Book Title: Akaal ki Rekhaein
Author(s): Pawan Jain
Publisher: Garima Creations

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Page 30
________________ सम्मशिनर पशु से परमात्मा बनने की कला आत्मकल्याण का अधिकार मात्र मनुष्यों को ही नहीं, अपितु पशुपक्षियों को भी है | जैन पुराणों में ऐसे सैकड़ों उल्लेख प्राप्त हैं। भगवान महावीर ने शेर की पर्याय में, भगवान पार्श्वनाथ ने हाथी की दशा में आत्मकल्याण का मङ्गल प्रारम्भ किया।ये प्रसङ्ग सर्वविदित है - __ यह हाथी भगवान पार्श्वनाथ का जीव है, क्रोध से अन्ध बनकर यह हाथी अनेक मनुष्यों का घात करने में तत्पर था। इतने में इसने एक मुनिराज को देखा | मुनिराज के दर्शन से उसे जातिस्मरणज्ञान हुआ, इतना ही नहीं उनके उपदेश से उसे सम्यग्दर्शन प्राप्त हुआ। मदोन्मत्त हाथी मुनिराज के सङ्ग से धर्मात्मा होकर परमात्मा पार्श्वनाथ बन गया। अहा धन्य मुनिराज का उपदेश! धन्य हाथी की सत्पात्रता!! (- सम्यग्दर्शन, भाग-८)

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