Book Title: Agamsaroddhar
Author(s): Devchandramuni
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 470
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अध्यात्मगीता. अशाश्वता जाणवा ६. ___ एणी रीते निश्चय व्यवहारथकी षटद्रव्य नव तत्व नो स्वरूप जाणवो. ए परमार्थ. अने एहवी रीते निश्चय व्यवहार रूप जाण पणे करी साध्यरूप निश्चय दृष्टि अन्तर ने विषे राखी अने निवृत्ति प्रवृत्ति आदि बाह्य व्यवहार रूप क्रिया करता थकां अने विचरे जे मुनिराज; एटले विचरे कहतां रीते स्याद् वाद् रूप जाणपणे करो भव्य प्राणीने हेत उपदेश करतां थका विचरे, जे कहतां ते मुनिराज. अने वली ते मुनि केहवा छे ? भवसागरना तारण निर्भर तेहि जहाज एटले भवसागर कहतां संसार रूप सागर कहता जे समुद्र तेहने विषे भमता भमता अनंता www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

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