Book Title: Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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(४१) पिंडनिज्जुति [३१]
历历历历历历万历历历历万步,AOE ||१०८||-१०८१३१) कूडउवमाइ केई परप्पउत्तेऽवि बेति बंधोत्ति भणइ गुरुवि पमत्तो बज्झइ कूडे अदक्खो य ॥१०९।।-१०९ १३२) एमेव भावकूडे बज्झइ जो असुभभावपरिणामो तम्हा उ असुभभावो वज्जेयव्वो पयत्तेणं ।।११०॥-११०१३३) कामं सयं न कुव्वइ जाणंतो पुण तहावितग्गाहि वड्ढेइ तप्पसंगं अगिण्हमाणो उ वारेइ ॥१११||-१११ १३४) अत्तीकरेइ कम्म पडिसेवाईहिं तं पुण इमेहिं तत्थ गुरु आइपयं लहु लहु लहुगा कमेणियरे ॥११२||-११२ १३५) पडिसेवणमाईणं दाराणऽणुमोयणावसाणाणं जहसंभवं सरुवं सो दाहरणं पवक्खामि ॥११३||-११३ १३६) अन्नेणाहाकम्मं उवणीय असइ चोइओ भणइ परहत्थेणंगारे कड्ढेतो जह न डज्झइ हु॥११४॥-११४ १३७) एवं खु सुद्धो दोसो देंतस्स कूडउवमाए समयत्थमजाणतो मूढो पडिसेवणं कुणइ ॥११५||-११५१३८) उवओगंमि य लाभ कम्मग्गाहिस्स चित्तरक्खट्ठा आलोइय सुलद्धं भणइ भणंतस्स पडिसुणणा।।११६।।-११६१३९) संवासो उपसिद्धो अनुमोयण कम्मभोयगपसंसा एएसिमुदाहरणा एए उ कमेण नायव्वा ।।११७||-११७१४०) पडिसेवणाएँ तेणा पडिसुणणाए उ रायपुत्तो उ संवासंभि य पल्ली अनुभोयण रायदुट्ठो य ।।११८||-११८ १४१) गोणीहरण सभूमी नेऊणं गोणिओ पहे भक्खे निव्विसया परिवेसण ठियावि ते कूविया घत्थे ॥११९||-११९१४२) जेऽविय परिवेसंती भायणाणि धरंति य तेऽवि बज्झंति तिव्वेणकम्मुणा किमु भोइणो।।१२०||-१२०१४३) सामत्थण रायसुए पिइवहण सहाय तह य तुण्हिक्को तिण्हपि हु पडिसुणणा रण्णा सिटुंमि सा नत्थि ॥१२१||-१२१ १४४) भुंज न भुंजे भुंजसु तइओ तुसिणीउ भुंजए पढमो तिण्डंपि हु पणिसुणणा पडिसेहतस्स ना नत्थि ।।१२२-१२२ १४५) आणेत्तु जगा कम्मुणा उ बीयस्स वाइओ दोसो तइयस्स य माणसिओ तीहिं विसुद्धो चउत्थो उ॥१२३||-१२३ १४६) पडिसेवण पडिसुणणा संवासऽणुमोयणा उ चउरो वि पियमारगरायसुए विभासियव्वा जइजणेऽवि ।।१२४||-१२४ १४७) पल्लीवहमि नट्ठा चोरा वणिया वयं न चोरत्ति न पलाण पावकर वरय त्ति काउंरन्ना उवालद्धा ॥१२५।।-१२५१४८) आहाकडभोईहिं सहवासो तह य तब्विवज्जपि दंसणगंधपरिकहा भाविति सुलूहवित्तिपि।।१२६।।-१२६ १४९) रायोरोहऽवराहे विभूसिओ घाइओ नयरमज्झे धन्नाधन्नत्ति कहा वहावहो कप्पडियखोला ॥१२७।।-१२७१५०) साउं पज्जतं आयरेण काले रिउक्खमं निद्धं तग्गुणविकत्थणाए अभुंजमाणेऽवि अनुमन्ना ॥१२८।।-१२८१५१) आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य जह वंजणनाणत्तं अत्थेणऽवि पुच्छए एवं ||१२९||-१२९ १५२) एगट्ठा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव नाणट्ठ एगवंजण नाणट्ठा वंजणानाणा १५३) दिटुं खीरं खीरं एग8 एगवंजणं लोए एगटुं बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च ॥१३१||-१३१ १५४) गोमहिसिअयाखीरं नाणहूँ एगवंजणं नेयं लोए घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं ॥१३२||-१३२ १५५) आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताइं पढमभंगो उ आहाहेकम्मति य बिइओ सकिंकद इव भंगो ॥१३३॥-१३३ १५६) आहाकम्मतरिया असणाईं उ चउरो तइयभंगो आहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगो ||१३४||१३४ १५७) इंतत्थं जह सद्दा पुरंदराई उनाइवत्तंते अहकम्म आयहम्मा तह आहे नाइवत्तंते ॥१३५।।-१३५१५८) आहाकम्मेण अहे करेति जं हणइ पाणभूयाई जंतं आइयमाणो परकम्मं अत्तणो कुणइ ॥१३६।।-१३६१५९) कस्सत्ति पुच्छियमी नियमा साहम्मियस्संतं होइ साहम्मियस्स तम्हा कायव्व परुवणा विहिणा॥१३७।।-१३७१६०) नामं ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे दंसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य ।।१३८||-१३८१६१) नामंमि सरिसनामो ठवणाए कट्ठकम्ममाईया दव्वंमि जो उ भविओ साहमिसरीगं चेव जं च ॥१३९||-१३९१६२) खेते समाणदेसी कालंमि समाण उएक्क कालसंभूओपवयणि संघे गयरो लिगे रयहरणमुहपोत्ती ॥१४०॥-१४० १६३) दंसण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरिते दव्वाइओ अभिग्गह भावणमो अणिच्चाई ॥१४१||१४११६४) जावंत देवदत्ता गिही व अगिहीव तेसि दाहामि नो कप्पई गिहीणं दाहंति विसेसियं कप्पे ॥१४२।।-१४२ १६५) पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाण चेव उ विभासा जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ।।१४५||-१४५१६६) नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मियम्मि उ विभासा दव्वे मयतणुभत्तं न तं तु कुच्छा विवज्जेज्जा ||१४४||-१४४.१६७) पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाणं चेव उ विभासा जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ॥१४५।। १४५१६८) दस
ससिहागा सावग पवयणसाहम्मिया न दंसणओ लिंगेण उ साहम्मी नो पवयण निण्हगा सव्वे ॥१४६||-१४६१६९) विसरिसदसणजुत्ता पवयणसाहम्मिया न MOMore ur LC फ555555555555555555 श्री आगमगणमजषा : १६०७555555555555555555555555GROFI
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