Book Title: Agam 45 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 89
________________ Shn Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Se Kailashsagasen Byamandir सुहमस्सखेत्तसागरो०॥११४॥एएहिं सुहुमेहिं खेत्त५० सागरोवमेहिं किं पओयणं? एएहिं सुहमपलि० दिट्ठिवाए दव्वा मविजंति ११४० कइविहा णं भंते! दव्वा पं०?, गो०! दुविहा दव्वा पं० २०-जीवदव्वा य अजीवदव्वा य, अजीवदव्वा गं भंते! कइविहा पं०?, गो०! अजी० दुविहा पं० २०-रूवीअजीवदव्वा य अरूवीअजीवदव्वा य, अरूवीअजीवदव्वाणं भंते! कइविहा पं०?, गो०! अरू० दसविहा पं० २०-धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मस्थिकायस्स पएसा अधम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स पएसा आगासस्थिकाए आगासस्थिकायस्स देसा आगस० पएसा अद्धासभए, रूवीअजीवदव्वाणं भंते! कइविहा पं०?, गो०! रूवी० चव्विहा पं० २०-खंधा खंधद्रेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते णं भंते! किं संखिज्जा असंखिजा अणंता?, गो०! नो संखेजा नो असंखेज्जा अणंता, से केण्टेणं भंते! एवं वुच्चइ नो संखेजा नो असंखेजा अणंता?, गो०! अणंता परमाणुपोग्गला अणंता दुपएसिया खंथा जाव अणंता अणंतपएसिया खंधा, से एएणऽटेणं गो०! एवं वुच्चइ नो संखेजा नो असं० अणंता, जीवदव्या भंते! किं संखिज्जा असंखिज्जा अणंता?, गो०! नो संखिज्जा नो असंखिज्जा अणंता, सेकेण्डेणं भंते! एवं वुच्चइ नो संखिजा नो असंखिज्जा अणता?, गो०! असंखेजा जेरइया असंखेज्जा असुरकुमारा जाव असंखेजा थणियकुमारा असंखिज्जा पुढवीकाइया जाव असंखिज्जा वाउकाइया अणंता वणस्सइकाइया असंखेजा बेइंदिया जाव असंखिज्जा चरिदिया असंखिज्जा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया असंखिज्जा मणुस्सा असंखिज्जा वाणमंतरा असंखिज्जा जोइसिया असंखेज्जा ॥श्री अनुयोगद्वारसूत्र] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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