Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 07
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 478
________________ श्रीनिरयावलिकासूत्र :: कल्पिकावर्गः 1 ] / 45? पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभे नरगे दससागरोवमठिइएसु नेरइएसु नेरयत्ताए उववन्ने // सू० 14 // काले गणं भंते ! कुमारे केरिसएहिं श्रारंभेहिं केरिसएहिं समारंभेहिं केरिसएहिं प्रारंभसमारंभेहिं केरिसएहिं भोगेहिं केरिसएहिं संभोगेहि केरिसएहिं भोगसंभोगेहिं केरिसेण वा असुभकडकम्म. पब्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाव नेरइयताए उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ते णं कालेणं ते णं समएणं रायगिहे नाम नयरे होत्था, रिद्धस्थिमियसमिद्धा 1 / तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नामं राया होत्था, महया 2 / तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदा नामं देवी होत्था, सोमाला जाव विहरति 3 / तस्स णं सेणियस्स रनो नंदाए देवीए अत्तए अभए नामं कुमारे होत्था, सोमाले जाव सुरूवे साम दंडे जहा चित्तो जाव रजधुराए चिंतए यावि होत्था 4 / तस्स णं सेणियस्स रनो चेल्लणा नामं देवी होत्था, सोमाले जाव विहरइ 5 // मू० 15 // तते णं सा चिल्लणा देवी अन्नया कयाई तंसि तारिसयंसि वासघरंसि जाव सीहं सुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, जहा पभावती, जाव सुमिणपाढगा पडि. विसजिता, जाव चिल्लणा से वयणं पडिच्छित्ता जेणेव सए भवणे तेणेव अणुपविट्ठा // सूत्रं 16 // - तते णं तीसे चेलणाए देवीए अन्नया कयाई तिराहं मासाणं बहुपडि. पुराणाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूए-धनायो णं तायो अम्मयाश्रो जाव जम्मजीवियफले जाणो णं सेणियस्स रन्नो उदवलीमंसेहि सोल्लेहि य तलिएहि य भजितेहि य सुरं च जार पसन्नं च आसाएमाणीयो जाव परिभाएमाणीयो दोहलं पविणेति 1 / तते णं सा चेलणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा अोलुग्गा अोलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुइतमुही श्रोमंथियनयणवणयकमला जहोचियं पुष्फवस्थगंधमल्लालंकारं अपरिभुजमाणी करतलमलियव्व कमलमाला

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