Book Title: Adhyatmik Gyan Vikas Kosh
Author(s): Rushabhratnavijay
Publisher: Rushabhratnavijay

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Page 23
________________ जिन दर्शन प्रतिदिन सुबह-शाम जिनदर्शन करना मधुर स्वरों से प्रार्थना करनी चाहिए भगवान परमोपकारी-हितकारी तो सुखकारी प्रभु [के दर्शन से दुःखों का नाश होता है। प्रतिक्रमण घर एवं शरीर स्वच्छ न करें तो गंदगी से भर जाता है। वैसे आत्मा पर प्रतिदिन लगता कर्म का कचरा रोज प्रतिक्रमण करके साफ करना चाहिए अन्यथा आत्मा मलिन हो जाती है। दिन के पाप मिटाने शाम का तो रात के पापों की शुद्धि हेतु सुबह का प्रतिक्रमण करना चाहिये । जिन पूजा रोज खेलते है, न्हाते है, पेटपूजा करते है प्रभु पूजा? प्रतिदिन स्वच्छ नये अच्छे कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए पूजा करने से इच्छित प्राप्ति तो मोक्ष सुख भी मिलता है। क्या हम भूल सकते है ? पाठशाला गमन शरीर मजबूत बनाने जीमखाना- व्यायामशाला हम जाते हैं किंतु आत्मा को पुष्ट करने सद्ज्ञान की प्राप्ति हेतु प्रतिदिन पाठशाला जाना चाहिए। जहाँ हमें विनय- विवेक तथा अच्छे संस्कार प्राप्त होते हैं । गुरूओं का विनय करना चाहिए। सामायिक समता पूर्वक 48 मिनिट तक की जाती यह क्रिया है। ऊनी बेटके पर धूली हुई धोती या कपड़े पहनकर चरवला-मुहपत्ति लेकर शांतिपूर्वक करना चाहिए। विकथा - कषाय तथा हंसनादौड़ना-खाना-पीना त्याग करना चाहिए। एक सामायिक से 925925925 पल्योपम का दिव्य सुख प्राप्त होता है। एक पल्योपम = असंख्य वर्ष प्रवचन श्रवण हमें नित्य शुद्ध मुख से विनय पूर्वक जिनवाणी का श्रवण करना चाहिए। उपदेश श्रवण से उन्मार्ग का उन्मूलन तथा सन्मार्ग की प्राप्ति होती है। तृप्त मन को शान्ति तथा जीवन में वैराग्य जागृत होता है। जिनवचन श्रवण से जीवन वन उपवन बनता है।

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