Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad
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उवासगदसासु
तयाणन्तरं व णं आभरण विहिपरिमाणं करे-" नन्नत्थ मट्ठकण्णेज्जपहिं नाममुद्दाय य अवसेसं आभरणविहिं पञ्चक्खामि ३" ।। ३१ ॥
तयाणन्तरं च णं धूवणविद्दिपरिमाणं करे - " ननस्थ अगरुतुरुक्कधूव मादिपहि, अवसेसं धूवणविहिं पश्चक्खामि ३” ॥ ३२ ॥
तयाणन्तरं च णं भोयण विहिपरिमाणं करेमाणे, पेज्जविहिपरिमाणं करेह - " नन्नत्थ पगाए कट्टपेज्जाप, अवसेसं पेज्जविहिं पच्चक्खामि ३" || ३३ ॥
तयाणन्तरं च णं भक्वविद्दिपरिमाणं करेइ - 'नम्नत्थ पगेहिं घयपुण्णेहिं, खण्डखज्जपछि वा अवसेसं भक्खविहि पच्चक्खामि ३" ॥ ३४ ॥
तयाणन्तरं च णं ओदणविहिपरिमाणं करे- "नन्नत्थ कलमसालिओदणेणं, अवसेसं ओदणविहिं पच्चकखामि ३” ।। ३५ ।।
तयाणन्तरं च णं सूवविद्दिपरिमाणं करेइ - " नन्नत्थ कलायसूत्रेण वा मुग्गमास पूर्वेण वा, अवसेसं सूवविहि पञ्चकखामि ३" ।। ३६ ।।
तयाणन्तरं च णं घयविहिपरिमाणं करेइ- "नन्नत्थसारइरणं गोघयमण्डेणं, अवसेसं घयविहिं पञ्चक्खामि ३” ।। ३७ ।।
तयाणन्तरं च णं सागविद्दिपरिमाणं करेइ-" नश्नत्थवत्थुसारण वा सुत्थियसारण वा मण्डुक्कियसारण वा, अवसेसं सागविहिं पच्चक्खामि ३" ॥ ३८ ॥
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