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________________ (१४९) जोडायली नजरे जोईए. बजारमांथी एक हांडी खरीदवामां आवे छे, तो केटली चोकसी करवामां आवे छे, त्यारे जेनी साथे आखी जींदगीनी गांठ बांधवी होय छे, तेओ विषे कशी तपास करवामां आवती नथी; अने ए उतावळy फळ दंपतीना कजीआकंकासमां अने कुसंपमां आवतुं आपणा जोवामां आवे छे. बाळक ज्यारे परणे छे त्यारे लग्नने एक रमतगमत समजे छे. तेओ जाणता नथी के बंने बळदोए साथे जोडाईने संसाररुपा गाडूं सहीसलामत चलावी, धर्मना भागी बनी सद्गति रुपी स्थळे पहोंचवानुं छे. एक बळद नबळो होय तो गाडु सलामत पोहोंचे नहीं. बाळलग्नथी खरो स्नेह बंधातोज नथी. वळी वेशवाळ करती वखते वर अने वधुनी उमरमां कममां कम पांच छ वर्षनो फरक राखवो जोईए, ते न राखतां वर करतां वधुनी उमर बबे त्रण त्रण वर्ष जेटली वधारे जोवामां आवे छे. परणती वखते माबापोनी आंखो उघडे छे; ज्यारे कन्या उकरडा पेठे वधेली होय छे, अने वर ठीगुजी होय छे. आवां कजोडांओ आपणीज गफलतीथी थतां जोवामां आवे छे, अने तेथी अनीतिओ जन्म पामे छे. बाळलग्नथी आपणे कमजोर पड्या छीए. रजपुतो मटी मरकटीआ थया छे. धप्पो मार्यो तो धूळ उडी गई, वगैरे नबळाईनुं कारण बाळलग्न छे. अत्रे एम कह्या वगर चालतुं नथी, के जेम ब्राह्मणो अने बीजी न्यातोमां पांच पांच सात सात वर्षनी बाळाओने परणावी देवामां आवे छे, तेम जैनोमां थतुं नथी. कोई पण जैन अगीआर वर्षथी नानी उंमरनी बाळानां लग्न करता नथी, पण ए हद पण नानी गणाय. हालमां उलटी पद्धतिज जोवामां आवे छे. शहेर अने सुधरेला कुटुंबमां नानी उमरनी कन्याओने परणाववामां मान समजवामां आवे छे, त्यारे बिचारा गामडावाळा तेर वर्षनी उमरेज पोतानी पुत्रीओने परणावे छे. उंमरनी हद पुरुषनी अढार अने कन्यानी चौद होवी जोईए, अने ते जोडु सुखी थवा संभव होय छे. खरं बाळलग्न जैनोमां नथी; पण नानां लग्नो भविष्यमां थाय नहीं, नानी उंमरमां वेशवाळ करी कजोडांओ थाय छे ते थवा पामे नहीं, केळवणी सारी लई शके, वगेरे बाबतोनी आपणे संभाळ राखवी जोईए. वृद्धविवाह. वृद्धविवाहनो प्रचार वधवानुं मुख्य कारण कन्याविक्रय जोवामां आवे छे. जो कन्याओने पैसानी लालचे वेचवामां न आवे, तो माबापो स्वार्थरहित होवाथी पोतानी पुत्रीओ बुढाओने आपेज नहीं, अने बुढाओ हाथ घसताज रहे. मुछ अने वाळ काळा करी, हाथमां लाकडी लई, दांतोना चोकठां बेसाडी सीत्तेरथी एंसी वर्षनी उमरे परणता अने परणवानी होंस धरावता घणा मनुष्योने आपणे जोईए छीए. कन्याना पैसा कोई खावा लेतुं नथी, तो पुत्री धनवान थये, घरेणां गांठां पहेरशे, भीड पडे तेनो पैसो काम आवशे, एवा विचारथी पण बाळकीओने वृद्धो साथे आपवामां आवे छे. अज्ञानताने वश थवाथी तेओ एवं समजता नथी, के वरराजा तो स्मशाने जवानी तैयारी करी रह्या छे. सरखी उमर वगर संसार सुखी थतो नथी, अने एक बीजार्नु दील जोडाई खरो स्नेह बंधातो नथी. आपणा आगेवानोज वृद्धविवाहमां पडी बुढा काकाने परणावी पार उतारवामां, पोते मोटो वाघ मार्यो होय तेम वर्तता जोवामां आवछे. ___ चाळीस वर्षथी उपरनी उमरवाळाना लग्ननी रजा न्याते न आपवी. कन्याना पैसा लेवाय नहीं, अमुक उमरे लग्न करवां वगेरे रिवाजो न्यातोए बांधवा जोईए. चाळीस वर्षी २४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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