Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
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(सुत्तंकसहिओ)
૪૬૧
मनुयअसण्णिआउय [मनुजासंग्यायुष्क] Aish મનુષ્યનું આયુષ્ય पन्न. ५१८; मनुयगइ [मनुजगति मनुष्य गति
नाया. १५७; मनुयगति [मनुजगतिमो ५२
ठा. ४८०,७४०ः पन्न. ३२७; मनुयगतिपरिणाम [मनुजगतिपरिणाम मनुष्य ગતિ વિષયક પરિણામ
पन्न. ४०७; मनुयगतिय मिनुजगतिक मनुष्य गतिसंबधि
पन्न. ४०७; मनुयगामि [मनुजगामिन्] मनुष्यपएमा ? મનુષ્યગતિમાં જનાર ठा. ५०४ जंबू. १२,२०,४७,४८,५३,१४०; मनुयत्त /मनुजत्वा मनुष्यत्व सम. २२७; भत्त. ३;
संथा. ९५; मनुयपरिसा [मनुजपरिषद् भएसोनी समा
आया. ५३२,५३५; मनुयभव मिनुजभव मनुष्य भव
भग. ११२; मनुयभाव [मनुजभाव मनुष्य५नो भाव
पण्हा. १६ मनुयरयण [मनुजरत्न मानव श्रेष्ठ
जंबू. १२३; मनुयरायवसम [मनुजराजवृषभ श्रेष्ठ मनुष्य
उव. ३१; मनुयलोग [मनुजलोका मनुष्यसोई
भग. ७२२; जीवा. २६३; सूर. १५९; चंद. १६३; मनुयलोय [मनुजलोको 6५२ भग. २४८; जीवा. २५७: सूर. २५५,२५८ थी २६३;
चंद. २५९,२६२ थी २६७; मनुयवइ [मनुजपति] मनुष्योनोस्वामी
जंबू. ५५; मनुयविग्गहगइ [मनुजविग्रहगति मनुष्य संबंधि વિગ્રહગતિ
ठा. ९५३ मनुयाउय [मनुजायुष्क मनुष्यनु आयुष्य
पन्न. ५०८,५३९,५४३; मनुयाविह [मनुजाधिक] मनुष्योनो २
અધિપતિ उत्त. २७०; मनुस [मनुष्य] मनुष्य
सूय. १९३; पण्हा. ३६,३७; मनुस्स [मनुष्य] मनुष्य
आया. ३६१,४६०,४६३,४७२,५३३; ठा. ५१,७१,७८,८५,१३१,१३८,१९४, २६८,३१२,३२४,३८०,४५७,४६०,५३४, ५४४,६५९,७८३; सम. १०१,१४१,२४१,२४६,२५४; भग.२७,३०,३३,४९,८६,१२६,२२५, २२६,३१२,३४३,३७५,३८३,३८६,३८९, ४०९,४२४,४५५,४९३,४९८.५५८,५९२, ५९९,६६५,६९७,७२२,७५२,७६५, ८०३,८०७,८३८,८८४,९७९,९९०,९९८; नाया. ८५;
उवा. ५; अंत. १३; विवा. ६;
उव. ३४; राय. १५ जीवा. १४,५५,१४६,३६५,३६६; पन्न. १६६,२०२,२६१,३०३,३२०,३३२, ३५३,३५५,३५७,३७८,४०७,४३७,४५२, ४९५,५१०,५२८,५४५,५८६,५९९,६०८; सूर. ३३,१७२,१९५; जंबू. ३२,३८,५३,७९,१२१,१२४; निर. १८;
दस. १४७,५०६;
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