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________________ ( १२० ) नजरमां हलका पडी हंमेशनी टीकाने पात्र थशो नहीं, केमके भर्तृहरिए कहेलुं छे के 'बुद्धिशाळी पुरुषो कां तो कोई काम आरंभता नथी अने एक वखत आरंभे छे, तो तेनो छेडो लाबी सफळ करे छे'; तो ते प्रमाणे आपणे दरेक जणे वर्ततुं ए वधारे दुरस्त अने शोभामय न्छे. मारा दयाळु अने परोपकारी भाईओ ! आ वात तो निर्विवाद छे के दरेक आरंभेलां काम मात्र संपथी पार पडेलां छे, पार पडे छे अने पार पडशे; माटे खरो संप करी निराश न थतां तेवा संपरुपी वृक्षने जाथुकनी अल्प पण हंमेशां दरेक वर्षे दरेक माथादीठ अपाती रकमना जळधी सिंचन करवानी खास जरूर छे, अने आ जळरुपी अल्प रकमनी दरेक जैन खरी प्रतिज्ञाथी कबुलात आपे, तो कोईपण रीते तमारा काममां तमो पछाडी पडशो नहीं; अने धनाढ्य लोकोने वारेघडीए बधारे बोजारुप न थतां, वगर खलेले तमारा चर्चावेला वियो पार पाडी जैनोन्नति मेळवशो, अने अति चढीआती कोम तरीके ओळखायला छो, तेम ओळखाशो अने पुछाशो. अगाडीना काळना संप्रतिराजाना वखतना, तेमज विक्रमराजाना, तेमज जगडुशा शेठ, वस्तुपाळ, तेजपाळ, धनाशा, कुमारपाळ राजा, हरिभद्रसूरी अने छेलामां छेला उपाध्यायजी महाराजना वखतना श्रावकोनी जाहोजलाली, उदारता, जीवदया, समभाव, परोपकार, अने निराश्रित श्रावकोने पोताना जेवा धनाढ्य, दयावान अने परोपकारी करनारा श्रावको, हे भाईओ ! क्यां गया ? मात्र हाल तो तेमनां नामो रही गयां छे, मात्र हाल तो आपणे तेमना नामधी ओळखाईए छी. जेम नदीओ सुकाई सर्पाकारे रहेली छे, एम दुर्भाग्ये अने कर्मवशात् आजना श्रावकोनी स्थिति दरेक रीतिए जोतां, अति दयामणी अने निराधार थई पडेली छे; ते दूर करवा खरा तन, मन अने धनथी उपाडी देशो, के जेथी पुन्य उपार्जन करशो. हे बांधवो ! जैनोन्नति करवाने माटे खरा अल्पदाननी जरूर छे, आ अल्पदान कोईने पण भारे पडवानुं नथ, तेम पैसादार लोको पासे तमो, मागीने केटलं मागशो, अने आपशे तो तेओ केटली वखत आपशे अने ते क्यां सुधी चालशे, तेनो जरा ख्याल करो; अने तेत्रा आपनारा खरा सखी उदार दिल्वाळा धनाढ्य वगर माग्ये गुप्तदान तरीके, तेमज कीर्तिदान करनार तरीके केटला बहार पडशे, तेनो जरा धीरजथी ख्याल करो. जेओ मान तेमज नाम खातर बहार न पडतां खरा दिलथी जैनोत्कर्ष करवा चाहता होय, तेओ भले मोटी रकमोनी मदद करे. तेमने आपणे अंतःकरणथी धन्यवाद आपीशुं अने तेमनो ऊपकार मानीशुं; अने तेथी तेओ जरुर सारुं पुन्य उपार्जन करशे. आवी रीते एकठी थएली मोटी रकमोनुं पारसी कोमना फंडनी माफक, 'परोपकारी फंड ' नाम आपी एक फंड स्थापवुं अने तेनुं व्याज खर्चं. हवे आ अल्प रकम दरेक जप्प पुन्य माटे केवी रीते आपे, के जे कोईने पण भारे न पडे, तेनी योजना नीचे प्रणाणे छे: आखा भरतखंडमां वसता जैनभाईओ, ज्यां ज्यां वसता होय त्यांना एक बे विश्वासु, श्रद्धावान् प्रमाणिक अने आगेवान तरीके ओळखाता गृहस्थोए, आ काम जरा माथे उपाडी लई पार पाडवानुं छे. दरेक ईलाकावार, प्रांत, जिल्ला, तालुका शहेर अने गाम वार कमीटीओ स्थापी, त्यांना आगेवान गृहस्थो दर माणसदीठ अगर नोकरीवाळा दीठ, दरेक वर्षे एक. रुपीओ पुन्य अर्थे समस्त जैन सभाना आरंभेला कामो पार पाडवाना ईरादाथी, दरेक ईलाका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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