Book Title: Acharanga Sutram
Author(s): Jain Sahitya Sanshodhak Samiti
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samiti

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ आयारंग-सुत्तं [उद्दे० १. न निद्धे न लुक्खे, न काऊ, न रुहे न संगे, न इत्थी न पुरिसे न अन्नहा । ' परिन्ने सन्ने उवमा न विज्जइ' । अरूवी सत्ता, अपयस्स पयं नत्थि । से न सद्दे न रूवे न गन्धे न रसे न फासे इच्चेयावन्ति-त्ति बेमि॥ धु यं 10 (१) ओबुज्झमाणे इह माणवेसु आघाइ से नरे जस्सि'माओ जाईओ सव्वओ सुपडिलेहियाओ भवन्ति, अग्घाइ से धुयं णाणमणेलिसं । से किट्टइ तेसि समुट्ठियाणं निक्खित्त-दण्डाणं । _____ समाहियाणं पन्नाणमन्ताणं इह मुत्ति-मन्गं । एवं पेगे महावीरा विपरक्कमन्ति, पासह एगे अवसीयमाणे अणत्त-पन्ने । (२) से बेमि : से जहा वि कुम्मे हरए विनिविट्ठ-चित्ते पच्छन्न-पलासे उम्मुग्गं से नो लभइ। भञ्जगा इव सन्निवेसं नो चयन्ति, ___ एवं पेगे अणेग-रूवेहिं कुलेहिं जाया 15 रूवेहि सत्ता कलुणं थणन्ति, नियाणओ ते न लभन्ति मोक्खं । अह पास तेहिं कुले हिं आयत्ताए जाया १. गण्डी अदु वा कोट्ठी रायंसी, अवमारियं काणियं झिम्मियं चेव कुणियं खुज्जियं तहा, २. उयरिं च पास मुत्तिं च सणिय च गिलासिणं वेवयं पीढ-सपि च सिलिवई महु-मेहिणं३. सोलस एए रोगा अक्खाया अणुपुव्वसो । अह णं फुसन्ति आयंका फासा य असमञ्जसा । ४. मरणं तेसिं सॉपेहाए उववायं चवणं च नच्चा परिपागं च सॉपेहाए तं सुणेह जहा तहा । (३) सन्ति पाणा अंधा तमांस वियाहिया । तामेव सइमसइमइयच्च उच्चावए फासे पडिसंवेएइ । बुद्धेहे'यं पवेइयं । ( ४ ) सन्ति पाणा वासगा रसगा उदए उदय-चरा आगास-गामिणो पाणा पाणे किलेसन्ति : पास लोए महब्भयं । बहु-दुक्खा हु जन्तवो : सत्ता कामेहिं माणवा । 25 30 For Private And Personal Use Only

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