Book Title: Agamsaddakoso Part 3
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agamdip Prakashan
View full book text
________________
(सुत्तंकसहिओ)
૪૫૯
मनपज्जव [मनःपर्यव] मनना पायो
जीवा. ४९,३८९,३९३; । नंदी. १५४;
पन्न. २७२,३२०,४८२,५६६,५७३; मनपज्जवनाण [मनःपर्यवज्ञान] पांय शानभान।। मनपरियारग [मनःपरिचारक भनथी प्रवियारચોથું જ્ઞાન – જેના વડે સંજ્ઞી જીવના મનના મૈથુન સેવનાર પર્યાયો જાણી શકે
पन्न. ५८९,५९२; आया. ५३५, ठा. ६४,१६३;
| मनपरियारणा [मनःपरिचारणा] मनाथी विषय सम. १४;
भग. १४४,२८६ः સેવન કરવું તે नाया. १०६; उव. २०
पन्न. ५८९,५९२; राय. ६४;
मनपवियार [मनःप्रविचार] '6५२' पन्न. ३१३,४६१,५००,५७२,५७३:
देविं. २०२: दसा. १७,५२; नंदी. ५३,८२; | मनपसिणविजा [मनःप्रश्नविद्या] मनोन जो.नंदी. १; अनुओ. १;
ઉત્તરદેવાની એક વિદ્યા मनपञ्जवनाणपच्चक्ख [मनःपर्यवज्ञानप्रत्यक्ष] सम. २२६; મન:પર્યવ જ્ઞાનને પ્રત્યક્ષ
मनपुण्ण [मनःपुण्य मन। शुम प्रवर्तन व थतुं नंदी. ५७: अनुओ. ३०१; પુણ્ય मनपजवनाणपरिणाम [मनःपर्यवज्ञानपरिणाम] ठा. ८३२; મનઃપર્યવજ્ઞાનજન્ય પરિણામ
मनप्पओग [मनःप्रयोग] मननी प्रवृत्ति पन्न. ४०७:
__ सम. २६,३७; मनपज्जवनाणलद्धि [मनःपर्यवज्ञानलब्धि]
मनबलिय [मनोबलिका मनोजवानो મન:પર્યવ જ્ઞાનરૂપ શક્તિ
पण्हा. ३४; उव. १५; अनुओ. १६१:
मनभक्खण [मनोभक्षण] भनथी मक्षए। ते मनपजवनाणारिय [मनःपर्यवज्ञानार्य) मन:पर्थव पन्न. ५५७ જ્ઞાનને આશ્રિને આર્યપણું
मनभक्खत्त [मनोभक्षत्व]भनयी लक्ष२५j पन्न. १७५:
पन्न.५५७: मनपज्जवनाणावरण [मनःपर्यवज्ञानावरण]
मनभक्खि [मनोभक्षिन् भनथी लक्षए। २नार મનઃપર્યાય જ્ઞાનને ઢાંકનાર કર્મ
पन्न. ५५१,५५७; सम. ४२.११७: अनुओ. १६१;
मनमक्कड [मनमर्कट] मन३पी वहिरो मनपज्जवनाणावरणिज [मनःपर्यवज्ञानावरणीय] ___ भत्त. ८५: મનઃપર્યવ જ્ઞાનને આવરક કર્મ પ્રકૃત્તિ
| मनवत्तिय [मनःप्रत्यय] मनानिमित्त ठा. ४२४,४२८:
सूय. ७०१; मनपञ्जवनाणि [मनःपर्यवज्ञानिन्] मन:पर्थव
मनविनय [मनोविनय] भनथी तो विनय, જ્ઞાનના ધારક
વિનયનો એક ભેદ ठा. ५२६,७८३: सम. १३५,२३२;
उव. २०; भग. २८४,३९१,७२२.९७७.९९८;
मनसंखोभ [मनःसङ्क्षोभ मनमा यतो क्षोम नाया. १०९: उव. १५;
पण्हा. १८
-
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546