा बोलकीवकलटकाई मैंमिहींगांटिसहत महीनायेकताईलेतो सरीरवज्जकोहोजा य१४ योजोगतरंगिणीमैंछे अथमुदगरउगेरैकहीं तरेंकीचोटलागीहोयतींकापाव्याहोवाकीविधिलि. मेथी मैदालकडीमुठि आंवलायांनेगोमूतमैमिहींपाटि चो टकलपकरेतोचोटाछीहोय१५ इतिमग्नरोगकोउत्प त्तिलक्षणजननसंपूर्णम् अथनाडीव्रणरोगकोउत्प तिलक्षराजतनलिष्यते जोअग्यानवैद्यसथियोछै सोयां गूमडाकाबनैकाचोजालिचेंकोजतनकरेनहीं वेंकाराधिका टेनहीं वाराधिनराकैमाहिनसांमैंधसिजाय पाछेवेंकास्थानां विगाडिदे पाछेचाकहींतरै वांरांनासर गधिकापणाप्रमा व वास्तेवाराधिनाड्यांमेंनलकासीनाई नलमैंजैसैजलव है तेसौनांड्यामेराधिटे ईवास्तेईरोगकोनांवनाडीग्रएकही जैओनाडीव्रणरोगपांच ५प्रकारकोछै वायको पित्तको २ कफको ३सन्निपातको ४ सस्त्रादिककाचोटलागिवाको५ अथवायकीनाडीव्रणकोलक्षणलिष्यते कठोमिहीजी कोदोहोय अरजीमैसूलचाले जीके टेरापिरहै रातिनंघ पीरहै येजीमेलक्षणहोय नीनवायकानाडीपकहिजे। अथपित्तकीनाडीवाकोलाएलिष्यतेजोमैतिसहोय
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१४ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १५ जुरहोय माहींदाहहोय गरमअरपीलीजीमेंराधिनीसरै तीनै पित्तकानाडीव्रणकहिजे२ अथकफकानाडीबकोलक्ष गलियते जीवराकैमूदैलोहीलीयांघएगीजाडीसुपेदराधि नीसरे अरसेंमेंषाजिावै परपीडभीहोयरातिमैघणीहोय येजांमैंलक्षणहोय तीनैंकफकीनाडीचपकहिजे ३ अथस निपातकीनाडीव्रणकोलक्षणलिष्यतेजामेंदाहहोयजु रहोय सासहोय मूर्छहोय मूढोसूके अरजीकीराधिकागति गंभीरहोय जाँकोछेवडोआवेनहीं ऐसाराधिनीसरे ओनाडी • कालकारातिहाछै मानूंमारिहींनांषैली येजीमैंलक्षणहो
यतीनेंनाडीबराकहीजै ४ अथशस्त्रादिकांकीचोटला गिवा उपज्योजोनाडीग्रगतीकोलक्षालिष्यनेजीका सरीरमैंतारगोलीइत्यादिकलाग्याछै अरवेंकासरीरमेंवेंशस्त्र कहांतरैरहजाय तीनेवैयसथियोहेसोवेंकासरीरमै सस्त्र काटे सोचेंजागांकहींतरेबापडिजायतींवरामैंमागांसमेत लोहाराधिनासरियोहांकरै अरवेंमेंपीडरहवोकरैकहींतरैस सरहलावतां यजीमैंलक्षराहोय नीनशस्त्रादिककीचोटलागि वाकोनाडीव्रणकहीजै ५ अथनाडीबराकोसाध्यक टसाध्यलक्षएलियने त्रिदोसकोनाडीवराज्योनहींहो योरच्यारिप्रकारकानाडीबापाच्या सोववैयकाजतन सूंबाब्याहोया अथनाडीव्रणकाजतनलिष्यते सूक्ष्म दाकाचराछे सांमेराधिनीकलिवोकरैतो कैथोहरिका अथवा पाककाईधमैदारहलदमिजोय नीनघासनीकीया तीकारवेंजणकाट्टामैदेतोओराभरिजाय..अथवा कि
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१५ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग १५ रमालाकीजड हलद मजीठ यांनसहनमैमिहींपाटि वेंकीवाति करै ब्रामैजुगतिसंवैयदेतोबगाज्योहोया अथवा वेलीकापानांकोरस पाककाजड किरमालाकीजड दांत्यूपी सांधोलूरा संचरलूपाजवषार यांनैमिहींवारियांकीवातिमि हीराका दामैजुगनि देतोप्रोवराभरिकाल्योहोय३ अथवाजास्यादित अथवाजात्यादितैलयां भीयोनाडी चारोगजायछे ४ अथवात्रिफला सूरि मिरचि पीपलि यांबराबरिसोध्योगूगल यांनैमिहींपाटियांकोएकजीवकरि टंक २॥रोजीनांदिन ४९सीतलजलसंलेतोसर्वप्रकारको नाडीव्रणरोगजाय पथ्यमैरहतौ५ अथवा गूगल सिंदूर यांदोन्पांनैमिहींवांटि ई.जतन बरामैंभरेती नाडीव्रणरो गाव्योहोय ५वेसर्वभावपकासमरिष्याछै अथवा आंधामाडाकाबीज तिल यांनोमहीवारि ई.जतनमूनाडी अगलेपकरैती बायकोनाडीबाआध्योहोय अथवाति ल मजीठ हाथीकोदांत हल यांनैमिहीपारि पिनकानाडी प्रगकैलेपकरेतो पित्तकोनाडीवराजाय ७ अथवा तिल महलोठी दांयूपीनीवकाछालि तथापांन सीधोलूपा यांनै मिहींचांटियांकोलेपकरेंतोनाडीव्ररोगजाय-अथवा तिल सहत घृत येकलाकरिलेपकरेतीघावकोप्रणालो होय९ अथवासहतकीवत्तासै अथवालूगकीवत्तीसैंड श्वरायाख्योहोंय अथवानलकीवत्ता दुष्टत्ररात्रा ब्योहोय॥ अथवासाजीजवषार कपेलो महेदी सुहागो सुपेदेषेरसार येवराबारले यांनैगऊंकावृतमैमिहीवादि
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३१६
१५
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग दिन १ पाछैईमैंत्रण में भरेतो बाकी क्वमिमरिजाय व्रणकीषा जिजातीरहै अरत्र्योत्राभरिजाय १२ इतिस्वर्जकादियुत म् योचक्रदत्तमेलिष्योछे अथवा संमालकापांनाका रसमैतेलपकाय वेंतेलकी बाती बणमैदेतौनामाछ्योहोय १३ इतिनिर्गुडीतैलम् योहंदमैछै प्रथसुपेदमल्हिम कीविधि रालपईसा १ भर सुपेदोपईसा १ भर सुपेदमोमप ईसारभर मुरदासगीपईसाभ्भर रालरूपेदोमुरदासींगी यांनेषूमिहीनांटि पाछैगऊकोघृतपईसा६भर गरमकरिईमैं मोमपघलायसुद्धकरै अर पेंमिहींवांटि प्रोषधिभावेंमोमका घृतमैंवहीवर्षातनां पाछेवेंहीं सकासीकीथाली में पाली नांषिपाली में मोमसुद्धाये औषदिनांषि हाथसंबधीचे बार १०८ पाछैत्ररणकेईनलंगा वेतोबाच्याछ्योहोय १४ अथवा पारो सोधीच्यांवला सार गंधक येबराबरिलै यांदांन्यांकीबरा बरिमुरदा सिंहले अरयांनीन्यांबराबरिकपेलोले यांमेथोडो सोनीलो थोनांबे यांसाशंसू चौगुणोई मैंगऊ कोघृतनांषे
रमैनी कापाना कोरसअनुमानमाफिकनांषे पाछैयां सारांनैघृतमैंबून वाटै दिनदोयताई पाछैत्रएकै लगावैतौ रामात्रसर्वप्रछ्याहोय १५ योवैद्यरहस्यमैलिष्यो अ थवा सुपेदमोम मस्तंगीगंद मैटल नीलोथूथो सुहागो सा जी सीदूर कपेलो मुरदासींगी गूगल काली मिरचि सोनगे रू इलायची वेरजो सुपेदो हांगलू सोधीगंधक सर्वक्रा वरिले मोमविनां सारांनैयेकराजुदावांटे परमोमनेंगऊ काघृतमैं अग्निपरितपायसुन्करिले पाछेसर्वोषदि ई
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१७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग । १५ मोममैमिलायषूवमिहींपरलमैदिन रवांटियेकजीयकरै पा
छैसरूमउगैरे अरसडष्टनाराभाईकालगायां प्राच्याहोय .. १५ योवेयातूहलमैलिष्याछै अथवा नीलोथूथोक पेलो मुरदासीगी सुपेषेरसार सुपेदोसीदूर हींगलू मो म केसरि गऊकोन येसर्वबराबरिले पाछेगऊकातने तानोकरि पहलीनानापृतनैनीउतारि ईमेथमनीलो) थोवांटिनांषे पाछेवेंहीवषतई मैमोमनां पाछेईनैपला यले पाछैईमेयेोषदिवांटिनांपेयांसारीकोयेकजीरकरै पाछैईनकासीकीथालीमैंघणोंजलनांषि ईमैयेसारीमोम सुधायेोषदिनांपै हथेलीसूदिलावूवमर्दनकरै पाछैईमैं मल्हिमनेंचरामात्रकैलगातो बगमारचांदीउगेरैसर्वना ख्याहोय १७ योवैद्यकूतूहलमैंछै अथवा हांगलूप ईसा ३भर सुपेदमोमपईसा भर साजीपईसाभर नाव कापानांकारिकडी करिगऊकाघृतमैपकावै अरमोमघृत मैंपपलायले मुरदासिंहपईसाभर पाछैईवांटि यांसा रांकोयकजीवकपाछैबराकैलगावैतो बरामाप्रपाब्याहो या अथसरीरमैंहाथपगांउगैरेफाटिफाटिव्याज सीपडिजाय तांकाच्याहोवाकोमलिमलिष्यते रालपईसाभर काथोपईसा भर कालीमिरचिपईसा! और गहंकोघृतपईसा ४भर चलीकोनेलपईसा ४भर यांओषयांनमिहीवांटि लोहकाकउंछलांमैमल्हिमकारले पाछैईनैलगावैतौ हाथपगउगैरै विहाफाटतोहोय सोनि श्चैाज्योहोय १९ अथमाल्हमनींबकी नांकापांना
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: 300 •अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. १५ कोरससेर १ काटे पाछेगउकोतपायाकडछलामैचटायवेने तातोकरेसोघृततातोहोय तदिवेंमैंरालपईसा भरनां वेनौप पलावै नदियोपांनांकोरसमसुसिजायजाडोहोजाय नदिवेमैंस थपईसा नीलोथूथोपईसासुरदासिंहपईसाभर येवांटिमै गांषियेकजीवकरि पाछैईनकपडालगाय फोराकाबराकेउ परिलगावेतो अरानिधाब्योहोय २० अथबराकरिऊंग कात्वचाकोरंगओरसोहोयजाय नीत्वचाकापर्णसिरी सोकरियाकीपोषदिलिष्यते मैएसिल मजीठ लाष दोन्यूं हलद येवराबरिले यांनैपृतसहतसूमिहींपांटि तुचाकैले पकरैनो सरीरकीत्वचासरीसोकोवाहोय २१ इतिनाडी अरारोगकोउत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् इतिश्रीमन्म हाराजाधिराजमहाराजराजराजेंदीसाईप्रतापसिंह जीविरचिते अमृतसागरनामग्रंथेलीपद विदयाबण सोथ सारीरबरा वायपित्तकफादिकांका आगुंतकबरा शरुषांदिकाका अग्निग्धपाथिभग्ननाडीवरायांस
रोगांकाभेदसंयुक्तउसत्तिलक्षाजतननिरूपनाम पंचदशस्तरंगः१५ अथभगंदररोगकी उत्पत्तिलक्षए जननलिष्यते गुदाकैयासपासचौगउदाईहोयदोय प्रांग उमाहिरासीहोय अरफूठेपाडारहवोकरै अरऊफुरा सीश्रववोकरै नैईवास्तेभगंदरकल्जेिछै भगकैवाचिहुंओर योहोयछ अरगुदाकैअरवस्तकेचीभीहोयछे भगवासात रैयांरोगहोयछे ईवास्तेईनयभगंदरकहेछै सोभगंदरपा चपकारकोछै वायको पित्तको२ कफको ३सन्निपातको४
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१९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ शस्त्रादिककाचोटलागिवाको ५ अथवायफासतयोनक भगंदरकोलक्षालिष्यने जोपुरसकसायलोअरलूषोब हुनभोजनकरैतीकैवायहेसोकोपयूँप्राप्तिहोय गुदाकनेफ पासीकरै वेंकोमालसकरिपुरसजतनकरैनहीं तदिवाफसीपकै अरऊरेपाडपणीकरै अरवाफुपासीफूटेनदिवेमैरा घिउगेरैमलमूत्रवीर्ययभानीसारचोकरे अरकैचालपास रिसासोछेद्रहोजाय ईनसतयोनकमगंदरकहीजै१ अथ पित्तकाउष्ट्यीवभगंदरकोलक्षणलिष्यते गरमवस्तकाषावा पित्तहसोकुपितहोयगुदाकेचौगुउददोयांगु लकीजायगांमैंलालफुगस्यांने पेदारैछे पाऊरासीततका लपकिजाय अर-मैंगरमगरमराधिनीसरें अरयांफणसी अंडकीसीगरदनसिरीसीगंचीहोयावे वनयसोपित्त कोउग्रीवभगंदरकहेछै २ अथकफकापरिश्रावीभग दरकोलक्षगलिष्यते ऊरेषुजालिपपासले पर मैंजा डीजाडिराधिनीकलवोकरै अरमैपाउथोडीरहै अरवाफ पासीसुपेदहोय अरपाश्रववोहीकरै तीनपरिचावीकफको भगंदरकहीजे ३ अथसन्निपातकोसंबूकवनभगंदर कोलक्षगलिष्यते गांफुणस्यांमधहोतप्रकारकातोपीडा होय अरवेंफणस्यांकारहोतप्रकारकावर्णहाथ भरवाभव वोहीकरै अरवाफपासीमिनछादापासरीसीहोय अरवाफुरा सीसंषमाहिलीनाभिसिरीसोहाय तीनैसन्निपातकोसंबूका वर्लभगंदरकहिजै ४ अथशस्वादिककाचोटलागिवाको भगंदरकोलक्षालिष्यते गुदाकैक.कांटांनेादिलेर
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२२० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ लाग्योहोय अथवाउंडेषुजालिवामुनषादिकलागिजायन थवाउंगकावाललेतांपाछपांकीमठेलागजाय तदिरेफ एसीहोय अरवापसीटै अरवेंकाराधिकागूगसंऔरऊ ठेफरास्यांहोयजाय अरफास्यांजायनहीं अरस्त्रवचोहीक रैवेंनेउन्मार्गसंज्ञिकसस्त्रकाचोटलागिवाकोभगंदरकाहिजे ५ अथभगंदरकोकष्टसाध्यलक्षरालिष्यते भगंदरतो सर्वहाकठिन बाध्योहोय परंतुसन्निपानकोबरउंडेचोट लागिवाकोभगंदराज्योहोयनहीं। अथभगंदरकोजत नलिष्यतेगुदाकीजायगांभगंदरउपज्योजारो तदिदेयहै सोजोकादिकलगायउठाकोलोहीततकालकदायनाइ सातरेकदावेनौवेंफणसापकैनहीं अथवाउटेफुपासीउ पजीजारों नदिउठेसारीकीजड गिलये इंटिमहलोठी बड काकोमलपांन यांनैमिहींवांटिक्यों सुहावनोगरमलेपकरे तो भगंदरकावफासीवाछीहोय अथवा तिल नींवकीय कल महबो यांनैमिहींवांटि सीततजल डंडे लेपकरेतीपि नकोभगंदराव्योहोयर अथवा चंवलीकापांन वउका पांन गिलवे सूहि सीथोलूरा यांसारांनेछाडिमैवाटि भगंदर कैलेषकरेतीमगंदराज्योहाय ३ अथवा हलद प्राकको दूध सांधोलूए गूगल कनीरंकापांन यांनीटायई मैंताल अनुमानमाफिक ईमेलनांषिपकावैतदिजलउगैरैपलिजाय तेलमात्रायरहै नदिईनेलकोउठेमर्दनकरेनोमगंदरजाय४ अथवागूगल त्रिफला पीपलियांबराबरिले त्यांनमिहींना टिटंकाजलसंखेनोभंगंदरजाय परसोजानैं गोलाने वा
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३१ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १५ सारनैं यांसारांनैयोहरिकरेछै५ इतिनवकार्षिकोगूगलः अथवा चीराउगैरेकादेवामनिपटकसलछै वैद्यसथियोदेय तो ऊंकनेचीरोदिराय व्रणकाजतनमल्हिमादिकछै सोलगा जेनोभगंदराव्योहोय ६ अरभगंदर वालोइतनीवस्तक रैनहीं षेद मैथुन युद्ध घोडाउपरिचटिवो उग्योनाजषायन ही भगंदराव्योहोयगयोनीभीवरसएकताईकरेनहीं ये सर्वभावप्रकासमैलियाछे अथवारसोत दोन्यूंहलद मजाट नीवकापान निसोत तेजवल दांयूगीयांनमिहीवां टि भगंदरकैयांकोलेपकरैतो अरयांहीसूनेंधावेतोभगंदर आयोहोय ७ अथवा कुत्ताकाहाडकैचुवायांनैगधाकालो होमिहींचांटिपथरऊपरि अरभगंदरकैलेपकरैतीभगंदर आयौहोय - अथवा पिलाईकाहाडमें त्रिफलाकारसमू मिहीवांटिभगंदरकेलेपकरेतौभगंदरजाय ९ अथवा दि. लाईकाहाडकाराष कूकराकाडाडकाराष तीनलोहकापात्र मैंगउकाघृतमैघसिभगंदरकैलेपकरैतौभगंदरजाय १० अथरुपराजरसकाविधि पारोभागदोय २ तांबाकामैल काभागच्यारि ४ यांदोन्यानेयेकठाकरिकागलहरिकारसमैदि न१५परलकरे पाछेयांनतांबाकासंपुटमैंमेले आसपास परवालरेन हांडीभरै पाछेवेंकैनीचैांचदेलकड्यांषूब पहरारकी - पाछैस्वांगसीतलहवांसंपुटनैवैमाहि का है पाछेसंपुटमांहि वेंकाटि-मैंघृतसहतसुहागोयदे पाछे-नैपकीमुसिमैंमेल्हेवेंकीअधमसिकरिधवणीवेनै वधौंचै नदिनोचक्रषायफिरैतदिवे माहि काटेत
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२३ अपनसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ दियोरससिरिहोय पाछैईरसनैरतीसहत लेतीभगंदर निभाज्यौहोय ऊपरसूत्रिफलांकोकाटोपीवेअरपथ्यरहे। इतिरुपराजरसः अथरविसुंदररसलिष्यते पारोभाग १आंवलासारगंधकभाग२ पाछैयांदोन्यांकापरलमैंघालि कजलीकरे पाछेयांनैकवारकापागकारसमैंषरलकरे पाछै ईकोगोलोकरैवेंगोला.तांबाकासंपुटमैंमेलै संपुटनेहा मेंमेले आसपासर्वेकैचौगुउदाराषदेवैकेचिसंपुटमेलें पाउँकैनीअभिवालदिनानाई पाछैस्वांगसीतलहवां ३मांहि नैकाटे पाडैकैजंभारकारसकापुट दे पाछै ईनैरती सहनन चाटैती भगंदरजाय ईउपरीमूसलाल सरापावै ईषायाउपरिमाटोअरहास्करैनहीं दिनभैंसोवैनहीं मैथुनकरैनहीं ईपरसीतलभोजनकरेनहीं इतिरविसंदर रसः१२ योरससिंधमैलिष्योछे इतिभगंदररोगकीर सत्तिलक्षाजननसंपूर्णम् अथरपदंसरोगकोउत्प तिलक्षगजननलिष्यते हथसरकाकरियानं अरइंद्राका कहींतरैमनषधरदानलागिजायनासू अथवा स्त्रियांके गरमीकाप्रभार अथवास्त्रियांकाभगऊपरिवाकटोरया लहोयावेत्यांकाउपाडिवाइं अथवा योनिकोचिरमिहींहोय ती स्त्रीयांकोज्योनिदूषितहोयछत्तीकारणझू अथवा लिं गेंडानेधोवनहींईकारण अथवा स्त्रीपुरष{मैथुनपणोंक रैईकारणसंपुरसकेलिंगेदिकेविषेपांचप्रकारकोउपदंसहो यडै परनानाप्रकारकाजोकुपथ्यकरित्यांकारगांसूउपदं सोयडै सोउपदंसरोग५पांरपकारको वायडो पित्तको
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३२३
१६
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग कफको ३ सन्निपातको ४ अरकी ही तरेलीगेंट्री केनषदंतादिक कचोटलागिवाको ५ अथवायकाउपदंसकोलक्षणलि● लिंगेंडी के विषैगरमीकरिपीडाहोय अरऊंकीसीनांईफाटि जाय अरकुरकै अरउठेकाली फुणस्यां होयजायतो जाशि जेवाय कोउपदंस १ थपित्तकाउपसको लक्षणलि. ऊठेपुणस्यांपीली होय अरऊंठेघ पोचेपनी सरेरऊंउदाह होय अथवा पुणस्यांलालहोय येजीमैंलक्षणहोयतदिपि त्तकोउपदंसजाणिजे २ अथकफकाउयदंसकोलक्षणलिष्यते जीमैंषाघिणी होय सोजोघरणों होय वेंकुलस्यांस पेदहोय अरंजाडोजाडोवांमैश्रवें येजीमैंलक्षण होयतींमैक ककोउपदंशकहीजे ३ येसर्वलक्षणजीमै होयतींनेसन्निपा तको उपदंसकहिजै ४ अथउपदंसको असाध्यलक्षणलिप्यते जीलिंगेंडी कोमांसविषरिजाय पर मैं कमीपडिजा य अरइंडीगलीजाय अरह्मांडमवसेसच्यायर है मोउपदंसमसाध्यजाणिजे ५ अथवा उपदंसजी के वो पर बैंको जनननहींकरै परविषैकरतोजाय पर वें मैं कमीपडिजाय
र वेंकीइंडिगलिजाय पुरषमरिजाय ५ प्रथलिंगार सकोलक्षएालिष्यते जी पुरसकी लिंगेंडीकै विषेधानका अंकूरसरी साऊपर होजाय कूकडा की सिसासरी साहोजाय अरलिंगेंडी कैमाहीं रवेंकीसंधि कीनसांमें पीडाघणीहोय अरवाइंडीजूवालागीजाय वेनलिंगार्स कहिजे ? अथउपदं सकोज तनलिष्यते जोकलगायऊठाकोलोहीकटाजै पर वानेंपकवानैंपकवादेनहीं इसी तरें करैनो उपदंसजाय १
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३२४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा साठीकीजड गिलवे सूंठ महलौठी वडकाकोमलपान यांनैओटाय ईपाएणीसूलिंगेंट्रीनें धोवैतौउपदंसजाय २ अथ वा लिंगेंडीकीनसांछुडावेतौउपदंसजाय ३ अथवा वडका कोमलपत्रक हुवाकीवकल जांमुणिकीवकल लोद हरडेकी छालि हलद यैबराबरिले यानेंजल मिहींवांटि लिंगेंडीकैले पकरैतो लिंगेंडी कासारीव्यथा ऊठाकोसोजोरिहोय ४ अथवा लिंगेंदीपकिजायतो लिंगेंडी नैयांहीं औषद्यांसुधारे तौउपदंसजाय ५ अथवा त्रिफला का काढासूंनेधावे थवा भांगरांकारससंवेधावे अथवा कमलकापालीसूवेनैं धोवै अथवा यांकोऊठेलेपकरैतौउपदंसजाय ६ अथवा मि पन्यांरूषकी नकल को चूर्ण अथवा दाज्यूँकाच कलकोचूर्ण यां नैमिहींवांटि लिंगेंडीकैलैपकरेतीउपदंसजाय ७ अथवा सु पारीनैं पाएगी मैं घसलगावैतोउपसजाय - अथवा कडा हीमैत्रिफलानैंवालिवैकीराषकरिसहतउपदंशकैलेपकरै तौउपदंसच्प्राछ्योहोय ९ अथवा पटोल नींबकीछालि त्रि फला चिरायतौ षैरसार विजेसार गूगल यांनैबराबरिले पा छैयांनैोटायपीवेनोउपदंसजाय १० अथवा चिरायतौ नीं वकीछालि त्रिफला पटोल करागचकीजड भांवला बेरेसार विजेसार यांकोकाढोकरि ती काढा घृतयकावें पाछैपाणी वलिजाय घृतमात्रत्र्प्रायर है नदिई घृतकौलेपकरैतौ भ्र थवा ईघृत भोजनमेषायतीउपदंसजाय ११ इतिभूरिनी बादिघृतम् पोरघृनकोटकाजतनमेलिष्याछै अरब काजतनमेलिष्याछै सोवेघृतलगावे अथवा भोजनमैं
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१६
३२५
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पावैतौउपदंसजाय १२ अथवा जुलाबका ले वासूंउपदंसजाय १३ अथवा जोगीहरडैपईसा-भर सुपेदकाथोपईसा भर नी लोथूथोपईसा १भर यांनैमिहींवांटि पाछेपक्कानींबूसो १०० का रसमै परलकरे योरससुसायदै पाछेयांकीगोली मांसा १भरकी करै पाछैगोली १ रोजानांदिन १५ दहीकै साथिलेअरपथ्यरहैतो उपदंसनिमाछाहोय १४ अथवा नीलोथुथो भाग काथोभा ग २ सुरदासगी भाग २ सुपारी कीराषभाग २ यांनैमिहींवांटि उपदंसकी चांदी कैयांको भुरको देनौ उपदंसनिश्वैाध्योहोय १५ अथवा पारो गंधक हरताल सींडूर मैासिल यांनांबाका पात्रमैंतांबाकाघोटासूंघृतमैवांटिदिन ३ पाछेईनै लगावैतौ उपदंसजाय १६ अथवा मस्साहू रिहोवाकोजतनपाछेलिष्या छै त्याकरिकेंलिंगार्सकोजतनवैद्यकरिले इतिउपदंसरोग की उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् येसर्वभावप्रकासमैं लिष्याछै अथसूकरोग की उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते जोमुरषपुरसहोयसोविगरिविचारयांमूर्ख काकत्यांसूं लिंग नै बधायचा पट्टीकरिलेपादिकांकरि तीपुरषकैाठारा प्रकारको लिंगकै विसेसूकरोगपैदाहोयछे सोसूकरोगन्यथ रामकारको सर्पिपिका अष्टलका २ ग्रथिनं ३ कुंभीका ४ अलजी ५ मृदित ६ संमूढपिडिका ७ अवमंथ -पुकरिका९ स्पर्शहानि १० उत्तमा ११ शतपोनक १२ लकपाक १३ शोणिता र्बुद १४ अर्बुद १५ मासपाक १६ विद्रधी १७ तिलकालक १८ अथसर्षपिकाकोलक्षरालिष्यते जीकैकहींतरसूलिं गकैसिरस्यूंसिरीसी गोरी फुएएसीहोयजाय बायकफकरिकें
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२२६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ५ तीनेसर्षपिकानाम करोगकहिजे अथअष्टीलीकास्क रोगकोलक्षालिष्यते कहींतरेवेंकालिंगकीविसें करडीभर वांकी पीडालीयांपास्यांहोय नींनअष्टीलासूकरोगकहिलै२ अथकुंभाकासूकरोगकोलक्षालिप्यते कहींकारगरक्त पित्तसूं जीकालिंगकै जांमुखिकागुंउत्तीसिरीसीफुरासीहोय जाय तीनकुंभीकासूकरोगकहिजे ४ अथअलजीसूकरो गकोलक्षालिष्यते जीकारंद्रीविषेप्रमेहकीफासीहोय जाय नी अलजीसूकरोगकहिजे ५अथमृदितसूकरोग कोलक्षगलिष्यतेजीकीइंद्रीकहांतरेमसलागईहोय पर मैंपीडहोयावेवायकरिके तीनेसृदितसूकरोगकहिजे ५ अथसंमूदपिडिकासूकरोगकोलक्षालिष्यतेजीकोन्यूं हाथां कहींतरेइंद्रीपीडीगईहोयतींकरिकैऊठेफुएस्याहोय नानसंमूपिडिकास्करोगकहिजे७ अथअवमंथसूकरो अकोलक्षालिष्यतेजींकालिंगकैमध्यकहीं कारणसंवडीत्र रघणीफणस्यांहोयजाय कफलोहीकारुष्टपणांसू अरवांमैपी डाहोय रोमांचहोयावतीने अवमंथसूकरोगकहिजे अ थपुथरिकासूकरोगकोलक्षणलिष्यने जाँकीसुपारीकेऊ परिपित्तलोहीकाकोपसू फणस्यांपपीहोयतेनेपुकारिकासू करोगकहिजे ९ अथस्पर्शहानिस्करोगकोलक्षणलि. जांकरिंदीकहीं कारण हाथरगेरैकोस्पर्शसहेनहीं तीनस्प शहानिसूकरोगकहिजै अथउत्तमामूकररोगकोलक्ष एलिष्यतेजीपुरसअजीर्ण मूंगउडदसिरीसारक्तपित्त काकोपसुंलिंगकै विषेलालफुरासीहोजाय तीनउत्तमासूक
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२७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ रोगवाहिजै अथसतयोनकसूकरोगकोलक्षालिष्यते जीकालिंगकैविकहींकाररासू वातलोहीकाकोपसूछिप एपडिजायवेंकैसतयोनकसूकरोगकहिजै१२ अथवकपा कसूकरोगकोलक्षालिष्यते जाँकीइंद्रवायपित्तकफकार कैंपकिजाय अरउदाहहोयाकै अरपीग सरीरमैजर होयाचे तीनेतकपाकमूकरोगकहिजे१३ अथसोगिताई दसूकरोगकोलक्षालिष्यते जीकारंडाधिसैंकालीलाला
सीहोयावै अरउठेपीडहोययावतीनेशोपिनार्वदमूक रोगकहिजै १४ अथमांसार्बुदसूकरोगकोलक्षगलियते जींकीइंद्रीकोमांसविषरिजाय परांठेपीउघलाहोय सोपोस दोसकाकोपकोछै नेमांसपाककहीजे १५ अथविधीमू करोगकोतक्षरालिष्यते जीकालिंगकैविसै सन्निपातकाकोप संफुपास्यांऊंठेवेंनविधीसूकरोगकहीजै।५अथतिलका लकसूकरोगकोलसलिष्यनेजीकारंडाधिसैंकालीपर नानाप्रकारकीरंगलीयां अरविसनेलीयां श्रेसीफुरास्यांहो य अरफुगस्यांपकिवालागिजाय अरज्यांमैराधिप. इंग लिजाय यासन्निपातकाकोप होयछै ईनैतिलकालकसूड़ रोगकहिजे१७ अथसूकरोगांकोअसाध्यलक्षालिष्यते मांसार्बुद १ मांसपाकरविधी३तिलकालक४ ययारिमान
नहींहोय अथसूकरोगकाजतनलिष्यने श्रमराही सूकरोगाकाविस–इरिकरिवावालाजतनकाजै अथवा लिं गेंद्रीकोजोकांसूडष्टलोहीकटायनांषिजैनौसूकरोगजाय२ अथवा रंडी प्राध्याजुलारदीयांसूकरोगजाय अथवाल
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३२८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग घुभोजनांमूंसकरोगजाय४ अथवा त्रिफलाकाकाटा गूगल षायतो सूकरोगजाय५ आडीऔषयांकालेपासूं सेकवा सू करोगजाय सातजननां सूकरोगजाय ७ अथवा दार हलदतुलसी महलोगधूमसो यांमैंनेलनांषिपकावै येोष दिसाजिजाय नदिनेलकोमर्दनकरैनीसूकरोगजाय९ अ थवा परेंगंकोनेलकरिके मर्दनकरैतीसूकरोगजाया ये सर्वसंग्रहमैलिष्याछै इनिस्करोगकाउत्पत्तिलक्षण जननसंपूर्णस् अथकुष्टकहीजैकोटकाउत्पत्तिलक्ष राजतनलिष्यते विरुडअन्नपानकापावापीबासू पतली चाकणिभारियेजोवस्तत्यांकापावासू वमनकावेगकारोकि वासं मलमूत्रकायेगकारोकीवा घाअग्निकातपिवासूप पाभोजनकारिपाइं सातउष्णकानहींगिरावा तावडा कारहवासू श्रमकाकरिवा भयकालागिवासं परतावडाभ यभमयां डुषाहुबोजोपुरस अरततकालयांऊपरिसीतलपां एपीवेतीकारासंबरअजीमैंभोजनकरेजी अरवमन जुलाव.आदिलेरज्यांमेंकुपथ्यकरैज्यांसूं नवीनजलकापी वासू दहीमछलीषावासू पणालाकाषावा घणीपटाई काषावासं अरउरद मूली पास्योअन्नतिल हलदराड यांका घलाषावासू दिनकासोवासूं ब्राम्हराकासराप औरअनेक प्रकारकायणाषावा पणास्त्रीसंग औरअनेकप्रकारका पापांकरिवाएं मनुस्यांके वायपित्तकफहेसो इष्टहुवाथका रसावूधातडष्टहईथकावेंकासरीरकालोहीनें मांसने का सरीरकाजलनैपूसितकरै अरअडारा-प्रकारकाकोदामैं
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग प्रथमाराप्रकारकाकोढत्यांका
येकारणयांनैप्रगटकरै नामलिष्यते कपाल १ उदंवर २ मंडल ३रिक्षजिह्न ४ पुंडरीक ५ सिभ्याकहीजैविभूति ६ कारण ७ येककुष्ट - गजचर्म९ चर्म दल १० किटभ ११ वैयादिक १२ अलस १३ दाद १४ पांच १५ विस्फो टक १६ सतारू १७ विचर्चिका १८ यांमठारांमध्येंसानमहांकुष्ट कपाल १ उदंबर २ मंडल ३ सिध्वाविभूति ४ कांकण ५ पुंडरीक ५ रिक्षजिव्ह ७ भरइग्यारा ११ साधारण प्रथकुष्टरोगकोपू र्वरूपलिष्यते पहलीबराहोय वैत्राको मूल होय अथवा परधरोज्यां को स्पर्शहोय अथवा वेणरूषा होय अथवा बांध सांमें पसेवत्रयावै अथवा तावडांमैंपसेवत्रयावैनहीं अथवा त्र एाकोवर्णओरसोहोय वांत्रणांमैंदाहहोय वामेषुजालियावे वात्वचासोयजाय गंत्रणांमैपीडाहोय वेबएणऊंचाहोय वांत्रणां मैंसूलपणीहोय अरततकालवांकी उत्पत्तिहोय वरघणांदि नांतांर अरकुपथ्यतोथोडोकरै परकुपथ्यको कोपघणही य अरवनेिंहुवांरोमांचहोवोकरे पर वामेलोहानीसरे यजी में लक्षएराहोयतदिजाणिजे कै कोट होसी १ अथको कोसामान्यलक्षणलिष्यते पूर्वजन्म कापापसेती मनुष्यांकी बुद्धि सोविकुर्वित हुईथ की कुपथ्यकरें पावांकुपथ्यांसंकोपकुंमा प्तिहुवोजोवायपित्तकफसोसरीरकीनसांनप्राप्तिहोय रसरीर की त्वचानेंचरसरीरकोलोहीनैं परमासनेंदूसितकरें भर सरीरकी त्वचा को स्वरूप और सोही करदे तावेवैद्य हैसो कोट कहेंछें १ अरवायसरीर मैं घणों को पकरैनदि का पालकुष्टनें दाकरैछे सरीरमैं घणोंकोपकरैतदिकापाल कुष्टने पैदाकरै
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३३. अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ सरीरमैपित्तकोपळूमाप्तिहोयतदिौडुबरकोढनेपेदाकरेछे स शरमेकफकोपकूमाप्तिहोयतदि मंडलनांमकोटकरेछे अरवा यपित्तसरीरमेंकोपकूप्राप्तहुनाथका विवचीनांमकोढनैं अररि क्षजिरनामकोट–पैदाकरेछ अरवायकफसरीरकोपळूमा महवाथकाचर्मकृष्ट में किरिमकुष्टनैसिधाने अलसकुष्टनेंधि पादिकाकुष्टनें पैदाकरेछै पित्तकफसरीरमैंकोपकूमाप्तहुवाथ का दाह. सतारुषीनामकोदने पुंडरीककोढनें विस्फोटककोट मैं पांचंनै चर्मदलकोदने पैदाकरैछै साराहीवायपित्तकफ सरीरमैंकोपरूपातहवाथकाकांकणनामकोटनैपैदाकरेछ। अथसातमहांकुष्ट कैमध्यकापालिककोटकोलसलि. जीकासरीरकीत्वचाकालीचरलाल अरजागोजागांफाटी अ रलूपीअरकगेर अरसूक्ष्महोय अरवें पारयणीहोय वेंको दनँयकापालनामकहेछै योकोटविसमडै दोहरोजाय। अथसातमहांकुश्मध्येोडंबरछैतीकोलगलिष्यते जीकासरीरकोतवमैदाहरणोंहोय अरललाईपपाहाय अरषुजालीघणीचालेरोमरोममें अररोमपालाहोय अरसरा रकीत्वचागूलरकापक्याफलसिरीसीहोयतीनोडंबरकोटक होजे २ अथमहाकुष्टामैंडलकोटकोलक्षालिष्यतेजी कीत्ववासुपेदभरलालहोय अरवास्थिररहै अरचीकपाहोय अरउंचीहोय अरालीरहनोकरेईनैवेद्यमंडलनामकोटक हेछै३ अथसिधानामविभूतिकोटकोलक्षणलिप्यतेजीकी तचासुपेदतांबासिरीसीहोय-परत्वचासूक्ष्महोय अरवेत्वचा मैंषाजिन्याचे अरत्वचामिहीं मिहीरत्चरतीजाय अरवाविभू
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३० अमृतसागर तथापनापसागर नरंग १५ तिमुष्यहियामेंयाहोय घायाकाफ्लसिरीसीतीनेवैयसिमा नामविभूतिकोदकहेछै ४ अथमहांकुष्टमध्येकांकणीनाम कोटतीकोलक्षालिणते जीकीलचाचर्मसिरीसीहोय वि चमैकाली अंतमैलालग्रेसीहोय अरवापनहींजीमेंपीडय सीहोय ईनैवेयकांकणनामकोटकहेछै योसन्निपानकाको पसंउपजेरो योआज्योहोयनहीं ५ अथमहांकुष्टमध्ये उरीकनामकोदतीकोलक्षगलिष्यतेजाकीतचारापेद लालईनैलीयांकमलकीपापडीसिरीसीहोय योकफकाको प होयछे, इनवैयपुंडरीकनामकहेछै । अथरिक्षजिह नामकोटताकोलक्षणलिष्यते जीवीलगारक्तपर्यननमें लालहोय जीमैकालीमाहोयजीरिक्ष जिव्हनामकोटक हैछै ७ अथग्याराछुइकोटछैतीमध्येएककुष्टनागको दतीकोलक्षालिष्यते जीकीत्वचामैपसेवनहींबाचे व रबडोजीकोस्थानहोय मछलीकाकसिरीसोहोयतीने ककुष्टनामकोटकहेछ अथगजेचरमकोटकोलक्षण लिष्यते हाथाकीचर्मसिरसीजांकीत्वचाजाडीहोय तीनैंग जचर्मकोटकहिजे२ अथचर्मदलकोटकोलक्षगलि. जांकीत्वचासूलनेलीयांलालहोय अरजीमैंषाजिचाले पर जीमेंफाट्यासाहोय अरजीकाहाथकासर्शनेंसहसकेंनहीं तीनैचर्मदलकोटकहिजै३ अथविचचिकाकोरकोलक्ष ललिप्यतेजांकालगामें फरणस्यांपाजिनेलीयांहोय परफ पास्यांकालाहोय अरज्यांफुगस्यांमैचीपनीसरैयाहाथपगां मैंहोय? तीनविचर्चिकानामकोटकहिजे ४ अथपांमा
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३३२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ नामपांवकोटकोलक्षालिष्यतेजीकासरीरकैछोटीछोटी अरपणीपास्यांहोय अरज्यांचेपनीसरेअरज्यांमैंषाजियावे अरलालफुगस्यांहोय अरदाहहोय तीनपांमानामपांवकोको टकहिजे अथदाद नामकोटकोलक्षगलिष्यतेजामेषा जीआवेअरलालफुगस्याहोय परत्वचामांचाहोय यल क्षराजीमहोय तीनदादनामकोटकहिजे अथदादको भेदकछदादकोटनीकोलक्षणालिष्यतेजीकाहाथपांके अथवा काछमें दंगाकेंजोफणस्यांहोयजीमैयगोंदाहोय ती नैकछदादकोटकहीजे७ अथविस्फोटकनामकोटको लक्षगलिष्यतेजीकीत्वचामैफाडाकालाअरलालपरडो राहोय तीनौविस्फोटकनामकोटकाहिजे- अथकिटिभना मकोटकोलक्षणसिष्यनेजीकीत्वचामैसूकाबकास्था नकीसीनाई कालापरधराकठोरज्यांकोस्पर्शहोयतानोंकरि मनामकोटकहिजै९ अथअलसकनामकोटकोलक्षण लिष्यते जीकीत्वचामेवडीफुपस्यांलालाईनैलायांहोयजी मैंषाजिनावैतीमै अलसकनामकोटकहीजे अथसता रुनामकोटकोलक्षणलिष्यतेजाकीत्वचामेंकुशस्यांला लकालीदाह.लीयांहोय तीनैसतारुनामकोटकहीजे ११ येअठारानामकोदतोकत्या अथसरीरकीसानूंधातामैया सहबाजोकोटत्यांकाजुदाजुदालक्षगलिप्यते अंथरसधा तमैपाप्तहवोजोकोदतीकोलक्षालित्वनामै स्थितिजोको टनीकीत्वचाकोस्वरूपोरसोहोय अरलचालूषीहोय अरत चासोयजायरोमांचरहनोकरे पमेयधणांचादे येजीमेलक्षणहोय
तदि.
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३३३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रसधानमेंप्राप्तिहु वोकोढजाणिजे? अथरुधि मेंप्राप्तह वोजो aterialलक्षएालिष्यते जी पाजिमावे अरराधिनीसरे 'तदिजाणिजे लोही में प्राप्तहुवोकोट २ अथमांसमें प्राप्तहुवो arcisोलक्षणलिप्यते श्रकोट पुष्टपणोंहोय अरमूदोघ लोसूकै अरफुणस्यांकठोरहोय अरवापीडहोय येलसगहो पनौमांसमै प्राप्तहुवोकोटजाणिजे ३ प्रथमेंद में प्राप्तहुवोजोकोटतांकोलाएरालिष्यते हाथ कोनांसहोयजाय कुरुणी आयर चाल्पोजायनहीं सर्वांगटूटिवालागिजाय थोडीचोट सरवत्र फैलिजाय मूंढोसूकै फुलस्यांकठोर होय अरवामपीडाहो ययेजीमेल क्षणहोय तीनेंमंद में प्राप्तहुवोकोटजाणिजे ४ अथ हाडच्चरमांजी मैं प्राप्तहुवोजोकोटती कोल क्षणलिप्यते नांकगलिजाय नेत्रलालहोजाय परवांणामैकमी पडिजा य कंठको स्वरघांघो होजाय परवणामेपीडहोय नदिजाणिजे हाडमैं अरमीजीमैप्राप्तहुवोकोढलै ६ अथवीर्य मैं प्राप्तहुवो जोकोदतीकोलक्षणलिष्यते नीका मातापिताकावीर्य में कोकोदोसणहोय वांकाहुबाजोबेटाबेटीसोभाकोटीही होय ७ अथकोटकोसाध्यासाध्यलक्षरालिष्यते कोटना यकफकोहोय परत्वचालोही मांसमैंरहतोय सोनोसाध्यजा पिंजे परकोटमे दमैं जायप्राप्तहोय मरोयदोसको होय सोजाप्यजाणिजे अरकोटमांजी में जायमाप्तिहोय रमिपि जाय राहहोयन्यावै परमंदाग्निहोयजाय परनिदोसको होयसोकोटत्र्यसाध्यजाणिजे श्ररभुमेंप्राप्तिहुबोजोकोट सोभाअसाध्यजाणिजे? अथकोटकोमसाध्यलक्षणयो
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३३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ रलिप्यते कोटविषरिजाय बरचुबालागिजाय अरजीकोकंठ सुरघांयोपडिजाय पर वेनैवमनविरेचकटिकवादेनहीं ईसापु रसनैकोटमारिनांर्षे १ अथकुष्टको भेदएकश्चित्रीभीछे तोकी उत्पत्तिलक्षणलिष्यते जोकोटकी उत्पत्तिसोही सित्रीकी उत्पत्तिस्विनीलाल होय रचुवेकोयनहीं कोटचुवै मैंयोभे द अरस्वित्रिकोभेदयेककिलासछै योलालहोयछै पुनः श्वित्री दोयप्रकारको एकतौवायपित्तकफउपज्यो रएकत्रासूंड पज्यो अथश्वित्रिकोटको साध्यासाध्यलक्षगलिष्यते मि हांहोयकालावाला होय एकदोसकोहोय नवीनउपज्योहोय नहीं अग्निमूं उपज्योहोय इसोवित्रिकोटसाध्यजाणिजे इं और लक्षण होय सोविनिसाध्यजाणिजे अथकुष्टकामि लापथकीकुष्टजैसेोरमनुष्यकैजायलागे तैसें ही और भीयेरोगमरपुरसाकै भीजाय लागेछै यांरोगांवालाकौप्रसं गकरैतौ अथवा गात्रसूंगात्र मिलावेतौ अथवा एकठाभोजन करैतौ अथवा एकठासोवेतौ अथवा आपसमैंवस्त्र पहरेती अथवा आपसमैं कहीं वस्त कोलेपकरैतो इतनारोगउडि ओरकेजायलाग सोरोगलिषूछू सोस १ कोट २जुर २ राज रोग ४ षिषणी ५ सीतलानें ६ दिलेर येरोगउडिजाय लागेछै पुनः कोटको असाध्यलक्षएालिष्यते गुच्चस्थानमैं होय हाथ मैं होय होठामैंहोय सोकोटजायनहीं अथकोट रोगकाजतनलिष्यते हरडेकीछालि कागचकीजड सिर स्यूं हलद बावची सीधोलू वायविडंग येसर्वबराबरिले त्याने गोमृतममिवांटिकोटकोलेप करे नौकोट हरिहोय? इतिपथ्या
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
दिलेप अथवा बावचीनेंमिहीयांटियादा कारसकी वेंकैपुट दे पाछैइँकोकोटकैउबरणों करें तो कोटजाय २ अथवा ब्रम्हा जीमार्कडेजींनैवतायोजोप्रयोग सोकोटनैत्र्यादिलेरजोऔरभी रोगत्यांकाडूरिकरि बावास्तै हुमैरेलिपूंछू नींबकाफूलाकै समेंतौनींब काफूललै अरनी काफलांकेसमै नींव काफलले अरनींबकीवकललैनीबकीजडले अरनीबकापानले योनी बकोपंचांग नवोले अरदोन्यूंहलद त्रिफला ठि कालीमिर चि पीपल ब्राम्ही गोषरू सोध्याभिलावा चित्रक वायविडंग सार वाराहीकंद गिलवे वावचि किरमालो मिश्री कूठ इंद्रज व पाट बेरसार बराबरिले यांनेमिहीनांदि नागरमोधका रसफियांकेपुटदै मरनी बकापंचांगकारसकीयांकेपुटदै ७दे पाछैभांगराकारसकीयांकेपुट ७दे पाडेयांनैछायासुकाय मिहींचूर्णकरिले पाछेत्र्याच्यो दिनदेषि कोटानें जुलाब दै सहतकै साथि अथवा पैर सारकाकाढाकैसाथ परभात कैसमैंगरमपाणासूले प्रमाणाला पाछेक्योंवधतोजा यटकाभरतांईऊपरहलको भोजनकरै घृतसमेततो नारो गांनेइरिकरै व्योंचीनें उदंबरनें पुंडरीकनैं कापालनैं दाहनें कि टभनें अलसकने सत्तारुनें विस्फोटकनें येसारीजातिकाकोद छैत्यांनींवसर्परोगनैं इतनांरोगांनैयोनिंब पंचअवलेहरिक रैछे ३ इतिपंचनिंबअवलेह अथवा बावचीटका ५ भर सोध्योगूगलटका ५ भर सोधीसोनामुखीटका ३ सारटका शभर गोरमुंडी का शंभर कागचटका १। बैरसारका ५। गिलवैटका २। निसोनटका २। नागरमोथोटका २ नायविडंग
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३३६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ हलदरका तजरकाशनांवकोपंचांगटका ५विफलाटका चिकटकाराभर यांसर्वनैमिहींवांटिटंकर प्रमाणसहत तकेसाथिगोलीकरै पाछैप्रभातहीगोलीगोमून लेतो को ढमात्रनें वातरक्तनै पांडुरोग.उदररोगनै प्रमेह. गोला. यांरोगांनेयोहरिकरैछै अरबूदापणानेयोडूरिकरेछ जुयांन पपांकरे ४ इपिस्वायंभुवोगूगल अथवा चित्रक त्रिफला मुहि मिरचि पीपलिजीरो कलोंजीवच सांधालूरा अतीस कूठ चव्य इलायचीजवषार वायविडंग अजमोद ना गरमोथो देवदार येबराबारले यांसकीवरायरिसोध्योगूग लले पाछेयांसर्वनैमिहींपारियेकजीवरियतसेतापाछै मां साचारिभरकीगोलीकरै पाछेगोलीभोजनसमेंषायतो कोटमात्रनै हाम. ब्रामात्र संग्रहणाने बवासीरनें मूदा कारोगनैं यध्रसीनै गोला. यांसारांरोगांनयोइरिकरे इ तिकेसोरगूगलः अथवासोध्योभिलावासेर २ पालासेर १५ मेरोटावे यांत्रोदतांमैगिलसेर७२ करिनांषेपाऐं पापाकोचतुर्थासमायरहै तदिउतारिछापिले पाछैयांमैग: कोपृतसरशनांगडकोइधसेर ईमैनांषे मिथासेरंगई मेंना सहतसेराईमैनापै पाईनैमधुरांच पकाचे ये सर्वजाडीहोजाय नदिई ग्रांच उतारि ईमेयेोषदिनांषे वाव चिरंकर पचाउकागजटंकरनींबकीडालिटंकर हर को लालिटंकरांचलाकरसीधोलपटंकरनागरमोथोरइला इचीरंकर नागकेसरिटंकरपित्नपापडोटंकर परजटंकरने जवानोटंकरपसटंकरदनरंकरगोषटंकरकचूररंकर
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२७ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग रकन्दनरंकरयेसारनौषदिमिहींपारि भिलावाउगैरेकाजा सरसमेंयेनांपियेकजीवकरै ई-टंकायेकमरप्रभातहीजलफेसा चिरोजानांलेनो सष्टमारने वातरक्तवासीरयोदूरिकरै ईअमृतभयानककोपावापालोइतनावस्तकरैनहीं पेदकरेन ही तावडैरहेनहीं अग्निक.जायनहीं पाईषायनहीं मांसद होपायनहींनेललगावैनहींमार्गचालेनहीं५ इतिअमृतभ लातकावलेह अथवा नींवकीवकल गौरीसर मजीरकुर का गयमाण त्रिफला नागरमोथो पित्तपापडो वावची जया सो बच पेरसार रक्तचंदन पाठ सूरिभाउंगापरसोपिरा यतौ कडाकाडालिनिसोत इंद्रायणकाजड मूर्वा वायविडं गइंद्रजव चित्रक मानपान गिल बकाया पटोल दोन्यूं हलद पीपलि किरमालाकीगिरि सतोन्यूं पेन सोधीचिरमी कलगरीजसकीजड रास्ता साटीकीजडसूती सोध्याज मालगोटा भांगरो कटसेलोअंकोर सापोटक येसारीऔष दिज़दीजीटकारभरले त्यांनजीकूटकरिसेर १६ पकापा पीमैत्रीराचे तांकोचतुर्थीसपायरहै नदिईनेतारिकाशि जै पाछेभिलावासोध्या सरसोलापांएगीमैंनोटायई कोचतुर्थामजुदोरा] पाठेयांदोन्यानेएकामिलायले पाठे यांदोन्सांकारस,गुडरका १००भरकावासीयेनोपदिनां षे सूहिरकाशमिरचिरकापीपलिरकाशविफलाटका। नागरमोयोटका वायविडंगटकाचित्रकरकापसीधी लाटकाचंदनटका। कूरटका।अजमोदटकाशनज स्काापत्रजरकाशनागकेसरिटका इलायचीरका ।
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३३८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग येसारीप्रषदिमिहांवांटि अवलेहमैनाषि ईकोयेकजीवकरे पाछेत्र्याच्यो दिनदेषिका राभररोजीनाईने पायतो सर्पकोट मात्रनें बवासीर यणमात्रनें कृमिरोगनें रक्तपित्तनैं उदाव र्त्तनें कासनैं सासनें भगंदरनें यांसारांरोगांनैयोहूरिकरैछै अरजुवानपणांनकरैछै सरीरकीपरमकांतिनेंकरे भूष निपटयणीयधावेछे ईकोषावावालोषटाईउगेरेकुपथ्यक नहीं गरमवस्तषायनहीं इतिमहाभल्लातक अवलेह ७ अथवा मजीर त्रिफला कुटकी यच दारुहलद नीब कीखालि गिलवे यांनबराबरिले त्यांनेजौकूटकरिटंक ५को काटोराजीनांलेतो कोटमात्रनें वातरक्तनें विसर्पनैं विस्फोट कनै योइरिकरैडे अभ्यासक त्योथको इतिलघुमंजिष्ठादि काथ अथवा मजीठ वावची पंबाड नींबकीछालि हर डैकीखाठि हलद आंवला रडूसो सतावरी पटी गंगेर की छालि महलोठी महुवो कट्योली पोल षेस गिलवे रक्त चंदन येसर्वबराबरिले यांनैजो कूटकरिटंक ५ भरकोकाटो करिदेतों सर्वकुंष्टमात्रनें वातरक्तने योइरिकरैछे इतिमध्य मंजिष्ठादिकाथ अथवा मजीठ इंद्रजव गिलवे नागर मोथा वच सूंठि हलददोन्यूं कपाली नांवकी डालि पटोल कूठ कुटकी भाडंगी वायविडंग चित्रक मूर्वा देवदारु जल . भांगरो पीपल त्रायमाण पाठ सतावरी षैरसार विजेसार त्रिफला चिरायतौ बकाया किरमालाकीगिरि निसोत बाद ची रक्तचंदन वरम्यों दॉत्यूली साषोट परसो पित्तपाप डो गौरीसर प्रतीस जयासी इंद्रायलकीजड येसर्वबराबर
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१३९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ५ लेनेजोकूरकरिरंक ५कोकाटोरोजीनांकारदेतो अगराप्रका रकाकोटमापर्ने वातरक्तनैं लोहीकाधिकारमाननेविसर्परोगनें त्वचाकासून्यपणाने यांसारांरोगांनयोटिकरे१. इतिरह गंजिष्ठादिकाथ अथवा बालीमिरवि निसोन नागरमोयोह रताल देवदारु दोन्यूहलदर र रक्तचंदन दायराकीजड कलौंजी आककोहूध गोवरकोरस येसारीऔषदि अधेला धेलाभारले सांगीमोहरोपईसाइभरले कउनोलसेरसले पा लासेर ४ गोमूतसेरऽ पाछैयांसारांनैंमधुरीयांच नोटा पाछेयेसजलउगेरैवलिजाय नेतमानायरहै तदिईने तारिले पाठेईकोमर्दनकरेतो सर्वकष्टमारनेग्नोरिकरें। इतिलघुमरीच्यारितेलम् अथवा कालीमिरविनिसो त दांयूपी पाककोध गोवरगोरस देवदार दोन्यूहलदछ उकूर रक्तचंदन इंद्रायणीजड कलौंजीहरताल मैएासिल कनीरीज चित्रक कलहारीकीजड नागरमोथो वायविडंग पंवार सिरसकाजड कुडाकीछालिनीबकीछालि सतोन्याकी छालि गिल थोहरिकोधकिरमालाकागिरि पैरसार वाय ची बच मालकांगणी येसर्वऔषदिटकाटकाभरिले सांगीमो हरोटकाशभरले कउनोलसेरऽ४ले गोमूतसेर ले यांसा रांनैयेकाचटाय मधुरांच पकावै पाछैसर्वगोमूतउगेरै बरिजाय तेलमात्रायरहै तदिउतारिछापिले पाई तेलको मर्दनकरेती सर्नकोटमात्रनेत्ररामात्र पांवनै यौंचाने दादफोडाने मुपकीछायानैं यारोगांने ईतेलकोमर्दनसिरैछै बरईको मईनरिकस्रोथको जोवनपदां.करेंछे अरयोवायमात्रका
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३४. अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ रोग. मनुषका योडामा हाधारगेरैकानेंदूरकरेंछे।२ इतिय हामरीच्यादितलम् अथवाहरवालकापत्रचोषाले सां. चित्रककारसमंदिनीषरलकरैयाईरहींहरतालनेसारीका रसमदिन परलहरै पाईकारिकाकरित्राचीन.सुका वै पाईहरताउनैंसादीकापंचांगकापारकेवीचिमेसिचूले पदावै ईहरतालकोVवोनिकलिंगदेनहीं इसीतरेवेहलनाल काटिकडीनेसारीकापारकेचीचिपूपदाविदेपाछेवेंकैनांचे मधुरांचदेनिरंतरराविदिनएकदिनताई पवधावणादिन ४ताई पाठसांगसीनलहवांउहरताउकारिकरीनैवैसार्यपा रमाहिसंनिपरजावतासं चतुरमनुष्यकाटेगाहरलतोलपूरा उत्तरौनि महोय परसुपेदहोय पाछैईहरताल रतीर मनुष्य पाय ईरपरिएडूयादिककोकाथलेनो अठाराप्रकारकाकोट– गातरक्तनै उपदंसनेफिरंगवावयाहरतालरिकरैले अरंई हरतालकोषावानालोलूरापराई कडबोरस नावडोयेसेवेन हपरलूपविनांनहीं रयोजायतौसीधोलूएगषाय अरमागे पणोंपायर इतिहरतालकाविधिः इहानैंतालस्वर रसकहेछ अथवा पारो सोधागंधक तांगेसुरसार गूगल भित्रक सिलाजीत कपिलाच अभक येसर्वबराबरिलैका गचकावीजएकोषदि चौगुगाले प्रथमपारागंधककाकज लाकर पाछैईकजली, येसारीऔषादमिलायएकजीपकरै पाछैईनेंटक २सहततकेसाथिरोजानांषाय उपरतूंचाव लडूधहीषायनो गलनकोटजाय अरसरीरकोमहासुंदरका मदेवसिरीसोहोजाय योरसषायजितेस्त्रीसंगकरैनहीं१४
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३४१ - अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ इतिगलतकुष्टारिरसः अथविभूतिकोजतनलिष्यते कूल मूलीकाबीज सिरस्यूं हलद केसरि यांनेसिरसकाजलकरिपका यलेपकरेतो पपांदिनकाभाविभूतिजातीरहे १५ अथवा के लिकोषार हलद दारुहलद मूलीकाबीज हरताल देवदारु सं षकोचून येबराबरिले यांनागरिवलकापानांकारसमैमिहीं वाटि लेपकरैतीविभूतिदूरिहोय१६ अथचर्मदलकोटको जतनलिष्यने अमचूर ईमेकिंचित्सीचालू जीनेजलसं तांबाकापात्रमैंतांपाकाघोरा खूबपीसिकेलेपकरैतौचर्म दलकोटजाय१७ अथपांवकोजतनलिष्यतेजारोटका सांडूरटंक५यांदोन्यांकडवानलमैंषूपवारिपकाय ईकोले पकरैतोपांवालाहोय१८ अथवा मजीउत्रिफलालाप कलहारीकीजड हलद आंवलासार गंधक यांनैबरावरिले यांनमिहींपारि तावडेपूवगरमकरि पाछेयांकोलेपकरेतोपांरजा या९ अथवा पारो दोन्यूजीरा दोन्यूहलदकालीमिरवि सिंदूर वला सार गंधक मेरासिल यांनेबराबरले पाछेपारागंधककीक जलीकरि ईकजलामैयेोषदिमिहींपाटि गरकायतमैदिन परलकरै पाछैईकोमर्दनकरैतीपांवजाय २० अथवा पारो यां पला सार गंधक नीलोथूथो काथ मिहंदीपुरासाणी अजवायण मोम मालकांगशी येसारीओषदिवराबारले पाछपारागंधक काकजलीजुरीकरे अरमोमवृत्तमैजुदोपपलावे येऔषदा जुदीवाटे पाडै पारागंधककीकजलामै सारीओषयांगरका घृत एकठीयांटेदिन ताई पाछैईकोमर्दनकरेतो पांवउगैरें लोहीकासर्वरोगजाय १ अथवा सोधावलासार गंधक
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३४२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १९ टंकर नीलोधूयोमासा ३ गांशेन्याने पाणीसूमिहींपाटि गोला? गोलीबांधिले पागोलानै मिहींकपरामेबांधेपोटलीकरे यापोटलीगोहाकावारिअलूणी मेंसेके वारीतीनच्यारिमै पाछे वांटतमैचोपडिपुचावे अथवा याकोबूरातूंचूरियोकारषा यदिन ताई तोपांचंउगेरैलोहोकास विकारजाय २२ अथ या सांधोलूरण पंवाउकाबीज सरस्यूं पीपलि यानेकांजींकापा रगामैमिहीवांटिलेपकरैतोषुजालिइरहोय २३ अथकछा दारकीऔषदिलिष्यते पाककापानाकोरस अरहलदका सादाकोरस यांमेसरस्यूंकोनेलपकाचे पाछैईनेलकोमर्दन करेनौकछदादजाय २४ इनिअर्कतेलम् अथवा मेसि सहीराकसीस आंवल सार गंधक सीथोलूण सोनमुषीप घरफोडा हि पीपलि कलहारीकनीर पवाउ वायविडंग चि अफ दांत्यूयोनीबकापान येसारीऔषदिअधेलाप्रथेलाभार ले त्यांनजलमंमिहींपारि ईकापागोमेकउपोतेलसेरऽ२ दोय पकावे नीमध्येयाककोडूध अरथोहरिकोडूध अधअधपाव नांषेअरई मेंगोमृतसर ७४ नांषे पाछेयांनेगधुरीयांचसूंप कावै यसारबलिजाय तेलमात्रायरहै तदिईकोमर्दनक रेतो असाध्यभीकछदादजाय पांवषूजालिलोहीकासर्वरोग जाय २५ इतिकच्छराक्षसनामलम् अथदादकाजत नलिष्यते कूर पायविडंग पंवाउकाबीज तिल सौधोलूए सरस्यूं येबराबरले यांनेषटाईमिहीवाटे पाछेकोलेपक रैतो दारफोदहरिहोय २६ अथवा दोष हरडैकालालिसीधा लग पडाकाबीज कंडीरकीडालियेबराबरिले पाछेयालक
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३४३ अनसागर तथा प्रतापसागर तरंग * जीमें अथवा छातिमेगारिईकोलेपकोतो यह कदाजायल्या जिभाजाय२७ अथभित्रीनामकोदतीकाजतनलिष्यते रहे
कीडालि हरडेकीछाति कठयर पावची यांकोकाटोलेतौश्चि धिनामकोटडूरिहोय २८ अथवा हरताल मेरासिल चिरमीरि त्रक यांनँगोमूतमैमिहींपाटि लेपकरैतौयित्रीनामकोटदुरिझे य२९ अथवा विष्णुकांत सांषाहूलीपावची आंचल षेरसार गं कोसेवनकरै अरपथ्यमैरहैतो विधिनामकोटटूरिहोय ३० ये साराजतनभावप्रकासमेलिष्याछै अथवा हलटकार भर गउकोघृतरकाभर गऊकोइधसेरऽ४ मिश्रीरका ५० भर झूडिटकाभर कालीमिरचिटकासपीपलिटकाभर नज स्काभर पत्रजटकाराभर नागकेसरिटकासाभर वायविडंगर काभर निमोनरकाभर त्रिफलाटमाशभर केसरिटकाभर नागरमोथोरकाभर पाछैगांनमिहींजुदावारि वृतमैंभकरोय हलरमैं इयमें ईकोषरोमाबोकरै पाछैईमानासमेत पांमकीरा सपीकरि पासपीमैगावो अरसाशोषयाई मैंना पाच गोलीटकायेकेकभरकीबांधै गोली रोजीनांपायतो कोदनेषु जालिने फोडानेदाद. यांरोगानेहरिकरेडै १ इतिहारषं डः अथहरतालमारवाकाविधिः हरतालचोषीतवकीयोले नामैंदसवांहिसासुवागाकाटूकमिलाय वेंकीवाफताका कपडाकाच्यारिपुटकीपोटलीकरै पाछैचापोटलीजभाशकार सकै वोमेसिडोलकायंत्रकरि पाछेवेंकैनांचेआछीगारीबांचदे. पहरण्यकारऔरंओराने पाछेरहींतरैकांजीकापाणीkोयरे पाछेदहालरेंपेनाकापापीमैनौटाचे पाछेरहींतरैतेलमैत्रीराचे
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३४४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १६ पाछैनहींत विफलाकापाएगीमैप्रोटावै पाछेर्दैहरतालकहीतरै कीषटाईमैंधोयले पाछेईहरतालने डीलाकीवकलकारसमेष रलकरैदिन २ रात्रिदिन पाछेईनेताबडेसुकाय ईकोगोलोकरे पाछेईगोलानेसरावासंपुरमै पूजनन मेले पाछेचेसराचाके षांमदै पाछैगजपुटदेवारणाछापामैफूकिदे पाछैस्वांगसीन लहोय जदिमांहि हरतालकासंपुटने काटै पाछैईसंपुर माहिमचेहरताल.कादै पाठेवेंहरतालवकरीकाथसेनादि नपरलकरे पाछेईकोगोलोकरि ओरुतांबडैगोलार्नेसुका यले पाछेपलासकाराषसेर ४ पक्कीहांडीमैयालि राषकैपी चिहरतालकोगोलोमेले ध्वनिपटगादिदावे वाराषहांडामें दाधिभरे मूंदाताई पाछेवांहांडीचूल्हेचढावै नीचेयांचदेवको धूपोनीसरवादेनहीं सीनरेंदारिवाराषहांडामेंभरे पाछे
अनुक्रमसंदे मंदमध्यअरनिपटगारीपहरबतीसकी ३२ पाठेईनस्वांगसीतलहुगाईहरताल.वेमाहिर॑काटे बाहरता. लईमाहींसूसुपेदनीकलैनि मतोलकापूरी पाछेईनपुराणा गुडकेसाथिरतीषाय ईउपरिचणांकारोटीसादीनापल गई कोतदिनरायेषाय ईउपरिलगषटाईपायनहीं तोगराम कारकाकोटैनैं वातरक्त.फिरंगवायनैंयाहरतालरिफरेछे ३२ इतिहरनालमाराविधिः अथवा पारोटंकरसोधी गंधकरंकर हरतालटकर मैरासिलरंक २ यावचीटंक ५धूम सोटंकरसीहरटेकर दोन्यूंहलरटंक ५ यांसारांनेगरकापृत संपूवमिहीवांटिलेपकरैनावडैरहेपहर २ पाछैनानकरेनो के उदाह. मिने कोटनैदिनमाहिरिकरे २३ अथवा डीला
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३४५ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग १६ काजडकीसूकीवकलरका २५/भर तीकाराषकरै नीदेवीचिनो षीहरतालतबकीयामांसा २५जनन मैमेलै नवीनगादीया छीहांडीमैंदावें पाछे-हांडीउपरीसरावोदेविनामूंघां पाछे हांडी3चूल्हेचदा पाछैकैनीचैनिपटगादीअग्निबालेपहर १.ताई पाछैस्वांगसीतलहवांवेंनैवस्त्र छागिले पाछे!राष नैरतीविनांसेक्याजीराकैसाथिलै जीरोमांसावांट्यो यादोन्या मैंयेककर पकानागरयेलिकापांनकै साथिसीतलजलझूषा यईऊपरीचरणांकारोटिषायअलूणी मंडलएकताई ईकोषा बाबालोपवनतावडोषायनहीं ईविधिसूरहैतो अगराप्रकार काकोदने वातरक्तनै बगमात्र पिरिकानें वातव्याधिने यांसारा रोगांनेयोनिश्चैहरिकरेछै ३४ अथदादकाजतनलिष्यते पंवारकाबीज वावची सिरस्यू तिल कूट दोन्यूहल नागरमो शो येबराबरिले यांनछाछिमैंषूबमिहींपारि पाडैईकोलेपकरै तो दाद कंडयाचीयेसारारिहोय ३५ अथकोटकाइरिहो गकोलेप नीलोथूथो सहागो येदोन्यूडकरवावचाटक ५ यांतीन्यांनमिहींपारिजलभांगराकारसकीयांकेपुर ७ दे पा छैयांकोलेपकरैतोकोटजाय३५ येसर्वजतनवैद्यरहस्यमें लिष्याछै अथमहालेपलिष्यते पारोटकासंघकोषार टकााांधीगाडाकोषारटकातिलोकोषारटकासाटी कोषारटका। हरडे कोषारटका। अंरडूसाकोषारटका। पटोलकोषार अरंडकोषारजवषारसुहागो साजानौसादर प्रांवलासारगंधक पांचूलूराफरमूरि कालीमिरचि पीपलि डांसवांकीजड कपागचकीजड कलहारीकीजड हलदज
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३४५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ 'माकंरगोरषगुंडाकोपार कहवाकोषार पापलिकोषार राई सिरस्यूं सांडूर सिलाजीत पापडखार कपलो लोद थोहरकी जड आककोजड नीलोथूथोचित्रक पाककापंचांगकोषार ये साराओषदीजुरीजीटकाभरलीजैपाछेयांसारीश्रीषयां मिहीवाटिएकरीगोमूनसू तांबकावडापात्रमैंराले पाछैनहीं मैंइननीवतओरनाषेभैसिकोमूत घोराकोमून बकराकोमूत हाथीकोमंत उंठकोमूत नींबूकोरस जंभारीकोरस विजोराको रस नारंगीकोरस चपारसहजएकोरस सातूंधातांकीका जोराईकासंजोगकी येसारीवांकाअनुमानमाफिकपाले वेंको यूंटोदांकिदिन सजावता मेलिराषै पाछैईकोलेपकरेतीस र्वकोटमात्रहरिहोय अरयरोगभाईकालपसंजाय गंडमाला विसर्प वासीर यौनीयायकासर्वरोगमहानायेकमेयेसर्व रोगजाय ३७ योरससंग्रहमैलिष्योछे इतिकोटरोग कीउत्पत्तिलक्षाजतनसंपूर्णम् इतिश्रीमन्महारा जाधिराजमहाराजराजराजेंदश्रीसवाईप्रतापसिंहजी विरचितेअमृतसागरनामग्रंथे भगंदर उपदंसलिंगा र्सकरोग कोर यांसर्वरोगांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्ष एजतननिरुपरांनामषोडश स्तरंगः१५, अथशीत पित्तउदर्दकोट उत्कोट यारोगांकीरत्पत्तिलक्षराज तनलिष्यते सीनलपवनकास्पर्शकस्वांथकांकफयरपर नहे सोडुष्ट होय पित्तकरिसहित आपकाकारकरिड एहोय त्वचाकेमाहिअरवारें पायथरकफकरिके सीतथितादिकरोगांमै पैराकरेंछे। अथसीतपित्तारिककोपू
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२४७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १७ रुपलियते तिसलागेअरुचिहोय चमनसीआवेंदेहमैपा डाहोय सरीरभारुपोहोय नेत्रलालहोययेलक्षणहोयनदिजा लिजैसातपित्तादिकरोगहोसी अचसीतपित्तादर्दकोलक्षणलिष्यते जेसेकाडीकाकाम्यादाफडहोयगावै नै सेंत्वचाउपरिदाफायणांहोयजाय अरबांमषाजायावे पर पीडपलीहोय पारछांदणीहोय अरजुरहोय अरदाहलागि जय नदिजाणिजेसातपित्त, अरईहीनेउदर्दकही बायको अधिकहोयतौसीतपित्तजाणिजे कफकोअधिकहोयनो उदर्दजाशियोसिसिररितुमैंघपोहोयछ। अथकोटर कोटकोलगलिष्यते मनावतांनैरोकै नदिपित्तक फएडवाथकालाललालपुजालिनैलियांदाफडसरीरमेंक रिदैतानेकोटकहिजे यथोडीवाररहै अरयेहीयगीवाररहे तोउकोटकही अथसीतपित्तरदर्दकोढउत्कोढयारो गांकाजननलिष्यते औषधांसंचमनकरायदेतोसीतपि नगररिहो अथवा पटोल नांवकीडालीअरडूसोविफ ठा गूगल पीपलियांकोकाटोदेतोसीतपित्तउर्दजायर अ थवा जुलावदेनौसीतपित्तदर्दजाय३ अथवा कडवाला कोमर्दनकरै अरसर.गरमपाणी धावेतौसीतपित्तरदर्द जाय४ अथवा त्रिफलासहन षायनोसीतपित्तउदर्दजाय ५ अथवा कुरकीकोजुलावलेमिश्रीकासंजोगसूतौसीतपि ताउदर्दजाय अथवाराडापलाषाय अथवा सूहिज पायणि कालीमिरचि पीपलिजवषारयांकोचूटिंकदिन गरमपाली लेतों सीतपित्तरंदर्दजाय ७ अथवा वादा
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३४८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १९ कोरस पुरागोगुडपायतो सांतपित्तउर्दजाय अथवा अज मोदटंक ५गुडटंक ५यांदोन्यांनएकथाकारादिनपांचसातरोजी नांषायतोसीतपित्तउदर्दजाय ९ अथवा सरस्यूं हलद पंवा उकाबीज-तिल यांसारांनैंकरवानेलमैमिहींवांटिलेपकरैतो सीतपित्नउदर्दजाय अथवा वकायकावकारंक ५मिहीं वांटिगरकातकैसाथिपीवेनोसीतपित्तउदर्दजाय अथवा सोहीकदाजैतोसीतपित्तरदर्दजाय१२ अथवा प्रांवलांने अरनांवकाकोमलपांना घृनमैतलिटकाराप्रमाणमनुष्य दिन१५षायनो फोडाकारोगनें पित्तनैं कृमिनैं सीतपित्तनैं. खुजालिकारागर्ने गरमीकारोगनें कफकारोगनैं योरिकरैछै १३ अंथवा डोल्यायादाकाटूकछोटाछोटासेरीकाकरैत्र रगकोयतसेररलेतो गउकोहूधसेरले तोकोयायो करैतीमैंयादाकाटूकपृत चोपरिमैनांषे पाछे।मैंमावा नींचेयांचदेवेंकोषेरोमाबोकरे अरमिश्वासेर१येककीचा सशीकरै पतली अवलेहकासीतींचासगीमैंमावोनांषे अ रयेोषदिमिहींवांटिनांपैसोलिपूंछं पीपलामूल मिरचि इंटिचित्रकवायविडंग नागरमोथो नोगकेसरितज इला यती पत्रज कचूर येसाराऔषदिजुदिजुटिकायकेक भारले त्यांनैमिहींपाटि वांनॉमचीकीचासणामैनांचे पाछे ईनैरोजीनाटकासंध्यानैषायती सानपित्तनैंडदर्दने को प्टनै उत्कोष्ट. राजरोग.रक्तपित्तनें षासनैं सासनै अरु चि. वायकागोला. उदावर्तन सोजानें पुजालिनैं कृमिरो गर्ने उदरकारोगर्ने यांरोगानेयोअवलेहरिकोछ परयो
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३४९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग ७ बलवार्यवधावैछ अरसरारनैपष्ट करैछै १४ इतिवादक पंडअवलेहः येसर्वजतनभावपकासमैलियाछै अथ वा सीधोलूगने घृतममिहीनांटिजै सरीरकैमर्दनकर पाछैला लकामलोप्रोटैतो पित्तीकोरोगजाय५अथवा गडकोघृत गेरु सांधोलूएएक भाकाफूल येबराबरिले सानामिहींपाटिस शरकेउगटगोकरैतोपित्तीहरिहोया अथवा चिरायतों पर इसो कुटकी पटोल फिलारकचंदन नींबकीछालि यांकोकाटो लेती पित्तकारोगने फोडानैंदाह.वरनैं सुषसोस. तिसकारो गर्ने वमननैं यांसारारोगांनेयोकादोडूरिकरै७ अथवा या रणालापांकीराप सरीरकैमर्दनकरेनौपित्तीजाय अथवा फि टकडी नागरवलिकापानांकारसमैवाटिकोसरीरकैमर्दनक रैतोपित्तीजाय९ अथवा लसराटकाभरषाय अथवा विफ' लारकाभर मिहींगांटिसहतरांचाटेतीपित्तीजाय २० येस
जतनवेयरहस्यमैं लिप्याडै अथवा मेथीदाणाटका? भर कालीमिरचिटकाभर हलकासाभर यांसारांनैमिहिना दिपाछेयांकैादाकारसकीपुट ३दे पाछैगोलीटंकरममारा. करे पाछैगोलीरोजीनांपायतो पित्तीकासर्वविकारांनेहरि करेछ। योवेधरहस्यमैलिष्योछे इतिसीतपितउद दकोटउत्कोदरोगयोपत्तीकाभेदछेत्यांकाउत्पत्तिलक्षण जतनसंपूर्णम् अथअम्लपित्तकोउत्पत्तिलक्षएामान नलिष्यतेलूगकाषावासू षदाईकाषावासूं बड़ीवस्तांका षाचा गरमवस्तकाषापासू श्रोहीपित्तहेकोपळूमाप्तिः होय अम्लपित्तनैंपैदाकरेडे सोअम्लपित्तरोगभी प्रकार
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३५० अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १७ कोछै बायकोकफको २ कफवायको३ अथअम्लपित्तको लक्षणलिष्यते अन्नपचैनहीं विनांषेदकोश्रमहोय यम नसो आवोकरै कडवीषारीडकारावैसरीरभारयोहोय हिया मैंकंउमैंदाहहोय भोजनमैंअरुचिहोय येलक्ष होयजीनेत्र म्लपित्तकहिजे योअरमपित्तदोयप्रकारकोछ यकतोऊछगामी सोतोमुषमाहिहोयकरिजाय येकअधोगामीगुदाद्वारा भायोहोयछै अथउर्ध्वगामीअम्लपित्तकोलक्षरालि. जोवमनकरेसोहस्यो पालोनीलो कालो लाल अत्यंतनिर्मल मीमांसकाजलसिरीसो अरअम्लपित्तकफ मिल्योहोयतो पणोंचीकपोंछादे अरकरडोलसूएगोतीषोछादे प्रथम -योगामीअम्लपित्तकोलक्षालिष्यते जीकामलमेंना . नाप्रकारकोवाहोय अरतिसहोय दाहहोय मूळहोय मोह होय हियोडूषे वमनसोभावेसरीरमेंदाफडहोया परड कारयणीहोय अरकंउमें धिमें हियामें दाहहोय सरीरमेंपी राहोय हाथपगांमैंदाहहोय भोजनमेंअरुचिहोय जुरहोय येताजी होयतदिजाणिजेईकैअम्लपिनकोरोगछे १ अम्लपित्तकेचिसेंऔरभीदोसांकोमिलापलैसोलि. ईअम्लपित्तकैविसेवायकोमोमिलापहोयछै भरकफकोभी मिलापहोयछे अटेवैद्यहेसोमोहकूप्राप्तिहोयछे अथदोष भेटकरिअम्लपित्तकोभेदलि. जीमेकांपणाहोय प्रला पहायमूर्जाहोय सरीरमचिमचिमादिहोय अरसरीरमेयीडा अरसूलहोय अरअंधेरीमावैरभौलियावेअरमोहहोय अरहर्षहोयभावै नदिजाणिजेअम्लपित्त,गायकोमिलापछे
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३५१
१७
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा कफयूकै सरीरभारयैौहोय अरुचिहोय सरीरमें सीतलांगे चमनहोय अग्निजातीरहै वलजातोरहे सरीरमैबुजालिमाने अरनोदयणीच्यावे येजीमेंलक्षणहोय तदिजाणिजे अम्लपित्त मैंकफमिल्योछे अथच्अम्लपित्तको साध्यप्रसाध्यल क्षलिष्यते अम्लपित्तको रोगन वीनउपज्योहोयसोतोसाध्य जननकस्यांजाय अरयो ही घणोदिन कोहोयसोजाप्यजाणिजे अरोहीघणांदिनकोहोय परपथ्यचालन ही सोन्प्रसाध्यजा णिजे १ प्रथमम्लपित्तरोगकाजतनलि० अम्लपित्तरोगवालाने पटोल नींवकीछालि मरडूसो येबराबरिले त्यां कोकाढोकरि ईसेतीयमनकराजेतो अम्लपित्तजाय १ अथ वा मेंटलसहत सांधोलू यांकरि वमनकराजेतौ अम्लपि तजाय २ अथवा जुलाबसूयम्लपित्तजाय ३ अथवा नि सोतसहतघ्पांचला यांकोजुलाच देतो म्लपित्तजाय ४ प्र थवा ऊर्ध्वगामीत्र्यम्लपित्तहोय तीनैंचमनकराजे अराधो गामीच्यम्लपित्तहोय तीने जुलाचदीजै ५ अथवा जवाकोसा तू अथवा गोहांकोसतू अथवा चावलांकोसतू मिश्रीकासं जोगसूंषायतो अम्लपित्तजाय ६ अथवा जब परसो यांच ला तज पत्रज इलायची यांकोकाटोसहननांषिप्रेरपीदेतो तत्त्कालअम्लपित्तजाय ७ अथवा गिलवे नींबकीछालि प टोल यांकोकाटोकरिसहननांषि पीवैतौमहाभयंकर भीमम्लपित्तजाय - अथवा रडूसो गिलवै पित्तपापडो चिरा यतो नांबकीछालि जलभांगरो त्रिफला कुलत्थ यांकोकाटो सहतनांषिदेतॆअम्लपित्तजाय९ इतिदशांगक्काथः
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३५२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग " अथवा मोजनकरियांवयंकोरसपीवेतो अम्लपित्तनै वमनने अरुचिर्ने दाहनें मोहनें निमिरनैं बरा. मूलकादोष. योडूरिक रैछै अरयोहीदापानेरिकार तरूणकरैछै अथभा डावलेहः पक्कापेठानेकोलि तांकाबीजगिरिकादि तीनकून टितीकोरसरका.भरले पाछैरकासो-भरहींगजकोई घलेअरटकाअाउन्भरांचलाले अररका-भरमिधाले अरगउकोघृतटकारभरले यांसारांनैंमभुरीयांचसूपका वै पाछैईकीअवलेहकीसीचासशीकरै पाछैटकाभर त्र थवा टंक ५।रोजानांपायनो अम्लपित्तजाय११ अथवा ना लेरकागिरीनेछोलितीनैपथरउपरिवांटिले पाछैनेगिरीसूं जोगुणीवापारसमांडलेतीकिचासगीकरैअरवांटिगिरि मैंगरुकाइधमैपकायवेंकोमालोकरै योमाबोवेचासलीमैनां पैपाठयेओषदिमिहींपाटिचासलीमैनांषेपों पीपलामू लतज पत्रज नागकेसर इलायचीयेसारीयोपदिटंकये कएकले पाछैयांसारांनैमिलाय यांकोयकजीवकारटका। भरकीगोलीबांथै अथवा रंक भरकीगोलीनांथेगोली रोजीनांषायतो अम्लपित्तनैरक्तपित्तनै सूलनेइरिकरैछे १२ इतिनालेरपंडः येसजननभावप्रकासमैंछे अथवा मिनकादाष धोय तीकीमिंगीकादि तांबराबरियडाहरडेका वकलकोचूर्णने पाछैयांदोन्यांबराबारमिश्रीमिलाययांकी गोलाटंकसा काबांथै पाछेगोलारोजीनगंषायतो अम्लपित्त नेहायाकाठकादाह. निसनैं मूळ. भोलि मंदाग्नि. श्रामवासनेंदूरिकरैछ १३ इति रक्षादिराटिका ॥
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२५३
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा सूंठ कालीमिरचि पीपलि त्रिफला इलायची नागर मोथो वायविडंग पत्रज येबराबरिले यांसारांकीबराबरि ल गर्ने यांसारांंडूणी निसोतन यांसारीत्र्यषद्यांकीबराबरिमि श्रीले यांकोचूरणकरिटंक २ सीतलजलसूंलेती अम्लपित्त जाय १४ इतित्र्मविपित्तकचूरणम् इतित्र्यम्लपित्तरो गकी उत्पत्तिलक्षणजतनसंपूर्णम् अथविसर्परोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते लूटाई गरमवस्तकाषावासूं विसर्परोगपैदाहोय सोमोविसर्परंगफेल्योथको सात ७ प्रकारकोछे वायको १ पिनको २ कफको ३ सन्निपात को ४ वातपित्तको ५ वातकफको ६. कफपित्तको ७ अथवि सर्परोगको सामान्यलक्षणलिष्यते लुगषटाईगरमनें
दिलेर येपाछेलिष्याछे त्यांकायणाषावासूं वायपित्तक फयेकोपकूंप्राप्तिहोय सरीरकालोहीनें मांसउगेरेंसातधात नॅविगाडिशरीर में छोटी वडी फुएणस्यां का मंडलनें सरीरमें फै लायदेछे ईवास्तैवैद्यांईरोगकौंनामविसर्पकाड्योढे १ अथ वायका विसर्पकोलक्षणलिष्यते सरीरमैंच्यापकाकुपथ्य काकरिवांसूं वायकोपकूंप्राप्तिहोय सरीरमें कोठेहीछोटिछो टिफुणस्यांपैदाकरै तदिपुणस्पांसरीर में फेलिजाय तदिवाय ज्वरकासर्वलक्षणवेंमें मिले पर बांमेसाजोहायच्या भरवां पीहोय श्ररपुरास्यांफाटिवालागिजाय परवांमैं पांवसरीसीपीडघणीहोय र वांषुजालिया थपित्तकाविसर्पको लक्षणलिष्यते पापका कुपथ्यांसूंपि त्तकोपकूंप्राप्तिहोयसरीरमैंछोटी वडी फुणस्यां हुईहोय सोवें
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३५४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग फैलिजाय तदिवांमपित्तज्वरका सर्वलक्षणमिले पर वैकुपास्यां वेगदुरयणी फैलिजाय अरघणीलालहोय २ अथकफकावि सर्परोगको लक्षणलिष्यते आपकाकुपथ्यकाकरि वासूं क फकोपकुंप्राप्तिहोय सरीरमें छोटी मोटी फुणस्यांनें फैलायदे पा छेवामैषाजियावे पर वैपुणस्यांचीकएणीहोय वेंमैंक फजुरकासर्वलक्षणमिलें ३ प्रथसन्निपातकाविसर्परो गोलक्षएालिष्यते श्रपकाकुपथ्यकाकरि वासूं सन्निपा तकोपकुंप्राप्तिहोय सरीरमैंछोटिव डोणस्यापेदाकरि वांफु लस्यांनैसरीरमैंतत्काल फेलायदे परवांकुणस्यामपाछेकत्या सोलक्षणवा में होजाय अरसन्निपातज्वर कासर्वलक्षणहो जाय ४ अथवातपित्तविसर्परोगको लक्षणलिष्यते जींकासरीरमैवायपित्त आपकाकुपथ्यकाकरि वासूं कोपकूंपा प्तिहोय सरीरमैंछोटिचडिफुणस्यां पैदाकरै सोचैपुणस्यांस शरमें फैलिजाय नदियाग्नारव्यनामवांपुणस्यांनकहेगे ग्निसरीसोवांकोरूपहोय अरजी मैंवाय पित्तज्वर कालक्षणमि लै परछर्दि मूर्छा अतीसार तिस भ्रम येभाजी में होय परस शरका हाड अंगांमैपीडाहोय अंधेरीच्यावे अरुचिहीय सा रोसरीरंगारासिरी सोबले जींजींस्थानमेंहोय तांतीस्थाननें कालोक नांवे अथवा नीलोकरीनांवे अथवा लालकरिनां र्षे जैसेंलायकादाड्याकै मर्मस्थानमै फैलिजाय वेको अंगघणों पीडाकूंप्राप्तिहोय वेंकीसंज्ञाजाती रहे नींदयावेनहीं सासहो यावे हिचकी होयजाय सरीरमैचैन पडेनहीं मनदेहसर्वविंग डिजाय सरीरकोग्यांनजातोरहे योविसर्परोगनिपटअसाध्यजा
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२५५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ गिजे ५ अथवानकफविसर्परोगकोलक्षणालिष्यते वायफयापकाकुपथ्यकाकरिया कोपकूमाप्तिहोयसरी स्मैंछोटीवडीफुगस्यांनपैदाकरै वानेफेलायदै यांफरास्यांनै ग्रं थारयनामकहेजै येगांडिसिरासीहायछे योपवनहेसोकफक रिकैरुस्खोयको कफनैंपोपकारभेदै पाछै लचामांस नसा मैंप्राप्तहुवोजोलोही तीनोइषितकरैक्डाछोटागोलभास्या षरधराइसागूमडाकीमालानैदाकरेनीमैयपीपीड परला तलालजरनेलीयां सरस्वास पास अतीसार मुषसोस हिच की यमन नमसोह सरीरकोरंगोरसो परमू अंगफूट गीमंदाग्नि यमाजामें होय तदिजाणिवायफफकोविसर्प रोगछैध अथकफपित्तकाविसर्परागकोलक्षगलि. कफपित्तापकाकुपथ्यकाकारांसू कोपळूमाप्तिहवाथको सरीरमै छोटिबडीफणस्पांपैदाकरिवाने फैलायदे वांफ एस्यांनैवैद्यकर्दमहाभयंकरविसर्परोगकहेछै तीमैयलक्ष
होयजुरहोय सरीरजकरवंथहाँजाय नादानिहीं तं दाहोय सरीरमैपीडाहोय अंगामें फूटणीहोय प्रलापहोय
महोय भूषजातीरहे हाडहाइटूटै सिसहोय सरीरभास्यो होय प्रांरजाय इंद्रियांपकिजाय अंगअंगमैपीडाहोय फुरा स्यांसारासरीरमैंघरगीफेले घणीलालीकापीकालीमेलासो जातीयां भारीमोडीपके गंभीरजकोपाकजीमैंचलनघणी राधिजीमेंघशी कांपे सरीरकीनसांनासरीरहै अरजीमैंसर दाकीसीदुरगंधियावै येजीमैक्षराहोयतीनीकर्दनामाथि सर्परोगकहिजै अथशस्त्रादिवकाधावसंम्पज्यो
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३५६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ जोविसर्पतीकोलक्षासियते शस्त्रादिककाचोटलागिवा {कोपकूपातहवोजोवाय सोलोहीसमेतपित्तकूडष्टकरे कुल सिरसीसरीरमैफुपस्यांनेंपैदाकरेजोविसर्पछे पाछैनांफ पस्यांकाफोडाहोजाय अरयांमैंसोजोहोय अरजुरहोय येभी हायजाय लोहीकालोहोयजाय- अथविसर्परोगकोउप
बलिष्यतेजुरहोय अतीसारहोय वमनहोय तिसहोय मांसकोविषरि यो बुद्धिठिकाणैनहींरहे अरुचि अन्नपनहीं येईकाउपवछे अथविसर्परागकोसाध्यप्रसाध्यलशएलिष्यते वायपित्तकफकोजुदीजोविसर्प अरअग्निसं उपज्योजोविसर्प अरमर्मस्थानमै उपज्योजोविसर्परोगसोय साध्यजाणिजै१ अथविसर्परागकाजतनलिष्यते जुला बयमन औषयांकालेपरुधिरकटावो यसाराहाजतनधि सर्परोगनेत्राच्या१ अथवायकाविसपरागकोजतनलि. राहना कमलगट्टा देवास रक्तचंदन महवो षरेटीयांनैबरा बरिले यांनधसूं पृनसूमिहीवांटिलेपकरेतो पायकोविसर्प रोगजाय। अथपित्तकाविसर्परोगकोजतनलिष्यते किसोपासिंघाडा कमलगट्टाजलकोसिवाल रक्तचंदन यां नैवाटिधोयायत सीनलजल लगातौविसर्परोगजायर अथकपकाविसर्परागकोजतनलिष्यतेत्रिफला कम तगट्टा पसलजालूकनारकीज नरसलकीजडजवासो यां नेजलसंमिहींपाटि लेपकरेतीकफकोविसर्पजाय३ अथ दशांगलेपः तगर सिरसकीज महलोठी रक्तचंदन इला यची छड दोन्यूंहलद नेत्रवाला यांनौमिहींपारिजलसू यां
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३५७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. १७ मेंगऊकोपृतनांपिलेपकरेतीसर्वप्रकारकोविसर्पजाय अथ वा चिरायतो अरसोकुटका पटोल त्रिफला रक्तचंदन नींबकीडालियेबराबरिलै यांनजोकूट करिटंकरकोकादोदेतो विसर्परो गर्ने दाह.जरनें सोजानै जालिनैं फोडाने वमननैं इतनारोगा मैंयोकादोडारकरैछै ५ अथवा करागच सतोन्यांकायकल कल हारीकोजड थोरीकोदूध पाककडूचित्रक जलभांगरो हलद सांगीमोहरो येबराबरिटकाटकाभरि अरगोमूतसेरऽरले पा पीसेररले तेलतिलांकोसेर१पाछे यांनएकठाकरे पाछैयांके नांचैमधुरीयांचदे सरसवलिजाय तेलमात्रायरहै नदिई कोमर्दनकरेती विसर्पनैं फोडाने योचाने योनेल इरिकरैछ ५येसर्वजतनभावप्रकासमेंछै अथवा वडकीजटा नाग रमोथो फेलिकोविचलोगर्भ यांनधोयाबृत्त लेपकरैतौ चि सर्परागर्ने गांरिनैं योलेपरिकरे ७ अथवा सिरसकीवक ल...सोवारधोय पृतकैसाथिमिहींपांटिलेपकरेनौपिस परोग सर्वपकारकोरोगजाय- अरकोट फोडा सीतलायो सर्वरोगजोककालागवा निश्चैजाय९ येसर्वजननवैद्यर हस्यमेछै इतिविसर्परोगकीउत्पत्तिलक्षाजतनसंपू० अथस्नायुरोगस्नायकहेजैपालोनीरोगकोउत्पत्तिल क्षराजतनलिष्यते पोटाजलकापीचा दृष्टअन्नकाषा वामू कोपकूप्राप्तहबोजोपायसोहाथपगांकेविफफोला. अथवा सोजानेकरैछै पाछैचांफफोलांनैनोपायहेसोफोडि करिफफोलांकाजागाऊठे पित्तहसोनसानेसुकायतांतिसिरी सागरानै अोकपितहयोथकोजोवायतीनैकरैछ सोतांतिसि ।
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२५८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १७.
सोडोरोंहेसो छाडिसानूकापीडबांधिवासूंसनैस मैंवारेंनिक लिपडै अरोटिजायतो कोपकूमाप्तिहोय परोपा निक लियावतीअोजातोरहै अरोऔरसरारमेंजातोरहे अथवा हा थमैं अथवा पगांमेंकहींकारण टूरिजायतो टूटेमनुष्यनैपोरो बारदे येजांमैतक्षराहोयतीनेवालाकोरोगकहिजे। अथवा लाकाजननलिष्यते होंगटंकपतीनेंसीतलजलसंदिन३ पायतो पालाकोरोगकदेहोयनहींगड़कोयुतारोजीनांदिन ३पातौ वालाकोरोगजाय२ अथवा निर्गुडीकोरसदिनपई सा४भर रोजीनांदिनपावेतोवालाकोरोगजाय ३ अथयाक लौंजीकीजड सातलजसमंदिन ७ पीयेतो चालाकोरोगजाय ४ अथवा अरंडकीजड़कोरसगांकातदिन पीवतोया लाकोरोगजाय ५ अथवा अतास नागरमोयो भाउंगी महि पापलि बहेडाकालालियबराबरिले यांनैमिहींपांस्टिंक रोजीनांदिन ७ गरमपापासूलतोवालोजाय अथवा सहज पांकाजरअरपांन यांनेकांजीकापाएगीरांगारि सांधोलूएमिला य पाछैनेवालाउपरिबांधेतौवालोजाय ७ अथवा.कांटावा सीजालितांकाजरतीनेजल गारिवालाउपरिदिन ७ बांधेतो निथैवालोजाय रेसर्वजनभावप्रकासमैंछै अथ वा हड संहिसहजपांकीजड यांनयागीममिहींपोटियालाऊ पारलपकरे अथवायांत्रोषयांनपीवतौवालोजाय ९ अथ या धतूराकापानकोतललगायवालाअपरेबांधेतौचालोजाय १० अथवा बूलकाबीजत्यांनकांजी सिजायवालाअपरिबांथै तौनालोजाय ॥ अथवा पालाकामंत्र चालोजाय सोमंजलि
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
१७
३५९ पूंडूं विरूपनाथवामनकैपूनसून काटिकिये बहुत पाकैफूटैपी डाकरै विरूपनाथकी आज्ञापुरे ईमंत्रसूवालाऊपरिगुडनेंवार ७ मंत्रि बालावालानेंषुवाजेतवालोजाय १२ येजतनवेंद्यरहस्य मैंलिष्याछै अथवा कबूतरकीवीउकी सहतसूंगोलिबांधिंदि न ७ निगलायदेतौ वाल्पकदेभीनीसरैन हीं १३ योवैद्यरहस्यमें लिष्याछै अथवा सहतमेसाजीवांटि ईकोलेपकरैतीवालो जाय १४ इतिवालारोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनसंपूर्णम् अथयविस्फोटक रोगकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते । कडवीपस्तकाषापासूं षटाईकाषावासूं तीषीवस्तकाषाबासूं गरम वस्तकाषायासूं रूषीवस्तकाषावासूं पारी वस्तकाषावासू अजीर्णकारहग्रसूं भोजनऊपरिभोजनकरि बासूं ताबडामैंर हवासूं सीतउष्णवर्षारितुयेजोतीर्कयणां अथवा नही अथवा यांकाविपरीतपणा कोपकूंप्राप्तहुवाजोवायपित्तकफयेदोष सोसरीरकीत्वचामैंप्राप्तहोय सरीरकालोहीनैं परमासनें पर हाडनें दूषितकरैछै सरीरमें भयंकरफोडाने पैदाकरैछै पहलीज रउपजाय करिसाईनविस्फोटकरोगकहीजे? प्रथविस्फो टकरोगकोलक्षणलिष्यते जुरतैयांफोडामैं मानूंयागिसिरी सीदनी है इसाफोडाहोय वेफोडारक्तपित्तसूंउपज्याचे सरीर मैं सर्वत्रहोय अथवा कहींहोय तीनविस्फोटक कहिजे १ अथ वायकाविस्फोटककोल क्षणलिष्यते मथनाय होय फोडा मेंपीडहोय जुरहोय तिसहोय हाडफूटणीहोय फोडाकोबराहो य लक्षणहोयजीनें वायकोविस्फोटकजाणिजे १ अथपित्त काविस्फोटकको लक्षणलिप्यते जुरहोय दाहहीय फोडा
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१७
३६० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मैं पीडा होय फूटैवेगो पके वेगो सवैवेगो तिसहोय फोडाकोपी लोलालवर्णहोय येलक्ष पाहोयतौपित्तकोविस्फोटक कहिजे २ अथकफकाविस्फोटककोलक्षएालिष्यते छर्दिहोय रु चिहोय मोडोपकै तीनै कफकोविस्फोटकजाणिजे३ अथवा तपित्तकाविस्फोटककोलक्षणलिप्यते घणी पीडाहोय अरवातपित्तकालक्षणमिलताहोय तीनैवायपित्तको विस्फो टकजाणिजे ४ अथवायकफकाविस्फोटककोलक्षण लिष्यते सरीरभाग्यौहोय बुजालिचालैतोकफकोजानियें ५ अथपित्तकफकाविस्फोटकको लक्षगलिष्यते वाजिमा वै वेंमँदाह होय जुरहोय छादणी होयतो कफपित्तकोजाणिजे ६ अथसन्निपातका विस्फोटककोलक्षणलिष्यते फोडा कौपीचिषाडोहोय अरूंचोमीहोय अरफोडोगादोहोय थोडो पकै फोडामैंदाहूहोय ललाईघणीहोय तिसहोय मोहहय छर्दिहोय मूहूर्छाहोय फोडामैंपीडहोय जुरहोय प्रलापहोय सरीरकांपे लक्षगहोयतींनैसन्निपातको विस्फोटक कहिजे योमसाध्यछै७ अथलोही का विस्फोटककोलक्षणलि• जीमपित्तकाफोडकासर्वलक्षणहोय फोडाको चिरमीसिरीसो वर्णहोय जीमेलोहीनीसरे जीयेंदाहहोय योजतनसुंभीच्या ज्यौनहीं होय - प्रथविस्फोटककाउपद्रवलिष्यते तिस होय स्वासहोय मांसकोसंकोच होय दाहाहोय हिचकीच लै जुरहोय फोडाफेलिजाय मर्मस्थानमें ईकाउपद्रवछे ९ अथविस्फोटककोसाध्यमसाध्यलक्षएालिष्यते एकदोष कोसाध्य दोयदोषकोकष्टसाध्यत्रिदोषकोच्यरधणांजी मेंउप
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२७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १७ ट्रक्सौअसाध्य। अथविस्फोटकरोगकाजतनलिष्यते विस्फोटकरोगवालालंघन अरवमन अरजुलाव अरप थ्यभोजन परपुरागीसालि चावलजवगोंहूमूंगमसूस्मारह उयेाछाछै अथवा दसमूलकोकाटो रास्ना दारुहलदष स कस्याली गिलवैधणों नागरमोथो यांकोकाटोदेतोचायको विस्फोटकजायसअथवा दाषकुंभेर छवारा पटोल नींबकी छालि परसो कुटकीचावलांकीषीतजवासो गांकोकाटो देतो वित्तकोविस्फोटकजायर अथवा चिरायतोवर अरडू सो त्रिफला इंद्रजप कुडाकाडालि पटोल यांकोकाटोसहतमि लायदेतोकफकोविस्फोटकजायअथवा चिरायतो कुट की नीबकीछालि महलोठनागरमोथो पटोलपित्तपापडी षस विफला कुडाकीछालि यांकोकाटोदेनौसर्वप्रकारकोविन स्फोटकजाय४ अथवा चावल कुडाकीछालि यांनजलसूमि हीवारि फोडाउपरिलेपकरेतौविस्फोटकजाय५अथवा गि लवै पटोल चिरायतो परसोनींबकीछालिपित्तपापडोषै रसार यांकोकाटोदेतौविस्फोटकरोगकीजुरजाय अथवा चंदन नागकेसरिगोरीसर चौलाईकीजड सिरसकारकल
वेलीकापांन यांनेजलसूमिहींपाटिलेपकरेतीविस्फोटक जाय अथवा कमलगट्टारक्तचंदन लादपसगोरासर यांजल वांटिलपकरेती विस्फोटकजाय अथवाजी यापोताकामीजीजलसूंपांटिलेपकरैतौ विस्फोटकनैषाको लाईनें गलाकीगांठिन कानकीगांटिनेंोरफोडायुगसीमा बयोलेपडूरिफरेछे ९ येसजतनावप्रकासमैंछे
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३५२ अमृतसागर नथाप्रतापसागरतरंग १७ दशांगलेप किशोर गूगलयेभाई.ाज्याछै इतिविस्फोट करोगकाउत्पत्तिसक्षलजननसंपूर्णम् अथफिरंगरोग कीउत्पत्तिलक्षणजननलिष्यते योफिरंगरोगउपदंशवाय कोमेदछै सोधणीगरमवालीस्त्रीयांकासंगकरिवासू अथवा चेकोसंगकहींओरकस्योहोयसोओउंटे तैउंटेयोभीमूने अथवा कोकहींतरेभोजनादिककोसंगकरेतो वायकापका कारणांसंकोपळूमाप्तहुय गर्नेप्रगटकरे अथवा योषी गपुरषहोय अरमेथनवारंवारकरे नदियोनिपटषीरापर्डे तदिईकैबंधेजरहनहीं पाईकैवायकीनानाप्रकारकासरीर मॅपीराहोय नदिईकावायपित्तकमयेसाराहीकोपळूपाप्तिहो यईप्रागंतुकनामफिरंगवावनेयेदोषप्राप्तिकरेसोफिरंगवा वतीनप्रकारकोछे सरीरकैमाहिनसांमैं घसिजायसरीरकी लनाकैपरिरहेर अरमांहिवारेभीरहं ३ अथसरीरकीत्व चाकेवारेहोयतींकोलक्षएलिष्यते सिंगेंद्रीकेउपरीफुग सीपरफाटिवाउगेरीचन्हहोय अरऊंडेथोडीपाडाहोय सो तोमुषसाध्यहीछे योजतनकस्यामिस्जिाया अर्थसरीर कीसंध्यामेंअरनसांमधसिगयोहोयतीकोलक्षालि: सरीरमैकाडीकाट्याहोय इसाचातापडिजाय मोरयामैंजांचा मैं पीज्यामें यांमेंधणीपीडाहोय अरांठेसोजोहोय योकष्टसा ध्यछे २ अथसरीरकेमाहिवारेहोयतीकोलक्षणलिष्यने येसर्वलक्षणकयाछेसोहोय अरपणादिनांनाईरहै सोयगों कष्टसाध्यछै३ अथफिरंगवावकाउपदबालिप्यतेसरीर क्षारापडिजाय बलजातोरहेनांकगलिजाय अग्निमंदहोय
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३६३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १७ मांसरुधिरजातोरहै अरहाडमात्रायरहे यईकाउपद्रवछे येयाख्यानहीं। अथफिरंगवावकाजतनलिष्यतेरसका रकासाध्यासेतीफिरंगवावनिश्चैजाय सोरसकपूरकासाधिता कीपरषावाकाविधिलिष्यतेरसकपूररती४ले तीनैगोई कानूनपांगी पोसणीतीकैविचारसकपूरमलिवेंकीगोली करै पाछैलवंगा.मिहीनांटिअरगहूंकाचूनकीगोलीरसक भरसमेतिनैलांगाचूर्णमेलपेटै पाठेवैगोली निगलिजा यदांतलगावैनहीं सीतलजलसंनिगले ईऊपरिनागवेलिको पानचावकाथचूनाविना ईउपरिलूराषायनहीं षटाईबायन ही षेदकरैनहीं तावडेरहेनहीं इसीतरोदिनर करेतौफिरंगया यजायर अथसंपसरायटिकालिष्यते पारोटंकीर सारटंकी अकलकोटंक २ सेहतरंक ३ यांसारांनेषरलमैमि होवांटियांकोयेकजीवकरे पाछैयांकी ७ गोलीकरैगोलीरो जीनांमभातसीतलजल लेतौफिरंगवायजाय परिलूरा षयईक्षायनहीं२ अथवा पारोटंकर आंवलासारगंधकटंक २ चावलटकर यांतीन्यांनैपरसममिहींनांटिकजलीकर पा छैयांकापुडी करै पाछेपुडियेकेकचीरोजीनांइंदीकेधूणी देतौफिरंगवायजाय ३अथवा पालाफूलकोषरेटीकापांनांकोरसरंकालेयरपारोटकले यांदोन्यानेदोन्यूहाथांमैमस लिपाराने अररसनेहाथामैचरायदै पारोदीसैजंठांताई पा छेयांहाथाने क्योंतपायले पसेवावैजाताई इसीतदिन ७ करेनोफिरंगवायजाय अरगुएराषटाईपायनहीं४अथवानी बकापांनटंक- हरडेकीछालिटंक ७ अांवलाटंक हलदटंका
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३६४ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग १७ पागे यांसारांनैमिहावारिमासा४ ईसातलजलसंरोजानादि न लेतौफिरंगवायमाहिलोअरबारलोजाय ५ अथवा चोष चीनाकोचूरणमासा ४सहतमंदिन१५ चाटेतौफिरंगवायजाय उपारलूराषटाईपायनहीं परषायनोसांधोलूपाषायर थवा पारोटंकीतीनेटकसेलाकारससेतीषरलकरे पाछेईमै गूगलरंक ५नां अकलकरोटंक त्रिफलाटंक ५योमिहींपाटि ईमनाषे पाछेसहतटक ५ गउकोवृतटंक ५ईकैसाथिईचूरण टंकी रोजानांदिन॥षायतो अथवा ईकोमर्दनकरैनौफिरं गवायजाय परिलूराषटाईपायनहीं येसर्वजतनभा वप्रकासमेलिष्याछै अथवा जुलाब अथवा लोहीका कदावासूफिरंगवायजाय- अथवा पारोहीगलू नीलाथू योहीराकसीस सोध्योगांवला सारगंधक येसर्यबराबरिले त्यांनैपरलॉमहींचांटिएकजीवकरिईकोभुरकोदे अथवाई कोरोपकरैतौफिरंगवायजाय ९ इतिसूतकायोलेपः अ थवा सो.वारकोधोयोवृतनीकोलपकरैतोफिरंगवायजा या अथवा कडवोलटकामोमटंक ५कपलो वेरजो येदोन्यूअधेलाभरिलेसीदूरटंकरले सोरोटंकरले मुरदासांगी टंकर यांसारांनेमिहीवांटि पीतलकापात्रमैमथुरांचसूया नेपकायपाछै आपकाहाथां मथिमावीमेंघालराले पाछेई काकागतीदेतो फिरंगकागूमडांने उपदंसनैं घावनें यामल्लि माछाकरेछे १२ इत्तिमलहरमल्हिम अथवा सिंदूर अधपावागउंकोतसरायोदोन्या.मथिसरीरकेलेपक तो पाछेनोंडूकापरालनेसरीरकेतपटै इसीतरौंदिन ३ करे
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२६५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १७ उपराषीरषायतो बरामात्रविस्फोटकफिरंगकागूमडायेसर्व सरिजाय अथवा पारो अरसीसो येवराबारले पाछैयांदो न्यंकापरलमेंकजलीकरै अरगोहांकातुस आमलीकाचीयांनी बकापान घरकोभूससोयेसाराबरावरिले यांनेनांचकारस परलकरै पाइंटंकरभरकीगोलीबांधेपाछेसरीरनैंपलसूदा किकरिसीतरोदन गोलाएकाथरीलेतीसर्वप्रकारको विस्फोटकजाय ईऊपरिषारषायदिनरातथा१४ अथवा त्रि फला पेरसार जायपत्रीयेबराबरिले यांनँपापीमैंनओटायमूंटा मैंधो पाछेधूणालेतौफिरंगवायनाय अथवा कालोजी रोकर येदोन्यूँतीनतीनटांकले परपुरागोगुउयांसूतिगुरगो ले यांनैारियांकीगोली५करै पाछैगोली प्रभातगोली-१ संध्याषायतौफिरंगवायजाय उपरिगोहां कारोटीत चो पडिपाय१५ इनिफिरंगगजकेसरीरसः अथवा हींग
मासा सहागोमासा१० अकलकरोमासा १० मोममासा पाछेयांनमिहींचांदिईकीगोलारतीप्रमाणकाकरै पाछै वो लिकाकोइलामेंगोलीयेकेकीदिन धूलादेतोफिरंगजाय अथवा सहजएगांकीपकल यडकावफलमांउंकीरकल नी बकीपकल जलभांगरो कत्यालीकचनारजीवकल यांकोकाटोलेतौफिरंगवायजायदिन मैं अथवा हींगलूमा सा४मैपसिलमासाट यांनोमिहीवांटिकोरकालकडीकाअग सामै मासारवांधूणीदेनिवर्तिस्थानमैंकपडोउदायतौफि रंगजाय१९ इतिहिंगुलादिधूमगुदाकेदै अथरसकपू रभुदेवायोहोयतीकोजतनलिष्यते पीपतीकीयकल
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३६६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ७ गूलारकीचकलले पूक्षजोडोटोबहोतीकीवकलले उकापहल बेतकायकल योकोकाटोकरितीकारलाकरैतौमूंदाकोसोजोह पिहोय० अथवाजारोरंक ५षरसारटकर यानेजल वारि छालाकैलगायेतो मुषपाकडूरिहोय० इनिफिरंगरोगनी उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् अथममूरिकानामसी तलातीकीरत्पत्तिलक्षाजतनलिष्यते कडवीवस्तका षावा लूगका पारीवस्तकाषावासू विरुहवस्तकाषावासंभो जनऊपरिभोजनकरिवाएं यगासाकादिककाषावासू दुष्टपर नकासेवामू दुष्टग्रहकााछाएं देशमैसीतलाकाउपवासू यांकारणांमुईसरारमैलोहीनेयोदोषडष्टकरे मसूरकेप्राकृति फपस्यानपैदाकरे, सोममूरिकानामरोगवदे१४ प्रकारको है गायको पित्तकोर लोहीको३कफको ४ सन्निपातको ५च मजरोमांतिका ७ अरसातूंथातगतरसगत रक्तगत९मा सगत मेदगल अस्थिगत १२ मजागत ३ शुक्रगत १४. अथवायकीमसरिकाकोलागलिष्यते कैरास्यांका लाहोय लालहोय लषीहोयज्यांमेंपाडायणीहोय करडाहोय मोडापकैयलक्षणीयतदिजाणिजे वायकीमसूरिकाहै १ अथपित्तकीमसूरिकाकोलक्षालिप्यतेजीकैफुरास्था सालहोय पालीहोयकालीहोय दाहनेलीयांहोय जीमैप लापाराहोय भरवेगीपके येलक्षणहोयतदिपित्तकाममूरि काजाणिजे २ अथलोही कीममूरिकाकोलक्षालिष्यले जीमअतिसारहोय भरजीमेंघगोंजुरहोय अरपित्तकालक्ष राहोय येजीमैंलक्षणहोयतीनेलोहीकीमसूरिकाकहिजे३ .
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३६७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १७ अथकफकीममूरिकाकोलक्षालिष्यते जामैफुपस्पांसुपे दहोय अरचीकपाहोय अरवडीहोय अरजीमेषाजियावै परम दपीडाहायपरमोडापकै येलक्षराजीमहोयतीनेकफकामसूरि काकहिले ४ अथसन्निपातकीममूरिकाकोलसरालि. जीमेंफुगस्यांनालीहोय अरमोडीपकै अरघगीहोय अरचिपटि होय अरफेलिजाय अरविचमैषाडानेलीयांहोय अरजामैपीड पपीहाय अरजीमैराधिपडतीहाय येजीमेंलक्षाहोयतीनैस निपातकीममूरिकाकहिजे५अथरसमैप्राप्तिहईजोमसू रिकातीकोलक्षएलिष्यते त्वचामैप्राप्तिहाईजोगसूरिकार केसोपापीकबुदबुदासिरासीहोय अरयांमैस्वल्पदोषहोय पर उफूटेजदिवा,पाणीनीसरे अथलोहीमेंप्राप्तिहईजोम सूरिकातीकोलक्षरालिष्यने फुणस्यांकोलालाकारहोय अरयेततकालपकै अरत्वचामाहीहोजाय अरयेहीअतिदुष्ट हुईसाध्यनहींछे अरयेहीफूटीथकीलोहानैवहावैले अथमा समैप्राप्तहईजोमसूरिकातीकोलाररालिष्यते वेफरास्या कोरहोय अरचीकपीहोय अरमोडीपकै अरत्वचामांहिंहोय अरगानमूलचाले अरषुजालिहोय अरमूर्छाहोय अरदाहति सहोय- अथमेदमेंप्राप्तहईजोमसूरिकातीकोलक्षएलि. वेंफणस्यांमंडलकेत्राकारहोय अरकोमलहोय स्यूंकांचीहोय अरमभयंकरजुरहोय अरफरास्यांवडीअरचाकणीहोय अरमूलनैलीयांहोय अरजीमेसोहअरन्यपीतिहोय अरजीमें तापहोयईकोईकसोजीचे९ अथहाउमेंमीजमैमाप्तहई जोमसूरिकातीकोलक्षगलि. वेकपस्याछोटीहोय अरगात्र
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३६८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरनरंग १७ कीसमानहोयं परलूपीहोय अरविपरीहाय क्यूंकांचीहोयत्र रमेंमोहपोहोय परपीडअप्रीतियघणीहोय अथस कमेंप्राप्तिहईजोममूरिकातीकोलक्षएालिष्यने फास्या पक्रीसाठेठहीं दीसेअरचीकी अस्जामेंघपीपीडा अरजीमें अप्रीतिहोय अरदाह अरउन्मादयभीजीमेंहोय ऐसालक्षण होयसोजावेनंहीं११ अथचर्ममैंउपजीजोमसूरिकातीको लक्षएरिष्यते फास्यांचर्ममैउपजीथकीकंउनैरोकिदे छै अरअरुचिनेकरेछे तंद्रानेंकरेंछे अरमलापकरेंछै अमा नि.करैछै याधणांजतनकायांसूआछीहोयछे १२ अथरो मांतिकानामरोमरोममेंप्राप्तिहईजोमसरिकातीकोल सपलिष्यते प्रथमजुरहोयरोमरोममेंफणारयाहोयमाचेक्यूं कउंची याकफपित्तसंहोयछे ई मेंषास अरुचिहोयईनेरोमा तिकारुहिजे१४ अथमसूरिकाकोसाध्यलक्षएलिष्यते त्वचामैं रक्तमेमसूरिकाहोय अरपित्त उपजीहोय अथवा कफ उपजीहोय अथवा कफपित्त उपजीहोयसोतीसा ध्यजारािजे यातोपिनांजतनहींाछाहोय अथमसूरिका कोअसाध्यलक्षएलिष्यतेयासन्निपात उपजाहोय रमूंगांसिरीसोजीकोवर्णहोय अथवाजामपिसिरीसोजीको पारोय अथवालोहसिरीसोजीकोवाहायअथवा अलसी काफूलसिरीसोजांकोवाहोय ईकाअनेकवाछैयामसूरिका असाध्यछै अरईमैयलक्षराहोयसोभाप्रसाध्यजाशिजै १ प्रथमसरिकाकोजतनलिष्यतेमसारकाकामारंभविषे सुपेदचंदनभिजोयकोयासोलोदिन तौमसूरिकाथोडीनी
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१७
३६९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग अथवा नामकोरसपीवैतौ मसूरिकाथोडीनीसरे ? अथवाय कीमसूरिकाकोजतनलिष्यते दसमूळ रास्ना आंवला म स धमासो गिलचे धणों नागरमोथो यांकोकाटोदेतो वायकीम सूरीकात्र्माछीहोय २ अथवा मजीठ वडकाच्ांकूर सिरसकी बकल गूलरिकीवकल यांकोघृतघालिलेप करैतौवायकीम सूरिकान्छीहीय ३ अथवा गिलवे महुवो दाष मूर्वा दाउ मकीवकल यांकोकाढोगुडनांषिदेतौ वायकी मसूरिकाप्रा डीहोय ४ अथवा मसूरिकामैंसालिकाचावल मूग मसूर मि श्री येषाय सूपायनहीं थोडोसींधोलूषाय ५ थपित्त कीमसूरिकाकोजतनलिष्यते पटोलकीजडकोकाटोलै अथवा वामकोरसपीवैतौपित्तकी मसूरिकाप्राछीहोय६ अथ वा नींबकी छाल पित्तपापडो पाठ पटोल दोन्यं चंदन पस कुटकी आंवला रडूसो जवासी यांको काढोमिश्रिनांषिलेती पित्तकी मसूरिकामाछीहोय ७ अथलोही कामसूरिकाको जतनलिष्यते ईमैंलोही कदाजे तीलाही मसूरिकाप्राडी होय
अथकफकीमसूरिकाको जननलिष्यते श्ररसौ चिरा यतो त्रिफला जवासो पटोल नींबफीचांलि यांकोकाटोसह तनांषिदेत कफकीमसूरिकामी होय ९ श्रथसर्वमसूरि कामात्रकोजतनलिष्यते पाठ पटोल कुटकी दोन्यू चंद न षस आंवला मरडूसो जवासी शंकोकाढोमिश्री नांषि देतोसर्वमसूरिकामात्रआडीहोय १० अथमसूरिकामैकं ठर्मेंत्रण होयगया होयताकोजननलिष्यते श्रवला महुवो यांकोकाटोकरिती में सहतनांषि ती काकुरलाकरैत कंठकाण
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३७०
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १७ श्राख्याहोय ११ प्रथमसूरिकामैद्यांष्यांचिपिगईहोयनीको जतनलिष्यते मूहुवांकापाए मित्र्प्ररंडकोसेककरैतीयांषिषुलै १२ प्रथमसूरिकामै नेत्रांमैत्रग्रहवा होयती कोज तनलिष्यते मुहुरो चिफला मूर्वा दारूहलद कमलगट्टा षस लोद मजीठ यांको लेपकरेती नेत्रांकात्रणमाछाहोय फेरऊंडेग्राहोय नहीं१३ थवा वडकीवकल गुलरिकीचकल पीपलिकीचकल यांकोने चांकेउपरि लेप करैतीनेत्रच्याच्याहोय १४ अथवा चरछा लांकीराषलगायबोंजींसूंमसूरिकाआड होय १५ येसर्वजनन भावप्रकासमैलिप्या प्रथमसूरिकाको भेदसीनलाती कोस्वरूपलिष्यते प्रथमजुरहोय विषम विषमकाई कदेथोडी होय कदेघणी होय कदेशीतलागे कदेगरम होयतीको भीनेमन हाँ पाछेमसूरिकाच्चाकार फुलस्यांनीसरे वेचडीहोजाय जुरकेती नदिन ३ पानीसरिबोकरे दिन ७ ताईतो ईपाछेदले सीन लाकहिजे वासीतठा ७ प्रकारकी श्रथसीतलाकाजत नलिष्यते श्रारणांठाणांकीराष नीचैविद्याइजै सीतापकी होयत १ अथवा नबकाउली सेतीमांषीउडाईजे २ ईकाजु रकेविषैसीतलजलपाईजै ३ सीतलानेंमनोहरसीतलजल में स्थापिजे पवित्रहोयसीतलाको पूजन कीजे ईसीतलामै लीयो सिरोमांस षदिको जतनकीजेनहीं ४ अथवा सीतलजलसूंहलद पावें कोसीतलाकोफोडोनिपटकमहोय ५ अथवा केलिकाज
नोसाताय
नखिलय ससुपेद चंदननैं अथवा अरसाकारससेतीमहुवांने राऊनुरु थवा सहतसेतीमहुवांनेजा पुरष बालकनें सीतला प्रथमपावे ति वेंकेसीतलाकोविकारकोईहोयनहीं ६, अथसीतलावा
7 को पानु
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३॥ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १७ कारण्यालिष्यतेजीघरमैसीतलावालोरहेतापरकेपारोनी बकापानबांधिजै अथवा नंदन अरसोनागरमोथो गिलपैदा प यांकोकाटोदाजैतो सीतलाकीजुरजाय ७ अथवाजपहो मदान नाम्हराभोजन शिवपार्वतीजीकोपूजनहा करार अथसीतलाकेत्रागैसीनलास्तोत्रपदाजै सोस्तोत्रलि. संवाच भगवन्देवदेवेशसीतलायास्तवंशभम् वक्तुमर्ह सिशेपेगाविस्फोटकभयापहम् ईश्वरउवाच'वंदेहंसातला देवीसर्वरोगभयापहम् यामासाद्यनिवर्तेतविस्फोटकभयमहत् २सीतलेसीतले पोनयोज्यादाहपडितः विस्फोटकभयंघोक्षि अंतस्यविनश्यति ३यस्तामुदकमध्येतुत्वासंपूज्यतेनरः पि स्फोटकभयंघोरंकुलेतस्यनजायने सीतलेतनुजानोगान् मएपहरसुडस्तरान् विस्फोटकविशाानांत्वमेकामृतवर्षिणी ५गलगंग्यहारोगान्येचान्येदारुणानाम् तदनुध्यानमात्रे पसीनयोतिसंक्षयम् ५ नमनीषकिंचित्पापरोगस्यवि यतेलमेकासीतलेवासिनान्यांन्पश्यामिदेवताम्७ मृणालतं तुसशांनाभिरुन्मध्यसंस्थितांयलादिचिंत्यदेवेशितस्यमृत्य नजायतेन्योतव्यंपठितंयंवैनरेभक्तिसमन्वितै उपसर्गविना शायपरंवस्ययनमहत् ९शीतलाष्टकमेतंचनदेयंयस्यकस्य चित् किंतुतस्मैप्रदातव्यंभक्तिवान्वित्तस्यच. निसंदपु राऐशीतलाष्टकसंपूर्णम् अथसीतलाकाओरभेदसि वायफ उपजीसीकोट्यांकहिजेकोहूंकीसीप्राकृतिहोय वाकफकीभीहोय में मैंअंगअंगविषेगरमीहोयछे सरीरसारो दरदरायोजायगामातदिन अथवा दिनमें प्रोषदिविना ।
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३७२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग माछी होय इनेलोकिक मैंबोदरी कहे है ईमँगरमघणी होय स शरमेंभोरीकहैंठें अरसरीरमै सरस्यूंच्याकार पीलीपुरास्यांहोय येसर्वबालकांकैहोयछै येसर्वशीतलाकाभेदछै इतिमसूरि कानामसीतला बोदरी भोरी यांकीउत्पत्तिलक्षणजतन संपूर्णम् इतिश्रीमहाराजाधिराजमहाराज्यराजराजेंद्र
श्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरचिते अमृतसागरनामग्रंथे सीतपित्त उदर्दकोट उत्कोट अम्लपित्त विसर्प खायुकना मवालो विस्फोटक फिरंगवाय मसूरिकानाम सीतला चोदरी भोरीयांसर्वरोगांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षणज तननिरूपणनामसप्तदशस्तरंग समाप्तः १७ अथकद रोगांकी उत्पत्तिलक्षणजतनलिष्यते श्रयमजगल्लि कानामपुरणसीतीकोलक्षणलिष्यते कुणसीची कणी होय सरीरकावसिरीसीहोय जीमेंपीडनहींहोय श्रमूंगम माराहोय याकफवायसूंउपजेछै १ प्रथयवप्रक्षाफ़णसी कोलक्षणलिष्यते यवकेयाकार होय करडीहोय गंठीलीहोय मांसमेरेहता होय याकफपायसं उपजे २ अथांचालजी कुणसी कोलक्षएलि० वाकुएासीभारीहोय सूधीहोय उंचीहोय मंडलनैंसीयांहोय राधिजां मेंथोडी होय याकफवायसूंउपजैडे ३ अथवितानामफुएासीकोलक्षणलि० फाटामूंदा की जांगे घणोंदाहहोय पक्यागूलरिकाफलसिरीसीहोय मंडलनेंलीयाहो य ४ अथकच्छपि काफुरासीकोलसालि० पांचतथाउह गांठहोयवेभयंकरहोय कालियासिरीसीउंचीहोय याकफवाय, संउपजे " अथवमी कणसीकोल क्षणलि• कांधी में होय
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३७३ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १५ काषमैहोय हाथ होय पगमैहोय गलामेंहोय यांस्थानामेंकी कैयाकारजोगांडिहोय ऊपथ्यकाकश्चिावालाकै पाडैवागांटिव धेतीकाअनेकमुषहोय यांमुषांमैराधिनीसरेअरपामैपीडहोय अरवारंचीहोय अरवाधिसर्परोगकीसीनाईफेलिजाय ईकोज तनछैनहीं अथइनामफरासीकोलक्षासिष्यते कमलकेविचेवेंकर्णिकामैकमलगटारहेछै नाकारतान स्यांहोयचोफेर धावायपित्त ठीछे तीनैंसरनामफासी कहिजै ७ अथगर्दभिकाफणसातीकोलक्षगलिष्यते मंडलकैयाकारगोलहोय अरउंजीहोयअरलालहोय अरवें मेंपीडहोययावायपित्त उपजी ईनेगर्दभिकाफुगसीफहि जैस् अथपाषाएगर्दभरासीनीकोलक्षएलिष्यते यादाटीकासंधिमैहोयसोजानेंलीयां वास्थिरहोय ईमैंपीडमंद होय अरयाचीकाहोय ईनपाषाएगर्दभफुरासीकहिजे ९ अथपुनसिकाफुपसीनीकोलक्षएतिः कानफैक्वेिहो य मैंपीडपणीहोय परवास्थिरहोययावायकफसंउपजी डै ईनैपनसिकाकहिजे १० अथजालगर्दभरासीतीको लक्षगलिष्यतेजोसोजोपहलीथाडोहोयरोधिसर्पकी सीनाईफेलिजाय अरोपकैनहींबरोदाहजुरनैफरेछे योपित्त उपजैछै तीनेजालगर्दमफुसीकहिजे" अथ इरवेल्लिकाफुरासीनीकोलक्षगलि जोमस्तकमैंगोला एसीहोय अरजीमेपाडगीहोयजुरनैलीयां यासन्निपातसू. होय? ईनरपेल्लिकाहिजेर अथकाषोलाईकोजतन लक्षरालि मुजाकाएकदेशमैं अथवा पसवाडाकएकदेश में
होय नाकाफएसयास्थिरहा
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३७४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथवा कांधाकायेकदेशमै कालोफोडोहोय पीडानेलीयां वापि त्तकाकोपसंहोयछे ईनकाषोलाईकहे परकेईपाछशाकादो बसूंकाषमें फोडोहोयतीने काषोलाईकहिजे १३ अथअग्निरो हिली फुरासीत कोलक्षएालि० काषकाएकदेशमैं मांस वि दीर्णकरि वाचाला फोडाभयंकर होय परवांफोडांमेंदाहजुरभी होय अरमानुवांफोडामैच्यंगारभरिदीया ईनेमिरोहिणीक हिजै यासन्निपातसंउपजीले यामसाध्यले १४ अथचिप्यना मफुणसीतांकोलक्षगलि वायपित्तहै सोनषकामांसमैंर हकरिकें दाहनेंचरपाकनेंकरेछै नदिईनिप्यनामफुरासीनें पैदा करेछें १५ अथकुनषरोगनपजीकाजातारत्याहोयतीको लक्षणलि० वायपित्तकफयेथोडाको पकोंप्राप्तहोय नदिपुर षकैकुनषरोगनेंकरे १६ अथमनुशयीकुणसी कोलक्षा लिष्यते वाफुरासीगंभीरहोय जीकोमारंभपल्प होय सरीरका वर्णसिरीसीहोय पगमें उपरिहोय माहींजी को कोपहोय पेजी में लक्षणहोय तीअनुशयी कुणसीकहिजे १७ अथविदारि काकुणसीकोल क्षएालि• वाकुणसीविदारीकंदसिरासीगी लहोय काषकीसंधिमें अथवा जांघकी संधिमैं होय रसन्नि पातसूंउपजीहोय तीनैविदारिकाएासी कहिजे १८ अथश र्करानामपुरासीतीकोलारालि• कफमेदवाययेहैसोमा सनसांनें प्राप्तहोय गांरिने सहतसिरीसी अथवा घृतसि रीसी अथवा बसासिरीसीनेंपैदाकरैके सोवागांरिवधाथकीमै लालोहानेंचलावेछे परसरीरकामांस सुकायदेछे तीने शर्क राङ्कुणसीकहिजे १९ अथशर्करार्बुद फुणसीकोलक्षण
लिप्यते
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३७५ अगृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १० पाइष्टगांरिहोय तीमैंचेपपगनासरैनानापर्णकोपरयांकान सांलोहोनेयगोश्रववोहीकरे तीनशर्कराचुदकाहजै२० अथच्या कालसएलिप्यतेजांकापगघालूषाहोय अरफिरवोकरै तांकापगथलीमैचायहेसोव्याउनैकरेछे २१ अथकदरफा सीकोलक्षगलिष्यते पगमें अथवा हाथमेकांकरीउभीहोय अथवा कांटोचुभ्योहोय नीकारकबोरकासीगांरिहोयजाय नानीनेदरकाहिजे २२ अथषारचाकोलक्षालि दुष्टका दाकास्पर्शकरियांथकापगकियांगलीकैनांचेषाजियावेअरड ठेदाहहोयावै परपीडाहोयतीनेंपारयोकहिजै २२ अथइंद्र लुप्तनामलौकिकमैदरीलागीकहतींकोलक्षालि. रोमरोममेंरहतोजोपित्तसोवायकारकसहितवध्योथकोपालां मैंरिकरे पाठेलोहिसहितकफहेसोकेसापजाचा रोकि देईनेलप्त अथवानांयलोकहिजे २४ अथअरुषिकायोभीरहींकोभेछैतीकोलक्षणालि साकीभूमिमैषानि पणीचालै अरवाभूमिलूषीपडिजाय कफवायकाकोपकारकै ईनेदारणककहिजे कफरलोहीगस्तगकोपप्राप्तिहोय त दिमनुष्याकैअर्कोषिकानेंप्रगटकरें२५ अथजोवनमय स्थामैसुपेदवालहोयतीकोलक्षालि.कोथति अथवा सोचसेति सरीरकीगरमीहेसोसिरमेंजाय तदिपित्तहेसोकेशा नेसुपेदकारदे२५ अथल्हसराकोलक्षणलिष्यते कालो रचाकपोहोय अरमैपाउनहीं होय मोफलोही उपजैछे अरयासरीरकीसाथिहीउपजेरो ईनै ल्हसपाकहिजे२७ अ थमस्साकोलक्षरालिष्यते केपीउनहींहोय कालोहोय
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३७६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सरीरसूंउडदसिरीसोउंचोहोय योवायसंहोय इनेंमस्साकहिजे २८ अथतिलकोलक्षगलि• कालाहोय तिलकेउनमानहो य पीडज्यांमेंनहींहोय देहबराबरीहोय येवायपित्तकफफा धिक्यसूंहोय अरघणांहोय यांनैतिलकंहिजे २९ श्रथन्य उकोलक्षणलिष्यते वडोहोयडे अथवा छोटोहोय कालोहो य अथवा सुपेदहोय गोलहोय पीडनहींहोय तीनेंन्यखकहीजे २० अथलिंगवर्त्तिकाकोलक्षगलि• लिंगेंडीकामसलिया थकी अथवा नेपाड्यांध की अथवा उंठेचोटलागिवाथकी लिं गेंडी केंविषैवाय हे सोविचरतोथको लिंगेंडी की चामडीनेंउथलीमरसुपारी कैनांचे एकगांडिनेंकरिदै लंबीषाडानेंलीयां बा वायसूंउपजे ईनौंलंग वर्त्तिकानामरोग का हजे ३१ प्रथम वाटिकारोगको लक्षणलि• स्त्रीकीजोनिकोसूंठोनिपट सांकडोहोय तांस्त्रीकनेंपुरषहे सोहर्षथकोसंगकरि वानेंजा य अथवा व्यापकासरीरकाबलसूं तदिवेंपुरुषकीलिंगेंडीकी चामडीउतरिजायतीनेअवपाटिकानामरोगकहिजे २२ अथ निरुद्धप्रकाशरोगकोल क्षगलि• लिंगेंडीमेंवायच्यायध से दिसुपारीका चामडीमै रहकरिसुपारीनेंचा मडीसूंटकी भर संतकामारगनेंरोकदे रऊंडे ही वायमिलिपीडनेंकरे नदिई निरुद्धप्रकासनामरोग काहिजे ३३ अथमणीनामरोगको लक्षणलिष्यते निरुद्धप्रकाश रोगनें हुवांपासूंतकी धारवि नापीडमिहींचाले अरबैंकाश्रोत को मूंटी चौडोहोयजायत मणीनामरोगकहिजे ३४ अथसन्निरुद्धगुदरोगको लक्षण लि० मलकीचाधाकाचे गनैरोकैजापुरती केवायसागुदाका
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३७७ अमृतसागर तथा मतापसागर तरंग १० वडामार्ग छोटोमार्गकरिदे तदिडोटामार्गकाप्रभावसंवेंकैमेल रूपाविष्टाहेसोपडाकष्ट उतरे इनैसन्निरुद्दण्दरोगकहीजेयो भयंकरछै ३५ अथवषाकडरोगकोलक्षरालि जोपुरष स्नाननहीं करैतोहोय तीकापोतालाजी पसेपायषुजा लपणीचाले नदिउठेषुजालिया फोडाहोयाचे पाडेगांफोडां मैराथरहे तदिउठेकफअरलोहीकाकोपसूउपज्योवृषाकछूरो गकहिजै ३६ अथगुदरोगभ्रंशकोलक्षएलिमोडानिबाही अरअतीसारयांदोन्याहीसंपुरषषीणपडिजाय अरकोस रीरलूषोपडिजाय अरोडर्बलहोजाय नदिवेंपुरषकीगुदा वारेनासरित्रावे नदिईकांचिकहीजे ३७ अथसूकरदंष्टक रोगकोलक्षालिजाकीत्वचापकाजाय अपोडपसोहो य अरउठेदाहलागिजाय अरलालजागाहोय. अरऊंठेषुजाल घणीचाले अरजुरहोयाईनभूफरदंष्ट्रकरोगकाहिजे ३८ अथक्षदरोगांकाजतनलिप्यते अजगहिकाने आदिलेर जोगस्पांछे त्यांकोजोकांकरिलोहिकाटिनांषणों अथवा पक्याजोवरात्यांकाजोजतनपाछेलिष्याछेसोकरिजेत्यांकरिये रोगाच्याहोयर अथवा फिटकडीसोंफकोषार यांनैसीतल जलसूमिहींपांटियांकोलेपकरेतो अजगलिकानेआदिलेर जोसारफास्यांग्राडीहोय अथवा मैरासिल देवदारुत उयांनपाणीसूमिहींपाटियांकोईकैलेपकरें पायेपकिजाय तदियांकेसस्त्रचीरोदे यांकाराधिकादि पाछेवैमल्लिमाकी छै त्यांकरियोनाडीहोय४ अथवासहिजगोंदेवदारु यानेजलसंचाटि पाछेलेपकरेतौ विदारिकाफशरीपालीहोय५
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द
३७८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथइरिवेल्लिकाकुणसीको जतनलिष्यते पित्तकाचिसर्प कोजतन्डै सोईकोज तनछै अथपनसिकाएणसीकोजत नलिष्यते प्रथमनीबकापान बांधे ईपकावै पाउँमै एसिलक ठहलदतिस यांनैमिहींवांटि योको लेपकरे यांनेयकाचे पाची रोदे कीराधिका पाछेमल्हिम लगावै तोपनसिकाच्याछीहोय ७. अथपाषाणगर्दभफुए सीजतनलिष्यते प्रथमजोका लोहीकटावणों अथवा उन्हालेप करिईनेपकाचे पाढेत्रणका जननसं ईकाजतनकरें अथवल्मीकएणसीकोजनन लिष्यते ईनेपकायईकैचीरोदीजे पाछेला चित्रक यांकोलेपक रै पाछेईकीराधिकाटिनांषे पाछैत्र्यर्बुदरोगकाजतनकरिईनेंभ रिजै ९ अथवा जोकनैयादिलेर ईकोलोही कढाजे १० अथवा कुलत्थकीजड गिलवे लूण फिरमालाकीजड दांसूली निसोत यांनेपाली संमिहींवांटि पाछेगरम करिईमैक्यंधृतमिलाय ई कोलेपकरेती यापकिजाय पाढेचीरोदेईकोमुरदार मांसकावि नां पाकापाछ्याहोवाकी महिमासूयायाीहोय ११ अथवा मैणसिल इलायची अगर रक्तचंदन कुठ चंबेलीकापांन भिलावा छाडिनीबकायांन यांमैतेलपकाचे पाईनेलनेईकेल गावेतौ वीकएणसीसोजा संयुक्तमाली होय १२ इतिमनः सि लातैलम् अथकाषोलाई पराग्निरोहिणी यांदोन्यां का जतनलिष्यते प्रथमजलौकासूयांकोरुद्धिर कदाजे अथवा पि त्तकोविसर्पकोजतनसोईकोजतन १३ अथवा देवदारु मेरा सिल कूठ यांनेबराबरिले यांनें जलसूमिहीनांटिक्यूंगरमकरिर्दे कोलेपकरै अथवा ईकाक्यूंयेकसहायतागरम काषोलाईकै पीडा
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३७९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ૧ बांधेतौ काषोलाई पाछीहोय १४ अथप्रवपाटिकाकोजतन लिष्यते चाकणीवस्तसूं सधैं सर्वैकहावतौ सेककरैतीच्या पाटि कामाठी होय १५ अथनिरुद्धप्रक सककोजननलि० चूकाका रससमैतेलनेंपकायवेंतेलकोसेककरै अथवा भूरका धृत कोसे ककरैनौनिरुद्धप्रक संकपाख्योहोय १५ श्रथसंनिरुद्धगुदको जननलिष्यते सुहावनोगरमतेलकोसेककरे अथवा वायनेंद्र रिकरिवाला तेलत्यांको सेककरैतौसन्निरुडूगुदरोगजाय १७ अथवषणकछरोगकोजननलि• राल कूठ सांधोलूण सर स्यूं यानेंजलं मिहीं वांटि ईको टोकरे तोषणकडूरोग माल्यौ होय १८ अथगुदभ्रंसकांचिरोगकोजतनलिष्यते गऊकावृत्तनैत्र्यादिलेरचीकरणाद्रव्य सांसूं सुहाती सेककरे तो गुदभ्रंसजाय १९ अथवा कमलनीकाकोमलपान यानेसुकाय तीममिश्री मिलायटंक २॥ रोजानांषायतोकांचीनी कलती रहें २० अथवा ऊंदराकामांसको घृतती को कांचिके लेपकरैलाकांचिनीकलती है २१ अथवा डांसयां चित्रक लूटाष्यो वीलकीगिरि पाट जवषार येबराबारले ती कोमिहींचूर्णकरिटंक २॥ गऊंकीछा छिसूंरोजीनालेतोरभ्रंसनाम कांचिकोरोगजाय २२ अथवा मू साकोमांस वरदसमूल यांमें पाणी घालियां कोकाथकरे पाछे काथमेंतेलपकायले पाछे नेलकोमर्दन करैतो गुदभ्रंसकांचि कोरोगजाय गुदसूलजाय अरभगंदरये रोगजाय २३ इतिभूष कतैलम् अथवा उकछू ट्रीकोतेल मूषकतेलकीसीनाई करिता कालेप सूंगुदभ्रंसकोरोगजाय २४ अथवा ममालूली कोरस बोरकीजडकोरस दही छाछि ईमेंसूंठ अरजनवारघृत
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३९० अमृतसागर तथापतापसागर तरंग १९ नापि ईमेपकावें पाई घृत टंक ५रोजानाषायती गुदर्भसकोरोग जाय २५ इतिचांगेरीवृतम् अथभूकरदंष्ट्रोगकाजतन लिष्यते जलभांगराकाजड हलद यांनमिहींपारिजलसंजैजै ठेसरकाट्योहोयतकालेपकरेतोभूरकीहाटकोविषयाज्यो होय २५ अशअलसनामषारवानीकोजतनलिष्यते पटो ल मेसिल नींबू गोरोचन कालीमिरचितिल फट्यालीफोर स कांजीयांमैकडयौतेलपत्राचे पाछेपारवांको के मर्दनकरै तोपारधाअाब्याहोय २७ अथवा कणगचकाबीज हलदही राकसीस महुवो गोरोचन हरताल येबरायश्लेि यांनसहनसू मिहींपारिईकोलेपकरेतोषारवायाख्याहोय २८ अथव्याफ कोजतनलिष्यते गरमगरमतेलसुहावनी ईकोसेककरैतीच्या उाछीहोय २९ अथवा मोमजवषार घृतमिलायगरम गरमव्याऊमेंभरेतीच्याउमाछाहोय ३० अथवा राल सांधोलू रासहतप्तयांसारांनेकड्यानेलमैमथै पाछेयांनच्याउमेंभरे तोव्याजाछीहोय १ अथवा सहनमोमगेरुपृतगुडगूगल राल यांनमिहींपारिमिलाय यांकोएकजीवकरियामैभरतोव्या ज्याछाहोय २ अथवा धतूराकाबीज जवषार यांमैकड़वाने लमेंपकाय ईनलकोमर्दनकरतो याउमाछाहोय ३३ अथ . कदरकोजतनलिष्यतेजीकापगमैकांटोकांकरीचुभीहो यतदिवेंकैयारपडिजाय नदिवेंधाटगतातातेल से के अथवा प्राककोइधगुडमिलाय गांधेतोकदरकोरोगजाय ३४ अथतिलकाजतनलिष्यते सरस्यू साजाहलद केसरि यांनमिहाबाटि जलसं उचरगोकरें पहलीगुराउगेरै बानेर
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३१ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग १० गडउपटगोकरैतोसरीरकातिलजाय ३५ अथमस्साकाजतनलिष्यतेसाजीचूनोसाबराजलमैवांटिमस्साकै लगावेतोम साइरिहोय ३५ अथजनुमणिनामल्हसरातीकोजतनलि. हसरानेपाछपा रगडे उपरिसरस्यूंहलद कूटसाजीजवषार केसरि यांनपाणीसूमिहींपासियांकोउपटगोकरैतोलहसाजा य ३७ अथचेप्यानामरोगकोजतनलिष्यते ईरोगविषेज लोकांनेादिलेरत्यां रुधिरकटावरों अथवा सुपारीकीराष पीलीकोडीकाराषकाथोकपेलो मुरदासियोनीलोथूथो यांफोम रकोकारिलगावेतोचेप्योजाय३८ अथवा लोहा कापात्रमैहरडे मैंहलदकारस रगडैपाछैईनेंगरमकरिलगावेतोचेप्योजाय ३९ अथकुनषरोगकोजतनलिप्यतेसारमासोसहतसं रोजीनांषाय अथवा कुरकीकोसाधनकरैतौ कनषरोगजाय ४० प्रथमस्सातिललसण्यांकोइसरोजतनलिष्यते हांगलू सेक्यो नीलोथूथोयोन्यूपईसाएकभरिले सिंडरटेका रालटंक ७ यांसारांनँउ घटकाभस्या गउकाघृतमेकांसीकीया लीमेंलोहकादंडसं अथवा तांबकाघोंटासुंदिन रगडे नदियो काजलसरिसोहोजाय तदिईकोलेपकरैतो मस्सा लसरा पा रवा फोडा षुजालियेसर्वजाय ४१ अथवा कालीजी टंका मोसादरटंक ५सीपकोचूटिंक नीलोथूथोटकारायांसारां मॉमहांपीसियाकै अरणीकारसकीपुट ३दें पाछैजलभांगराका रसकापुट दे पानावरेसुकावे पाछेवाडीकानूनसूईकी गोलीबांधे पाछेवाङडीकामूत इहींगोलीनैपसिअरमस्सा कैलसकेलगातौ तिल मस्सा लसरा येसाराजाय ४२ अ
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ थषुजालिकोजननलिष्यते लोहकापानमैलाहकाघोटासूं श्र वला सार गंधक पारो नीलोथुथो येतीन्यूयेकएकभागवधताले सां नैंगऊकाघृतमेंरगडै पाछेयांकाले पकरैतोषुजालिङ्गरिहोय ४३ श्रथजोवनावस्था में सुपेदबाल होयतीको जननलि लोहचूरटंक २॥भ्यांवकीगुंडलीटंक २॥ यांवला २ वडीदोयहर डैकोचूर बहोडो' यांसारानेंमिहींवांटि लोहकापात्र में भांगराकारस सूंदिन २ भिजोयराषे पाछेसुपेदकेसांकैलेप करे तोस्यांमहोय ४४ अथवा केतकीकीजड अथवा केवडाकीजड सहजणांका फूल कुंभेरकीजड लोहचूर जलभांगरो त्रिफला यांसारांनैनेल में पकाय पाछैलो हकापात्रमैंयालि पाछे पृथ्वीमैं महीनों गामिरा षै पाछैईतेल सुपेदबालांके लगावेतोबालकालाहोय ४५ अथ वा त्रिफला नीबकापांन लोहचूर जलभांगराकोरस गामीको मूतयां मिहींवारि सुपेदबालाकै लगावेतो बालस्यामहोय ४६, अथवा पापडषार मासो। सींदूरमासो। मुरदासिंघमासो १ बाबाकोचूनोमासा - यांनैसिलाऊ परिपाली संघडी ३ निपटरगडे ईकोरंगकालोनषऊपरित्र्यावैतदि सुपेदकेसां के लगावतोकेसका लाहोय ४७ अथवा मांजूफललेनवामोटा यांनभोभाल में से किले वेंफाटेजठातांईयांने बलवादेनहीं ईसीचतुराईंसेके पा डैमांजूफलतले सिंघरासिमासोले नीलोयूथोरती ४ ले नौ सादररनी ३ ले लवंग २ फिटकडीरती २ लोहचूरमासोश्यांसारांन आंवलारसकायाएणीमैलोहकाकडछला में लोहकाघोदासूपहर १रगडै पाछैवेंकोरंगनवऊपरावे तदिसुपेदके सांवलाका पाणीसुधी केसांऊपरियांकोजामोलेपकरै लेपऊपरिपरंडका
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३८२ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १४ पानबांथै पहरा राषे पाछैयांवलाकापाणी थोयनांतोकेसका लाहोय४८ अथवा पावाकोनो अथवा अरहरणकाराष अथ वाकौड्यांकाराय तीनैसीसासूरगडे ईमैंयंगोपीचंदननां मुरदा सिंघमासोनांषे पाडैरगडेअरनषकैकालोरंगावै नदिईको सांकेलेपकरे उपरअरंडकापांनवांधेतोकेसकालाहोय ४९ अ थउंदरालागीहोयतीकोजतनलिष्यते पटोलकापानांका रसमेंकुटकानेवादि ईकोलेपकरेती वालगयाहोयजठेपाल उगियावे ५. अथवा हाथीदांतकाराषबकरीकाधमैमिला यलगायैतौ बालगियावे ५१ अथवा कमलकीजंडदाषनेत घृतधयांसारांनेवांटिलेपकरेनौ बालगिमा ५२ अथवा चंचेतीकापान कागचकीजड कनीरकीजड चित्रक यांमैतेल पकाचे पाछेईनेलकोमर्दनकरैतौबालगिमात्रै ५३ अथचां यकोजतनलिष्यते चिरंजीकरछलामेबालिसजीवतीसी पाछेवेनैवांटिलपकरेतो चांयकोरोगजाय ५४ येसर्वजतन मावप्रकासमैछै इतिशुद्रोगांकीउत्पत्तिलक्षगजनन संपूर्णम् अथसिरनाममस्तगरोगकीउत्पत्तिलक्षराज तनलिष्यने मस्तगकारोगग्या ११ वायको पित्तकोरकफको .
सन्निपातको ४ लाहीको ५क्षीणपणांको कृमिको७सूर्या वर्त्त- अनंतवात ९संयनामकनफटीइषबाको १० अर्शयों दक" येईग्यारामकारकामस्तगकारोगछ सोमुष्यतोदष्ट भो जनमहोयछै१ अथवायकासिरोरोगकोलक्षालिष्यते जीकामस्तगधिनाकारणाहीयगीहोय पररात्रिनिपरपणी होय अरोषरिकालेपकस्यांसककस्यांमारामहोय नदिजा
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१८
३८४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जाएिजेवायकी पीडा । अथपित्तकासीरोरोगको लक्षण लि• जीकोमाथोन्यग्निसिरीसोबोले श्ररसिरकाटूकहुवराजाय अरजीका नेत्रपीडहोय घणीफूटवासिरीसी अरसीतपणांकरिरात्रि में विशेषहोय तदिजाणिजेपित्तकीपीडाछे २ अथकफकासिरो रोगको लक्षणलिप्यते जाकोमस्तगकफसूंंलिप्योथकोहोय अ रभास्यौहोय अरठंदोहोय भरम्रांष्यांकैनांसिकाकैमूंदाकेजीके सोई होय परजीको शिर बले येलक्षण हो यतदिजाणिजे कफकी पीडा ३ अथसन्निपातका सिरोरोगको लक्षणलिष्यते येपाछेकस्यासौसागलक्षणजीकैहाय तदिजाणिजेसन्निपात कीपीडाडे ४ अथलोहीका सिरोरोगको लक्षणलि जीमपि त्तकालक्षरासारामिले मरहाथको स्पर्शमस्तगकेस नहीं नदि जाणिजेरक्तकापीडाढे ५ प्रथषीणपणांसूंउपज्योजोसीरो रोगत कोलक्षएालि० सरीरकोबलजातोरहै नदिमस्तगरी तोप डिजाय तदिसिर बलै अरमस्तगमैंघणीपाडा होय तदिजा विजेषीणपणांकी पीडा ६ अथकमिपणांसूंउपज्योजो सिरोरोगती कोलक्षणलि जीकोसिरघली चाडाकुंप्राप्तिहो अरणोंपुरके अरजीकानांकमैकरिलोहाच्चरराधिघणांनी सरै रवेंकोसिरनिपटघणोबलै लक्षणजीमहोय तदिमि कीपीडाजाणिजे ७ अथसूर्यावर्त्तरोगकोलक्षएाठिष्यते सूर्यकाउदे होते ही सिरके विषैमंदमंदपीडाहोय अरज्यूज्यूदिनच पीडावधे दोयपहरांतांई राष्यास भवारांमैपीडाघ होय मरदोयपहरांपीछे पीडामंदहोतीजाय ईनेंसूर्यावर्त्त कहिये ९ प्रथत्र्यनंतवान सिरोरोगकोलक्ष एलि० वायपित्त
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३८५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग कफयतीन्यूंदोषदुशहवाथकाकांधाकेरिपेयपीपीराकरे अरनेत्रा कैविषेभवांराकरिषेकनपट्यांकेविषैनिपटयणीपीडाकरे मादी नहॉलषादेनहीं परकपोलकेविषेकापणीकरे अरनेत्रविकार करे अरसिरकेविषैपीडायणीकरैईनें अनंत चातकहिजे १० थसंषनामकनपटीडूषेतीकोलक्षालि पित्तवरलोहाग रवाययेदुष्टहुवाथकाकनपरीमैपीडघणीकरै अरकमपटीने लाल करिदै अरशरीरमेंदाहकरे सिरकाटककरे गलानेरोकिदे ईसंषनामसिरकोरोगकहिजे ईरोगवालोदीनतिनजाये १० अथवभेदकशिरोरोगकोलक्षरालिष्यते लषीयस्तकापावासू भोजनउपरिभोजनकरियासं पूर्वकापनसूं घणा मेथुनकरिया मलमूत्रकारोकिवासू षेदकाकरिवासू यांतूंचा पकुपित्तयोकफनेंग्रहराकरे पाछेप्रोवायकांधानेंभवाराने त्र रकनपट्या. कानाने नेत्रांने ललाट.यांसारांहीनेआधाआधा मैंग्रेसीपीडाकरे मानूंसंरकी यचकीलागीछे ईनै अर्थवभेदक हिजै अरयापीठानेवां मैं कानांमैं पपीवीथकीमनुष्यनेमाश्निां
अथवायकासिरोरोगकोजतनलियायकातेल अथ बालोहीतेल सांकोमर्दनकरेअरवायडूरिकरिवावालावलाने बायतो वायकोसिरोरोगजाय अथवा सासकुगररसकीनां सलेतौनानापकारकीसिरकीपीराजाय३ अथवा उडदांकाचूनने जलमैत्रोसणीवेंकीरोरीकरैरोटीनेंपहर१सिरकैवांथेनोसि रकीपीडाडूरिहोय ४ अथसिरोवस्तिलिष्यते सिरके ऊपरिउर रांकाचूनकापाणीयोसहिगवांटिकरे यांगुल१५का अथवा गुल- की तानेंगरमतेउरांपूर्णकरिओनेलपहर अथवा घड़ी
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२८१ अस्तसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० माथांउपानिचलरिराषैती यायकासिरकारोगाने डाटांकाकांचा काकांनका माथांका यांसारारोगा. योशिरोवस्तिडूरिकरेछै ईनोद नपांचसातसेवनकरैती५ इतिसिरोवस्ति अथपित्तका सिरोशेगकोजतनलिष्यते चंदन कमलगट्टा यांनैसीतलज लसंपाहिलेपकरेतो पित्तकीमथवायजाय अथवा सो०० वा रकोधोयोनतींकोलेपकरेती पित्तकीमथवायजाय ७ अथवा स्वासकुगररसकपूर केसरि मिश्रीचंदन यांनेबकरीकाडूधवारि यांकोलेपकरैतोपित्तंकीमथवायजाय अथवा हि अरण्ड यांदोन्यू पाणी मैंचाटि यांकानांसलेतो सर्वप्रकार कीमथवायजा य९ अथलोहाकीमथवायकोजतनलि पित्तकामथवाय काअरईकाजनंनएकछे ईमेलोहाछुमावोविशेषडै १० अथ कफकामथवायकोजतनलिईमथचायमैलंघनकरपोजो ग्यछ अथवा कफहारीऔषयांत्यांनैवांटि त्यांकोगरमलेपकरे तो यामथवायजाय ११ अरसंनिपातकीमथवाय संनिपातनेंडू रिकरे यांनीषयांकोलेपकरै अथवा बांगोषयांनषायतो याम थवायजाय१२ अथषबिंदतैललिष्यते अरंडकाजरतगर सौंफ जीवंतासांधोलूपा रामाजलभांगरो वायविडंग महलोग सूरि तिलांकोनेल यांगोषयां अठगुगोले तेलसंचौगुणोले जलभांगराकोरसले तेल चोगुणोहाबकरीकोइधले पाछेयां सारानेयेकगकार मधुरामांचढूंकडाहीमेपकावै येसर्वदलिजा य तेलमात्रायरहै नदिईतेलकीनांकमैंबूंदछउकानांसलेतो सिरकाधिकारसाराजाय पररातांकारोग नेत्रांकारोगसाराजाय ६. इतिषबिंडुतम् अथषीणपणांमुहुनोजोमय
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२७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ पायताको तानेषीणपणानेंदूरिकरेइसाजतनकषायामथा यजाय१४ अथकृमी उपजीजोमथवायतीकोजतनलि. सूरि मिरचि पीपलि किरमालाकाजड सहजणांकाबीज येवरान रिले यांमैंपकरीकाट्तमैमिहींपारियांकीनांसलतो माथाकीक मिजाय अरमथवायाछीहोय१५-अथसूर्यावर्त्तनामा धासीसीनीकोजतनलि. दूधभरघृतयानमिलाययांकानांस लेतीग्राधासीसीजाय अथवा गुडकाघृतकामालपूधाषाय अथवा पीरषाय अथवा तिलांकोसेककरावेतोबाधासीसीजाय १७ अथवाजलभांगराकोरस बकरीकोदूधयेबराबारले त्यांनेता पडा गरमकरैपाछैईकानांसलेतो आधासीसीजाय१४ अथ वा सींगीमोहरो आफू आवकोजड धतूराकीजा सूटिकूठल्ह सरा हींग यानेगोमूतमैमिहींपाटि गरमकरिमायां केलेपकरैतो. श्राधासीसीजाय १९ अथवा ईनेजुलावदीजेतोपाधोमाथोडूष मोरहै २० अथवा गरमबोजनसूं योग्राख्योहोय २१ अथवा या यपिडंग कालातिल येदोन्यूंचारियांकोलेपकरेतीयोआब्योहो य२२ अथवा मिश्रीहथकाचानालेरकोपालीयेसर्व मिलाययांने पीचे अथवा ईकानांसलेनो आधासीसीअराधोमायोडूषयो येदोन्यूआज्याहोय २३ अथअनंतवातसिरोरोगकोजतनः प्राधासीसीकोपरईकोजतनयेकछ अथवा माथांकीनसकी सीरघुमावतोयोआयोहोय अथवा सहतकामालपूाषायतो अंनंतरानसिरकोरोगजाय २४ अथपथ्यादिकफायलिष्यते हरडेकीछालि बहेडा प्रांवला हलद गिलचिरायनो नींबकी डालि गुरु यसबराबरिले यांनजीकूटकरिईकोकायेलेतौभं
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३८ अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग १ वाराषचा कनपटीयूषती नेशंकारोग आधोमायोडूषतोयेरोगजाय अथवा ईकीनांसलेतो २५ इतिपथ्यादिककाथः अथकनफ दोषतीहोयतीकोजननलिष्यते दारुहलद हलद मजी ठ गोरीसर षस कमलगट्टी यांनैजलसंसीतल मिहीवांटिक नपट्यांकैलेपकरैतो कनपटीमाडीहोय २६ अथवा सीतलजल सूसीतलऔषदिकोलेपकरैतीकनपटीयाडीहोय २७ अथवा म हलोटाउडद येदोन्यूंबराबरिले यांकोचीयोहिसोसींगीमोहरोले पाछैयांनैमिहीवांटिईनैसरस्यूंप्रमाणसंपनी सर्वप्रकारका सिर काव्ययाहूरिहोय.२८ अथवा पालोसीपाकोचूनो अरनौसादर यांनैहथेलीमेंमधे ईकीनांसलेतो सर्वप्रकारकासिरकोव्यथाजाय २९ अथवाधासीसीकोनोरजतनलिष्यते मिश्री केसर यांने पृतमैसेकै पाईकीनासलेतो आधासीसी कनपटीहूषवोकांनको भंवाराको नेत्रकोषवो येसारारोगजाय ३० येसर्वजतनभाव प्रकासमैलिष्याचे अथवा सहि मिरचि पीपलि पोहकरमूल हलद रास्मा देवदारु असगंधयांकोकाटोलेतो सर्वप्रकारका माथांकारोगजाय१ अथवा मित्रीअरई आधादाडमकीक लिसांनमिहींपांटिईकीनांसलेतोमाथाकीपीडाजाय३२ अथवा मुचकंदकाफूलाकोलेपकरेतोमथवायजाय ३३ अथवा कूल अरंडकाजड यांनैकांजी गांरियांकोलेपकरेतो मथवायजाय ३४ अथवा देवदारु तगर कूट षस रिनिल यांनैकांजीवां टियोकोलेपकरेतो मथवायजाय ३५ अथवाधासीसीको रजतनलि मिश्रीभरमेंटल यांनेंगोमूत मिहीवारि ईकानां सलेतीआधासीसीनादिलेरसर्वजाय ३६ अथवा मुसाकोसोर
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३८९ अमृतसागरतथाप्रतापसागरतरंग १ वांमोमरपिनाषिभोजनपहलादिन षायतो आधासीसीआदि लेरसर्वरोगजाय ३७ येसर्वजतनवैद्यरहस्यमेछै अथवा चंदन लव मूटि यांनपाणीमेंमिहींपाटि लेपकरैतोमवाय जाय ३७ अथवा वकीछालिकोलेपकरेनो पणीभीमथायजा य ३९अथवा जलभांगराकोरसङ्कटगउकोमाषनयांतीन्यांनंवाद यांकोलेपकरैतोयलीभीमथपायजाय ४० अथवा पीपलि मिर चिोद येवरावरिले यांनेमिहीवांटियाकादिन ३ नांसलेतो था धासीसीउगेरैमथवायजाय ।। अथकपासकाकागकोज ननलिष्यते कडयाककोडाकापांनाकोरसतींकानांसलेतीका पालकाकीडाजाय ४२ अथवा पीपलि गांधोगासरस्यूं श्राफ कामोमीकाबीज यांकोसीतलजल लेपकरैतो मथनायजाय ४३ येजतनवैद्यवहभमैंछै अथमाथाकोकेसवार्थपाकोम तनलिष्यते छडडडीलोकूर कालातिल गौरीसरममलगट्टा यांनसहनपरइधसंमिहींनारियांकोलेपकरेती माथाकाकेस वथै ४४ अथवा चिरम्यांनैमिहींपाटिनीनेजलभांगराकारसमें योचूर्ण अरतिलकोतेलपकाईनेलरलायची उरकूर मि लायई तेलकोमर्दनकरैतोकेसथै ४५ अथवा उर रैटी नौ लसिरीकाछालि गांवला कूर यांनेजलमैमिहींपारियांकोलेषक रैतोकेसवधे ४५ अथमथवायकोनोरजतनाल लम मिरचि हींग यांनीन्यांकूजल गाटि चणाप्रमाएनांसलेतीमथ वायनिश्चैजाय ४७ अथर्धासीसाकाहारहोवाकोसिडम अलिष्यते नमोकालादेवाकिसिफिलेवासीथोभ्यासे हरावं तबारहाकमारे याथासीसीअथरूपालानाशेजाजारेपापणीजा
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३९० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० जारहत्यारी नजायनोनारागुरुनीयाना हनवंतवारनीमाज्ञा गरु उपंषनाशाज्ञा मेराभक्तिगुरुकीशक्ति रोमंत्रोईश्वरोवाच मंत्रलं माथांकैवार १ सनसनैकदेतौई आधासीसीनिश्शेजाय पर ईमंत्रनेहष्णपक्षकी कैदिनशक्तिमाफिकजपिवोकरैतौरहमंत्र सिटिरहै २२ अथहूसरोमंत्र नमोप्राधासीसीहूहूकारी पह रपचारी सुषमुंदिपाटलैमारी अमुकारेसीसरहै सुषमहेश्वरकी आज्ञाफरेटस्वाहा वार २१गंजजै श्राएलीमस्तगउपरिफेरै तो आधासीसीजाय ४९ इतिमस्तगरोगकोउत्पत्तिलक्षण जतनसंपूर्णम् अथनेत्रीकांरोगांकाउत्पत्तिलक्षणजन नलिष्यते प्रथमनेत्रकोमंडछेसोदोयअदाईगांगुलप्रमारराछ अथवा आपकाअंगुगकाउदरप्रमापाछे सोनेत्रमंडलमैचोराव पाचे ९४ रोगछै सारंगधरकामत अरकेईकाचार्याकामतमूं अठतरि ७८ रोगमुष्यछे रष्टिमैंतीचारारोगछे नेत्रमेंदोयर रोगछै औरछे नेत्रकाकालीजागामें रोगछै मेनकासपेदभाग में रोगछे नेत्रकामार्गमै ९रोगछै नेवकीयांफएयानें रोग? नेत्रकासंधिमै९ रोग, सर्वनेत्रमें१७ रोगछै असैमेत्रकेविषे७८ रोगछै येचरषमैलिष्याछे शुश्रुतमें लिष्याछै वायका १.पित्तका१० कफका १३ लोहीका सन्निपानका२५ नेत्रांकैया ३२प्रेसै ७६लिष्याछे अथनेवांकारोगांकीउत्पत्तिलिष्यते नावांनैादिलेरसरीरमैंगरमहुईहोय पाछैनंदीतलाववावरी उगेरेजोजलतीमें पुरुषप्रवेशकरेतीसूअररिकादेषिया दिन कोसोबासू पसेव नेत्रांमैरजपती नेत्रांमैंधूवाजाबासू उर्दि काग्रेकिवा घणावमनकारिपाइं गरमवसकाषावा कांजी
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२९१ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १० कुलत्याउरदयांकापावासू अथोपायमलमून यांकारोकियाकरि रितुकाविपरीतपणांकरि क्लेशकाकरिवाकर घरगामेथुनकाकार वाकार आंसूकारोकियाकरि सूक्ष्मवस्तकादेषिवाकरिईनादिने रजोवस्ततीकाकरिवाकार यांवस्तांसू नेत्रांका ७६रोगपैदाहोयछे अथ प्रथमदृष्टिकारोगलिष्यते दृष्टिकहजेकहानीकोलक्ष ए नेत्रमंडल कविकालीजागांमैमसरकीदालप्रमाण येकमा राम्योछे सोश्रोमागस्यो पांचमहाभूतांसंउपज्योछे अरोधाग्या सरीसोचमकेछै अरोअविनाशीजोतेजतत्सुरुपोसिद्धछे अरओईनेत्रगोलामैचारिपटलकारदेछै परलकहिजैकांकांदाका म्योतसिरासीमिल्लीनांकरियासारीप्राषियाछादितहोयरही छै अरयादृष्टिनिपटसीनलरूपछै ईनैबुद्धिवानदृष्टिकहेडै सो यादृष्टिजलकेयरलोहाकेाधारछै ईदृष्टिके ४पटलछै प्रथमप रलतौतेजअरजलत्यांकोआश्रयछे दूसरोपटलमांसकेश्राश्रय डै तीसरोपटलमेटकेबाश्रयछै तामैनेजजलमांसमदअस्थि यांपांचकेाश्रयछ अथप्रथमपटलमैहजोरोगतीकोलक्षपालिष्यते प्रथमनेत्रकापरलकीदृष्टि मेंजोरोगरहेछ तांपुरषनेकदेकजथार्थसांगोपांगीसेनहीं पहलापटलमैंदोष थोडोरहेछे अथडूसरापटलमैहवाजोरोगताकोलक्षण लिष्यते जीकानेरकाडूसरापटलमैत्रायोजोदोष तीनॆमांषीमां छरकेस यांकासमूहकासमूहदीसेनहीं इरिकानिकरदिशै निक रिकाइरिदीसै हष्टिभ्रमनिरहे अरयगांजनरूभीसुईकोठेदी सैनहीं क्यूंरष्टिहैसोघणीविहलहोजायर अथतीसरापटल मैंहुवाजोदोषताकोलक्षरालि तानेचोदीसे अरनीकोश :
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३९२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ૧ सेनही रुपका समूहभीदीसेनहीं जाणिजैवस्त्रपाडोप्रायगयोछे कोननाकनेत्रयेमरसादीसे दृष्टिदोषघच्यायरत्योहोयतो नीचरलीबस्तउपरदीसे ऊपरलीवस्तनांचेदीसे अरजीकानेत्रका पसवाडामैदोषहोय नानेपसवाडाकी वस्तदीसैनहीं धरनेत्रके च्यारूंओमरहताजोदोषतीनेत्र्याकुलव्याकुलच कचौधोदीसे अ रदृष्टिमध्यरतोजोदोष नीनेंबडाको छोटोदीसे भरदृष्टिमें स्थित जोदोष तपसवाडा का येककादोयदीषे दोयकातीनदी पर घणांझेयत्यांकीगिणतीच्यावेनहीं इसादीयें येल क्षणतीसरापट कादोषकाजाणिजे ३ अथचतुर्थपटल में हुवोजोदोषतींका लक्षणलिप्यते चौथापटलमेंउपज्योदोसतीनैलौकिकमेनिमर कहै अरईनें केईकाचार्य वैद्यकशास्त्र काजाशिवावाला ईचौथा पटलकारोगनलिंगनासकडे लिंगनासकहिजेकहा यां नेत्रांकीतजोमयीजोपूतली सोनीलीकाच सिरीसीहोजाय रई मैंये लक्षणहोय स्पूईपटलमैदोषघणे होयडे सूर्यचंद्रमा न क्षत्र माकाश वीजलियेनिर्मलतेजचे सोभाच्याछ्यादीसेनहीं ये साराही भ्रमता हीदीषे सोईदोषनैतिमिरक हेलै अथवाईनलिं गनासकर्हेर्छे बरलोकीकमैईने निजलोकहे कईकमोतीया विदंकहेजै४ अथओरशास्त्रकामतसूंईलिंगनासच्चर मोतियाबिंदको लक्षणलिष्यते योलिंगनासमोतियाबिंदरो
प्रकारको बायको १ पित्तको २ कफको ३ सन्निपातको ४ लोहीको ५ परिम्लायनको ६ परिम्लायननाम लोहीसूमूर्छितह वोजोपिनीको ५ अथवाय कालिंगनासको लक्षणलि जांकेबायकोलिंगनांस होयतीने संपूर्णवस्वभ्रमतीदी रस
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२९३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग वस्तमस्लीनसीदीषे श्रसर्ववस्तक्यूंये कलालदीसे अरसर्ववस्त टिलनांमवांकीदीर्षे तदिजाणिजेई के चायको लिंगनास १ अथ पित्तकालिंगनासकोलक्षणलिप्यते पित्तकोलिंगनांसर्जीक होय तीनें सूर्य चंद्रमा नक्षत्र व्याग्याइंद्रकोधनुष्य वीजली येसारा भ्रमतादीसे प्रोसर्ववस्तनीलीसीदीषे तदिजाणिजेई के पित्तको लिंगनाशछे २ अथकफकालिंग नाशकोलक्षगलि० जीके कफकोलिंगनाशहोय जीनेजोदी पैसोचीकरणोपरसुपेडी रवेंमनुष्यनेत्रजलसूंभस्याही रहे ३ अथसन्निपातका लिंग नाशकोल क्षणलि• जीकैसन्नियात कोलिंगनाशहोय तीनना नाप्रकारकायाकारदीषे भरहीनत्र्यधिकच्अंगदीषे परसारीवक्त तेजरूपदीषॆ अरपाछै कयासोभीलक्षण होय ४ प्रथलोहीसं उपज्योजोलिंगनाशतीकोलक्षएलि० जीकेलोही कोलिंगना शहोय तीनें लालदीषे परसुपेददीषे हस्याकाला पीला सारीही वस्तीर्षे ५ प्रथपरिम्लायिनसूंउपज्योजोलिंगनाशती कोलक्षणलि० रक्तसूंमूर्च्छिनहुषोजो पित्ततीने परिम्लायिनक हजै ताकरिउपज्योजो लिंगनाशनीनंदसंदिशापीलीदीषै जाणिजे सर्वत्र सूर्यही ऊग्या प्रक्षा उगैरे सर्ववस्तुदग्धहुवात्र्यग्निसिरी साहीदीषें ६ अथलिंगनाशकोऔरस्वरूपलि० वायको लिंगनाशप्ररुणहोयपीलानें लीयां भरनी लाहोय १ अरसो हीपित्तकोहोय २ अकफकोसुपेद होय ३ अरसन्निपातकोषि चित्रहोय ४ अरलोहीकोलालहोय ५ अथवाय दिले र६ प्रकारको लिंगनाशक त्योती कानेच कामं जुदा जुदास्वरूपलि० वायकोनेत्र मंगल अरुण होय । पित्तकोनेत्र
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३९४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ मंडलनीलोहोयकांसोकापर्णशिरीसोहोय अरपीलोहोयर भर कफकोनेत्रमंमलपणोंचीकणोंहोय अरशंषसिरीसोकुंदकाफूल सिरीसोपीलोहोय चंचरहोय नेत्रमंडलमेंसुपेदबूंदहोय ३ अथसन्निपातकानेत्रमंडलकोरक्षपालिईनेत्रमंमल मैंमूंगासरीसो अथवापनकापत्रसिरीसोनेत्रमंमलहोय अरपा छैलक्षाकत्याछेसोमीहोय४ अथलोहीकानेत्रमंडलको लक्षालियोनवममललालहोय५ परिम्सायिननेत्रमं मलकोलक्षएलिजीकासरीरमैपिनष्टहुवोहोयतीपुर पकीदृष्टिपालीहोय अरवेनेसारीवस्तपालाहीपालीदीषे अथ याइपित्ततीसरापटलमेंजाय प्राप्तिहोयतींकास्वरुपलियते
पुरुषोंदिननैदानहीं अरराधिनेंदोषचंद्रमाकासीनलप पोते क्यूंपित्तकोअल्पपशगात्रिमैहोयजीसू अथकफका रिजीकारष्टिविदग्धहईहोयतीकोलसरासिनीकार ष्टिकफकरिषिरधहोयतीनेसर्वसुपेदहीदासै योरोगप्रथमहि तीयपटलमेंहोयछै २ अथरतांधनामरातिवाकोलसरा लि. तीसरापरलमैकफआवेतदिनक्तांथहोयदिनदोषेरात्रि दीपेनहीं लौकिकमैरातिधोकहेछ। अथथूमदर्शिसिरो रोगकोलक्षगलिक शोकसेताजुरसेती दसती सिरमैताप जाप प्राप्तिहोय तदिमनुष्यकाररिसोधूवासेनीव्याप्तहोय नदिईमनुष्यनेसारीवस्त चांसीरसीदी अथहरवजा त्यरोगकोलक्षपालि जोपुरषवमाकष्टसेतीभीपमीवस्तने देष सोवावस्तदिन.छोटीहीदीषे अररात्रिीजथार्थदीषेती मेंइस्वजानिरोगकरिले ३ अथनकुलांघरोगकोलक्षण
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३९५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० लिष्यतेजीपुरषकीरष्टिनोगतरेसंदीषै अरवेंदृष्टिमैदोपत्रा यमाप्तिहोय नदिवे दिनाँचत्रविचिनदोषे ईननकुलांधकाहि जे अथगंभीरकारोगकोलक्षणालि जीपुरषनैमासनेले तांवेंकीरष्टिमांहिवाडिजाय अरनेत्रमैपीडचालिजाय ई-गंभार नामरोगकहिजै अथविनाकारणहीलिंगनाशहायता कोलक्षणति जीकारष्टिनिर्मलडीसोदिनांकारणहीका लाहोयजायनीनेविनाकारलिंगनाशकहिजै इतिहरिगाः अथकालानेत्रमंमलमैहवाजोरोगत्यांकानामा स्यांकिसंष्यालि. येच्यारिरोगईषामंमलमैहोयछे सम्रा शुको अबशुकर अक्षिपाकात्यय३ अजकाजात अथ सबएशककोलक्षालिष्यते नेत्रकीकालिजायगांमैपूत लीउपरीदोषायोहोय परवेंदोधकरिमाणस्योंदकिजायमा रगावूदनेत्रमेंगमिजाय अरमैसुईकासाचभकाचालिजाय रवेमैगरमगरमपाएगीपडियोकरे तीनेसनराशुक्रकहिजै१ अथसबरावककोसाध्यासाध्यलक्षगलिष्यते पाबूंदष्टि कैसमीपहोयनहीअरगादीनहींहोय अरईसूविपरीतलक्षण होय सोअसाध्यजाणिजे अधअबशुक्रकोलक्षणालि. जाकीकालीपूतलीकामागस्याउ परिशुक्रकीबूंदभाईहोय परवा बूंदहालेचा अरपाबूंदसंषसरासी चंद्रमासरीसी हुंदका फलसरासीहोय अथवाआकाससरासीहोय अथवादलास रीसीहोय प्रोअनाशकजाणिजे योनिपटसाध्यछै१ अथश्र प्राशुक्रसाध्यछेपणिईकीयवस्थाभेदकारईकोरर साभारक्षमलिजीकानेनकोमांसदिषरीजाय अग्यार
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३९५ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग १० ओंडाहोय परवानसामेडईहोय अावागादीहोय परवाइसरापट लमैंहोय अरयाएंओरलालहोय अश्याचदीनाकीहोय सोअब पभुक्रसाध्यजाणिजेईकाजननकीजेमहांअथईकोनोरम साथलक्षरगलि.जीकानेत्रमैंयांशुगमप अरनेत्र मेंशस्या होय परमावस्यांऊपरशुक्रकारचूंगसमानहोय अरतीतर कीपांषसरासीहोय अोभीग्रपक्षप्रसाध्यजालिजै अथ क्षिपाकासयनेत्ररोगकोलक्षगलियते जीकानेत्रकासुपे
जगांसारीसूजीजाय अरमांसंपणापडे अरउठेपाडयरगाहो परंोनत्ररेषां पकिजायईनेक्षिपाकात्सयरोगकहिजै योभीअसाध्य अथग्रजकाजाननेत्ररोगकोलक्षासि ष्यतेजांकाप्राषिपकरीकामांगलीसरासीहोजाय भरवेंमेंपी रचालें थरांषीलालरहै अरलालहीजीमेशा मावेजामाजा डाईनेचजकाजानिनेत्ररोगकस्जिीयेचारुकृष्णमंमलकारो गळे अथनेत्रकाशकलभागमेंउपज्याजोरोगत्यांकाना मभरवांकासख्यालि- ईनरकासुकूभागमेग्गारारोगछे। प्रस्तार्यमाशलार्यमरक्तार्यम अधिमांसार्यम४माधर्यम ५क्तिअर्जुन ७पिष्टक-सिराजाल९सिरापिडिकावा ससयथिनयेईग्याराहीकफकारकैसंप्यानेत्रकाशकुभागमें होय? अथप्रस्तार्यमनेत्ररोगकोलक्षणलिईनेत्रवास कूभागमैंगरमनेलीयां परवडोभरकालोपरलालचिन्हहोय लीप्रसार्यमनेत्ररोगकाहीअथवकार्यमनेत्ररोगको क्षणलिष्यते नेत्रकासुपेदभागमैसुपेदहाअरकोमलसोप नेशकार्यमनेत्ररोगकहिजो अथरतार्यमनेत्ररोग
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३९७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ कोलक्षगलिष्यते नेत्रकासपेदभागमेंपनसरीसोकोमलजो मांसपधेती रक्तार्यमरोगकहिजै ३ अथअधिमांसार्यमनेत्र रोगकोलक्षणलि. नेत्रकासुपेदभागवडोअरकोमल परपु
कालजासरीसोचिन्हहोयतीने अधिमांसार्यमनेत्ररोगकहिजे? अथरमावर्मनेत्ररोगकोलक्षालि नेत्रकासपेदभागमैक रडोअरस्थिरचिन्हहोय तीनेस्मापर्मनेत्ररोगकहिजै ५ अथक्ष क्तिनामनेत्ररोगतीकोलक्षालिजांकानेत्रकाशकूभागमै कालीअरमांससरीसाबूंदघपाहोय तीनचारितीनेशुक्तिनाम नेत्ररोगकहिले ६ अथअर्जुनरोगकोलक्षालि जीकानेत्र काशुक्रभागमैसुसाकारुधिरसरीसायकाबूंदहोय नींनअर्जुन नामनेत्ररोगकहिजै अथपिष्टकनामनेत्ररोगतीकोलक्ष पालिष्यतेजांकानप्रकाशकूभागमैवायकफकाकोपकरिमांस संजोहोया पास्याचूनसरीसोनानपिष्टकनामनेत्ररोगकहि जैर अथसिराजालनेत्ररोगकोलक्षएलिजीकानेरका सुपेदभागमैंनसांकासमूह कठिएएअरपालीहोयाजीनेसि राजालनेत्ररोगकहिजै९ अथसिरापिडिकानामनेत्ररोगती कोलक्षालिजीकानेरकासुपेदभागमेसपेदाररास्यांनसांक रियाबतहोय तीनसिरपिडिकानामरोगकाहिजे. अथबला सग्रथितनेत्ररोगकोलक्षालिजीकानेत्रकासुपेरभागमें कांसासरासोसपेद अथवाकमलसरीसोवरिकगरसो चिन्हहोय तीनबलासग्रथितनेत्ररोगकहिजेयेनेरकाशुकून भागकाइग्यारारोगछै१ अथनेत्रकामर्मस्थानमैशरोग छै सोदोन्यूँनेत्रानेटके नीचरलीधरऊपरलीपाषंडीत्यांमेंयेर
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३९८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ हछे उत्संगपिडिकाकुंभीकारपोथका ३ वतशर्करा४ अर्शोवर्मा ५शलार्शअंजननामिका ७ बहुलचा पर्मबंधक९शिष्ट वा १० वर्मकर्दम१श्यामपा१२प्रकिनवअनिव
४ पातहर्षवा५वार्द्धरा५आयस्तनिमेष१७ शोषिता शालिगरा९पिसवा कुंचन२१ अथरत्संगपिडिका कोसक्षगलिष्यते नेत्रकोटकिवावालायांफण्यानामकोया तांकेमाहिफुरासीहोय अरतीकोमाहिहीमूदोहोय वाफणसीलालहोय पणीऊंचीहोय अरवालोहा उपजाहोय अरबडीहो यभरजीमैंषाजिचाले येजांमैंलक्षणहोय तीनेउत्संगपिडिका काहिजे अथकुंभिकापिडिकाकोलक्षगलिष्यतेजीका नेवकाअंतकामार्गमेंकुंभीकाबीजसरीसाफएसाहोय अरवान एसीफूटबोकरै अरथवयोकरै घरयासोईनेलीयांहोय ताने कुंभिकानामनेत्ररोगकहिजे २ अथवापोथकीनामनेरो गकोलक्षगलि.जींकाकोयामांहिलालासरस्यूंकैमानिए सीहोय अरवाबहुतफोअरवेमैंषाजियपाआवै अरमैपाडा होय ईनेंपोथकीपिडिकानामनेत्ररोगकहिजै३ अथवमश
रापिडिकानामनेत्ररोगकोरक्षासिजीकाकोयामैंसू क्ष्मणसीयगाहोय अरषरधरीहोय परभाराहोय तीनैवर्मश करारोगकहिजे ४ अथअर्शवमपिडिकानामनेत्ररोगको लक्षगलिजीकाकोयामांहिनेवरसीकाकडीकाबीजसरीसा फरासीहोय अरजीमैंपीडकमहोय अथवा फणसीचीकलाहो य अरकोरहोय वेनेग्रोवाफुसीकोनेत्ररोगकहजे" अथसुलार्शनेत्ररोगकोलक्षालि.जींकानेत्रकाकोयांमें
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३९९ अमृतसागर तथापतापसागरतरंग १० यमावमाकुरषरधराभयंकरहोय तीनेसुकार्शनामनेत्ररोगक हिजे ५ अथअंजननामिकानेत्ररोगकोसक्षगलि-जीका नेरकाकोयामांहिंफणस्यांहोय अरदाहनेलीयांहोय अरलालहो य परवेंफणस्यांकोमलहोय अरफास्याछोरीहोयज्यांमैपी उमंदहोय तीनेअंजननामिकानेत्ररोगकहिजे७ अथबहलर
फिरणसानेत्ररोगकोलक्षगलि जीकाकोयामांहिचहूंओ रफुलस्यांहोय एकवर्गकापणीवानेबहुलवाफणसीनेत्ररो, गहिजे अथवर्मबंधकनामनेत्ररोगकोलक्षगलिक जींकानेत्रकाकोयांमैसोजोहोय अरमथोडीफुजालियावै अ रमेथोडीपीडहोय अरसोई क्यूनेटकिजाय तीनवर्त्मबंध कनामनेत्ररोगकहिजै९ अथकिष्टपमानामनेत्ररोगको लक्षएलिजांकानेत्रांकाकोयांकोमार्गअकस्मातलालहो जाय अरजीमैंमंदपीडाहोय तीनेकाष्टवानेत्ररोगकहिजे "अथवर्मकर्दमनेत्ररोगकोलक्षालि जीकानेमाहि पित्तसंयुक्तलोहीदग्धहोयकुपथ्यसं नाकीषिगीड आली घणारहै तीनवर्मकईमनामरोगकहिजे अथश्याववर्ती नामनेत्ररोगकोलक्षएलिजांकानेत्रकाकोयांकामार्गमाहि अरपारेकालीस्पोईहोय अरसोईपीडाहोय अरमेपानि पावै भरगीडभायावतीनश्याववानेत्ररोगकहिजेर अथ प्रकिन्नरर्मानेत्ररोगकोलक्षगलि. जीकानेत्रकाकोयांक बारसोईहोय अरकंठेपीडनहींहोय अरगीउपएगायावेनाने लिनवानेत्रपाकूनवानेत्ररोगकहिजे अथप्रकिन्नर मानेत्ररोगकोलक्षगलि.जीकीषियोदेतौनहींधोरेनौ
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४०० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ खुलेनहींगीचीहारहै नींनेअकिन्नर्मानेनरोगकहिजै१४ अथवा तहतवानेत्ररोगकोलक्षरालि जीकापलकाहीतरेमि चैनहीं अरषुलीहीरहै नदिपीडरहै अथवा नहींरहै अथवा पिमिचीरहै ईनवातहतवा नेत्ररोगकहिजै१५ अथवार्षद नेत्ररोगकोलक्षगलि जीकानेत्रकाकोयांकामार्गमांहिंगोलि लांबाहोय जीमेंपाउनहींहोय अरगांरिलालहोय तीनवर्बुि दनेत्रकोरोगकहिजै अथअश्रस्तनिमेषनेत्ररोगकोल क्षगलि जांकानेत्रकाकोयानेजमाहिपेटिजायवायकरिता फणीनंचलावें ईनअनसनिमेषनेत्ररोगकहिले १७ अथशो सितार्शनेत्रकारोगकोलक्षणलिजीकाकोयांकाचांफली कागार्गमै फुसीकाकोमलअंकुरहोय त्यांनैंरिकरिवायाने बांधे सोवेंअंकूरवधनोकरैतीनेशोणितार्शनेत्ररोगकहिजेर अथलगणनामनेत्ररोगकोलागलिजांकानेत्रकाको यांकामार्गमँगांरिबोरप्रमाणहोय भरवांगांरिपकेनहीं रकरडीहोय अरवमैंषाजिआवेअरनेत्रमैंगोमा लानेल गगनेत्रकोरोगकहिजै९ अथविषयनित्रकारोगकोल क्षएलिजीकानेत्रकाकोयांकेघणाछिद्रपडिजाय अरकोयांड परिसोजोचटिजाय नत्रमाहिंआंधूंघणााचैरहेनहींतीनधि षवनित्रकोरोगकहिजे२० अथकुंचननामनेत्रकारोगको लक्षालियायपित्तकफहेसोजीकानत्रकाकोयांकामार्गनें संकोचकरै कोयानेनेत्रा उघउवादेनहीं क्यूंभावस्तदेषवादे नहींईनेहुनकनामनेत्रकोरोगकहिजे इतिनेत्रकाकोयां कोरोग. अथनेत्रकीयांफणीकादोयरोग पश्मकोपा
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५१ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग १० पक्षाशांत २ अथपक्ष्भकोपवांफणीकारोगकोलक्षगलि. जींकाकोयांकीराफपीजातीरहेअथवाकोयांमैंधसिजाय अथ वाचाफपीयांमैषाजियपीआवै योरोगवायकाकोपकारजालि जैयोरोगबहुतभयंकरछे ईमेंसोजोभीहोयछै योअसाध्यछै३ अथपक्ष्मशांतपांफएगीकारोगकोलारालि नेत्रकाकोयो कीवांफणीजातीरहे अरउषाजियावेअरबलतिरहैयोप तकाकोप होय ईनपक्षमशांतनामयांफपीकोरोगकहिजै२ अथनेत्रांकासंधिमैनप९रोगत्यांकानामलिष्यते पूया लसा उपनाहर पैत्तिकश्राव कफाव४सन्निपातश्राव ५ रक्तचापपर्वणीका अलजी-जंतुयंथि९अथपूयाल सनेत्रकीसंधिकारोगकोलक्षगलि नेत्रकीमाहिलीपूत लीकनेकोयांकाअंतमैजोवासंधिछ सोवाडूषपीमायभरप किकरिवाजिनाय परवेगीमराधिसरासीनाडीजाडीघलीमा दैईनेपूयालसनामनेरकीसंधिकोरोगकहिजोअथरपनाह नामनेरकीसंधिकारोगकोलक्षरालि नेत्रकासंधिमंच डागांरिहोयअरोपकेनहीं अरमैषाजिश्रावै अरमैपीडन होहोय नीनेउपनाहनामनेत्रकीसंधिकोरोगकहिजेर अथपि तिकश्रावनेत्रकासंधिकारोगकोलक्षालिजांकानेत्रका संधिमैंजलकासुंहलदसरीसापीलायणाआवै वेनेंपत्तिकश्रावनेत्रकीसंधिकोरोगकहिजै अथकफश्रावनेत्रकासंथि कारोगकोलक्षालिटजीकानेरकासंधिमैजलकामांसूसुपे टूजाडाअरचीकणायावतीनेकफश्रावनेत्रीसंथिकोरोगक हिजै४ अथसन्निपातश्रावनेत्रकासंधिकारोगकोल
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४०२
१८
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग क्षणलिप्यते जीकानेत्रकासंधिमैंनासूरपडिजाय - अरखेंमैं दुर्ग . धिलियांराधिप्राबोकरें तींनेसन्नियानभावनेत्रकी संधि कोरोग कहिजै ५ अथरक्तश्रावनेत्रकी संधिकारोगको लक्षणलि जोकानेत्रकी संधिमैंगरमलोही घोनीसरे तीनेंरक्तश्रावनेव की संधि कोरोगकहिजै ६ श्रथपर्वणी कानेत्रकी संधिकारो गकोलक्षएगलि० जीकानेत्रकी संधितांबाकावर्णसरीसीलाल होय रमिहींहोय अरपंकिजाय ईनपर्वणी कानेत्रकी संधिको रोगकहिजे ७ अथमलजीनामनेत्रकी संधिकारोगकोल क्षएगलि• जींकानेवकीसंधितांबासरीसीलालहोय परमिहीं अरबलननेलीयां परपकी सोनासरीसीहोय तीने अलजीनाम नेत्रकीसंधिकोरोगकहिजै - प्रथजंतुग्रंथिनामनेत्रकीसंधि कारोगको लक्षणलि० जीकानेत्र की संधि की गांठीमें कृमिप डिजाय अरसूवांफणी जाती रहे अरऊंठेषुजालिया अर वेंकानेत्रकासंधिमैंअनेकमिहीमार्गहोजाय अरनेत्रमै पीडाय एलीहोय तीजंतुग्रंथिनामनेत्रकी संधिकोरोगकहिजे ९ अथ नेत्रकाच्चौरसमस्तरोगत्यांकीसंष्यामरनामलि० वायको अभिष्यंद१पित्तकोअभिष्यंद २ कफकोअभिष्यंद ३ रक्तको भिष्यंद ४ वायकोप्रधिमंथ ५ पित्तकोत्र्मधिमंथ कफकोअधि मंथ ७ रक्तकोन्प्रधिमंथ - सशोथ पाक ९ प्रशोथ पाक १० ह ताधिमंथ ११ वातपर्याय १२ शुकाक्षियात १३ अन्यतोवात १४ अम्लाध्युषित १५ शिरोत्पान १६ शिरा हर्षे १७ अथनेत्रकी समता १ अरनेत्रकी निरामता २ अथनेत्रकावायकाच्यभिष्यंद ईन लौकिकमेंत्र्यांषपणीकडे नीको लक्षरालि० जीकी
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४०३
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मैं पीडयी होय जीकारोगांच होयच्यावै परयांषिमैंषुजालिमा वै नेत्रकरडाहोजाय परमांथोबले भरजीका नेत्र का सूशीत लपडे तदिईनेंवाताभाष्पंदनेत्रको रोगकहिजै अर्थपित्तका अभिष्यंदगरमीसंत्र्यांषिषणीपाईतीको लक्षएालि जींकानें त्रामें दाह यणोंहोय परयांषिपकिजाय मरनेत्रां सीत लताईसुहावे परजींकानेत्रमै वोसोनीसरे अरजीका नेत्रांम गरमत्र्यांसूनीसरे धरनेत्रपी होय ती पित्तकोम्प्रभिष्यंदने त्रकोरोगकहजै २ अथकफकात्र्यभिष्यंदकोलक्षणलिष्य जांकीत्र्यांषिर्नेगरमसुहावे अरनेत्रसीतलघणार हे अरजाडोजा डोबहुतऊरै ईनेंकफकोन्यभिष्यंदनेत्रकोरोग कहिजे ३ यथ रक्ताभिष्यंदनेत्ररोगकोल क्षएालि• जीकानेत्रलालहोय म रत्र्यांसूंनाबाकावर्णसिरीसापडे बरनेत्रामेंदा हहोय धरनेत्रां नेंसीतलताईसुहावे अरगरमत्र्यांपडे नदिजाणिलेलाही - काअभिष्यंदनेत्रकोरोग ४ अथवायकामधिमंथईनेंलौकिकमै घणीच्त्र्यषिडूषणी आईकनैतीको लक्षणलि आषिषणीच्यावैती में कुपथ्यकरै तदित्र्यांषिमें बकाए चाले जाणिजेग्रांषिफूटिजासि अरत्र्यषिमें इसारुलाचाले जा विजेत्र्यांषिमैंरेरणोंघालियाषिनमथैरै प्रयोशिराधरहोजा य मांथावलिउ जीवांसूसीतलप्रावै नदिजाणिजे केवाय कोअधिमंथनेत्रकोरोग ५ अथपित्तकाव्यधिमंथकोलक्ष एलिज कीत्र्यांषदूषणी आईहीय अरयोगरमवस्तषटाई उगेरैषायकुपथ्यकरै तदिवेंकीत्र्यषिभैरूलायणाचालै जाणि जेच्यांषियनकांंटिजासी परषिमैंदाहहोय परपकिन
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४०४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ यअरनेबांनंसीतलताईसहावै आंसूपीलानीसरे नेत्रपालाहोय तारजातिजैपित्तकाअधिमंथकोईकैनेरकोरोगछै ६ अथकफ काअधिमंथकोलक्षालिजीकोषमैरुलापणाचालेजा लिजेअंपिबेटिजासीअरवेनेंगरमसुहावै प्रांष्योकैसोजोहोय अरषाजाभावैधरजारोजाडोबहुतझरेईनैकफकोअधिमंथ नेपकोरोगकहिजै ७ अथरतकाअधिमंथकोलागलिक जांकीयांषिषणीआईहोय अरजीमेलोहीनिगडेईसाकुपथ्य करेजांकाप्रांषिमैरुलाथाचालेजाणीजेांषियोटजासीय रवेंकाप्रांषिमैनांवाकावर्णसरीसागरमांसूपडै अरलालमा पिहोय अरदाहहोय पकिजाय नदिजाणिजेरक्तकोअधिमथको नत्रकोरोग कफकोअधिमंथसात दिन में बनेंफोडे लो हाकोअधिमंथपदिनमैंनेत्र.फोडै वायकोअधिमंथदिनमें नेत्रफोडै पित्तकोअधिमथतत्कालनेत्रनेफोडे अथससो थपाकनेत्ररोगकोलक्षगलि जाँकानेत्रामैनाममा अ रपाजिन्यावे वेंकानेत्रपक्यागूलरिकाफलसरीसापकिजाय रनेत्रांऊपरिसोजोहोजाय अरजांकानेत्रलालहोयतीनेससोय पाकनेत्ररोगकहिजै९ अथअसोथपाकनेत्ररोगकोलक्षा लिजीकानेगांउपरिसोजौहोयनहीं अरषाजिआवै अरपक्या गारकाफलसरीषापकिजायभरनेत्रलालहोय तीनअसोथपा कनेत्ररोगकहिजे अथहताधिमंथनेत्ररोगकोतक्षलि. जीकानेत्रसूभिवामुखटिरहै अरवांमैपाडपएगाहोयजेसैकमल मुकिजायरसानेत्रहोयजाय तीनहताधिमंथनेत्रकोरोगकहिले १॥ अथवातपर्यायनेत्ररोगकोलक्षगलि जीकाभवारांमैं
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४०५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १५ अरनेत्रांमैंवारंवारपीडपणीचाले तीनैवातपर्यायनेत्ररोगकहिले २ अथसकाक्षिपावनेत्रकारोगकोलागलि. जीकानेर मुंदिजायअरबले अरलालहोयजाय अराछीतरैसूनहीं रलूषाहोजायवुसारा तीनेसुकाक्षियाकनेत्रकोरोगकहिजे ५ अथअन्यतोपासनेत्ररोगकोलक्षगलि.जींकाषांधीशिरदा टिकानभवांराग्राषियांमेचायकीपीडचणीचाले तीनेअन्यतोचा तनेत्ररोगकहिजे १४ अथअम्लाध्युषितनेत्ररोगकोलसएलि. जींकानेत्रसाराकालाअरलालहोजाय अरपकिजाय परमेसो. जानेंलीयांदाहहोय अरनेत्रांमैं पाणीआये तीनेअम्लाध्युषितने
रोगकहिजे५अथसिरोत्पातईनैलौकिकमैंसबलवायक हैतीकोलक्षरगलिजीकाआष्यांमैपाडहोय अथवानहीं हो य परकीयांकीनसांनांबासरीसीलालहोय चहुंओर ईनें सिरोत्यातसबलवायनेत्रकोनेत्रकोरोगकहिजे १६ अथसिराह र्षनेत्रकारोगकोलक्षालिन्जोपुरषाज्ञानथकाईसबले वायकोजतननहींकरतीकींषिमैनां चारवारबहोतपडियो होकरै अरवानेत्रां क्यूंभीदासैनहीं ईनैसिराहर्षनेत्ररोगकहि जै१७ अथनेत्रांकोरोगगयोनहींतीकोलक्षगलि नेत्रमें पीडरहै अरमैलालईरहे अरमैंषाजिरहै अरममूलभी रहै नदिजाणिजेईकानेत्ररोगछरोगगयोनहीं अथनेत्र कोरोगजातोरत्योतीकोलक्षगलि. नेत्रमैंक्यूंभापीडनहीं रहै अरपाजियूमीवैनहींअरवेंकैसोजोहोयनहीं पर {उगैरै मैंक्यूंभागायनहीं आरवानेत्रांकोनिपटायोवर्णहो यभरमिहीभीसर्वरस्तजथार्थदातांकानेत्रकोरोगगयोजागि
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जै २ यापारक्षा अरनेत्ररोगवालाकैतनीवस्तकरिजैनहीं सुरमां उगेरे काजलघालिजेनहीं घणघृतषु वाजे नहीं परकसायलीबटा ईगैरेकुपथ्यकराजेन हींगरिष्टभोजनकराजेनहीं स्नानकराजेन हाँ पानउगेरैगर भवस्तषुवाजेन हीं जितनेत्रांकेयाराम होयजिते इंतिनेत्रांकासमस्तरोगांकी उत्पत्तिलक्षणसंपूर्ण पथ समस्तनेत्ररोगांकाजतनलि• नेत्रांकारोग वालानें लंघनचर लैप धरस्वेदकर्म परसिरकीनसकीसीरछुमावो यरच्या श्वान नकर्मकरिवो भरनेंच्या दिलेरचरजतनत्याकरि नेत्रांकाधिकारस काय अथषिषणाई होयती कोजननलि जाषिषणीय ईहोयतीकैदिन ३ ताईतोयंजनादिककीजै नहीं ओनेनकाइषणापणांंंकाचोजाणि पाउनेत्रको षणांप चोथेोदनपकिजाय नदिनेत्र मैत्र्यंजनऔषदिकरेतनेत्रगो आब्यौहोय? हेमंतरितु परशसीरितुमैनौयंजनमध्यान्हमैंकार जै अरमीपरितुमरशरद रितुमैमध्यान्हपहली अंजनकीजै पर वर्षाऋतुमैबादलनही होयतदियंजनकीजे पर वसंतरितुमैचा हैजा दहीत्र्यंजनकीजे जोसुरमाउगेरेयंजन करैतो ईकैनेत्ररोगक देहा होयनहीं प्रथमतोवांपित्र्यजिजे पाछेजीवलीयांषियां जिज्ञेयोसंप्रदायछें अथत्र्षणीकोलेपलि • हरडैकी छालि सींधोलूया सोनागेरू रेसोने येबराबरिले त्यांनेजलसूंमिहींवादि नेत्रांऊपरिलेप करैतौसर्वनेत्रकारोगजाय । अथइस रोलेपलिप्यते सोहका पत्रिमैनींबूकोरसनांषि पाछेवेरसनेंक्यूं येकजामो करै पाछैनेत्रऊपरलगावेतौ नेतात्र्याच्याहोय १ अथनेत्रकाङ्क्षिवनेंतत्कालइरिकरैसोलैपलि• अफीम
मासो?
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१०७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग फुलाई फिटकामासोलोदमासोयांनींबूकारसमैंयांटि यांने क्यूंलोहकीकरडीमैंगरमकार पाडे-कोनेत्रांउपरिलेपकरेतौने तत्कालइषतारहै ३ अथनेत्रकापाव्योहोवाकोनोरलेप. महलोती गेरूसीधोलूए यरुहलद रसोतयेबरावारले सोनेज लसूमिहींगांरि नेत्रउपरैलेपकरैती नेत्रकाडूपियाकासरोगजा य४ अथांषड्पणीकाबाच्याहोवाकीपोटलीलि-पय लीलोदमासोफुलाई फिटकरीमासोरसोतमासो महलोठी मासो यांनमिहींनांटिगनारकापाठाकारसमें अथवापोस्तका पापी में अथवाजलमैमासोयेकाभरकापोटलीकरिषतानेनके अपरिबारबारफरेतो नेत्राव्योहोय ५ अथनेत्रमैंचायकरि सूलचालेताहोयतीकाव्योहोवाकोसेकलि पगणी लोदनेमिहींपाठिवेंनेकपडा छागि नेयतमैं ने पाछैचेनेंग रमपाणी सेकेतौनेत्राच्याहोय अथनेत्ररोगनेंप्राध्या करिवाकेवास्तेरंतरैयतनांजतनवरेनोवैद्यावनिहीं ईसंपदाय सोजतनसारंगधरवागभरादिकांकामतसं लि.सेका प्राश्योतनकर्मरपीडीबायगी विडालकर्मनामयों प्याउपरलेपकरपो४ नपानामनेत्रमाहिघृतरसादिकपाला ५पुरपाक अंजनशस्त्रकर्म- ईप्रकारनेत्ररोगकाजतनक राजे अरंडकापांन बकल जड़यांनेश्रोटाय यांकोजलकार ईज लनेबकरीकाइयोटावै योजलबलिजायधयायरहै नदि
धनैक्यूंगरमकरियाषिउपरितरोदेवेसो पारोलेजि तेतीवायकाइषिवाकिषिमाछाहोय अथवा दूधमेंग्यूंसी भोलानाषिगरमकारसहायतौरहींतर्राषिउपरीनरडोदेतो
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४०८ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग १९ वायकानांषिपालीहोय-अथवा हलदरारुहलद सांभोला यां मेंडूधपकाय ईधकोशांषिउपरितररोदेतोप्रांषिमाछीहोय९ अथगरमी ग्रांषिइषणाबाई यतीकोसेकलि पगली लोद महलोडी यांनमिहीवांटिपनमैंसोक पाडेचकरीकाइधर्मयों मैंपकावे पाछैईधकोऑषिकेतरोदेतो गरमीकाइषवाकीयां पिाठीहीय परलोहीकाडुष्टपणां प्रांषिषेतीकोमीय हीजतन ११ अथवा त्रिफलालोद महलो मिश्रीनागरमोथो यांनसातलजलसूमिहींपादि ईकोनेत्रतरोदेनौलोही दुषता
आंषिमाछीहोय१२ अथाश्योतनकीविधिलि आयोन नकर्मरातिनेंनहीं कीजैनांषिउपाठीरानीमैंग्राउन्यूदोष द्यांकारसकीनांषि सीतकालमैगरमनांधिजेउकालमेसीन सनांपिजे बायकोषपेतीतीषाओषदिनांषिजैकफकीरांषिडू घेतो तीषीलूषी अरउन्हीयोपदिकोरसनांषिजीरथवायसं ऑषिमताकोलेपलिजांचकापानांकोरसपाणीपालिका तीमैंलोदनेवांटिगरमको पाछैवेंकोलेपकरेयांषिरुपरितो वाय कारक्तपित्तसंपनीषिआछीहोया४ अथरक्तपित्तभर वायसूषिडूषेतीकोजतनलि. नेननेंग्याडिस्त्रीकाधका टोपामांषेतीगरमाकीसोहीकापनीत्रांषिमाछीहोय५अ थवायसूषिमैरलाचाले अरजतनकस्यांग्रारामनहींहोयनी काललारकीनसकी सारकोस्यूलोहीकाजै अथवाभवांराउपर आहदेतौनेत्रकारुलाबाच्याहोय अथवा सहजगांकापांनांकी पांडाअथवानींबकापानांकापांडी नेत्रपरिबांधेतौकफकानेत्र फलाजाय १७ अथनेत्रमैंगरमाकारूलाचालेतीकोजतन
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४०९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ लिष्यते आंवलानेपाणी वाटिकापीडीबांथै अथवा काय एकापानांकापीडीबांयेनौ नेत्रकागरमीकारुलाजाय.१७ अथवा त्रिफला लोद यानेकांजीकापाणीमैवाटि पाछेया पृतमैंतले यां कीपीडीबांधेतो गरमकाअरकफकारुलाजाया- अथनेत्र में रूलापरसोईषाजिहोयतीकोजतनलिहिनीबकापान ईमैंग्यूसीयोलूनांषि यांनमिहींपाटि ईकापीडीनेत्रकोबांथैनो नेत्रकारुलासोईषाजियेसर्वजाया९ अथनेत्रवाग्रहांजगी कोजतनलि नेत्रकायहांजपीनेवृतमूसेक पाईराहांजगी नैंशस्त्र फाडै उपरिमेगासिल हरतालतगर सांधोलूा येब राबारते यांनेसहन मिहींपारि ईकोलेपकरेतोगुहांजगीजा य२० अथनेत्ररोगवास्तैतरपणकाविधिलि जीजायगांप बनचालेनहींनहांसूघोसुवाणिजै पाउँनेत्रउपरीयोगडदाई उडकोचूनमिहींपीसी नेपाणी ओसणिवेकानेकैवाडिन कीजै अंगुलदोयरकी पाछैनेमैंनस्यूंगरमकरिसुहावती अथ वासौवारकोथोयो अथवाइयईमेराजिते १०० बारकागि एनीमिणनित राषेतीनेत्रकारोगवाकांपतों दोफणीजातीरही होयसो प्राषिप्राछितरेंउगडेनहींसोतिमीरफूलोमथवायरूला येसारारोगईनरपरातूंजायछै योतर्पणावादलामेंष्णकाल मैचिंतामैंभ्रममैंनहींकरजै२१ इतितर्पणविधिः अथने जांजनलिष्यते शंषकीनाभि बहेडाकामीजीहरडेकामांगीमे गसिल पीपलि मिरचि कूट पच बराबरिलै सानेबकरीका दूधसूमिहींवारि अंजनकरैतौ फूलो तिमिर नेत्रमै मांसकी वृद्धि नेत्रमैंकारआयोहोरजीने पटलरानिधान औरनेत्रांकारोगनें
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४१० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग योग्यंजनइरिकरैछै २२ इतिचंद्रोदयगुटिकाः अथलेषना गुटिकालि• कणगचका बीजानेंमि ही वांटिवांकेकेसूलांकारसका घणीपुटदे पाछैयांकिगोलीकरि पार्छेईंगोली नेपालीसंघसित्र्यंज नकरैतौफूलानेंत्र्यादिलेरनेत्रकासर्वरोगजाय २३ अथदंतवर्त्ति लिष्यते सूरकोदांत ऊंग्कोदांत गऊकोदांन घोडाकोदांत गधा कोदांत संपकी नाभि श्रवाधमोती समुद्रकालाग येसाराबराब रिले यांनेंमिहांवांटियांकोअंजनकरैतौ सर्वप्रकार कालाजाय २४ अथवा कमलगट्टा सहजगंकाबीज नागकेसरीयांनेमिही वांटि अंजनकरैतो नींदयावैनहीं २५ इतिनींदरिहोवाकोअंजन• अथरोपणीगुटिकालि० निलांका फूल ८० पीपल काबीज ६० चंबेलीकाफूल ५० मिरचि १६ यांनमिहांवांटि गोली करिराषे पागोटीनें पाएगी मेंघसिकोअंजनकरैनौ तिमिरा र्जुनरोगफुलौमांसट्टद्धिनेंआदिलेरसर्वरोगजाय २६ अथस्नेह नीगुटिका रसोन दोन्यूंहलद चंबेलीका फूल अथनापांन नांवकापन यांनमिवांटिगोवर कारर्सजन करैतौरातिंधोजाय २७ अथदुतीयस्नेहनीगुटिकालि० आंवलाकाबीज वहाका बीज हडैकीबीज यांनमिवांटियांकोअंजन करैतौ नेत्रकापा सीनें अरवातरक्तारोगनें योजनइरिकरैछे २८ अथवा नीलो थूयो सोनामुषी सांधोलूण मिश्री संघकीनाभि मैासिल गेरू स मुद्रका फाग काली मिरचि येबरावरिले यांनेंमिहींवांटि सहतसूत्र जनकरैतौ तिमिरने नेत्रमैंकाचच्यायोहोयतीनें फूलानेंयोजन इरिकरै २९ अथफूलाकारिहोवा कोयंजन• चीलियांकपूर नैबडकाडूधसेतीअंजनकरैतो दोयमहीनाको फूलोजाय ३०
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४१ अमृतसागर नथाप्रतापसागर तरंग १९ अथनींदकाइरिहोवाकोमंजन रोयकालीमिरविमिहींगरियो डाकीलालसूं अथवासहनसंभंजनकरैतौनींदजातिरहै शपथ तंद्राकाइरिहोवाकोअंजना मूंगणे कातीमिरचिकटकीच सायोलूग येवराबारले यांनेवाबरीमा त पसि ईकोअंजन करैनौ तंग्रजाय २ अथरसांजनराटिका रसोन राल के लीकाल मेरासिल समुदमाग सांधोलूपागेरु कालीमिरचि येवराबारले यांनमिहींपांटिसहनमेंअंजनरेनौ नेत्रकीपाणि मैं वांफणीजातिरहिहोय त्यांनयोनाछीकरै ३३ अथमोतीया पिंदकाइरिहोवाकोअंजन गिलवैकोरसरंकासहनमा सोसीधोलामासो यांसारांनैयेकाकरिमिहींपारिज नकरेती मोतीयाविंद तिमिर चूंधिकारनेत्रादिलरसरोगजा य४ अथवा साटादोजउनेस्त्रीकाधसंघसिअंजनकरैती नेत्रांकीमाजिजाय सारीकाजडनेंसहत पसिजनकरैती नेत्रांकोपापीपरनोरहै सारीकीजउनैपृत रगडिजनरैनौ फूलोजाय साराकीजउनैंनेल पसिजनकरैतीतिमिरजाय सारीकाजउनैकांजांसंघसि अंजनकरैतौरातिधोजाय ३५ थनेत्रांमैं पाएगापडैतांकाइरिहोवाकोअंजन बौलकापा नांकोकाटोकरितीकोरसकाटे पाछेतीरसनैंछाणिोरंगारो करै पाईमैंसहतमिलाय ईकोचंजनकरेनौनेत्रांकोपातीपर तोरहे६अथवा निरमताराफल.पाणामैयसिईकोयंजन करेनोनेत्रांगोपातीपउतोरहै ३७ अथनेत्रांकानिरमलक रिचाकोचंजन निर्मलीकाएल.सहनीपसिईमेंस्यूंपू रमिलाय अंजनकरैतौनेत्रनिर्मलहोय ३८ अथजीकानेर
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४१२
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग मैमोतियाविंदकाचउगेरै श्रायस्जैन हीं तीं का आाख्याहोवाकोअंजनलि० कालासांपकामांसकोघृत अरशंघकीनाभी अरनीरमलीयांनेंमिहांवांटि नेत्रांमेंजन करेनी मोतीयांविंदउ गैरैरोगजाय अरईनेंसूंरै ३९ अथवा मुरगांकात्र्मंडाकाव्योंतमै एएसिल काच शंषकीनाभि चंदन सांधालु येसर्वबराबरिले यांनैमिहीनांटि अंजनकरेती मोतीयाविंदफूलानें आदिलेरनेत्र कारोगजाय ४० अथनेत्रका सर्वरोगइरहोया कोयंजन• कालीमिरचिमासा २ पीपलिमासा २ समुद्रागमासा २ सींधोलू रामासा २ सुरमोमासाध्यानेनिपटमै मिहीवांटि चित्रानक्षत्रके दिनईकोअंजनकरैतो फूलोषाजिकाचनेत्रमें गायोहोयतीउ गैरैनेत्र कासर्वरोगजाय ४१ अथनेत्रका सर्वरोगजाबाल्यो अंजनलि० षपस्यांनेंमिहींबाट पाछेवेनेंजलमेंमबोयदे पाडे वेंको ऊपरलोपाणीले तोजायती नैंजु दोराषै वारवारकोपाणीच रनीचैरत्योजोपषस्याको चूर्णनीनें लेनहीं अरमोषपस्याकोपा पीछे सोजुदापात्रमैं सुकायदे तीकीपापडीकरिले पाढेवेंपाय डीके त्रिफलाकारसकीपुर ३ दे पाईपापडी कोदशऊं हिसोई में कपूरमिलावे पाउईनेंच्यो रूमिहीवाटे पाछेईनेंअंजनकरेतौनेत्रांकासर्वरोगजाय ४२ अथनेत्रांकासर्वरोगहर बाकीची रत्र्यंजनलि० सुरमांनेाविसूंगरमकरि त्रिफलांकारसमैंवार ७ मबोवै पाछेस्त्री काडूथमैंसीनरेंवार ७ मबोवै पाछेगणयका मूत में इसी तरेंयारयारतातो तातो करिईसुरमा नेमबोचे पाछे श्ररूंस्त्री का दूध मैंवार ५ मबोवै पाछेईनवांटिकोअंजनकरै तो नेत्रांका सर्वरोगजाय ४३ प्रथनेत्रकी दृष्टिकरिवाचाली
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४१३ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग १० सलाकारिष्यते सीसानेअमि.गालिगालि त्रिफलांकारसमैवा रसोडबोवै पाछैइसाहीतरैजलभांगराकारसमैंवार५० मबोवै पा छैइसाहीतरैमरिकारसमैंचार २५मबोवै पाछेइसाहीतरैघृतमेवा र५०मबोचे पाछै इसाहींगोमूतमेवार २५मबोवैपासहतमैंचार २५मबोवै पाछेबकरीकाडूधवार २५मबोवै पाछैईसीसाकीस लाकाकर पाईसलामाने नेत्रमैफेरेनौसर्वप्रकारकानेत्रकारो गजाय४४ अथनयनांमृतअंजनलिसोथ्यासीसानेगालि वें बराबारवेंमेंपारोयालिदीजै पाछेपाराकीबराबरिवेमैंसुर मोघालै अरयांसारांकोदशवोहिसोई,भामसेनीकपूरनांपा छैयांसारांमिहीवांटिईकोअंजनकरैतीनेत्रकासर्वरोगजाय ४५ अथसर्पउगैरेकाजहरकाइरिकरिवाकोअंजनलित जमालगोयकामांहिलीमीजीलीजैनांनीबूकारसकापुटरा रीजै पाछैईकागोलाकीजै पाछेईगोलीनैमनुष्यकीलालसूंघ सिनेत्रमैंअंजनकरतोसर्पगरेकाजहरडूरिहोय योआदमी मूवोभाजीचे ४६ येसाराअंजनसारंगधरमलि. अथ प्राषिषताहोयतीकामाख्योहोवाकोश्रीहजुरकोपता योनुकसोलि अत्तारकादवा यहिजांगीहरयेदोन्यूऔष दिपारगांमैंघसिष्यांकैचोगडदालेपकरैती वायपित्तकमयां तीन्यूंआजारांमैंकोईविकारसं प्रांषिषगीबाईहोयतोवाओं षिकेशीयारामहोय योनुकसोजमायोहबोले अथवावा म्मटकामत मोतियांविंदकोलक्षएलि. कचामोतयां विदकोजालोसलाकाकरिउतारिजेनहीं पक्कामोतियाविरको जातोरनारिजै अथपकामोतियाबिंदकोलक्षगलिष्यते
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४१४
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. माएणस्पाउपरिदहीसरी सोमठ्ठासरि सोधुंद यायजाय र वेनें क्यूं भादीसेनहीं पर वेंनेत्र में पीडादिकक्यूं भी होयनहीं तीनेत्रकोस लाकाकरि जालोउतारिजे पर इतनाच्यादमीकानेत्रको जालोउता रिजैनहीं पीनसकारोगवालाको पासीवालाको भजीवालाको मरपस्यालको वमनकरचोहोयजीको माथांकारोगवालाको अरका नमें पीउचाले नेत्रमैसूलचालैतींको इतनांच्यादम्यां कोने कोजा लोउतारिजैनहीं अरसांवण कार्तिक चैत्र यांमहीनांमैजालोउता रिजैनहीं अरसाधारणकालहोय नदिजुलाबदे शरीरनेंशुन्द्रक रिभोजनकरि श्राख्यानिर्मलस्थान बैठाय पवनादिकजैठेनहीं होयतैवैमध्यान्हपहली प्रांष्याकारोगमैं प्रवीएाचे सोवैद्य प्राष्यां कारोगनेंइरिकरि वालो भैसाकनैजालोलवावे श्रवैद्य हैसोवेने त्रकारोगीनेंपालथीकार वेठावे वेरोगी के पीछे स्याणाच्यादमीचतु रनैवेावेंत्र्योत्र्यादमी दोन्यूंहाथांरोगीनें पकडे वेनेहालवादेनहीं ईसीतरैवेनैं बेठावें पाठैवेंकीत्र्यांषिमै योवैद्यसलाकाघाले निपट चतुराईसूं वेंकीच्यांषिमें सलाका फेरेनेच काप्रांत भागमै जालानफो डिसारानेत्रको जालोइरिकरै पा छैवें जाला माहिसूवेंमाणस्यांऊपर लीवाधिकारकी बूंदढहण्डै नदिई मनुष्यनेंसर्ववस्तजथार्थदीपे अरसलाकाफेस्यांपही नेत्रनेंटांकीबाफसूफुकदेव सेवयुक्तक रिले रवैद्ययापकात्र्अंगूठा रोगीकानेचमसलिनेत्रकोमल येकठोकरिलें पाछैसलाका सूंजालोले अरवैद्य भी प्रापको हाथ रतरैहलावेनहीं ईविधिसूंनेत्रको जालोले पाछेरोगी की यणीवातर जमाकरि वेनेसुफायदे पाछेवेंरोगीकाच्यांषिऊपर घृतकाफोहाबांधै अरवेंरोगीनेंसुधोसुवाचेपवनचिलका उगेरै आबादेनहीं ईसी जाय
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४१५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १० गांसुवाग अररोगीकोसिरउगेरेसारोसरीरहलापादेनहींअरबैं रोगानंछींक पास मकारथूको घणापाएीपीयो रात स्नानषे • गैरेकर्मकरियादेनहींअरोधोसौवादेनहीं निपटहलको
भोजनकराचे वृत्तादिकगरिष्टवस्तषाबादेनहीं विधिदिन करे पाई पृतघालिपतलो हलको अन्नकोपलेवोधुवावैष्याचे पा छैचाय.हरिकरियावाला मिश्रीनेत्रादिलेरद्रव्याचावेईसीतरैम मलनाईराषेक्यूंकुपथ्यकरिवादेनहीं पवननेजअरमिहींवस्त नेदेषवादेनहीं अरनेत्रनेंसीतलताईहोय इसीवस्तदोबउगैरैदे पवादे ईसानरैकरेनोमोतीयांविदादिलेरनेत्रकासर्यरोगजा य गाईकमोतियाबिंदकोसीतलचसमोलगायेतोयोरोगईके कदेहोयनहीं योमोतियाबिंदकोजतनयाग्भटमैलियोछै ४८ अ थपांडरोगकाइरिकरियाकोअंजनलि. हीगर्नेडमघलकार समैयसिनेत्रांमैंअंजनकरैतोपांड्रोगपील्योजाय ५९अयनेत्रां काइषवाकोनारायएगांजनलि तुलसीकापानांकोरस अाका लकापानांकोरसयेबरावरिले पाछैयांदोन्यांनैकांसीकापात्रमैया ले अरयांदोन्यांकीबराबरिषीकाइथपालैपाछेयांतीन्यानेकांसी कापात्रमैपालि गजवलिकापोटा पहरदोयरगडै पाछेउहापा मैंतांवाकायोरा पहरोयरगडे पाईकोअंजनकरैती नेत्रका सूल अरनेत्रकोपकिबोनकालजाय ५० अथनयनांमृतगुरिका संहिहरडेकाडालिकलस्थषपस्यो फिटकडि परसार मांजूफल येसारीओषदिवरावरिले परभीमसेनीकपूरकस्तूरीअवीथयो तीयेएकएरयोपरिकातील बाधाआधाले पाछैयांसारांषर सममिहींगगरि पाडेनींबूकारसमदिन५परलकाजे पाछेयागोली
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४१६ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १८ जलमै पसिअंजनकरेती नेत्रांकोतिमिरजाय अरईगोलानेस्त्राकाडू घसंपति अंजनकरैतोफलोपटलजाय अरईगोठानेसहत अंज
करेती नेत्रांकोजलपरतोरहेअरईनेंगोमूतांजैतौरातिधो जाय अरकोलकारस आजैतो नेत्रकामांसद्धिजाय ५१ इतिन यनामृतगुटिका. अथनेत्रांकीवांफणीजातीरहीहोयतीको अंजनालांधामाराकापानांनेंगोमूतमैवाटि पाछै आयो पपयोले पाछैयांदरोन्यांनेषरलमेंघांटि यांदोन्याकैवीचिजसनकामि होपरकरिमेलै पाछैईकोकपडमिटीदेसकाय पारगाछागामेंग जपुरमें फूकिदे पाछैस्वांगसीतलहुवांकांदै पाछैईमिहींपाटि ईकोअंजनकरैनौनेत्रीकैयांफपीआये ५२ अथसीतलाका फूलाइरहोवाकोअंजनलि. गधाकीमाटनैमिहींवांटिको अंजनकरैती सीतलाकोफूलोजाय ५३ अथसबलवायका दूरिहोवाकोअंजनलि. आपलार गंधकसेतीमास्योत्तांबोनीने मिहींपाटि-कोअंजनकरैतो सबलवायपटलनेादिलेरनेत्रां कासर्वरोगजाय५५ येसर्वजननवेयरहस्यमेछै अथy लाधूधिकाइरिहोवाकोजतनलि चोपोनीलोथूथोटंक ५फि रकारलाईक ५ पीपलीभीजोयबीजकादिलेटंक ५मिश्री मासा५यांनमिहींपारिकाजलकरयोकाजलनेत्रांमैघालेतोफू लोटलको धियेसाराजाय ५५ अथचंद्रोदयगुटिका शंष कानीभी यहेडाकामींगीहरडैकीछालि मेरासिल पीपलिकाली मिरचि कूट क्च येोषदिसर्वबराबारले सांवकरीकाधमं मिहींपासिगोलाकारराले पाछेगोलीनैजलसूंघसिअंजनकरतो तिमिरनैं नेत्रकामांसकीही परल.काच.रातिधार्नै फूला.
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४१७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग १० याइरिकरैछै ५५ अथचंदप्रभागुटिका हलद नींबकापान पीप लिमिरचि वायविडंग नागरमोथोहरडैकाडालियेसर्यबराबरिले यांनॉमिहींपाटि बकरीका तमंदिन ३परलकरे पाडेयांकागोली करिछायासुकावे पाछेईगोलीनेंगोमूत पसिअंजनकरेतौनेत्रका काच.इरिकरै अरजलसंघसिअंजनकरैनोतिमिररिकरेछै स हत पसिअंजनकरैतीपटल.इरिकरै अरईनेत्रीकाइधसंपसि अंजनकरेतोफूलानेरिकरे ५७ इतिचंमभावर्ति अथवा दशामृतहरीतकालि. हरडेकीछालिकोभागाबहानीडालि कोभाग २ आंवलाकाभाग४सतावरीटका रसारटका महलोहाटकार तजटंक ५सांधोलूएरंक५पीपलिटंकपअरमिथीयां सारांकीबराबरिले पाछेयांसारांनेमिहींवांटिटंक॥सहतपर घृतकैसाथिरोजीनांदिन ४९षायनो तिमिरनें पटल. मेषांकाका चनें रातिधार्ने फूलाने नेत्र मेंजलावैता. सबलबायागेरेसर बनेत्रांकारोगांने याबदशामृतहरातकीरिकरे ५८ अथात्र फलादिगुटिका त्रिफलाकोरससेरगिलवैकोरससे मां वलाकोरससे जलभांगराकोरससेर अरसाकोरससे सतावरीकोरससेराबकरीकोइधसेर कमलगट्टा त्रिफलाम हलोरी पीपलिदाष मिश्री कल्याली यांसारांकोरसअपअधसे रलेायांसारांमैंगउकोपृतसेरऽ२ पकोनांषे पाछैमधुरीयांचसू पकाचे येसर्वबलिजाय पृतमात्रायरहे तदिईपृतनैंका। भररोजीनांषायतो नेत्रकोनिमिर काच फूलोसबलगायउगैरेसर्व रोगजाय ५९इतिमहात्रेफल्यंघृतम् अथगरमकाविकारह रहोयवाकाअंजन लेपकीविधिलि. यांषिइषेवासोईहोय
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४१८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० आचे अंगकेतो प्रांषामैंअंजनकस्याबालेपकीयांबारामहोयसो ध्योसुपेदोमासा तांकासोधियानाचीधि सुपेदानै मिहीवारिचीती कावासणमैयणापाणी थोयले सुपेदोनीचोटिजाय नदिकोपा लोकादिनांषेईनरेंतीनवारकरिलीजै पाछेअंजरुतोषदिअत्तार कामासा ३लीजेतीकासोधिबाकीविधि अंजालनॉमहींपासे पा छेवेटीवालास्त्रीकोइधले अरईमैंइतोमिलविजोपहराउमैसुन सिजाय ईनरेंपुटपांच५दे पाछैकतीरोगासाभीमसेनीकपूररती ४निर्ससनोग्रीषदीअतारकामासारधौलीगूंदमासोतोलमाफि कसर्वोषदिभेलीकरि गुलाबकाजलमैंषरलकरे पाछेयेकजीव हवांधोरप्रमागगोलीबांधे पाछैलगावणीहोय अथवा प्रांजगीहो यत्तदिगुलाबकाजलमैं अथवासादाजलमैंहींअंजनतथालेपकरे सौगरमकासर्वविकाररिहोय इतिगरमकाअंजनलेपका विधिः इतिनेत्रांकासर्वरोगकोउत्पत्तिलक्षराजतनसंपू० अथकांनांकारोगांकाउत्पत्तिलक्षपाजतननामलि० का नांकारोगवश्रुतमेंश्चाईसलिष्याछेसोलिपूंछू कर्णशूल। कर्णनादर बधिर्नामबहरापों३वेड४ कर्णश्रावकर्णकंडू ५ कर्णगूथ काप्रतिनाद - कृमिकर्ण९ चोरलागिवा कर्णमें बराहोय. अरदोषांसंकर्णमैंबराहोय १ कर्णपाका पूतिका कर्ण १३ वायकाकर्रासोथ१४ पित्तकोकर्षसोथ१५कफकोकर्ण सोथा लोहाकोकासोथ१७ वायकोकाशी पित्तकोकाश १९ कफकोकाश२० लोहीकोकासि वायकोकरकेअर्बुद २२ पितकोकाकैअर्ब २३ कफकोकर्णकैअर्बुद २४रक्तकोकर्णके अर्बुद २५मांसकोकरुकैअर्षदरम्मेदकोकरोंकैअर्बुद२७ नसां
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४१९
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग कोककैर्बुद २८ चरक में कपाली के िवषै च्यारिरोगवधताकत्त्या छै उत्पात १उन्मथकर दुःखवर्द्धन ३ परलेहिन ४ अथकवलको लक्षएालि• जीकाकांनमें वायधसिजाय रोकोपर्कप्राप्तिहोय जदिकान में घणसूलचलावे इनकमूलकहिजे' अथकनाट कोलक्षएालि० जीकाकानकाछिदमैं वायधसिरहै नदिवेंपुरषकेला नमें भेरिको मृदंगको संषतेयादिलेरमनेकशब्दबोलेताने कर्णना दकहिजे २ अथबाधिर्य्यकोलक्षएालि० बालकपरबूदो पर घणादिनको बहरोजोहोयसोछ्यौ होयनहीं ३ प्रयश्चेडक रोगको लक्षणल• जीकाकांनर्मेवाय पित्तकफधसिजाय अर दें काकांनमैंवांसफाडिबाकासाशब्दहोय तीनें कट्वेडरोगकहि जै ४ अथकर्णश्रावकोल क्षणलि० जिंकाशिरमेचोटलागिहोय अथवाजी काकानमैजल पड्यौहोय वेंकाकानमांहिसंराधिबह वोकरै तानेंकर्णश्रावकोरोगकहिजै ५ मथकर्णकंडकोलक्षण लिष्यते जाकाकांनमें कफसंयुक्त वायपैठे पौ कानमैषाजिकरे तोंनें कर्णकंडूकहिजै ६ अथकर्णगूथकोलक्षणलि० जीकाका नमपित्तकी गरमीधसिजाय परकफर्नैसोसिले तांकाकांनमैंम लाघवे तीनेक गूथकहिजे ७ अथकप्रतिनादकोल क्षणलि० श्रीकर्णगूथपतलोहोजाय अरपाछैौ नां कर्मैयायमा तिहोय तीनें कर्णमतिनादकहिजै प्रथकृमिकर्णको लक्षण लिष्यते जीकाकांनमैं बुग पतंग जिनाचरकांनखिजूरानैत्र्यादिले कोईजिनावर सिजाय तोकाकांन में फडफडावैच्चर कैंपुर बनेंपीड करिघव्याकुलकरिदे पर वेंकीभूषउगैरे सर्वजाती रहेनीनेंकमि कर्णरोगकहिजे ९ अथकविधीकोलक्षएालि० यादोयप्रका
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४२० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ रको एकतोकांनमैचोटलागिबएपडिजायरयेकदोषांमूंका नमैत्रपडिजाय पाछेवेंकानमाहि लोहाराधिउगैरेसर्वनीसरे अरकांनमैदाहरगैरैसरहैतीने कर्णविधीकहिजे. ११ अथक
पाककोलक्षालिजीकाकानपित्तकरिपकिजाय अरका कांनमैराधिनीकलेसोकाटासरिसीनीसरेतीकरणपाककहिजे १२ अथपूतिकर्णकोलक्षरालि जीकाकांनमैंबरापडे पाछेवें काकांनमेंजलपडिबोकरै अरमैराधिभापडितीपूनिकर्णकहिजे १३ अथवायपित्तकफलोहीकाप्रभावसंजोहोयजायसोयां कालक्षण जागीलीज्यो४ अरवायपित्तकैफलोहीयांकापभावसंकानमैंअर्श पैदोहोयछे मस्सारूयसोचांकालक्षणांसू-भी जाणीलीज्यो ४ अरकांनमैवायपित्तकफलोहामांसमेदनसां येसा तूंहायेकअर्पदनामरोगगांठिरुपहोयछेतांनभीकरैछै नीकालक्ष पापाछेकत्याछै अर्बुदरोगमैसोजाशिलाज्यो७ अथयेकानमेंस अगईसरोगछे २८ चरककामतमंकांनकैनीचेयारि४ रोग छैसोलिपूंछ वायको पित्तकोरकफको ३ लोहीको४ अथकर्ण पालीकावर्षेपांचयत्यांकानामलक्षणालि अथपरिपोटक कोलक्षएलि. कानांकालोलकोमलघशाहोयछे ईनस्त्रीवधाबा कोकरेंनदिकानकालोलिसूजिजाय अरमैपीडहोयभावे ईन रिपोटककहिजै अथउत्पानकोलक्षालि कानकालोलीमें भास्योगहगोपहरेतीकासोजोग अथवाकहाँनरेलोसिनषेचिया मुलोलिउपरिसोजोहोयहीभावै अरदाहहोय अरपकिजाय पर पोरहोपताने उत्यातरोगकहिजेर अथरन्यथकोलोएलि. जोकांनकालोरिहर यथायोचाहै नरिवठेवायकोपकारकफ
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४२१ अमृतसागर तथा प्रनापसागर तरंग १० संयुक्तसोजानेकरै अरमंठेहीषाजिनेंकरें ईउन्मथकहिजेर थरखवईनकोलसरालिजीकाकानकीलोलडुतसंविधी गईोय अरदाहहोय परपीडहोय अरपकिजाय तीनैः रखवईनकहिजै ४ अथपरहिनकोलक्षएलिजाकाकांनकी लोलिउपरिकफलोहीकाकोपरिसरस्यूंसरीसीफुगस्यांहोयजा यअरऊठेषाजियावै बरदाहहोय अरपकिजाय नीनेपरिलहि नकहिजै५अथकारोगकाजतनसिल पादाकोरस सहत सींधोलपातल येसर्ययेकाकार यांनैक्यूंगरमकारकांनमै घा लेतो कानकीपीड कर्णनांदअरवहरापनों परकर्णक्ष्वेडयेसा रारोगडूरिहोया अथवा लसणकोरस पादाकोरस वरएयांकी जरकोरस कोलकोरस यांसारांनँयेकाकरि क्यूंयेकगरमकार कांनमैनांषेतौकानकापाउरागैरेकानकोरोगजाय अथकान कीसूलइरहोवाकोजतनलिपाककाकोमलपानानैं षदा ईपासाईकोरसकादै ईमेंनेलअरनपनापाछैईनैथोहरिकी लकडीघाले पाछे-लकडीकैकपडमिट्टीकरिवेंकोपुटपाकक रिकोरसकादै पाछेरसनैक्यूंगरमकरिकांनमेंघालतोकानकासूलजाय अथवााककापांनांकप्तलगायअग्निसूबाने तपायवांकोरसकादै पारसनैक्यूंगरमकरिकानमैनाषेतीको नकासूलजाय४ अथवा बकराका तमैसीधोलरानांषिवेनैक्यू गरमकारकांनमैनांषेतीकांनकामूलजाय५अथवापरलूकी जउकारसमेंमधुरांच तेलपकायोरसबलिजाय तेत आयरहे ताईतेलनेकांनमैनातोत्रिदोष उपजीभाकरीसू उजाय अथवहरापपांनेादिलेरकांनकारोगांडू
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रिकरैसोनेललि० कडवातेलमैंसूंठ मिरचि पापलि कूठ पीपला मूल ग्रांधीफाडाकोषार जयषार बीलकीजडकोर्स गोभूतयेनांषि मधुराच्यांचसूपकावे पाडैयेसारावलिजाय तेलमाचच्प्रायरहे त दिईतेल कानसेनांषे तौबहरापणानें कानशब्द होयजीनें कां नवहतोहोयजीन यांसारांरोगांनैयो तेलङ्करिकरै ७ इतिविल्व तैलम् अथवा बीलकाका चाफल त्यांकोरसकादितींमैंसाजी को चूर्णनांषे पाछेवेनैषीवैतौकानकीपीडनैं कानका बहरपणांनें कां नमांहिदाहनैं यांसारांनेंइरिकरेछे - अथकानमैंराधिवहती होयतीकामा छ्याहोवाको तेललि० ग्रांवलाकापानांकोरस जा मुलिकापानां कोरस महुवाका पानांकोरस वडकीवकलकोरस चंबेली कापांनां कोरस यांमैंने लनांषि मधुरीयांचसूपकाने येस बबलिजाय तेलप्राय रहै नदिईनेलनें कांनमेंघालेतौ कानकीरा धिरहती है९ अथवा स्त्रीकाइधमैंरसोत सिजीमेंसहतमिला यकांनमैं घालतो कांनवहतौर है १० अथवा कूठ हींग वच दारुहल द सौंफ सूंठ सींधोलू यांनैमिहींवांटि बकराकार्मूतमैघालि पर यांमैतेलनांषिमधुरात्र्यांचसंपकाचे येसर्ववलिजाय तेलमात्रच्या यर तदिईनेल कान मैंयाले कानकीराधिवहतीर है ११ प्र थकांनमेंत्रणपडिगयोह्येयतींकाइरिहोवा कोनेल० मोटीसींपाकाचूर्णनें कडवा तेल पकाने पाछैप्रोतेलकांनघालेती कानको आव्योहोयडे १२ अथवा आंवलासारगंधकटका १। मेलसिलटका १। हलदटका १ कडवीतेलटका नभर धतूराकापां नांकोरस यांसारांकीबराबरिले यांनेंमिहींवांटि मधुरीत्र्यांचसंपका वैयेसर्व वलिजाय तेलमा न्यायरहे तदिईतेलनेंकांनमेंनाषेती
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४२३ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग १८ कांनकौबगाध्योहोया अथकानमेंकृमिपडिगईहोयतीका इरिहोवाकोजतनलि. कृमिरोगकाइरिहोवाकाजननपाडेलिष्या सौदोषिलोज्यो १४ अथवावेंगणकीजउकोरससिरस्यूँकातेलकै साथिईको चोकोनमैदेतोकांनकाहमिजायपर१५अरकांनकासो जाकाअरकांनकाअरसका अरकानकाअर्बुदरोगकाजतन यांपा छिलारोगामेलियासोदेषलीज्यो१५ येसर्वजतनभावप्रका समलिष्याछै अथबहरापरगांनेडारकरेतीकोतेललिप्यते मूलाकीजडकोरस कडयोनेलसहनयेवराबारलेत्याने क्यूंगरमक रिकानघालेतोचहरापगोजाय१६ अथवा मिश्रीधरइलायची यांनमिहींपारिकांनमेंराषेतौरहरापोंजाय अथकानकीपी उकाइरिहोवाकोतेललिहि पीपलि साधोलू कूड हींग पच लसण तिलांकोनेल पाकासाककापानांकोरसत्यानैमधुरी अांचसंपकायेसाराउगैरेसाराबलिजायतेलायरहै नदिई तेलनेकांनमैनांपैतोकांनकीपीडरिहोया अथकानकासर्व रोगांकाहरवाकोतेललि. जामोधरमोटीसीपाकोजून पदमा षहांगलूंबरू सीधोलूराकूर कपासकामांगा यांनगांटिपाछ यांकोकाटोकरिईकाटामैकडयोनेलरकाभरनांषैभरहुलह लकोरसयासर्वकाबराबरिनांषेपाछैईनेंमधुरीयांच पका वैयेरसगेरेसर्ववलिजाय तेलमात्रायरहे तदिईतेल. कांनमैनातोकांनकाबगनेराधिनीसरेजीनेवहरापणानेकां नकाशद. आदिलेरसर्वरोगांनैयारिकरे १९ अथवा कूकरभां गराकोरसपावहरफारेवरीकोरस लसणकोरसपईसा४भर सौंफटंक २॥वचटंकर॥कूटरंकासंठिरंक २॥ मिरचिटंक २॥
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४२४
१८
•अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पीपलिटंक २॥ लवंगटंक २। बकरी को धमथसेर ॥ कडवोतेलट का ५। ये सारायेकाकरि मधुरीचपकावे येसारावलिजाय ते लमात्रच्पायर है तटिईनेलनें कान में पालती बहरापण राधि पडैसी और कान कारोगसाराजाय २० अथकानकी राधिवहती की प्रषदिलि• समदफेन सुपारीकीराष काथ यानेंमिहीवाटिका नमैनाषेतौ कानवहतौरर्हे २१ ये साराजतनवैद्यरहस्यमैंलिष्या खै अथकांनकीलौलपकिगईहोयती कात्र्या छ्या होवाको तेललि• सतावरी असगंध दूध अरंडकी अरमोली तिलांकोनेल यांनेमधुत्र्यांचपकावै येसारावलिजाय तेलमात्रच्या यर है त दिईतेलनें कानकी लोलकोलगावैतौकांनका लोलकीपीडउगेरेसा शमिटै अरलौलिवधै २२ अथपरिपाटीका कोन्याछ्याहोवा कोनेललि. जीवनीयगणमै तेल पचायें तेलकोमर्द्दनकरैनौ परिपोष्ठिकाच्याछीहोय २३ अथवा अरजोकांकालगावासू उत पातरोगजाय २४ सरमो कलहारी बावची कंकजीनावरकोमांस यांमैतिलांको तेल पकावैमधुरीत्र्यांचसूंपाछैरसवलिजाय तेल मात्रत्र्पायरहे नदिई तेल कान की लौल कैलगावैतोउन्मथजाय २५ अथवा जामुखीकापांन आबकापांन वडकापांन यांकोकाटो करि ईकाटामैंतेलकावें पाछेई तेलको मर्दन करैनोडुः खवर्द्धनरोग जाय २६ अथवा गोबरकाछाणसूंसेकै अथवा कपूरकाइभसूंअथवा गोमूतसं ईकोलेप करैतौ कांनकालौल माछीहोय २७ ये साराजतनभावप्रकाशमेंलिष्या इतिकर्णरोगसंपू
म् अथनासिकाकारोगकी उत्पत्ति लक्षणनामजतनलि० नासिकांमैं चौतीस ३४ रोगले चीनस ? पूर्तिनाश २ नासापाक ३
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४२५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० पूयशालिनघणाछींकावै५छींकावैनहींनाकासवोर ७प्रतिनाह- प्रतिप्रावरभाससोया प्रतिश्यायच्यारिको रको१५ नासार्बदसातप्रकारको २२नाशार्शच्यारिप्रकारको २६ ना कसोथचारिप्रकारको ३० नाशिकामैस्तपित्तच्यारिप्रसारकोश अथपीनसकोलक्षगलि. जीकानांकमैकफकरिसासा डोनरेआवेनहीं अरनांकसँधिनाय अरनांकसूक्योरहे अरजीमें धूंचोनासरेअरजीकानांकसं सुगंधडुरंगधिकावासावेनहींई मपीनसकहाँजै अथपूतनश्यकोलक्षगलिजीकागलाका नालवाकामूलकोवायहैसोपित्तनैंकफर्नेसोहीने इपितकरै अर वेंकामूदाअरनासिकांमैं प्रोवायडर्गधिकाटैस्वासमार्गतीने पूतनश्यरोगकहीजै २ अथनासापाककोलक्षपालिका . नांकमैपित्त इषितहोय अरनांकमैफुलसीकरै अरवेनेपकायें अरमौहि राधिकाटे तीनैनासापाककहिजै ३ अथपूयरक्त कोलक्षगलि जकाललाटमैकहाँनरैसूचोरलागै नदिवेकैदो षकोपकूप्राप्तिहोय धरनासिकाहाराराधिनैलायांलोहानीसरेनी नैंपूयरक्तरोगहिजे अथक्षवथूनामीकपणापावेतों कोलक्षएलिजीकानांकमैंपवनडुष्टहोय ओपवननांकका मर्मस्थाननेषितकरे पाछैनौकफमिले नदियोधणीवारंवार डीकनै प्रगर करे तीनवक्षथूनामरोगवाहिजै अथवक्षथूको औरलक्षगलिजोपुरषनांकमैंमिरचिनैबादिलेरोषदिया ले अथवासूर्यकानादेपे अथवानांकमैताउगैरेघाले तदिवेंका नांकमैकघणीमावेईनभाक्षवथूनामरोगकहिजे अथव क्षथूधसकोलक्षालिजीकानांकमैकफदग्धहोयजायपित्त
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४२६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग करितांपुरषनैंछींकावैनहीं ईनक्षवथूभंशकरोगकहिजै अ थदीप्तिरोगकोलक्षालिजीकानांकमपित्नपिहोयभरना कमैदाहरणोकरै अरनाकमैyबोसोनासरेवावायपवनसंनांक बले ईनंदीप्तिरोगकहिजै अथपतीनाहकोलक्षालिष्यने बायकारकैसंयुक्तकफहैसोनांककासुरनैरोकिदे सासवादेन हीतीनेंपनीनाहकाहजै ९ अथपतिश्रावकोलक्षगलि जांका नांककासुरमाहिजामोअरपालोसुदाईनेंलीयांनांकमांहिंसनास रैनाभतिश्रावकहिजे १० अथनांसासंसोषकोलक्षगलि. जीकानांकमैवायपित्तकफयेतीन्यूडष्टहोयत्तौयोमहाकष्टसंसा सले तीनैनाशासंसोषकहिजे ११ अथमतिश्यायकोलक्षण लिष्यते जीकेपीनसकोरोगहोय अरोआलसकरिकोजतन कौनहींतदिओपीनसवधिभरकोपकरै पारनौरस्थानमैजा यपाछैप्रगटै तदिवेंकोओरअनेकनिजलाउगैरेनामपरे अरोअनेकरोगांनैकरे१२ अथपीनसकोपूर्वरुपलिजांनजीक आपै अरमांथोभारपोरहै अरगजकडबंधहोजाय अररोमांच होय ईनें आदिलेरोररपदहोय तरिजापोजेईकैपानसरोगहो सी३ अथवायकापीनसकोलक्षरगलि जांकानांकमाहि होयपिलासनेलीयांगरमगरमपाणीपडै अरोमनुष्यकृसहो नाय भरवैकोसरीरगरमरहै अरजांकानांकमाहिधमिरूपyगो नीसरै अरोवमनभीकरै तीनपित्तकोपीनसकहिजे १४ अथ कपकापीनसकोलक्षरालि जीकानांकमांहिंजाडोजाडोसु पेटकफघोंनीसरै अरकोसरीरसुपेदहोजाय अरांध्यांक परिसोईहोय अरमांथोभापोहोय अरगलामैंतालवांमैं होगंमैं
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सिरमै बाजिघणी होय तदिजालिजैईको कफकोपीनसडे १५ म थसन्निपात कापीनस कोलक्षएालि० जीकानां कर्मैयेपा कत्यासोसर्वलक्षणहोय अरोपीनसवारंवार होय रजतनक स्यांजायनहीं धरपकै भीनहीं ईनेसन्निपान कोउपपीनसंजाणिजे योभ्वसाध्य १६ अथडुष्टपीनसकोल क्षणलि• जीकोनांक वारंवारपरिवोकरे परसूकिजाय वरसासनांकाठीतरैयावें नहीं नांकरुधिजायश्वरकदेषु लजाय र सुगंधिदुर्गंधिकोग्यां नरहैनहीं ईनेंडुष्टपीनसकहिजे १७ थलो ही काउपज्यापीन सकोलक्षएालि० जीका छातामै चोटलागीहोय नीकैलोहीको पीनसहोय तीकानांमैंलोही वडे सर वेंकैपित्तकापीनसकाल क्षणहोय पर वेंकीत्र्यांपिलालहोय येल क्षणजीकैहोय तो ही कोपीनसकहिजे १८ अथपीनस को साध्यलक्षललि. मालसफरिकेंपीनसकोजननकरैनहींतो सर्वही पीनसयसाध्य होजाय १९ प्रथपीनसवाला कैनांक में कृमिपरिजायतीको लक्षएालि• जीकानां कर्मैपीनसकरिकैंसुपेदारची कणीका रछोटी कृमिपडिजाय मरदासैनंहीं तीं कैसिरको रोग होजाय मरमौरभीरोगांनप्रगटकरै बहरापणांनें नेत्र कारोगांने सोजा नैत्र्मग्निमांद्यनें पासीनें योरोगांनेयो कृमिपीनसप्रगटकरे पर नांकमैर्बुदनांमगांरि ७ प्रकारका होयचे परसोजो ४ प्रकार कोनांक मैं रस ४ प्रकारको रक्तपित्तनांक मैं ४ प्रकारको होय सोयांकालक्षएापाछार्नेलिष्याचे सोबुद्धिवानजाणिलीज्यो ३४ अथपीनसका काचापएको लक्षणलि• जांकोसीरभारयो रहे भोजन में रुचि होय नांकफर वोकरे होलेबोले शरीरक्षीरा
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४२८ अमृतसागर तथा मतापसागर तरंम १० परिजाय थूफेयगों येलक्षणहोयतदिकाचोपीनसजाणिजे २० थपकापीनशकोलक्षणलिजींकानांककोकफजाडोनासरे रनांककाछिद्रकैपिप्योभारहे अरजीकोवर्णमीमाच्योहोजाय पर जोकोसुरभीत्राख्योहोजाय अरभूपउगैरेसलागेतीनेपयोपीन सकहिजै २१ अथनांककारोगांकाजतनलिकालीमिरचि गुड दहीं येतीन्यूंमिलाय अनुमानमाफिकषायती पीनसकोरोगजाय १अथवा कायफल पोहकरमूल काकडासींगी सूहिकालीमिरचि पापलि कलौंजी यांसारांनीमहीवारियांकोचूटिंकादाका रसमेले अथवा ईकोकादोलेतोपानसमें सुरभंगर्ने संनिपातनैं कफनें षासने सासने यांसारांनैयोहरकरै२ अथवा कालफल हीं ग मिरचिलाप इंद्रजवार यच सहजणांकीजर पायविडंग या कोकाटोलेतो पीनसजाय ३ अथव्योषादिगुटिका मूटि का लीमिरचि पीपलि चित्रकतालीसपत्र डांसरयां अमलचे व्य जारो इनपचीतज पत्रज येबराबरिलै यानेमिहींपारि याबरा परि पुरोगुडलेतीकीटंक॥भर गोलीकरै गोलीरोजीमांदिन १० षायतो पानसमें पासनें अरुचिने यांनेडरिकरै४ अथपीनस इरिहोनाकोललि. कल्यालीदांयूपी पच सहजणांकोजालि जुलसीकापान सूनिमिरचि पीपलिसीधोलूा यांसारांनैमिहीं गरि यांमैंनेलपकाचे पाठेईनलकानांसलेतोपानसजाय ५ई तिव्याधीतैलछे अथवा सहजणांकीछाति बस्याली निसान इंडिमिरचियापति सीधोलूपाबीलंकापांनाकोरस यांसारांनेने लमैंपकाचे पाछेतलकानांसलेतौ पीनसजाय इतिशीत लम अथजीनेडीकपणीयावतीकोजतनलि पृत गूगल मोम
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४२९ अगृतसागर तथा प्रतापराागर तरंग यांकानांकमैंधूणादेनौकमावतारहै अथवा सूटिकूर पाप लिवालकागिरि दाप यांकोकाटोकार ईमैं तेलपकाचे पाछैईनेलकी नांसलेती घपीछीफआवेसोडूरिहोय-अथपानसकारिहो याकोचूर्ण वायविडंग सीधोलूगा हींग गूगल मैरासिल वच यां नैमिहींपासि ईर्ने पैती पानसजाय ९ अथपीनसकाइरिहोना कोतेलग भांगिकापानांकोरस सीधोलाईमैंतेलपकायै पाईने लनै पत्तो पीनसजाय १० अथनांकमैंअर्शनागमस्साहोयती कोतल धूंसमो पीपलि दारुहलांधीमाडाकाबीज जवषार. किरमालाकागिरि अथवायकल सीधोलूशा यांमैनेलपकावै पाछै योतेलनांककामस्साकैलगायेनौ मस्साडूरिहोयीऔरनांकका रोगकह्याचे सांकाजतनवांरोगबुद्धिवानदेषिलीज्योर येसर्व जतनभावप्रकासमैसिष्याछै अथवाजोपुरषसोवासमें आधौौटायोपारापातीकेपानसकोरोगजाय१३ अथवा जी रो पृत षाम मिलाय पायतोपीनसजाया४ इतिनासिकांका रोगांकाजतनसंपूर्णम् अथमुषकारोगांकीउत्पत्तिलक्ष एजननलि. अथमुषरोगकोलक्षालि. सुषमासात अंग छे होडमसूरारदांतजीभ४ तालको गलोणलानेप्रादिले रसुषकोसर्वाग७ अथमंढांकासर्वरोगांफीसंष्यालि सर्व मूंदांकासिडकट ६७रोग होउका- मसूरांकाार दांताकाजाभका५ तालवाका ९कंटका सर्वमुषमैं फेलता३ अथमुप रोगांकारत्पत्तिलिः अनूपदेशकामांसकाषावासं पाइथका पीवासू पणादहांकापावासू अरउडदादिलेरपणापावासू कोपर्ड्समाप्तियाजोगायपित्तकफसोमुषकारोगाने प्रगटकरे।
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५३० अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग १७ अथहोउकारोगांकीउत्पत्तिलि होउकारोगग्राउ-छै बायको १पिन्सको २ कफको ३सन्निपातको ४ लोहीको ५ मांसको मेदको ७चोरलागिगाको अथवायकाहोठरोगकोलक्षणलिष्यते जीकाहोठकठोरहीय अरषरधरागादाहोय कालाहोय ज्यामैपीड घणीहोय अरफाट्यायपाहोयतोवायकाकोपकोहोउकोरोगजा पीजै अथपित्तकाकोपकाहोठरोगकोलक्षएलिष्यते जीकाहोगकैफगस्यांहोय अरफास्यांयुबालागिजाय भरवां मैंचोगउदाईपारभाहोय अरयांमैदाहहोय अरपविजाय थरयां कीकांतिपालिहोय नदिजाशिजैपित्तकाकोपकाहोउकोरोगछै २ अथकफकाकोपकाहोरकारोगकोलक्षएलिजांकाहो उदेहकापर्णसरसाहोय अरजुवेअरऊफुएतस्यांहोय अरज्या मैंपारनहींहोय अरज्यांमेंषाजियाये अरज्यांमैकफजाडोअर रोनीसरे नदिजाणिजेकफकाकोपकाहोउकोरोगछैअथस निपातकाकोपकाहोठरोगकोलक्षगलि. घडीकमेतीका लाहोजाय अरघडीकमैपीलाहोजाय घडीकमैसुपेद अरजीमें पलीफणस्याहोय अरसर्वकालक्षाजीममिले तीनसनिपातन काकोपकोहोटकोरोगकहिजै ४ अथलोहाकाकोपकाहोठका रोगकोलक्षणलिजीकाहोगकैफणस्यांधणीहोय अरज्यांमें पाडपशाहोय अरज्यांकोरंगछंवारासरीसोहोय अरज्यांमैंलोही पशोपडे यलक्षणहोयतदिलोहीकाकोपकोहोरकोरोगजाहिजे ७अथचोटकालागिवाकाहोठकारोगकोलक्षणालि जीका होरकैकहींतरसूचोटलागीहोय नादवेंकाहाटफारिजाय पर ठेषाजिमावै अरहोउमथ्यासाहोय अरवांमैपारधीहोय नदिन
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४३१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग, १० जाणिजेचोटकालागिवाकोकोपकोहोठकोरोगछै- अथहोठांका रोगांकाजतनलिज्यांकेहोराकोरोगहोय त्यांफैजलोकालो होकराजेतोहोठांकोरोगजाय २ अथवा घृतमैंशोमनांषि वें सेतीहोठांनैसिकाजेतौहोठांकोरोगजाय २ अथवा च्यारिप्रकार • कास्नेहलत मांसकोघृत ३ अथवा मांसमाहिलीमीजी४ यांच्या स्नेहांमैमोममिलाय चेकोसेककरावेतौहोउकारोगजाय ५ अथवा होठांकीमारछुडायदेतौहोगकोरोगजाय ४ अथवासी तलोषयांपकरेतो होयंकोरोगजाय अथवा फूलप्रियंगु त्रिफला लोद यांनैमिहींपारि स्नेहमैयांकोसेकसुहावतोकरैतौ अथ वा सहत पायती होगकोरोगजाय अथप्रतीसारगविधिः होठांकैचूर्णअवलेह गांगुली सनसनेलगातानप्रतिसारण कहिजे ७ अरहोठांमैघणावएपडिगयोहोय त्यांकाजतनपाछ प्रपाकाप्रकर्णमें लिष्यासोकरिलीज्योत् इतिहोठांकारोगांकाजतनसंपूर्णम् अथम टांकारोगांकानामसंध्याति सीतादिदंतप्पुटरदंतोष्ट ३ सौषिर४ महासोषिर५परिदर उपशुक ७ वैदर्भवलिवनअसिमांस. पंचनाडीवायसूममूंदांकानसनीसरे पित्त ममूंदांकीनसनीसरे १२ कफ मसू दांकीनसनीसरे१३ सन्निपान मसूदांकीनसनीसरै १४ चोटला गिवा मसूदांकीनसनीसरे दंतविधी अथसीतादि मसूदाकारोगकोलक्षगलि.कारणाधिनांहीअकस्मात्मसूदांमैं लोहानीमारिआवै अरयेंलोहीमैडरगंधियाचे अरगोलोहीकालोहो यभरमस्टाकोमलहोय परमसूदाविषरिजायापसमैपकिया लागजाय योकफलोहीकाइष्टपणांसूउपजैछे ई.सीतादिमसूदांडो
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४३२ . अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ रोगकाहिजे। अथदंतयुपटमसूदाकारोगकोलक्षणलि. दांताकातीनमनदांमैसोजोयगोहोजाययोकफलोहीकाकोपसंहो यछैनेंदंतवेदयुपटरोगकाहजै २ अथदंतवेष्टरोगकोलक्ष एलिजाकामसूदांमैराधिलीयांलोहानीसरे अरदांनहालवालागि जाय ईनदंतोष्टमसूदांकोरोगकहिजे३ अथसोषिरमसूदांका रोगकोलक्षगलि. मसूदांमैसोजोहोयावै अरबठेपाडहोय अरलालपडै अरपाजावै ईनसोषिरनाममसूरांकोरोगकहिजै ४ योकफवायसंउपज्योछे ४ प्रथमहांसोषिररोगकोलक्षण लि. मसूदानेदांतहालबालागजाय अरतालचोवैडिजाय कैताल वाकैछेदपडिजाय योसन्निपातकाकोप उपज्योछे ई.महासौषि रकहिजै ५ अथपरिदरमसूदांकारोगकोलागलि जीका दांताकामसूदाविषरिजाय अरवांमैंसोहीवहेनहीं अपित्तलोही कफयांकाकोप उपजेरो ईनेंपरिदरकहिजे अथउपकुश मसूदांकारोगकोलक्षएलिज्योकामसूदांमैदाहाहोय अरप किजाय दांतहालवालागे अज्यांमसूदानेदाच्या अथवा प्रोषयां सपस्पांलोहानासरै अरवांमैपाउनहींहोय अरमूंदांमैडुरंगधिन्या बैयोपित्तलोहाइपजैछ ईनेउपकुषारोगकाहिजै अथवैद भयसूदारोगकोलक्षएलिजाकामसंदाकैकहीं नरैसंचो इलागे अथवावैद्यस्याजाय तदिवांकेसोजोहोजाय अरदांतहा लवालागै अर`मैंदाहपीडामाहोय ईनवेदर्भरोगकहिजै धरदलिपईनरोगकोसागलि जीकामसूदांमैदानअधिक • बथै अरबंटेपीरपणीहोय वेनेवलियर्डनरोगकहिजै९ अथ
अधिमांसरोगकोलक्षालिजीकीनीचरलीमादकाअंतमैं
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४३३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १० सोजोघणोंहोय परपीडपपीहोय मूंढांमैलालपडै योकफसंउप ज्योछे ईनअधिमांसरोगकहिजे १० अथमसूदांकानसांमैरोग कोलक्षरालि. पायपित्तकफसंनिपात अरचोटलागिवोयां पां चनसाकारोगहोयछै १५ अथदंतविद्रधीरोगकोलक्षएलि. दांताकामसूदामैंलोहीनीसरै अरघोसोजोहोय अरदाहहोय. अरपीड होय अरराधिलोहीलीयांधणोईनेदंतविधीमसू टांकोरोगकहा।६ अथमसूदांकारोगांकाजननलिक अथ सीतादिमसूदांकोजतनलिईरोगमैमसूदाकोलोहीकदाजे पाछेमटि सिरस्यूं त्रिफला यांकोकादोकरिकुरलाकरेतोसीनम सूटांकोरोगजाय। अथवा हाराकसीस पठाणीलोद पापलि में सिल फूलपियंगु तेजफल येवराबारले त्यांनैमिहींवांटि सहन मसूदोकेलगावेतो सीतादिमसूदोकोरोगजाय अथवा तेलकै तकाकरलाकरेतीसीतादिमसूदांकोरोगजाय३ अथदंतप्पुपुट कोजतनलिईरोगमैमसूदोकोलोहीकठायतींऊपरिपांचूलू राजवषारसहतनांषि यांकोकादोकरितीकाकुरलाकरेतो दंतप्यु पुररोगजाय ४ अथदंतवोष्टिकोजतनलिनेचीकपाभोज नकराजे अरतेलकाहरलाकराजेनो योरोगजाय ५अथचल दंतकोजतनलि. लोट् पतंग महवो लाष बौलसिरीकीवकल यांनमिहींवांटि ईकाचूर्णमसूटांके मसलेतोचलदंतकोरोगजा य अथवा नागरमोथो हरडैकालालि सूठि मिरचि पीपलि वा यविडंग नींबकापान यांनमिहींपांटिगोमूतसूं क्रीगोलाकर पा छै छायासुकाय अरसोचतांगोलीमूंदांमैरापैनौ चलदंतकोरोग जाय दांतगादाहोय ७ इनिभद्रमुस्तादिगुटिसंपूर्णम् ॥
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४३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरग १९ अथवा नीलाफूलकोकसेलो धमासो पैरसार जामुणिकीवकल पावकीवकल गहलोडकमलगट्टायेसाराबराबरिलेटकाटकाभ र पालेयांसेर १६ पाणीमोटायचतुर्थाशजलराणे पाछैईमैं तेलतथावकरीकोडूधमथुरायांचसंपकावे पोरसबसिजायतेल आयरहै नदिईतेलयात घडीरमूंटामैरातो दांतगादाहोयर इतिसहचराद्यतेलम् अथसोषिररोगकोजतनलिईरोग मेंमसूदांकोलोहीकाटै पाछैलोद नागरमोथो रसोत सहत यांसा रांनैमिहीवारि सहतसेतीमसूदाकैलेपकरै अरपाछैधकाकुर लाकरेतोसोषिरमसूदांकोरोगजाय९अथपरिदरकोजतनलि प्रथममसूदांकोलोहाकादै पाछैसूर सिरस्यूं त्रिफला यांकोका टोकरिकाकुरलाकरेती परदल उपकुश येरोगजाय १ अथ मसूदांकात्रणकोजतनलि गूलरकापांन लवण सहत मूरि मिराचि पीपलियाने पोटायकाटोकरै अरम टांकोशस्त्रसूरू धिरकाटै पाछेईकाकागकुरलाकरे पाछैमसूटोकैलवएउगेरै
यूषारलगावैतो मसूदांकावरामाच्याहोय अरवांकीहमिमरि जाय अरयोरोगजातोरहे ११ अथषनिवर्द्धनकोजतनलि. ईरोगकामसूरांकोगांसकाटिनापजै पाछेसहतकाकुरलाकरा जै पाछै वच तेल बल पारसाजीजवषार पीपलि यांनॉमिहीवां रिमसूदांकैलगातो स्वनिवईनरोगजायार अथमसूदांकी नसांमैपांचप्रकारकानात्यांकाजतनलि. वांमसूदांकोमा सशस्त्र दुरिकरे पाछपरोल नीवकापान त्रिफला यांकोकाटोक
पाछेक्यूं गरमसुहावनाईकाकुरलाक रेतौ मसूदांकीनसांका अाजाय१३ अथवा चंचेलीकापानधनराकापान कस्याली गो
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४३५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ षरुकोपंचांग यजीउलोद घेरसार महलोठी योकोकाटोकरि ई काटामधुरांचसंपलपकाचे पाछेईल काकरलाकरैतीम सूदांकाबराउगैरेसर्वरोगजाय १४ इलिमसूटोकारोगांकाज तनसं० अथदाताकारोगांकीनांमसंपालिष्य दालिन। कृमिदंतकर भंजनक ३दंत्तहर्ष ४ दंतसरा ५ कापालिकश्या वदंत कराल अथदालिननामदांतकारोगकोलक्षण. जीकादतमैदादांतकीपीडहोय यापीडवायसंहोयछै ईनैदालि ननामदांतकोरोगकहिजै १ अथवमिदंतककोलक्षरालि. जीकादांतमैकालाछिद्रपडिजाय अरहालै अरवांमैंबूयूंरुधिर नीसरे अरबकैसोजोहोय अरपांमैपाडभीहोय विनाकारणही वायकी नीनेहमिदंतरोगकहीजे २ अथभजनकरोगको लक्षगलि जीकादांतवांकावांकाहोयदिजाय योकफवाय {उपजैछै ई.मंजनकरोगकहीजै३ अथदंबहर्षरोगकोल क्षएालि. जीकैसीतलजलादिकसू लषीयस्तरां सीतलपव नसं पटाईतूं दांताच्याजाय पारोहोजाय योवायपित्त झे यछै नीदंतहर्षकहिजै ४ अथदंतशर्कराकोलक्षरालि. ज्यांकादांनामैंमैलरहे पेंमेलनेकफवायसोषिले पाछेवेंकादा तभरथरालागेअररेतकीसीनाईषिरताजाय तीनेदंतशर्करा कहिजै ५अथकापालिकीनामरोगकोलक्षएलिजी कादांतमाटिकापडाकाकापालसरीसाहोय अरवांछिद्रही य अरषिरै भरवांमैमेलहोय तीनेकापालीकरोगकहीजे अथस्यावदंतकरोगकोलक्षालि जीकादांतडष्टलोही मंमिल्योजोपित्तनीकारसारादग्धहोयजाय अरकादांनकाला
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४३६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ अरसीलापडिजायनीनेस्याचदंतरोगकाहिजै ७ अथकरालरो गकोलक्षालि. जीकादांतानेवायहैसोसनेंसनेराघाटका कारदेभयंकर ईनेंकरालदांतकोरोगकहीजे योरोगजननांसूं भीआव्योहोयनहीं अथग्रंथांतर हनुमोक्षदांता कारोगकोलक्षालिन्जीकाडादीमैंवायकुपितहोय दांतांनैं पकडै दानामें अथवाडादी मेंपीडकरैतीहनुमोक्षरोगकही जै वेमेंअरदितरोगकालक्षमिले ९ अथदांताकारोगांका जतनलि. अथलाक्षादितैललि० लापकोरससेरऽतिलांकोलसेरपावागउकोइधसेरपावालोददकाकायफ लटकारामजीङ्गका कमलगट्टाटका कमलकीकेसरिटंका
रक्तचंदनटकाशमहलोठीटका यांसारांकोकाटोकरै पाछै ईकादामैमधुरायांच तेलपकावे येसर्वरसउगैरेबलिजाय तेलायरहै नदिईनेलनैंमूंटामैघडी राषेतीदांताकासारा हीर-रोगजाय अरदांतगादाहोय इतिलाक्षादिनेलम् अथवा वायनेंडूरिकरिवावालाजोल त्यांकाकुरलाकरैनौ दांनाका सारारोगजाय २ अथकमिदंतकोजतनलि. ही गर्नेक्यूयेकगरमकरिदांताकेविचेदेनोदांताकीकृमिजाय३ अथवा कागलहरिनीलकीजड करवीनीकीजड यानेमिहीं वांटियांकोदांताकैमर्दनकरैतो दांतकीकृमिजाय५अथदांत
व्यारहैतीकीयोषदि० सांभरोलूएनरकचूर सूठिा कलकरो यांने मिहींपाटिदांताकैमर्दनकरैतौरानीव्यापाड्या होय अथदांताकासर्वरोगजांबाकीऔषदि पांचूलए नीलोथूथो सूठि मिरचि पीपलि पीपलामूल हाराकसीसमां
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४३७
१८
G
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जूफल वायविडंग यांनैमिही वांटियां को दांता कै मर्छ न करे तो दांना कासर्वरोगजाय ७ अथदांतगादाहोवाकीमिस्सीलि० हीराक सीस मांजुफल लोहचूर सौनामुषी मजीठ फुलाई फिटकडी त्रि फला येसारा बराबरिले यांनेघरलमेंमिहींचांटि काजलसिरीसा करै पाछे मासो । दाताकैघडी २ मसलैईविधिदिन ७ करैतौदांत स्यामहोय - अथदांताका सर्वविरहर बाकी औषदिलि० फि टकडी फुलाई नीलोथुथो तेजबल पापड्यौ काथ पीपलिकीक चीलाष सूंठ मिरचि पीपलि आंवला हीराकसीस माजूफल मजीठ रूमीमस्तंगी बौलसिरीकीवकल सीधोलूण दिषणीसु पारी येसाराबराबरिले पाछैयांने कूटि कपड छाए करि निर्गुडी कारसकीपुट २१ दे पाछैवैौलसिरीकावकलकीपुर २१ दे पुटदे तावडेंसकाचे पाछैईनेंमिहीनांटिक्यूसीधोलूए मिलाने पाछै कोदांता कै मर्दनकरैतौ दांताका सर्वरोगजाय ९ श्रथदांता का इषवाकीऔरषदिलि० कूठटंक ५ ठिटंक ५ मिरचिटंक ५ पीपलिटंक ५ बुरा साणी अजवाय टंक ५ हरडैकाछालिटं क ५काथटंक ५ यांनैमिही वांटि दांता कैमर्दन करैतौ दांतडूषता रहे १० अथवा गंगापारकीतमाषू व्याकलकरी कायफल वाय विडंग सूंठि मिरचि पीपलि लूल यांनैमिहींवांटि यांकोमनक रैतीदांत षतार है ११ अथदांत हालताहोयपरचांमैपीड चालतीकोषदिलि० पीपलि सांधोलूण जीरो हरकीछा लिमोचारस यांनमहीवांटि दांनाकैरगडैनौ यंनहालतार है अर बांकीपीडजाय १२ अथवा नागरमोथौ हरडैकी छाल सूं ठि मिरचि पीपलि वायविडंग नीचकापांन यांनमिहीनांटियाके
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४३८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. १९ गोमूतकीपुट ३दे छायासुकाय गोलाकरै पाछत्रागोलारातिर्ने सोवतांमूंटामैंराले परप्रभातिवेंगोला.नांपै पाछैकुरलाकरेनौदा ताकासर्वरोगजाय १३ अथवा फिरकडानीलोथूथो परसार पा पस्यो काथनेजवल कच्चीलापवंसलोचन मिरचि आंवला मजार संमीमसंगी बोलसिरीकीवकलसीधोलूए मांजूफल दिषगीसु पारी यांनैमिवाटिकपडछाएकरियांकेनिर्गुडीकारसकीघगी पुरदे पाछैयांकेचंवलीकारसकीपुरदे तावडेसुकावतोजायपा छैचौलसिरीकीघणीपुरदे पाछेसुकाययांनमिहींपाटि दांनाकै रगडैतौदांतगाढाहोय अरदांताकासर्वरोगजाय १४ अथदा तांमैलोहीनासरेतीकाओषदिलि साँधोलूरा पैरसार कूल घणो सूठि सेक्योजीरो यांनैमिहींवांटि दांताकैमर्द नकरैतो दांताकौलोहीनीसरतोरहै १५ इनिदांताकारोगांका जतनसंपूर्ण अथजीभकारोगांकाउत्पत्तिनामसरव्यालि. जीभकारोग५वायको१पित्तकोर कफको ३अलास ४उपजिव्हा ५ अथवायकाजिव्हारोगाकोलक्षएलिजीकाजीभफा टिजाय अरसोईहोय अरहरीहोयजाय अरजीमैंकांटापडिजा यअरस्वादकोज्ञानजातोरहै येलक्षणहोयतदिवायकोजीमकै रोगजाहिजै अथपित्तकाजीभरोगकोलक्षगलिजाकीजी भमैंदाहरहै अरजाभकोवर्णलालहोय अरकांटापडिजाय तदि जाणिजेडजीभपित्तकोरोगछै २अथकफकाजीभकोलक्षा.. जीकाजाभभारीलषावै अरजाडीहोयजाय अरजीभमैंसपेदका टापडै तौकफकोजीभरोगजारािजै ३ अथअलासजीभकारो गकोतमालिजीभकैनाचैघणोंसोजोहोय अरयोजीभमैंल
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४३९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १ छुकरिदे अरमादी लडुकरिदे हालवादेनहीं अरजीभनांचैपकि. जाय योरोगकफलोहा पैदाहोयछ ईनेंअलासकहीजै४.अथ उपजिव्हाकोलक्षगलि जीयकाअशीऊपरेसोजोहोय दूसरी जाभसिरीसोजागाजेडूसरीजीभछै अरलालयगीपडै अरमेषा जियावे अरमेंदाहहोय ईनेंउपजिव्हाजीभकोरोगकहीजै५ थजीभकारोगांकाजननलिजाभकासारांरोगांकाइरिकार वाकैवास्तैलोहीकटावोजोग्यछै १ अथवा गिलवै पीपलि नींबकी छालि कुटकी यांकोकाटोकरिकुरलाकरेतोजीभकारोगजाय २ अथवा होठकाजतनपाछैकत्याछैत्या भाजीभकारोगजायछे ३ अथवा सूहि मिरचि पीपलि जवषार हरडे यांनैमिहींपाटि जीभकैलगावेतोजीभकारोगजाय४ अथवा मुठि मिरचि पीप लिजवषारहरडेकीछालियांमैंनेलपकायईतेलकाकुरलाकरै तौ उपजिहाडूरिहोय५ अथपुनःजीभकाओषदिलि कच नारलकीवकलकाकादाकाकुरलाकरैतौजीभकासर्वरोगजाय ५ इनिजीभकारोगांकाजतनसं• अथतालवाकारोगांकी नामसरव्यालि नालवाकारोग९ गलसुंडीतुंडकेसरीरध्रुव ३कछप४ नाल्चर्बुद ५मांससंघात ताल्वप्युपुट ७ तालसोस -तालपाल ९ अथगलसंडिकोलक्षालि तालवाकीजडसूं सोजोबमोवधै अरोसोजोकूटीषालसिरीसोहोयजाणिजेई षालमेंवायभर्दिनाछै अरउनेतिसलागेअरषाससासभाहोय ईनेंगलसुंडीरोगकहीजै योकफलोहामंडपज्योछ। अथतुंडके सरकोलक्षालिनालयाकीजडसूंउपज्योजोसोजौ सोदाह रपीउअरपकिपानेलीयांउपजैसोयोकफलोहीकादृष्टपणांसू
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४४. अमृतसागर तथापतापसागर नरंग १७ उपज्यो ईनेतुंउकेसरीरोगकहिजै २ अथध्रुवरोगकोलक्षालि जीकातालयांमैसोजोलालहोयजुरनेलीयांतीनेंध्रुवनामरोगक होजै३अथकच्छपरोगकोलक्षएलिजीकातालचांमैसोजी काछबाकैयाकारउंचोहोय अरवेमैंपाडहोय योकफ उपज्योछै ईनैकरोगकहिजै अथताल्वर्बुदकोलक्षगलि जीकाता लयांमैंसोजोकमलकैाकारहोय अरजीमैंवभाअंकुरहोय ती नेताल्वर्बुदरोगकहीजै५ अथमांसधातरोगकोलागलि. जीकाताल्लामेंडष्टमांसधैजीमैपाउनहींहोयतीनेमांससंघात रोगकहीजै अथताल्वप्युपुटरोगकोलारालि जकाताल वांमैंगोरसरासोसोजोहोयजीमैंपीडनहींहोय तीनेताल्लयुपुट रोगकहिजै अथतालुसोसकोलक्षालि जीकोतालबोसू कोजाय अरफाटिजाय अरस्वासोयावै तीनेतालुसोसकहिजे - अथतालुपाककोलक्षालिजीकोतालवोगरमी घणों पकिजाय तीनेतालुपाकरोगकहीजै९ अथतालवांकारोगांका जतनलि गलसुंडीरोगहोयजीनेचतुरवैयहैसो शस्त्रविसक रिककाटिनाषेती गलसुंडीरोगजाय अथवा कूरमिरकिसी धोलूएपाठ मोथो यांनैमिहींवांटिगलसंसुडीकैमसलतोगासं
रोगजायर अथवा पीपलि प्रतीसकूठवचसंहकालीमिर विसौधोलूरा यांनमिहींपांटिसहनसेतीगलमुरीकैलगावेतो गलसुंडीपालीहोय अथवा पीपलि अतीस कुरु वच रास्मा कुटकी नींबकीछालि यांनजौकूरकरियाकोकादोलेतो तालवा कागलसुंडीतुंडकेसरीने आदिलेरसर्वरोगजाय४ इतिताल याकारोगांकाजतनसंपूर्णम् अथगलाकारोगांकाना
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४४१ अमृतसागर नथापनापसागरतरंग १८ मसंरव्यालि• गलाकाअारारोगछे पांचप्रकारकातोरोहिणी वायकी पित्तकीर कफकीसन्निपातकी४ लोहीकी ५कंठसालू क६ अधिजिव्हा ७ वलयान् अलास९एकदंद१० इंद११ शत प्रारगिलयु१३ गलविधी१४ गलौघा५स्वरना मांसतांन१७ विदारी१८ अथवायकारोहिणीकोलक्षएलिसारीजीभमें घापीडहोय अरजीभेमेंसारैमासकांअंकरनीसरिआवेअर वासुकंठरुकिजाय अरवायकासर्वउपदवहोजाय ईनवायकी रोहिणीकहिजे १ अथपित्तकारोहिणीकोलक्षरालिजीको गलोपकिजाय अरगलामैंदाहहोय अरजुरपणीहोय ईनेपिनकारोहिणीकहिजै २ अथकफकीरोहिणीकोलक्षगलि. जीकागलाकासोतकफ रुकिजाय अरगोलोमोडोपकै अरग लोभास्योहोय ईनेंकफकारोहिणीकहिजे अथसन्निपातकी रोहिणीकोलक्षरालि ओंडोजीकोपाकहोय अरकोवार्य हारहोयनहींजतना भीअरजीमैसर्वलक्षामिले वात्रिदो षकारोहिणीजाणिजे ४ अथलोहीकारोहिणीकोलक्षालिए जीकागलामैफोडोहोयादै अरज्यांमैपित्तकालक्षामिले ती मेंलोहीकारोहिणीकहिजे ५ अथकंठसालूककोलक्षरालि. जीकागलामेंबोरकीमांगीप्रमाागांरिहोय अरगलामैषरधरा २ कांसंपडिजाय परांठेपीडभीहोय तीनकंठसालूककहिजै ५ अथअधिजिव्हारोगकोलक्षगलि जानाजीभाभीके उपरीसोजोहोय अरलोहीनैलीयांकफनैथूकै अरजीभकफलाही संपालीरहै ईनअधिजिव्हारोगकहिजै ७ अथबलयरोगकोलक्ष रालि जीकागलामेंकफवधै पाछैओगलामेसीजानेकरै अन्माउंगे
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४४२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रैगलामैंजाबादेनहिंवेंकोमार्गरोकिदे ईनैवलयगलाकोरोगक हिजै - योमसाध्यछें प्रथमलासरोगको लक्षणलि० जीका गलामेंकफवायवधिकार गलामै सोजोकरै श्ररस्वासनैरपी डनैंप्रगटकरै मर्मस्थानमैंछेदताथका हियामैंपीडकरै ईनें
सरोगकहिजै ९ भएकटंदकोलक्षएालि० जीकागला मैंकफञ्चरलोही दुष्टहुका थकागला कैमांहिगोलारउंचीसोई नेंकरे दानेंलीयां अरउठेषाजिभीचाले गलोपकिजाय रगें, लोभास्यौकोमललषावै ईनेंएकटंदरोगका हजै १० अथवृंदना मगलाकारोगको लक्षएालि० जींकागला में पित्तारलोहीकोप कंप्राप्तिहोय वासंयुक्तगलामैंथिनांपीडासोजानें प्रगटकरै अर गलामैंदाहकरै अरतीयजुरनैंपदाकरै ईनेंवृंदनामगलाकोरो गकहिजै ११ प्रथशतघ्नी कोलक्षएालि• जीकागला मैं मांस कात्र्ांकूरजामाजामाकरडाकरडा कंठनेंरोकिबाबालाघणाऊ गैर वापीडघणीचा प्रारंगाने हरवावाली पारोगत्रिदोष काको पशूंहोय सोमसाध्यछे ईनॅशतघ्नीगलाकोरोगकहिजे १२ थगिलायुरोगकोलक्षालि० जीकागलायांबला कामगी प्रमाणगांठ होय अरऊंठेप्रीडकमहोय बागांठिकफ लोहीसूंहोयछै अरभोजनकरतांचावुरीलागे ईनोंगलायुरोगक हिजै १३ अथगलविद्रधीकोलक्षणलि० जीकासारागला में सोजोहोय अरउठेपीडघएगीहोय योभीत्रिदोषकाकोपसूंहोयछै ईनेंगलविद्रधिरोगकहिजै १४ अथगलौधकोलक्षणलि. जी कागलाका मार्ग मैं सोजो गोंहोय अरजी कागलामैं पवनभीजा यसकैनहीं धरतीव्रजुर होयजाय योकफलोही काडुष्टपणांसू
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४४३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग होयछै ईनैंगलोघरोगकहीजै १५ अथस्वरघ्नरोगको लक्षणलि. जीकागलामैंकफदुष्टहोयगला कास्वर नें दूरिकरै अरसासदोहरो लियोजाय परघांघोबोलै भोजनकस्योजायनहीं योकफकंठका पवन बिगाडे ईनेंस्वरघ्नरोगकहिजै १६ प्रथमांसतान कोलक्ष एलि• जीकागला में सोजोक मसूंबधै अरसारागलामै फैलिजा य गलामेपीडहोय योभीत्रिदोषसंहोय ईनेंमांसतानरोगकहि जै १७ थविदारीरोगकोलक्षगलि• तांकागलामै तांबाकाव सिरासो दाहनेंलीयांसोजीहोय अरगलोलटकिजाय पकिजाय जीमैंराधिपडे यो पित्तकाकोपसंहोय अरगलाकापसवाडामैज असोवैतीविदारिकंदसोहोय तीन विदारीगलाकोरोगकहिजै १८ अथगलाका रोगां काजतनलि० जीकैरोहिणी होय ताँका गलाकोजलौकासूंलो ही कढाजेनौरोहिणी रोगयाछोहोय १ ग लाकासारारोगांकाजतन वमनकरावो औषद्यांसंहकाप्यावो श्रौषद्यांकाकुरलाकरावो नंसदेवो लोहीछुडावो लूकोसेक येसारागलाकारोगनैंत्र्प्राछा २ अथवा स्नेहका कुरलायेवायका गलाकारोगनैच्प्राख्या३ प्रथपित्तकारोगकाजतनलि० मिश्री सहन फुलप्रियंगु यांका काढासूंपित्तकागलाकारोगजाय ४ अथकफकारोगांकोजतनलि• घरकोधूमसो कुटकी यां काकाढासूंक फकारोगजाय ५ अथवा कुटकी सूंठि पीपल मि रचि वायविडंग दांस्यूली सांधोलू यांकोकाढोकरिती नेलप कावै पाछैईतेलकानांसलेतौ कफकागलाका सर्वरोगजाय ६ थनाविष्णुक्रांना कोकाढोपीवैतौरोहिणीनामगलाकोरोगजाय ७ अथवा विष्णुक्रांताप्ररसाषाहूलीयांदोन्यांनेघोटिपीवैतौ कंठ
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४४४ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १० सालूक तुमकेसरी उपजिड़क अधिजिदयेकदरंद गिलयुयेस
रोगजाय अथशस्त्रक्रियाकरि गलाकोरुधिरकटावेतोग लविद्राअादिलेरगलाकासर्वरोगजाय९ अथकंउकारोगां काजतनलि. कंठरोगांकेविषैलोहीकदावों मांसदेशीयांसूं कंटाच्याहोय १० अथवा दारुहलद नींबकीछालि इंजपहर डैकीछालि नजयांकोकाटोकरिसहननांषिपीवैती कंउकासर्वरोग जा अथवा कुटकी अतीस दारुहल नागरमोथो इंजवयां कोकाटोकरिकादामेंगोमूतनांषिपवितो कंउकासर्वरोगजाय१२ अथवा हरडैकीछालीकोकाटोसहतनांषिपावतो कंठकासर्वरोग जाया अथवा मिनकादाष कुरका सूठि मिरचि पीपलिदासह उद तजत्रिफला नागरमोथो पाउ रसोन मूर्वा तेजबल हलदयां कोकाटोसहतनांषिपावेतो अथवाईकाकुरलाकरेअथवायांकी सहनसंगोलीबांधिगोलीमूंटामैरातो गलाकाटकासारारोग जाय।४ अथगलाकासर्वरोगांकीगोली तेजबल पाउर सोत दारुहलद पीपलियानमिहीवांटिसहतसंगोलीबांधै पा छैईगोली.मूंदामेंराषेतौसर्वगलाकारोगजाय १५ तिगला कारोगांकाजतनसंपूर्ण अथसमस्तमषरोगांकी उत्पत्ति संथालिष्यते वायकोमुषरोगापित्तकोर कफको३ अथवाय कामषरोगकोलक्षरालिजाका रामैसर्वनडालाहोयजाय अरवामपाडपणाहोयतौबायकोमुषरोगजाणिजे अथपित्तका मुषरोगकोलक्षरालिजीका टामैंछालालालहोय दाहनेली यांअरचपालाहोयतीनेपित्तकोमुषरोगकहिजै२ अथकफका मषरोगकोलक्षरालिजीकामूटामेछालासुपेदविनापीउहोय
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग रवांमेषाजिया तीन कफको मुषरोगकहिजै ३ प्रथमुषरो गकोप्रसाध्यलक्षणलि• जीकाहोगं में छालाहोय परमसू मैं होय मांस लोही काकोपसूं श्रभिदोषकाको पशूंभा होय सोमसाध्यजाणीजै ४ अथसमस्तमुषरोगांकाजतनलिष्य० वायकामुषमैंछालाहोयतौ लूफिटकडीकाकुरला कराजै १ अथवा चायनैइरि करिया वालातेलकाकुरलासूंये छालाजाय २ अथपित्तका छालाकोजतनलि • महलौटी बैरसार यांनी टायईमैंसहननांषि ईकाकुरलाकरैतौ पित्तकामुषरोगकाछा लाजाय ३ अथवा इधनेंगरमकरिक्यूं घृतसहतनांषिवेंकाकु रलाकरैतो पित्तरोगकाछावाजाय ४ अथकफकाछालां को जतनलि० नीलोथुथो फिटकडि यांनैवांटिछालांकै लगावै तौ अरमूंटांकी लारनांषतौजायनौकफकाळालाजाय ५ प्रथसंनि पातकाछा लांकोजतनलि० यांरोगांमैंमूढांकीनसकीसीरछु डावेतौ येछा लाजाय ६ अथवा चैवैलीकापांन गिलवै त्रिफला जवासौ दारुहलद दाष यांकोकाटोकरिता मैं सहतनांषिका कुरला करैतीनिदोषकामुषका छालाआय ७ अथवा कालोजीरो कूठ इंद्रजव यांनैमिहींवांटिदांतानींचे अरमुषमैंर सजायतीं नैं थूकतोजायतौ त्रिदोषका छाला च्याख्याहोय - अथवा पठोल कापांन नींबकीछालि जामुणिकापांन आंवलाकापांन चंबेली कापांन यांकोकाटोकरि पाछैयांकाकुरलाकरैतौभिदोषकोभुष पाकछालाजाय ९ अथवा पटोलकापांन त्रिफला दारुहलद यांकोकाढोकरितींमैसहननांषि ईकाकुरलाकरैतौ निदोषकोमुट प्राकजाय १० अथवा षस पटोल नागरमोथो हरडैकी चालिक
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४४६, अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १८ टकी महलोठी किरमालाकीछालि रक्तचंदन यांकोकाटोले अ थवाईकाकुरलाकरैतौ त्रिदोषकामुषपाकछालाजाय अथवा तिलांकाडांड कमलकाजड वृतमिश्रीधसहत यांसारांनैएकठगकारयांकाकुरलाकरेतौ त्रिदोषकामुषपाककाछालाजाय १२ अथवा हलद नींबकापान महलोठी कमल कीजड यांनतेल मेपकाचे पाछैईतेलकाकुरताकरतो त्रिदोषकामुषपाककाछाला जाय १३ येसाराजतनभावप्रकासमैलिष्याछै प्रथमुपपा ककारिकरिवाकाओरजननलि.चंचेलीकापानांनेचा वैतौछालाजाय १४ अथषेरसारकीगोलीलि. षेरसारजा यफल भीमसेनीकपूर दिषगीसुपारीतज पत्रज नागकेसरि इलायचा कस्तूरीयेसर्वबराबरिले यांनैमिहीवांटिषैरसारकाकाटामेंयांकागोलाबांधेचणाप्रमाण पाछैगोलीमूंटांमैंराषे तौजीमका होगका दांताका मूंटांका गलाका तालवाका सर्वरोग जाय१५ अथडूसरीगोली. जायफल कस्तूरी भीमसेनीक पूर सुपारी यांकीबराबरिषैरसारयांनैमिहींवांटिगोलिकरिम पमैंराषेतौ मुषकारोगजाय१६ अथवा दारुहलद गिलवैये लीकापांन दाषअजवायण त्रिफला यांकोकाटोकरिकुरलाक रेतो मुषपाकजाय १७ येजतनवेयरहस्यमेछै अथग्दा उपरकिछायाहूरिहोचाकाजतनति गोंद धणों वच गोरो चन मिरचि यांनैवांटिमुषकैलेपकरेतोछायाजाय अथवा सरस्यूं वच लोद सीधोलूरा यांनैपाणीवांटिमुषकैलेपकर तोछायाजाय २ अथवा रक्तचंदन मजीठ दूर लोद प्रियंग व उकाअंकूर मसूर यांनैजलसंचाटिलगावैतौछायाजाय ३
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४४७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १८ अथवा जायफलनेघसिलगावेतौछायाजाय ४ अथवा पाकका दूधमैंहलदनेंभेयलगावेतोछायाजाय ५ अथवा मसूरनेंदूधसूं पीसियतमिलायलेपकरैतोछायाजायकांतिवथै अथवा के सरि कमलकीजड अथवा केसरिरक्तचंदन लोद षस मजीठ महलोरी परजकूर गोरोचन दोन्यूंहलद लाष नागकेसरि केसूला फूलप्रियंगु पडकाअंकूर चंवेलीकापांन मोम सरस्यूं वच यांकोकाटोकरि ईकादामेंतेलपकावे मधुरीयांचसूं पाईं ईनेलकोमईनकरेती मूदांकीछाया कील तिल मस्साउगैरै मूंटा कासर्वविकारजाय ७ इतिहुंकुमाद्यतेलम् येसर्वभावप्रका समैछ इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजराजें द्रश्रीसचाईप्रतापसिंहजाविरचितेअमृतसागरनामग्रंथे क्षदरोगमस्तगरोगनेत्रांकारोगकानकासर्वरोगनांकका सर्वरोगमुषकासर्वरोगहोगंकामसूदांकादाताकाजीभकातालवाकागलाकायांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षणजत ननिरूपणंनामअष्टादशस्तरंगःसंपूर्णम् १ अथसर्वस्था परजंगमविषमात्रकाअरयां उपज्याजोरोगत्यांकीउत्प त्तिलक्षरगजतनसिष्यते प्रथमविष दोयप्रकारकोछे स्था वर जंगमर स्थावरविषहेसोदश १० जायगारहै छकीजड मैं पत्रमैं २फलमैं पुष्पमें४ छालिमैं५ रक्षकाडूधमै र क्षकासारमे वृक्षकारसनामाद.- धातमावहरतालादिक मैं ९ कंदनामसींगीमोहरादिकमें यदिशजायगांस्थावरचिः परहै अथजंगमविषा जायगांमैरसोलि० मनुष्यादि कांकीदृष्टिमैंसर्पादिकांकासासमें२सानसगात्सरिकांकी
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग माढमैं ३ सिंहव्याघ्रादिकांकानखामैं ४ विसमरादिकांका मूलमैं ५ मूत्रमैं ६ वंदरादिकांकाथुक्रमैं ७ हिडक्याजिनावरस्वान सृगा लमैत्र्यादिलेर त्यांकीलाल विष ९ गरमचस्तषाई होय इसी जोस्त्री त्यांकाभगमैविष १० अरगरमवस्तज्यांषायहोयत्यांकीगुदामैविष ११ सर्पादिकांकाकांहाडमै विष १२ न्यौलामांछलानैचादिलेरत्यां कापित्तमें विष १३ भौरादिकां काकां टामै विष १४ भूषककादांतां मैंथिष १५ सिंहादिकां कारोगमै विष १६ अथस्थावरविषपायां जोरोगकैसोलि० स्थावरविषषायांजुरहोय हिचकी होय दांतत्र्यां व्याहोय गलोषकड्योजाय मूंटेजागच्याचे छादणी होय अरुचि होय स्वासहोय मूर्छाहोय जीमैंयेलक्षण होयतदिजाणिजे स्था वरविषषायो । प्रथवृक्षादिकां की जडकाविषषावाकाल क्षएालि० वृक्षादिकांकीजडकाविषषायांवमनहोय मोहहीय बकबोहोय १ अथवृक्षादिकांकापत्रकाविषषावाकालक्ष एलि॰ जंभाईयणीत्र्याचे शरीरकांपै स्वासहोय २ अथदृक्षादिकां काफलकाविषषाचाकालक्षएलि॰ मुषमैं सोजोहोय शरीर मैंदाहहोय भोजनमात्रमैंद्वेषहोय ३ अथरक्षादिकांकापुष्प काषायासूंघिवाकालक्षरालि• छर्दिहोय आफरोहोय मूर्छाहोय ४ वृक्षादिकांकीबकलकारसकाषा बालगाबाकाल क्षणलि• वेंकाटामै दुर्गधिश्रावै शरीरकर डोहोयजाय मथ बायहोजाय मूंटामै कफघलांनीसरै ५ प्रथदृक्षादिकांकडू पकाविषकाषावाकालक्षणलि० मूंढांमैागच्याचे गुदाकोब धंछूदिजाय जीभभारी होजाय ६ अथधातुविषहरतालादिकां कावा कालक्षणलि० हियोइषै मूर्छाहोय शरीरमैंदाहलागि
जाय
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४४९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अरताल वांगेंदाहलागे ईविषसंवेगो भामरे अथवा कालांतरसुंभ रै अथकंदविषसींगी मोहराच्या दिलेरतीकाषाका उगैरैकालक्षलि• सांगीमोहरादिकां काषावासूं मनुष्यादिक तत्कालमरिजाय हियोडूषे मूर्छाहोय शरीरमैदाहहीय तालबो बलै - अथस्थावरविषमात्र काश हुवा का याचाका एलि. स्थावरविषमात्रलूमो अरऊन्हुछें तीषोछे अरईको सूक्ष्मगुणछै रयोस्त्रीसंघघणकराव परयोसर्वशरीरमै तत्कालफेलीजाय अरऊगियावे यरतत्कालकोपरिपाक होय जायछे श्ररये स्थावरविषमें दशगुराछे ९ अथस्थावरवि बकाषावासूंजोरोगउपजे छे सोलि• विषकालूषापणांका गुणसूं मतिकुंविगाडे अरसर्वस्थानकाबंधानेकाटे श्ररविषका सूक्ष्मपणांकागुणशरीरका अंगअंग ओविषबढिजाय रविषकापराक्रमसूस्त्रीसंगघणोंकराचे ईगुएाथकीशरीरका दोषांनें अरशरीरकीधानानें परशरीरकामलनेंविगार्डे अर विषकाशीघ्रपणांकागुराथका शरीरकुंकुंशदेवै ईवास्तेविष काजतनत्र्अतिकठिनछै१० अथज्यांका शस्त्रांकै विषकी पाएगलागी होयत्यांकाला एलि• ज्यांकाशस्त्रां चिपकी पाएगलागी होयत्यांशस्त्रां की ज्यां कैलागै त्यांका घाव तत्काल पकिजाय अरवांघावामांहिसूलाही घणोंनीसरे पर वेंकोलो हीकालोहोय अरजीमेंडुगंधियणी रजाको मांसविष राजाय अरजांनति सलागे अरजीकैतापहोय अरजीकेदाह हो यमरमूर्छाहोय येजीमैंलक्षणहोय तदिजाणिजेकहीं वैरीश स्त्रकीधारकेविषदीयोछे तीकालक्षणजाएणजे ११ अथजी
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४५० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १९ कहींकहीनॉरषदीयोहोयतीकाजागीयाकेवातीकालक्ष एरालि. विषदेवावालामनुष्यकीचालीनीचेशरीमंदांकायारुति
ओरसीहोयजाय अरकोईउनें। नदिओविषकोदेवाचालोवेनेंचूंख्यांकोउत्तरदेनहीं अरकहबाकीकरै अरबोधिषकोदेवावालो मोहकूमामिहोय वाल्योजायनहीं अरबोलेनोमूर्षकीसीनरें बोलें अरांगुलीकरिके पृथ्वीनेभने अरहसनालागिजाय अरघरमा हि वारेनीसरयाकाकर अरगरिंगरारंवारदेषतोजाय अर विषकादेवावालाकोपितविपरीतहोजाय यसर्वलक्षणविषका देवावालामनुष्यमैहोय? सोबुद्धिवाननैजाणिजे १२ अथज गमविषजोसदिकसोज्या काठेत्यांसूरपज्याजोरोग त्यांकासामान्यलक्षालि जाके कहीं जीनावरकाव्योहोय माननिद्रामा-भरकैनंदाहोय अरसबंज्ञानेंदाजातीरहे पर शाहोर अश्याशावेअररोमांचहोय अरउंठेसोजोहोय अर अतीसारसोय ईसर्वलक्षणकहींविषेलजिनावरकाकात्याका जाणिजै? अबसर्पनामभोगीसमलराजिलजोसर्पन्याका कारिबाकाजदाजुदालक्षपालि. वायकीमरुतिवालोभोगी वित्तकारकनिवालोमंडलनाम कफकीप्रकृतिवालोराजिलना गर येजोसर्पसोज्यानैकाढल्यांकालक्षगलिक भोगासर्पजी
काठेनाकादंसकीजायगांकालीपडिजाय अरकेसर्ववायका रोगउपजिआवेअरमंगलनामसर्पजीने काठेनीकाकाउवाकी जायगांपालीहोजाय अरकोमलसोजोहोजाय अरकैपित्तकास रोगहोजाय ओरराजिलसर्पजिनेका नीकाकाठवाकीजाय गांस्थिरसोजोहोय धरउठेपीलोअरचीकों अरमागनेलीयां
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग. अरजामोवें काटना की जायगालोहीनीसरे पर वेंकैकफकासर्व रोगहोय २ व्यथदेशविषैसमैचरकालविषैसमैजोसपदि ककाव्यात्यांकालक्षरालि० पीपलकास्थान में दहरामै समसा नमें पंवाकनै चहुटाकैमांहि संध्याकैसमें भरणी अरमधान सत्र के मांहि अरमर्मस्थानके मांहिंजो सर्पादिकयां स्थानांमें मनुष्यादिक नफूंका ठेसोमनुस्यमरिजाय ३ अथदवकरनामसर्पजीको फाकउछीसरीसोहोयतींकाकाट्या कोलक्षणलिजीको फएपहिया सिरासो अथवाछत्रसिरीसो कमलसिरीसो अंकुश सरी सोहोय परसर्यउतावलोचाले वेनेंदकरसर्पकाहिजे
४
अथयतनामनुष्यादिकांनेंसर्पादिककाट्याहोयत्सा कोजतनकीजेनहींसोलि० अजीर्णवालानें गरमीकाविकार वालाने बालकनें वूटानें भूषाच्यादमीनें घाव चालान प्रमेहवालानें गर्भवतीस्त्रीने जीकासरीरमैंरुधिरनहींहोयजीनेयांप्रद स्यानेसर्पादिककाठैतोच साध्यजाणिजे ५ अथवा जीकामूढामें रुधिरधारपडे अरजांकीगुदामें अरइंद्री में रुधिरकी धारपडेसो भीमसाध्यढे ६ अथइसीविसको लक्षएालि० स्थावर थवा जंगमजविषछे सोघांदिनांकाप्रभावसूं औषदादिक इस विषहोयजाय वांकोगुएगजातोर हे रसजानोर है पुराणी औषदादिकविसकीषायतौ वेंकेमूर्छाश्रमवमनादिक होजाय ७ अथमूसाकाविषकोलक्षणलि• जठैमूंकाट्योहोय तीजा यगांलोही पीलोनीसरै अस्ऊंठेमंगलपडिजाय अरजुरहोय अ रुचिहोय रोमांच होय दाहहोय येलक्षणजीकाशरीर में होय न दिजा जैईनेंमूंसे काट्योछे - अथप्राणहरमूंसाका विष
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४५२ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १९ कालक्षालिजमूसाकाकाट्याथकामूर्खाहोय अंगमैसोजोहोय शरीरकोवर्णयोरसोव्हेजाय शरीरमैंषेदधगोंहोयजायरंशकी आयगालोहायतोंपडै अरजुरहोयावे सिरभावोहोजायला लघणापडै लोहीछादे ईमूसांकाकाट्याने असाध्यजाणिजै९ अथ कारकांच्याकाकाम्याकाविषकोलक्षालिक किरकाट्यांका काव्याकीजायगांसोजोहोय अरउंठेजायगांकालीपडिजाय पर शरीरकानानावर्गहोयजाय अरमोहोहोया अरअतीसारही यजाय नदिजाशिजकिरकांपाकाकात्याकोजहरछै१० अथवीं छकाकाख्याकाविषकोलक्षालिजीजायगांशशरमैवी काठे तीजायगांअग्निलागिजायबरउंचोचटेअरउंठेकाटयाकोजायगांशरीरफाटवासोलागिजाय१ अरवींछकाकाच्या कोअसाध्यलक्षरगलि.जोविंछनिपटब्रहरीहोय अरनांक मैकाटेतौउंटेअग्निधएीलागे वेंकोजीभथकिजायपासूअर उंगकोमांसपडिनालागजाय इसोमनुष्यमरिजाय१२ अथवि शेलमांडकेकाट्योहोयतींकाविसकोलक्षएलि विशलमी उकोजी–काठेनाकैजायगांसोजोहोय अरउंपीडहोय अर नेतिसलागेअरनांदघणीयावेपरछादगाहोय १३ अथविसे लमछजी.काठेतीकाविसकोलक्षगलि दिसेलमांछलोजी नैंकानीकासरीरमैंदाहलागेअरउंठेसोजोहोय अरपाडहोय १४ अथविसेलजोककाकाम्याकोलक्षरालि उठेषाजिआये सोजोहोयजुरहोय मू होय नदिजाणिजैविषजोकका काठ्याको १५ अधिसेलविसमरेकाट्योहोयनीकोलक्ष गलिक दाहहोय परसोजोहोय परपीडहोय पसेवा
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४५
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथकनसलाकाकाट्याको लक्षणलि० जीजायगांकनसलोका ठेतैठैपीडहोय अरपसेवन्यावे अरऊंउदाहहोय १७ प्रथमांछ रकाविषको लक्षणलि• उंठेषुजालिमाने क्योंसोजीहोय र मंदपीडाहोय १८ अथवाबन कामांछर काकाव्याकोमसाध्य लक्षणलि० जानेंविसेलगांछरकाटै जीकेपित्तीसिरीसालालदा फडघावसिरीसाऔंडापडिजाय रऊंठेपीडघणीहोय मोस साध्यजाणिजे १९ अथविसेलमांषीकाकाव्याकोलाक्षपालि. जैठे विसेलमांषि अथवाभंवरमाषीजी नैं कातीकाविसको लक्ष एलिष्यते जीजायगांकाठै तठै कालीजायगां परिजाय दाहहोय मूर्छाहोयजुरहोय झरऊंडेदाफडहीय ईकोकाट्यो मरिजाय २७ प्रथसिंहवघेरोचीतोजांनैकाठैतीको लक्षएालि जीनेंसिं हादिककारैती कोघावपकै रमेंराधिपडे अरजुरहो यत्रप्रावे २१ अथ हडक्यास्वांनको लक्षरालि• जी कामूंटामैंलालपडे
अरोवान धोहोजाय अरवहरोहोजाय परपचौगड दाईदौडे पर वेंकीसुधी पूंछ होजाय वेंकीडाढीवर कांधोत्र्य रमांथोघणोंडूषै तींकरिवेंकोमूंटोनींचाही र है इसास्वाननैं अथ वासिंहस्यालव्याघ्रादिकांनैं भी हिडक्मोही जाणिजे २२ अथहिड क्यास्वानादिकजीने काठैतीकोलक्षणलि जीन िहडक्या स्वा नादिककाठै तीकैलोही कालोनीसरे पर वेंकोहि योशिरघणों इषै रजुरहोय शरीर वेंकोज कडवंधहोय तिसलागे अरऊंडे षाजित्र्याने पाडंहोय शरीरको वर्णरसोहोजाय अरशरीरमें क्लेशघणोंहोय भांवलयाने दाहहोय काठवाकिजायगांपके सो जोहोय ऊंठगांठपडिजाय काट्योज फाटिवालागजाय ऊं
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१९
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४५४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
१९
फोडाहोय
येईकालक्ष राजाणिजे २३ अथईको साभ्यलक्ष एएलि• जोपुरुषजलमैं काचमैं तैलादिकमें स्वानस्यालने देष श्ररपु कारऊ भरवांकीसी चेष्टा करि वालागजाय जलसेंभरे प्रोम रिजाय २४ अथस्थावरविषमात्रकाजतनलि० स्थावरविषजी पायो होय तीनैषधांसूं वसनकराजेनौस्थावरविषजाय १ वि षमात्रगरमछै वास्तैसीतलसर्वजननश्राछ्या २ अथवा सहत घृतसंयुक्तविषनेंइरिकारचा वालीओषदीदा जैनौ स्थावरविषजा य ३ अथवा स्थावरविषवालानैषटाईमिरचिदी जैनहीं पर वें नें भोजन मैंसाठ्याचाचल कोंडू सीधालूादीजे ५ अथविषकाडू रिकरि वा कोलेपलि० कुलप्रियंगु कांगणी की जड़ पान बकल फूल बीज परसिरस को पंचांग त्याने गोमूंनमेवारिलेपकरेनास्था वरविषकोरोगजाय ६ अथवा इसीविषकाइरिकरिवाकोले पलि० पीपलि छड लोट् इलायची कालीमिरचि नेत्रवाला सों नगेरू यांनेंजलसूंमिहींवांटिलेपकरैतौ इसीविषजाय ७ येस र्वजतनभावप्रकासमेंछे अथवा चोलाईकी जडनेंचांवलां कापाएणीसूंपीसीपी येतोस्थावरविषकोदोषरिहोय- प्रथजं गमविषकाजतनलि० अथमृत्युपासछेदितलि• हरडैका छालि गोरोचन कूठ श्राककाफूल कमलकीजड नरसलकीजड वेतकीजड तुलसी इंद्रजन मजीठ जवासो सतावरी सिंगाडा यां कोकाटोकरि तयेंगऊकोघृतपकावै पाछेये सर्वबलिजाय घृत मात्रश्रयरहै नदिईघृतमैबराबरिकोसहतनांषि ईको शरीरके लेपकरैतौ विषमात्रकोदोष साप का काठ्या उगेरे सर्वजिनांवरको विसरिहोय घृतनेषावामै लेपमें नांसमें दीजे ९ योभावप्र
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४५५ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १९ कासमैछै अथसर्पकाविषकाइरिहोवाकोजतनलिष्यते घृतसहत मांषन पीपलि आदो मिरचि साधोलूपा यांसारांनैमि हीवांटिपीवैती कालासापकोभाकाट्योत्राछयाहोय अथवा सिरसकाफूलकारसकीसहजणांकाबीजांकेपुटसात ७देपाछेको अंजनकरतौसापकोकाट्योाछोहोय अथवा सुपेदसारीकी जडनैपुष्यार्ककोदनल्याचे पाछेवेनेंचावलांकापाणीसूचांदीपाये तो सापकोकाटयोआयोहोय १२ अथवाछकाविषकोजनन. जमालगोटा.घसिबांछूकाउंककैलगावैनौवांछकोविषहरिही य१३ अथवा नौसादर हरताल यांनैपाणीसूबोटिवींछुकाडंक केलेपकरेती वीडूकोषिषडूरिहोय१४ अथवा पलासपापडाने प्राककाइधर्मेघसिपीछूकाडंककैलगावेतो बिछूकोविषडूर होजाया५ अथवा सिरसकाबीजानें बकरीकाडूधमैवांटिपीछु काउंककैलगावैनोविछूकोविषजाय अथवीं काविषको इरिहोवाकोमंचलि आदित्यरथवेगेनविष्णुवाहुबलेनच सुपर्णपक्षपातेनभूम्यांगछमहाविष १ गोपक्षजोगपदज्ञश्री शिवोत्तमप्रभुपदाज्ञाभूम्यांगछमहाविषमंत्रसंचार मंक ऊपरपाडोदीजैनौनीकोजहरउत्तरै। अथकनारकाविषका दूरिकरवाकोजतनलि हलदधमैंवारिमैमिश्री मिला यपीवतीकनीरकोधिषातरे१७ अथधतूराकाविषकास रिहोवाकोजननलि नौलाईकीजड अथवा गिलनै खानेपी वै अथवाकपासकोपंचांग.पीवैनौ धतूराकोधिषजायाअ थाककाविषहरिहोवाकोजतनलि तिल दोषयां.बक शकाडूधमैवांटिलेपकरैती पाककोधिषजाय १९ अथकौछि
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४५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग १९ काविसकाइरिहोवाकोलेपलि घृतकोमईनकरैतीकोंछिको रिषजाय २० अथभिलावाकाविषकाइरिहोवाकोजतनलिक सो १०. वारकाधोयाघृतकोयईनकरैती भिलावाकोजहरजायस अथमांषकाविषकाइरिहोवाकोलेपलि केसरि तगर सहित यानेजलसूदांटिलेपकरैतो मांषीकोविषजाय अथभौरमांषी काविसकाइरिहोवाकोलेपलि सूरि कबूनरकीवीउ विजोरा कोरस हरतालं सीधालुपायांगिहीवारि ठेलेपकरैतीभौंरा मांपाकोविषजाय २३ अथऊनराकाविषकाइरिहोवाकोज तनलि.धूमसो मजार हलद सांधोलूपा यांनेवारिपाणी लेप करैनौजनराकोविषजाय २४ अथमीडकाकाविषकाइरिहो बाकोजतनलि सिरसकाबीजानेंथोहरिकाढूथ4वांटिलेपक रेती मांगकाकोविषजाय २५ अथकनसलाकाविषकाइरिहो वाकोलेपलिरापगकातेलकोलेपकरेतीकनसलाकोविषजा य२६ अथसर्पकाविषकाइरिहोवाकोअंजनलि जमाल मोटाकीमांगीकेनीबूकारसकापुट दे तावडेसुकावै पाछैइसी हातरैलाषकारसकापुरादे पाछैईकोअंजनकरेतो सांपकोका स्योराछोहोय २७ अथहिडयोकुत्तोस्पालउगैरेकाटेतीको जतनलियोजिनावरजठेकाछैतीजागांकोलोहीकटायनांषि जै अथवाउंटेलोहकीसलाका दादीजैनौकुतास्यालउगैरेको विषहरिहोय २-अथवाधतूराकोरसटकायाककोडूघटका। पृतटकारायांनमिहाँचोटियांकोलेपकरैनौहिडक्यागंडककोषि बजाय २९ अथवा धतूराकाफतनैबीजांसमेतलै पाछैचौलाई काजरकारससूचांटै अथवा गोभीसहनसूबांटै पाछेलेपकरैतौ
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४५७ अमृतसागर नथापनापसागर तरंग १९ हिडक्याकुत्ताकोविषजाय ३० अथवा मांसाककोडूध तेल गुड यांचास्यांनंबराबरले पाछैटंकीरोजिनादिन ७ षायनोईकोनिक जाय१ अथवाईमत्र एकसौपाठ १०८ अाहतिदेजीनहिर सानकाट्योहोयत्तीनेचोहटै अथवा नदीकालीरचौकोदिवायवेनें स्मानकराय आपवित्रहोय उंटेई मंत्र होसकरै एकसोसार आहुतिदै पाछैमाभाईकमाओदेवी कोशिषउत्तरे अथगंज लिष्यने अलकापियक्षसारमेयगणाधिपः अलर्कजुष्टमे
मेनिर्विषंकमाचिरात्स्वाहा इतिमंत्रः अथवा गुंड तेल पाककोधयांशोलेपकरेतीपानकाकाठ्याकोविषडूरिहोय २२ अथवा कूकडाकानी कोलेपकरै अथवा कुबारकापायकीगिरि सांधोलग येवेंगारिदिन ५बांधेतीमानकोशिजाय ३३ अथ था चौलाईकीजड तुलसाकीजड बच पानेचावलांकापारीमैंवा रिदिन पावैनौरपान कोचिषजाय ३४ अथवा सौलाईकाजड कोरस भरतचोषयमिलायदिन७ षायती स्वानकोवियजा य ३५अथवा कडवारचाकीजडटंक ४संस्टिंक ४मिरचिटकार नाबकानिबोलीक४ जमास गोटामोध्यारंक ९निसोनरंक ७ यांनमिहीनांटि गुडमैगोलीबांधीटंकशभरकी गोलीगरगया पीसूदिन तथा १४सतोहिडक्यास्थानकोविषजाय ३६ अथ या कउवातूंचीकीजडोंगलू साध्याजमालगोटा मिरचिकुला योसुहागो येबरावरिले सांकीरतीरभरकी गोलीचौलाई कारस मैंबांधे गोली नातापाएगी दिन सेतोस्वानकोविषजाय पर जेठेकाट्योहोयतेठेईगोलीनेमूनसंघसिलगावैनौमूलमेंहोय लरगिरिपडे ३७ गोस्वानकाविषकाजतनसंपूर्णम्
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४५४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० इतिस्थावरजंगमविषमात्रकाउत्पशिलक्षजननसंपूर्णम् . निश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजराजेंदश्रीसवा इप्रतापसिंहजीविरचितेअमृतसागरनामग्रंथेस्थावरजंग मविषमात्रकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षराजतननिरूपरांना मएकोनविंशतिमस्तरंगःसंपूर्णम् १९ अथस्त्रियांकापद रादिलेरसर्चरोगांकोउत्पत्तिलक्षणजननलिष्यते अथप्रदररोगकोउत्पत्तिलिष्यते विरुभोजन घणाम घकापाचा भोजनउपरिभोजनकस्यांसं अजीर्पासूगर्भकाप डिबा अतिमैथुन असवारीकाचटवातूं मार्गकाचालिवास सोच अनितिक्षापणांसू भारकायहबासू चोटकालागीवादि नकासोवासू खियाकेवायपित्तकफसन्निपालयेकोपांप्राप्तिहोय प्रदरकारोगनैयेपेदाकरे, सोप्रदरकोरोगस्त्रियांकैयारि४प्रकार कोछै बायको पित्तको २ कफको ३सन्निपानको४ अथप्रदर कोसामान्यलक्षएलि स्त्रीकोजोनिमाहिरांनानाप्रकारको लोहागिनांहीरितुनीसरे पररुधिरनीसरतांहाडफूटपाहोय सर्वशरीरमैं अरपीउनाले तीन प्रदरकोरोगकहिजे अथवाय कापरकोलक्षररालि कोजोनिकोलोहीलूषोहोय अरमागर्ने लीयांहोय अरथोडोथोडोजाय परपीडनैलायांहोय अरमांसका पाणीसिरीसोजाया अथपित्तकापरकोलक्षगलिम्कीजो निकोलोहीपीलोजायनीलोसुपेदाईनेंलीयां अरलाल अरउन्हूं घणोंजाय अरसरीरमैंदाहहोययपित्तकालक्षराछै २ अथकफ मारकोसक्षएलिजकैरुधिरगूंदशीशोचीको अरका चौ अरपालो घरगुलाबकाजतसरीशोजाब तीनकाकोकहिजै३
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४५९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग अथसन्निपात कापैरकोल क्षएालि० सहतसिरीशो अथवा घृतसिरीशो हरतालसरीशो माथांकी भेजीसिरीसौ मुरदाकीहर गंधनें लीयां जीको लोहाजाय सोत्रिदोष को जाणिजे ४ प्रथरु धिरकाघरंगा जाबाकाउपवलि• रुधिरघणोंजायनादिस्त्री दुर्बलहोजाय समहोय मूर्छाहोय मदहोय तिसघणीलांगे दाह होय मलाप होय शरीरपीलोहोय तंद्राहोय वर वायका और भीरोगहोय ५ अथप्रदरकामसाध्यलक्षणलि० जोनिमाहि सूंनिरंतर रुधिरचालबोही करै रहेन हीं परति सहोय दाहहोय अरसरीरमैंजुर होय शरीरडूबलोहोय वेनें साध्यजाणिजे ६ अथशुद्धर्त्तनामस्त्रीधर्म कोलक्षएालि• जींस्त्रीकीजो निकोरुधिरमहीनांकी महीनें सुसाकारूधिरसिरीशोनीसरैची रुधिरमेंदाह नहीं पररुधिरनीसरतांपीडनहीं अरपांच ५ रा त्रितांईनीसरे परयसोंनी सरैनहीं थोडोभानीसरैनहीं नीशु स्त्रीधर्मपणजाणिजे ७ अथस्त्रीधर्मपणोंसोला १६ दि नताईरहेछ प्रथप्रदररोगकोजत नलि• संचरलूल जीरो महलौठी कमलगट्टा यांकोकाटोसहतनांषिलेतौ बायकोपेर कोरोगइरिहोय १ अथवा महलौठीक २।। मिश्रीटंक २ यांनैमि हीवांटिचावलांकापाणी सूंलेतौ पित्तकापैरकोरोगजाय रथ वा रसोतटंक २)। चौलाईकीजडकोरसटका तीमेंसहतमिला यदिन ७ पीवैतौसर्वप्रकारको पैरकोरोगजाय ३ अथवा आसा पालां कीचकलकोकाटोकरितींमेंदूधनांषिपीवैतौ घणों भी पेरको रोगजाय ४ अथवा मामकीजडनेंचावलांकापाणीवांटिवेंनदिन ३. पीवैतोपेर कोरोगजाय ५ अथवा कठूबरकीवकलकोरसती में
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४६० अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग २० सहतनांषि अथवा मिश्रीनांषेनीमचावलांकोपाएगीनांषिपीवेतो पेरकोरोगजाय अथवा दारुहलदरसोत चिरायतो परसोना गरमोथो रक्तचंदनाककाफूलयांकोकाटोकरै तीमैसहननाषि पीवतो लालपरसुपेद अरपीला सर्वप्रकारकास्त्रीकारकारोग जाप इतिदादिकाथः अथवागूलरिकाफलानेसुकाय कारपाछेवेनीमहीवांटियां मिश्रीसहतमिलायवांकीगोलीबांधे टकासाभरका पाछैईगोलानौदन ७ षायनोपेरकोरोगजाय अ थस्त्रियांकैपेरकोभेदसोमरोगहोयछैतीकोलक्षगलिप्यते स्त्रियांकापणाप्रसंगकरिकेसोचने षेदकाकरियाकरिकेजहरका संजोगनें अनासारकासानाईस्त्रियांकै अथवापुरुषांकेमीसोम रोगहोयछै वारंवारमूतै घणोउतरे ईकोनामसोमरोगकहिजे
अथसोमरोगकोसामान्यलक्षरालि सुंदरहेस्वरुपज्या कोइसाजोस्त्रीयांत्यांकैयोनिमार्गमैहोय मूतवारंवारबहोत चाले स्त्रीरबलाहोयजायवांकैसुषघडीयेककोमाहोयनहीं घां मूंतकैआगे वास्त्रियों को सिरसिथलहोजायमूंदोअरतालपोवां कोकियोकरे भरवांकैमूर्जाहोयजंभाईघशीयाअरथांके प्रलापहोयगांकीत्वचालूषीपडिजाय अरभोजनादिकामैवेप्ति होयनहीं येलक्षराजीमहोयतीनेसोमरोगकहिजै अथसोम रोगकोजतनलि० पकाकेलाकेमिश्रीलगायमायतोसोमरो गजाय अथवा आंवलाकारसमैंसहतनांषिषायतोसोमरोग जाय २ अथवा उरदांकोचून महलौतीअरविदारिकंद यामि होवांटि नामेंबराबरिकामिश्री मिलायटकाभर दूध रोजीनां दिन१० लेतोसोमरोगजाय ३ अथसपेदपैरजाबाकोजत
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४६१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नलिष्यते सांवलाकाबीजटंक ५ त्यांनैजलमै भेयवांटिद्धांएगी त मैंस हतमिश्रीनांषिराजीनांदिन १५ पीवैतौ सुपेदपैरकोरोगजाय ५ अथमूत्रातीसारकोल क्षणलि० सोमरोग घणादिनरहैतदिमू वतीसारहोय ईसूत्रतीसारमैं बलजातोरहै परभूंनघणों उनरै६ अथमूत्रातीसारकोजतनलि • तालवृक्षकीजड छपा रा महलौठी विदारीकंद यानमिहीबाट ईमेंसहन मिश्री मिलायट का भररोजीनांषायती सूत्रातीसारजाय ७ अथवा पंवाडकीजड नैं चावलांकापाणीसूंपीवैतोमूत्रपति सारजाय अथवा सुपेदमू सठी तालहक्षकीजड छ्वारा पक्काकेला यांनदूधसंपीवैतौ मूत्र तिसारजाय ९ अथप्रदर काऔरजननलि० उंदराकीमींगली टंक या ईमैंबराबरिकी मिश्री मिलायटूथसूंदिन ३ पीवैतौस्वीका लालूसुपेदसारीतरैकापैरच्छ्याहोय १० अथवा धानड्याकाकूल बीजाबोलयूंसा की मांगणी येबराबरिलेयांनोंमहीं वांटि ईमेंमिश्री मिलायरंक २॥ जलसूंलेतौ प्रदरकोरोगजोय ११ इतिप्र दररोग की उत्पत्तिलक्षणजननसंपूर्णम् अस्त्रियांकी योनिरोग की उत्पत्तिलक्षणसंष्यालि• स्त्रियकैमिथ्याहार मिथ्याविहारकारिकैं वायपित्तकफहैसो दुष्टहुवाथका स्त्रीयांकी योनिके विषैरोगनैकरैछे सोस्त्रियांकी योनि कैविषैवीशप्रकार कारोगछे त्यांकानांमलिष्यते उदावर्त्त १ वंध्या २ विष्ठता ३ परिपुना ४ वातला ५ लोहितक्षरा ६ दुःप्रजाविनी ७ वामिनी पुत्री पि तला १० अत्यानंदा ११ कर्णिनी १२ कर्शिका १३ अतिचरणा १४ मन चरणा १५ अनार्त्तवा १६ अस्तनी १७ षंडी १८ अंडनी १९ विद्दत्ता २० सूचीवका २१ प्रथस्त्रियां की जो निकालक्षणलि जोस्त्री
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग स्त्रीधर्महोनांरुधिर वडाकष्टछोडे आगनें लीयांतीनेंउदावर्त्तजोनी कहीजै। रजोस्त्री स्त्रीधर्महोयनहीतीनेंबंध्यायोनिक हिजै २ अर जींकीयोनिमैंनित्यहीपीडार हैतानविताजोनिकहिजै ३ रजीस्त्री कैस्त्रीधर्महातांयणीपीडहोय तीनपरिमाजोनिकहिजे ४ अरजी की जोनि कठोर होय अरजोनिमैंलचालै जीनेचालनजोनिकहीजे ५ अरजी की जो निमैंदाहरहे अरलोहीनीसर बोकरे तीनें लोहितक्ष राजोनिकहीजे & परजीकीजोनीस्त्रववोकरै यरकुपितर है तीनें दुःप्रजाविनीजोनिकहीजै दुःप्रजाविनीनांमवेंजोनिमैं संतान दोहशहोय ७ श्ररजींस्त्रीकीयोनिमेंपचनसंयुक्तवीर्यनीसरे रुथिरनेंलीयां तवामिनीजनकहीजे -अरजीस्त्रीगर्भरहिरहिजाय परपाछैजातोरहैतीपुत्रजोनिकहीजे ९ अरजीकीजोनिमेंदा हघोर है अरपकिजाय शरीरमैजुर रहे तपित्तलायोनिकहीजे १० अरजी की जोनि मैथुनमैसंतोषकुंनहींप्राप्तहोय तीनें त्यानंदा जोनिकहीजै ११ अरजी की जोनिक फूलकै आकार होय पर वें मॅकफलोहीनीसर बोकरैनीनेंकर्णीनीजोनिकहिजे १२ अरजींजो निर्मैवीर्यरहैनहींतीनेंचनचरणाजोनिकहिजै १५ अरजीस्त्रीकै निपटछोटास्तन होय तीनी योनि कहीजे १६ अरजांकीजो निषंडितहोय अरमैथुनकरतां क्यूंनींचे लटकावे तीनेषंडाजो निकहिजै १७ अरजां काजोनिको छिंद्रसूक्ष्महोय तीनेंडनीजो निकहीजे १८ अरजी कोमूंढोवमोहोय तीनैं महाजोनिविवृत्ताक हिजै १९ अरजीको मूंटोसुईसिरी सोहोयती सूची वक्राजोनिकही जै २० अथजोनिकंदरोगकी उसत्तिलि० दिनकासोवासूं तिकोधकाकरिवासूं वेदसूं पतिमैथुन काकरि वासूं जोनिऊपरि
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४६३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग कहींतरे की चोटला गिवासूं अथवा जोनिकैनषदांत कालागिवा सूं येकुपितहुवाजोवायपित्तकफ सोजोनिकेंविषै जोनिकंदनाम येकरोगनैंउपजावैछै१ अथजोनिकंदरोगको स्वरूपलिष्यते जोर्निकैमांहियेक गांठराधि लोही नैलीयांवड हलकाफलसिरीसी उपजैछै सोपाछैकारणकत्यात्यांसूं बेनैवध्यकहै छै प्ररजोनिक दनामभीरोगकहै छै १ जोनि कंदनामरोगच्यारिप्रकारको छै वायको? पित्तको २ कफको ३ संनिपातको ४ प्रथवायकाजो निकंदकोलक्षणलि० बाजोनिमांहिलीगांठलूषीहोय वैंकोव एत्रिप्राध्योनहींहोय अरजोनिकावर्णसिरीसोवेंगांठ कोमूंढोफा ट्योहोय चेंनेंवायकोयोनिकंदकहीजै १ अथपित्तकाजोनिक दकोल क्षणलि० वाजोनिमांहिलीगांठदाहनेंलीयांहोय अर लालहोय सेतीजुरहोय मावै इनेपित्तको जोनिकँदकहीजे ४ अरजीस्त्रीकै योजोनिकंदरोगहोयछे वास्त्रीचांकहोयछे वा -स्त्रीस्त्रीधर्महोयनहीं २ अथवंध्यास्त्रीकाजतनलि० जोस्त्री स्त्रीधर्महीयनहीं वास्त्रीनित्यमांछलाकामांसनैषायतौस्त्रीध महोय १ अथवाकांजीनित्यषाय अथवा तिलनित्यषाय अथ वा उडदनित्यषाय अथवा दहींनित्यषायतोवास्त्री स्त्रीधर्महीय तदिवेंकीचंध्यापणा कोदोषरिहोय २ अथवा साठाकाबीज क डवीतूंबी दांत्यूणी पीपलि गुड मेंटल दारुकोफावो जवषार थोहरकोदूध यांसारांनैयेकदा मिही वाटिज्मुनिमैंईकीवातीदे तौवास्त्री स्त्रीधर्मतत्त्कालहोय अवेंकोवंध्यापांकोदोषतत्का लडूरिहोय ३ अथवा मालकांगणी राई विजयसार बच यानमिहीनां टिसीतलजलसूंदिन ५पीवैतौवास्त्री स्त्रीधर्महीय परवेंकोवंध्या
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० पणौंजाय ४ अथवांऊस्त्रीकेपुत्रहोवाकोजननलि० घरेंटी गंगेरेशकी छाल महुवो वडकाअंकूर नागकेसर बराबरि ले त्यांनेमिहीवाट गऊंकाइधमैं सहननांषिटंक५ ईचूर्णनेंरो जीनांदिन १५पीवेतौ वंध्यास्त्री कै निश्वैपुत्रहोय ५ यथस्त्री स्त्री धर्म नहीं होयतीको जतनलि० काळातिल सूंठ मिरचि पीपलि भाडंगी गुड यांसारांनैटंक १।भर ओटायकोकाटोकरिदिन १५.पीवैतौचास्त्रास्त्रीधर्मनिश्चैहोय अर वेंका रुधिर कोगुल्मइरि होय परवेंकैपुत्रहोय ६ अथवा असगंधकाकाढामैं गडको धन्प्ररगऊकौघृतमिलायरितुकैसमैंस्वी परभातदिन ५पीवैतौ स्त्रीगर्भधारे ७ अथवा सुपेदकव्यालीकीजडपुष्यनक्षत्रकेंदि नउपाडीहोयतीनेंटंक २।। मिहींवांटिदूध की साथिरितुर्केसमैं दिन ३ स्त्रीपीवैतोत्री निश्चैगर्भधारे अथवा कटसेलाकीज ड धावड्या वडकात्र्अंकूर कमलगट्टा यांनामहीयांटिक शारि तुकैसमैंस्त्रीपीवैनौनिश्चैस्त्री गर्भनेंधारे ९ प्रथवा पार्श्वपीपल काजड अथवा काबीज परसुपेदजीरो परसरपंषायेवराव रिलै यानमिहीनांटिक ॥ रितुकैसमैस्त्राहूध की साथिलेनोवेस्त्री कै कगर्भरहै निश्वे हावें के पुत्रहोय १० अथवा जोस्त्रीगर्भवती होय वास्त्रीछलकायेकेक १ पान गऊ का दूधकीसाथिपीवैतौ निश्ही वैकै पराक्रमी पुत्रहोय ११ अथवा बाराही कंद परकम म परशिवलिंगी यांनेंमिहींवांटिरितुकैसमैंटक २॥ दूध के साथि जोस्त्रीलेतोवेंकैनिश्वैपुत्रहोय १२ येसर्वजतनभावप्रकाश में छै अथवा विजोशकाबीजांनें गऊकाइध मेंसिजावै पाछैयांमैगऊ कोघृतमिलाय अरबराबरिनागकेसरिमिला रितु कैंसमेंटक
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४५५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० मिश्रीकैसाथिरिन स्त्रीषायती स्वीगर्भधारे।अथवा अरं डकीअरंडोली अरविजोराकाबीजयांदोन्यांनैन पीसियकै साथिरितुकेसमैत्रीदिन ३पावेतोरवीगर्भधारे१४ अथवा पोप लि इंडिभिरचि नागकेसरियां मिहींपांटिरिनुकैसमैत्रीघृतकैसा थिदिनपावतोस्त्रीगर्भधारे१५ येसर्वसंग्रहमैलिष्याछ। अथगर्भनहींडपाकीऔषदिलिपीपलि पायविडंग मुहागो येबराबरिले यांनैमिहीवांटिस्तुिकेसमैस्त्रीदिन५जल लेतीस्त्री गर्भनेकदभाधारेनहीं ७ अथवा पुराणोगुडटकाभरतीने ओ टायरितुकैसमें स्त्रीरोजिनादिन १५पीवतीस्त्रीकदेभीगर्भधारे नहीं अथवा निबोलीकालेलकाफोहानेस्वीरितु कैसमैयोनि माहिधरणिमदिन५देतोस्त्रीगर्भभीकदेधारेनहीं१९ येभावप्र काशमैलिष्याछै अथस्त्रीकोजोकारोगांकाजतनकमसू लि० तगर कत्याली कूठ सीधोलूपा देवदारु यांकोकाटोकरि ईका दामैतेलपकावै पाछैईतलस्त्रीजोनिमैफोहाराषेनौस्त्रीकी विप्ननाजोनिकोरोगजाय२० अरवायकाजोनिकारोगांकाडूर कारवाकेवारते पाडलकापानांने अथवावेंकीचकलनौसजाय -संजोनिनेपसेवजुक्तकरै अरधौगोकरेतीवायकाजोनिकारोग जाय.२१ अथपित्तकाजोनिकारोगांकाइरिकरिवाकेवास्ते. तिलांकातलमैंनिबोल्यानें पकायईतेल योनिमैंसकैतोपित्तकाजोनिकारोगजाय २२ अथवा पित्तनैहरयावालीओषदिको घृतत्यां योनि सेकेनौपित्तकायोनिकारोगजाय २३ अथवाओं बलाकारसमैंमिश्रीनांषिस्त्रीदिनापीतोत्रीकोजोनिदाहजा य२४ कूकरभंगराकीजडकारसनेचारलांकापापीकैसाथिस्त्री
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४६६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग पीवेतौ स्त्री की जोनिमैंराधिपडती होयसोदूरिहोय २५ अथवा नीं प्रकापांन किरमालाकापांन वच रसाकापांन पटोलकापांन यां मोटाय ईसनाजोभिने धावेतो जोनि की दुर्गंधी जाय २६ अथवा पी पलि मिरचि उडद सौंफ कूठ सांधोलूल यांनेोटाय ईसूंजोनिनैंथोवैतौ जोनिकाकफकारोग साराजाय २७ अथजोनिसंको चनकीद्योषदिलि० मूंगकाफूल षैरसार हरडे जायफल मांजू फल सुपारी यांनमिहीनांटिमिही वस्त्रसंखाणि स्त्रीजानि मैंराषेती स्त्रीकीजो निसंकी होय २८ अथवा कौंछिकीजडकाकाटासूंजो निधावेतौस्त्री कीजोनिमादीहोय २९ अथवा भांगिन मिहींवांटि ईकी पोटली करिस्त्रीजोनिमैंराषैती स्त्रीकीभगमहासंकोचनहीय ३० अथवा मोचारसनेंमिहींवांटि ईकी पोटलीकरि स्त्रीजानिमेंरा घेतोस्त्री कीजोनिसंकोचकूंप्राप्तिहोय ३१ अथवा पांवलाकीजड कसेलो बौलकीजड अरबारकीजड रसाकीजड मांजूफल यां सारानें मोटाय पाणीसंजोनिनैं धोवैतौ जोनिसंकोच होय ३२ प्रथ वा दहींसूं जो निने धोवैतौजोनिसंकोच होय ३३ अथवा सुपेद फि टकडीनैं फुलाय धावड्या काफूल मांजूफल यांनमिहीं वांटिपोट लीकरिभगमैंमेलेली स्त्रीको भगसंकोच होय ३४ इतिभगसंको चन॰ अथजोनिका सर्वरोगांकारिकर वाकोफलघृतलि मजीठ महलोठी कूठ त्रिफला मिश्री घरैंटी मेद असगंध अज मोद दोन्यूंहलद फूलप्रियंगु कुटकी कमलकीजड दाष रक्तचं दन चंदन येसाराप्रथेला अर्धलाभरिले अरगऊकोघृतसेर ९१ ले सतावरीकोरससेर ९४ ले पाछैईनेंमधुरीत्र्यांचसूंपकांचे सर्व बलिजायघृतमात्रआयरहे तदिघृतमनुष्य अथवा स्त्रीरो
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४६७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० जिनांटका भरपावतीप्रौपुरषनपूंसकभीहोयनौमहाकामीव डोपराक्रमीपुत्रानेंउपजावावालोईफलघृतकाप्रभाव होय अ रस्त्रीईघृत्त.षायतो स्त्रीकोजानिकासर्वरोगजाय अरकैई तकाप्रभाव पुत्रहोय दीर्घायुर्बलवालोबुद्धिवान ३५ अथजो निकंदरोगकाजतनलि. गेरु वायविडंग हलद कायफल यां भैमिहींपाटि त्रिफलाकाकादासंतागेसहनमिलाय ईचूनेस्त्री योनिमैरातो स्त्रीकोजोनिकंटकोरोगजाय ३६ अथगर्भिणीस्त्रीकारोगांकाजतनलिजास्त्रीकोगर्भनीसरतोहाय नास्त्री मैंमांऊरुषकीजड अतीस नागरमोथो मोचारस इंजय यां कोकाटोकरिदेनौ स्त्रीकोगर्भपडतोरहे ३७ अथगर्भिणारत्री काजुरकोजतनलिक महलोठी रक्तचंदन षस गौरीसर कमल कीजड यांकोकाटोमिश्रीसहतनांषिपवितौगर्भिलीस्त्रीकोजुर जाय ३८ अथगर्मिीस्त्रीकासंग्रहणीकोजतनलि-चाव लांकासातू.आमकीअस्जामुशिकीबकलकाकादा लेतौगर्भि पास्त्रीको संयहपाजाय ३९ अथवा मांऊरुषकावकल परलूकी बकल रक्तचंदन षरेंटीधयों कुडाकीछालि नागरमोथोजया सो पित्तपापो अनीस यांकाकाटोगर्मितीस्त्रीलेतो वेंकाप्रती सारनैं संग्रहीने जुर.इरिकरै४० अथस्त्रीकागर्भकापड वाकोपरगर्भकाश्रवकीउत्पत्तिलक्षणालि घामेथुनका करिवाएं मार्गकाचालिया असवारीकाचटवा पेटकीपीड काचालबाएं जुरकापावासं उपवासकाकरिपाइंचोटकाला गिवासू अजारांमभोजनकारवासू दौडिवासू वमनकाकरिवाएं जुलाबकालेचारां नाषी करवीगरमलूषावस्तकापावासं वि
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४६८ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २० षमासनकावैश्विासूभयकापावासं इतनावस्तांसंस्त्रीके गर्भकोपउवौ अरगर्भकोथावहोयडै पेटमैसूलचालिकै४१ अथ गर्भकापडिवाकोपरगर्भकास्वावकोपूर्वरुपलि स्वाकैगर्भ रत्यापाछैयारिमहीनांमाहिगर्भपडै तीनेगर्भपातकहीजे अदृष्यं नदीजैजैसैरक्षकैलग्योफलकहींकाचोरलाग्यांगिारपडै तेसैकच्ची हीगर्भकहींतरेकाचोरलग्यांगिरपडै ४२ अथगर्भवतोहोय तींकाथंभिवाकोजतनलिकमलकीजड कमठकानाल कम लकाफूल महलोग यांनडूधकोसाथिनोटायपावेतोगर्भकाश्रा वपडनोभेअरयोहीगर्भिणीस्त्रीकादाह. तिसर्ने मूर्जानैं छ दिनै असचिनेंडूरिकरे ४३अथगर्भपातकाउपद्रवलिप्यने स्वाकैगर्भपतदिदाहहोय मूलचाले पसवाडामेंबरपायपी डहोय अरपेरपूटिजाय अरगूत्रउतरेनहीं अरगर्भगोरस्थान मैंजायतींकेभीयेहीउपदवहोय ४४ अथगर्भपड़तोहायती काधांबवाकाजतनलिडाभकाजड कांसकाजड अरंडकीज ड गोषकाजड़यांमैगउकोइधोराय गर्भिपापावेतो का हियाउगैरेकामूलजाय४६ अथवा गोषरूमहलो कदयाली मदनबाणकाफूल यांनैगउकाधमैयौटायधस्वीपीवैती गर्भपडतौरहै परस्त्रीकाशरीरकीसर्वप्रकारकावेदनाजाय ४७ अथवाऊंभारकाचा कामारि गेरु चलीमजीउ धावड्या काफूल रसोत राल यांकोचूर्णकाररंक स्वासहतसंलेनोस्त्रीका पैरउगैरेसर्वरोगजाय४८ अथवागजिनाचरकापरकीमाटीम जाउ लजालू किसोरया कमलकीजडांनेगऊकाधमैग्रोसराय ईधनै स्त्रापावेतोरवाकोगर्भपउनोरहै ४९ अथगर्मितीस्तीके
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४६९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . २० आफरोहोयतीकोजतनलि डाभकाजड दोबकीजड पचरसो त हींग संचरण यांमैंधोटाय पाछेईनपीचैतौ स्त्रीकोआफरो जाय ५० अथगभिएगीस्त्राकैमूनरेनहींतीकोजतनलिष्यने डाभकीजड दोबकाजड कांसकाजड यांनै धर्मश्रीराय ईधमें स्त्रीपावेतो स्त्रीके मूत्रउतरे ५१ अथमहानांकामहीनयो पदिदेतीस्वीकैगर्भप.नहींसोलि महलोठी सालवृक्षकाबी ज पारकाकोली देवदारु राज्यो कालातिलरामपीपलिसतार री कमल कीजड जबासौ गौरीसर रास्मा दोन्यूँकझ्याली सिंयाडा किसोया दाष मिश्री यांनीटायपीवतो महीनांकीमहीनदिन नोस्त्राकैगर्भपडैनहीं अरपोरउपबहोयनहीं येसाराजननसा त महानांताईकाजे ५२ अथपाठवामहीनांकाजतनाल. कैथकाज कस्यालाकीजड वीलकीजड पटोलकाजड साटीकीज ड यांनँधमैपकाय ईधपीतीगर्भपुष्टरहे ५२ अथनमा महीनांकोजतनलिमहलोडीजबासौ बारकाकोली गौरीस र यांनैश्रथेलाअधेलाभरिले पाछैयांनँधमैंोराय दृधनपी पेनोगर्भपुष्टरहै ५४ अथदशमामहीनांकाजतनलिइंठि पारकाकोला यांनधमैत्रोगय हथपाचैतौ अथवा सूरि महलो ठीदेवदारु पीरकाकोला कमलगट्टा मजीर यानेजलमैंग्रोदाय जलनेंधमैंग्रीयाचे पाछेयोपाशावलिजाय दूधासरहै नदि ईध पचितोषागर्भपुष्टरहनिरोगरहै अरईस्त्रीकैकहींतरै कोउपवउठनहीं५५ अथवायकरिगर्भसकिजायतीका जतनलिजीस्त्रीकोवायकरिगर्भसूकिजाय तीस्त्रीकोउदरप रिपूर्णहोयनहींघालारहे तदिस्यास्त्रास्त्रोछेसोपुष्टाई.लायांइध
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४७० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० मांसरस ओरपुष्ट औषरिषाय अरडूधपाचैतदिवायडूरिहोय गर्भ परिपूर्ण होय ५६ अथगर्भकाबालककाहोयबाकामहीनालि प्यतेस्त्रासोनवमैमहीने अथवादशमहीनेसंताननँउपजावै छै अरकोयेकरबाहेसोग्यारवें अथवा बारावेंमहानेसंतानने उप जादे, वरयांमहीनोउपरांतजोगर्भरहे ओगर्भविकारकोजाशि जै नदिईगर्भकाउंदरकारोगांमैगिलिअरकोजतनकीजै ५७ अथस्त्रीकेसुषसंप्रसवहोवाकोजतनालिसांपकीकांच लीमरवो यादोन्यांकीभगमैंधूणीदेतो स्वीसुष संताननैंजरों अथचा कलहारीकीजडनै स्वाहाथपगांकैबांधेतौस्त्रीकेतत्काल प्रसूतिहोय ५९ अथवाकरभांगराकाजड अरपाडलकीजड. स्त्रीहाथपगाकै बांधेनौस्त्रीकैनकालप्रसूतिहोय अथवा यो ईकाजरकाकादामैंतिलांकोनेलनांषिस्वीहेसोगर्भकैलेपकरेंतो स्त्रीकेसुषसंतत्कालप्रसवहोय अथवा पीपलि वर यानेजल सूंचांटि भगकेलेपकरैनो स्त्रीकेसुषसूतत्कालप्रसूतिहोय ६२ अथवा अरंडकातेलनेस्त्रीनाभिकैलेपकरेनौतत्कालप्रसूतिहोय ६३ अथवा विजोराकाजड गहुवो यांदोन्याने स्त्रीपावनोस्त्राकैत कालप्रसूतहोय ८४ अथवा सांगकाजडनेंस्वीकटिकैबांधेतौरवाके तत्कालप्रसूतिहोय५ येजतनभावप्रकाशमैंछै अथवा धों धाहेलीकाजउने काकलहारकाजड़ने कटिकेबांधेतीतत्कालप्रसून होयम योगचिंतामणिमे प्रथमुषसंतत्कालप्रसवकरा वाकोमंत्रलि मु क्तमाःयासाविमुक्ताश्चमुक्तासू येणारश्मयः म २ -तसर्वभयानर्भरत्यहिमाचिर माचिरवाहा ई १२ मंत्र जनचारसातपत्र पा
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४७१ अमूनसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० छैईजलस्त्रापावेतौ स्लाकैलकालप्रसूतहोय ५७ अथवा ईजंत्र नॅस्वादेपेतीतत्कालप्रसूतिहोय अथर्मूढगर्भकोउत्पत्तिल क्षराजतनलिजीस्त्रीकासरीरमैंचायकुपितहोय स्त्रीकाजोनि माहि अरउदरकूषिगांहिसूलने पर तउतरवादेनहींअरोदृष्टप बनगर्भनेवांकोकारदेजोनिच्यारि४प्रकारकरिके सोपकारलियूं . छू अथगर्भमैबालकाष्टपवनच्यारिपकारकरि अथवा पा उकारकरिरहैछैसोधकारलि. कीलक १प्रतिपुर२ परिघ ३ बीज४ अर्घबाहुचरणसिरपसवाडाकाभेदकरारप्रकारसूबा लकभागकागर्भमैरहेछ अथकालककोलक्षगलि. स्त्रीकै जोनिकै टैकालोसोलागिजाय तीनकीलककहाँ परस्त्रीकी जोनिकै टैहाथ पगाराअायजायतीनै प्रतिषुरकहिजै स्वीका जोनिकैमूदै पागलसीलागजायतीनपरियकहीजे स्त्रीकोजोनि कैमूंदसिरायअटकै तीनबीजक टगर्भकहीजे ४स्त्रीकोजोनि कैमूंटै पेटायअटकै ५स्त्रीकोजोनिकै टैपसवाडोप्रायट कै अरस्त्रीकोजोनिकै टैमुनींचोहोय स्त्रीकोजोनिकै टै मगरअटके-श्रेसेंमूढगर्भारपकार होयछै अथमूटगर्भ कोअसाध्यलक्षगलि जात्राकोमांथोऊभोसधौरहेनहीलर स्योजाय अरजीस्त्रीकालाजजातीरहै अरजीगर्भवतीस्वीकासर्व अंगसीतलहोजाय अरजीगर्भवतीस्त्रीकीशरीरकानसांनीलीहो जाय स्त्रीकोबालकमूबोजाणिजे अरवास्वाभीमरिजाय । अथजींस्त्रीकागर्भमैंजोबालकमूर्वाहोय. नीरुषाकोगर्भ रकैनहीं अरको टोकालोपिनास लायांहोयजाय अरवेंका नाकका अरवेंकामूरांकासासमैमूंचाकीसीडरगंधियावेअरपे
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४७२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग . २० रमैसूलचालै बेलक्षराजीमहोयत्तानेंजाणिजे ईकाउदर,बालक मूवोछे २ अथजीकापेटमैंबालकबोहोयतीकोकारण लिजीस्त्रीकोईभाई मातापिता पुत्रभारउगेरेकोईयारोम सेहोय अथवा वेंकाइयादिककहींतरेंसूजातारहे अथवा काउ दरकैकहींतरेकीचोटलागिजाय तदिवेस्त्रीकेदुषउपजे दिवेंड पकाप्रभाव कोगर्भघणोंडधाहोय अरकीकूषअनेकरो गपैदाहोय तदिवेंकापेटकोबालवेंकापेटमैमरिजाय ३अथग भिगीरत्रीकोअसाथ्यलक्षगलि जास्त्रीकोजोनिकोमूंदोमूवा बालककारदकिजाय अरकूषिमैसूलचालै गर्भमकलक संज्ञाकाहिजे अरपाछे कत्त्याउपद्रवसोभाहोय ४ प्रथमूदगर्भ काजतनालिजीस्त्रीकागर्भासयमैंभगकैक.बालकपुरीतर हायगयोहोय नाकैवानिपटचतुरघणाबालकाछीत, जगायाहोय ऐसीदाई.बुलाई अरबादाईबालकजणावांमैं कुशलहोय सोहाथकैघृतलगाय श्रोहाथचतुराईसंभगमेंघा लिबालकनैंसूधोकरिजीवनोहीनत्कालभगम्याहि पारेका छै५ अथगर्भमैंबालकमरिगयोहोयतीकोजतनलिष्य वानिपटचतुरदाईहोयसोचतुराईसंभगमैपाछगोछोटोअर तोषोपालि वेंगूबाबालककाअंगअंगकाटिचतुराईसंभगकैबा रैसर्वअंगकादैसोगूचाचालक.इसीनरेंभगमाहिसंकाटे नहीं तोवागर्भवती स्त्रीवेंकीसाथिमरे ईवास्तैनत्कालमूवागर्भनेनरें काटै परमूबाबालक.गर्भमाहिसकाव्यांपाछेभग¥चतुराई गरमपाएगी धोवै अरहीसमेंभगर्नेसुहावनागरमघृतमंथ वानेल भगनैचोपडेनौओभगकोमलरहे परवेंभगर्नेसूलादिक
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४७३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० कोकोपबहोयनहीं पाळेकडवीतूंबीकापत्रअरपगपालो दयोनेबरावरिले अरयां मिहींचारिईकोभगकैलेपकरैतीभग ज्यूंकोज्यूआपकेठिकाणैबेरै अथवा पलासपापो पक्कागूलरी काफलयां बराबरिले पाछैया तिलांकानेलमैमिहींपाटि भग केलेपकरेती औभगगादोहोजाय अरइसीहीतरौदनराकरैतो भगकै कोईरोगहोयनहीं अथईकाऔरओषदलि सापकी कांचली कुटकी सिरयू यांतीन्यानैमिहींपांटिकलवानेउसूभग कैयांकीथूणादेतो भगकारोगजाय७ अथवा कलहाराकीजडनैं प्रौटायवेपाली हाथपगांनैलायेतो भगमाहिलोमूवाबालककोदोष रिहोय-प्रथमकलकरोगकाउत्पत्तिलक्षगलि. जीवीकैसंतानहईहोय अश्वास्त्रीलूबीअरयायलवस्तषाय तांस्त्रीकेतीषीदव्यपापलामूलउगैरै मिल्यानहीं परवेषायनहीं तीकैवायहेसोनामिकैनांचे अथवादोन्यूंपसवाडामैं अथवापेड़ मेवावायलोहानेरोकिवायकीगांटिकरैछै अथवाअोवायहेसो भाभिमैंउदरमैं पकासयनेमूलप्रगटकरैछै अथवाओवाय पेडमैश्राफरानेंकरे, अरगुंतनैउनश्चिादेनहींईनेवैघोसोम कल्पकरोगकहैडै १ अथकमलकरोगकाजतनलि जव पारनैंगरमपापासूईनेवांटिजोत्रालेती स्त्रीकोमल्लकरोग जायर अथवा पीपलिपीपलामूल मिरचि गजपीपलि सूहिचि त्रक चव्य संभालू इलायची अजमोद सिरस्यूसेकाहींगमाउंगी पाठ इंद्रजवजारोबकायरामू अतीसकुरकीवायविडंगयो पिप्पलादिगाछे त्यांनंबराबरिले अरयांनमिहींपाटिरंक २॥ गरमपाणीसूलतो अथवायांकोकाटोकारले ईमेस्पोंसाधोलूरा
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४७४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० नांषेतौस्त्रीकाकफकारवायकासारारोगजाय परस्त्रीकागो लानैसूलनैंजुर.दूरिकरेअरभूषलगावै परांबनेंरिकरेपर ईकमलकरोगनिवेहीइरिकरै३ अथवा सूरि मिरचि पीपलि तज पनजनागकेसरि इलायचीधणों यांनैमिहींवांटिटंकरापु राणोगुड लेतो कमल्यकरोगजाय४ अथजीस्त्रीकैप्रसूतिह ईहोयनास्त्रीनैजुक्ति प्राहारविहारकरा०परवानी इतनावसकरैनहीं षेद मैथुनकोधरंदमैरहवीयेवस्तकरैनहीं मिथ्यापारकरैतौवेंकैसूतिकारोगपैदाहोय१अथसूतिका रोगकाउत्पत्तिलि. मिथ्याग्राहारतेघणाकेशकाकारवाकरैम पमवासनकरिके अजीमैंभोजनकरिके परजायामैजोरोग होयछैसोसाराईभयंकरछै । अथसूतिकारोगकोलक्षरगलि. अंगार्मेपीडाहोय जरहोय यासीहोय निसघशीलागेसरीरभा सोहोय अरशरीरमैंसोजोहोय अरपेटमैंमूलहोय अनीसारहो य येजांभलक्षणहोय तीनैसूतिकारोगकहिजै अथसूतिका रोगमैनोरजुरादिकरोगहोयत्तीकाविशेषउत्पत्तिलिष्यते जापामैंजुरहोय अतीसारहोयसोजोहोय पेटमैंमूलहोया फरोहोय शरीरकोबलजातोरहे तंदाहोय अरुचिोय अरईनें
आदिलेरऔरभीकोईरोगहोय वायकफको अरबलमांस ग्निजकाजातीरहीहोष यांसाराहारोगांनैसूतिकारोगकहिजै १ अथ सूतिकारोगकाजतनलि जोवस्तवाय. इरिकरैसो सारीहीऔषदिसूतिकारोग.रिकरे२अथवा दशमूलकोका दो सूतिकारोगनेंडूरकरै३अथवा गिल सूरिसहजगों पीप लि पीपलामूल चव्य चित्रकनेत्रपालो यांकोकाटोसहतनाषि
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४७५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० देतोसूतिरोगडूरिहोय ४ अथवा देवदारु वचकूट पीपलि इंडि चिरायती कायफल नागरमोथो हरडैकीछालि गजपीपलिधमा सो गोषरु जयासो कठ्यालि गिलवै कालोजीरो येवराबारले यां कोकाटोकरिअरहींगसींधोलूणकोप्रतिवायदेयांकोदेतो सूति कारोगर्ने मूलने षासनैं सासनें जुरनैं मूर्जानैं मथनायनैं प्रलाप नैं निसर्ने नंदाने अतीसारनें वमन यांसाराहीरोगांनेयोरिक रैछै५ इतिदेवदादिकाथः अथपंचजीरकपाकलि. स्याहजीरो सुपेदजीरो सौंफअजवाया अजमोदयों मेथी लिपीपलि पीपलामूल चित्रक माउंरूषकीजड कीवकल वो रकीमांगीकूरकपेलो येसाराओषदिटकाटकाभारले सानैमि हीवांटिकपडछाकर पाछेगऊकाघृतसेरयेकमैं१मकरावे पाछेरैचूर्णनेंसर ४ गऊकाइधकामावामें ईयन मकरोया। नेपकायईकोषेरोमावोकरे पाछैई नैंटकासो-भरषांभ काचासणामैनां पाछैईकोरकाशभरकीगोलीकरै पाछैईनें रोजानाजायावालीस्त्रीषायतो मूवाकारोगर्ने जुर. क्षईनें या सनै सासने पांडागर्ने क्षीणता.नायकारोगांने योपंचजिर कपाकडूरिकरे अथसोभाग्यसुंरिपाकलि सतना सूंठिसेरआधाईॉमहीवांटि कपडा छाणिकरिसेरमाथ आगउकाघृतमैमकरोवै पाछेगऊकाढूधसेर ५कामावामैईनें पकाय ईकोमधुरीयांचसंषरोमावोकरै पाछेसेरऽ५पांमकीचासताकार ईचासलीमेयेोषदिमिहींवांटिकपडा छापा करिईमैंनाषेसाओषदिलिपूंछूधपोटंकासोंफटकावायपि डंगरकापासूटिकाशकालीमिरचिटकापीपलिटकाना
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४७६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० गकेसरिटका।नागरमोथोटकायेओषदिमिहीवांटिईचासपामैनांषि सारटंक ५ अनकटंक५ येईमैंनांषे ओर वोजथारु चिईमैंनाषे पाछेटकाभरकीगोलीबांधै पाछेर्दैगोलीनेत्रीषाय तोस्त्रीयांकीतिसकारोगने छर्दिनैंजुरदाहषासनै सासने पां रोग मंदाग्मियोइरिकरै७ तिसोभाग्यूसंहिपाकः श्र थस्तनरोगकालक्षालि ईसाराशरीरमै फेलताजोवायपि तकफदोषसोयेऽष्टहुवाथकास्त्रीकास्तनजायप्राप्तहोयछे में स्त्रीकास्तनधसंयुक्तहोय अथवा इधविनाकाहोयसांस्तनाकैषि पैवेंदुष्टदोषहेसोस्तनांकेविरोगांपैदाकरेछे गांठिउगैरैलोही काधिकारमै अथस्तनरोगकाजतनलि-स्त्रीकास्तनउपरि वैद्यसोजोदेषैतीसोजाविधीकाजतनपाछेलिष्याछैसोजत नकरतोसनरोगजाय अरस्त्रीकास्तनपरिगांटिकच्चाहाछे ती गारि4 पिजनेंरिकरिवाचालीसानलओषदिलगावैतीस्तनको रोगजाय अथवाजोकलगायस्तनकागांटिकोलाहीकदावतो स्तनकासर्वरोगजायर अथस्तनकापीडाकोलक्षरालि. गरडूवांकीजडनैपाणीवांटिकोलेपकरैतोसनकीपाडाजा यअथवा हलद धतूराकाजड़यांनजल मिहीवांटिलेपकरै तोस्तनकीपाडाइरीहोय ४अथवा पांमकंकालकीजउनॉमहीं वांटिजलसू ईकोलेपकरैतोतनकोरोगजाय५अथवालोहनें गरमकरि ओगरमयागीस्त्रीपावेतौस्त्रीकासनकोरोगजाय येसर्वजतनभावप्रकाशमेलिष्याछै अथरंडास्त्रीकागर्भनि वारागर्भपातनकाजतनलि रतुकेसमेचौथेदिनतालीस पत्रअरमेरंटंकशमिहींपांटिसीतलजलसंपीवेतौस्त्रीपंथाहो
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४७७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० तथा स्वाधर्मकैसमेंपलासपापडानेसहतसूमिहींचाटिभगमा हिलेपकरैतो वास्त्रीगर्भनेकदेभाधारेनहीं अथवा गाजरकाबी जकलौंजी यानैगुडकैसाषिषायनोस्त्रीकोगर्भगिरिप९ अथवा चौलाईकाजडनैंचांवलांकापागाकैसाथिस्त्रीरितुकेसमैदिन ५ पीवैतौ वास्त्रीवंध्याहोय १० अथवा रितुकैसमैं नींबकीजडका जुक्तिसंजोनीकैथूगादेतौ स्त्रीवंध्याहोयाअथवा मेथीदागासे राथ॥ अरगुउसेरा यांनैपाणीसूओटाययोजलदिन ५सी वैती अरगरवांकाजड अराल यांकीवातीकरिभगमैंमेलेतो रंडा स्त्रीकोगर्भपातहोय १२ अथवा कड़नीनूंबीअरसांपाचली सि रस्यूं यां.करवातेलमेंकांदि ईकीभगकैथूणादेतोरीकोगर्भपा नहोया३ इति स्त्रियांकासर्वरोगांकाउत्त्पत्तिलक्षराजतनसं०
इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजेंद्रशासवाईप्रता पसिंहजीविरचितेश्रमनसागरनामयंथेस्त्रियांकाप्रदर.
आदिलेररियांकासर्वरोगांकाभेदसंयुक्तउत्पत्तिलक्षराज तननिरुपनामविंशतिमस्तरंग संपूर्णम् २० अथवा लकांकारोगांकीउत्त्पत्तिलक्षाजतनलि. प्रथमबालकां कानवग्रहजुदाहीछे यांनरंयहां भिन्नछे सोअपवित्रबालक नैं नवग्रहपीडाकरेठे सोईकारणसूवानवयहांनैवालककार क्षाकरणी अथबालकाकानवग्रहाकानामलि. कंग्रह स्कंदापस्मार २ शकुनी रेवती४ पूतना गंधपूतनाशी नपूननामुषमंडिका-नैगमेयनर९ अथनवग्रहांकाउ सत्तिलियनवयहसामकार्तिककारक्षाकेअर्थश्रीमहादेव जीउपजायताबा सोयांनवग्रहांकोसरुपमहासुंदरजोस्त्री
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४७८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २१ तीकोसोसरुपहोतोहुवो अरकहींककोस्वरूपसुंदरपुरुषकोसोहो तोहयो अथवा स्वामकार्तिककोसपाविसाषजीकोनाम अमिसिरी सीजीकाशरीरकीकांति इसानींश्रीमहादेवजी औरपेदाकरनाहु वा पाछेयेसाराहामिलिस्वामिकार्तिकजाकैसाथिरहताहवा पाडै स्वामकार्तिकजी यांसारामिलिअरजकरि म्हेभूषाछा म्हाकाषा बाकै वास्लेम्हानेकाईश्राजीवकायो नदिस्वामकार्तिकजीमहादेव जी अरजकरीनदिश्रीमहादेवजीयाफरमाईजगतकै विषैप शुपंछी-त्रादिलेर नीर्यगजोनिभारहैछै अरमनुष्यभीरहेछै अरदे बताभीरहेछै ईमतमै सोदेवनामनुष्यांनैपाडाकरेछै अरदेवता पशपंड्यानेभापीडाकरैछै जथाकालप्रभृतिहबाथका उषाकाल मैंगरमीकरिके अरवर्षाकालमैसीलपवनकरिके बरशीतकाल मेंशातकारकै अरमनुष्य हेमोनमस्कारजपहोमादिकारकैंभलैंप कारदेवता.प्रसंनकरैछै अरवांदेवतांनभोजनकोभोगदेछ पर
सीनरेंजोयनुप्यनहीं करैछै त्यांकाबालकानेंथेपीडाकरो अर बांथेषायो। अथवालग्रहनीसोबालकांकालेवाको कारगलि. ज्यामनुष्यांकाकुलमैंदेवतांकी पित्रेश्वरांकी ब्राम्ह णाकी अनीतांकीगुरांकी अतिथीकीपूजादिकनहींकरैछै अ रवांनभोजनादिकक्यूंनहींदेछै अरकांसाकाफूटापत्रमैजोपाय छ वांकाबालकांनैथेषाचो यामहादेवजीभीवांयहानेकहींतर गंकापाजीपकाई। अथवालग्रहज्यांबालकोनैलागेस्यांबालकांकालसालिन्जीबालकनेंयबालग्रहलागेसोबा लकषिरोकमैनौउरखेगडूंप्राप्तहोय अरषिणकमैंडरपिवाला गिजाय अरषिकमैरो अरषिरोकमैयापकीधायने नषा
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४७९ अमृतसागर नथा प्रनापसागरतरंग २१ सूअरदांना कारिवालागिजाय अरउंचोत्राकाशकानीदेषयो करै अरआपकादानानेंचाधिचोकरै अरकुपाहियोकरैजंभाई लेवोकरै अरभंवाराचटाचोकरै होउकारियोकरे अरमूंटेजाग प्रायोकरै अरवमनकरवोकरै अरअतीसारयुक्तभीहोय अरमें कोशरीरपीएपडिजाय पररातिनैजागेअरशरीरकैसोईयायजा य अरकंठकोसुरघांघोहोय अरकाशरीरमैंमांडलाकीसीबुर गंधिप्रावैजीकोशरीरहर्बलपरमेलोहोजाय अरसारीसंज्ञाजा तीरहै येलक्षणजीबालकमैहोयतीनेजाणिजेबालग्रहलाग्यो येबालग्रहकासामान्यलक्षण । अथवालग्रहजीनैलाग्यो होयतीकोविशेषलक्षरालिजीकाअंगसिथलहोय अरजी काशशरमैलोहीकीडरगंधिशावै अरस्तनांकोइधपीनहीं पर मूंटोयांकोहोजाय अराधोप्रांगरहजाय अरनेवांमै रहै रोपेथोडो हाथकारीबंधीरहै येजीमैंलक्षणहोयनदिजाणि जैईनेस्कंदयहलाग्यौछै १ अथविशाषग्रह नैलाग्योहो यतीकोलक्षरालि जांकीसंज्ञाजानीरहै अरफोरसंज्ञाआय जाय अरकदेकहाथपगानबावलागिजाय अरमलमूत्र विनासंग्याहीकरिदेअरजंभाईयणीमावै मूंटेगागा नदि जाणिजेईविशापयहलाग्योछै२ अथशकुनीग्रहजीनैलाग्यो होयतीकोलक्षालि-अंगसिथलरहै भयकारचकितरहवो करै थरकाशरीरमेंमांडीकासीहरगंधिआवेअरशरीरमैंबण घणापडिजाय अरशरीरमैंदाहहोय लक्षगजामैहोय नदिजा लिजेशकुनीग्रहलाग्योछे ३ अथरवतीयहजानैलाग्योहो यतीकोलारलिजीको दोलाल अरहस्योहोय अरपीली
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जींकीदेही होय वरजका हाथपगकालाहोय अरपीडानैलीयाऐ सोबालक होय तदिजा पिजेंई कैरेवतीग्रहकोदोषछे ४ अथपू ननाग्रहजीनेंलाग्यो होयत कोलक्षणलि० जीकोशरीरशिय 'लहोय सतिदिन सो नहीं सरकोमलपतलोप डिजाय अरवें काशरीरमैं कागलाकीसीडुरगंधियावे मरछर्दिहांय तिरुपती होय जाकैयेलक्षण होयत दिजाणिजे केपूतनाग्रहलाग्पाले ५ अथजीकेगंधपूतनालाग्यो होयती कोलक्षणलि घोबालक स्तनकोडूधपावैनहीं अरत्र्पतीसारहोय पास हिचकीछादयेभी होय जुरहोय परशरीर कोवर्णजातोरहै अरशरीरमैलाहीकीसी दुरगंधावे तदिजाणिजे कैपूतनाकोदोषछे ६ श्रथसीनपू तनांकादोषको लक्षएालि० वालकरोवोकरै कपीवोकरे अरजकाप्रांत बोलै अरशरीरसिथल होजाय मरम्मतीसारघ लोहोय जीकेयेल क्षराहोयतदिजाणिजे ईकेसीतपूनना कोदोष ७ अथनैगमेयग्रह कादोषको लक्षण लि。जीकैमूंदेफा गावे कांपेघणे चरहसेघों मरऊंचाही देषे अर पुकारैघ प्ररशरीरमंदुरगंधियावे संग्याजातिरहे तदिजाति जैईकै नैगमैयग्रहकोदोषडै ८ वरयेही लक्षएाडा किलिकादो षकाजाशिलीज्यो १० अथसामान्यग्रहांकादोषांकालक्षण. गोर मूंडी षसयांकोकाटोकार ईकाटासूंबालकनैं स्नान करावे अथवा हलद चंदन कूठ यानैवांटिशरीरकेलेपको बालकका सामान्यग्रहकोदोषडूरिहोय' अथवा सांपकीकांचली लक्षण सि रस्यूं नींबकापांन विलाईकीवीर बकराकाबाल मींटाकोसींग वच सहत येसारावांटि यांकीबालककी धूप देनी बालकका यहाँका
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४१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २ सारादोषजाय औरउतारावगैरेसाराजननकरेनोवालकांकाग्र हांकोदोषजाय ३ अयस्कंदग्रहादिलेरचालककांग्रहा काविशेषजतनलि. बालनैंडूरिकरिधावालाजोवृक्षस्यांका पानाकोकाटोकरिता बालक.स्मानकरावेतो बालकांकाग्रहां कादोयडूरिहोय ४ अथवा मिरस्यूं सांपकीकांचनीच कागल हरियाकूट अरईमैंऊठकाअरबकराकाबालमिलावेअरवच अरघुनमिलायईंकीबालककैथूणीदेतौबालकांकायांग्रहांको दोषडूरिहोय५ अथस्कंदापस्मारतीकादोषकोजतनलिक बोलकीजउ सिरसकीजड सुपेददोबसुपेदसिरस्यू पाटमरवो राईसुपेदवावची कायफल कभी वायविडंगसंभालू गूलर परेंटचिरपोरलि बकायण कालीतुलसाभाडंगीयांकोकाटो कारईकादाकापाणी बालकनैनानकराचैनौ संदापस्मारवा लककाग्रहकोदोषजाय अथवा गोमूत्र बकरीकोमूतभेडिको मूंत भैप्सिकोमूत घोडाको त गधाकोमूत ऊरकोमून यांसा गंमूतांमैं नेलपकावैमधुरीआंच येमूतबलिजाय तेलमात्र आयरहै नदिनेलकोबालककैमनकरेती स्कंदापस्मार बाल कांकायहांकोदोषजाय ७ अथवा मांथाकाकेस हाथीकोनष बलधकारोम यांनमिलायईकाथूपादेतीबालककीस्कंदा पस्पारग्रहकोदोषजाय अथवाजवासो मेणासिल कस्तूरी कौंछ कीजड यांकाबालककैथूलादेतोबालकैबांधेतोस्कंदाप स्मारवालककाग्रहकोदोषजाय९अथवा बालक-चौहटेला नकरादेतोस्कंदापस्मारअरविसाषाकोदोषजाया अथशक नाग्रहकारोषकाइरिहोवाकोजननलि वेतकीलकड़ी
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५८२ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २॥ आंबकीजड कैथकाजड़यांकोकाटोकरि ईपाएगी बालकनेंना नकरातीशकुनीग्रहकोदोषजाय अथवा मारुषकीजड मह नो पस गोरासर कमलकीजड पदमाषलोद फूलप्रियंए मजीठ गेलं यानेजलसंमिहींपाटि ईकोबालककैउवटगोकरेती मालकले शकुनीयहकोदोषजायर अथवास्कंदापस्मारकाजतनकत्याछेसो मीशकुनीग्रहकादोषहरिकरेछे ३अथवा सतावरी अथवाई द्रायणकाजड अथवा नागदवपिअथवाकट्याली अथवासहदेई यांकोपूजनकारबालकागलाकैबांधेतौ शकनीग्रहकादोषहरि होय ४ अथवा तिल चावल फूलांकीमाला हरताल मेगासिल यां काशकुनीयहने बलिदेविधिपूर्वक ओरबालकोषयांकाज लमुरुनानकरावेतीशकुनीग्रहकोदोषरिहोय ५अथरेवती ग्रहकाजतनलि. असगंधमींदासांगी गौरीसर सारीकाजड सेवताकाफूल विरारीकंद यांकोकाटोकरि ईकाटाकापाणीसूदा लकनैमानकरावेतोबालककैरेवतीयहकोदोषजाय अथवा बालककैतलकोमर्दनकरै अथवाकूरल गूगल षस हलद यांकीबालककैलादेतोरेवतीयहकोदोषपूरिहोय ७ अथवा सुगंधि.लीयां सुपेदफूल चावलांकीपाल इधरांधीसाल दहीयां मैंवालकउपरिनांषिबालकनैस्नानकरावेअरयांहींकीगसालामैवलिदेती बालककैरेयनीयहकोदोषडूरिहोय-अथपूत नाग्रहकाजतनलिनांबकीछालि विष्णुकांना वणिकालालि यांकोकादोकार ईजल बालनेस्नानकरानीपूतनाग्रहकोदोष दूरिहोय९अथवा नवीनविदारीकंद सुपेद दाष हरताल मेरा सिल कूट रालयांकोकाटोकरिईकाटाकारसमैनेल अथवा घृत
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४८३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २१ पकावै पाछैईतेल अथवाघृतकोबालककैमईनकरेतीपूतनाग्रह कोदोषहरिहोय. अथगंधपूतनाग्रहकाजतनलिनांब कापांन पोलकापांन कट्यालीकापांनगिलोयकापान अरडू साकापान यांकोकाटोकरिईपाणीबालक.स्नानकरावेतोग धपूतनांकोदोषरिहोय अथवा पीपलिपीपलामूल होन्यूंक स्याली यांकोकाटोकार ईकाटामैगउकोयलपकावे पाछपत कोमईनकरतौबालककोगंधपूतनांकोदोषडूरिहोयारअथवा केसरि अगरकपूर कस्तूरीचंदन यांनमिहींपीसिवालककाओं ष्यांकलेपकरेचौगंधपूतनाकोदोषपूरिहोय.३अथवा कूकडा कावीठ बालककाकेस लसनकीछालिघृत यांनबालकरपरि वारिचारांमैंमेलेनो गंधपूतनांकोदोपरिहोय१४ अथसीत पूतनांकाजतनलि गोमूतबकरीकोमूतनागरमोथो देव दार चंदननैबादिलेरसर्वसुगंधियांमैंनेलपकावै ईतेलकोवा लककैमर्दनकरैती सातपूतनाग्रहकोदोषडूरिहोय अथवा कुरकानीबकीछालि भैरसार छालाकीछालिकहनाकीछालि याकोकादोकार,घृतपकावै पाछैईघृतनैबालकनेपुवावे अथवा बालककैलेपकरेनी सातपूतनाकोदोषरिहोय १५ अथवा नींबकापांनाकाबालककोथूपादे अथवाबालकनेची मिकामालापहरावेतोसीनपूतनाकोदोषडूरिहोय अथवा नदीपरिमूंगचावल सातपूतना समर्पणकरैनौसीनपूतनांकोदोषहरिहोय १८ अथमषमंडिकायहकाजतनलिष्यने केथील परस्पो अरसोसुपेदअरंडकूठयांकोकाटोकार, काटा बालकनेंस्नानकराचैनौ मुषमंडिकाकोदोपजाय १९
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४८४ अमृतसागर तथाप्रतापसागर तरंग . २१ अथवा भांगराकोरस यच ईमैतेलपका पाछेनेलकोबालक कैमईनकरैती मुषमंडिकाकोदोषरिहोय० अथवा राल कूल यांकोकाटोकार ईकारसमेघृतपकावे पाछेईघृतकोषालककैम ईनकरैनौ मुषमंडिकाकोदोषरिहोय १ अथवागउकास्थानमें कलिकरै अरऊंठेईमंत्रसंस्नानकरावेतो मुषमंडिकाकोदोषार होय २२ अथरुनानकाजलकोगंजलि अरहताकामवनीशु भगाकामरूपिएगोष्टयथ्यालयरतापाजुलांमुषमंडिका २३ थनैगमेयग्रहकाजतनलिनीलकीजडकीवकल अरण्याकी जड करागचीजड़यांकोकाटोकारईपाणी बालकनैनानक रातो नैगमेयग्रहकोदोषजाय २५अथवा फूलप्रियंगुजवासो सौंफचित्रक रक्षकीवकल ईनलौकिकमैगुडहलदकोब्रक्षकहै छैयांकोकाटोकरिईकादाकारसमैंनेलपकावै पाठेईल.प कत्तांहाईमेंगोमूनदहींअरकांजीनाषे पाजेनोरंईतलपकाचे येसाराबलिजायनेलमात्रायरहै नदिईकोबालककैमईनक रेती नैगमेयग्रहकोदोषजाय २६ अथवा तिल चावल फूलां कामाला लाडू.आदिलेरमागईयांनंबालकउपरिसातबार वारिवारि रक्षकापडकनेंमेलेतौनेगमेयग्रहकोदोषरिहोय २७ अथवारिककोमंत्रलिक आजाननश्चलाक्षिकामरुपी महायशा बालंपालयनोदेवानैगमेयोसि रक्षतुरन् येसर्व जतनभावप्रकासमैलिष्याछै अथरावकोपायोबाल तंत्रनामग्रंथछैतीकामंत्रसूबालकांकोडाकिणीने दिले रयांकाप्राध्याहोनाकालक्षए उत्पत्तिलि० बालककोजन्म हुवांपाछैपहलौरिन प्रथममासप्रथमवरसमैंमंदानाममातृका
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
२१
૪૫ आदिलेररावण की बारा १२ बहाछै सो बालकनैं दोष करैतीका येलक्षएराछे बालककैजुरहोय रोवेघों श्रोबोलेनहीं ती कामाला होवा मैके वास्ते बलिक हेजैछै नदीकादोन्यूंनलकी मांटीलेवेंकोपूनलोकरे कोरासैनकर्मै श्वर वेंकैकनैं चावल सुपेदफूलसात ७ ध्वजा सात ७ दिवा सात ७ गुलगुला सात ७ पान गंध धूप मांस दा स.येसाराबालकऊपरिवारि पूर्वदिशा कानी चोहटै मध्यान्हकैसमैं बलिदै वरपीपलकोपानमांथा मैंनांषि बालकनैस्नान करावेतौनंदानाममातृकाकोदोषइरिहोय? इनरेंदिनच्यारिकरै पर बाल ककै सरस्यूं मदाकोसींग नींब कापांन सिवनिर्माल्य यांकीधूली देतो बालकप्राब्योहोय अथउत्ताराकोमंत्रलि• उंनमोभगव तेरावरणाय हन् हन्मुंच मुंच स्वाहा ३० अथबालककाजन्म
दूसरा दन दूसरे महीनेंइसरे वर सशुभदानाममातृका रावण की बह बालनै दोष करेछैनी कालक्षएालि० प्रथम ज्वर होय नेत्रमिचैनहीं शरीर कांपीबोकरे नींदयावेनहीं पुकारी वोकरै बोलेनहीं वेंकाआछ्या होगा के वास्तेवलिनामउतारोलिधूं डूं जीकरि बालक सुषहोय सवासेरचावल दहीं मां छलाकोमांस दारू तिलकोचूर्ण येसारासारावामें मेलि पश्चिमदशानेचौ हदै तीन दिन संध्यासमैंबालकऊपरउतारोकरैनी पाछैसालि काजलसूं बालकनैं स्नानकरावै पालैशिवनिर्माल्य बस विलाईका रोम घृत डूब ईकीबालककै धूणी अथउतारा कोमंत्रलि● ऊंरावणायहन २ सुँच २ हुंफट् स्वाहा चोथेदिनब्राम्ह भोजनज थाशक्तिकरावेतौ शुभदाकोदोषजाय ३१ अथ तीसरेदिनती सरैमास तीसरैवरसपूतनानामरावाकीव हुए। बालककै
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४८६. अमृतसागर तथाप्रतापसागरतरंग २१ दोषकरेतीकोल.प्रथमबालककेवर शरीरकोपेश्रोबोलेनहीं गूठिषोलनहीं सुकारियोकरै आकाशमाहादेषवोकरैबालककासुषकैवास्तैवेंकोउत्तारोलिनरीकादोन्यूनरांकीमाटीगा
लेतीकोपूतलोकरे पूतलानेसरावागेमेले कैमधिनांबूल रक्तपुष्प रक्तचंदन रक्तसात धजा सानदीवा मांस सुराभा तमलि दक्षिणदिशामें तीसरेपहरचौहटेबलिदे पाशिचनिर्माल्य गूगल सिरस्यूंनीबकापानमांदाकोसीच यांकीधूपादि नतीननाईदे अथउनाराकोमंत्रलि उनमोरावगायनमः हनरमुंच रासयत्रासयस्वाहा चौथैदिनब्राम्हणाभोजनकरै तौबालककैारामहोय ३२ अथचौथेदिनचौथैमासचोथैव रसमुषमंडिकानामरावशकीबहानीकादेशकालक्षण प्रथमजुरहोय कांधीनवैनहीं नेत्रफाट्योरहै बाबोलेनहीं रोवोक रैसोयगो हाथकीमूठाबंधीरहै येकासुषकैवास्तैग्नारोलिष्यते नदीकादोन्यानांकीयांटीलेनीकोपूनलोकरेकेागेकमलका फूलमेल गंधवांबूल सुपेदफूल च्यारिदिवा तेरापूना मांछलाकोमांससुरा छाछि येसारासरावांममेलजै पाउत्तरदिशामैं तीसरेपहर चौहटेबसिदेतो बालककैसुषहोय अथउतारा कोमंत्रलिनमोरावपापहनर मथर स्वाह चौथैदिनत्राम्ह एभोजनकरैनी बालकाध्योहोय २३ अथपांचमैदिनपांच मैंमहीनपांचवरषपूतनाममातृकारावराकीवहरा तीकोदोषकालमलि प्रथमजुरहोय शरीरकांपे ओबोलेनहीं हायकीमूभषोलेनहींअथवेंकामाच्याहोवाकोउनारोलि. हुम्हारकाचाकामांगलेंतीकोपूनलोकरै नांदेआगेगंधनांबू
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४८६ मतसागर तथा प्रनापसागर तरंग . ल चावल सुपेरफूल पांचवजा पांचदीया पांचवाईसानदिशा मैंउतारोमेलै पाछैसांतिकाजल स्नानकरावै पीछेशिवनिर्मात्यसांपकीकांचलीत नींबकापान यांकीधूलीदेतो बालकया
आहोय अथउनाराकोमंत्रलि उनमोरावसायनमःचूर्ण यर स्वाहाचौथेदिनब्राम्हणभोजनकरावेतो बालकाओहोय ३४ अथछठेदिनछठेमासछठेवरसशकुनीनाममातृ कारावाकीवहरातीकोदोषकोलक्षणलि प्रथमजुरहोय शरीरकांपैरात्रिदिनमैसुषहोयनहीं चोदेवेंकासुपकेदारले अथउतारोलि गोहांकाचूनकोपूतलोकरै सुपेदफूल लालत लपालाफूल मद्य मांस दीया ध्वजा वडा दूधजामुणि मांसदारुयांकोउतारोअग्निकोणमैं मध्यान्हसमैमले पाछैसीतलजल रुनानकराचे पाछेशिवनिर्माल्य लसा गूगल सिरस्यूं सापकाकांचनीनांबकापांन घृन यांकीभूपाप्रथा ताराकोमंचलि. नमोरावणायचूर्णयरहनरस्वाहा ३५ अथसातवैदिनसातवैमाससानवरसमुकरेचनाना ममारकारावाकाबहरातीकादोषकालक्षएलि पथ मजुरहोय गात्रकांपैमूंगबंधारहै रोवैवहन नीकासुषकै वास्तैउनारोलिनदीकानरकामांटिकोपूतलोकरैतीका गेलालफूलमधनांबूल लालचालाकीषाचडीदशीगा मांस रारुबजा१३ पश्चिमदिशामैगांवकैवारांतीसरेपहर नारोमेले पाछैनानकरावेपाशिवनिर्माल्य माटाकोसींग सिर स्यूं पस यन यांसाधूणीदै अथउनाराकोमंजलि तमोरा वणायननेजसे हनरमुंचरवाहा नौदिनमाम्हाभोजन
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મુન્દ
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २१ करैतौबालकच्या ज्योहोय ३६ थआठवेदिनआठवैमासमा ठर्वैवरषनानानाममातृकारावाकी बहरानी कोदोषलक्ष एलि• जुरहोय सरीरमेंदुरगंधिवावै प्रहारलेनहीं शरीर कांपै वेंकासुषके वास्तेउतारोलि० लालफूल पीला ध्वजा रक्तचंदन बार मांस सुरा यांकोबलिग्रभातसमें मंत्रसूंदे उंन मोरावणाय त्रिलोक्यविद्रावणायचतुर्दशमोक्षणायज्वर हन३ ऊंफट्स्वाहा
३७ अथनवेदिननवैमासनवेवरषसूतिकानाममातृका रावणकी बहनोंका दोष कोलक्षएालि• जुरहोय शरीरमेंपी डाहोय छाटणी होय वैंकासुषके वास्ते उतारोठिष्यते नदीका दो न्यूनटांकीमांटीकोपून लोकरे सुपेदवपहराचे सुपेद फूल गंधतां बूल दीवा १३ ध्वजा १३ उत्तर दिशामें गाव कैवारेउतारोकर पीछे शांतिकाजलसुंस्नान करावे गूगल नींबकायांन गायकोसींग सि रस्यूं घृत यांकी धूणीदे अथउतारा कोमंत्रलि० उंनमोरावणाय - हन र स्वाहा चौथे दिन ब्राम्हणभोजन करैतौ बालकन्याछ्यौहोय ३८ प्रथदशवैदिनदशवेमासदशवेंवरषक्रियानाममातृ कारावण की बहाती कादोषकोलक्षएालि• ज्वर होय शरीर कांपै रोवे मलमूत्रकरिदे अथवेंकोउतारोलि• नदीकादोन्यूंन टांकीमांटीकोपूनठोकरै पाछैगंध तांबूल रक्तफूल रक्तचंदन ध्व जा ५ दीवा ५ पूवा मांस सुरा वायव्यकोएामैंबलिदे पाछेकाकवि ष्ठा गऊकोसांग विलाईकारोमनींबापांन घृत यांकी धूशीदेउ ताराको मंत्र ॐनमोरावरणायचूर्णित हस्तयमुच २ साहा चौथेदि नब्राम्हणभोजनकरेनच्छ्योहोय ३९ श्रथ इग्यारवेदिनइग्या खेमास इग्यार वैवरसपिपलीकानाममातृका रावणकीब
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग बहणतीकादोषको लक्षणलि• जुरहोय अहारलेनहीं अथवें कासुषकै वास्तै वेंकीबलिलि० गोहांकोटाकोवूनलोकरे पू तलांकासूंढाकैडूथ की धारदे पाछैरक्तचंदन पीलाफूल गंध तांबू ल दीवा ७ वडा - माला पूवा मांस सुरा पूर्वादिश में उतारोमेले पांडेसांतिकाजलसूंस्नानकरांवे पाछेशिवनिर्माल्य गूगल गऊको सांग सापकीकांचली घृत यांकीधूणीदे अथमंत्रलिष्य● उनमो रावणायमुंच स्वाहा चौथेदिनब्राम्हणभोजनकरावैतौ बालकच्या ब्योह्येय ४० अथवार वैदिनवार वैमासवार वैवरषकामुका नाममातृका रावण की बहन का दोष कालक्षणलि० जुर होय हसे हाथदूरिकरै पुकारैघणों साल घणोंलें अथर्वेकी बलि लि॰मावाकोपूतलोकरै पाछैगंधनांबूल सुपेदपुष्य ध्वजा ७ माल पूवा ७ यांकी बलिदै पाछे शांतिकाजलसूं स्नानकरावै पाछेशिव निर्माल्य गूगल सिरसूं घृत यांकीधूलीदे अथउताराकोमंत्र लि० ॐनमोरावणायमुंच रहन २ स्वाहा चोर्थेदिनब्राम्हणभोज नकरावेतौ बालकआव्योहोय ४१ योरावरणको वायोकु मारतंत्रचक्रदत्तमैलिष्योछे अथबालकांकारोगांकीऔरउत्पत्तिलक्षणलि• धायकाभास्यागरिष्टभोजनकांसूं अरविषमवायपित्तकाआजारांसूं बालककाशरीर में दोष है सोको पकुंप्राप्तिहोयछे अरसे ही कुपथ्यका भोजन सूं धायकास्तन में प्राप्तिहोय दूधङ्काराबालककैरोगनैकरैछै धायकावायकाडुष्ट भोजनसंवादुष्ट होय परओवाय दूध मैं प्राप्तिहोय तदिदूध चावैजदिबालककौवाय कारोगहोय नदिओ बालकषीण हो जाय मूंढोसुपेदह्येजाय शरीरकस होजाय पर वेंकोमलमूत्रनीठी
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४९० अमृतसागर नथापतापसागर तरंग १ उजरे ईनैादिलेरवायकाऔररोगहोय? असंहीबालकपिनका इष्टकोइथपावेतो बालककपित्तकारोगपेदाहोयछे उबारुकैप सेवा मलपतलोजाय शरीरपालोहोजाय तिसयगीलागेश शरगरमरहै आदिलेरपित्तकारोगहोयछै वेंकैलालघरगीप. नीरपणीआवैजउघपोंरहे शरीरसूनोरहै नेत्रमंटो सारोशरीरभासोरहेअरजुरÜआदिलेरौरसरोगसोवमाादमीकैजो होयछ सोहीबालककैजाणिजे अरबालकजोरोगहोयछेसोव डाअादमीकैकोईहोयनहीं नालुककंरकनेआदिलेर अथताल ककंठककोलक्षगलि० तालुवाकामांसमैबालककैकफकोप करैजदिवेंकैतालवामकांटापडिजाय अरवेंकोतालवोटिजा य अरतालवाकाठिवासंबोयांकोडूधपीवैनहींमलपतलोव्हेजा यनिसघशीलागे ऑषिहर्ष कंउमेंदामेंपीडाहोय मांथोउठे नहीं-चमनकरै। प्रथमहापगरोगकोलशालि-बालक कामस्तगमैं अरगुदामैंरोगपैदाहोय अररतवावपेदाहोय रपयकायसिरीसोजकोवर्णहोय सोवानीन्यूंदोषांकाकोपमूं होय? प्रथमनोरोगकनपट्यांमैहोयडै पाछेकनपट्यांसंहिया मैंावै पाछेहियां गंदामेंआवे |सैहीपेड्संगुदामेंजाय अर गुदा फेरिहियामैजाय अरहियामंसिरमैंजोय अथर्करा रोगकोलक्षगलि. कुंकूणकरोगडष्टधकापीचा वालककै होहोयछेकानेत्रर्दूषेनेत्रांमैंषाजिनामांसूगारंवारपणापडे अरनोबालकललाटनेत्रनांक यांनँघसापोहकरैपरतावडाका नांदेषेनहीं अरकोषिलुषेनहींईनेंङमशकरोगकहिजे ३१ अथतुंडिगुदापाकरोगकोलक्षालि बालककागदापकि
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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जाय परवेंकीनाभिर्मैपीडाहोय तीनैतुडिगुदाया करोगकहीजे ४ अथत्र्यहिपूतनारोगको लक्षणलि• बालककी गुदामलमूत्र सूलिपीरहवोही करे - अरगुदानधोवै अथवाकपडासूंपूंछें वातपाने जदिषाजित्र्पावे अरगुदालालर है पर बोबालकगुदानेंषुजालैन दिवेंकैफोडाहोय वेंकीगुदापाणीसूंजर बोकरै अरका गुदामैत्र राहोजायभयंकर चेंनेंहिपूतना रोगकहिजे ५ अथचजगली रोगको लक्षणलि० जीका शरीरमैंची कएगालालयेकवर्णकायूं गममाणधणीकुएणस्यां होजाय पर वेंपीडनहीं होय श्रीकफवा यसूंउपजैछै ईनैअजगल्लिका कहिजै ६ अथपारिगर्भिकरो गकोल क्षएालि० बालक हेसोगर्भिणी लुगाईको दूधपीवैजीके पासीहोय अग्निमंदहोय शरीरमेंदाहहोय भरतंद्राहोय पील पडिजाय अरुचिहोय भौलिया वै परवेंकोपेटवधिजाय वेनेंपा रिगर्भरोगकहिजे ७ अथबालककादांना कोरोगलि• बालक कैदांतानेंत्र्यानांजुर होय पेटछुटीजाय पासी होय छादें मांथो इषैषिषै रतवावहोय लक्षणदांतरोगांकाजाणिजे
बालकांका रोगांको जतनलि• जोवडाच्यादम्यांर्करोगहोय छै प्ररोहा रोगबालकांकै हो यतो वे हीजतन वडाआदम्यां करेसोही बालकांका कीजे पर बालकनै औौषदिदीजेसोरतीयेके कचधतीदीजै बरसयेकतांई अरसरावरसमासो १ दीजैया मर्यादा अरबालककी हाथलगायो रोवेतठेरोगजाणिजे पर बेंकोजतनकीजै अथबालककी जुरको विशेषजननलि० नागरमोथो हरडैकीछालि नींबकीछालि पटोल यांकोकाढोकरि तीर्मेंसहतनांषिपाछै बालकनैप्याचैनौ बालककी सर्वप्रकारक जुरजा
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४९२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २१ इतिभइमुस्तादिकाथः ९ अथबालककैजुरप्रतीसारहोयतीं कोजननलि० नागरमोथो पीपल अतीस काकडासींगी यांकोचूर्ण करिसंहतसूंबालनैंचटावेतौ बालककोज्वरातिसारजाय परषासनें बमननेंइरिकरे १० इतिचातुर्भदादि० अथबालककापतीसार कोजननलि० वालकीगिरि धावड्याकाफूल नेत्रवालो लोद गजपी पलि यांकोकाढोसतनांषिदेतौ बालकांकोअतीसारजाय ११ अथ बालकांकाभयंकरवतीसारकोलक्षणलि• मजीठ धावड्याका फूल लोट् गौरीसर पांकोका टोकरिती भैंसहतनांषिदेती बालककोभयंकरमानीसारजाय १२ इतिसमंगादिक्कायः अथबाल कवाच्यामातिसारकोजतनलि वायविडंग अजमोद पीपलि यानैमिहांवांदिचांवलांकापाली में देतीच्यामवतिसारजाय १३ इनि विडंगादिका. अथबालककारक्तातिसारकोजतनलिप्यते मोचारस मजीठ धावड्याकाफूल कमलकी केसरि यांनैमिहींवांटि सान्याचावलां कामांङकै साथिदेती बालकको रक्तप्रतिसारजाय १४ seeta sired कारकात्र्मतीसारकोजननलि० ठि
तीस नागरमोथी नेत्रवालो इंद्रजव यांकोक्काथदेतो बालकांको सर्वप्रकारकोअतीसारजाय १५ अथबालकांकीमोडानिवाहीको जतनलिलांबील महलोठी महुवा यांनेंमिहीनांटि मिश्री अरसहनमै चटावेतो बालक कामोडानिवाही जाय१६ अथवाल ककीसंग्रहणीकोजननलि० हलद चन्य देवदारू कव्वाली गज पीपल पृष्टपर्णा सौंफ यांनैमिहींबांटिसहनघृतकै साथिचातौ सं यहणीनें पांडुरोगन जुरातिसारनैंइरिकरै परभूषलगावै १७ इ तिरजन्यादिचूर्णम् अथवालककाषासकोजतनलिष्यते
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४९३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग नागरमोथो प्रतीस परडूसो पापलि काकडासींगी यांनेमिहींचांटि सहतकै साथिचाटैतो बालक को पांच प्रकारकोषासजाय १८ इति मुस्तादि० अथषासकोऔरजननलि० कट्पालीकाफूलांकी केसरितीनें सहतसूंचाटैतौ बालककी पासीजाय १९ अथपास सासकोजननलि० मिनक्कादाष अरसो हरडैकी छालि पीपलि यांनेंवांटिसहतच्चरघृतकै साथिचारेती सासरयासजाय २० इतिद्राक्षादि० अथबालक की हिचकी को जतनलि० कुट कनैमिहींपांटिसहतसूंचटावेतो बालककी हिचकीरछादला जाय २१ अथबालककीछर्दिकोजतनलि० ग्रामलीकीगुंठ ली अरचावलांकीषील सींधोलूएा यांनैवांटिसहतसूंचाती बालककीठर्दिजाय २२ अथबालकडूथ छादेतीकोजत नलि करपालीकाडोडांकोरस पीपलि पीपलामूल चव्य चित्रक सूंटि यार्नैमिहींवांटिसहनघृत सूचादैतौ बालक दूधछादेनही २३ अ थबालककापेट में आफरोहोयश्वरसूलचालैतीकोजतन लि०सांधोलूश सूंठ इलायची सेकी हींग भाउंगी यानमिहीनांटि गरमपाणीसूंलेतौ बालककी आफरोवरसूलजाय २४ अथबा लककोमूत्रर्थैभिगयोहोयतीको जतनलि • पापलि मिरचि छोटी इलायची सीधोलूयानमिहीं वांटिमिश्री र सहतसूंचा तौमूंतरुकिगयोहोयसोच्छीतरैऊतेरे २५ अथबालककैला लपणी पडैतीकोजतनलि• गोरी सर तिल लोद यांकोकाटो सहननांषि बालकनैप्यावैतौ बालककामूंढाकीलालपडतीर है २६. अथबालककामूंदामै छाला होयतीको जतनलि० पीप लंकीबकल पर वेंकापांन यांनैवांटिसनमै मिलायचटावेतोवा
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४९४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ॥ सककाछालाआध्याहोय २७ अथबालककीनाभिकेसोजोहो यतीकोजतनलि पीलीमांटी अग्नि लालकरिडूध नाभिके सेकेतो बालककानाभिकोसोजोजायर अथबालककीनाभिप किगईहोयतांकोजतनलि हलदलोद फूलप्रियंग यांनसहन संवांटिनाभिकेलेपकरैतोनाभिकोपकिवोटूरिझेय२९अथबाल ककीगुदापकिजायनीकोजतनलिस्सोतनँपाणीमैपासि गुदाकैलेपकरैतीरादापकतीरहे ३० अथवासंषमहलोटारसोत येतीन्यूंबांटिलगावैतौबालककागदपकतारहै अथवालक केदांतदोहराआवेनीकोजतनलि-धावख्याकाफूल पीपलि यांनेांवलाकारसमेंबालककामसूराकैलगावेतो दांतवाडीत
आवै२२ अरलाक्षादिकतेल बालककाजुरादिकसर्वरोगजाय ३३ इतिश्रीबालकांकासर्वरोगांकीउत्पत्तिलक्षराजतनसं पूर्णम् येसर्वभावप्रकाशमैरिपाछे इतिश्रीमन्महाराजा धिराजमहाराजराजराजेंनीसवाईप्रतापसिंहजीविरचि नेअमृतसांगरनामग्रंथेबालकांकासर्वरोगांकाभेदसंयुक्त उत्पत्तिलक्षाजतननिरुपरानामएकविंशतिमरतरंग:२१ अथसजीकरगाधिकारलिष्यते वाजीकरएकहजेकांई जोपुरुषदीषतकोतोपुष्टदासै अरोनपुंसकहोय स्वीकाकाम कोनहींहोयतींकोजतनलिष्यते नोनपुंसकपुरषसानभकार होयछे तीचीउत्पत्तिलक्षएलि. वासू रमवाकाइछाकरे अर संगहोयनहीं याकारणांसूलिंगउठेनहीं नीनैनपुंसककहिजेसो कारणलिबूंछ करवावस्त पाई गरम लूपायांकापाषाबा मुबार्यकोनाशहोय अथवाभय अथवा सोकसंसोधनेत्रा
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२२
४९५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग दिलेरती काकरि वासूंचीर्य कोनाश होयती सूंनपुंसक होय अथ वापुत्रस्त्रीधननैत्र्यादिलेर तींकानांससूंनपुंसक होय अथवारोगां कामबासूंनपुंसकहोय अथवान्प्रतिमैथुनका कश्विासूंबीर्यको नाश होयतीसूंनपुंसकहोय अथवाहाथकी कहींतरै चोटलागि बासूंलिंगकीनसमारीजायतीसूंनपुंसकहोय यात्रम्हचर्य रह वासूंनपुंसकहोय ईत्र्यादिलेरमौरभी कारण है. यांकारणासूंक हॉनरेलिंगकीनसटूटैसोच्यसाध्यजाणिजे प्रथनपुंसकपणां काइरिहोवाकाजतेनलि• मधुर वस्तनैत्र्यादिलेरनानाप्रकार कामनौहर प्रतिस्वाद इसाजो भोजन त्यांकरिनपुंसकपणोंजाय २ अथवा महासुंदरजोस्त्रीती की वाणीकानां सुंदर लागेतीकरि नपुंसकपणोंजाय ३ अथवा तांबूलसुंदरआसवकोपीबो उपवन पुष्टाईकीओषदिदूथ मिश्रीकासंजोगकी मृगांक चंद्रोदयनैं श्रादिलेरसानूधान दधि सिषरणि उडद ये सर्ववस्तनपुंसकपणानेंद्र रिकरैछै अथवा मरसनैचादिलेर भोजन भीमसेनी कपूर क स्तूरीका संजोग की पांनकीबीडी ईच्या दिलेर औरभीवस्तु तींसूं नपुंसकपणोंजाय ४ अथगोक्षुरादिचूर्णलि• गोषरू ताल मषारणा असगंध सतावरी सुपेदमूसली कौंचिकाबीज महलौ डी परैटी काबीज गंगेरशिकीडालि येसर्वबराबरिले योनमिहीनां टिईमैमिश्रीअनुमानमाफिक मिलाय घोटायाडूध कैसाथिटंक ५ रातिनैं रोजीनाले मरपथ्यर हैतौ नपुंसकपरगेंजाय ५ श्रथसुपा रीपाकलि० दषणी सुपारीसेर ॥ तीनदिन जलमैभिजोवै पा छैवेनेंमिहीकतरिसुकायकै पाछैवेंको चूर्ण करे पर वस्त्रसूंछाणि ले पाछैवें बराबरिघृतसूंमकरोय र ठगुणाधमैं वेंकोषैरौ
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४९६ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २२ माचोकरे पाछेअठगुणामिश्राकीचासणीकरतींमैयोसुपारीको मावोनांषे अरयेऔषदिई,नांघेसोलिपूंछं इलायची परैंटीगं गेरशिकीछासि पीपलिजायफल लवंगजायपत्री पत्रज सूटि सतावरी मूसली कौंछीकाबीज विदारीकंद गोषरू दाष सालि ममिश्री सिंघाडाजीरो छड सलोचन असगंध केसार कस्तूरीक चूर चंदन भीमसेनाकपूर अगर येसारौषदिटकाठकाभरिले पाछेवैयापकीबुद्धिमाफिकलै औरमृगांकचंद्रोदय बंगसार भ्रक सुगंधद्रव्य मेवो आपकाबुरिमाफिकईमैंनां पाछेटका। प्रमााईकोमोदककरे मोरही रोजीनांपाय परपथ्यरहेनोनिश्चे होनपूंसकपणोजाय इतिरतिबल्लभभृगपाकः अथश्राम पाकलि. पकामीठाआमकोरससेरसोलाले तामैमिश्रीसेर च्यारि ४ नांषे भरईमैंतसेनांपैयरई मांटीकारासरामैप कायगाटोकरि ईनेचासणीसिरीसोकरेगांयकोवासरामिलैतो ईमैंकरै अरईयेोषदिनांषै मूठिटकाभर मिरचिरकाभर पीपलिटकाराभर थरगटकाराभर जीरोटकाभर चित्रकटका॥ भर पत्रजटकाभर दालचिनीटकाभर नागकेसरिटकाराम र केसरिटकाराभर इलायचीटकाभर लवंगटकाभर जा यफलटकाभर कसूरामासा४ भीमसेनीकपूरटंकाभर सह नसेर पाछेयांस कोयेकजावकरै अमृतवानमैंभरिराषै पाठे ईनटकाभररोजीनांपायनौ नपूंसकपणोंडूरिहोय परस्त्रीसूं संगयोंकरावै अरसंग्रहपीनाईनें सासकारोगर्ने अरुचिर्ने अम्लपित्तने रक्तपित्तनैं पांडूरोगनैं योधामपाकरतरांरोगांनैर् रिकरैछ इनिआमपाकः अथहथरसरगेरैकहींतरै
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४९७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २२ नपुंसकहोयगयोहोयतींकोजतनलि. देशागोषरूकोचूर्ण टंक ५सहतरंक ५मिलायबकरीकायकेसाथिमहीना२लेनौ नपुंसकपणोंदूरिहोय अथचंदनादितैललि. रक्तचंदन पतं ग अगर देवदारु चीट पदमाष कपूर कस्तूरी केसरिजायफलजा यपत्री लवंग इलायची वडीलायची कंकोल नजदालचिनी पत्र ज नागकेसरि नेत्रवालो षश उड़ दारुहलद मूर्वा कचूर सिला जीत नागरमोथो संभालू फूलप्रियंगु लोहवान गूगल लापन पल्या राल धावड्याकाफूल क भाकाफूल पीपलामूल मजीठ नगर मोम येसारीोषदिच्यारिच्यारिमासाले अरयांकोमधुरी च काढाकरै पाउँईकोचौथोहिसोरा पाछैईमैगाठोतेलसेर नांषे फेरिमधुरांच मैपकावै पाउँकाटाकोरसबलिजाय लेल मात्रायरहै नदिछाणीपात्रमैपालिरा पाछैईकोशरीरकैमई नकरैतोबूटोआदमीमोस्यारहोय भोरशरीरकासर्वरोगजाय इतिचंदनादिनेले अथवानरीगुटिकालि कौंछिकाबी जसेरऽपयांनसेर७१ गउकाड्थमैंसनेंसनेपकाचे पाछैयांकायो तराडूरकरे पाछैयांकोमिहींचूर्णकरे पाछेडूयमैंग्रोसलिछोटाछोटाईकावडराकरे गउकाघृतमैतले पाछेयां दूगीमिश्रीकीचा सपीकरियांवडाकेगलेफदै पाछैयांपडानेसहतमैनांषे पाछेयां नैरोजीनारंक १० महीनांदोयषायतौ नपुंसकपोंजाय स्वाकनें पुरषमोडोस्वलितहोयचार्यमोडोपरे इतिवानरीगरिकाः अथनपुंसकपएजेंडरिकरिवाकोजतनलि. पाकलकरोसूं हि लवंग केसरिपोपलिजायफलजायपत्रीसुपेदचंदन येसारी औषदिअधेलाअधेलाभारले अरश्रमीमटकासाभरले पाछेयां
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४९८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २२ सारांनैंसहतमिहीवांटिउडदप्रमाएगगोलीकरै गोला रात्रीनैरो जीनांषायउपर धपावतीवार्यमोडोपडै परनपूंसकपणोंजाय येसर्वजतनभावप्रकाशमैलिष्याछे अथवा तिला कूकडाका अंडाकापाएगीमिजोवेवारी पाछैचातिलानेटक ५रोजीनांषाय उपरइधपादेतोनपूंसकपोजाय अरघणास्त्रीयांसंसंभोगकरै अथना विदारीकंदकोचूर्णकरै अरवेंचूर्णकालाविरारीकंदकार सकापुट सदेरसुकावतोजाय पाछै–विदारीकंदमैमिनीसहन रघृतमिलाय रोजीनारकरषायउपरडूथपीतो वूटोभीमनुष्यज वानहोयजाय योदमैलिष्योछै अथवा प्रांवलाकोचूर्णकरै पाछैईचूर्णकेश्रालाआंवलाकारसकापुटरादेरसुकायले पाई चूर्णनॉमिश्रीसहतपत रोजीनांकरपायनीबूटोभीमोस्यारहोय योचकदत्तमैंछै अथमदनमंजरीगुटिकालि सूरि मिरचि पीपलि यांनीन्यांकाच्यारिभागकरै पाराकोएकभाग अरबंगका दोयभागकरे यांसारांकाबराबरिसतावरी तज परज नागकेसरि इलायचीजायफल मिरचि पीपलि सहि लवंगजायपत्रीयांसारां कादोयभाग पाछैयांसारांमहीवांटिमिश्रीसहतधृतमैंगोली टंक ५कैअनुमानकरै पाछैगोलरोजानांषाय उपर इधपा नोबूढोभीजवानहोय इतिमदनमंजरीगुटिका० योजोग तरंगिलामैछै अथवा अफीम पारो येबराबरिले याछेयांदो न्यांनैधतूराकाबीजांकातेलमैंमर्दनकरैदिन ३पाछैईमैंमिश्रीअर भांगिबराबरिमिलायरतिपायउपरइथपावेतौनार्यप.नहीं रनपुंसकपलॉईसंजाय योसारसंग्रहगोमैछै अथवाजायफल प्राकलकरो लवंग इंडिकेसरि पीपलि कस्तूरी भीमसेनीकपूर
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४९९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २२. अभ्रक यांसारांकीबरावरि अफीम पाडेयांसारानमिहीवार मूं प्रमाएागोलीकरै पालैगोली १ तथा २ लेतवीर्यपडे नहीं अथना गार्जुनीगुरिकालिंगलेपकी लि• वीशियांकपूर सुहागो पारो येबराबरिले पाछेयांमैगध्या कोरस सहतयोर्मेदिन १ परलक रै पाछेलिंगलेपकरैपहर राधे पाडेलिंगचोयनाथै पास्त्री संसंग करैतवीर्यमोडो पडे थपडीलिंग लेय कीलि० सुपेद कंडीरकीजडकीबकल चाकल करो अजमोद कालाधतूराकाबी ज जायफल यांसारांनैजल मिहीनांटिभिरचिप्रमागोलीचां धे पाछैगोली १ मनुष्यकासून सूंघ सिलिंगले पकरैतीनपुंसकप पोंजाय वार्यमोडोपडे अथवा सूरकोघृत सहन यांदोज्यानैपरल मैघसिलिंगलेपकरैमहीनां नाईनो लिंगकीकसरसारी थवा सुपेदकंडीरकीजडकीहाल तीनें दूध में जमायतका पा छैईघृनमैंगोहरो जायफल अफीम जमालगोटो अनुमानमाफि कमिलायलिंगलेपदिन ७ करें ऊपरपान बांधे ब्रम्हचर्यरतनपूं सकपणजाय इतिश्रीबाजीकरणाधिकार नपुंसकपणांका इरिकरि वाकासंपूर्णम् इतिश्रीमन्महाराजाभ्रिाजमहा राजराजराजेंद्र श्रीसवाईवापसिंहजीविरचितेप्रमृत
सागरनामग्रंथेनपुंसकपणांकारिकरि वाकालक्षणभेदे संयुक्तजतननिरूपणनामद्वाविंशेतिमस्त रंगः संपूर्ण २२ अथसरीर की पुष्टाईकाजतनबुदापाने दूरि करि बाकासातू धान सातउपभात परचंद्रोदयनैं आदिलेररसत्यांकीक्रिया रवांकापावा की विधिलिष्यते सोनों रूपो २ तांबो ३ पान ल ४ सीसो५रांग६ लोह७ प्रथमृगांककी विधिलिष्यते
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५००
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग सोनांकापत लाउरककरातानाकरै तेलमैंकांजी मैं छाहिमैं त्रिफ लामैं गोमूनमै कुलत्थकाकादामें वारतीनतीनबुकाचे पाछैसोना सूंडूपारोले अरसोनांकाउर कानेंषटाइकै साथिषरलकरै पाछे वेंकोगो लोकरे पाछे वांदोग्यांकी बराबरि सोधीगंधक यांवलासार वेगोलाकैनी चैऊपरिदेर सरावासंपुटमै मेलि चैकैकपडमिट्टीदे गजपुटमें फूकिदे इसीतरैईकैपुर ३ नदियोमृगांकचोषोहोय? अथवा सोनांकाचापाउरकले नीकोसोलवोहिसोई में सीसोनांषे यादोन्यांनपराईसूपरलकरे पाढे के नीचे ऊपरि सोधीगंधक यांकीबराबरिदे परसरावां मेलिवे के ऊपर मिट्टीदेरगजपुट मैं किदें इसीतरेपुट देतोमृगांक चोषोवणे २ अथवा सो नांकारक मगायवांकी बराबरि वांगे पारोचरावैषरलमेंपटाई सूं पावकचनारकारसकी पुट १दे पाछेवेकेनिफालकारस कीपुर ३ दे पावें केकल हारीजडीकार सकी पुट १ दे पाछैवांगे सोनाकाउरकसूचीथोहिसोवामैमोतीनांषे अरबरलकरै पाछे
वासर्व काबराबरिसोधीगंधकनांषे पाछेदीनदोयषरलक ३.पालैबांकोगोलोकरिसरावासंपुटमै मेलि वेकैकपडमिटीकरि गजपुटमै फूकिदै पाछेवेनै स्वांगसीतलहुवांका देनामृगांकचोषो
३ अथमृगांक षावाकीविधिरतामृगांकले तसह तटंक मिलाय तीमैपीपलि १ मिलायषादेतो षासनैं सासनें क्ष इन प्ररुचिनें आदिलेरसर्वरोगांनेदूरिकरै महीनांदोयषायतौ शरीर पुष्टकरैपथ्यरत्याषठाई गरेषायनहीं ४ इतिमृगांकवि० अथरूपरसकीविधिलि० चांदी काउरक भागतीन ३ले रहरताल कापत्रयेक भागले पाछैयांदोन्याने षटाईझुंबरलकरै
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५१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ पाछैयांकोगोलोकरिसरावासंपुरमैमेलि गजपुटमैफूकि इसीत रैपुट १४ देतोरुपरसनिपटनोयोवणे पाछैईनैरताषायतोय एणगुराकरे अथवा चांदीकापत्रांकेनीचउपरिरुपमपीबराबरि कादे अरसरावासंपुटमैमेलि गजपुटमैफूकिदेतो रुपरसचायो होय पाछेईनैरोजीनारती महीनोयेकषायतो घगागुणकरे। इतिरुपरसविधिः अथतामेसरकीविधिलि चोषानांबा कापत्रजाडाकराय तेलमें छाछिमें त्रिफलांकारसमें वारसात सातसोधिले पाछेचीपत्राबराबरिरुपमधीवांटिवांकनाचेक परिदेसरावासंपुटमैमेलिगजपुटमैतिदेतोतामेश्वरचोषोव
पाछैईरतीरोजानांमहीनोयेकषायतो सासषासनें आ दिलेरसारारोगजाय अरघणोंगुराकरै इतितामेसरकी विधि: अथनागेसरकाविधिलि. सीसोनँगालिगालि नेलमैंछाडि . मैंगोमूतमैं कांजीमैं त्रिफलांकापाली में पाककाथमैंबकावेना रसानसात पाछैकडछलामैयालिचूल्हेचटायनीचैअनिवाले पाछेसीसाऊपरिपीपलकायोडांकोचूर्ण परप्रांमलीकाळोग कोचूर्ण सीसासूचोथाईले बेंसीसाउपरिथोडोथोडोनांषनोजाय अरलोहकीकडलीकापीदा वेनैरंगडेनोजायदिनाताईनिरंत रपाछैईजंभार योसशिगजपुरमैफूकिदे पाछैइसीतरेंजमारीकापुटगजपुर १ दे पाछैनागरिवेलिकापानकारसकीपुटी दे पाछेसीमाबराबरिमेरासिलले नानेकांजी षरलकरै पाडै टिकडीबांधिसरावांमैमेलिगजपुटमैफूकिदे पाछेसांगीतल होवांकादैीतरैपुट देतोनागेश्वरचोषोहोय गुराधणोकरै सर्वरोगांने रिकरे पावाकीमात्रारती तथा॥अथइसरावि
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५०२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ थिलिष्यते सासानेसोधि कडकलामैचटावेजांचअग्निवाले केव डाकायोटा रगडतोजाय निरंतरदिन वोभस्महोयलाल मात्रार तीरोजानादिनसषायतोगुरायगोंकरै इतिनागेश्वरविधिः - अथबंगेसरकीविधिलि रांगनैंगालिगालि तेलमै छाडि मैं गोमूत, काजीमैं त्रिफलांकापाशी, वारसानसातबुगावैभ राककाधमैवारसातबुमा पाछैकडछलामैघालि जूलैचटा वैरांग चौथाईपीपलकाछोडाचौथाईहीग्रामलाकाडोडा त्याने मिहीनांटिरांगउपरिनांषनोजाय अरकडछीकापीदासूरगड तोजाय पहरदोय २ ताईतदिओरांगभस्महोय पाछेरांगबराब रिहरनालले पटाईमूषरलकरैगजपुटमैकिदे इसीतरपुर १०देनदिवंगेसुरसिदिहोय गुपयशोंकरे मात्रारती॥अथवा वंगपावाले तीबराबरिपारोले त्यांकोयेकजीवकरिपत्रकरै पछे छागों। वमोनाकसेलाकोचूरसेर विडायनांउपरिगंगकाट कडामेले फेरिउपरिकसेलाकोनूरमेलि आसपासागांदे विनायवनकाजायगामें फूकिदे वेरांगकाफूल्याहोयजाय योय गोगुणकरे इतिवंगेसुरविधिः अथसारकाविधिलियने गजलिकोवरकराय तीनैतेलमें गछिमें गोमूनमें कांजीमें वारसानसातबुमावै पाछत्राककाधकीपुरदेअरथोहरिका इधकीपुट दे त्रिफलांकारसकीपुर ७दे दांडकापांनाकारसकी सूट दे इसीनरेंटदेदे भस्मकरैशिलाउपरियांटै सोजलाप रितिरैजेठाताईभराकरेनो गुणयोंकअथवा गजवेलिको छूटकरेनीकेनींबूकारसकी अरनोसादरकीपुट शुदैगजपुर मैंकनोजा परवांटतोजायतीसारचोषोहोय अरगुएरायगौकरै
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५.३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ मात्रारतीरोजानांषायतो सर्वरोगडूरिकरे इतिसारकीवि धिः अथसातउपधातांकामारवाकाविधिलि सोनम की अररुपमा अनक रमेरासिल ३ हरताल-पारो५पप स्वोदसुरमों७ अथसोनमष्पीकोसीथनलि० सोनमधीका भाग३सीधालूकोभागीयांदोन्यांनैलोहकाकडछलामैंघाति विजोराकारसमें अरजंभारकारसमैपकावेजेगनाईलोहकोषाः त्रलालहोजाय नदिसोनमधीसुद्धहोया अथसोनमीको मारपालि सोनमषानेकुलस्थकाकातामैपीसि सरावासंपुट मैंमेलि गजपुटमैंकिदे अथवा तेलमैवाटिगजपुरदै अथवा छाछिमैवांदिगजपुटदै अथवाबकरीकाधमैवाटि गजपुटदे तोसोनमष्पीमरै ईकीमात्रारतीषायतो गुणकरे। प्रथम भ्रकशोधनमारराविधिलिकालाभोडलनेलेअभिमैतपायथमैबुगावै अथवाचौलाईकारसमैबुझावै अथवाषटाईमैंबु जावे नदिअधकसुद्धहोय पाछेअभककाजदापत्रकरिनानेक दिअरमिहींकरिमुकायदे पाछैवांनैकामलामैंघालि अरवांमैसा लिथालि अरअनकनैंसालिसुधामसलिमसलिकामलामांहि सूंपाशीकरिवारैकादै जुरावासणमैं नदियोथान्याअभकहोय पाछेईअम्भक.पाककाइयमैपरलकरैईकाटिकडाबांथै पाठे सुकायाककापांनामैलपेटै ईकैकपडमिट्टीदे विनासरावेगज सुटमैकिदे इसीतरै पुटदे इसीतरेथोहारकाधकीपुट दे इसीतरेकवारकापागकीपुर देइसीतरेंचौलाईकारसका अथवा नागरमोथाकाकाटाकी अथवा कांजीकी अथवाचित्रक काकादाकीअथवाजंभाशकी अथवात्रिफलांकीअथवागोमूंतकी
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५४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ यांकीपुर सानसानइसीतरेदै पाछैचाकीजाकाकादाकीपरमजी उकाकाटाकापुरसातसानदेतो अधकनिपटचोषोवणे अरयोअन्न करोजीनारतीषाय महीनांदोयर लाईनोपमेहनैंपादिलेरसर्व ग्रेगजाय परशरीरघलांपुष्ट करेअरनुकसपणापूरिहोय इति अभ्रकविधिः अथअभककाइसरी विधिलि-सुपेदभोडलले तांबराबरिगुरले नीगुडनैपागामघोलैजाडो पाछेभोडलकाप त्रांकैजामोजामोलेपकरेअरबांपत्राउपरिसोरोभुरकावतोजाय सोरोभोजडल आधोले अरभोडलकीतहकरतोजाय पाभी डलकातहर्नेछापांमैकिदेओभोडलपिलिजाय निश्चंद्रहोय योभीगुणकरेछ मात्रारतीयेककी इतिअभकविधिः अथ हरनालकोसोधनमारगलि. पीलीहरतालकापत्रकार अवें कीपोटलीकरि हांडीमैकांजीयालिडोलाजंत्र पहरयेकाताईप कायजै पाछेपेठाकोपागीहोडिौघालितांमैंडोलाजंत्र पहर। पकायजै पाछैचूनांकीकलीकापारपीमैपोटलीकरिडोलाजंत्र सूंपहरयार४ पकाइसीतरैहरताल पचायांहरतालशुद्ध होय अथहरतालकोमारवोलिष्यने ईसोधीहरनाल. षरलमैमिहीवांटि इधिकारसमै दिनदोयरपरलकरै पाछे षटीकारसमैंदिनदोयरषरलकरे पाछेईकोगोलोकरि छाया मैंसुकाय पाछैछीलाकाराष.हांडीमैदाविदाविभरेतीके जांचिईहरतालकागोलानैंमेलै पाछेईहांडीनैचूलैचढायनी चैअग्निबाले क्रम मंदमध्यपरगाढीअग्निदेरिन ३ताइनिरं तरदै नायूंवोनीसरियादेनहि अरबूंबानीसरेतौबूंवानेंछी लाकाराषसूंदावनोजाय पाडेसागसीतलहोयजदिइहरताल
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५०५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ नैहांडीमांहिसूंका नदियाहरनालसिद्धिहोय सुषेदहोय पान में मात्रारती । षायतौ सर्वरोगमात्र नयाइरिकरेछे परभूषघणी करे इतिहरतालमारएणविधिः अथवा प्रथमदरताल इहींविधिसंसोधि पाईहरतालबैंकवार कापठाकारसमेंदि नतीन ३ षरलकरै पाछेर्डेकीटिकडीकरै छायामेसुकावै पालेडी लाकीराषने हांडी में दाविदाविभरिनीकैवी चिईहरताल कीटिकडी नेमले पाछेचूल्हेचढावे पाछैवेंकेनीचैनिवाले पहर की पाछे ईनैस्वांगसीतलहुवांका अर वातोलउतरे निर्धूमहोय इनेपान मैंरती। लेतोयांकोट नेंइरिकरे षाचा मोठचणां कोरोटीला पायनोकोढजाय इतिहतालमारएणविधिः अथचंद्रोदयर सकीविधिलि० सौनांकाचो पाउरकलेटका १| भर
अरसोध्योपारोटका भरलै अथवा हींगलूको काट्यों पारोले नभर अरसोधीगंधकांवलासारका १६) भरले पानी न्यांनॆषरलमैघालिनांदर्शिषणिकाफूलांकारससूंदिन ३ परलकरें पाछेकबारकापाठाकार ससूंदिन ३ बरलकरै पाछेईनेंखुकाय का चकीच्यातसीसीसीकैकपडमिट्टी दे पाछेईनैंसुकाय ईसीसी में ये सारीऔषद्यांसोनांकाऊरकसमेत भरे पालैसीसी कोमूंदोमुंदिदे अरवालुकाजंत्रमैचढाय चूल्हेमैले पानीचैवग्निबाले प्रथममंद मध्य आरगादी इसीतरे वाले महर बतीसकी ३२ आंच पाछेवांग सीतलहुवाईवालुकाजंत्रमैईसीसीका पाउईसीसीमांहिस्रं चंद्रोदयनैकाठै डाबामैंभरिराषै कीरंग हींगलसिरी सोलाबहोय पाछैषावामेंमाचारती? मरईमैंजायफल भीमसेनी कपूर समदशो स. लवंग कस्तूरी ये मारामासा ४ मिलायरोजानां षायनोगुएस
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५०६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ करें ऊपरसूययोझ्थमिश्री का संजोगकौरुचिमाफिकरातिनैपीने अरमांसउगेरैपुष्टाईचस्तषाय अरषटाईषायनहीं तो घणी स्त्रियांसूं संभोगकरै प्रश्नपुंसकपणाने इहचंद्रोदय इरिकरैछे वीर्यको धे जकरैछे इतिचंद्रोदयकरि बाकी अरावाकीविधिसंपूर्ण० अथरससिंदूर काविथिलि० ईन्हरिगोरीरसक छै प्रथमपा रानै सोधि प्ररपारानेंपरलमैंयालि हलद श्ररईट परधूमसो पर नींबूकोरस ईदिन ३षरलकरै नदिईकी सातुंकांचली हरिहोय पाछैत्रिफला कांजी चित्रक कवारकोपाठो सूंठ मिरचि पीपलि यांमैदिन ३ परलकरै पालाकारसमेंपरलकरौ दन ३ पाछे जंभीरीकारसमैदिन ३ परलकरै पाईने हांडी मेंमेलि इसरीहां डीकोमूंमोजोडै पाछैमूंदाकेषामरैचूल्हैचढावे परऊपरलीहांगी कैपीदोआलोकपडोराषैनीचे अग्निबालैतदियोयारोउपरलीहां भिकेपीदेजायलागे तदिपारानैकाटिले अथवाहिंगलूकोपारो इहींविधिसंकाढिले पाछेपारानै वांगककोडकारसमेंघरलक रै पाछैहाडी मैवापककोडकोरसपालि अरई हांडी मैलारस मेंयेव स्तरयाले सरपाक्षीजडी अरजिमीकंदकोरसच्परभांगराकी रस सांभरोलूया सीधोला परकांजी येसारीबरावस्त हांडी में घाले पाछैईमैडोलकाजंत्रकरिकपडामैंपारोबांधिपहर ४ पका यले दिपाशुद्धहोय इतिपाराशु अथवा हजार १००० नींबूकारसमें सूठि मिरचि पीपल राई सांभरोला चि कहींग येसाशनीबूकारसमैंनांषिदिन २१ ईरसमेंपारानेवर लकर नदियोपारोशुद्ध होय इतिपाराशङ्क• पाडेयोसोध्योपारोट काभरिले रसोधीत्र्यांवलासारगंधकटका ५० भरले अरदो
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५०७ अमृतसागर तथा मतापसागर तरंग २३ पटकनोसादरलैरंक २॥ फिटकडीले पाछैयांसारांनेदिन ३षरलक रैपाछैानसीसीसीकैकपडमिट्टी दे अरयेसासीमैयेोषदिम रेपाछेसीसीकैमूटेषामदेरवालुकाजंत्रमैसीसीमेलै पाछेउनेंभ ट्टीउपरिचढावे नीचेअग्निबाले क्रम मंद मध्यभरघणीइसीत रैअग्रिप्रहर३२कादेपाछेस्वांगसीतलहवां वालुकाजंत्रमेंसंसासी
काटे पाछे सीसामाहामाईरससिंदूरकादिवांटिरनी रोजी नांपानसाथिषाय अरपथ्यरहेतोसर्वरोग.जुराजुदाअनुमा नसूंयोडूरिकरें? अरभूषलगावे, अरशरीरनैपुष्टकरेछे। इतिहरिगोरीरससिंडूरकीक्रिया. अथवा हींगलंकोकाटयो पारोअथवा योहीसुध्योपारो अरसोध्योनांवलासारगंधक यांदो न्यांनैबराबरिले अरयांनैवउकीजदाकारसमेदिनापरलकरें पाछैानसीसीसीकैकपडमिट्टीदेवेमेयेभरें पाछेईसीसीईट कीषामदे अरवालुकाजंत्रमैंसीसीमेले पाछेचालुकजंत्री परचढाय क्रम मंदमध्यपरतीक्षगांचदेपहर की पाछै ईनैखांगसीतलहुवांकाटै पाछैईसीसीमांहि का ईकोरंग हींगलू सिरीसोहोय योरतीपानमैषायतोगुणयोंकरै सर्वरी गांरिकरै इतिरससिंहरकाकिया.२ अथपारामारवा कीविधिलि पाराषरलमैंघालि गूलरिकाढूधमैपहर१पर लकरै पाछैईकीगोलीबांधे पाछैगूलारिकाधमैचोषोहींगधसि ईहींगकीमुसिदोयरवणावे पाछै पाराकीगोली,मुसिमें मेलि दूसरीमुसिकोमुंहंडोजोडिमुंसिकैषामकरैपाछैई सुकाय सेरा छापांकीभोभरिमैपकावै नदिओयारोसुपेदपिलिजायई कीभस्महोय याभस्मसर्वरोगमात्र. हरिकरेछे इतिपारामार
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५.८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २३ वाकाभिया• अथवा धीमाकाबीमा.बिहीवारियांकाम सिदोयकरे यांमुसिमैगूलाकाधमैपारानेषरलकरैपाछैपाराका गोलीबांधि यागोलीमुसिमें मेलि अरपाराकीयोलिकैनांचेऊपरि दयलकाफूल वायविडंगरयांकोचूरराकरिमेले यांमुसिको गोलोकरें पाछेयांगोलाधवरिण कोइलामैथवांदे पाईकैक पड़मिट्टीदे गजपुटमेंफुकिदे नदिईवीभस्महोय तोलकतरे याम समसङ्घरोगानेरिक दविपाराभस्मकीक्रिया० अथवसंतमालतीरसकाक्रियालि सोनांकाउरकमासा: मोतीमासारहीं गलमासा३मिरचिमात्रा ४सूरतीषपस्सोमासा रूपोमासा पपस्यानें गोमूतमैपहर मोलकाजंत्र पकावे पाठेयांसारा नैपरलमैघालि मापनमंषरलकर योमंषनयांमैसुसेइतनोधा लै पाछेनीबूकारस षरलकरैलोमांषनमुसिजाय इतनैंषरल करै अरईकीचिकंगासहरीकरईप्रमागचाहेजिनोकरे पाछेईका गोलीको पाठेरतीपापलिरसहतका संजोगसंषायतो रो जिनाधिपमज्वर आदिलेरसर्वरोगांनेरकरे अरईपुष्टाई कासंजोग षायतीशरीर पुष्टकरे इतिवसंतमालतीरसः
अथहींगलूमारचाकीविथिलि. हींगलूलोषोपईसाभर कीडतीले तीनकडछलामेंमेलै ईगलीऊपरिनींबूकोरसमेर २ सुसावै पाछेईहींगलूउपरिकांदाकोरससेर ७५सुसावै पाईर लीनैकादैऔरकडछलामैंमेलेईमलाकैनांचरपरिसरकांय कीलुगदीदेरपकायले पाडेईमलीनैजुदीकादै पाछेसेर कुच लामेरकराईसर१ मालकांगशीसेर १कांदामेरस पृतसर सहतयांसारांनामिहींपादियांकोयेकलुगयेकरैकडाहामैंमेलें
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५०९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २ अरलुगदाकेवीचि याहांगलूकीडलीमेले धरईकेनीचेअग्निबाले पहर की नदियोहींगलूसिद्धिहोय तोलपूरोऊतरै रंगलाल हो यईकोषावाकीमात्रारतीप्राधाकी अथवारती१पानमेषाय पथ्यरहतो सर्वरोगांनेयोहरिकरै भूषघणीलगावै अरनपुंसक पणानेहरिकरैछै इतिहींगलकरियाकाविधिसंपूर्णम् इ निपुष्टाईकीसातथातसातउपधातकामारवाकाविधि द्रोदयादिलेररसांकीविधिसंपूर्णम् इतिश्रीमन्महा राजाधिराजमहाराजराजराजेंदश्रीसवाईप्रतापसिंहजी विरचिनेअमृतसागरनामग्येपुष्टाईकासर्वजतननिरू पनामस्त्रयोविंशस्तरंगसंपूर्णम् २३ अथवासवांकाकरियाकाविधिलिप्यते अथदशमूलासवलिष्यते॥ सालपी पृष्ठपी दोन्यूंकड्याली गोषरूपील अरएयू धरलू कुंभेर पाउल यांसारांकीजडलाजेटकापांचपांचभर चित्रकटन का २५/पोहकरमूलटका२५/ लोदका२० गिलवेटका२० प्रांव लाटकाधमासोटका१२॥ पैरसारटका विजेसारटका १२॥ हरडैकीछालिरकारकूटटका ९५मजीउटकाशदेवदारुटका। वायविडंगटकारामहलोडीटकाराभाडंगीटकाराकेथटका २। वहेडाकीछालिटकारासाटीकीजडटकारापदमाषटका नागके सरिटका। नागरमोथोटकाराचव्यटका॥छडटकाफूिलपि यंगुटकारागोरीसरटकाशकालोजीरोटका।निसोलटका २१ संभालूटकारागसनाटकारापीपलिटकारासुपारीटकाराक चूरटकाराहलदटकारासोपटकाराइंद्रजवटकारा काकासी गीटकाराजीवकटकारारिषभटकारामेददकारामहायेदरका
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५१० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ काकोलीटकारापीरकाकोलाटकारारिहिटकारा वृद्धिटकारामन कादाषटकाशसहतरका ३२॥धावड्याकाफूलसेर७५वोरफडी सेर७५बौलाकीचालिसेरऽपयांसारांनेअरगुणांपापीमोराय जांकेचोथोहिसोराषिजैअथवायांसारानेजवलकरिवडामटका नैघालिजे ईकैअनुमानपाणीघाले अरइहीपापीमैचोषोगुडम एपकोघाले अरषातकीजामीमैयोमटकोगाडिदे मटकाकोमुंह डोढाकिदिनसताईपाछेईकोजावोऊठेतदिईजावानेोरमठका मैघालेदारुकढाबाकाजंत्रमुईनेकलालकनांओरवासराईपासचनेकदाइलाजै अरजंत्रकेमूडै येसुगंधिकाग्रोषदीनांषिजे पो टलीकरि पसचंदनकोचूरजायफल लवंगदालचिनीइलायची पज केसरि पीपलियेसारीअोषदिदोयदोयटकाभरिलीजै पर कस्तूरीमासा४यांनैवांटिपरवेंकादीबाकाबासगमैत्रकीमूडे पोटलाकरिमलिजे इसीतरैयोपासनकरिलीजे पाछेईनेपुराणोक रिटकाशभर अनुमानमाफिकमदात्पयकापकर्णमेंईकापावाकी विधिलिषीछेतिहमाफिकपीजेतो क्षरोग छर्दिने पांडुरागर्ने संग्र हएीने अरुचि-सूलने पासनेसासनै भगंदरने गायकासारारो गाने कोरनैं ववासार प्रमेह, मंदापिने उदरकासारारोगांने पथ्थ रीनैं मूत्ररुनें यांसारांरोगांनयोइरिकरैछै अरभूषवधाछै अ रनपूंसकपणांडूरिकरैछै शरीर पुष्ट करेंछै अरशरीरनैवीर्यननि पटपणावधावैछै इतिदशमूलासवकाविधिः अरइहींतरैसा रापासवरापअंगूरनेंपादिलेरकरिलीजे अथपाकांकाकरिवा कीविधिलि अथमूसलीपाककरिचाकी विधिलि सुपेदम् सलीपाराले कौंछिकाबाजरंकाविदारीकंदरंकशागोषरएंक
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५११ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ सतावरिटंक॥षरैटीकाबीजटंका गंगेरशिकीडालिटकाभर तजटकारामरसूठिटकाशभरयांनैमिहींपादियांबराबरियतमें यांनमंकरोवै अरयांने धसेर मैंपकावै अरइधकोषरोमावोक रैपाछैषांमसेरऽ७कीचासगीकरैलाडुवांकीसी पाछैचासणीमें योमाचोना अरयेोषदिभीचासणीमैंओरमांषै मिरचिटंकपी पलिटकारामूटिटकारादालचिनीटकारा पत्रजटंकरालायचाट कासानागकेसरिदंकाकस्तूरीमासा४लवंगदकाजायफलटका राजायपत्रीटकारावंसलोचनटकारायांोषद्यांनेजुरीजदीवाटि ईनासणीमेंना अरसार वंग अभ्रक मृगांक अरहरिगौरीसर यो भाअनुमानमाफिकचासीमैनाचारोलिपिसतायेभीअनुमान माफिकचासशीमैना पाछैयांकोयेकजीनकरियांकागोलीरका आभरीबांधे यागोलारोजीनांषाय एकप्रभातएकसंध्यासमैषायतो शरीरनैंपुष्ट करै अरप्रमेहादिकसर्वरोगांनेयोहारकरैछ इति मूशलीपाककीविधि अररहोत्तरसारापाककरिलीजे
अथसिलाजीतसोथिवाकाविधिलिसिलाजीतपरवनको मदतीनेलीजे अथवाचेचुयापरबतकाकांकरांनैलीजै पाछेवें सिलाजीतनेंगउकाइभमैमिजोवे अथवात्रिफलांकाकादामेंमिजोवै अथवाभांगराकारसमेभिजोवेदिनापाछैवेवासपामेवेनै पूरमसले पाछै कपडामैंडाणिवेनैंताप.मेलेमुकायलेत दिनोशदहोया अथवासिलाजनाकाकरालेरवानवाटै उना पाणीप्रहरराषे पाछैवानेमसलिऔरमांटीकापात्रमैवस्वसं छातिले पाठेपानतावडेमेलै उपरोपाणीऔरपात्रमैनि नारिलै इसीतरैवारंवारमहानांपेयताईकरतोजाय तरिमोसि
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५१२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ साजीनसुडहोय अग्निनिधूमहोय अरअग्निमैमेलोउभोहोय जाय लिंगपमयोसोध्योमिलानीन प्रमेहनेआदिलेरघणांरोगाने दूरिकरैअरशरीरनैंयोपुष्टकरे इतिसिलाजीतसोधनवि०
अथजवषारनेत्रादिलेरसाराषारकरिवाकाविधिलि. पोरेायाजाकादिवानेसुकायतीजे पाछैनांनैबालिवांकाराष करि राषांनेचासरामैभिजोयदीजेदिनसताई पाछैतिषटीकैकप डोबांधि वेंकपडामैश्रीराषसमेनपाएगीयालिदीजे पाछेचेमैपाणी
ओरधालनाजाजै षारोपागांनीसरैजगताई पाछेपागीने कडा होम॑चदाय ओपाणीवालिदीजै नदिकराहीमवहे पाणाकोलूपासि रीसोपारजमिजाय इहीनरेंसाराषारकरिजैइतिजवषार.ग्रा दिलेरसाराषारकरिवाकीवि० अथचराषारकरिवाकीवि थिलि. महाकामहीनांमैचलाकोषेतहोयजठे चपाउपरिमिहींक पडोघडातीनिच्यारिकेतडकैस्यापोंबादमीफेरील्याचे मोहीकप रोरोजीनांदिन:५ताईफेरै अरनित्यवेंकपडानेसुकावतोजाय ओकपडोटादसिरासोजाडोहोयजायजेठाताई पाछेवेंकपडाने पाणीमभिजोय कडाहीमोरकपडा चेहपापीनेडाएगीले पाठे कडाहीमोभिनास्योपाएीधाले–पाएगीनेचासएगीसिरीसोगाटो करि ओरपासणघालिराषैतोवहचोषोचणषारहोय अरओ पाटोयसांहोय इतिचषारकरियाकीविधि अथस्नेह विधिलि. नेहच्यारि४ प्रकारको घृता नेलर सानामशुहमा सकोस्तरमजामामाजीसोहाडामांहि नीसरैश्येच्याविहीरने हपुष्टकर्ताछै । अथवेदविधिलिदच्यारि४प्रकारको नापा उषा २उपनाह ३ इववेद४ नापअरउपस्सेदहेसोकपकाबाजार
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५१३ अमृतसागर तथाप्रतापसागरतरंग २४ • मैंदूरिकरे, बालरेन लूणावस्त्र नातोहाथरकरणी अंगीठी यांसूसे ककरै पसेवानीनैनापस्वेदकाहिजे लोहपीडोईटनेप्रादिलेर बांनंतपायरपसेवावतीने उभस्वेदकहिजेर नापअरउभयेदो न्यूंमिलिकरिपसेवावेतीने उपनाहस्सेदकहीजै ३अरसरीरनैध स्वसूदांकि परशरीरउपरितानाषटाईकापालीसूसीचे अथवाला यरिकरिवागालीऔषधांकापापी तानोतातोशरीरउपरिनां षेपसेवअगावैतीनैवस्वेदकहिजे ४येच्याहीपसेववायकारो गांडारकरैछै अथमहासाल्वरगखेदलि कुलस्यउडर गौ हूं अलसी निल सिरस्यूं सोंफ दोवदारु संभालूजीरो अरंडोली अरडीकीजड रास्मासहजयांकीजड़यांसारनैलूसंयुक्त कांजी {अथवा कहींषटाईमंमिहींपीसि वेनेगरमकार शरीरमैजेठेवा याइहोयतेठेसेकैनौगायकासारारोगजाय इतिमहासावरा खेद इतिवेदविधिः अथवमनविधिलि शरदरितुमैं वसं नरितुमैं वर्षारितु, मनुष्यमात्रएं चमन अरजुलावलेबोजोग्यछे जांकासरीरमैंकफकारोगहोय हियानादिलेरडूपताहोय अरवि षकोदोषहोय मंदाग्निकोरोगहोय श्वापदकोरोगहोय कोटको रोगहोय विसर्पपमेह अजीर्गभ्रम पास सास पानसमृगीउन्मा दरतानिसार नांक तालमोहोर येपकिगयाहीयकांनपकिगयो होय दोयजीमहोयगईहोय अतीसारहोय पित्तकाकफकारोगहोय मेट्वधिगईहोय सिरकोरोगहोय पसबाडोडूषे तत्कालजुरहुईहो य अरुचिहोय यांसारांरोगांनैवमनकरियोजोम्यछे वमनसंयोग जायापरदननारोगांनेचमनकराजेनहीं निर्मिरकारोग. गोला कारोगानेदरकारोगीने इवलर्नेबूटा गर्भिणीस्त्रीने स्थूलनैचो
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५१४
२४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग लागी होयजीनैं मेदवालाने भूषानें उदावर्तिनें वायकारोगीनें यानें चमनकराजेनहीं प्रथवमनविधिः भेदडीपतली धापिसुबाजेश्व रभेदडीमें दूध छाछिदहीयेनांषिजे अरनिपटपणीषुचाजैकंठपर्यं त पाउस धोलूश सहन वच येषुवाय ऊपरितातोपाणपाय ग लामैंयागुलीघालिवमनकराजे १ अथवा कुटकी ओरनीषीवस्त अथवामेंटलकोचूर्णगरमगरमपाणीसूले अथवा फिटकडीतमा बूउगैरैगरमपाणी सूंलेतोवमनहोय अथवानीबनमादिलेरकड वाइव्यसूवमन होयतो येपाकत्यासोसर्वरोगजाय अरवमन कस्वांपाछे जीभकैजीराउगेरै माडीवस्तलगाय अथवाविजोरा उगैरेच्याडीवस्तपाजे अंतरउगेरै माछीवस्तसूधिजै श्राख्यायाव्याभोजनकराजे इतिवमनविधिः प्रथविरेकनामजुला वतीकीविधिलि० प्रथमपुरषन विधिपूर्वकवमनकराजे पा केंपुरषर्ने पाचनद्रव्यदीजे बैंकाशरीरकाकफकारोगपचिजाय जातांई अरसरदरित वसंतरितु ईननि जुलाबदीजै अरजरू रजुलाबदीयांहींयाको रोगजाय नदिचा हिजैरनुमैंजुलाबदीजै अरइतनांरोगवालामनुष्यांनैनिश्चैहीजुलाबदीजे नदियेरोग जुलाबदीयांजाय जीर्णज्वर वालो जीकाशरीरमैमलको संग्रह हो य वातरक्तवालो भगंदर वाली बवासीरवालो पांडुरोगी उदररो गी गोलाकोरोगी हृदरोगी अरुचिकारोगवालो जोनिकारोगवा ली गरमीको रोगी प्रमेहको रोगी व्रणकोरोगी फोडाकोरोगी विसूचिकाकोरोगी नेत्रवालाको रोगी कृमिकोरोगी मूलकोरोगी कोढी कान कोरोगी नांसी कांकोरोगी सिरकोरोगी मूंडाकोरोगी सोथकोरोगी मूत्राघात कोरोगी यांरोगांवालो मनुष्यजुलाबले
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५१५ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग २४ नोयेरोगतत्कालजाय अरइतनारोगवालोमनुष्यजुलाबलेन हीबालक दूटो शरीरजीकोषलोंचीकोंहोय शस्त्रलाग्यांक्षी राहोय मरपस्याल षेदजुक्त तिसायोस्थूलपुरुषगर्भिगीस्त्रीत कालंज्वरचदीहोयसो नत्कालजीकैसंतानहईहोय इसीस्त्रीमं. दाग्निवालो मेदकारोगवालोलूलोजीकोशरीरहोय इतनारोगवा लोपुरषजुलाबलेनहीं अरपित्तकातासीरवालानेकोमलजुला बदीजै अरकफकात्तासीरवालानेमध्यजुलाबदीजैअरवायकी तासीरवालानेकरडोजुलाबीजै नदियांकोकारिजहोय अथम उजुलाबलिदाषदूधहर..आदिलेर अथमध्यजुलाबलिग निसोनकुटका किरमाला प्रादिलेर अथतीक्ष्णनामकरडो जुलाबलिक थोहारकोइधचोष दांत्यूपीजमालगोटो औरइछा भेदी अादिलेर अथपुनःजुलाबलेवाकाविधिलि प्रथमदि नपांचसाततोपुरसमुंजसले सनामुषाटक ॥जीरोरंकासों फटंक मिनकादाषटंकशगुलाबकाफूलरंकशाषांमटंकी. यांसारांतीनपावापागामोटायनीकोपाशीपावरापे पाईपाणी.छागि रोजीनांदिन४पावेतोपेटकोमलपचे पर नीसरबोकरैअररोजानांचावलांकीषिचडीघृतसमेंनषाय अर पांचवेदिनसनामुषीटंकी निसोनरंका-गुलबकंदटंकजा रोटंकासोपटंकषांमटंकी यांनेीदायदिनदोयच्यारिरो जीनांले अरयनसमेतषिचडीषायनोजुलाबायोलागेअरई संसारारोगजाय षाटोपारोषायनहीं जुलाबकादस्त ३०लागेतीउत्त मजुलावजापिपरदस्त२०लागेनीमध्यजुलाबजाणिजे अर दस्ता लागेतौहानजुलापजाणिजे। अथारितुकाजुदा
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५१६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ जुदाजुलाबलि वसंतरितुमैतौंसनामुषी निसोतगुलाबकात लसोंफ जीरोयांमचाएगी यांकोजुलाबदीजै ग्रीषमरितु में भिसोत मिश्रीयेदोन्यूंबराबरिले नीकोजुलावलीजेनौरोगजाय शरीरशुद्ध होयजाय२ अथवर्षाकालकोजुलाबलि निसोत पापलि दा षमूरि सहतयांकाजुलाब रोगजाय अथसरदरितुकोजुलाबलि निसोन धमासोनागरमोथो दाषनेत्रपालो महलोठी चंदन सनामुषी मिश्रीयांकोजुलाबलेतोरोगजाय४ अथहिमार तुकोजलाबलि निसोत चित्रक पाउचोषसनामुषीवच्याको जुलाबगरमपाएगी लेतौरोगजाय ५अथससीररितुकोजलावलि निसोन पीपलि रिसांधोलूरासहतसनामुषायांको जुलाबलेतोरोगजाय अथअभयादिमोदकलि हरडेकीछा लि मिरचि सूहि वायडिंग आंवला पीपलि पीपलामूल तजप जज नागरमोथो येसाराबराबरिलै परयांसारांतिगुणीदात्यूपी ले अरयांसारां अठगुगानिसोतलेअरयांसारांसूबगुलामिश्रीले अस्यांसारांनॉमहीवांटिसहतमैटंकशाप्रमाणगोलीबांधेपाछे गोलीप्रभानहीसीनलजल लेनोजुलाबचोषोलागैगरमपा . एशीपीवेनहींजगताईजुलाबलागिबोहीको अरईमैंघगोंजुलाब लागिवोहीकरेनोमनुष्यकासारारोगजाय विषमज्वर मंदाग्निपा डुरोग पास भगंदर प्रमहराजमानेत्रकारोग बवासीर कोढ गंड मालाउदरकारोग वायकारोगमाफरोमूत्र पथरीजांधकटी कीपीडा यांसारांरोगांनयोअभयादिमोदकरिकरेछे अरजुवान करे? इनिअभयादिमोदक अथजलाबलेवालोइतनाव सकरैसोलि जुलावलाग्यांपासीतलजल गांषिधोवै अन
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५७ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग २४ र ये पांनषाय पवनकायरमेरहेनहीं सीनलजल न्हावेनहीं गरमजलवारबारपावेजगताईसारोजुलापलागेअरवीचहीयेन होकरैनौ नाभिमैकूषिमैमलचाले पाछैजंगलउतरेनहींअरपवन सरेनहीं पित्तीउगैरैरोगहोय अरशरीरभासोरहै दाहहोय अरुचिहो यआफरोहोय भोलिमा छाएगाहोयतोपाछेनेपाचनादिकदेर
औरंअकरेतीयेसारारोगजायपरभूषलागे शरीरहलकोरहेोत्र रजुलाबपगलागेनौमू होयगानारैनीसरियावसूलम्चाले रअनीसारनैबादिलेरपोरभारोगहोय नवेनेसीतलजल रमानक राजेअरचावल मिश्रीसहन सिषरणी दहीं येषुनाजै अरबकरीको दूध मिश्रीनांषिपाजेअरसापाचावल मसूरयेपूबाजै नदियोजुन लावथंभै अरायोजुलाबलागेजीकायेलक्षालि०मनप्रसन्न रहे वायसरे सर्वरंटियांमैंबलहोयजाय बुद्धिनिर्मलहोपजायभूष चोषीलागेसर्वशरीरमैंबलहोया इतिविरेचननामजलाबकीवि०
अथसरितुहरडैषावाकाविधिलि ग्रीभारतयेक हरडेकीछालिकोचूर्ण तिवरावरिकोगुडभिलायरोजीनांदिन ६० ताईषायनौरोगहोयनहींअरवर्षारिखमैं येयहरडैकोचूर्णसी) लूकीसाथिषायतीरोगहोयनहींअरशरदरितुमैं मिश्रीकेसाथि दोयहरडैकोचूाषायतौरोगनहीं होयपरहिमरितमैयारिहर डेकोचूमिंटिकैसाथिपायतीरोगनहींहोयरसिसिरितुमैं पहर डेकोचूर्णपीपलिकेसाथिषायतौरोगनहींीय अरवसंतरिनुमैं छपहरडैकोचूर्णसहनकैसाथिषायनोरोगनहीं होय इतिउरि तुमैंहरडेपावाकीविधिः अथवस्तकर्मकाविधिलि बस्तिना मपिचरकीसोजीरोगीमूलमूलरुकिगयोहोयवायकांपाजांरां
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५१८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ कारकै सोवापिचरकीइंद्रामैगुदामैदेवेअरवापिचरकाजसतकोना लिगलायवकराकाांडांकावणे अथवासवर्ण आदिलेरधानांकीनालिवो गउकापूंछकैयाकारसोई मैंग्रीषयांकोजलयालिरं अमेभरगुदामैयापस्निकर्मकास्नीयकासर्वरोगजायसोयाय सिरप्रकारकाछै अनुवासाजीकोनांमानिसहजीकोनामरअर तेलतादिलेरजांकीपिचरकारीतीनेअनुवासनवस्तिकहि बैर भनिरहनस्तिकोमेदयेकउत्तरपतिछैपरयनुवास नकोभेदमाचावस्तियांकोनोउटकारभरजलकोठे इतना रोगवालानेअनुवासनवस्तिदाजेनहीं भस्मकरोगवालानै भयजुक्त नेसासषासवालानेशयारोगवालानें यारोगांवाला अनुवासन बस्तिदीजैनहीं बरयांरोगवालानैं अनुवासनवस्तिकराजेअरये कवरसनैलेरउबरसनाईकानेनौछपगुलकीपिचरकाकीवस्ति दी अरवारावरषका पारागुलकापिचरकादाजे बारावर षउपरांतिबाराांगुलकीपिचरकादीजै पारिकाअनुमानसं दीजै अरपिचरकाकैघनलागायतीजेपरवस्तिकर्मसंशरीरमैंबल वधैरोगजाय अरसीनकालमै अरयसंनरिनुमैं दिनमैस्नेहवस्ति दीजै अरग्रीषमरितुमैवर्षाभिनुमैंबरशरदरितु, राधि.अनुवास नयस्तिकर्मकाजै अरघरगोचीकरणोंभोजनकराजेनहीं दलकोभोज नकराजै अरस्नेहमेंसौंफकोजलसांधोलूरानाषिगुदामैवस्तिदीने गरमपाणीपाय भोजनकराय अरफिरायअरमलमूत्रादिकराय अरबांवांपसवाडांकांनीसुवाय अरबांवांजांघनैपसारिभरडूसरी जांधांजीकरिगुदामैस्नेहकापिचरकादेअरबांवांहाथ पकडि जीमाहापभाचैतदिगुदामैपिचरकाकोजलअरहजायपडै
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५१९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ अरपिचरकीदेतानोदेवावालोपुरषभरलेवावालोअननीवस्तकरै नहीं जंभाई षासी छींक येलेनहीं तीसतालावजावैजयनाईवस्ति कर्मकरै अथवा टांसूसो वारकीगिरातीकरै पाछेसारासरीर नैपसारिसूथोसोदेपाछेदोन्यांपगांकापांगुलीअंगूख चतुराद माकनेंचावपाछेसेजउपरिसूथोसोवेदंगामसलावेनांदलेइसी तरकरेती यावस्तिवायकासारांरोगानेंडूरिकरैपरवागुदामैलानी जोवस्तिसोमलसमेनगुदामांहि सारामलनै अरसारावायकारो गानेंरिकरैछै अरअनुवासनपस्तिकर्मरहींविधिहसान आठनववारयेकेकदिनकोअंतरकरिकारकेकरीयकीसवायका रोगांने दूरिकरैछै अरअनुवासनवलिकर्मकस्यांपाउँनिरुहवस्ति करिअरजीकामलासयमै अथवापक्कासयमै अहवासनवस्विच लाईथकाउंटहावेकोस्नेह[क्तजलउगैरेरहजाय गुदामाहिरांनीस रेनहीं पेडनैमसल्यांथकांभातीनिरुहवस्तियोकाजैताकीग्रोष रिकीपस्निकरिएदामैचलातीवायुसरैमरमांहिलोमलनीसार जाय अरशरीरशाहहोय अथवाजुयबदेकादिजे अथअनुवास नवस्तिकादेबाकोतेललिगिलचे अरंडकाजड करागचकी जड भाडंगीपरसोरोहिस सनावरीसहजयो कागलहरि यांने टकाटकाभरिले जउडद अलसीबोरकीजा कुलथयेसेरसेर लाजे यांसारीओषयांनैनौष४िसेरपाशीपोटाय यांकोचो यहिसोराषितामेंमागेतेलसेर पक्रायलीजेरसबलिजायने लन्यायरहैनलिनेछापीटकाभरकीपिचरकायुदामैंराजे तो सर्वगायकारोगरिहोय इतिअनुवासनल इतिअनुवा सनावस्तिकाविधिः अथनिरूवस्तिकरियाकी विधिलि
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५२० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ निरूहवास्वितोपणाप्रकारछै अरईकाथणांहीकारणछै अरनिरूह बस्तिको आस्थापनभानामछै अरनिरुहवस्तिकोसनापईसैदेवा कोप्रमागछै अतनारोगवालानेनिरहस्तिदीजैजीकोशरीरचीक गोंघगोरहै अरहियाकैचोटलागीहोय शरीरक्षीराहोयग्राफराको रोगहोय छर्दिकोरोगहोय हिचकीवालानैववासीरवालानेसासषा सवाला गुदाकासोजावालानैं अतीसारवालाने विसनिकायाला. उदावर्त्तवालानें वातरक्तवाला. विसमजुरवालानै मूर्छानिस उदर आफरो मूत्र पथरारकोरोगमंदाग्निमूलकोरोग अम्लपित्त हृदयकारोगयांसारांहीरोगांमैज्यांककोईरोगहोय ज्यांननिरुहव सिदईथकीयांसारांरोगांनेंरिकरेंछे अरनिरुहपस्तिकादेवा काविधि अनुवासनवस्तिकीविधिमौलषिदीनाछै यानिरूहब स्तिभादोच्यारिवारयेकदिनकोअंतरकरिपाछेलिषीछेतिहींविधि मूंदाजैअरकेवलवायकोविकारहोयतो स्नेहसंयुक्तदाजैअरपि तकोविकारहोयतोइधसंयुक्तदोयवस्तिदीजैपरकफकोविकार होयतोकसायलोकडवोअरमूनने यादिलेरनिरूहवस्तिदार सुकुमारकुंबालकहूंबूदाईं गृडुवस्तिदीजै अथउल्लेदनवस्ति विधि अरंडकीअरंडोलीमहवो पीपलि सीधोलूरावचमाऊं रुषकीयफल यांनैीराययांकीयस्तिदीजै इतिउकेरनवस्तिक अथदोषहरवस्तिलि सोंफ महलोजबील इंजव यांनकोजी. अरगोमूतमैपासिदेतौसर्वरोषजाय इतिदोषहरवरित अथ लेखनवस्तिलि त्रिफलांकोकाटोगोमूतसहतजवषार यांकी दीजैतौ इतिलेखनवस्ति. अथसोधनवरितलि हरकिरमा ला.आदिलेरत्यांकोजुलाबलागेत्यांकीपिचरकादेनीनंसोधनव
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५२१ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २४ स्तिकहिजेअथसमनवस्ति पूलप्रियंगमहलोगनागरमोथोर सोत यांने इधर्मेवारि यांकापिचरकादीजैनीनेसमनयस्तिकाहिजे अथहरावस्तिलि पुष्शकाओषयांकोकाटोकरितामीरा व्यमिलाय अरतमांसरसउगैरेत्यांकीपिचरकीदेतीनेटेहराव स्तिकहिजेअथपिछलपस्तिलिम्बोरकापांन सतावरीहेसवा मोचारस यां.दूधमैपकायनामैसहतनांषि वस्तिदीजैतीने पिछ लवस्तिकहिजै अथनिरूहवस्तिकानोलकोप्रमाणलिप्रथम तोकिंचित्साधोलूगनांषे पाठेमहासेराधासहननांषै अर सेराधापृतनापे पाछेयानिनांनैषूबमथि यांकीपिचरकापा सातवारयेकेकदिनकानिरसूचतुराई दीजैइहनिरूहस्ति कातोलकाप्रमाालियो इनिनिरुहमाचाविधिः प्रथमश्ते लकीपस्तिविधिलि अरंडकाजउकोकाटोकरैनीमैंसहत पर मागलटकाभरनांषै अरसौंफपईसाभरसायोलगअधेलाभ रयांवांटिपायांनमछे अरयांकाफ्रिकादेती मेदनेंगोलानेछ मिनें पायाने मलकारोग. उदावर्त्तनै यारोगांनें यातिरिक रेडेअरशरीरनैबलवथा इनिमयतेलकावस्ति अथस्था पनयस्तिलि सहतवृनधनेलयेपईसापईसाभरले सांगा संपकावकलकोरस परसांधोलगप्रथलाभरनांपैयांसारांको येकजावकार पिचरकादेतीनस्थापनवासिंकहिजै अथसिरवन स्तिलिपीपलि पीपलामूल चयचित्रकरियांकोकाटोकरि नामैंनेलसहनसीधोलरामहलीगयांनीटाययेभिमिलाययांका पिचरकादेतीनसिलस्तिकाहर्जे अथफलपतिलि गुदाकेमां हिबारेघृतलगायापकाअंगूगप्रमाराजाडीटूटसांगुलबारार
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५२२ अमृतसागरतथा प्रतापसागर तरंग २४ कीआधीगुदामैचलावेअरईकीचतुराईसंपिचरकीदेतानेफलवर्ति कहिजै अरनिरूहस्तिकोहीभेदउत्तरपस्तिछैअरवस्तिकर्मकारवा वालोगरमपाणी स्नानकर अरदिननेंसोवेंबरअजाकरेंनहीं
औरभीकुपथ्यकुंकरेनहीं इतिअनुवासनवस्ति अरनिरहव स्तिनेादिलेरसर्ववस्तिविधि अथहकाने आदिलेरधूमपान कीविधिलि धूमपानछप्रकारकोछै समनाहगारेचना सहर्जा४ वमनकर्ता५ धूमपतीषीनीषयांकोतोभूमपान उनसोधनकहिजे इतनारोगांनथूमपानकराजेनहीं षेद संयुक्तनैंडरपस्यालने दुषीनै दानाकारोगांनैरासिनँजाग्योहोयजी नैतिसवालाने दाहवालानैतालाकारोगानै उदरकारोगीम थयायकारोगीनै छर्दिकारोगा.प्राफराकारोगाने तालवाकारोगी नैघायकारोगाप्रमेहकारोगाने पांपुरोगी.गर्भिणीलुगाईनें क्षागपुरुष. बालकने बूढाने इतनांपुरुषांनै धूमपानकराजेन हीअरधूमपानहैसोरायकासर्वरोगांनेअरकफकासर्वरोगानेंडू रिकरैछे अरसर्वइंद्रियांनअरमनने प्रसन्नकरैछै केसांनेंगादेक रेछैदानानेंगादाकरे अरइलायची आदिलेरयांको,बोली जैनीनेहधूमकहिजे अरराल. आदिलेरयांकोचूंईलीजे तीनैहराथूमकहिजैरअरतीषीपोषदीकोyबोरेचनकहिजे ३ मिरचादिककोचूंवोकासनकहिजै ४षालको●वोबमनकर्ताक हिजै ५नींबवचनादिलेरजीकोyचोदीजेंव्रणादिककूताने हाधूमनकहिजे अथअपराजिवधूपलि.मोरकीपांषनी बकापांन कत्यालीकाडोडा मिरचि होंगछड़ कपासबकराकाबा ल सांपकीकोचली पिलाईकीवीर हाथीकोदांत यांनवारिणतमि
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५२३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ लायधूंगीदेतो पिसाच राक्षसभूत प्रेत माफिराने आदिलेरसर्वदो षडूमिकरैजुरलैंडूरकरै इतिअपराजितधूप. अथमाहेश्वरधू पलि हींगदेवदारु वीलपत्र घृत गऊकाहाड कुटकीसरस्यूंनीब • सापांन माथाकाकेस सांपकीकांचली पिलाईकीविष्टगउकोसीग मेंडलोन्यूंकबालीकपासतुसबकराकारोमचंदन मोरगांषबक राको नयांनेवारियादमीकेधूणीदेतो पिशाचराक्षस गाकिणीभू तप्रेतसापचूडावकियांनादिठेरसर्वदोषरिहोय अरसर्वपका रकीजुरईधूप हरिहोय इतिमाहेश्वरधूप इतिहका प्रादि लेरसर्वधूमकाविधिः अथलोहीछडावांकाविधिलि आद मीकाशरारमेंयहेसोलोहीकाविकारनेभलेप्रकारदेषिवेंकोलो हासेरी तथासेराधा तथापावा तथाअधपापा-कटायजे अरसरदारितुमैतीविनाधिकारहीथोडोलोहीकदाजेतीमनुष्यकलोही कोविकारहोयनहीं अथशुइलोहीकोस्वरूपलिलोहीकोमीगे रसछे लालपाछे सीतल अरगरमयेदोन्यूंनहींछै अरभावो. चाकणोंछै अरडरगंथिनेलीयांडै अरयोलोहीदग्धहुनोथकोगरमी कासर्वविकाराकरेछे थरलोहीशरीरमैडष्टहोयजदिपीडहोयश शरपकिजाय दाहहोय शरारमैचारापडिजायपाजिहोय फणस्या होय सोजानेवादिलेरोरविकारहोय परलोहीशरीरमैवधिजाय तो नेत्रलालरहै अरमारीनसोरहै अंरशरीरभारयोरहै नींदपणीया वै-मेदवथै शरीरमैंदाहहोय अरशरीरमैलोहीसीएपडिजायतोष टाईका मिठाईकीचांडारहै मूर्छावैशरीरलूपोरहे शरीरकीनसां सिथलहोजाया परसायकरिडष्टजोसोहीतीकोलक्षगलियते अरुपरंगहोय मागावै कोरहोय अरजीकाऊतावलीचालतीस
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२४
५२४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग क्ष्मधारहोय परसुईसिरीसाशरीरमैचभकाचालै घरलालहोय ये सारालोहीमेंलक्षण होय तदिजाणिजे लोहाचायसूंडुष्टहुवी ३ अ थपित्तसंदुष्टहुवोजोलोहीतीकोल क्षगलि० लोहीपीलोहोय हस्यौहोय नीलोहोय कालोहोय जीमैडुरगंधियएगीावे चालेनहींग रमहोय मांष्पां परकीडीषायनहीं जीलोहीमें ये लक्षण होयतीन पत्त संदुष्टहुवोजाणिजे ४ अथकफसंदुष्टष्टहुवोजोलोहीतको लक्षएगलि० लोहासीतल होय घरपोहोय ची करणो होय भारयौहोय गे रुंकारंगसिरीसोहोय मांसकी गुठल्यांसिरीसो होय होलैचालै येलक्ष एगलोहीमैहोयतींनैकफसूंडुष्टहुवोजाणिजे ५ ग्रंथसन्निपातसूंड ष्टहुवोजोलोहनीकोलक्षगलि० जीमैयेसारालक्षएामिलैश्वर कांजी सिरीसोजी कोरंग होय तीनेसन्निपातसंदुष्टहुवोजाणिजे ६ अथविषकरिकेंडुष्टहुवोजोलोहीती कोल क्षएगलि० जींकोलोही कालोहोय अरनांकमै घणोंचाले दुरगंधियाने काजीको सोरंग होय ईकोटहोयावे सांवल कीडोकरीसोजीकोरंग होय परश रीरमै सोजोहोचावे अरशरीरमें दाहलागिजाय शरीरपकिजाय येल क्षराजीमैहोय तीन विषकरिदृष्टहुवोजाणिजे ७ अरातनांरोगां नैयो लोही कदा बोजोग्यछै सोरोगलि० सोजाकोरोगहोय शरीर मैं दाहहोय मंगफोडा फुएास्यांसंपकिजाय शरीरको वर्णवाल होयजा य वातरक्तकोरोग होय ब्याऊउ गरेरोगहोय स्तनको रोगहोय शरीर भारखोरहे लालियांषिर है तंद्रावै नासिकामूंडाकारोगहीय फीयो गोलो विसर्पकोरोगहोय विधाहोय छालाउगेरैको रोगहोंय मथ वायकोरोग होय उपदंशनामगरमी कोरोगहोय रक्तपित्तहीय यांसा रारोगांनै लोही कंटाबोजोग्य सोयांरोगांमेलाही सांगडी अथवा
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५२५ अमृतसागरतथा प्रतापसागरतरंग २४ जोकलगावै अथवातूंबडीलगावै अथवासीरछुडावे नदिमनुष्यनै लोहीकदाबोजोग्यडै अथअतनांरोगवालामनुष्यनैंसीरक रिलोहाकदाबोजोग्यनहींसोलि०क्षीणपुरषनै स्त्रीसंगघणोंक स्योहोयजानें नपुंसकनैंडरपस्यालनैं गर्भिरतीस्त्री. सूनावालास्त्री मैं पांडुरोगर्ने जुलाबनेंयादिलेरपंचकर्मज्यांनहींकस्यात्याने वासी रवाला सर्वांगसोथवालानै उदररोगानेंषाससासवालाने डर्दिका रोगी. अनीसारनै पसेन्युक्तजीकोशरीरहोयजीने सोलावरषपह लीमनुष्यनै अरसतर७० वरषउपरांति इतनांरोगनालापुरपनैंसी रखुमाबोजोग्यनहीं९ अरयांरोगांमैंलोहीकदायांरोगजायतोजो कांकरिकैलोहीकदाजै अरविषकारडष्टहवोजोलोही तीनसीरा डागोजोग्यछ अथवापालगादेरलोहीकटाबोजोग्यछै अरसायपित्त कफकरिदुष्टहुवोजोलोहीतीने सागरीकरिजोकरितूंबश्किरिलोही कटाबोजोम्यछै जोकतोयेकहाथकोलोहीसोसेसींगडितूंवडोबाराया गुलंकोसोसै पाउगोयेकअंगूगप्रमाणसोसेसारशरीरकास ग कोसोसैअरसीतरितुइतनांरोग्यानेलोहीकदाजेनहींसोलिष्यते भूषानै मूर्जावाला.नांदभ्रांति मदमलमूनकोज्यांकोवेगहोयत्या पुरुषानेलोहानहींकटाजी अरजलोकांरिकांकरिज्यांकोलोहानहीं नीसखोहोयत्यांकाबका दानैंटमटि मिरविपीपलिसीधोलूए यांकरिनाकाबणाको डोमसलेतो लोहीबाछीतरेनासरे अंथलो हाबाछीबपतमैकदाजै घणोंसानयशोनावडोनहींहोयभोजन हलकोकरायलोहाकटाजै अथलोहीनीसरेतीकोयांवस्ताकार जतनकरैनौलोहाभैसोलि लोदरासरसोनजरगोहूंकोचून धोकावलं गेलं सांपकीकोचलीरेसमावसकाराप सांभरकीपाल
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५२६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २४ यानें त्रणकै टैलगादेतीलोहाथभेअरऔरभीत्रणकोसीनसजनन करैअथवासीरछोडिबाकीनसनस्केउपरिडाहदे अथवावेनसके पारलगावै अथवानसनैवसायतीवस्तमूलाषेअरबांचाांडके सोजोहोयतीजीपणाहाथकासोजानरलीनस.दग्धकरै अरजीव शाांउकोसोजोहोयतोषांवांहाथकाअमेगनरलीनसनैदग्धकरैत्र थवावावांयांसोजोहोयत्तौजीवगाहाथकीसारछोडि परजीवणानांडकैसोजोहोयनोबांबांहाथकासीरछोस्तिोत्रीसोजो जाया अरविमनिकाहोयजायतोपसवाडाकाडाहीजैतोधिसू चिनाजाय अथसारछडाबाकरिलोहायरगानीसरेतीअतना रोगहोयसोलि आंधोहोजाय गांधोअंगरहजाय तिसकोरोगहो यअंधेरीमावै मथवायहोय सासषासहोय हिरकीहोय दाहहोय पांडुरोगहोय अरलोहीयोंही तोमनुष्यमरिजाय आईशरीरमै लोहीकारजीवोछै शरीरकोलोहीजातोरहेतौमरणछे जासूशरी रकालोहिकोमोजावतोकीजैअरलोहीछोड्यांसोजोहोयतोक्यूंग रमपृतकरिसेकेतोकीपीडपरसोजोइरिहोय अस्लोहीयों नासरैनौवेंपुरषनेहिरएकामांसकोंअथवाबकराकामांसकोसो बरलोजोग्यडै अथवावेनेंदूधपीवोजोम्यछे अथवासागचावल कोषारषायोजोग्यछैपीडासांतहोय शरीरहलकोहोजाय अरम नप्रसन्नहोबायग्रताईअथलोहीउडाबाकाकुपथ्यलिष्य मेथुनक्रोध सीनलजलसंभावबाहरकीधणीपषनएकासगोल बोदिनमैनारलगाउगैरैषारीवस्त कडवीपस्त सोचबाद अजीर गमैंभोजन यैसारीवस्तलोहीछुडाबानालोकरैनहींअरजेठगनाई शरीरमैबलवापरैजयताईकृपथ्यकरैनहीं इतिश्रीसीरउगैरेलो
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५२७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २४ हीडाबाकी विधिसंपू. इतिथीमनाहाराजाधिराजराजराजें श्रीसवाईप्रतापसिंघजीविरचितेअमृतसागरनामगंथेसर्वआसवांकाविधिपांकांकाविधिसिलाजिनसोधन ३जक्षा रादिलेरखाव की तिथिचएषारसोधवाकीविधि पस्नेह विधिपेदविधिज्यमनविधि-जुलाबकाविधिरहरडेवाबा काविधिवस्तिकमाएकानबादिलेरधूमपानरिधिारलो हीछडाबाकाविधिक निरूपनामचतुर्दिशतिमत्तरंगः२४
अथरंधरिखकोवर्णनलिहिमरिनुशिसिस्तुिरवसन रितुश्यीभरितु ४ वर्षारितु५शरदरितु ध्येछरितुदोयरोयमही गांकी मागिसिरपोसतीहिमारितुमायफाल्गुनसिसिरितुर मैत्रसापवसंतरिवारंजेश्रसादग्रोभरित४सावलभारोवार तु५आसोजकार्तिकसररितुअथवाअन्यमतलि तपार मिथुनकासंक्रांनियरोन्यूग्रामश्तुिकहिअरमिथुनककीस कांतिवर्षास्सुिकाहिजेरयारितुवादलासूछायोअंबरहोय गरमाने सायांस्यूंगरसभायारितुवर्धारितुकोभेडे ३असिंहकापरकन्या
संक्रांतियारोन्यावारिनुकले अरतुलकीपरदृश्चिककी संक्रांनियांसेम्यानेसरीतुकाहिजै ५अरधनकाअरमकरकासं ऋनियाग्दोग्यांनीहिमारतुकहर्जेअरकुंभकामरमानकायंक्रांति यांदोन्पांनसंतरितुकहजै प्रथयांरितुविषेवायपित्तक फयाकोसंक्यप्रकोपअरशांतिलि गीभरितुमैंवायकोसंचय वर्षारितुवायकोकोपसरररितुमैगयीशनिवरितुगेपित्तको संजय सरदरिनुमपित्तकोकोप हिमारतुमेपित्तकोशांतिसिसिरितु मैंकफकोसंचयनसनरतमैकफलोकोपग्रीभरिनुमैकफकोशानिय
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५२८ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ । योसंचयप्रकोपशांतिपणों वायपित्तकफको आहारविहार होय
छै अरयेहाविगरिसमैापहि शांनिहोजायछै अथवावायकाको पकरियाप्रहारविहारलिक हलकीवस्तलषीरस्त थोडीयस्तय निसातलवस्त अनिषेदते संध्यासमैकामेथुन सोचकरभयकार चिंताकरिरातिकागिरवाकर चोटकालाशिवाजलकातिरवाएं अन्नकोजीर्णहोबो धातकाषीणपणांसूअरयां आदिलेरऔर मीकारणती वायकोपहोयतदिवायकाकोपकाइरिकरिवाकाज तनकरैतदिशातिहोया अथपित्तकाकोपकरिनाकाबहारवि हारलि.करवी पटाईलएागरमनीषीयेजोवस्तपरिणषायती करि क्रोधकरियासू तावडराने पाहिलेरगरमवस्त मध्यान्हकैस मैं भूषकाअरतिसकारोकिवा अन्नकाअजापहवाथकायांका रणांकरियाधिरातिसमेंपित्तहेसोकोपकँप्राप्तिहोयछै अरपि तकारिकरिवाकाजतनांमूपित्तकीशांतिहोयछै२ अथकफ काकोपकारवाकाबाहारविहारलि०मागळसूचीकणार व्यसंसानलभोजन दिनकासोवासू अग्निकामंदहोबा प्रभा नसमेंभोजनकरांपाछेपेदईनैादिलेरोरगत्यां कफ कोपकूप्राप्तहोय? अरकफकाकोपकारिकरियाकाजतन क फकिशांतिहोयडै २ अथहिमरितुकासेबाकाबाहारविहा रलि भैसकोगउकोनवीनतमीगेगुड मागेदहींलगतेल कोमर्दन निल गोहूंउडर मित्राने आदिलेरमागेद्रव्य ठिसंयुक्त हरडे रुई निर्वातस्थान नवीनवस्त्र नचीनस्त्राईपादिलेरवाडी वस्त ४ इतिहिपरितकाअाहारविहारादिक अथसिसिरि तुकाप्राहारनिहारलि. पापलिसंयुक्तहरडै मिरविवादोम्बी
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५२९
२५
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग घृत सीधोलू वडा गुड दहीं अरहिमरितुमें कह्यासोभि२ इ तिशशीरितुकीविधि० अथवसंतरितुकाच्आहारविहारलिο वसंतरितुमैकोपकुंप्राप्तिहुवोजोकफसोरोगांनें पैदा करे तदिज ठरकीत्र्यग्निकोनाशकरै तीं वास्तेसहनसंयुक्तहरडेषाणीतोकफड् रिहोय परशरीरमै बलहोय अरवसंतरितुमैं भ्रमणपथ्यछे पर चित्रककोषाबोपथ्यछै अरकफहारीद्रव्याख्याछे ३ इतिवसंत रितुकीविधि० श्रथग्रीम स्तिकाआहारविहारलि• ग्रीषारितु मैसूर्यसर्वप्राणिमात्र कोबलहारिले ईवास्तेदृक्षादिकांकीसघन छायासेबोजोग्य गुडसंयुक्तहरडे सीतलजलादिलेरद्रव्य मधुरभोजन हलका भोजन दाष चीकरणद्रव्य सिषरणि सातू सर बनमिश्रीको सीतलजलमैंतिरवो षसषांनो फंवाराचादरिकोछु डावो कपूरचंदनादिककोलेप दिनकोसोवो षसकोवीजों बीर को भोजनईनेंत्र्यादिलेरऔर भी ग्राछी वस्तयेरितुमें पथ्यछे अरईरि तुमैंइतनी कुपथ्य वडवीवस्त तीषीवस्त लूा पटाई दाहवर्ता वस्त षेद दारुं नावडोयेलाकुपथ्यडे ४ इतिग्रीष्मविधिः प्रथ वर्षारितुकाआहारविहारलि• सांधोलूणसंयुक्तहरडे ची कणों द्रव्य लग बटाई सालिजन सूंठ मिरचि पीपलि पीपलामूल चित्रक सींधोलूयांसयुक्तदहींकोमठ्ठो गरमपाणी कूपाकोज ल सुदवस्त्र भ्रमण हलकाभोजन जुलाब ईरितुर्मेपथ्यले अथ ईरितुमैकुपथ्य दिनकोसोवो षेद तावडी तलावकोजल दही बन कोध्यान मैथुन येकुपथ्य ५ इतिवर्षारितुकीविधि० अथसर दरितुकाच्याहारविहारलि• वर्षारितुमें उपज्योजोपितसौसरद रितुमें कोप कूंप्राप्ती होय नांकारिकरि वा
मिश्रीसंयुक्त
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५३० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ हडैसेचणी मिश्रीनेंआदिलेरमीठी वस्तु साठी चावल मूंग सरोव रकोजल श्रोटायोइथ सरदरिनुमैंइतनांपथ्य अयेकुपथ्य तीषी वस्त लूलाबढाई आसव नावडो दिनकोसोवो पूर्वकीपवन सरद रितुमैंइननीवस्त कुपथ्य नुउतरतांकासानदिनतांईरितुकीवि धिकरणी मराठयांदिनसूआगलारिनुकीविधिकरणी इतिछ ऊरितुमैंयाहारविहार की विधिसंपू० अथदिनचर्यादिनमैंजो आहारविहारती की विधिति मनुष्य सोघडी ४ फैनडकैऊ ठि आपकाइष्टदेवत्यांको ध्यानकरे पाछेवेंसमेमे िवचारे इंदिनमें योकार्यकरणों अरयो कार्यनहींकरणों पाछेसज्यांसूरि मलमू त्रको त्यागकरै यांको वेगरोकैनहीं अरदिननेंउत्तरदशाकानीमु घराषिमलमूत्रदिनकरै श्ररात्रिनंदक्षिएादशांकांनीमूंढोराणि मलमूत्रकरै अरमलमूत्रकरतांबोलेनहीं अरमलमूत्रकरयांपा है सुधातृछको वौलसिरीनैत्र्यादिलेर आपका हाथकीकनिष्टीका यांगुली सिरीषोपतलोयरसूधोबारा १२ आंगुल कोदांत करे पाछेबांकी फाडकरैजी भनेंसोधे पाछैसीतलजलसूंबारा १२ कुर लाकरै पासीतलजलं मुषधोवै नदिमुषकासर्वरोगजाय अरदाताकोसी घोलून मिक्यूंठि सेक्योजीरोमिलायमिहींना टिकोराजीनामर्दन करैनोदांतामै रोगनहीं होय पाछेसरीरके नारायणादिनेलकोमर्द्दनकरै पाछेस्नेहकारिकारिवावास्तेच एगकोचूनारकटोठउगैरैनीको उवलो करै पाछेशरीरमैंबलराणि क्यूंसरीरका बलमाफिककुस्तीकरै पालैश्रमदूरिकरिस्मान करे कमरिनीचैनी गरम पाणीसंमानकरै अरकमरिऊपरिक्यूंयेकनि वायासुहावनाजलसूरमान करैतीरोगहोयनहीं अथस्नानका
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५३१ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २५ गुगलि मानसोचनेंदूरकरे, अरशरीरकामल.इरिकरडे गरमीकारोगनेंदूरिकरे हियाकीतापग्रररुधिरकाकापर्ने इरिकरैछै शरीरकादुरगंधिनेंदूरिकरैछै कांतिपरतेजनेंदेछ पापनेमनकोग्लानिनेंरिकरै अरभूषकीचिकाछै बुद्धिनें धर्मनेसुषनेयने यांसारांनंवधावेशरीरकावार्य-आनंददेछै शरीरकीकृमिने मार्गकाषेदने दुरिकरैछै येस्नानमैंगुराडै अर अतनांरोगवालोपुरुषस्नानकरैनहींसोलिनीदसंशहिक रिस्मानकरैनहींअरनोदमावतीहोयसोमानानकरैनहीं षेद वालो हिचकीकारोगवालोभोजनकरुषांपाछै षीरापुरुषकफ कारवायकारोगवालो वमनकारोगवालो यारोगांवालोरता नकरेनहीं अरस्नानकस्यांपाछेसंध्यावंदन देता गजब्राम्हण आचार्य गुरु बडाअतिथने आदिलेरयाकोपूजनकरे पाछेश किमापिकदान पाडेमध्यान्हकेसमैंबलिवैश्वदेवादिककार कोई अनिथनें आपकीशक्तिमाफिरभोजनकराय आपकुटुं बसहितभोजनकरै प्रथममधुरअरचीकगोंधापनहितकारि चावल मूंगगोहूंकीरोयनसंयुक्तपायचोषीतरकारीकैसा थि अरसनेंसनेभोजनकरैउनावलिकरेनहीं परभोजनके अंतमिश्रीकासंजोगकोइथंपीचे भोजनकै अंतदहींपायनहीं । अरभोजननिपटथोडोअरनिपटपणोंषायनहीं आपकीचिमाफिकषाय भोजनकरतांग्रतनानेंकनेंराषेमातापिता मि प्रवैयपाककोकर्ता मोर कचोर कूकरोसान वानरयांकादृष्टि प्राडाडै घरभोजनकायापीछे अगस्त्याकंभकर्णरशनेश्वर ३वडवानब१मामसेन५यांगांचाकोस्मरणकरैतीभोजन
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५३२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५
आछीतरपचिजाय पाछैसुगंधितपुष्पमाला अतरांड्यावस्त्र यांकोधारणकाजै षसकापंषाने आदिलेरपवनलीजे सीनलछा याभैरहजै भोजनकस्यांउपरांनिदोयघडीपीछे सीतलअरमीगे जलथोडोथोडोपीजे घोंपीयांरोगहोय अरभोजनकैयारिजल पावेतो अग्निकी मंदनाहोय भोजनके अंतिमैपावतीविषकोसोगु एकरै अरअजीर्णमैंजलपीवैनौ अजीर्णपचिजायअन्नपच्यापाछै जलपीतीशरीरमैंबलहोय अररात्रिकेअंतजलपीपैतीसर्वरोग जाय अरभोजनकरिटिजायतोशरीरमेंभारवापोहोजाय पर भोजनकरिसूधोसोरेनोबलहोय भोजनकरिगांवेंपसपाडेसोये नोआयुर्बलवथै भोजनकारदौडेतोवेंकीरालमोतिौडेभोजन कस्वांपाछेघडीदोयवाडेपसवाडेसोवैनांदलेनहींअथवाभोजन कस्वांपाछेपांवडासो१००चाले अरभोजनमंतगरकीहाछिपी तोगुणकाराछै रुचिमाफिकपीवै अरभोजनकैअंतसिषरणिमा उगैरैरुचिकारीभीवस्तषाय प्रथसिषरशिकीविधिलिन्चोषो रातिकोजमायोभैसकोनथागरुकोजमायोदहीले तीनैभथिछाणि ले पाछेदहीमैमिश्रीकोरोअरमिरचिइलायचीभामसेनीक पूरने आदिलेर अनुमानमाफिकइमॅमिलविअरइसीसिषरणीने पायती शकअरबलनेदेअश्यारुचिकरैपरवायपित्तकारोग मैंरिकरै इतिसिषरणिकरियाकाविधि भैसकादहीनेडाणि तीमेंसूरि मिरचि पीपलिराईलुपयांनमिहींपादिमिलाय अनु मानमाफिकषायतोकपचायनैरिकरैपरयोबलनेकरेछै पर सीतकालकैंचारहीषागो इतिमरठाकरवाकीविधि-संध्या समेइननीयस्तकराजेनहीं भोजनामैथुन निश्परिको ४
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५३३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ संध्या में भोजनकस्वांरोगहोयासंध्यामैमेथुनकरयांभयंकरसंतानहो यरसंध्यामेनिद्रालियांदरिडीहोय३संध्यामपस्यांश्रायुर्बलकोक्षय होय ४ अथविचाराधिकायाहारविहारलिरात्रिमैंचांदकी चांदणीमैसूनांकामदेवकाइडिहोय अरवांचांदलीसरीरकादाह. इरिकरैछै अरअंध्यारीरातिप्रानंदादिक.रिकरैछै रात्रिकाप्रथ मपहर भोजनादिककरै पाछैसयनकरैसेदरस्थानमै पाउँसुंदर स्त्री शक्तिमाफिकसंभोगकरेजोवनवताएं अरशक्तिउपरांति संदरस्त्रियांसभीसंभोगकरैनहींपरसंभोगकैादिभैसिकोतथा गऊफोडूघोटायोमिश्रीकासंजोगकोपीचे अरसंभोगकाअंनमैं भीयोहीथरुचिमाफिकपीवतो ईपुरसकेजरापरगांकोरोगकरे भीआवेनहींइस्त्री संभोगकरैनहींयेरह वस्तपारगानेन कालहरैछैसोलिन्सूकोमांसा दृद्धिस्त्रीरसूर्यकातावडाकोसे लोश्तकालकोजमायोदहीं४प्रभातसमेमैथुनभप्रभातसमैनि दायेछहतत्कालपणा हरैछै अरउहवसतत्कालपापानेक रैसोलि तत्कालकोमांसानवीनअनरबालास्त्रीरक्षीरभोज नह नवीनतराजलसंस्नानध्येहनस्ततत्कालपागार्ने करें अथलहरितुमस्त्री संभोगकरेसोलि हिमाश्तुमें। अरसिसिरितुमैरतौआपकासरीरकीशक्तिमाफिकलारंवारसा संगकरैतोभीरोगहोपनहींशरीरमग्रानंदरहैवसंतरितुअरश रदरिनु४शक्तिमाफिकतीसरैतीस दिनस्त्रीसेवनकरैतीरोगहो यनहीं परवरितु,५ग्रीभरितुपक्षनामपंदोलिशक्ति माफिस्त्रीसेवनकरैतोरोगहोयनहीं मातरितुमैनीरात्रिीसंभोग जे ग्रीभरितुमदिन.संभोगकीजै वर्षामितुमैटिनमेंपररातिमै
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५३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागरनरंग २५ जदिमेयगाजेपरवरसैंतांसमैत्रीसेवनकीजेतोरोगहोयनहीश रदरितुमैकामदेवजागेतदिकोजेनोरोगहोयनहींपरइतनांस्त्रीयां सूसंभोगकीजैनहींसोलियरजस्वलास्त्रीरोगवालीसासू २सास्त्रास्त्रीकैकामदेवजागेनहींतीली ४स्त्रीमलीनरहे। तीसं५ गर्मिणीस्त्रीसानमहिनाउपरांतिती परजीस्त्रीकीयो निमैंगरमाकोरोगहोयजी इतनास्त्रीयांसूसंभोगकीजेनहीं। अथोरतरेंभीमेथनवरज्योसोलिभपयुक्तपुरषाचार्यधि नापुरषरभूपोरोगी४निसायो ५वालकबूढो मलमूत्रका देगवालो इतनापुरसमैथुनकरैनहींअथ अतिमेयनसंइतनां रोगहोयसोलि मूलहोयापासरविषमजुर३क्षीणताक्षयी रोग५ अरवायकापक्षाधानादिकरोगयेहोयप्रथमेथनकीयां उपरांतिकाजेसोलिरमानकीजे मिश्रीकासंजोगकोगरमकस्तो दूधपाजै मांसारिकमागरसपाजेपासवपीजै पसकाविज़गांनेच्या दिलेरपवनकरजै शयनकाजै रात्रिनेघगोंजागिजैनहींरिनेघणे सोजेनीअररात्रिकाअंतमैपांच ५यरिकेतड़केपारगंजलीप्र मारामीरोसीनलजलपीजै पाछैपडीस्कैनडकैरिजेई विधिमू सदाकीजैतोईपुरषकैकदेभारोगहोयनहीं सदाप्रारोम्परहै इति रात्रिचर्याकीविधिः येसर्वविधिभावप्रकासमैअरसारंगधर मैलिषीछेसोदेषितीजोअथसारीरनाममनुणाकाशरीरमें जोजछै वायपित्तकफसर्वधात परशरीरकोउपजियोत्र रईकोनाशीनादिलेरत्यांकोसर्वस्वरूपजथार्थप्रतिसंक्षेप मुम्हांकाबुद्धिमाफिकलि मनुष्यकाशरीरमेंइननीवसछे कला आसयधान उपधान सानधानांका मल सातवसा तानों
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५३५ •अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ देहमैं मांस अरहाड अरमेदद्यांसाशंकाबंधिवांकीनसां ९०० नवसोहै अरदोयसैदश २१० ईमैंहाउछे परकेईकच्प्राचार्याकामतसूती नसे २०० हाडलै प्ररयेकसोसात १०७ मर्मस्थान सातसे ७०० नसांचे र सर्नैववावालीधमनीनाडी २४ है मांसकीपीडी ५०० है स्त्रीयांकेमां सकीपीडी ५२० है सर्वसूंबडी नाड्यासर्व शरीरमें व्यापती १६ त्यांनेकं डराक छै अरमनुष्यांकाशरीरमें १. छिद्र है स्त्रीयांकीदेहमैनेराखि द्रवॆ येमनुस्यकासरीरमैछै सोनाममात्रसूलिष्याचे अरहुयां कोस्वरूपजथार्थमनुष्यकादेहमेंशास्त्र कैच्चनुस्वारम्हारीबुद्धिमाफिकलिखूंंडूं अथकलाको स्वरूपलि० थान रचसययांकेंदि चैजोफिल्लीछे जीमेंबालकर हे छैनानें कला कहीजे सोवाकला ७ प्रकारकीचे मांसलोहीमेदयांनी न्याकेविचैयेकेकफिली रह तत्र्प्ररफीया कैविषैयेक फिल्लीले ४ प्रांतां विचैयेक फिल्ली ५येक फिल्लीउदकैअग्निनैधारीर हे ध्येकपिल्लीवीर्यनें भारिरहेछ ७यां नैंसान कलाकहिजे प्रथसातप्रासयलि आसयनामस्थान हियांमेतौकफकोघरहियांमैनीचैामकोस्थान २ नाभिकेऊपरि बांईकानीत्र्यग्निकोस्थान ३ अग्निकैऊपरितिल नाभिकेनीचेपव नकोस्थान ४ पवनकास्थानकैनांचेपेडूमैंमलको स्थान ५ पेडूकैल गतो ही क्यूंनीचैमूत्रको स्थानतीनें वस्तिकहिजे ६, हियाकैक्यूऊपरि जीवकोअरलोहीको स्थान ७ ये सारास्त्री पुरसांकेआसय अर स्त्रीकाआसयतीनबधता येकतीगर्भकोस्थान दोयइधकास्था नस्तन र थसातधातलि० रस १ लोही २ मांस मेंद४ हाड ५ मांजी &शक ७यसातूंधातकापित्ततेजकरिपची थकी आपसमै महानायेकमैवीर्यपैदाहोयळे चौथे चौथे दनयेकेकधानहीयछै
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५३६ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ जोअन्नपाणीपायजेसोपित्तकानेजमूंपकै प्रथमरसपेदाहोय पा-पित्तकातेज रसपकिरसहीकोलोहीहोजायछै इसीनरें सातूधानजासिलीजी अथसातउपधात्तलिजाभकोमलनेत्र कोमलगीट गालांकोमल येतीन्यूरसधानकीउपधातजाणिजेारं जकनामापित्तलोहीकोउपधातजाणिजैरकानकोमलमांसकोउप धातजाणिजे ३जीभदांतकाषइंट्रीनंअादिलेयामैजोमलसोमेदको उपधातजाणिवीसू२०नषयेहाडांकाउपधातजाणिजे५नेजमेगी ढयोमीजीकोउपथातजागिजैमुषउपरिचीकरणापोंरकीलाये शुक्रकोउपधानजापिजै अरस्त्रीकैदोयधातोरछयेकतोस्तानां मैंधा एकस्त्रीधर्मपणों येदोन्यूंसमेंमेहोय अरसमेंहीमेयेदोन्यूं जानारहै अरऔरभासातूंधात पेराहोयछैसोलि शडूमा सस्पेदावोजोनतीनवसाकाहजैपसेवरदांत ३केस ४ोज ५ोजसाराहीसरीरमरहेछेयोचीकोंछेसीनलछै अरशरीरमैं बलअरपुष्टकोकरवावालोछे येभीसानूधानांपेदाहोयछै अथ सातत्वचालि-उपरलालचानोचीकपीछे अवभामिनाजीकोनां मछै नामकविभूतिकोस्थानछे।दूसरीलालजाएानामौतलपर येपैदाहोयछे तीसरीत्वचासुपेदछे वेसेंचर्मदलनामरोगपैदा होयछैश्चौथीत्वचातांचाकोरंगसिरीसीछे वे सुपेदकोटपेटाहो यछै४पांचवीत्वचाछेदनांजीकोनांमतीसैसर्वकोटपेदाहोयर उधत्वचारोहिणीजीसेनामतीमैगूमीगंडमालादिकपदाहोयछे ६सातवीत्वचास्थूलाजीकोनांमसोवें विदधीरहेछै येसातूंत्वचा जवकैप्रमाणमोगछै अथतीनदोषांकोस्वरूपलि पायपि तरफफश्यांनेंदोषभाकाहजै अरयांनंमलभीकाहजै सोयेतान्यूं
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५३७ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग २५ येफेकपांचप्रकारकाछै येपांचूजुराजुदास्थानां मेरहवां यांतीन्यांमैं वायबलवान, सोयोगायसरीरमैसर्ववस्तकोविभागकरिसादिहमें नसाहारासर्वत्रपहुंचायदेछै अरपित्तपांगुलोछेसूक्ष्म सीतलसू पोछै हलकोई चंचलछै योगगयमलकापासयमैरहैछैकोटभैरहै डै २ अग्निकास्थानमेंरहेछै हियामेरहेछै ४कंउमेरहेछै५येईकापा चमेमुयस्थानछे अररहेछैसाराहीसरीरमैं गुदामैतौईकोअपानना मीनाभिमैईकोसमाननामरहदामैईकोपारानामछेउमैंई कोउदांननामछे४सर्वशरीरमरहतोनीकोयाननामडै ५ इतिवाय स्वरूप प्रथपित्तकोस्वरुपलि पित्तगरगछे पतलो पालो छै सनोगामईछै करोडै तीषोछै अररबहवोपारोहोमायके. योपांचस्थान में रहेछै अग्यासयमैतिलप्रमाण योअमिरूपहोयर हेछैलगायोकानिकोकरवावालोछै नेत्रांमेयोरहेसकोदोष बावालो प्रशतियोरहैसवस्त पचायदेछै अरषायारसकोलोहोकारदे अरहियामरहतोजोपित्तसोबुधारिकइंकर ५पाचकानाजकरंजकालोचकरसाधक५येपित्तमाना म अथकफकोस्वरुपलिक कफचीकगोछै भायोडे सुपेर पिछिलछे सीतलहे तमोगरामई मागेछयेदग्बहनोपारोहोय छैकफामासयमै मायांमैगमेंहियामें/संध्यांमै ५यांना गांमैमुष्यरहेछै परदेहमैरहनीयकोदेहकोधिरतानेसर्वअंगका कोमलपणानेकरैछै वेदना स्नेहनरसन ३अवलंबन ४येई कानामडै ३ अथरमायुनसांकोसरुपलि मनुष्यदेहविर्षे मांस हाड मेदयांकाबोधवाकेविनायुनामनसांकही अघहा डांकोस्वरूपलि देहरिषेयेबाधारछे देहयांविनांउभारहेन
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५३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ हीअरदेहविषेसारयांहीकोडै अथमर्मस्थानकोस्वरुपलिष्य जीवकाधारवावालामर्मस्थानहींछै। अथनसाकोस्वरूपलिष्यः संघिसंधियां बंधिछै अरवायपित्तकफअरसातूधातयांनभाये होनसांचहेछेअथधमनीनाडीकोस्तरुपलि धमनीनाडीरस मैंबहेछै अरपवननैवहेछै अथमांसकीपीडीकोखरूपरिष्य. सर्वसंक्डीनसांतीनैकंडराकहिले सोसोलाछे १८सोवैसाराअंगां नेपसारिदेछै अरसंकोचकारले अथरसरंध्राकोस्वरुपलि. नांककैदोयछेरछैने कैदोयछेरछैकानांकेदोयछे? लिंगगु दा मूंदो यांकैयेकेकछिद्रछे येकमतगॉछदछै अरस्त्रीयांकेती नअधिकछे दोयस्तनमैं येकगर्भासयमैऔरईशरीरमैसूक्ष्मरोम रोमछिदअनंतछै नाभिकैकनेवाईकांनीफुफसछै अराहना मफीयोछैपरनाभिकैक.जीपणाकानीयकृतछे उद्दानवायको
आधारनीने फुरफुसकहिजेपरलोहानै बहबालीजोनसांत्यांको सूउपशाहनामफीयोछे अररंजकनामजोपित्ततीकोजोस्थान तीविषैजोरक्तकोस्थानतीयकृतकहिजै नामिकावामभाग, विर्षेअग्न्यासयकैउपरजोरोतिलछै सोजलनेवहवापालीजो नसांत्यांकीमूलछै अरमोतिलतिस.दकिदेछै अरकूषिमैजो रोयगोलात्यांककहिलेसोवेदोन्यूंजरकोजोमेदतीनंपुष्टक रै अरषराजोपोतासोवीर्यवहयावालीजोनसांत्यांकामा धारछै अरये पुरुषार्थकावबावाला अरलिंगगर्भकोदेवा वालोछे अरवीर्यमूत्रयांकोयरे, अरहियोमनचित्तबुदिअहं कारयांकोस्थानछै अरोजकोघरछेअरनाभिहेसोसरीजोधम नीनै आदिलेरनसांत्यांकोस्थानछे सर्वशरीरमेवेनसांफेलिरहेछै
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५३९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ नाभिसूअरसर्वधानांकासंजोग नाभिकोजोवायछे सोसर्वशरी रकूपुष्टकरैछै अरनाभिकोजोपवनडै सोहियाकाकमलमैजाय ये कोस्पर्शकरिवंउकैबारैजायछै न्यूंविष्णुपदकोजोअमृतती.पीवा नैनासिकारा पाछेयोनासिकाहाराकोपरनसोपाकासका मृत पीकार फेरूंमुषनासिकाराकंटउगैरैउदरमेंायप्राप्ति होय, वेगकारकै पाछेयोपवनसंपूर्णदेह,अरजीवने अरजररानलनैपुष्टकरे, अरशरीरकीअरहदाकीपाएपवनजोसंजो गनींनेआयुर्बलकहिजेअरकहींसमेंयांदोन्यांकोसंजोगडूरिहोय तीनमरणकहिलैईपृथ्वीविकोईप्राणीअमरनहींईकाराम त्यहेसोनिवारीनहींजाय वैद्यहेसोरोगांनेइरिकरे अरमनुयकेसा ध्यरोग? अरोमनुष्यपथ्यादिकनहींकरतो मनुस्यकेसायरो गहाजाप्यहोजाय अरमनुष्यकैजायरोगछैपरसोमनुष्यकुप थकरियोकरेतीजाप्यरोगहीअसाध्यहोय. अरोअसाध्यरोग हवोंयकोकुपथ्यकाकरिवानालामनुष्यनेनिश्चैमारिनांषेछै सो ईकारणथकामनुस्यचतुरहेसोरोगांथकीशरीरकारक्षाकरे कवि पाककोजाणिवायालो धर्मअर्थकाममोक्षयांच्यास्वाहीकोसा धनयेकयोमनुष्यकोशरीरहीछे जोपुरपईमनुयशरीरनैमारेती सर्वनैमावी अजिनमनुस्यसरीरकीरक्षाकरीत्यासर्वकारक्षाक रीअरसातूंधातअरसातूंधातांकामल अरवायपित्तकापेमारा हीबराबरिकसाथका ईशरीरमैशरीरसुषदेछै परयेसारापल्या वध्याधरकुपिननाथकाईसरीरकोनांसकरै इतिसातकला दिकोकाविचारसपू० अथमृष्टिकाउपजावाकोकयनसिष्यते संपूर्णत्रम्हांडकोकारगइछारहिन समित्यानंरस्वरूप असो
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५४. अमृतसागर तथापनापसागर तरंग २५ जोत्रम्हपरमात्मातीकाप्रकृतिनाममायाछै सोवापरमात्माकीमाया नित्सडै जैसैंमर्यकीप्रतिछायानामप्रकाश सोचाब्रम्हपरमात्माकी मायाहे सोजडमरचैतन्यजोपरमात्मातीकासंजोगकरिईअनिस संसारयामायाकरताहईनटकाष्यालकीसीलाई अरयासंसारका मानाजोपहतिसोप्रथमबारनै उपजावनीहई बुद्धिकैसीकरछामई महातत्वजीकोरुप पाछेमहतत्व अहंकारउफ्जनोहगो पाछैनो अहंकारनीनप्रकारकोइवोरजोगुणसनोगुएरा तमोगुणमई पा छैसतोगुणरजोगुरासंमिलिदशइंदियां पैराकरताहवा अरमन भीयांदोन्याहीपेदाहुदो अथदशरंद्रियांकोस्वरुपलिकांना . त्वचारनेत्र जिव्हा४नासिका५येतोपांचज्ञानेशाकाहाय७ पग-लिंगरगुदा येपांचकर्मेदिछै नमोरगाहसोपणांसतोय एसूमियोजोअहंकार तानेपंचतन्मात्राउपजनाहुवा अथपांच तन्मात्राकानामस्वरुपलिय शब्दासर्शरूपरस४गंध५ यांनतन्मात्राकाहजै पाछैतन्मात्रा पंचमहाभूतपेदाहुवाशसं तोआकाशनोस्पर्शतन्मात्रा वायपेदाहबोररूपतन्मात्राएं अग्निपेदाहोरसतन्मात्रासूजलपैदाडवो गंधतन्मात्रासंघ वीपेदाङई५अथज्ञानेंद्रियांकाविषयलि. कोनकोविसयश ब्दलचाकोविषयस्पर्श नेत्रकोविषयरुप३जिहाकोषिसयस शकोस्वादनासिकाकोविसयसुगंधिदुर्गधिकोग्रहणकरियो अथकर्मेंद्रियांकाविसयलि वालिकोविसयबोलीवो हाथको विसयग्रहणकरियोरपगाकोविसयचालिवीरसिंगकोरिषयमै थुन ४ गुदाकोविसयमलकोप्राधानरत्याग५अथाहतिकानामलि प्रधानाप्रतिरशक्ति३नित्या४विरुति ५शक्तिहसो
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५४१ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ शिवमंमिलिथकीरहेछै अथचोवीसतलति महतलानाम अहंकारा पांचतन्यान ५प्रकृति दशइंद्री येकमन पां चमहाभूत ५येरविकार, येसर्वमिलिचोचीस २४ तत्वहोय पाछै यांचोईसतत्वांकोशरीररुपीयोघरवणेनदिई घरमैजीवात्माशुभ अशभकर्माकैाधीनहूबोथकोईशरीररूपायरमैप्रायकरव सैमनरुपाडूतकैवसहूबोथकोपाछै जीवकरिसंयुक्तईशरीरबु हिवानदेहीकहेछै सोयोदेहीपापपुण्यसुधरवादिकांकरिव्याप्त हुवोथको अरयोमनकरिजातात्पादथ्योथको अरपापकस्याजोकर्म बंधनत्यांसंबंधैले अरकामाकोधरलोभमोह ४ अहंकार ५८ शरंदीबुद्धिायेसर्वअज्ञानथकीजीवात्माबंधनकैअर्थछैअरजीवात्मानेात्मज्ञानहोयतोई कीमुक्तिहोय अरजीमंडपउप जैनानन्याधिकहेछे जामसुमापजेतीनेबारोग्यकहजेनिस टिजोउपजापाकोकहबोसंपू. अथाहारकोअरपरिपा ककोपरगर्भकोउत्पत्तिकोपरबालककापोषणादिककाल सालि जोभोजनादिककाजेछैसोहीयाकापागपवनकारकै पोथको प्रथमग्रामासयमैजायप्राप्तिहोयछै पाछेोहाबाहारम सुरपानेमाप्तिहोयडै पाछैोहीयाहारपाचकपित्तकाप्रभावक रिकायेकपकोथको अम्लपणाने प्राप्तहोयडे पाछेप्रोहीअाहारना भिकासमानपवनकारप्रेस्पोथकोछतीग्रहणीकलामेंप्राप्तिहोयछे पाछैग्रहणीकलामेंग्राहारपचिकोष्टकाअधिकरिके ओही आहारक डबोहोजाय पाडेग्रोहीअाहारकोष्टकामिकरिपचिवेंकोच्यो रसपेराहोजायडै अरोपाछेप्रकारपनहीं अरकचौरहैतोही आहारकोनांबहोजायछै परकोटकीअग्निबलवानहोयतौरोत्रा
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५४२ अमृतसागर तथा प्रतापसागर नरंग २५ हारकोरसमधुरहोजायछै अरोहीपाठेमधुरहोयअरचीकरगाप गानेंप्राप्तिहोयछे पाछेप्रोहीरसमलेप्रकारपक्योथकोईशरीरकासं पूर्णधातपुष्टकरैछै अरयोरसअमृतकाउपमाकोप्राप्तहोयछैअरयोआहारकोरसमंदाग्निकरिदग्ध होयतो उदर फडवोरसहो जाय अथवाषाटोहोजाय अथवायोहीरसविषकाराभाव.प्राप्ति होजाय अथवायोहीरसरोगांकासमूह शरीरमैकारदेअरयोहामा हारकोरसछैसोईशरीरमैंसारमामबलछै अरसारहीनहोयतौयो मलद्रवनामपनलोहोजायछ सौपायोनहीं अरशरीरमैंपायोजो जलसोवेंकोसारसारतोनसांहारावायशरीरमें पहुंचायदेछै अरई कानिःसारनैपेटमेंप्राप्तिकरिवेंको तकरिदेछै सोमूतहोयलिंगहर रावानीसरैडै अराहारकोकाटजोमलसोपकासयमैरहेछैसोरताकापवनकाबलकारोमलगुराहाराबारेंनीसरेछै अरवें आहारकोजोरससोनाभिकासमानपयनकाबलकोप्रेसोथकौम नुष्यकाहियामैंजायपाप्तिहोयछे अरपाछोरसपित्तकरिपच्योत दिलालरंग्योथकोलोहीहोयजायछै सोपोलोहीसर्वशरीरभैरहेछै सोओलोहीजीरकोउत्तमआधारछे अरोलोहीनीकरणोंडे पर भास्यौछै अरबलवानछे मागेडै अरयोदग्धहुवोपित्तकोसीनाई होयछे येकेकधानसवाच्यारिच्यारिदिनमैंपेदाहोयछै अरभोजन कस्पोजोअहारसोमहीनांयेकमैतीकोमनुस्यकैवार्यपेराहोय अ रस्त्रीजोयोहीभोजनकरयोजोआहारसोयहीनायेकमैस्त्रीधर्मद्वारा रजहोजायछै पाछेस्त्रीअरपरसदोन्यूमिलिमैथुनकरैतदिस्त्रीका भगमैतोशलोहीअरपुरुषकोएरवीर्ययेरेन्यू बैंसमैमिलतदि स्त्रीकागर्भस्थानमेंगर्भरहजायछे पाछेनोनमहीनेभगाराबारै
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५४३ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २५ नीसरेनदिवेनेबालकहपोकहेछैअरवेसमैरवीशरजअधिकहोय तोकन्याहोय अरपुरसकोवार्यअधिकहोयतोपुत्रहोय अरसमैस्त्री अरपुरुसकोरजअरवार्यबराबारहोयतोनपुंसकपेदाहोय पाछेप रमेश्वरकोइछाहोयसोहीहोययोलियोनियमछे होयअरनहींवाहो य अथबालबनेग्रौषदिदेवाकीमात्रालिमहीनांयेकोबाल कोयतो रती ओषदिदीजै दूथसहनमिश्रीयांसाधिपाछेज्यू ज्यूंचालकपथैनदिमहीनायेकेकरतीयेकेकोषदिषधाजेपेकचर सताई पाछेवरससोलानाईक्ष्मामोयेकेकोपदिदीजै पाछेत्री पदिदेवाकीमात्राअतनीराषिजेवर्ष ७० नाईगाडेबालकवीसीनाई ओषदिकीमात्राघरायदीजै योतोलकल्कचूर्णाकोडेअरका टाकोतोलईसंचौगुगोजासिलोज्यो अरबालकहोयसरियालककै काजल उवटपोस्नानकरावोकीजे अरमहीनांकीमहानैबालक. यमनकरायदाजे अरहरडेकायूटीरोजीनांदीजे अरअन्नकोग्रास पांचवैवरसीजेपरजुलाबसोलावरषउपरांतरजै अरमैथुन वीसवर्षउपरांतिकाजे ईविधि मनुष्यचालैनोईकैरोगकदेहोय नहीं पाईकैजराफदेवनहीं अथमनुष्यकाशरीरकीगति लिवरसरशनाईनोचालकपणोरहेछै वीस वर्षपर्यतईकोषध गापोरहैडै तीस वर्षपर्यंतशरीरकोमोरापोरहेछै चालीस४० वर्षपर्यंतमनुष्यकेद्धिकोयागमरहेछ पचासवर्षपर्यतमनुष्य काशरीरमैत्वचाकोगादापोरहेछै वर्षपर्यतनेत्रकाजोनिमाडीरहे डै वर्षपर्यनयनुष्यकाशरीरमवार्यरहे. वर्षपर्यंतमनुष्यकाश रीरमैवार्यकोआधिक्यपगगरहेडै ९०वर्षपर्यनबाडीतरैग्यामरहेडै सोप००वर्षपर्यनबोलिबोहाथपगांमैबलमलमूत्रकात्यागकोग्यान
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५४४
अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग
२५
रहेछै एकसौदश११० वर्षपर्येनमनुष्यका शरीरमैरसारणमात्र कोग्यान रहेछै १२० वर्षपर्यंतशरीरमें प्राएामात्रा रहे है जो मनुष्यकोशरीर निरो गोरहैतौ अरदशदशवर्षपाछै येलिष्यासोघटताजायचे ईमनुष्यकी आयुर्बलकोप्रमाण १२० वर्षको इतिहारकोपरिपाकगर्भ की उत्पत्तिबालकका पोषएणादिककीवि० अथवायकी प्रकृतिकोल क्षलि० छोटाकेशहोय रससरीरहोय लूषोशरीरहोय वाचालहो य चंचलमन होय आकासमैरहवाबाला सुपनाच्यावे येजीमेलसरा होयतो वायकी प्रकृतिजाणिजे प्रथपित्तकी प्रकृतिकोलक्षणलि जनानञ्अवस्थामें सुपेदवालश्रावैबुद्धिवानहोय श्ररपसेवघा
कधी होय सुपनामेंतेजदीषे येलक्षण होयतौपित्तकी प्रकृतिजा लिजैर अथकफकी प्रकृतिकोलक्षरालि० जीकीगंभीरबुद्धिहोय स्थूलांगहोय चीकरणाकेशहोय बलवानहोय स्वप्नमेंजलकास्थानदे षै येलक्षणजीमेहोयतीनॅकफकी प्रकृतिकहिजे ३ अथनीदको लक्ष• कफपरतमोगुणअधिक होयतदिमूर्छाहोय १ अस्वायपित्तरजोगुण येअधिक होयतदिभोलिमरम्भांतिहोय २ कफवायच्चरतमोगुणत्र धिकहोयतदिनंद्राहोय ३ अरबलजातोर है तदिग्लानियाने अररुष सूं पराजीर्णं परषेदसं यांसूं भीग्लानिहोय ५ र बलथकीउ त्साहनहींहोयनीनेंत्र्यालसकहिजे ६ईनेंआादिलेबुद्धिवानरभी जाणिलीज्यो इहमनुष्यकाशशरकोवर्णन कस्यो इतिश्रीमन्महाराजाधिराजमहाराजराजराजेंद्रश्रीसवाईप्रतापसिंहजीविरचिते अमृतसागरनामग्रंथे ऋतुवर्णनंनामरितुचर्या १ दिनचर्या २ रात्रि चर्या ३ सारीर ४ सर्वांगासंयुक्तवर्णनंनामपंचविंशतिमःस्तरं• २५ समाप्तोयं मृतसागरनामग्रंथः ॥ शुभंभूयात् ॥ श्रीरस्तु
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५४५ अमृतसागरकासूचनिकानथाअनुक्रमणिकालि.
प्रथमअय्यायमेरोगविन ९ अवस्थाविचार चार नारीपरिक्षा मूत्रपरि ९ अर्थविचार , क्षारोगपरि सुपनपरि * कर्मविचार तपरि सकन कालग्यानः १० अग्निबलविचार पोषरिविन्देशकालअव रोगकीअसाध्यपरीक्षा अर्थकर्मअग्निबलरोगीको रोगकीसाथ्यपरीक्षा साथ्यअसाथ्यवि-रोगका रोगांकाभेद भेद रोगांकउत्पत्तिायेपथ १२ रोगांकी उत्पत्ति मनरंगमेलिष्याछे. अधोवायकारोकिवाकोरोन रोगविचार
मलकारोकिवाकोरोग रोगकीररोग्यांकीपरिक्षा १५ मूत्रकारोकियाकोरोग नाडीपरीक्षा
१५ डकारकारोकिवाकोरोग नाडीदेषणी
छींककारोकिवाकोरोग मूत्रपरीक्षा
निसकारोकिवाकोरोग रोगीकापरीक्षा
भूषकारोकियाकोरोग ५ अनुक्रमसूरोगांकोविचार नांदकारोकिवाकोरोग ५ सुपनपरीक्षा
पासकारोकिवाकोरोग ५ इनपरिक्षा
श्रमकास्वासकारोकिवा ७ सकुनपरिक्षा
उवासीकारोकियाकोरोग कालज्ञान ..
आरोकिवाकोरोग ओषदिविचार
वमनकारोकियाकोरोग देशविचार
कामदेवकारोकिवाकोरोग कालविचार
इनिप्रथमस्तरंगःसमासः
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% 3A
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५४६
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका अथप्रथमज्वरको हवा २९ सन्निपानकीनांस लत्र्मरवर की उत्त्पत्तिस २० सन्निपातकूंअंजन शतरंगमैछे. ३० सन्निपातकूंपंचवकरस
१७ ज्वरकी उत्पत्ति १८ ज्वरप्राठप्रकारकोछे
१८ ज्वरको सामान्यलक्ष १८ ज्वरको पूर्वरूप १८ वायज्वरकोल क्षण १८ सामान्यज्वरकोजतन १९ वायज्वरकोजतन १९ पित्तज्वरकोलक्षण २० पित्तज्वरकाजनन
३० सन्निपातकूंस्वछंद भैरे वरस ३१ संनिपातमै सीतल होयतीको उचटणी ३१ महांसन्निपातकोजतन ३१ पुनः संनिपातइरिकरिवेंकोजο ३२ तेरासन्निपातकानाम २२ संधिगसंनिपातकालक्षण २३ संधिगसंनिपानकाजतन ३३ अंतकसंनिपातकालक्ष२२ रुग्दाहसंनिपातकाल क्ष ३३ रुग्दाहसंनिपातकोजनन
२९ फकज्वरकालक्षण
३३ चित्तभ्रमसन्निपातकाल•
२२ | कफज्वरकाजतन २५ वातपित्तज्वरकालक्षण ३३ चित्तभ्रमकोजनन २४ सीतांगसंनिपातकोलक्ष•
२३ | वातपित्तज्वरकाजतन २४ वातकफज्वर कालक्षण ३४ सीनांगकोजतन
२५ वातकफज्वरकाजतन ४नंट्रिकसंनिपानको लक्ष २६. कफपित्तज्वरकालक्षण ३४ ट्रककोजनन २६. कफपित्तज्वरकाजतन ३५ कंठकुजसंनिपातकोल• २७ सन्निपातज्वरकी उत्पत्ति ३५ कंठकुजसंनिपातकोजन • २८ सन्निपात कालक्षण ३५ कर्णकसंनिपानकोल• सन्निपातज्वरकाजतन ३५ कर्शकसंनिपानकोजन.
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५४७ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणीका
भग्ननेत्रसनिपानकोलस ४० भूनादिकज्वरकाजनन २६ भग्ननेत्रसंनिपानकोजत ४० भूतादिककादिवाकोमंत्र २६ रक्तष्टीवासंनिपानकोल. ४. इसरोमंत्र २७ रक्तष्टीचीकोजनन ४० भूतपकरावाकोमंत्र २७ प्रलापसंनिपानकोलक्ष. ४१ भूतकादिवानांसअंजन
प्रलापकोजनन . भूतकाटिनाकोनंत्र २७ जिरकसंनिपानकोलक्ष. ४१ क्रोधवरकालस २७ जिव्हककोजतन. क्रोधवरकाजतन २७ अभिन्यासिसंनिपातकोला मानसज्जरकी उत्पत्तिलक्ष २७ अभिन्यासिसंनिपातकोज ४१ मानसज्वरकाजनन
| संनिपातकोअंजन पुरुषकैकामचरकालक्ष | सनिपानकूनास. ॥ ४२/कामनरकाजनन
आग्रेचरकाइरिकरिवेकोचि ४२ स्त्रीकैकामचरकालक्षण | नामणिरस- ४३ स्त्रीकाकामचरकाजना अमनसंजावनीगुटिका ४२ / मयन्चरकालक्षा कालारिसरा
भयचरकोजतन त्रिपुरभैरवरस
विषमजरकालक्षा संज्ञाकरपारस
विषमजरकाजतन ब्रम्हास्तरस ४३ साननरपेक्षदादिक.
आगंतुकन्वरकानामात्र ४३ / सीतवरपैषोउसांग२९ शस्त्रादिकचरकालक्षः ४४ जराकुंशसानजरपे. |४. शरणादिकजरकाजन. ४४ जाजरकालक्षण ॥४. भूतादिकज्जरकारशः॥४४ जाजरकोनननवसनमार
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५४८ सूचनिकापत्र नथा अनुक्रमणिका. ४५ लाक्षादितेल ४९ चरमैषासहोयतीकोजतना |४. निंबादिचूर्ण
ज्जरमेंसासहोयतीकोजतः ४ जीर्णज्जरकासक्षण |४९ ज्जरभेहिचकीहोयतीकोज ४ जार्णज्वरकाजतन ५. जरमैवमनहोयनींकोज.
दृष्टिवरकालक्षण ५. जरमैमू होयतांकोजन
सृष्टिनरकोजनन ५० जरबंधकष्ट होयतीकोज ४६ लोहोकाधिकारकाजरकोल०/५० चरमैमुषसोसजीभकोविरम ४५ सोहीकाधिकारकोजुरकोज०/५० जरउनरिगईहोयतील परगोजा ४७ मसज्जरकारक्षण इनिअमृतसागरे यस्तरंग ४७मलचरकाजजन अथनीसरितरंगमैंतीसा ४. गर्भिगीस्त्रीकाजुरकोजतसंग्रहरिण वनासार पारो ४७ सूतिकाचरकालक्षण गांकाउत्पतिलक्षणजनन ४७ सूतिकावरकोप्रोपदी ५१ अतिसारकीरत्पत्ति ४७बालककावरकी उत्पत्तिल ५१ अतिसारकोस्वरूप ४७/बालककीज्वरकोजनन अतिसारकोपूर्वरुप ४८ परमहमिपडिगई होयतीकोला ५१ गायकाअनिसारकोलक्ष. ४८ हामिकीजरकोजतन ५२ वायकाअनिसारकोजतन ॥४० कालज्जरकोलक्षण ||५२ पित्तकाअनिसारकोलस.
कालज्वरकोजनन ५२ पित्तकाअतिसारकोजतना |५८ |ज्नरकादश उपख ५२/रक्तानिसारकोजनन |४० उपनाकोलक्षण ५३ गुदापकिगईहोयतीकोज.
४९/ जरातिसारकोजतन ||५२ कपालिसारकोलक्षण ||४९ जरमैनिसहोयनीकोजतः॥५३ कफातिसारकोजननं
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५४९ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
२ संनिपातकातीसारका सिनिपानकासंग्रहणीकोजन ५४ संनिपानकाजननलि०५२ त्रिदोषकासंग्रहणीकोभेद. ५४ सोचकाअनीसारकोलक्ष ६२ आमवातकासंग्रहणीकोलन ५४ सोचकाभयानिसारकोज ६२ संग्रहणीकोभेश्यीयंत्रकोलर ५४ आमातिसारकोलक्षण. || ६२ संग्रहलोकोविशेषजनन || ५५ आमातिसारकोजतन | ५३ संग्रहगीरालोअतनीवस्तषाय ५५ पक्कातिसारकोजतन ६३ वचासीरकोउत्पत्ति हो ५५ सोजातिसारकोजतन ६४ सारीयवासीरांकोपूर्वरूप ५५ अनिसारमैंछादगाहोयनीकी ६४ वायकावयासीरकोलक्ष. ५० बोगनिगाहाकोलक्ष-प्रकार ६५ वायकीयवासीरकोजतन ५५ प्रकारकोमोडानिवाहीकोज पित्तकारवासारकोलक्षः ५५ प्रामानिसारकाऔरजतन, ६७ लोहाकीवासीरकोलक्षा ५६ अनीसारकोनसाध्यलक्ष ५७ बवासीरकालोहायभिकायोप५८ असारजानारत्येसकोसक्ष लोहीयंभियाकोदूसरोजन ५- संग्रहणीकाउत्पनि मस्साडूहोवाकीओषदिन ५- संग्रहपीकालसरा पित्तलोहाकाववासीरकोज ५९ बायकासंग्रहणीकी उत्पत्ति ६९ कफकाववासीरकोलक्ष ५९ बायकासंग्रहणीकोजतन० ७. कफकीयवासीरकोजनन ६० पनकासंग्रहणीकी उत्पत्तिल ७० सनिपानकीवासीरकोल
पित्तकासंग्रहएीकोजत |७० सनिपानकाववासीरकोज
कफकीसंग्रहणीकोउत्पत्तिल शिरजीमनकोवएणयोलोहसा, ६७ कफकीसंग्रहणीकाजत/७३ भोरस्थानमैससाहोपनीकोजा ६१ संनिपानकीसंग्रहणीकोला ७४ वासीरकाप्रसाध्यलक्षणी
ननीयस्तरंगःसमाप्त.
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सूचनिकापत्र नथा अनुक्रमणिका. अथचौथीतरंग.अनना २५/विसूचिकाकाजनन· रोगछे जाल मंदाग्निभस्म ७ अलसचिलंबिकाकाजतन क विसूचिका अलसपिल ७ कृमिरोमकाउत्पत्ति विका हमि एंड इतनारोग माहिलालमिकीउत्पत्ति ७४ अजीर्णरोगकाउत्पत्ति ||-- पेटमैगिंडोलाहोयतीकोला ७५ मंदाग्निकोलक्षण || रुमिरोगकोजनन ७५ तीक्षणाग्निकोलक्षण -९ मस्तगमेनहलीपपडिनीको ७५ विषमागिकोलक्षण ॥ ८९ गुदामैचुरएयाहोयतीकोजन ७५ समाग्निकोलक्षण ९० पांडुरोगकामलारोगहलीम ७. भस्मकरोगका उत्पत्तिलक्षाकरोगकाउत्पत्तिलक्षण ७६ अजीर्णरोगकीउत्पत्ति ९. पांडरोगकोउत्पत्ति ७६ अजीर्णरोगकोसामान्पल- ९० पांडुरोगकोपूर्वरुप ७५ अजीर्णकोभेर . ९० बायकापांडुरोगकोलक्ष७७ आमाजाकोलक्षा ||९० पित्तकापांडुरोगकोलक्ष.
७७ विदधाजाशंकोलक्षण | ९० कफकापांडुरोगकोलक्ष||७७ विष्टधजीकोलक्षण ९० सनिपानकापांडरोगकोलन
७७ रससोषअजीर्णकोलक्ष- ९. पांडुरोगकोअसाध्यलक्ष. 1.७ बजावारपदय ९१ कामलारोगकोलक्षण ७७ विसूचिकाकोलक्षण ॥ ९१ हलीमकरोगकोलक्षण ७० अलसकोलक्षण | ९१ पांडुरोगकोजनन७८ विलंबिकाकोलक्षण चतुर्थ स्तरंग:समाप्तः ७० अजीर्णरिहदोहोयतीको अथपांचवीनरंगमैन || ७८ मंदागिआदिलेरपिसचिन नारोग रक्तपित्तराज
काकाजनन
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५५१
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
९३ पास हिचकी सासरोगछे || ९९ कर्पूरादिचूर्ण.
९३ रक्तपित्तकी उत्पत्ति.
९९ कुमुदेश्वररस.
९९ चिमनप्रासवलेह
९३ रक्तपित्तको पूर्वरूप ९२ कफकारक्तपित्तकोलक्ष. १०० कुमुदेश्वररस ९३ वायकारक्तपित्तकोलक्ष- १०० कपर्देस्वररस९३ पित्तकारक्तपित्तकोलक्ष- १०१ महातालीसादि ९४ रक्तपित्तकाउपइव- १०१ मगनायसचूर्ण १०१ लवंगादिचूर्ण १०२ श्रृंगारिकगुटिका| १०२ मधुपक्कहरडै
९४ रक्तपित्तकोजतन ९६ राजरोगकी उत्पत्ति९६. राजरोगको पूर्वरूप
९६ राजरोगको लक्षण
१०३ श्रादाको अवलेह
९७ वायकाराजरोगकोलक्षण १०३ क्षुद्रादिकषार ९७ कफकाराजरोगकोल क्ष- १०३ संषवटी
९७ हिया की चोटकाराज रोगकोल- १०४ अगस्तिहरडैकी विधि ९७ राजरोगकी प्रवधि• १०५ षासरोगकी उत्पत्ति ९७ क्यूंकसाध्यराजरोगकोल• १०६ पासरोगकोपूर्वरूप ९७ घरणमेथुन करिवासूंउपज्यो १०६ वायकाषासको लक्षण जोसोसरोगती कोलक्षणं १०६ पित्तकाषासको लक्षण ९- जरासोसीकोलक्षण १०६ कफका षासकोलक्षण १०६ क्षनजषासकोलक्षण.
९८ मार्गसोसीकोलक्षण
९८ ब्रणकासोसको लक्षण १०७ क्षईरोगकाषास कोलसा ९८ राजरोगसोसरोगयांकाजन- १०७ पासको साध्यलक्षण ९८ राजमृगांकरस- | १०७ बासकोजनन
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५५२ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
तलवंगादिचूर्ण |११४ सदस्वासकोलक्षण |१०९ पासकर्तरी . ११५/स्वासरोगकोजतन १०९ कर्पूरादिगुटिका स्वासकुगररस. १०९ भृराहरीतकी |११६/सूर्यावर्नरस ११० कल्पालीकोअवलेह | महोदधिरस ११० आनंदभैरवरस १७ अमृतार्णवरस.
हिचकीकोउत्त्पत्ति |११७ मेघउंचररस११. हिचकीकोस्वरूप इनिअमृतसागरे५स्तरंगः १११ हिचकीकोपूर्वरुप निरंगमैसरभेद अरो
m अलजाहिचकाकोलक्षण चक छर्दिमूर्जानै अादिले १४ यमलाहिचकीकोलक्षण रइतनारोगछे. ११ क्षुद्राहिचकीकोलक्षण ||१७|स्वरभेदकोउत्पत्ति
m गंभाराहिचकीकोलक्षा- ११७ यायकास्वरभंगकोलक्षण १११ महतीहिचकाकोलक्षण ||१७ पित्तकास्वरभंगकोलक्षः | हिचकीकोअसाध्यलक्ष- ११७ कफकास्वरभंगकोलक्षण १११ हिचकीकोजनन |१८ संनिपातकास्वरभंगगोलन ११२ सासरोगकाउत्त्पत्ति
ईरोगकास्वरमंगकोल ११३ सासरोगकोपूर्वरुप शरीरकामोरापणांकासरभ ११३ सासरोग्रकोस्वरूप |११ स्वरभंगकाजागकोलक्ष ११३ महास्वासकोलक्षण- ||१९ कट्यालाकोअवलेह ||११४ उर्ध्वस्वासकोलसण. |११९ चव्यादिचूर्ण
११४ छिन्नस्वासकोलक्षए ११९ अरोचकरोगकी उत्पत्ति ||११४ (तमकस्वासकोलक्षण ||१२० बायकीअरुचिकोलक्षण
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५५३
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका
१२० सोककी अरुचिकोलक्षण १२० रुचिकोजत
१२१ सिषरण की क्रिया १२१ दाडिमादिचूर्ण
१२१ बृहदेलादिचूर्ण १२२ अग्निकुमाररस १२२ छर्दिरोगकी उत्पत्ति१२२ चायकी छर्दिकालक्षए १२२ छर्दिको पूर्वरूपलि १२ पित्तकी छर्दिकोपस
१२० पित्तकी अरुचिकोलक्षण || १२५ भोजनउपरतितिस लागेको १२. कफकी अरुचिको स्वरूपल-लि- १२६ तिसकाउपद्रव १२७ तिसरोगकाजतन १२६ पित्तकीतिसकोजतन १२६ कफकीतिसकोजनन १२६ क्षीणताकीतिसकोजतन १२७ शस्त्रकाप्रहारकीतिसकोज १२७ आंबकीतिसकोजतन १२७ दुर्बल की तिसकोजतन १२७ मूर्छामोहभ्रमतंद्रानिद्रासं न्यासयां की उत्पत्तिलिष्य. १२७ मूर्छाको सामान्यस्वरूप १२८ मूर्छाकोपूर्वरूप
१२० कफकी छर्दिकोलक्ष
१२३ संनिपातकी छर्दिकालक्ष- १२८ वायपित्तकीमूर्छाकोलक्ष १२३ सूगलिवस्तदेषवाकीको १२८ कफकी मूर्छाकोल क्षण | १२३ छर्दिरोगकाजनन१२४ तिसरोगकी उत्पत्ति
(लक्ष
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१२९ लोहीकी मूर्छा कोलक्षण १२९ मद्यकी मूर्छाकोलक्षरा | १२९ विषकीमूर्छाको लक्षण १२५ वायकीतिसकोलक्षण. १२९ भ्रमकोनंदाकोलक्षण | १२५ पित्तकीतिसकोलक्षण. १२९ निद्राकोल क्षण.
१२५ तिसकोस्वरूप
१२५ कफकीतिसकोलक्षण १२९ सन्यासको लक्षण १२५ शस्त्रादिककी चोट कीतिसको १२९ मूर्छाकोजनन
| १२५ क्षीणताकीनिसको क्षरा १२९ पित्तकी मूर्छाकोजतन
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५५४ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. १२. लोहाकामू कोजनन | धतूराकामदकोजनन १३. मयकीमू कोजतन १२५ भांगिकामदकोजतन १२. विषकामूर्जाकोजतन १७५ विषकामदकोजतन १३. भौलाकोजनन
यहरोगकाउत्त्पत्ति |१३० निराअनिनिद्राकोजतन ११६ पित्तकादाहकोलक्षण
इनिष्तष्ठः स्तरंगसमाप्तम लोहिकादाहकोलक्षण
मीसरंगमै मदात्पयउ १२८ शस्त्रकाप्रहारकादाहकालान्माद मृगी येरोगछै- १२६ मदकापागकादाहकोल १३१ मदात्पयरोगकीउत्पत्ति १३६ पित्तकारोक्विाकादाहको १२२ विधिसूमद्यपीवो . १२६ धातक्षयकादाहकोलक्ष
बायकामदात्पयकोलक्षः||१७ चोटलागिराकादाहकालल
कफकामदात्ययकोलक्ष |१३७ दाहकोअसाध्यलक्षण १२३ पित्तकामयसकोतक्षा १७ दाहकोजतन १३२ परपरकोलक्षण लोहीकाविगडिवाकादाहको १२३ पानाजीाकोलक्षण १३- उन्मादरोगकोउत्पनि १२३ पानबिभ्रमकोलक्षण - उन्मादकोसरुप १२२ मदात्पयकोअसाध्यलक्ष ७९ उन्मादकोपूर्वरूप
Arमदात्पयादिलेरजनन ९ वायकाउन्मादकोलक्षा |१३४ वायकामदात्पयकोजतन ११९ पित्तकाउन्मादकोलक्ष. १२४ पित्तकामरात्पयंकोजतन-३९ कफकाउन्मादकोलक्ष. १३५ कफकामदात्ययकोजचन १४०/दुःखकाउन्मारकोलक्ष ||१३. संनिपातकामदापयकोज/१४० विषषापाकाउन्मादकोल. १२५ पानविभ्रमकोजतन |१४. उन्मादमात्रकोअसाध्यस-॥
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५५५
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
१४० भूतादिकका उन्मादकोल० १४८ | डाकिणीकारिहोवाकोयंत्र १४० देवताका उन्मादको लक्षण १४८ हाजरायतमंत्र १४१ असुरकाउन्मादको लक्षण १४- ध्यान
१४१ गंधर्वकाञ्चरपितरांका उन्माद १४९ हाजरातिकीविधि (कोल १४१ सनीकादोषकोलक्षण. १५० मृगीकी उत्पत्ति १४१ षेत्रपालकादोषकोलक्षण १५० मृगीकोपूर्वरूप १४२ वींफासणी का दोसकोल० १५० बायकीमृगीकोलक्षण १४२ | कामाकादोसको लक्षण १५१ पित्तकी मृगीकोलक्षण १४२ साकिनीडाकिणीकाउन्मादक १५१ कफकी मृगीको लक्षण १४२ बोटीगतिको प्रेतकाउन्मादकौल ०१५१ संनिपानकी मृगी कोलक्ष १४२ राक्षसलागिवाकाउन्माकोल १५१ मृगीको असाध्यलक्षण १४३ ब्रम्हराक्षसका उन्मादकोल० १५१ मृगीकोजतन १४३ पिशाचकाउन्मादको लक्ष
(ल
१४३ उन्माद को असाध्यलक्षण १४३ उन्मादादिलेरसारांकाज १४४ सारस्वतचूर्ण
इतिसप्तमस्तरंगः समाप्त ८ वीत्तरंगमैं-४शीप्रकार कीवातरोगकी उत्पत्तिछे वातरोगकी उत्पत्ति
१५३
१५४ ८४ प्रकारकावायकानाम १५५ वातव्याधिको सामान्यजन१५५ सिरोग्रह कोल क्ष. १५५ सिरोग्रहकोजनन १५७५ श्रल्पकेसी कोजनन १५५ जंभाईको लक्षल
१४५ कल्याणघृत १४५ विश्वायंचूर्ण १४६ भूतनैत्र्यादिलेर उन्मादकामंत्र १४६, उड्डीसकामंत्रमंत्र,
तंत्र
१४७ डाकि शिकायकरावाकोयंत्र १४७ डाकडिबुलावा कोमंत्र
|| १४८ डाकलिकादोसइरिहोवाको १५६ / जंभाई कोजनन
जाडो
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५५६ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. |१५८ हनुग्रहकोलक्षा १० वाहसोसकोजतन १५८ हनुग्रहकोजतन |१६० अवबाहुककोलक्षण १५७ जिव्हास्तंभकोलक्ष. १६२ अवबाहुककोजानन १५७ /जभास्तंभकोलक्षा १६२ विस्वाचीकोलक्षण १५७ गंगोगदगदपणोबकाईयांका १६२ विस्वाचीकोजतन १५८ यारोगांकाजतन २ एवातकोलक्षण १५८ सारस्वतधृत १६२ सईचातकोजनन १५. सारस्पनीमंत्र १६३ प्राध्यानरोगकोलक्षण १५८ कल्याणकावलेह १६३ आध्यानरोगकोजतन १५८ प्रलापवाचालरोगकालक्षर १६४ प्रत्याध्यानरोगकोलक्ष१५९ जाभकारसाज्ञानकालसन १९.४ प्रसाधानरोगकीजतन १५९ त्वचासूनाहोयतीकोल० १६४ प्रत्याष्टीलाकोलक्षण ॥१५९ लचामून्यकोजतन १६४ वालाष्टीलाकोलक्षण १६० प्रर्दिनरोगकोलक्ष. १६४ यांदोन्यांकाजलन १५० पित्तकाअर्दिनकोलक्षः १६४ तूनीकोलारा १६० कफकाअर्दिनकोलसंग १६४ प्रतीतूनीकोलक्षण १६० अरदिनकोअसाध्यलक्षः १६४ यादोन्याकाजतन १६. अर्दितकोजतन १५ निकमूलकोलक्षण १६० बायकापिनकाअर्दिनफोन १६ विकसूलकोजनन १६० कफकाअर्दिनकोज १६० त्रयोदशांगगूगल १६७ मन्यास्तंभकोलक्ष | १६ वस्तिवानकोलक्षण १६. मन्यास्तंभकोजतन १६ ईकोजतन १६७ बाहुसोसकोलक्षण १६५ मूतरुकिगयोहोयतीकोजवा
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५५७
१६६ ग्रभ्रसीकोल क्षण
सूचनिका पत्र तथा अनुक्रमणिका. १७० अंतरायामरोगको लक्षण १७० बाह्यायामरोगको लक्षण
१६६ ग्रथसीकोजनन १६७ रास्नादिककोकाढो १६७ षोडापांगलाकालक्ष१६७ यांदोन्यांकाजतन १६७ कलामषंजकोलक्षण१६७ इकोजनन
१६७ क्रोष्टुशीर्षको लक्ष
१६७ क्रोष्टु रोगकोजतन| १६८ गोहाडूषिवाकोजनन१६८ बल्लीरोगको लक्षण १६८ | बल्ली कोजतन | १६८ बालकंटकरोगको लक्ष१६८ ईकोजतन
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१७०० इनकाजतन १७० धनुस्तंभकोल क्षण (१७१ कुब्जककोलक्षण १७१ अपतंत्र कोलक्षण १७१ अपतंत्रकोजतन
१७१ अपतांनककोलक्षण १७२ ईकोजतन
११७२ पक्षाघातको साध्यलक्ष १७२ पक्षाघातकोजतन
१७३/ग्रंथिकादितैलं १७३ माषादितैलं ११७४ निदानाशकोजतन १७४ सर्वागमैवाय होयत कोल१७४ ईकोजतन
१६८ पाददाहको लक्षण १६९ पाददाहकोजतन १६९ पादहर्षको लक्षण १६९ ईकोजतन
१७४ मोसमै प्राप्त हुवोजोवायती कोट१७ ४ मेदमैंप्राप्तजोवायती कोल १७५ हाडमैं रहनोवायनी कोल क्ष
१६९ पगफूटणीकोजतन
१६९ पीनसहितवायतीको आक्षे १७ वीर्यमै प्राप्त भयोवायनी कोल (पककाल१६९ केवलवायकाच्प्रक्षेपककौल १७५ /इनसवनकेजन१६९ चोटलागिवाकीवायकाञ्चक्षे १७५ कोष्टमैप्राप्तभ योजोवायती को (पककोल क्ष
प्लक्ष
१७० ईकोजतन )
१७५ / इनकोजतन
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. १७५ आमासयभैरहतोजावायत्ताको १-२ समारगजकेशरिरस Au/ईकोजतना
१२ सहायंतामणिरस १७ पक्कासयमेरहतीजोवायतीको १२ अमृतनामगुटिका |१७६-शुदा रहतोजोगायतीकोलमा १८३/रसराक्षसरस ||१७८हियामें रहतोजोवायतीकोलबा१४४/बंगेस्वररस Invr यांकाननन १४ हरतालगुटिका १७६कानमेंप्राप्तभयोजोवायनीको १४ हसरापाक १७६ शरीरकानसांमैप्राप्तभयोजोन इत्यष्टमस्तरंगःसमाप्तः यतीकोलक्षण
९मीतरंग, उरुतंभाम ७. संध्यामेंप्राप्तभयोजोवायनी वान पित्तव्याधियोकोनिर्णे
(फोल Havelईकोजतन
उरुसंभकीउत्पत्ति वातरोगकोसामान्यजतन एक स्तंभकोपूर्वरुप in. नारायणनेल १५ उरुस्तंभकोजतन १७७ जोगराजगूगल १७ आमवानकाउत्पत्ति १७नल्हसरगकल्प ||१८७ग्रंथांतरसूईरोगकोलक्ष. १७महारास्मादिकाथ hथांनरसंआमवातकोला ||१७९/अष्टांगल ||१७आमवातकोजतन
१७९ विसगर्भनल १०८ महारास्मादिकाथ१० लक्ष्मीविलासमहासुगंधिनते १८९ अजमोदादिचूर्ण १००/विभैरवतेल १९ सुंठिपाक ११ विजेभेरेवरस १८९ मेथीपाक १८२वानारिरस
१९०/बहसेंधवारितेल समीरपन्नगरस ९० आमवानारिरस
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५५९ सूचनिकापन तथा अनुक्रमणिका. |१९० न्याधिशाईलगूगल. १९७ पातरक्तकाउपद्रव १९१ प्रामारिगुटिका. १९७ वातरक्तकाजतन १९२ सिंहनारगूगल १९७ लघुमंजिष्ठादिक्वाथ १९२ ग्रामवातेसुररस १९- गुडूच्यादिकाथ १९३ पित्तव्याधिकोउत्पत्ति १९० किसोरगूगल १९३ पितका रोगांकानाम ||१९९ अमृतभलातकावलेह १९४ पित्तकासाराहीरोगांकासामा २०० हरनालकेपररस
न्यपणांसूजनन-२००सूलरोगकीउत्पत्ति १९४ कफव्याधिकोउत्सति- २०० बायकामूलकोलक्षण १९४ कफकीर रोगत्यांकोलक्ष २०१ पित्तकामूलकारसनिलक्षा १९५/कफकारोगांकासामान्यजना २०१ कफकीसूलकोलक्षण
इति९मस्तरंगस्लमासः २०१ संनिपातकासूसकोलक्ष १०वीनरंगमें चातरक्तमा २० प्रांबकीमूलकोलक्षस सपरिणामसूल अंगरख २०१ वायकफकासूलकोलक्षण
जरतपित्त येरोगछै, २०२ मूलरोगकारपदय ||१९५ गतरक्तकोउत्पत्तिस्वरुप २.२ मूलकोमेरपरिणामसूजनी १९५ वातरक्तकोपूर्वरुप २०२ ईकोजतना १९६ वाताधिकवातरक्तकोलम २०२ ग्रंनररमूलकोलस ||१९६/रताधिकातरक्तकोलक्ष-||२०२ जरतपित्तकोलसस १९८ पित्ताधिकलानरक्तकोलक्षण २५ सूलरोगकाजतन १९६/कफाधिकनातरक्तकोला २२ कफामूलकोजतन ||१९५वानरत्तहाथामैहोयतीकोला २०४ कूष्माउक्षार १९वानरतकोअसाध्यलक्ष. २०४ पंचसमचूर्ण
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%3D
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meena
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका २०४ सूतनाशनचू- ||२१. अयोपायरोफियाकोलक्ष २०५चित्रकादिगुटिका ||२१० मलकारोफिवाकाउरावर्तकोल २०० सूलनासिनीगोलि २१. मूत्रकारोकिवाकाडरावनकोस २०. कपिलादिगुरिका ||२१. संभाईकारोकिवाकाउदायक ||२०० मूलगजकेसरीरस २५० आशंकारोकिनाकाउदाव-ल. २०० गुडायमंडूरं २0१ डांककारोकिवाकाउदा ल २०६ तारामंडूरः २१ डकारकाइदावर्त्तकोलसन २०७ मूलगजकेसरीयटिका 27 रिकाउदावर्त्तकोलक्ष २०७ सोवर्चलादिगुरिका |शकारदावर्तकारोकिन्ल २०७ हिंम्वादिकारिका | भूषकारोकिवाकाउदावली २०८ विजेपूरादिजोग २१॥ निसकारोकियाकाउदा-ल २०० मूलगजकेसरीरस २११ कारोकिवाकाउदा ल २०८ अमिमुषरस २११ सदावर्तकारसत्तिसकोल २०९ संपवटीरस २१२ उदावर्तकोसामान्यलक्ष १२०९ मूलदावानलरस २१२ उदावर्नकोविशेषलक्षण २०९ पसवाडकीसूलकोजन- २१२ कमकारकैउदावतकोजन एनिअमृतसागरे तरंग २१२ मलकाउदावतकोजनन वांतरंगोंयेरोगहुँ उदय १२ मूत्रकाउदावतकोजतन
अनाहगुला यकृत् ल्या २१२ जंभाईकाउदावतकोजन
हहरोग इतनारोगछे २१३ प्रासंकाउदावर्तकोजनना २१० उरावर्तकी उत्पनिमावेगः २१२ अरडीककाजतना
अनुक्रमसूअधोवायना २१३ डकारकाउदरावर्तकोजननी दिलेरनेगवेगकालक्षणः ||२१३ शकमाउदावर्नकाजतन,
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
२१३ भूषका उदावर्त्तकोजतन | २१७ कफकागोलाको लक्षण २१३ तिसकाउदावर्त्तकोजनन २१८ स्त्रीधर्मरुधिरकागुल्मकोल २१३ श्रमकासासकाउदावर्त्तकोज २१८ गुल्मकोअसाध्यलक्ष २१४ नींदकाउदावर्तकांजनन २१८ गोलाकार असाध्यल• २१४ षीवस्तकाषावाकाउदा०० २१० गोलाकाजतन
२१४ हिंग्वादिकफलवर्त्ति
२१४ मदनफलादिफलवर्ति २१९ हिंग्वादिचूर्ण २१४ नारायणचूर्ण
२१४ गुडाष्टक
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२१९ पित्तकागोलाकाजतन
| २१९ क्षाराष्ट्रक
२१९ वक्षारचूर्ण
२१४ शुकमूलाद्यघृतं
२२० युवारकापाठाकोप्रासव
२१५ नाराचरसवजेपालरस २२० सापत्रयोग २१५. अनाहरोगकी उत्पत्ति २२१ कंकादिकाथ कंकायनगुटिका २१५ यांचकाआफरा कोलक्ष- २२१ लवणभास्कर चूर्ण २१५ मलबधवाका फराकोज २२१ कर्णादिकाथ २१५ आफराकाओरजनन २१६ गुल्मरोगकी उत्पत्ति
२२१ विद्याधररस
२२२ गुल्मकुठाररस २१६ कोष्ट विषैगुल्मको स्थान २२२ योनिकीसूलकोजतन २१६ गुल्मको सामान्यलक्षण २२२ मिश्रकस्नेह २१६ वायगोलाकी उत्पत्ति- २२२ हिंगुद्वादशाकंचूर्ण २१७ वायका गुल्मको लक्षण २२२ बचाद्यंचूर्ण २१७ पित्तकागोलाकी उत्पत्ति २२३ नीहरितकी २१७ पित्तकागोलाकोलक्षण २२३, जंभीरीद्राव | २१७ |कफकागोलाकी उत्पत्ति- २२४ /नादेईसीर
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५१२ सूचनिकापन तथा अनुक्रमणिका. २२५ यहनीहरोगकीउत्पत्तिल २१ नायकामूत्रछकोलसरा |२२५ यायकाफीयाकोलक्ष. २३१ पित्तकामूत्रहकोलक्षण २२५ पित्तकाफीयाकोलक्ष. २३२ कफकामूत्रहकोलक्षण २२५ कफकाफीयाकोलक्षण २३२ चोटकालागिवाकामूत्रकला २२५/लोहीकाफीयाकोलक्ष. २३२ मलकारोकिनाकामूत्रल २२५फीयाकोजतन ||२२ शुक्रकारोकिवाकामूत्रकला २२६/तक्रसंधानं ||२३२ पथरी उपन्योजोमूत्रहालय |२२७ महारोहितकंघृतं ||२१२ शर्कराकाउपव २२८ चित्रकाद्यवृत्तं ||२३३ मूत्रहोगकाजतन २२८ होगकाउत्पत्ति २३३/गोक्षुरादिक्वाथ २२८ होगकोसामान्यलक्ष २३२ मलकारोकिवाकामूत्रहजन |२२८ चायकाहरोगकोलक्ष. २२३ हारतमादिकाथ २२९ पित्तकाहोगकोलक्षण २१४ लोहीकष्ट मूतनीकोजत २२९ कफकारहोगकोलक्ष. २३४ वगपंचक २२९ कृमिकाहदोगकोलक्षण २३४ कूष्मांडरस
हृद्रोगकाउपद्रवप्ररजतन २३४ गोक्षुरादिगूगल |२३० हिरणकासींगकोपुटपाक- २३४ जवषारतक्रजोग
हरीतक्यादिचूर्ण ||२२४ लघुलोकेश्वररस इतिएकादशस्तरंग:समाव/२३५ शुक्रकारोकियाकामूत्रहजार रतरंगमें मूत्रहछ मूत्राघा २२६ मूत्राधानकाउत्पत्तिलक्षतअस्मरीशर्करा प्रमेहये, २२८ मूत्राघाननेराप्रकारको २१/मूबहकारोगकीउत्पत्ति |२२५/चानकुंडलिकाकोलक्षा ॥२३१/मूबरूकोसामान्यलक्ष- २७ अष्ट्रालाकोलक्षण
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५६२ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. vणवानवस्तीकोलारा २४२ पथरीरोगकाजतन २०७ मूत्रातीतकोलक्षण २४२ संख्यादिकाथ २१७७ मूत्रजठररोगकोलक्षण २४३/वरण्यादिगुडकोअवलेह २१७ मूत्रोत्संगकोलक्षण २४३/कुलत्यायंघृतं २१७ मूत्रक्षयकोलक्षण २४४ प्रमेहरोगकीउत्पत्ति 23. मूत्रग्रंथिकोलक्षण २४४ कफवातपित्तकाप्रमेहकाज २७ मूत्रशक्ररोगकोलक्षः २४५अमेह२०प्रकारकायांकानोमा 25- उष्णवातरोगकोलक्षल २४६ यात्रेयकामनकाविशेषप्रमेहां २२८ मूत्रसादरोगकोलक्षः २४५ प्रमेहकोपूर्वरुप .. २७ बिडयातरोगकोलक्षण २४४/प्रमेहकोसामान्यलक्षरा २३ वस्तिकुंडलरोगकोलक्ष २४ कफकादशप्रमेह : ४२३८ मूत्राघातरोगकोजतन २४ उदकप्रमेहकोतक्षमा २२९ चित्रकारांघृतं २४. इक्षप्रमेहकोलक्षण २४० मूनरोधकोजतन २४८ सांद्रप्रमेहकोलक्षण २४० मूत्रनिपटगरमउत्तरेतीकोज २४६/सुराप्रमेहकोलक्षण २४० अस्मररोगकीउत्पत्ति २४ पिष्टममेहकोलक्षस २४१ /पथरीकोपूर्वरुप २४५ सुक्तप्रमेहकोलक्षण २४१ पथरीरोगकोसामान्यल०/२४६ सिकनाप्रमेहकोलक्षा २४॥ नीमैंयायपणीहोयइसीपथा २४७/सीतलप्रमेहकोलक्षरा २४१ पित्तकीपथरीकोला २४५शनैःप्रमेहकोलक्षण २४२ कफीपथरीकीलक्षरा २४७ लालाप्रमेहकोलक्षण २४२ शुक्रकारोकिनाकीपथरीकोल २४७पित्तका प्रथमक्षारप्रमेह-ला ||२४२ पथरीउपदव २७/नीलप्रमेहकोलक्षण
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सूचनिकापत्र नथाअनुक्रमणिका. २४. कालप्रमेहकोलक्षण . ||२४९ | कछपिकाकोलसरा २४ हरिद्रप्रमेहकोलक्षण २४९ जालिनीकोलक्षण |२४७/मंजिष्ठप्रमेहकोलक्षण २४९ / विनाताकोलक्षण २४वरक्तप्रमेहकोलक्षरा २५० अलजीकोलक्षण २४ वायका४प्रमेहतीमैवसाप्रमेह २५० मसूरिकाकोउक्षरा
मजाप्रमेहकोलक्षण २५० सर्पपिकाकोलक्षण २४क्षौद्रप्रमेहकोलक्षण २५० पुत्रिगीकोलक्षण २४मधुप्रमेहकोल ||२५० विदारीकाकोलक्षण २४ कफकाप्रमेहकाउपन्य ||२५० विद्रयाकोलक्षण २४८ पित्तकाप्रमेहकाउपब |२५० पिडिकांकाउपद्रव २४ बायकाप्रमेहकाउपद्रव २५० पिडिकांकाअसाध्यलक्षरा ||२४८ प्रमेहकोअसाध्यलक्ष २५० प्रमेहजातोरत्योहोयत्तीकोल २४ आत्रेयकामतकाप्रमेहेछेत्या २५१ रक्तपित्तरक्तप्रमेहकोभेद ||२४८ पूयप्रमेहकोलक्षण- २५७ प्रमेहरोगकाजतन २४९ तक्रप्रमेहकोलक्षण- २५१ जलप्रमेहकोजतन २४९पिडिकाप्रमेहकोलक्षण||२५१ क्षारप्रमेहकोजतन २४९ शर्कराप्रमेहकोलक्षण २५२ तक्रप्रमेहकोजतन २४९धृतप्रमेहकोलक्षण २५२ सूक्तप्रमेहकोजतन ||२४९ प्रतिमूत्रप्रमेहकोलक्षण २५२ घृतप्रमेहकोजतन २४९ प्रमेहवालाके०जातिकापि २५२ रक्षप्रमेहकोजतन २४९ डिकाहोयछेत्यांकानामः २५२ पित्तकाप्रमेहकोजनन |२४९ पिडिकाकोलक्षण २५२ प्रमेहमात्रकोजतन ॥२४१ सराविकाकोलक्षण २५२ मधुप्रमेहकोजतन
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५६५ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिकाः १२५३ न्यग्रोधायचूर्ण |२५९ मेदकास्थान २५३ चंद्रप्रभागुटिका २५० मेदकोस्थूललक्षण २५४ प्रमेहादिचूर्ण ||२५० मेदकोजनन २५४ मथुप्रमेहकोजतन २६० वडवानलरस ||२५४ वंगेश्वररसकीक्रिया ||२६/अमृनागूगल
२५५ सुपारीपाक २६ विफलाद्यतेल ॥२५५/गोषरूपाक ||२८७ पसेवासूदुर्गेधिआचेतीकोज २५८ पंचाननगुटिका २७ काषांमैवासावेतीकोजन ॥२५८ घृतप्रमेहकोजतन . २२ शरीरकीडुर्गधिकोउबटगों || २५७मेयनादरस ||२५२ नाकेबाच्यारंगहोवाकोलेप १२५७ हरिसंकररंस ||२६२/काषकाडुर्गधिकोजतन २५७ प्रमेहकुठाररस ||२५२ कार्यनाभक्षीरापणकारोगी ||२५७ प्रमेहपिडिकाकालक्षराजन २६२ क्षीगरोगकोलक्षण ॥२५-इंटीउपरिवायकीपिडिकाको २८३ अत्यंतसीएपडिगयोहोयनी २५-इंशउपरिराधिपडिगईहोपतो केयेरोगहोयः । २५८ रसरत्नाकरकाजतनः २६२/पीलरोगकोजतन २५८ बहुमूत्रप्रमेहकोजना २५२ बीएपरगांकोअसायला २५८ तालकेश्वररस. २६४ उदररोगकोउत्पत्ति.
इनिअमृतसागरे।रस्तरंगः२६४ उदररोगकाऔरउत्पत्ति. श्तरंगों मेदको कार्यनी २६४ उदररोगकीउत्पत्ति
म क्षीणपणांको उदररोग २८४ उदररोगकासामान्यलक्ष ||२५९ मेदकाउत्पत्ति ||२८४/उदररोगाठप्रकारको ||२५९ मेदकादोष ||२६४/वातोदरकोलक्षण
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mumbuwa
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५६६. सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. २५/पित्तोदरकोलक्षण . ॥ १४ मीतरंगमें सोथरोग ॥२६५/कफोदरकोलक्षएग- अंडवृद्धि अंत्रद्धि वधा २६. इस्योदरकोलक्षण. नामपथगलगंड कंउमा ॥२५ महोदरफायाकोलक्षण लाअपची ग्रंथिनामगो २६६ मलकावहरादोदरकोलक्ष अर्ब अध्यर्बद ये २५५/क्षतोदरकोउक्षरा २.७१ सोथनामसोजाकीउत्पत्ति ||२६ जलोदरकोलक्षण २७२ सोजाकोपूर्वरुप २६९/उदररोगकोअसाध्यलक्ष २७२सोजाकोसामान्यलक्ष २८७ पुनःअसाध्यलक्षरा. २७२ बायकासोजाकोलक्षण: २५ वातोदरकोजनन २२ पित्तकीसोईकोलक्षरा २५७ कुष्टादिचूर्ण ||२७३ कफकीसोईकोलक्षण ||२८८ पित्तोदरकोजतन २७३ चोटलागिवाकीसोईकोला
२५८ कफोदरकोजतन.. ॥२७३ विशेषजिनावरकाकादि ||२६८ संनिपातकाउदररोगकोजन वाकीसोईकोलक्षण २५८ नारायचूर्ण |२७४ सोईकाउपव २६९ नाराचन २७४ सोईकोकष्टसाध्यलक्षण २५९ पुनर्नवादिकाथ ||२७४ पुन:असाध्यलक्षण २६९ उदरामयहरचूर्ण ||२७४ सोथरोगकाजतन ||२७. जलोदरकोजतन २७४ कफकासोईकोजतन ॥२७० उदरादिरस २७४ भिलावाकीसोईकोजतन
२७. उदयभास्कररसः ७५/सोथरोगकासामान्यजना ||२७१ बिंदुघृतं २७५ पथ्यादिक्वाथ
इनिअमृतसागरीयस्तरम२७५/पोनाकीसोईकोजतन
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५६७
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका
२७६ सोजाकादाहइरिहोवाको लेप २८१ गलगंमको साध्यलक्ष
२७६ पुनर्नवादिचूर्ण २७६ पुनर्नवादिकाथ
२८१ कंठमालाकोलक्ष २८१ प्रपचीकोलक्षण
२७८ अंडरडांडी की उत्पत्ति २८१ अपचीकी साध्यलक्ष २७६ महद्धिको सामान्यलक्षं २८१ गांटिकोलक्षण
२७७ वायकाअंडवृद्धिकोलक्ष २८२ वायकीगांठको लक्षण २७७ पित्तकाअंडवृद्धिकोलक्ष २८२ पितकीगांरिक लक्षण २७७ कफकीअंडवृद्धिकोलक्ष- २८२ मेदकी गांठकोलक्षण २७७ दुष्टलोहीकीत्र्ांडवृद्धिकोल- २८२ नसांकीगांरिकोल क्षण २७ उमेदकांडकोलक्ष- २८२ मर्मस्थान २७७ मूत्रकारोकिवाकाड• लक्ष २८२ अर्बुदकी उत्पत्ति २७७ अंत्रवृद्धिकी उत्पत्ति. २८३ / रक्तार्बुदको लक्षण
२७८ अंडवृद्धिजतन
ज०
अनुक्रमसूजतन
२८३ मांसार्बुदकी उत्पत्ति २७८ गोसोउतरिगयोहोयतीको २८३ अध्यर्बुदकोल क्षण२७९ अंडहद्धिकीयोषदि २८२ अर्बुदरोगपकोनहीनीको कार २७९ बधारोगवधकी उत्पत्ति २८३ गलगंडनैत्र्यादिलेरत्यांका २८० वधकोजतन २८० गलगंड, गंडमाला, अपची २०४ अमृतादितैल ग्रंथि, अर्बुद यांकी उत्पत्ति २८४ कांचनादिगूगल २८० गलगमको सामान्यलक्ष २८ गुंजातैल २८० वायकागलगंडकोलक्षण २०५ अपचीकोजतन २८० कफकागलगंडकोलक्षण २८५ चंदनादितैल ८१ मेदकागलगंम कोलक्षण|| २८५/व्योषादितैल
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. २०पगारिकोजतन ॥२९० माहितीविधीकोअसाध्यता२८५ अर्बुदकाज-न- २९१ विधीकोकष्टसाध्यल.
इतिअमृतसागरेश स्तरंगः २९१ विद्रधीकाजतन १५वींतरंगश्लीपदविर २९२ असोथरोगकोउत्पत्ति धावणसोथ सारीरवण २९२ व्रणसोथरोगकोलक्षण
भग्ननाडीवरा इतनारोग २९२/वासोथपक्योनहींतीकोल ॥२४५ लापदरोगकीउत्पति २९२ पक्यावरासोथकोलक्ष २४६ लीपदरोगकोसामान्यलक्ष २९२ परिपाकमैोरमतांतरकाली ||२२वायकालीपदकोलक्षण २९३/काचापकाग्यांनकैअर्थपैया, २७ सनिंपातकालीपदकोलक्ष- २९३ कागुणदोषलिष्यते. २८७ श्वापदकोजनन २९४ वरारोगकीउत्पत्ति ||२८७ पिप्पलादिचूर्ण २९४ पित्तकाबराकोलक्षरा
२८ विदधीरोगका उत्पत्ति ९४ कफकाबकोलक्षण ||२८९ वायकीविधीकोलक्षण २९४ सोहीकात्राकोलक्षण २८९ पित्तकीविधीकोलक्ष २९ शुञकोलक्षण २८९/संनिपातकीविधीकोलस २९५ दृष्टनाकोलक्षण २८९ लोरलागिवाकीविधीकोल- २९५ अंकुरशुद्धकोलसण. २८९ रक्तकीविदयीकोलक्षण २९५/बाकोसुषसाध्यलक्षण ||२८९ साध्यप्रसाध्यजाणिवाकैवा २९५ पुनःप्रकोअसाथ्यलक्षन
तेअंतरविधीकोलक्षण. २९६ आगंतुकबगशस्त्रादिकका २९ गुदांकीविधीकोलक्षण लागिवाकानीकोलक्षण२९. विधीकोसाध्यप्रसाध्यल०२९/छिन्नग्रएकोलक्षण ||२९० गुनःअसाध्यलक्षण. २९/मिन्नग्रणकोलक्षण.
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(पेनहीं।
२० अथपादन
५६९ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. २९७ क्विराकोलक्षण २०१ वफकासोजाकोतरडो ||२९७ जीयावमैसस्त्रउगैरैरहगी२०१ रक्तकासोजाकोजतन
याहोयतीकोलक्षरा ३०१ पित्तकासोजाकोजतन २९७ कोष्टमैतीरइत्यादिकरहग २०१/औषयांकोबाधिवो
याहोयतीकोलक्षा- २०२/घणसोथकोलेप ||२९७ कोष्टमैरहतोजोअसाध्यमा३०२ घरगकापकिवाकीविधि
लतीकोलक्षण ||२०२/ोषधांसूत्रनेपकायदे २९७क्षनवणकोलक्षण २०२ पक्याबकोचीरोदेव . २९८/धृतव्रगकोलक्षरा ३०२ अननांपादम्यांकेचीरोलगा २९८ चोटकाबराकोसामान्यल०/३०३/अथपीडन २९८ मर्मस्थान
॥२०३ घणयोधन २९९ बकासोलाउपद्रवछे ॥३०४ व्रणरोपण २९९ अग्निदग्धकोलक्षण ३०४ बरामैसूलउपज्यो २९९ पुष्टदग्धकोलक्षण २०४ बरामहमिपडिगईहोय
दुधकोलक्षण २०४ ब्रामेछोतीपडिगईहोयी २९९/सम्यकदग्धकोलक्षण २०५ बकाभरिबाकीमहिमा २९९ अतिदग्धकोलक्षण ॥२०५/आगंतुकवरात्यांकाजननी ९९ दोषामेंउपज्योजोबत्या २०६ जात्यादिवृतं ।
काजतना २०७विपरीतमल्लनेल २००/पित्तकासोजाकोलेप २०७ अमृतादिगूगल २०. कफकासोजाकोलेप ३०८ सम्यकदग्धकोलक्षजतना २१ औषधांकाजलकोतरडो २० प्रतिदग्धकोलक्षराजत. ३.१/पित्तकासोजाकोतरो ||३० इनिसिकतादिघृतं
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५७. सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
लिउगैरेकहीनरेसूदाड्योहाँ १४ कफकीनाडीव्रणकोउक्ष २०९ बगरोगकीउत्पत्ति १४ पित्तकीनाडीग्रएकोलक्षा |३०९ घणग्रंथिकोजलन- २१४ संनिपातकीनाडीग्रएकोल ॥३०९ वणयंथिव्रणरोगप्रमिदग्धुम ३१४ शस्त्रादिककीचोटकानारी ॥३०९ भग्नरोगकीउत्पत्ति-
कोलक्षण २०९ शरीरकीसंधिटूटीकोलक्ष. २१४ नाडीव्रराकोअसाध्यकष्टन ||३०९ उत्पृष्टएटिवाकोलक्षण. || साध्यलक्षण
२०९ विशिष्टदूटिवाकोलक्षण २१४ नाडीव्रणकाजतन |२१० पिचर्तिसंधिटूटीकोलक्षण |३१५ स्वर्जकादिघृतं ३१० निर्यगतिसंधिटूटीकोलक्षः ३१६ निर्गुडीतैले २१० सिप्तसंधिटूटीहोयतांकोल २१६ सुपेदमल्हिमकाविधिः २१० अधःसंधिोकोलसपा ||१७/पगफाटिव्याउसायडिजा ३१. हाडनलकपालवलयनें- यतीकीमहिमा
पादिलेरतीकोलक्षण २०७नींबकीमहिम २१. हाडटूटीवो१२प्रकारको सबकात्वचाकोरंगफेरिवा २१. स्याहाडकोलक्षण | कापौषदिन २१० भगरोगकोकष्टसाध्यलक्षा इनिअमृतसागरी५स्तरंगः ॥ भग्नरोगकोअसाध्यलस. १८चात्तरंगमैं भगंदरउ
पुन असाध्यलक्षण पदंशलिंगार्सकरोगको गाडकेचोरलागेतांकाचीन्हाट इतनारोगछै. ११ भग्नरोगकाजतन भगंदरकीउत्पत्ति ||२१२ चोटलागिवाकीपोषदि २१९ पित्तकाउष्ट्रयीवभगररकोल |३१२ नाडिबाकी उत्पत्ति १९ कफकापरिश्रावीभगंदरको।
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५७१ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. २१९ सन्निपातकासंवूकावर्तभा२२६ मृदितस्करोगकोलक्षण
गंदरकोलक्षण ३२८ संमूढपिडिकाकोलक्षरा २१९ सस्त्रादिककालागिवाका ३२. पुफरिकासूकरोगकोलक्ष | भगंदरकोलक्षा ..|२२६ अयमंथसूकरोगकोलक्ष ३२० भगंदरकोकष्टसाध्यलक्षः ३२६ स्पर्शहानिस्करोगकोल २२० भगंदरकोजतन अवमंथसूकरोगकोलक्ष|२२० नवकार्पिकग्गल २५ उत्तमासूकरोगकोलक्ष. |२२० भगंदरवालाइननीयस्तकरेन ३२७ सत्तपोनककोलारा ॥३२१ रुपराजरस : २२७ सोणिनार्बुदकोलक्षण |२२२ रविसुंदररस ३२७ मांसार्बुदकोलक्षा ३२२ उपदंशकोउत्पत्ति ३२७ विधीसूकरोगकोल. (३२२वायकाउपदंशकोलक्षः १२७ तिलकालककोलक्षण. ३२२ पित्तकाउपदंशकोलक्षः ३१७ सूकरोगकोअसाध्यलक्ष २२२ कफकाउपदंशकोलक्ष ||३२७ सूक्रोगकाजतन २२२ उपदंशकोअसाध्यलक्षः २२८ कुष्टरोगकीउत्पत्ति ३२३ लिंगार्सकोलक्षण २२९ अगराप्रकारकाकोटरांकानाम २२३ उपदंशकोजतन ||३२९ कुष्टरोगकोपूर्वरुप ३२४ भूरिनिंबादित ३२९ कोटकासामान्य लक्षण २२ करोगकीउत्पत्तिः३० कापिलककोटकोलक्षण २२५/सपिकाकोलक्षण २३० ओडबरकोटकोलक्षरा २२५ अष्टीलीकाकोलक्षण २२० मंडलकोटकोलक्षण ||२२५/कुंभाकाकोलक्षण |३३० विभूतिकोटकोलक्षण |२२६ अजलीसूसरोगकोसंक्षः ||२३१ कांकणनामकोटकोलक्ष
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. शपुंडरीकनामकोटकोलक्षः २३४ श्वित्रीकोसाध्यअमाध्यल. ॥३३१ रिक्षजिव्हकोटकोलक्षण २३४ कोटनैयादिलेरयेरोगकना २२० कुटनामकोटकोलक्षण- " रत्या जायलागे. २३१ गजचर्मकोदकोलक्षरा ३४ कोटकाजतन ||२१ चर्मदलकोटकोलक्षण ३५ पथ्यादिलेप
श चर्षिकाकोटकोलक्षण २३५ पंचनिबअवलेह २२२ पांचकोटकोलक्षण३३५ स्वायंभूवोगूगल २३२/दादकोटकोलक्षण २३५/किसोरगूगल |२२२/कछदादकोढकोलक्ष २१८ अमृतभल्लातकावलेह ||२३२ विस्फोटककोटकोउक्ष २३७महाभल्लातकअवलेह २३२ किटिभनामकोटकोलक्षः २३ लघुमंजिष्ठादिक्वाथ २२२ अलसकनांमकोटकोलक्ष २३८ मध्यमंजिष्ठादिक्वाथ |२३२ सनारुनामकोटकोलक्ष ३८ वहन्मंजिष्ठादिकाथ
२३२ सातूधातमैप्राप्तहुबोजोकोल २३९ लधुमरीच्यादितेल ||२२२ रसधातकाकोटकोलक्षण २२९ महामरीच्यादितैल. २२/रुधिरमप्राप्तहवोजोको स०॥२४० हरतालकाविधि. २१३/मांसमेंप्राप्तभयोनीकोल०२४० गलतकुष्टारिरस २३३ मेद,प्राप्तिमयोतीकोस. २४१ विभूतिकोजतन ॥२५ हारमेंमीजीमप्राप्तमयोतील/३४१ चर्मदलकोटकोजतन २३३ वीर्यमैप्राप्तभयोतीकोलक्ष २४१ (पांवकोजनन २१३ कोटकोसाध्यअसाध्यलक्षः ३४२ कछदादकीओषदी
१ कोटकोअसाध्यलक्ष. २४२ अर्कनैल २३४ कोटकोभेदश्वित्रीकोटनीको २४२/यक्षराक्षसनामतेल
(लक्ष. २४२दादकाजतन.
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५७२ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. २४२/श्वित्रिकोटकोजतन २.दोषकाभेदकारकैअम्लपि २४२ हरिषंड
२५१ अम्लपित्तरोगकार्जन २४३ हरतालमारचाकी विधिः ३५१ दशांगकाथः ॥२४५/दादकाजतनलि. ॥२५२ कूष्मांडावलेह २४५ कोटकोलेप ॥२५२/नालेरफंड २४५ महालेप |३५२ द्राक्षादिगुटिका इनिअमृतसागरेशस्तरंग ३५२ विपत्तिकचूर
तरंगमेशीनपित्तउदा २५३ विसर्परोगकीउत्पत्ति र्दिकोट उत्कोट अम्लपित्त ३५३ विसर्पकोसामान्यलक्ष निसर्पस्नायुकनामवालो २५३/यायकाधिसर्पकोलक्ष. विस्फोटक फिरंगवाव पसा ५३ पित्तकाविसर्पकोलक्ष. रिकानाम सीतला बोट्री२५४ कफकाविसर्पकोलक्ष.
भोरीरतनरोगा७मैंछै२५४/सन्निपातकाविसर्पकोल ||२४६ शीतपिनउदर्द कोढउत्कोट २५४ वातपित्तकाविसर्पकोलक्ष २४६/सीतपित्तादिककोपूर्वरुप २५५ कफपित्तकाविसर्पकोल. २४७ सातपित्तउदर्दकोटकोल ३५५शस्त्रादिककाधिसर्पकोलन २४७/यांसारांकाजतन ३५५ विसर्परोगकाउपद्रवसाध्य ||२४८ प्राइकषंडअवलेह असाध्यलक्ष...। ॥२४९ अम्लपित्तकोउत्पत्ति- २५५ वायफारिसर्पकोजतन
३५० अम्लपित्तकोलक्षरा- २५५ पित्तकाविसर्पकोजत||३५० ऊर्ध्वगामीअम्लपित्तकोल २५५/कफकाविसर्पकोजन
३५० अधोगामीअम्लपित्तको २५६५दशांगलेपः ||२५०/अम्लपित्तमोरोषांकोमि/२५७/मायुनामबालाकीउत्पत्तिः ॥
(लाप
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५७४ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. ||३५८ वालाकाजतन |२६ हिंगूलादिधूम |२५९यालाकोमंत्र |२६५/रसकपूरसूटोबायोहो २५९ विस्फोटककीउत्पत्ति यतीकोजतन २५९ विस्फोटककोलक्ष. २६/मसूरिकानामसीलाकीउत्पा||२५९/पित्तकाविस्फोटककोल०२६९ वायकीमसूरिकाकोल. २६९ कफकाविस्फोटककोल/२६६/पित्तकीमसूरिकाकोल. २६० वातपित्तकफकाविस्फोटका २६५ सोहीकामसूरिकाकोलन |२६७ वायकफकाविस्फोटकॉल २५७ कफकामसूरिकाकोल ३६० पित्तकफकाविस्फोटककोलारसंनिपातकीममूरिकाको २५० सन्निपातकाविस्फोटकको २५७ शरीरमैप्राप्तिहजोमस्। ३६० लोहीकाविस्फोटककोलारिकातीकोलक्षण३६० विस्फोटककाउपद्रव ३७ लोहीमप्राप्तहुईजोमसूति २६० विस्फोटककोअसाध्यसाया कानीकोलक्षरा २६७/विस्फोरककाजत- २६७/मांसमेंप्राप्त नींकोल. २६२ फिरंगवायकाउत्पत्ति मेरमैप्राप्तहईजोन्तीकोल ||२६२/शरीरकीत्वचावारेनीकोल/२७ साउमैप्राप्तहईनीकोल. २६२ सरीरकैमाहिवारेतीकोल २९७ माजी प्राप्तडईतीकोल ३६२/फिरंगवायकाउपद्रव २५८ साक्रमप्राप्तहुवोतील. ||२४२/फिरंगवायकाजनन' ३५८ चर्मप्राप्तहबोन्तीको ल ||२६२/संप्रसारागुटिका रोममैपानहईनीकोल. २५२ सूनकायोलेप २८ मसूरिकाकोअसाध्यल०||
२६८ मसूरिकाकोसाध्यलक्ष. ||३८फिरंगगजकेसरीरस सूरिकाकाजन.
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका३६९ वायकीमसूरिकाकोजन० गलाका कंठका येरोग छै३६९/ पित्तकीमसूरिकाकोज• ३७२ क्षुद्ररोगांकी उत्पत्ति. ३६९ लोहीकीमसूरिकाकोल• ३७२ जगल्लीकाफुएासीकोल३६९ कफकीमसूरिकाकोल० ३७२ यवप्रक्षाफुलसीकोल • ३६९ सर्वमसूरिकामात्रकोज• ३७२ मंत्रालजीपुरासीकोल क्ष३६९ मसूरिकामैकंठकात्रणा० ज०३७२ विवृत्ताफुएलसीकोलस३७ मसूरिकामेप्रांष्यांचीपिग २७२ कळपिकाफुरासीकोलक्ष ईहोयती कोजतन. ३७२ वल्मीकफुलसीकोलक्ष. ३७१ इंद्रहडफुलसीकोलस • २७ गर्दभकाकुणसीकोलक्ष ३७३ पाषाएागर्दभफुरासीको• ३७३ पनसीका फुए सीकोल • ३७३ जाल गर्भ कुणसीकोल२७३ दूर वेलिकाफुरासीकोल २७३ काषोलाईकोल•
३७० मसूरिकामै नेत्रांमैंत्रण हो
यत्तीकोजतन
३७० मसूरिकामैको भेदसीतला
तीको स्वरूप
३७० सीतलाकाजतन३७१ सीतलावाला की रक्षा.
३७१ सीतलास्तोत्र
३७१ सीनलाकारभेद
३७ श्रग्निरोहीणिफुणसीकोल - इतिप्रमृतसागरे १७ स्तरंग- ३० चिप्पनामपुरासीकोल • १वीतरंगमें कद्ररोग मा कुन रोगको लक्ष स्तगकारोग नेत्रांकारोग अनुशयी फुरासीकोल • कांनकारोग नाकाकारोग ३७ विदारिकाएासीकोल• मुषकारोग होठकारोग मा ३७ शर्करापुएासीकोलसूटांकारोग द्रांतकारोग- ३७ शर्करार्बुदको लक्ष जीभकारोग तालवाका ७ माऊकोल क्षण
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५७५ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. २७५ कदरपुरासीकोल. ७९निरुडपकसिकोजत. २७५/पारवाकोलक्षः २७९ संनिरुडकोजतन२७. उदरीकोलक्ष. २७९ दृषककोजतन२५ अंरुषिकाकोल. २९/गुदभ्रंशकांचीकोजतन
७. सुपेदवाल कोल. २७९ मूषकतैल. ||२७. लसएकोलक्षण- २७९चांगेरीधृतं २७५/मस्साकोलक्षा ३० शूकरदंष्ट्रकोजतन२.निलकोलक्षण
पारवाकोजनन २स्यडकोलक्षण- ८०व्याउकोजतन २७ अवाटिकाकोलक्ष- ३८० कदरकोजतन २७निरुद्धकोलक्ष ३-तिलकाजतन २७ मणिरोगकोलक्ष. ३१ मस्साक़ाजता २७ सनिरुद्दण्दरोगको २१ लसएकाजतन २७७ वृषणकछकोलक्ष- ३० चेप्याकाजत ३७७ गुरभ्रंशकोलक्षण २१ कुनषकोजतन२७७ शूकरदंष्ट्रकोलक्ष मस्सातिललसरायांकोजवा २७७/क्षदरोगांकाजत- ३८२/घुजालिकोजत. २७-इरल्लिकाकाजतः ३८२सुपेरवालकोजतन ||३७पनसिकाकोजनन३३ रीलागीहोयतीकोजत २७८ पाषाणगर्दभकोजत. चायकोजतन २७वल्मीककोजतन
मस्तकरोगकोउत्पत्ति १७८ काषोलारअमीरोहिणी २८३ वायकासिरोरोगकोलक्ष. २७९ अवपाटिकोजतन)""३८३पित्तकासिरोरोगकोलः ||
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. रत्नकफकाशिरोरोगकोल इशाधासीसीकोमंत्र२८४/संनिपातकाशिरोरोगको ३९० नेत्रांकारोगांकीउत्पत्ति
लोहीकाशिरोरोगकोल-३९१/प्रथमदृष्टिरोग २८४पाणपणांकाशिरोरोगको/२९१ प्रथमपटलकारोगकोलन २८४/सूर्यावर्त्तकोलक्षा- २९ दूसरापटलकारोगकोल०| ३-४ अनंतवानकोलक्ष. २९१ तीसरापटलकारोगकोलम २५ कनफटीदूषेतीकोलक्षः ||२९२ चोथापटलकारोगकोल॥ २५ अर्शवभेदकोलक्षण |३९२ लिंगनाशमोनियाविरकोला २८. वायकासीरोरोगकोजतन ३९२ वायकालिंगनाशकोल. ३८५सिरोवस्ति- ||३९ पित्तकालिंगनाशकोल. २८ पित्तकासिरोरोगकोज ३९० कफकालिंगनाशकोलक २८लोहाकीमथवायकोजत. २९३/संनिपातकालिंगनाशको. २८ फकीमथबायकाजन |३९२ लोहीकालिंगनाशकोल. ||३/पडितले २९परिम्लायनकालिंगनाली २५पासापरणांकीमथवायकोना २९३ नेत्रांकामंडलकाजुदाजु
कमीकीमथवायकोजतः॥ दासरूपलि. ||२७/प्राधासीसीकोजतन २९४ सनिपातकानेत्रमंडलको ||२८७/अनंतवातसीरोगकोज. ३९४ लोहीकानेत्रमंडलकोलम
कनफटीहूपतीकोजत- २९४ परिम्लायनकानेनमंडल
आधासीसीकोऔरजत- २९४ नीसरापरलमैपित्तजाय। २८२ कपालकाकीडाकोजत॥तीकोतरुपलि. २८९/केसमधीवाकोजतन ||२९४/कफकारदग्धदृष्टिकोल॥
मधवायकोऔरजनन- २९४ रातिधाकोलक्षः ॥
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५७८ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. ३९धूमदशिशिरोरोगकोलपिरिकाकोलक्षण ३९४ हस्वजान्यरोगकोलक्ष २९७वलासग्रथितकोलक्ष |२९४ नकुलांधरोगकोलक्ष ९उत्संगपिडिकोलक्ष. २९५/गंभीरकारोगकोलक्ष. २९नकुंभिकापिडिकाकोलक्षः॥ २९५ विनाकारकालिंगनाशकाल ३९ पोथकीरोगकोलक्ष २९५कालानेत्रकामंडलकारोग २९८ वर्मशर्करापिडिकाकोल. ३९५/सनराशुक्रकोलक्षए ३९ अर्शीवमपिटिकाकोल. ३९५सबगअसाध्यलक्षण२९-शुकार्शरोगकोलक्षल. २९५ अब्राशककोलक्षण २९१ अंजननामिकाकोलक्ष २९५/अवरणकोकष्टसाध्यलक्ष ३९९ बहुलवर्माकोलक्षण३९८/ईकोअसाध्पलक्षण ९९ वर्मबंधकोलक्ष. ३९६ प्रक्षिपात्सयरोगकोलक्षाव ३९९ क्लिष्ट वाकोलस२९८ अजकाजातकोलक्ष. १९ वर्त्मकर्दमकोलक्षण ३९६ नत्रांकाशकलभागकारोगा ३९९ स्यावर्माकोलक्ष २९/प्रस्तार्यनेत्ररोगकोलक्ष ९९ प्रक्निरोगकोलक्षा २९६ शालार्यगनेत्ररोगकोल०२९९/अक्किन्नाकोलक्षण २९८ रक्तार्यमनेत्ररोगकोल• ४०वातहतवर्माकोलक्षा ९७ अधिमांसार्यमरोगकोल०/४००/वमार्बुदकोलक्ष ३९७ लायुर्यमनेत्ररोगकोल०४०० अप्रस्तनिमेषकोल. २९शुक्तिनामनेत्ररोगकोल०/४०० शोणिताशकोलक्ष९७/अर्जुनरोगकोलक्ष- ४. लगनेत्रकोलक्ष२९पिष्टरोगकोलक्षण ___४००विसवाकोलक्षा ||३९७सिराजालकोलक्षः ||४००कुंचनकोलक्ष.
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सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका.
४०० नेत्रकी वाफशीकारोग ४०४ ससोथकोलक्ष
४०४ प्रसोथपाकरोगको लक्ष
४०१ यक्ष्म कोपकोलक्ष
४०१ पक्ष्मशांत कोलक्ष
(४०४ हताधिमंथलक्षण
४०१ उपनाहरोगको लक्ष४०१ पेत्तिकश्राव कोलक्ष४०१ कफकाश्रावको लक्ष ४०१ संनिपातका श्राचकोल•
४०१ नेत्रकी संधिकारोगांका नाम ४०८ वातपर्यायरोगको लक्ष ४०१ श्यालसनेत्रसंधिरोगकोल ४० सुकाक्षिपाकरोगकोल• ४०५ अन्यतोवातरोगकोल• ४०५ अम्लाध्युषितरोगकोल• १४०५ सिरोत्पातसवलवायकोल ४०५ (सिराहर्षरोगको लक्ष ४०० नेत्ररोगगयोनही ती कोल ४०५ नेत्ररोगजातोरयोनी कोल
४०२ रक्तश्राचकोलक्ष ४०२ पर्वणीरोगकोल•
४०२ अलनीनामनेत्रकीसंधी ४०७ समस्तनेत्ररोगांकाजत•
४१८०० इतिनेत्रांकासमस्तरोगां
| कारोगको लक्षण४०२ जंतुग्रंथिरोगको लक्ष
काजतनसंपूर्ण नेत्रकासमस्तरोगांकी संख्या ४८ अथकांनकारोगांकीत ४०२ नेत्र वायकरडूषेतीकोल ४१९ कर्णमूलको लक्ष
४०३ पित्त करिदूषेत कोल० ४१९ कर्णनादको लक्ष ४०३ कफकरि इषैतीकोल० ४१९ वाधेर्य कोलक्ष लोही करिदूषेतीकोल• ४१९ वेडकको लक्ष ||४०२ वायकात्र्यधिमंथकोल• ४१९ कर्णश्रावकोलक्ष ४०२ पित्तकात्र्प्रधिमंथ कोल• ४१९ कर्णकंडकोलक्ष ४०४ कफकान्प्रधिमंथकोल• ४१९ कर्णगूथिकोलक्ष (रक्तकामधिमंथकोल० || ४१९/ कर्णप्रतिनादकोलक्ष
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५८०
|४१९ कर्णम्नमिकोलक्षण
सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. ||४२६ प्रतिश्याय कोलक्षण४२६ पीनसको पूर्वरूप ४२६ वायकापीनसको लक्ष
४१९ कर्णविद्रधीकोलक्ष १४२० कर्णपाकको लक्षण
४२० पूतिकर्णकोलक्षण
४२६ कफकापीनसकोलस
|४२० वाय पित्तकफलोहीसूहो ४२७ संनिपातकापीनसकोल ४२० यतीकोलक्ष ४२७ दुष्टपीनसकोलक्षण४२० कर्णपालीकापरिपोटकको ४२७ लोहीकापीनसकोलक्ष ||४२० उत्पातको लक्षण ४२७ पीनसकोसाध्यक्ष||४२० उन्मथको लक्ष ४२७ पीनसवालाकैकृमीपडि ४२७ जायतीको लक्षण४२७ पीनसकाकाचापणकोल
४२१ परिलेहिनको लक्षण ४२१ कर्णरोगकाजतन
४२४ इतिकर्णरोगांकाजननसंपू० ४२८ पकापीनसको लक्ष ४२४ अथनासिकारोगकी उत्प ४२८ प्रथनांकरोगांकाजन४२५ पीनसकोलक्ष ४१ पुनस्यको स
नासिकारोग
पाल स
क्षवधू कोलक्षण ४१५ क्षवथूभ्रंशकोलक्ष १४२६ टीम रोगको लक्षण ४२६ / प्रतीनाहको लक्ष ४२६ प्रतीश्रावको लक्ष ||४२६ नासासंसोष कोलक्ष
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म
४.२० |होगंकारोगांकीउत्पत्ति| ४३० वायकाहोठरोगकोलक्ष ४३० पित्तकाहोठरोगकोलक्ष४३० कफकाहोउरोगको लक्ष ४३० संनिपातका होठरोगकोल -४२० लोहीका होठरोगकोल• | ४३० | चोटलागीवाकाहोरोग
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कोल."
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सूचनापत्र तथा अनुक्रमणिका
४३१ होठकारोगांकाजतनसं० ४३६/ हनुमोक्षरोगको लक्ष ४२१ मसूढांकारोगांकानामसंख्या ४३६ दांताकारोगांकाजत४२१ सीनादिमसूढांकारोगकोल० ४३ इतिदांनांकारोगां काजतन ४३२ देतस्युपटरोगकोलक्ष. ४३८ जीभकारोगांकी उत्पत्ति४३२ दंतवेष्टिरोगकोल क्ष. ४३- वायकाजीभरोगांकोलक्ष ४३२ सोषिररोगको लक्ष-मसूमांक ४३८ पित्तकाजीभरोगांकोल४३२ महासौषिर रोगकोलक्ष ४३८ कफकाजी भरोगांकोल४३३ परिदररोगकोलक्ष- मसूदां ४३ लासजीभरोगकोलक्ष४२२ उपकुशरोगकोलक्ष ४३९ उपजिव्हा कोलक्ष ४३२ विदर्भरोगको लक्ष ४२२ खलिवर्द्धनरोगकोल० ४३९ तालबांकारोगांकानामसंख्या ४३२ अधिमासरोगकोलस- ४३९ गलसुंडीकोलक्षण
४३९ जीभकारोगांकाजतन
•
४३५ दालिन दांत का रोगकोल ४३५ कृमिदंनकरोगकोलक्ष ४३५ भंजनकरोगको लक्षण ४३५ दंन हर्षरोगको लक्षण ४३५ दंतशर्कराकोलक्ष स्यावदंतकोलक्षण ||४२५ करालरोगकोलक्ष
||४३३ दंतविद्धीकोलक्ष- ४३९ तुम केसरीको लक्ष ४२२ मसूढांकारोगांकाजत ४४० ध्रुबरोगकोलक्ष१४२५ इति मसूढांकारोगांकाज ४४ कछपरोगको लक्ष ४३५ दांताकारोगां कानामसंख्या ४४ नाल्बर्बुदरोगको लक्ष ४४० मांसघातको लक्षण ४४० नाल्वप्युपुटकोलक्ष४४• ताल्बसोसको लक्षण४४० तालुपाककोल क्षण ४४० तालवांकारोगांकाज ४४० गलाकारोगांकानाम ४४१ वायकी रोहिणीकोल
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५८२ सूचनिकापत्र तथा अनुक्रमणिका. ४पित्तकीरोहिणीकोलक्षः समस्तमुषरोगांकाजतन ४४१ कफकारोहिणीकोलक्ष /मूटांकीछायारीहोवाको ||संनिपानकारोहिणीकोल इनिअमृतसाग-१८ स्तरंग: enteोहीकरोहिएकोलक्ष ९नरंगमैंस्थावरजंगमवि ४४१ कंठसूलककोलक्षण | कालक्षएाउत्पजत छैन ४ अधिजिव्हककोलक्ष- ४४५जंगमविष प्रकारको ४० वलयरोगकोलक्षण स्थावरविषशायारोगहोयसो ९४२ अलासरोगकोलक्ष. पक्षकोजीकाविषकाल ४४२ येकदकोलक्षण तहक्षकापत्रांकाविषकाल ४४. इंदरोगकोलक्षण रक्षकाफलकाविषकाल. ४४२ शननीकोलक्षण ४क्षकापुष्पकाविषकाल
गिलायुरोगकोलक्ष- रक्षकापकलकाविषकाल ४४२/गलविधीकोलक्षः रक्षकाधकाविषकाल||४४२/गलोयकोलक्षण धातुविषहरतालोदिकाका
४३ स्वरनकोलक्षण ४९/कंदविषसींगीमोहराने ४४३ अधिमांसकोलक्ष दिलेरतीकालक्षा
विदारिरोगकोलक्ष ४९ स्थावरविषसोध्याकाषा ४४२/गलाकारोगांकाजता | वाकागुणा ४४/समस्तमुषरोगांकीरत्त सस्थावरविषसंरोगहोयसो वायकामुषरोगकोला-४९शस्त्राकैषिषकापांगला पित्तकामुषरोगकोलक्ष|| गात्यांकालक्षा कफकामुषरोगकोलक्ष-||४५सर्पकाकारिवाकारोगांका|| सुषरोगकोअसाध्यलक्ष लक्षएजुराजुदालि
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Nirwaermi
career
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