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________________ (११९) ज्यारे तीर्थकर महाराजना समोसरणमां एक वखते एकज स्थानमां वाघ, वरु, गाय, बकरी, बिलाडी, उंदर, नोळीओ, सर्पादि सरखां हिंसक अने क्रुर जातिनां तिर्यंच जनावरो पण, खार, कुसंप, मोटाई आदि तजी दई, लघुता, संप अने भ्रातृभाव आदि अंगीकार करी, जेम पोताना जन्मथीज रहेला परस्पर जाति संबंधीना वैरो छोडी दई, मननी एकाग्रता शान्तिपूर्वक प्राप्त करी तीर्थकर महाराजना उपदेश रुपी अमृतनुं पान करे छे, त्यारे ते तिर्यंचो थकी अति उत्तम गणाती मनुष्य जातिमा रहेला आपणे, तेज तीर्थकर महाराजना शासनमां प्रवर्तती वखते केटली बधी सलाह शांति अने संप साचववो जोईए ? जो तमे तीर्थकर महाराजे कहेली मैत्री आदि चार भावनाओमांनी पहेली जे मैत्री भावना छे, तेणे करी तमारं हृदय हमेशां प्रकाशित करशो, तो तमारी मेळेज तमने तेनाथी थता लाभनो अनुभव थशे. मारी अल्पमति प्रमाणे हवे आ महासभामां जे नव विषयो चर्चावाना छे, तेनी खरी फतेहनो मूळ पायो भने आधार, कहेवाती त्रण वस्तुओ उपर आधार राखे छे: १ दरेक वर्षे एकठा थता फंडनी व्याजबी व्यवस्था, अने ते व्यवस्था करवा नीमायेला प्रमाणिक, श्रद्धावान, धनाढ्य, परोपकारी अने धार्मिक लागणीवाळा सद्गृहस्थो तरफथी नीकळता वार्षिक रीपोर्ट छे. २ ढोंग वगरनो प्रमाणिक संप. ३ हमेशां एकसरखी रीते चालु रहेतुं फंड. गृहस्थो! दरेक कोम अने धर्मवाळा ज्यारे कोई पण कार्य देखादेखीए आरंभे छे, त्यारे तेमनो उत्साह पाणीना परपोटानी माफक घणोज उज्वळ देखातो होय छे, अने परपोटानी माफक थोडा वखतमां अदृश्य थतो देखाय छे; पण आपणा आरंभेलां कामोनां वावेलां बीजो सारी रीते उगी फळी फळ आपे, अने तेमनुं अन्य दर्शनीय अनुकरण करे अने धन्यवाद आपे. तेवां पगलां खरा संपथी, खानगी कजीआ अने खार, वैर होय तेनो बदलो अत्रे न लेतां, लेवानो इरादो पार पाडशे. ___'पंचकी लकडी और एकका बोज' ए कहेवतने ध्यानमा लई, खरा तन, मन, धनधी अने दया अने परोपकारबुद्धिए एकसंप करशो, तोज जे जे विषयो विचारवा अने पार पाडवा आपणे अत्रे एकठा थएला छीए, ते पार पाडशो. जेम शणना घणा झीणा तार- दोरडं करी, एक हाथी जेवा मोटा जानवरने एक नानो महावत बांधी शके छे, जेम एक रसी काष्टना भाराने बांधी राखे छे, जेम खरा प्रमाणिक अने विश्वासपात्र अने खरा अर्थमां लोकोनी हाजतोना हाकेम सर्व धर्मना लोकोने एकसंपी करी पोतानी खरी कथणी प्रमाणे रहेणीकरणीना दोरडाथी एकसंपी करी वश करे छे, तेम वगर डोळे, वगर ढोंगे अने खरा दिलथी संप राखी, आरंभेलां कार्यो एकदम पार पाडवाने न इच्छतां, रफते रफते एक पछी एकेक कापनो खरो पायो नांखी, ते मकान घणां वर्षो टके अने घणा वा वंटोळीआ आदिना तोफानो लागे तोपण लगार झुके अगर फाटे नहीं, तेवी वर्तणुकथी वर्त्तशो. जो 'एम करवाने तमे अशक्त हो तो बहेतर वात छे के, वधारे फजेतीमां उतरी अन्यदर्शनीयोनी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034560
Book TitleMumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Shwetambar Conference Office
PublisherJain Shwetambar Conference Office
Publication Year1904
Total Pages402
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size41 MB
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