Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 01
Author(s): Vijaykastursuri, Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 294
________________ कुबेर वेसवण-वेसमण पुं. (वैश्रवण) यक्षराज, संपत्ति स्त्री. (सम्पत्ति) संपदा, ऋद्धि संफास पुं. (संस्पर्श) स्पर्श वेसा स्त्री. (वेश्या) गणिका संबंध पुं. (सम्बन्ध) संसर्ग, संग, वोसिरणं पुं. (व्युत्सर्जन) परित्याग संगति, संयोग संवच्छरिअ वि. (सांवत्सरिक) संवत्सर सइ-सया अ. (सदा) हमेशा, निरन्तर संबंधी सइ-सइं अ. (सकृत्) एक बार . संवेग पुं. (संवेग) संसार से सइंदय वि. (स-इन्द्रक) इन्द्रसहित उदासीनता, संसार भीरूता, मुक्ति सइन्न-सिन्न-सेन्न नपुं. (सैन्य) सैन्य, की अभिलाषा लश्कर संसग्ग पुं. (संसर्ग) सम्बन्ध, सम्पर्क • सई स्त्री. (सती) पतिव्रता स्त्री संसार पुं. (संसार) संसार, भव । सउण पुं. (शकुन) पक्षी, चिड़िया , संसारचक्क नपुं. (संसारचक्र) नपुं, शुभाशुभ निमित्त संसाररूपी चक्र संकला स्त्री. (शृङ्खला) सांकल, निगडा संहार-संघार पुं. (संहार) संहार संगम पुं. (सङ्गम) संगति, संगम, मेल सकम्म पुं. नपुं. (स्वकर्मन्) अपने कर्म, संघ पुं. (सङ्घ) संघ, समुदाय, समूह, निजकर्म श्रमणादि चतुर्विध संघ सवुडुंबय नपुं. (सवुटुम्बक) संजम पं. (संयम) संयम, चारित्र, कुटुम्बसहित व्रत, विरति, हिंसादि पापों से निवृत्ति सक्क पुं. (शक्र) इन्द्र संजुअ वि. (संयुत) युक्त, सहित सक्खं अ. (साक्षात्) प्रत्यक्ष आंखों के संजोग पुं. (संयोग) सम्बन्ध, मेल मेल सामने मिलाप सक्खिणो वि. (साक्षी) साक्षी , गवाही संति पुं. (शान्ति) शान्ति, सख- प्रत्यक्षदर्शी, निर्णायक समृद्धि, शान्ति जिन (सोलहवें सगास नपुं. (सकाश) समीप, पास, तीर्थंकर) निकट संतिण्ण कर्म-भूत (सन्तीर्ण) तिरे हए सग्ग पुं. (स्वर्ग) स्वर्ग, देवलोक संतोस पुं. (सन्तोष) संतोष संतष्टि, सच्चिय अ. (स एव) वही प्रसन्नता, तृप्ति . सच्च नपुं. (सत्य) सत्य , यथार्थवचन संपड अ. (सम्प्रति) इस समय अब सच्चवय वि. (सत्यवद) सत्यवादी, संपइनरिंद पुं. (सम्प्रतिनरेन्द्र) सम्पति सत्य बोलनेवाला राजा - सज्ज वि. (सज्ज) तैयार, युक्त २७१

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