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________________ (१४८) आपवामां आवे छे, अगरजो विद्याफंड, निराश्रित फंड, जीर्णोद्धार वगेरे माटे एक पैसो पण जुदो काढवामां आवतो नथी. कन्याविक्रय. जैनोमां कन्याविक्रयनो रिवाज मोटा प्रमाणमां जोवामां आवतो नथी, पण केटलाएक गरीब गामोमां विशेष जोवामां आवे छे. बाप पोतानी पुत्रीने वेची तेना पैसा लेछ, अने कोईक स्थळे तो दसथी पंदर हजार रुपीआ लेवामां आवेछे. कसाई मांस वेचे या बकरुं वेचे, पण निर्दय माबापो तो पैसानी लालचे बेत्रण मणनो मनुण्यरुपी बकरो वेचेछे. कन्याविक्रय थवानुं मूळ कारण जोशो तो निर्धनता, अज्ञानता, देखारेखी करवू, अने ज्ञातोनां खोटां खर्ची छे. न्यातवाळा जमणो नहीं मागता होय, कंकुने कन्या देवा देता होय, दीकरीना पैसा खानार न्यातोमां बडेखांमां खपता बंध थाय अने तिरस्कार पामता होय, उपदेशो अपाता होय, अने समजु माणसो एवा अनीतिना पैसा लेवानुं बंध करे, तो कन्याविक्रय घणे दरजे बंध पडे. पण केटलीक जग्याए तो पुत्र जन्मतां दुःख समजवामां आवे छे, त्यारे कन्या पेदा थतां हुंडी आवेली मानवामां आवे छे. एक पुरुष पांचसो रुपीआ आपी परण्यो, तेने बे पुत्री थई, अने तेना रुपीआ पंदरसो खावाने लीधा. कोईक शख्से पुछयु के "भाई, धंधो केम चाले छे ?” पेलाए जवाव दीधो के "पांचसोको पंदरासो भयो, और माल अनामतको अनामत रह्यो,” मतलब मारी स्त्री तो हजु हयात छे. सुरत पासे एक गाममां हमणांज चाळीस हजार रुपीआ लई, एक जणे पोतानी पुत्री एक वृद्धने आपी छे. आपणी बाळाओने पैसानी लालचे ज्यां त्यां अपाती जोईए छीए. कहेवत छे के पुत्री अने गाय ज्यां आपे त्यां जाय. वर वृद्ध हो के काणो हो, बोखो हो के अणगढ हो, तोपण सुकुमार बाळाने तेनो हाथ पकडाववामां आवे छे, अने केटलीक वखत परण्या पछी एकाद महिनामां तेने विधवा थएली जोवामां आवे छे. माबापो कहे छे के "छोकरीनां नसीब, जुवान जोडे परणावी होत ने ते मरी जात, तो | करत ?" हाथे करी अंधारा कुवामां फेंकी देनारां माबापो! जरा मनुष्य देह अने परलोकनो विचार करो. पुत्रीओ कहे के अमने झेर केम आपता नथी? आवा खोटा अने दुष्ट चालथी अनीतिओ अने विधवाओ वधवानो बहु संभव रहे छे. केटलांएक देशी राज्यो तरफथी कन्याविक्रयने उत्तेजन आपवामां आवे छे. कारणके त्यां एवो कायदो होय छे, के दीकरीना पैसा खानारने लीधेली रकममांथी चोथाई राज्यमां आपवी पडे छे. वळी केटलीक न्यातोमां एवो अधम रिवाज छे, के गमे तेटलो धनवान होय तोपण वुआरने नामे अने मांडवा खर्चने नामे अमुक रकम वरवाळा पासेथी ले छे. कोई गरीब पण समजु माणस लेतो नथी, तो तेनी बुराईओ करवामां आवे छे, तेनी पासे वधारे जमणो मागवामां आवे छे, अने तेने हसीने फजेत करवामां आवे छे. लखपति पोतानी एकनी एक पुत्रीना लग्नमां सो बसो रुपीआ खावा न ले तो न चाले? पण खोटा रिवाजे घर घाली तेओने कलंकित कर्या छे. बाळलग्न. जैनोमां नानपणमा अने कोईकवार माना पेटमां होय छे, त्यारेज बाळकोनां वेशवाळ करवामां आवे छे. माबापोने एक प्रकारनी 'वेलछा आवे छे के आपणी प्रजानी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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