Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir आवकहिया वा ३१ से किं तं दब्बसुयं?, २ दुविहं पं० २०-आगमतो य नोआगमतो य ३२ से किं तं आगमतो दव्वसुयं?, २ जस्सणं सुएतिपयं सिक्खियं ठियं जियं जावणो अणुप्पेहाए, कम्हा?, अणुवओगो दव्वमितिकटु, नेगमस्सणं एगो अणुवउत्तो आगमतो एगं दव्यसुयं जाव कम्हा?, जइ जाणए अणुवउत्ते न भवइ०, से तं आगमतो दव्वसुयं ३३1 से किं तं नोआगमतो दव्वसुयं? २ तिविहं पं० २०-जाणयसरीरदव्वसुयं भवियसरीरदव्वसुयं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्तं दव्वसुयं ३४ से किं त् जाणयसरीरदव्वसुयं?, २ सुयत्तिपयत्थाहिगारजाणयस्स जं सरीरयं ववगयचुअचावियचत्तदेहं नं चेव पुव्वभणियं भाणियव्वं जाव से तं जाणयसरीरदव्वसुयं ३५।से किं तं भवियसरीरदव्वसुयं? २ जे जीवे जोणीजभ्मणनिक्खंते जहा दव्वावस्सए तहा भाणियव्वं जाव से तं भवियसरीरदव्वसुयी३६से किं तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्तं दव्वसुयं?, पत्तयपोत्थ्यलिहियं, अहवा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्तं दव्वसुयं पंचविहं पं० २०-अंडयं बोंडयं कीडयं वालयं वागयं, अंडयं हंसगब्भादि, बोंडयं कप्पासमाइ, कीडयं पंचविहं पं० २०-पट्टे मलए अंसुए चीणंसुए किमिरागे, वालयं पंचविहं पं० २० उण्णिए उट्टिए मियलोमिए कोतवे किट्टिसे, वागयं सणमाइ, से तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्तं दव्वसुयं, से तं नोआगमतो दव्वसुयं, से तं दव्वसुयो३७॥ से किं तं भावसुयं?, २ दुविहं पं० २०-आगमतो य नोआगमतो यो३॥ से किं तं आगमतो भावसुयं?, २ जाणए उवउत्ते, से तं आगमतो भावसुयो३॥से किं तं नोआगमतो भावसुयं?, २ दुविहं पं०२०-लोइयं लोगुत्तरियंचा४०से किं तं लोइयं नोआगमतो श्री अनुयोगद्वारसूत्र ।। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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